श्रम और रोजगार मंत्रालय

वेतन विधेयक, 2019 पर कोड आज लोकसभा में पेश किया गया 

Posted On: 23 JUL 2019 3:29PM by PIB Delhi

केन्‍द्रीय श्रम और रोजगार राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री संतोष कुमार गंगवार ने वेतन और बोनस तथा इनसे जुड़े मामलों से संबंधित कानूनों में संशोधन और समेकन के लिए आज लोकसभा में वेतन विधेयक, 2019 पर कोड पेश किया। वेतन विधेयक, 2019 पर कोड में न्‍यूनतम वेतन अधिनियम 1948, वेतन भुगतान अधिनियम, 1936, बोनस भुगतान अधिनियम, 1965 तथा समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 के प्रासंगिक प्रावधानों को शामिल किया गया है। वेतन पर कोड लागू होने के बाद ये सभी चार अधिनियम निरस्‍त हो जाएंगे। कोड की मुख्‍य विशेषताएं इस प्रकार हैं –

  • वेतन पर कोड सभी कर्मचारियों के लिए क्षेत्र और वेतन सीमा पर ध्‍यान दिए बिना सभी कर्मचारियों के लिए न्‍यूनतम वेतन और वेतन के समय पर भुगतान को सार्वभौमिक बनाता है। वर्तमान में न्‍यूनतम वेतन अधिनियम और वेतन का भुगतान अधिनियम दोनों को एक विशेष वेतन सीमा से कम और अनुसूचित रोजगारों में नियोजित कामगारों पर ही लागू करने के प्रावधान हैं। इस विधेयक से हर कामगार के लिए भरण-पोषण का अधिकार सुनिश्चित होगा और मौजूदा लगभग 40 से 100 प्रतिशत कार्यबल को न्‍यूनतम मजदूरी के विधायी संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि हर कामगार को न्‍यूनतम वेतन मिले, जिससे कामगार की क्रय शक्ति बढ़ेगी और अर्थव्‍यवस्‍था में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा। न्‍यूनतम जीवन यापन की स्थितियों के आधार पर गणना किये जाने वाले वैधानिक स्‍तर वेतन की शुरूआत से देश में गुणवत्‍तापूर्ण जीवन स्‍तर को बढ़ावा मिलेगा और लगभग 50 करोड़ कामगार इससे लाभान्वित होंगे। इस विधेयक में राज्‍यों द्वारा कामगारों को डिजिटल मोड से वेतन के भुगतान को अधिसूचित करने की परिकल्‍पना की गई है।
  • विभिन्‍न श्रम कानूनों में वेतन की 12 परिभाषाएं हैं, जिन्‍हें लागू करने में कठिनाइयों के अलावा मुकदमेबाजी को भी बढ़ावा मिलता है। इस परिभाषा को सरल बनाया गया है, जिससे मुकदमेबाजी कम होने और एक नियोक्‍ता के लिए इसका अनुपालन सरलता करने की उम्‍मीद है। इससे प्रतिष्‍ठान भी लाभान्वित होंगे, क्‍योंकि रजिस्‍टरों की संख्‍या, रिटर्न और फॉर्म आदि न केवल इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से भरे जा सकेंगे और उनका रख-रखाव किया जा सकेगा, बल्कि यह भी कल्‍पना की गई है कि कानूनों के माध्‍यम से एक से अधिक नमूना निर्धारित नहीं किया जाएगा।
  • वर्तमान में अधिकांश राज्‍यों में विविध न्‍यूनतम वेतन हैं। वेतन पर कोड के माध्‍यम से न्‍यूनतम वेतन निर्धारण की प्रणाली को सरल और युक्तिसंगत बनाया गया है। रोजगार के विभिन्‍न प्रकारों को अलग करके न्‍यूनतम वेतन के निर्धारण के लिए एक ही मानदंड बनाया गया है। न्‍यूनतम वेतन निर्धारण मुख्‍य रूप से स्‍थान और कौशल पर आधारित होगा। इससे देश में मौजूद 2000 न्‍यूनतम वेतन दरों में कटौती होगी और न्‍यूनतम वेतन की दरों की संख्‍या कम होगी।
  • निरीक्षण शासन में अनेक परिवर्तन किए गए हैं। इनमें वेब आधारित रेंडम कम्‍प्‍यूटरीकृत निरीक्षण योजना, अधिकार क्षेत्र मुक्‍त निरीक्षण, निरीक्षण के लिए इलेक्‍ट्रॉनिक रूप से जानकारी मांगना और जुर्मानों का संयोजन आदि शामिल हैं। इन सभी परिवर्तनों से पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ श्रम कानूनों को लागू करने में सहायता मिलेगी।
  • ऐसे अनेक उदाहरण थे कि छोटी सीमावधि के कारण कामगारों के दावों को उठाया नहीं जा सका। अब सीमा अवधि को बढ़ाकर तीन वर्ष किया गया है और न्‍यूनतम वेतन, बोनस, समान वेतन आदि के दावे दाखिल करने को एक समान बनाया गया है। फिलहाल दावों की अवधि 6 महीने से 2 वर्ष के बीच है।
  • इसलिए यह कहा जा सकता है कि न्‍यूनतम वेतन के वैधानिक संरक्षण करने को सुनिश्चित करने तथा देश के 50 करोड़ कामगारों को समय पर वेतन भुगतान मिलने के लिए यह एक ऐतिहासिक कदम है। यह कदम जीवन सरल बनाने और आराम से व्‍यापार करने को बढ़ावा देने के लिए भी वेतन पर कोड के माध्‍यम से उठाया गया है।

वेतन विधेयक पर कोड इससे पहले 10 अगस्‍त, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था, जिसे संसद की स्‍थायी समिति के पास भेजा गया था। समिति ने अपनी रिपोट 18 दिसंबर, 2018 को प्रस्‍तुत की थी। हालांकि 16वीं लोकसभा भंग करने के कारण यह विधेयक रद्द हो गया। इसलिए वेतन विधेयक, 2019 पर कोड नामक नया विधेयक तैयार किया गया। संसद की स्‍थायी समिति की सिफारिशों और हितधारकों के अन्‍य सुझावों पर परस्‍पर विचार करने के बाद वेतन विधेयक, 2019 पर कोड नामक नया विधेयक तैयार किया गया।        

****

आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आईपीएस/वाईबी



(Release ID: 1579968) Visitor Counter : 2693


Read this release in: English , Marathi