पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय
श्री धर्मेंद्र प्रधान ने सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल एवं स्थायी तौर पर ऊर्जा की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने का आह्वान किया, अन्य देशों के साथ निरंतर सहयोग एवं साझेदारी पर जोर
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10 FEB 2019 12:54PM by PIB Delhi
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल एवं स्थायी तौर पर ऊर्जा की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने का आह्वान किया है। भारत के प्रमुख हाइड्रोकार्बन सम्मेलन के 13वें संस्करण पेट्रोटेक- 2019 के स्वागत सत्र में उन्होंने आज ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो मार्ट में कहा कि तेजी से विकास कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्ताद देने के लिए ऊर्जा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप चार स्तंभों- ऊर्जा तक पहुंच, ऊर्जा दक्षता, सतत ऊर्जा और ऊर्जा सुरक्षा- को अपना मार्गदर्शक सिद्धांत बनाते हुए गरीब से गरीब लोगों को ऊर्जा न्याय देने के लिए काम कर रहे हैं।
विदेश से आए मंत्रियों एवं अन्य प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि अगले तीन दिनों के दौरान मुख्य तौर पर भारतीय हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में हुए हालिया बदलाव और वैश्विक तेल एवं गैस क्षेत्र की गतिविधियों पर उनके प्रभाव के बारे में प्रस्तुति दी जाएगी। उन्होंने कहा कि पेट्रोनेट उन चुनौतियों के समाधान पर चर्चा करने के लिए एक प्रमुख मंच होगा जिनका सामना हम न केवल भारत में बल्कि अपने संबंधी देशों में भी अपने सभी नागरिकों को सस्ती, कुशल, स्वच्छ एवं एवं सुनिश्चित ऊर्जा आपूर्ति करने के दौरान करते हैं। इस सम्मेलन का विषय है- शेपिंग द न्यू एनर्जी वर्ल्ड थ्रू इनोवेशन एंड कोलैबोरेशन यानी नवाचार एवं सहयोग के जरिये ऊर्जा की एक नई दुनिया तैयार करना।
श्री प्रधान ने कहा कि आज भारत दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था है। भारत की जबरदस्त वृद्धि दीर्घकालिक आर्थिक एवं सामाजिक परिदृश्य को बेहतर बनाने पर केंद्रित नीतिगत सुधारों के माध्यम से हासिल की गई है। निवेश के अनुकूल सुधारों की पहल और नीतिगत अड़चनों को दूर करने पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देने के साथ ही भारत 2014 में विश्व बैंक की कारोबारी सुगमता रैंकिंग में 142वें पायदान से बढ़कर 77वें पायदान पर पहुंच गया।
दुनिया में ऊर्जा स्रोतों और खपत में लगातार हो रहे बदलाव के बारे में बात करते हुए श्री प्रधान ने कहा कि ऊर्जा खपत के संबंध में प्रमुख वैश्विक रुझान यूरोप से एशिया की ओर बदल रहा है। उन्होंने कहा कि शेल ऊर्जा क्रांति के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा तेल और गैस उत्पादक देश बन गया है। सौर ऊर्जा एक प्रतिस्पर्धी एवं सबसे टिकाऊ ऊर्जा विकल्प के तौर पर उभरी है। उन्होंने कहा कि कुल वैश्विक ऊर्जा में प्राकृतिक गैस का हिस्सा बढ़ रहा है, सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिगी को बढ़ावा मिल रहा है और डिजिटल ऐप्लिकेशन एवं ऊर्जा की बढ़ती भूमिका से दुनिया में सतत विकास के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए आधार तैयार हो रहा है। उन्होंने कहा कि तमाम देश अब जलवायु परिवर्तन से निपटने के साथ आ रहे हैं और वे अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन जैसे वैश्विक साझेदारी मंच तैयार कर रहे हैं।
श्री प्रधान ने कहा कि अगले 20 वर्षों में ऊर्जा की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होगी और वैश्विक ऊर्जा बास्केट में तेल एवं गैस के प्रमुख ईंधन बने रहने की संभावना है। हालांकि वैश्विक स्तर पर कार्बन डाईऑक्साइड के बढ़ते उत्सर्जन के मद्देनजर यह आवश्यक है कि हम ग्लोबल वार्मिंग से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का ध्यान रखें। इसलिए सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल एवं स्थायी तौर पर ऊर्जा की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने का आह्वान किया गया है।
श्री प्रधान ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में तेल एवं गैस क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है और 2017 में यह हमारी ऊर्जा मिश्रण का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा है। भारत वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल एवं पेट्रोलियम उत्पादों का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है जो विश्व के 4.5 प्रतिशत तेल की खपत के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि प्रगति के लिए हरित राह पर अग्रसर होते हुए देश में ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाइड्रोकार्बन नीति के ढांचे को दुरुस्त करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इस संदर्भ में भारत का उत्खनन क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र है। ई एंड पी परिदृश्य को नए सिरे से तैयार करने और एक अनुकूल व्यापार वातावरण स्थापित करने के लिए कई परिवर्तनकारी नीतिगत सुधार किए गए हैं जो निवेश को बढ़ावा देगा और घरेलू उत्पादन को बढ़ाएगा। इस