वित्‍त मंत्रालय

भारत ने देश में टीबी के इलाज और उसके उन्‍मूलन के लिए विश्व बैंक के साथ 400 मिलियन डॉलर का ऋण समझौता किया


वर्ष 2025 तक टीबी उन्‍मूलन का लक्ष्य हासिल करने के लिए विश्व बैंक समर्थित कार्यक्रम के तहत देश के नौ राज्यों को कवर किया जाएगा

Posted On: 27 JUN 2019 6:37PM by PIB Delhi

विश्व बैंक और भारत सरकार ने आज यहां टीबी नियंत्रण के लिए कवरेज और गुणवत्तापरक उपाय बढ़ाने के लिए 400 मिलियन डॉलर का ऋण समझौता किया। देश में प्रतिवर्ष टीबी से लगभग पांच लाख लोगों की मौत होती है। विश्व बैंक समर्थित कार्यक्रम के तहत देश के नौ राज्यों को कवर किया जाएगा।

टीबी उन्मूलन के विश्व बैंक के कार्यक्रम से भारत सरकार की वर्ष 2025 तक देश से टीबी समाप्त करने की राष्ट्रीय रणनीतिक योजना में सहायता की जाएगी। इस कार्यक्रम से औषधि प्रतिरोधी टीबी के बेहतर निदान और प्रबंधन में मदद मिलेगी और देश में टीबी की जांच और उपचार में जुटे सार्वजनिक संस्थानों की क्षमता बढ़ेगी।

देश में टीबी नियंत्रण के लिए विश्व बैंक और भारत सरकार के बीच दो दशक से अधिक समय से सफल साझेदारी है। वर्ष 1998 से बैंक की सहायता से जनजातीय परिवारोंएचआईवी रोगियों और बच्चों सहित गरीब तथा उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए सीधे जांच उपचार और सेवाओं को बढ़ानेनिदान और गुणवत्तापरक टीबी देखभाल के लिए व्‍यापक पहुंच और बहु-औषधि प्रतिरोधी टीबी सेवाएं शुरू करने में योगदान दिया गया है।

वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामला विभाग में अपर सचिव श्री समीर कुमार खरे ने कहा"भारत के टीबी नियंत्रण कार्यक्रम का अर्थ विशेषरूप से राष्ट्रीय और वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा आर्थिक विकास हैं। भारत सरकार की राष्ट्रीय रणनीतिक योजना परिवर्तनकारी कार्यक्रम है और टीबी उन्‍मूलन कार्यक्रम के जरिए विश्व बैंक की सहायता से भारत 2025 तक टीबी उन्‍मूलन के लक्ष्य को जल्‍दी प्राप्त कर सकेगा।"

ऋण समझौते पर भारत सरकार की ओर से वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामला विभाग में अपर सचिव श्री समीर कुमार खरे और विश्व बैंक की ओर से एक्टिंग कंट्री डायरेक्‍टर श्री शंकर लाल ने हस्ताक्षर किए।

विश्‍व बैंक के कंट्री डायरेक्‍टर श्री जुनेद अहमद ने कहा, “सबसे अधिक गरीब और वंचित लोग टीबी से पीडि़त होते हैं और भारत में प्रतिवर्ष लगभग 480,000 लोगों की इससे मौत होती है। इस कार्यक्रम के माध्यम से विश्व बैंक भारत के प्रति अपनी साझेदारी के लिए मानव पूंजी में निवेश करने की प्रतिबद्धता को पूरा कर रहा हैताकि संक्रामक रोगों से व्‍यापक स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभावों से निपटने के प्रयासों में सहायता की जा सके।"

औषधि प्रतिरोधी टीबी सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है और टीबी पीडि़तों की बढ़ती संख्या के बावजूद, देश में प्रतिवर्ष दस लाख से अधिक लापता” मामले सामने आते हैंजिनमें से अधिकतर की जांच ही नहीं हो पाती है या अपर्याप्त जांच होती है और निजी तौर पर उपचार किया जाता हैं। आशंकित टीबी रोगी की देरी से देखभाल, सही उपचार नहीं करवाना और अनियंत्रित निजी क्षेत्र सहित टुकड़े-टुकड़े में स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदाताओं के कारण यह समस्‍या और बढ़ी है। देश में आधे से अधिक टीबी के मरीजों का इलाज निजी तौर पर किया जा रहा है। ऐसे मामले देश में टीबी नियंत्रण के लिए सबसे बड़ी चुनौती हैं।

इस कार्यक्रम का उद्देश्‍य यह सुनिश्चित करना है कि निजी क्षेत्र टीबी का समय पर निदान कर सूचित और प्रभावी प्रबंधन के स्थापित प्रोटोकॉल का पालन करें। इस कार्यक्रम के जरिए टीबी के मामलों की सूचना देने के लिए निजी क्षेत्र के देखभाल प्रदाताओं को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जाएगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उनके मरीज पूरा उपचार करें। इससे उपचार के दौरान आवश्‍यक महत्वपूर्ण पोषण के लिए रोगियों के खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण भी किया जाएगा। इस कार्यक्रम से भारत सरकार की वेब आधारित टीबी मामले की निगरानी प्रणाली - निक्‍क्षय की निगरानी और कार्यान्वयन सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।

इस कार्यक्रम से औषधि प्रतिरोधी टीबी की पहचानउपचार और निगरानी को भी बढ़ाया जाएगा और अतिरिक्त औषधि प्रतिरोध का पता लगाने में प्रगति पर नजर रखी जाएगी। यह एनएसपी के सफल कार्यान्वयन के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर संस्थागत क्षमता की जरूरतों को पूरा करने के वास्‍ते मानव संसाधन योजना विकसित और लागू करने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की भी मदद करेगा।

कार्यक्रम के लिए विश्व बैंक टास्क टीम लीडर श्री रोनाल्ड उपेन्यू मुतासा ने कहाकार्यक्रम में टीबी नियंत्रणरोगी सहायता उपाय और क्षमता निर्माण में जुटे निजी प्रदाताओं के लिए भारतीय और वैश्विक स्‍तर के सर्वोत्तम तरीकों को शामिल किया गया है। यह कार्यक्रम बिल एंड  मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित संबंधित विकास भागीदारों के साथ समन्वय कर बनाया गया है।” 

इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडीसे 400 मिलियन डॉलर के ऋण की परिपक्वता 19 वर्ष की है, जिसमें 5 वर्ष की छूट अवधि शामिल है।

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/एमके-1777 



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