Posted On:
02 JUL 2019 12:58PM by PIB Delhi
पिछले पांच वर्षों के दौरान मनरेगा एक ऐसी प्रमुख ताकत बनकर उभरी है जो समस्त ग्रामीण भारत में जल संरक्षण के प्रयासों को आगे बढ़ा रही है। इस योजना के जरिए पहले मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में गहराए संकट को कम करने पर ध्यान दिया जाता रहा है, लेकिन अब यह राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) से जुड़े कार्यों के जरिए ग्रामीण आमदनी बढ़ाने के एक ध्यान केन्द्रित अभियान में तब्दील हो गई है। वर्ष 2014 में मनरेगा अनुसूची-I में संशोधन किया गया जिसके तहत यह अनिवार्य किया गया है कि कम से कम 60 प्रतिशत व्यय कृषि एवं उससे जुड़ी गतिविधियों पर करना होगा। इसके परिणामस्वरूप अधिनियम के तहत स्वीकृति योग्य कार्यों की एक सूची तैयार की गई है जिसमें ऐसी लगभग 75 प्रतिशत गतिविधियों या कार्यकलापों का उल्लेख किया गया है जो जल सुरक्षा एवं जल संरक्षण के प्रयासों को सीधे तौर पर बेहतर बनाते हैं।
पिछले पांच वर्षों के दौरान एनआरएम से जुड़े कार्यों पर किए गए खर्चों में निरंतर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले पांच वर्षों (वित्त वर्ष 2014-2019) के दौरान मनरेगा के तहत एनआरएम पर किया गया व्यय कुछ इस तरह से रहाः
(स्रोत : www.nrega.nic.in)
संसाधनों का लगभग 60 प्रतिशत राष्ट्रीय संसाधन प्रबंधन (एनआरएम) पर खर्च किया जाता है। एनआरएम से जुड़े कार्यों के तहत फसलों के बुवाई क्षेत्र (रकबा) और पैदावार दोनों में ही बेहतरी सुनिश्चित कर किसानों की आमदनी बढ़ाने पर फोकस किया जाता है। भूमि की उत्पादकता के साथ-साथ जल उपलब्धता भी बढ़ाकर यह संभव किया जाता है। एनआरएम के तहत किए गए प्रमुख कार्यों में चेक डैम, तालाब, पारंपरिक जल क्षेत्रों का नवीनीकरण, भूमि विकास, तटबंध, फील्ड चैनल, वृक्षारोपण, इत्यादि शामिल हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान 143 लाख हेक्टेयर भूमि इन कार्यों से लाभान्वित हुई है।
निम्नलिखित तालिका पिछले पांच वर्षों के दौरान प्रमुख एनआरएम कार्यों की प्रगति दर्शाती हैः
मनरेगा के तहत सृजित प्रमुख एनआरएम परिसंपत्तियां
(31/03/2019 तक की स्थिति)
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क्र.सं.
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परिसंपत्ति का प्रकार
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1 अप्रैल 2014 से लेकर अब तक पूर्ण
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1
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तालाब
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20,03,744
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2
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खोदे गए कुएं
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5,14,284
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3
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चेक डैम
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5,22,645
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4
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तटबंध
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2,02,125
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5
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खेत तालाब
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18,10,754
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6
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वर्मी/एनएडीईपी खाद वाले गड्ढे **
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10,53,227
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7
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सोखने वाले गड्ढे **
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4,84,020
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** सामुदायिक/व्यक्तिगत परिसंपत्तियां
जहां तक तकनीकी पक्ष का सवाल है, समुचित धनराशि जल संरक्षण कार्यों पर खर्च की जा रही थी, कर्मचारियों का तकनीकी प्रशिक्षण अपर्याप्त था और अक्सर ऐसी संरचनाएं तैयार की जाती थी जो अपेक्षित नतीजे नहीं देती थीं। इसे ही ध्यान में रखते हुए जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय और भूमि संसाधन विभाग के साथ साझेदारी में मिशन जल संरक्षण दिशा-निर्देश तैयार किए गए थे, ताकि ऐसे डार्क एवं ग्रे ब्लॉक पर ध्यान केन्द्रित किया जा सके जहां भूजल का स्तर तेजी से गिर रहा था। इस साझेदारी से एक सुदृढ़ तकनीकी मैनुअल बनाने के साथ-साथ अग्रिम पंक्ति वाले श्रमिकों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए केंद्रीय भूमि जल बोर्ड के इंजीनियरों एवं वैज्ञानिकों के तकनीकी ज्ञान का लाभ उठाने में मदद मिली।
मनरेगा के तहत संबंधित क्षेत्र के लिए विशेष रूप से बनाई गई योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न राज्यों के साथ सामंजस्य स्थापित कर काम किया जाता रहा है। एनआरएम कार्यों में जल संरक्षण की समस्या से निपटने के लिए एक पूर्ण टूल किट शामिल है। इसके तहत विभिन्न कार्योंकलापों की सूची कुछ इस तरह से तैयार की जाती है जिससे कि यह राज्यों की विभिन्न जरूरतों की पूर्ति उनकी भौगोलिक स्थिति के अनुसार कर सके। इसके परिणामस्वरूप कई राज्य बड़े उत्साह के साथ जल संरक्षण कार्यों को शुरू करने के लिए अपने संसाधनों को मनरेगा से जुड़ी धनराशि के साथ जोड़ने में समर्थ हो पाएं हैं। इसके तहत नियोजन एवं कार्यान्वयन प्रयासों से समुदायों को भी जोड़ा जाता रहा है। हालांकि, व्यक्तिगत लाभार्थियों की भी सेवाएं ली गई हैं, ताकि उनकी जरूरतें पूरी हो सकें। समुदाय ही कार्यों के चयन, लाभार्थियों के चयन और परिसंपत्तियों के रख-रखाव के लिए जवाबदेह हैं।
मनरेगा के कोष को राज्यों की धनराशि के साथ जोड़ने से निम्नलिखित राज्यस्तरीय योजनाओं को अत्यन्त सफल बनाना संभव हो पाया हैः
:
क्र.स.