संबंध में उन्होंने एचईएलपी,डीएसएफ नीति और ओएएलपी की सफलता का उल्लेख किया। उन्होंने गहरे एवं अति-गहरे पानी और उच्च दबाव एवं उच्च तापमान वाले क्षेत्रों, कोल बेड मीथेन से उत्पादित प्राकृतिक गैस के लिए विपणन एवं मूल्य निर्धारण की आजादी के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने सभी क्षेत्रों से गैर-पारंपरिक हाइड्रोकार्बन के उत्खनन एवं उत्पादन, परिपक्व क्षेत्रों से तेल एवं गैस का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन आदि मुद्दों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि संभावित निवेशकों की सुविधा और देश में हाइड्रोकार्बन संसाधनों के भू-वैज्ञानिक आंकड़ों पर आधारित निर्णय लेने के लिए अत्याधुनिक राष्ट्रीय डेटा भंडार की स्थापना की गई है।
श्री प्रधान ने इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बारे में बात करते हुए कहा कि आज भारतीय तेल एवं गैस कंपनियां लगभग 38 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश वाले 28 देशों में मौजूद हैं। पिछले 3 वर्षों के दौरान, भारतीय कंपनियों ने संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, इजराइल और रूस में विदेशी परिसंपत्तियों में रणनीतिक हिस्सेदारी हासिल किए हैं। विपणन क्षेत्र में भी भारत वैश्विक निवेश को आकर्षित करने में समर्थ रहा है। सऊदी अरैमको, एडीएनओसी, टोटल और शेल जैसी प्रमुख कंपनियां भारत के ऊर्जा क्षेत्र में अपने कारोबार का विस्तार कर रही हैं। वे भारतीय तेल एवं गैस बाजार में अधिक से अधिक निवेश करना चाहते हैं। भारत में ईंधन की खुदरा बिक्री में भी निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है।
मंत्री ने कहा कि हाइड्रोकार्बन उद्योग के सामान्य विकास के अलावा हमने स्वच्छ रसोई ईंधन तक आम लोगों की पहुंच बढ़ाकर उनके जीवन को सुगम बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया जिसे हमने ब्लू फ्लेम क्रांति कहा है। हमने उज्ज्वला योजना शुरू की जिसके तहत हमने 8 करोड़ परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने का लक्ष्य रखा था जिसमें से 6.4 करोड़ परिवारों को पहले ही तीन वर्षों के भीतर एलपीजी कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं।
श्री प्रधान ने कहा कि हम भारत को गैस आधारित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए काम कर रहे हैं। हमारे पास 16,000 किलोमीटर गैस पाइपलाइन का नेटवर्क मौजूद है और इसके अलावा 14,000 किलोमीटर लंबी गैस पाइपलाइन निर्माण के विभिन्न चरणों में है। हमने भारत के पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ने के लिए महत्वाकांक्षी परियोजनाएं शुरू की हैं जिनमें 3,200 किलोमीटर लंबी प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना और 1,600 किलोमीटर लंबी इन्द्रधनुष गैस ग्रिड जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। देश में एलएनजी बुनियादी ढांचे का भी तेजी से विस्तार हो रहा है।
श्री प्रधान ने कहा कि देश के पूर्वी और पश्चिमी दोनों तटों पर नए एलएनजी टर्मिनल निर्माणाधीन हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ ईंधन आधारित परिवहन को जबरदस्त प्रोत्साहन दिया गया है। भारत में अप्रैल 2020 से ईंधन के बीएस-IV मानकों को सीधे बीएस-VI मानकों में तब्दील किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अप्रैल 2018 से बीएस-VI गुणवत्ता वाले ईंधन की आपूर्ति पहले ही शुरू हो चुकी है। एथनॉल मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम को लागू किया जा रहा है और वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति तैयार की गई है। श्री प्रधान ने कहा कि देश में शहरी गैस वितरण को रफ्तार दी गई है जिसके तहत 2018 में 86 नए भौगोलिक क्षेत्रों को अधिकृत किया गया है और 50 अन्य नए क्षेत्रों के लिए बोली का मूल्यांकन किया जा रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि अगले कुछ वर्षों में भारत की 70 प्रतिशत आबादी और देश के 53 प्रतिशत क्षेत्र को शहरी गैस वितरण नेटवर्क के दायरे में ले लिया जाएगा। एलएनजी को एक्सप्रेस-वे, औद्योगिक गलियारों और खनन क्षेत्रों के भीतर लंबे ट्रकों के लिए परिवहन ईंधन के रूप में इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। जल्द ही हमारे कुछ राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे एलएनर्जी ईंधन भरने की सुविधा होगी।
श्री प्रधान ने वैश्विक स्तर पर तेल एवं गैस बाजार को स्थिर बनाए रखने में मदद के लिए अन्य देशों के साथ निरंतर सहयोग एवं साझेदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत का दुनिया के प्रमुख तेल एवं गैस उत्पादक देशों के साथ पुराना व्यापारिक संबंध रहा है। हाल तक यह संबंध केवल क्रेता-विक्रेता का संबंध था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में हम द्विपक्षीय निवेश के साथ अपने पारंपरिक क्रेता-विक्रेता संबंध को आपसी भागीदारी में परिवर्तित करने में समर्थ हुए हैं।
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोट्रेक प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
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आरके मीणा/एएम/एसकेसी
(Release ID: 1564201)
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