नीति आयोग

नीति आयोग ने ‘फिनटेक कॉनक्‍लेव 2019’ आयोजित किया


सरकार एवं बैंकिंग क्षेत्र के 300 से भी अधिक हितधारकों और स्‍टार्टअप निवेशकों ने वित्‍तीय प्रौद्योगिकियों के भविष्‍य की रूपरेखा तैयार की

Posted On: 25 MAR 2019 7:19PM by PIB Delhi

वित्‍तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) के क्षेत्र में भारत की बढ़ती अहमियत या प्रधानता को नया स्‍वरूप देने, भावी रणनीति एवं नीतिगत प्रयासों की रूपरेखा तैयार करने और व्‍यापक वित्‍तीय समावेश के लिए विभिन्‍न कदमों पर विचार करने के उद्देश्‍य से नीति आयोग ने आज नई दिल्‍ली में एक दिवसीय फिनटेक कॉनक्‍लेव का आयोजन किया। इस सम्‍मेलन में समस्‍त वित्‍तीय क्षेत्र यथा केन्‍द्रीय मंत्रालयों एवं नियामकों के प्रतिनिधिगण, बैंकर, स्‍टार्टअप निवेशक, सेवा प्रदाता और उद्यमी शामिल थे।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर श्री शक्तिकांत दास ने नीति आयोग के मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्री अमिताभ कांत और वित्‍त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव श्री सुभाष चन्‍द्र गर्ग की मौजूदगी में इस कॉनक्‍लेव का उद्धाटन किया।

श्री दास ने फिनटेक क्षेत्र में अवसर एवं चुनौतियांविषय पर अपने मुख्‍य संबोधन में कहा कि फिनटेक में बुनियादी तरीकों से भारत में वित्‍तीय सेवाओं और वित्‍तीय समावेश के परिदृश्‍य को नया स्‍वरूप प्रदान करने की क्षमता है। उन्‍होंने कहा, ‘हमें फिनटेक का कारगर ढंग से उपयोग करने और इसके प्रणालीगत प्रभावों को कम करने में उपयुक्‍त संतुलन कायम करने की जरूरत है। प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर और जोखिमों का प्रबंधन कर हम एक ऐसी नई वित्‍तीय प्रणाली का सृजन करने में मदद कर सकते हैं जो और ज्‍यादा समावेशी, किफायती एवं सुदृढ़ होगी।

श्री अमिताभ कांत ने कहा कि संस्‍थागत ऋणों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए देश के लगभग 450 मिलियन युवाओं की जरूरत और डिजिटल प्रौद्योगिकियों जैसे कि ब्‍लॉकचेन एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को ध्‍यान में रखते हुए भारत में फिनटेक के भविष्‍य की रूपरेखा तैयार करने के लिए नियामकीय एवं नीतिगत प्रतिमानों को विकसित करने की आवश्‍यकता है।

डिजिटल इंडिया के साथ-साथ वित्‍तीय समावेश के लिए स्‍वैच्छिक आधार सहित इंडिया स्‍टैक वि‍कसित करने पर भारत सरकार द्वारा किए जा रहे फोकस से वित्‍तीय प्रौद्योगिकी यानी फिनटेक के क्षेत्र में विभिन्‍न हितधारकों ने काफी रुचि दिखाई है।

भारत भी दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते फिनटेक बाजारों में से एक है और उद्योग संबंधी अनुसंधान में यह अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2029 तक एक लाख करोड़ (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर अथवा खुदरा एवं एसएमई ऋणों के 60 प्रतिशत का वितरण डिजिटल तरीके से होने लगेगा। भारतीय फिनटेक को विश्‍व भर में तीसरा सबसे बड़ा परितंत्र माना जाता है।

 भारतीय फिनटेक उद्योग उन्‍नत जोखिम प्रबंधन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में ऐसी अत्‍याधुनिक बौद्धिक संपदाएं सृजित कर रहा है, जो भारत को वैश्विक डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था में काफी आगे ले जाएगा और इसके साथ ही प्रत्‍येक भारतीय के लिए वित्‍त तक कागज रहित (पेपरलेस) पहुंच भी सुनि‍श्चित कर देगा।

सम्‍मेलन के दौरान कुछ समानांतर समूह भी गठित किए गए, जिन्‍होंने विशेषकर निम्‍नलिखित क्षेत्रों में फिनटेक के भविष्‍य के विभिन्‍न आयामों पर गौर किया –

  1. वित्‍तीय समावेश के लिए ग्राहकों और व्‍यापारियों द्वारा डिजिटल तरीकों को अपनाना
  2. भारत के लिए वित्‍तीय उत्‍पादों का सृजन करना
  3. फिनटेक के उभरते क्षेत्र
  4. फिनटेक उद्योग में निवेश को त्‍वरित (फास्‍ट-ट्रैक) करना
  5. सूक्ष्‍म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) का वित्‍तीय समावेश     

फिनटेक क्षेत्र में निवेश को त्‍वरित करने पर गठित समूह ने भारत में ओपन बैंकिंगशुरू करने की जरूरत की रूपरेखा पेश की।

     वित्‍तीय समावेश के लिए ग्राहकों और व्‍यापारियों द्वारा डिजिटल तरीकों को अपनाने पर गठित समूह ने मौजूदा नीतियों में स्‍पष्‍टता लाने की सिफारिश की और इसके साथ ही नियामकों एवं हितधारकों के बीच आम सहमति के जरिए सुसंगत एवं औपचारिक दिशा-निर्देशों को विकसित करने की जरूरत बताई।  

   ‘भारत के लिए वित्‍तीय उत्‍पादों का सृजन करने पर गठित समूह ने 100 प्रतिशत पेपरलेस और मौजूदगी-रहित ई-केवाईसी और ई-साइन की शुरुआत करने पर चर्चाएं कीं।

     एमएसएमई के वित्‍तीय समावेश पर गठित समूह ने क्षेत्रवार सीमाएं तय कर एमएसएमई के लिए वित्‍त पोषण स्रोत और पूंजी आपूर्ति बढ़ाने की सिफारिश की।

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आर.के.मीणा/एएम/आरआरएस/वाईबी  



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