उप राष्ट्रपति सचिवालय
उपराष्ट्रपति ने शिक्षण संस्थानों को ‘फिट इंडिया’ और ‘खेलो इंडिया’ में भागीदार बनने की सलाह दी
बौद्धिक विकास की तरह ही शारीरिक फिटनेस भी महत्वपूर्णः उपराष्ट्रपति
मौजूदा समय जरूरतों के अनुरूप शिक्षण प्रणाली को सुधारें;
भारत के जनसांख्यकीय लाभांश को साधने के लिए डिजिटल अंतर को पाटना और कौशल अनिवार्य;
महाराजा अग्रसेन कॉलेज के रजत जयंती समारोह को संबोधित किया
Posted On:
06 SEP 2019 6:56PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने देश भर के शिक्षण संस्थानों से ‘फिट इंडिया’ और ‘खेलो इंडिया’ जैसे कार्यक्रमों में भागीदारी करने और छात्रों को शारीरिक रूप से सक्रिय जीवन के प्रति प्रोत्साहित करने का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा कि युवाओं के बौद्धिक एवं भावनात्मक विकास की तरह ही उनका स्वास्थ्य और शारीरिक फिटनेस भी महत्वपूर्ण है। यह विशेष रूप से देश में गैर-संचारी रोगों में आई तेजी के मद्देनजर आवश्यक है।
नई दिल्ली में आज महाराजा अग्रसेन कॉलेज के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने ऐसी बहु-विषयक और समग्र शिक्षा प्रदान करने की आवश्यकता पर बल दिया जिसमें पाठ्यक्रम के साथ दूसरी गतिविधियां और सामुदायिक सेवा शामिल हो।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षाविदों से कहा कि वे छात्रों के बीच महत्वपूर्ण सोच, समस्याएं सुलझाने, सांस्कृतिक योग्यता, वैश्विक दृष्टिकोण, टीम वर्क, नैतिक तर्क, और सामाजिक दायित्वों को बढ़ावा दें।
अधिकारियों को शिक्षण प्रणाली में सुधार और इसे वर्तमान समय की जरूरतों के अनुरूप बनाकर युवाओं को सशक्त करने की सलाह देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि डिजिटल अंतर को पाटना, शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और ग्रामीण युवाओं के कौशल को उन्नत बनाने के लिए उचित ढांचे का निर्माण भारत के जनसांख्यकीय लाभांश को साधने के लिए अनिवार्य है।
उन्होंने गहन कौशल कार्यक्रमों, खासतौर पर अत्याधुनिक तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा, रोबोटिक्स आदि के माध्यम से स्नातकों की रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
भारत के समग्र शिक्षा के लंबे एवं शानदार इतिहास और गुरु-शिष्य परंपरा का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सिर्फ रोजगार दिलाना नहीं है, बल्कि ज्ञान बढ़ाना और लोगों का ज्ञानोदय और सशक्तिकरण करना है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 के मसौदे का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह शिक्षा के समग्र पहलू पर ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव करती है और इस बात पर जोर देती है कि जीवन में शिक्षा चार स्तंभों पर आधारित होती है – i) जानने के लिए सीखना - ii) करने के लिए सीखना - iii) साथ रहने के लिए सीखना – iv) होने के लिए सीखना।
श्री नायडू ने शिक्षकों, विद्वानों, प्रोफेसरों और अन्य दूसरे नागरिकों से कहा कि वे भारत की शिक्षा प्रणाली को मजबूती देने और 21वीं शताब्दी के जरूरत के अनुरूप इसे प्रासंगिक बनाने के लिए अपने इनपुट दें।
इस अवसर पर गुजरात एवं मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री ओ. पी. कोहली, दिल्ली यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी, महाराजा अग्रसेन कॉलेज के संचालक मंडल के अध्यक्ष प्रोफेसर सुनील शर्मा और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/एएस – 2897
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