संस्कृति मंत्रालय
संस्कृति मंत्रालय के विज्ञान संग्रहालय के राष्ट्रीय परिषद ने गुगल आर्ट एंड कल्चर के साथ मिलकर आविष्कार और खोज पर सबसे बड़ी इंटरैक्टिव ऑनलाइन प्रदर्शनी का आयोजन किया
Posted On:
07 MAR 2019 12:41PM by PIB Delhi
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम) ने गुगल आर्ट एंड कल्चर के साथ मिलकर ‘एक कोशिश: आविष्कार और खोज की अथक यात्रा’ पर सबसे बड़े ऑनलाइन प्रदर्शनी का आयोजन किया. इसका उद्देश्य मनुष्य द्वारा किए गए सबसे बड़े खोज और आविष्कार को ऑनलाइन प्रदर्शित करना है. कल शुरू की गई इस ऑनलाइन प्रदर्शनी में 23 देशों के 110 संस्थानों से संग्रहित सामान, कहानियां और जानकारियां दर्शायी जाएंगी जिसमें दुनिया के बड़े आविष्कारों और उनके पीछे लगे महान लोगों के विचारों को प्रदर्शित किया जाएगा.
हर व्यक्ति अब 400 से ज्यादा इंटरेक्टिव प्रदर्शनी में ऑनलाइन हिस्सा लेकर इस पहल को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नायाब कार्य करने वाले महान लोगों, दूरदर्शी सोच से दुनिया में बदलाव लाने वाली हस्तियों और पुराने दिनों के अविष्मरणीय घटनाओं और उनसे जुड़े महापुरुषों को समर्पित कर सकता है.
राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद ने 6 इंटरैक्टिव कहानियां समर्पित की है जिसके जरिए विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में भारत के बेहद समृद्ध और गौरवशाली इतिहास के कुछ अहम पहलुओं को सामने लाया गया है. विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में भारत का बेहद अहम योगदान रहा है लेकिन लोग उसके बारे में बेहद कम जानते हैं. प्रदर्शनी में निम्नलिखित 6 वर्ग इसका बेहद अहम उदाहरण है:
1. ऐतिहासिक शुरुआत: सिंधु घाटी सभ्यता- 3 शताब्दी ईसा पूर्व उत्तर पश्चिम भारत में सिंधु और सरस्वती नदियों के किनारे एक बेहद विकसित शहरी संस्कृति के प्रमाण हमने देखा है. सिंधु घाटी सभ्यता का तोड़ विश्व की किसी पुरातन सभ्यता में नहीं मिलता. ये वर्ग प्रचीन दुनिया में मनुष्यों में तकनीकी रूप से बुद्धिमता के विकास को समर्पित है. इस इंटरैक्टिव प्रदर्शनी में शहरी सभ्यता के विभिन्न आयामों जैसे नगर नियोजन (सीवरेज और ड्रेनेज समेत), ईटों का मानकीकरण, भंडारम के जरिए खाद्य सुरक्षा, सूत और कपड़ा, धातु प्रथा, मिट्टी के बर्तन, आभूषण, खेती, नौवहन और पोत परिवहन की झलक मिलती है.
(Link: https://artsandculture.google.com/exhibit/QQLyzPzKbMlEKg )
2. आयुर्वेद: चिकित्सा के क्षेत्र में भारत के योगदान- इस इंटरेक्टिव प्रदर्शनी में शरीर और मस्तिष्क विज्ञान के बारे में दर्शाया गया है, जिसमें कि भारत को वैदिक काल से ही उपचार कला में महारत हासिल है. चिकित्सा के इस ज्ञान और अभ्यास जिसे हम आयुर्वेद कहते हैं, वो ईसा पूर्व पांचवीं सदी में बेहद समग्र चिकित्सा विज्ञान के रूप में मौजूद था. आयुर्वेद की दो बेहद महान रचना चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में चिकित्सा विज्ञान और सर्जरी से संबंधित सारी जानकारी दी गई है. 1800 साल पहले की इसी जानकारी के आधार पर आज भी आयुर्वेद में इलाज होता है.
(Link: https://artsandculture.google.com/exhibit/dQICeAS1BHX5Jw )
3. सुश्रुत संहिता: प्राचीन भारतीय शल्य चिकित्सा: ये इंटरेक्टिव प्रदर्शनी सुश्रुत संहिता, वो पद्धति है जिसे शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में गौरवशाली स्थान प्राप्त है. इसमें 300 से ज्यादा तरह की शल्य चिकित्सा के बारे में वर्णन किए गए हैं, जैसे लेपरोटॉमी, लिथोटॉमी और प्लास्टिक सर्जरी और सर्जरी के 121 तरह के उपकरण (20 धारदार और 101 दूसरे) जैसे चिमटा, फोरसेप, नलियां, सीरिंज, सुई, आरी, कैची और इस जैसे दूसरे उपकरण. सुश्रुत संहिता में राइनोप्लास्टी (नाक को फिर से प्लास्टिक से बनाना) का सबसे पुराना विस्तृत विवरण उपलब्ध है वो भी यूरोप में 19वीं सदी में प्लास्टिक सर्जरी की शुरुआत से बहुत पहले.
