इस्पात मंत्रालय
सुरक्षा निदेशालय स्थापित करेगा इस्पात मंत्रालय
Posted On:
28 JAN 2019 6:23PM by PIB Delhi
भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय ने अपनी संसदीय सलाहकार समिति की बैठक आज गोवा में की जिसकी अध्यक्षता इस्पात मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने की। बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें इस्पात मंत्रालय के तहत सीपीएसई की खनन गतिविधियां और इस्पात संयंत्रों में सुरक्षा शामिल थे।
इस्पात मंत्री ने संसदीय सलाहकार समिति की बैठक के अंत में मीडियाकर्मियों को संबोधित किया। उन्होंने लौह एवं इस्पात के उत्पादन में सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया क्योंकि वह एक जटिल एवं खतरनाक गतिविधि है। मंत्री ने कहा कि चोट एवं दुर्घटनाओं की रोकथाम की आवश्यकता को पहचानने, कामकाज के लिए एक स्वस्थ वातावरण उपलब्ध कराने और सभी संभावित खतरों एवं जोखिमों पर नजर रखने के लिए एक सुरक्षा निदेशालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया है जो जिसका परिचालन जल्द ही शुरू हो जाएगा। यह निदेशालय इस्पात उद्योग में सुरक्षा मानदंडों की देखरेख करेगा। इस्पात मंत्री ने कहा कि मंत्रालय के अधीन दोनों सीपीएसई- स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) की व्यापक सुरक्षा नीतियां हैं।
खनन के मुद्दे पर इस्पात मंत्री ने कहा कि 2020 तक बड़ी संख्या में खनन पट्टों की अवधि समाप्त हो जाएगी। मंत्रालय ने इसका संज्ञान लिया है और इससे निपटने के लिए उपाय कर रहा है। इसके अलावा, इस्पात मंत्रालय का एक सीपीएसई उड़ीसा मिनरल्स डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (ओएमडीसी) की खनन गतिविधि कुछ वर्षों से बंद है और ओएमडीसी खदान को चालू करने के प्रयास भी जारी हैं।
इस्पात मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय इस्पात नीति 2017 के तहत 300 मिलियन टन (एमटी) इस्पात क्षमता की परिकल्पना की गई है जो खनन गतिविधियों के सुचारू न होने पर प्रभावित होगी। मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि मौजूदा खानों के अलावा नई खानों की खोज पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने बताया कि वर्ष 2018 में इस्पात का उत्पादन भी बढ़ा जिससे भारत जापान और अमेरिका को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया है। बीरेंद्र सिंह ने कहा कि जब हम भारत की प्रति व्यक्ति इस्पात खपत की तुलना वैश्विक स्तर पर इस्पात खपत से करते हैं जो 214 किलोग्राम प्रति व्यक्ति है तो पता चलता है कि हमें अभी काफी लंबा सफर तय करना बाकी है। उन्होंने कहा कि 2014 से पहले भारत में प्रति व्यक्ति इस्पात की खपत 57 किलोग्राम थी जो अब बढ़कर 69 किलोग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है।
मंत्री ने कहा कि 2017 में तैयार की गई राष्ट्रीय इस्पात नीति के साथ-साथ घरेलू स्तर पर विनिर्मित लौह एवं इस्पात उत्पादों के लिए नीति को भी अंतिम रूप दिया गया है। इस नीति के तहत घरेलू स्तर पर उत्पादित इस्पात को प्राथमिकता दी जाती है। इससे सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बल मिला है। साथ ही इससे अब तक लगभग 8,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
मंत्री ने आगे कहा कि एक राष्ट्रीय स्क्रैप नीति का मसौदा भी तैयार किया जा रहा है जो कुछ महीनों में तैयार हो जाएगा। इससे देश में लगभग 7 एमटी स्क्रैप उपलब्ध होगा। वर्तमान में स्क्रैप की आवश्यकता लगभग 8.3 एमटी है और इसमें से अधिकांश स्क्रैप की आपूर्ति आयात के जरिये की जाती है। उन्होंने कहा कि स्क्रैप से उत्पादित इस्पात की गुणवत्ता अच्छी होती है और वह पर्यावरण के अनुकूल है। चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले ढाई वर्षों के दौरान सेल ने अपना पुनरुद्धार किया है। लगातार दस तिमाहियों तक घाटा दर्ज करने के बाद पिछली तीन तिमाही के दौरान सेल ने लगभग 2,000 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया। इस्पात सचिव विनय कुमार ने भी मीडिया से बातचीत की।
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आरकेमीणा/एएम/एसकेसी
(Release ID: 1561891)