सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने कल गुजरात के भरूच में 7वां  गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया


श्री थावरचंद गहलोत ने ‘दीनदयाल दिव्‍यांग पुनर्वास योजना पर राष्ट्रीय सम्मेलन’ का उद्घाटन किया

Posted On: 01 MAR 2019 1:54PM by PIB Delhi

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने आज यहां “दीनदयाल दिव्‍यांग पुनर्वास योजना (डीडीआरएस)” पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने मुख्‍य सम्‍बोधन में विस्‍तार से योजना के बारे में जानकारी दी। सम्मेलन का आयोजन सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्‍ल्‍यूडी), ने किया गया था। सम्मेलन में सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रामदास अठावले, दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग में सचिव श्रीमती शकुंतला डोले गैमलिन, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी और देशभर के लगभग 600 प्रतिनिधि शामिल हुए।

सम्मेलन का उद्देश्य योजना के हितधारकों अर्थात् कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियों (पीआईए), जिला स्तर और राज्य सरकार के अधिकारियों को संवेदनशील बनाना है। इससे पहले दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने देश के दक्षिणी, पश्चिमी, मध्य, पूर्वी और पूर्वोत्तर क्षेत्रों को कवर करते हुए तीन क्षेत्रीय सम्‍मेलन आयोजित किए थे। 22.12.2018 को सिकंदराबाद में, 17.01.2019 को मुंबई में और 18.02.2019 को कोलकाता में सम्‍मेलन का आयोजन किया था।

अपने उद्घाटन भाषण में श्री गहलोत ने कहा कि “दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा कल भरूच, गुजरात में आठ घंटे में 260 दिव्‍यांगजनों को आधुनिक कृत्रिम अंग (पैर) लगाकर 7वां गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड” कायम किया गया। विभाग ने पहले ही अन्य श्रेणियों में छह विश्व रिकॉर्ड बनाए हैं। यह विभाग के साथ ही हमारे देश के सभी दिव्यांगजनों के लिए अत्‍यंत गर्व का क्षण है।

उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग के तहत भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र (आईएसएलआरटीसी) ने हाल ही में एक निदेशिका तैयार की है, जिसमें श्रवण बाधित दिव्यांगजनों के लिए 6000 शब्द हैं और 1700 से अधिक श्रवण बाधित बच्चों का कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी से इलाज किया गया है और उनमें से लगभग सभी अब सामान्य जीवन व्‍यतीत कर रहे हैं। विभाग ने देशभर के दिव्यांगजनों के सुगम आवगमन के लिए उन्‍हें ‘मोटर वाली ट्राइसाइकिल’ प्रदान भी की और परिवहन विभाग उनकी मदद कर रहा है। उन्होंने घोषणा की कि अब तक 28 राज्यों ने लगभग 13 लाख दिव्यांगजनों को ‘यूनिवर्सल आईडी कार्ड’ प्रदान किए हैं और बहुत जल्द यह देश के सभी दिव्यांगजनों को प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने देश के दिव्यांगजनों और वंचित लोगों की बेहतरी और कल्याण के लिए विभाग तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा की गई कई नई पहलों और उपलब्धियों के बारे में भी जानकारी दी।

श्री गहलोत ने कहा कि सरकारी योजनाओं के उचित क्रियान्वयन में गैर सरकारी संगठन और स्वयं सहायता समूह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को  विकेंद्रीकृत किए जाने पर ये योजनाएं अधिक सफल होती हैं। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण नीतियों की रूपरेखा तैयार करने के लिए इस तरह के सम्मेलनों की सिफारिशें सरकार के नीति नियोजन प्राधिकारियों को भेजी जाती हैं। उन्होंने बताया कि दिव्यांगजन प्रमाणपत्रों और अनुदानों की मंजूरी संबंधी आधिकारिक प्रक्रियाओं को अब अत्‍यंत सरल कर दिया गया है, ताकि दिव्यांगजन और उनके लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को कोई परेशानी ना हो।

श्री रामदास अठावले ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार हमारे देश के दिव्यांगजनों और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग तथा सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की कई नई पहलों और उपलब्धियों की जानकारी दी।

दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग में सचिव श्रीमती शकुंतला डोले गैमलिन ने ऐसे समावेशी समाज का निर्माण करने की आवश्यकता पर बल दिया, जहां बगैर भेदभाव के दिव्‍यांगजनों की स्‍वीकार्यता और उनका सम्मान हो। उन्होंने कहा कि दिव्‍यांगजनों के सशक्तीकरण के मिशन में कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियां ​​(पीआईए) भागीदार हैं।

दिव्‍यांगजन सशक्तिकरण विभाग में संयुक्त सचिव डॉ.प्रबोध सेठ ने एक प्रस्‍तुति दी, जिसमें संशोधित योजना के प्रावधानों को रेखांकित किया गया और प्रभावी तरीके से योजना को लागू करने के बारे में बताया।  

सम्‍मेलन में 'संवादात्‍मक प्रश्नोत्तरी सत्र' भी आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्‍तर दिए गए। डीडीआरएस के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त कुछ संगठनों ने प्रस्तुति के माध्यम से अपने विचार और अनुभव साझा किए।

यह सम्मेलन संशोधित योजना के प्रावधानों का प्रचार-प्रसार करने और इसके बारे में विभिन्न हितधारकों को जागरूक करने के लिए आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन से सभी हितधारकों को विभिन्‍न क्षेत्रों में योजना के प्रभाव के पहलुओं पर चर्चा करने के साथ ही इसमें सुधार की गुंजाइश के बारे में बातचीत करने का असाधारण अवसर प्राप्‍त हुआ। इसका दिव्यांगजन के कल्याण के लिए डीडीआरएस के कार्यान्वयन पर काफी असर पड़ा। इस दौरान संशोधित योजना में किए गए प्रमुख परिवर्तनों के बारे में पीआईए को सचेत किया गया और प्रमुख हितधारकों अर्थात् राज्य सरकार और जिला स्तर के अधिकारियों तथा गैर सरकारी संगठनों को इस योजना को अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए जागरूक किया गया, ताकि  दिव्यांगजनों का कल्‍याण हो।

दीनदयाल दिव्‍यांग पुनर्वास योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 600 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों को दिव्‍यांगजनों के पुनर्वास के लिए विशेष स्कूल, प्री-स्‍कूल और प्रारंभिक उपाय, हाफ-वे होम्‍स तथा समुदाय आधारित पुनर्वास जैसी परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। वित्‍तीय सहायता पाने वाले गैर सरकारी संगठन हर साल 35000 से 40000 से अधिक लाभार्थियों के पुनर्वास में मदद कर रहे हैं। योजना के कार्यान्वयन प्रक्रिया में राज्य सरकार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। अनुदान राशि जारी करने में जिला समाज कल्याण अधिकारी और राज्य सरकार की सिफारिश महत्वपूर्ण है। वर्ष 2018-19 के लिए बजट आवंटन 70.00 करोड़ रुपये है।

हालांकि डीडीआरएस योजना 1999 से थी, लेकिन 01.04.2018 से इसके प्रावधानों में प्रमुख संशोधन किए गए। दिव्‍यांगजनों के पुनर्वास हेतु योजना को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसे संशोधित किया गया। योजना में किए गए संशोधनों में मानदेय और अन्य लागत मानदंडों में 2.5 गुना बढ़ोतरी, आवेदन और प्रस्तावों की प्रक्रिया सुव्यवस्थित करना, मॉडल परियोजनाओं की संख्या को 18 से 9 कर इसे तर्कसंगत बनाना आदि शामिल हैं।

मॉडल परियोजनाओं की सूची में शामिल हैं:

i. प्री-स्कूल, प्रारंभिक उपाय और प्रशिक्षण

ii. नीचे बताए गए दिव्‍यांगता वाले बच्‍चों के लिए विशेष स्कूल

 ए)  मानसिक दिव्‍यांगता

 बी) मूक और बधिर

 सी)  दृष्टिहीनता

iii. सेरेब्रल पल्सी पीडि़त बच्चों के लिए परियोजना

iv) कुष्ठ रोग उपचारित लोगों का पुनर्वास

v) उपचारित और नियंत्रित मानसिक रोगी व्यक्तियों के मनो-सामाजिक पुनर्वास के लिए हाफ वे  होम

vi) गृह आधारित पुनर्वास

vii) समुदाय आधारित पुनर्वास कार्यक्रम (सीबीआर)

viii) लो विजन सेंटर और

ix) मानव संसाधन विकास।

 

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आर.के.मीणा/एएम/एमके-

 


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