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योजना का नाम
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राज्य
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1.
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मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान
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राजस्थान
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2.
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जलयुक्त शिवहर अभियान
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महाराष्ट्र
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3.
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डोभा या खेत तालाबों का निर्माण
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झारखंड
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4.
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नीरू चेट्टू
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आंध्र प्रदेश
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5.
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कपिल धरा
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मध्य प्रदेश
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6.
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बोर वेल रिचार्ज
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कर्नाटक
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7.
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उसर मुक्ति
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पश्चिम बंगाल
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इन योजनाओं को समस्त राज्यों के लगभग 50,000 गांवों में सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है। महाराष्ट्र में जलयुक्त शिवहर अभियान से 22,590 गांवों में सकारात्मक असर पड़ा है, जबकि मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना राजस्थान के समस्त 12,056 गांवों में अत्यन्त सफल रही है। राजस्थान और महाराष्ट्र में किए गए स्वतंत्र आकलन से भूजल के स्तर में 1.5 मीटर से 2 मीटर तक की वृद्धि, जल भण्डारण क्षमता में बढ़ोतरी, फसल तीव्रता में 1.25 से 1.5 गुना तक की वृद्धि, वाटर टैंकरों पर व्यय में उल्लेखनीय कमी और बेकार पड़े हैंड पंपों, नलकूपों एवं खुले कुओं का कायाकल्प होने के बारे में जानकारी मिली है। एनआईआरडी की टीम इन गांवों का दौरा करेगी, ताकि जल संरक्षण कार्यों की गुणवत्ता का आकलन किया जा सके। मंत्रालय व्यापक दस्तावेजों एवं आलेखों के साथ इस तरह के गांवों की पूरी सूची वेबसाइट पर डाल रहा है और इसके साथ ही नागरिकों से अनुरोध कर रहा है कि वे इन गांवों का दौरा करें और जमीनी हकीकत से वाकिफ हों। मंत्रालय 2 अक्टूबर, 2019 को उन सिविल सोसायटी और सामुदायिक नेताओं को पुरस्कृत करने की योजना बना रहा है जिन्होंने इसे संभव कर दिखाया है।
दिल्ली स्थित आर्थिक विकास संस्थान (आईईजी) ने जनवरी, 2018 में मनरेगा के तहत एनआरएम कार्यों के साथ-साथ टिकाऊ आजीविकाओं पर इसके असर का राष्ट्रीय आकलन किया था। अध्ययन के दौरान राष्ट्रीय आकलन करते वक्त उत्पादकता, आमदनी, पशु चारे की उपलब्धता के साथ-साथ एनआरएम कार्यों की बदौलत यहां तक कि जल स्तर में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई।
आईईजी मनरेगा अध्ययन 2018
संपत्ति सृजन से पहले और उसके बाद विभिन्न स्रोतों से परिवारों की आमदनी (हजार रुपये में)
आईईजी अध्ययनः जल स्तर में वृद्धि से इतने प्रतिशत परिवार लाभान्वित हो रहे हैं
संपत्ति सृजन की बदौलत सर्वे किए गए परिवारों की कृषि उत्पादकता में परिवर्तन (%)
विभिन्न अन्य अध्ययनों से यह पता चला है कि मनरेगा कार्यों से इसके जल संबंधी कार्यकलापों के जरिए ग्रामीण समुदायों को सुदृढ़ बनाने में मदद मिली है। मनरेगा के तहत हर वर्ष किए जाने वाले सार्वजनिक खर्च के नियोजन, कार्यान्वयन, निगरानी और रिपोर्टिंग को बेहतर करने के लिए नवीनतम उपलब्ध प्रौद्योगिकी को अपनाने में निरंतर काफी मुस्तैदी दिखाई जाती रही है और इस प्रक्रिया में भारत को जल की दृष्टि से सुरक्षित बनाने की दिशा में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में आवश्यक सहयोग दिया जाता रहा है।
भारत सरकार ने जल से संबंधित सभी विषयों पर त्वरित निर्णयों को लिया जाना सुनिश्चित करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय के नाम से एक नया मंत्रालय बनाया है। भारत सरकार ने 1 जुलाई, 2019 को 256 जिलों में महत्वाकांक्षी ‘जल शक्ति अभियान (जेएसए)’ का शुभारंभ किया है जिसके तहत पानी की समस्या से जूझ रहे 1593 ब्लॉकों को कवर किया जाएगा और जिसके तहत जल संरक्षण एवं वर्षा जल के संचय पर फोकस किया जाएगा। देश में स्वच्छता अभियान की भांति ही जल संरक्षण को भी एक ‘जन आंदोलन’ का रूप देने का प्रयास किया जाएगा। मनरेगा दरअसल ‘जल शक्ति अभियान (जेएसए)’ में एक प्रमुख साझेदार है और इसे सफल बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/आरआरएस/सीएल-1845