(Link: https://artsandculture.google.com/exhibit/8wKyx4LRDmyVKA )
4. रसाशाला: प्राचीन भारतीय रसायन लैब: इस वर्ग में प्राचीन भारत का एल्केमी (रसायन शास्त्र का पुराना स्वरूप) के क्षेत्र में भारत के योगदान को प्रदर्शित किया गया है. जिसमें मर्करी और दूसरे रासायनिक यौगिकों को तैयार करने के लिए कई यंत्रों के इस्तेमाल को प्रदर्शित किया गया है.
(Link: https://artsandculture.google.com/exhibit/KwJCaP1RF0y-KQ)
5. इत्र: गंध द्रव्य के क्षेत्र में प्राचीन भारतीय जानकारी: प्राचीन भारत में खुशबूदार इत्र तैयार करने की तकनीक से संबंधित बेहद अच्छी समझ विकसित हो चुकी थी. उस समय सौंदर्य प्रशाधन, पूजा पाठ और खरीद बिक्री के लिए इसका इस्तेमाल होता था. वराहमिहिर के बृहत् संहिता (500 इ.पू) में 37 तरीकों से ‘गंधयुक्ति’ (इत्र का उत्पादन) का जिक्र है. ऋग्वेद में भी सुगंधी शब्द का जिक्र है जिसका मतलब बेहद सुगंधित होता है. ‘गंध’ का जिक्र इस्तेमाल तैत्रीय संहिता, मैत्रायणी संहिता, शतपथ ब्राह्मण और तैत्रीय अरण्यक में है. प्राचीन भारत के इत्र उत्पादन की पद्धति आज भी कन्नौज में, जिसका कि इत्र और दवाई उत्पादन में दुनिया में बड़ा नाम है वहां इस्तेमाल होती है.
(Link: https://artsandculture.google.com/exhibit/bgJyuEAUIIOfJw)
6. भारतीय उपमहाद्वीप के वाद्य यंत्र: प्राचीन समय से भारतीय संगीतकारों ने परंपरागत वाद्य यंत्र विकसित किए हैं, जिनके साथ बेहद शानदार प्रस्तुतियां की हैं. भारतीयों ने प्राचीन काल से विभिन्न तरह के स्ट्रिंग वाद्य यंत्रों, विंड वाद्य यंत्रों और दूसरे यंत्रों को बनाया है उन्हें बजाया है. सिर्फ वाद्य यंत्रों की समझ ही नहीं बल्कि उन्हें बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले सामानों की समझ भी भारतीय संस्कृति में बेहद पुराने समय से मौजूद रही है.
(Link: https://artsandculture.google.com/exhibit/HwIyq8vyFBEtLw)
इसके अलावा, राष्ट्रीय विज्ञान केंद्र दिल्ली के संग्रहालय और विज्ञान केंद्र कोलकाता में भी एनसीएसएम की यूनिट में भी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दर्शक वर्चुअल रूप से इसे देख सकते हैं.
अब तक दुनिया में बेहद कम लोगों तक पहुंचा ये खजाना अब सभी के लिए उपलब्ध होगा. गुगल आर्ट एंड कल्चर पर राष्ट्रीय विज्ञान और संग्रहालय परिषद को आप यहां देख सकते हैं:
https://artsandculture.google.com/partner/national-council-of-science-museums
इस प्रदर्शनी के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रीय विज्ञान और संग्रहालय परिषद के महानिदेशक श्री एडी चौधरी ने कहा कि नई तकनीक ने दुनिया भर के दर्शकों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं. संग्रहालय अब किसी चारदीवारी के भीतर नहीं रहा. गुगल आर्ट एंड कल्चर इसे हाई रिजोल्यूशन तस्वीरों और वर्चुअल मीडियम के जरिए सभी लोगों तक उपलब्ध करा रहा है.
गुगल आर्ट एंड कल्चर के निदेशक अमित सूद ने कहा कि हम सभी लोगों को आमंत्रित करते हैं कि वो इस विज्ञान और खोज की प्रदर्शनी के पहले चरण में शामिल हों. 100 सहयोगी संस्थानों के योगदान से आई बेहद प्रेरणादायक और रोचक कहानियों के माध्यम से आप विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में हुए बदलावों को समझ सकते हैं.
राष्ट्रीय विज्ञान और संग्रहालय परिषद (एनसीएसएम), विज्ञान संचार के क्षेत्र का एक बेहद प्रीमियर संस्थान भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वतंत्र संस्था है. ये संस्था विज्ञान केंद्रों के जरिए विज्ञान और तकनीकी को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध रही है. इसके बारे में आप www.ncsm.gov.in पर लॉग इन कर विस्तृत जानकारी पा सकते हैं.
आर.के.मीणा/एएम/पीकेटी
(Release ID: 1568227)
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