विद्युत मंत्रालय

विद्युत मंत्री श्री आर. के. सिंह ने बिजली वितरक कंपनियों द्वारा बिजली खरीद भुगतान सुरक्षा प्रणाली के क्रियान्‍वयन को मंजूरी दी


01 अगस्त, 2019 से बिजली खरीद समझौतों के तहत भुगतान सुरक्षा प्रणाली के रूप में बिजली वितरक कंपनियों के लिए पर्याप्‍त ऋण पत्र (लेटर ऑफ क्रेडिट) बनाना और रखना अनिवार्य होगा

बिजली क्षेत्र को अधिक अनुशासित और व्‍यावहारिक बनाने की दिशा में उठाया गया कदम

Posted On: 28 JUN 2019 5:58PM by PIB Delhi

विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा (स्‍वतंत्र प्रभार) और कौशल विकास तथा उद्यमिता राज्‍य मंत्री श्री आर. के. सिंह ने आज एक महत्‍वपूर्ण निर्णय लेते हुए बिजली खरीद समझौते के तहत भुगतान सुरक्षा प्रणाली को सशक्‍त बनाने के लिए लाइसेंस धारी वितरक कंपनियों द्वारा बिजली खरीद के लिए ऋण पत्र बनाने और पर्याप्‍त सख्‍ंया में उन्‍हें रखने से जुड़े प्रस्‍ताव को मंजूरी दे दी है। श्री सिंह ने इस फैसले पर कहा कि इससे भुगतान प्रणाली में आमूल बदलाव आएगा जिससे बिजली क्षेत्र की व्‍यवहार्यता बढ़ेगी।

फैसले के अनुरूप बिजली मंत्रालय ने आज निम्‍नलिखित आदेश जारी किए।  

  1. विद्युत अधिनियम 2003 के तहत क्षेत्रीय तथा राज्‍य स्‍तर के भार पारेषण केन्‍द्रों का यह वैधानिक उत्‍तरदायित्‍व है कि वे ये सुनिश्चित करें कि बिजली की आपूर्ति खरीद समझौते के अनुरूप की जा रही है।
  2. विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 28 (3) के तहत प्रादेशिक भार पारेषण केन्‍द्र उस प्रदेश में प्रचालन करने वाले अनुज्ञप्ति धारियों या उत्‍पादन कंपनियों के साथ की गई संविदा के अनुसार प्रदेश के भीतर बिजली आपूर्ति के अधिकतम निर्धारण और पारेषण के लिए उत्‍तरदायी होगा।
  3. इसी प्रकार अधिनियम की धारा 32 (2) (a) के तहत राज्‍य भार पारेषण केन्‍द्र उस राज्‍य में प्रचालन करने वाले अनुज्ञप्ति धारियों या उत्‍पादन कंपनियों के साथ की गई संविदा के अनुसार राज्‍य के भीतर बिजली आपूर्ति के अधिकतम निर्धारण और पारेषण के लिए उत्‍तरदायी होगा।

 

  1. बिजली खरीद समझौते के तहत वितरण /खरीद कंपनियों द्वारा साख पत्र के रूप में भुगतान सुरक्षा के लिए सक्षम प्रणाली मौजूद हैं की व्‍यवस्‍था है। एक सशक्‍त और सुरक्षित भुगतान प्रणाली के लिए पर्याप्‍त संख्‍या में वैध साख पत्रों का होना जरूरी है।
  2. ऐसा देखा गया है कि उपरोक्‍त व्‍यवस्‍थाओं के बावजूद ऋण पत्र नहीं दिए जाते जिसके कारण बड़ी संख्‍या में बिजली बिलों का भुगतान नहीं हो रहा। ऐसे में उत्‍पादक कंपनियों के लिए बिजली बनाने का काम मुश्किल हो जाता है क्‍योंकि उनके पास ईंधन के अग्रिम भुगतान के पैसे नहीं होते। उत्‍पादक कंपनियों को कोयले की ढुलाई के लिए रेलवे को भी अग्रिम भुगतान करना होता है। यदि यही स्थिति बनी रही तो उत्‍पादक कंपनियों द्वारा बिजली बनाए जाने का काम बुरी तरह प्रभावित होगा जिससे आगे बड़े पैमाने पर बिजली कटौती की समस्‍या पैदा हो जाएगी। ऐसे में प्रतिभूति पत्रों के बारे में आज लिए गए फैसलों को सख्‍ती से लागू किया जाना जरूरी है। राज्‍य और क्षेत्रीय पारेषण केन्‍द्रों को इसके लिए निम्‍नलिखित निर्देश जारी किए गए हैं:
  1. अधिनियम की धारा 28 (3) (a) के अनुसार राज्‍य तथा क्षेत्रीय पारेषण केन्‍द्र उसी स्थिति में बिजली की आपूर्ति शुरु करेंगे जब उन्‍हें उत्‍पादक/वितरण कंपनियों द्वारा यह सूचित किया जाएगा कि उपरोक्‍त मात्रा में बिजली की आपूर्ति के भुगतान के रूप में पर्याप्‍त संख्‍या में ऋण पत्र बनाए गए हैं और उनकी प्रतिलिपि उत्‍पादक कंपनी को मुहैया करायी जा चुकी है।
  2. राज्‍य तथा क्षेत्रीय पारेषण केन्‍द्रों को दी जाने वाली इस जानकारी में बिजली आपूर्ति की अवधि का ब्‍यौरा भी दिया जाना होगा।  
  3. राज्‍य पारेषण केन्‍द्र ऋण पत्र के मूल्‍य के बराबर मात्रा में बिजली की आपूर्ति करेंगे।
  4. ऋण पत्र के अनुरूप मात्रा में आपूर्ति होने के बाद बिजली रोक दी जाएगी। समझौते के तहत संबधित उत्‍पादक कपंनी ऋण पत्र को 45 से 60 दिनों की छूट अ‍वधि खत्‍म होने के बाद भुना सकेंगी।
  5. यदि उपरोक्‍त किसी कारणों से बिजली की आपूर्ति नहीं भी होती है तो भी आपूर्तिकर्ता द्वारा उत्‍पादक कंपनी को पहले से निर्धारित शुल्‍क देना जारी रखना होगा।
  1. भार पारेषण केन्‍द्रों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बिजली प्राप्‍तकर्ता नियम की लागू होने की अवधि के दौरान किसी अन्‍य बिजली एक्‍सचेंजों से बिजली प्राप्‍त नहीं करे तथा छोटी अवधि के लिए बिजली प्राप्‍त करने की उन्‍हें छूट नहीं मिले।
  2.  यदि लाइसेंस प्राप्‍त किसी आपूर्ति कपंनी द्वारा ऋण पत्र नहीं बनाने की स्थिति में उत्‍पादक कंपनी द्वारा उसे बिजली नहीं दी जाती तो ऐसी  स्थिति में उसे उत्‍पादक कंपनी को हर्जाना देना होगा। ऐसा उसी स्थिति में होगा यदि दोनों के बीच बिजली खरीद/आपूर्ति समझौते में यह शर्तें रखी गयी हों।
  3.  बिजली अधिनियम 2003 के तहत राष्‍ट्रीय, राज्‍य और प्रादेशिक पारेषण केन्‍द्रों को इन निर्देशों का 01 अगस्‍त 2019 से पालन करना होगा। 

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/एमएस/जीआरएस-1799  


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