कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय
सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 लोकसभा में पारित
सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध; सूचना आयुक्तों की स्वायत्ता कम करने का प्रश्न ही नहीं- डॉ. जितेन्द्र सिंह
Posted On:
22 JUL 2019 6:51PM by PIB Delhi
लोकसभा ने आज सूचना का अधिकार (संशोधन) विधेयक, 2019 पारित कर दिया। इस संशोधन में सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है, ताकि मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों तथा राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्तों का कार्यकाल, वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तें वही होंगी, जैसा केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाए।
इस विधेयक की बहस में भाग लेते हुए केन्द्रीय कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि यह सरकार पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस सिद्धांत का अनुपालन करते हुए सरकार ने आरटीआई की संख्या कम करने के लिए सरकारी विभागों को अधिकतम जानकारी देने के विस्तार को सरकार ने स्वत: प्रोत्साहित किया है। इसके अलावा सरकार नागरिकों की भागीदारी के माध्यम से शिकायतों के निवारण पर ध्यान दे रही है। इसने आरटीआई के प्रमुख सिद्धांत को मजबूत किया है और पिछले पांच वर्षों के दौरान आरटीआई आवेदनों के लंबित मामले काफी कम हुए हैं।
सदस्यों को आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार राज्य सूचना आयोगों के संबंध में नियमों को लागू करने के लिए अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं कर रही है। उन्होंने बताया कि 2005 के मूल आरटीआई अधिनियम के अनुसार सूचना आयुक्तों के संबंध में नियम लागू करने का अधिकार न तो केंद्र न राज्य और न ही समवर्ती सूची के दायरे में आता है, इसलिए राज्य सूचना आयोगों के संबंध में भी कानून बनाना केंद्र सरकार के शेष अधिकारों के अंतर्गत आता है।
सूचना आयोगों और निर्वाचन आयोगों की सेवा शर्तों की तुलना करने के मुद्दे का जवाब देते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि केन्द्रीय सूचना आयोग को राज्य सूचना आयोग सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के प्रावधानों के तहत स्थापित वैधानिक निकाय हैं। इसलिए भारत के निर्वाचन आयोग तथा केन्द्र और राज्य सूचना आयोग के अधिदेश अलग-अलग हैं। इसी के अनुसार इनकी स्थिति और सेवा शर्तों को तर्कसंगत बनाने की जरूरत है। इसलिए सूचना आयुक्तों की नियुक्ति संबंधी मूल अधिनियम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। इसलिए सूचना आयुक्तों की स्वायत्ता कम करने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता है।
****
आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आईपीएस/वाईबी
(Release ID: 1579917)
Visitor Counter : 1537