महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2018
पोषण अभियान, समग्र पोषण के लिए प्रधानमंत्री की अति महत्वपूर्ण योजना की शुरूआत
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं/ सहायिकाओं के वेतन में वृद्धि
जेंडर बजटिंग को मजबूती प्रदान करने के लिए नई पहल
279 ओएससी परिचालन में, 1.93 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता
65.20 लाख से अधिक लाभार्थियों का एमएमएमवीवाई के अंतर्गत नामांकन
महिला ई-हाट के माध्यम से 32,000 से अधिक महिला उद्यमी/ एसएचजी/ एनजीओ और 7.34 लाख से अधिक लाभार्थी प्रभावित हुए
723 बाल कल्याण समितियाँ और 702 किशोर न्याय बोर्ड पूरे देश में स्थापित किए गए
Posted On:
17 JAN 2019 12:44PM by PIB Delhi
1. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (बीबीबीपी)
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है। यह जागरूकता और प्रतिपालन अभियान पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, तीन मंत्रालयों, महिला और बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक संमिलित प्रयास है; चुनिंदा 405 जिलों (सीएसआर पर कम) में बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई और 235 जिलों में अलर्ट मीडिया और प्रतिपालन अभियान; प्री-कंसेप्शन एंड प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (पीसी एंड पीएनडीटी) अधिनियम को प्रभावी रूप से लागु करना और लड़कियों को शिक्षित बनाना।
इस योजना में, अल्प अवधि में जन्म के लिंग अनुपात (एसआरबी) में सुधार लाने की परिकल्पना की गई है, जबकि बाल लिंग अनुपात (सीएसआर), विकास की अभिव्यक्ति के साथ एक दीर्घकालिक प्रयास है जिसमें स्वास्थ्य और पोषण में सुधार, शिक्षा में लैंगिक समानता, बेहतर स्वच्छता, अवसरों और लिंग के बीच विषमता को दूर करने जैसे प्रयास शामिल हैं।
इस कार्यक्रम के 4 वर्ष पूरे होने जा रहे है और इस छोटी सी अवधि में, बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान पूरे देश में स्पष्ट रूप से गूंज रहा है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय एजेंडा के रूप में सीएसआर में सुधार लाने में सफल रहा है। इसने राजनीतिक नेतृत्व और सरकार के साथ राष्ट्रीय चेतना को उभारा है, दोनों केंद्र और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा इस पहल को किया जा रहा हैं। चयनित जिलों में जमीनी स्तर पर कई अभिनव निर्माणों का प्रदर्शन किया गया है। जिलों में जागरूकता और प्रतिपालन अभियान और बहु-क्षेत्रीय कार्रवाई के परिणामस्वरूप सार्वजनिक क्षेत्र में सीएसआर में गिरावट के मुद्दे पर जागरूकता, संवेदनशीलता और जागरूकता निर्माण करने में वृद्धि हुई है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के नवीनतम एचएमआईएस डाटा के अनुसार, अप्रैल-मार्च, 2015-16 और 2016-17 के बीच की अवधि में 161 बीबीबीपी जिलों में उत्साहजनक रुझान दिखाई दे रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि 104 जिलों में लिंग अनुपात में सुधार की प्रवृत्ति (एसआरबी) दिखाई दे रही है, 119 जिलों में एंटी नेटल केयर पंजीकरण के खिलाफ पहली तिमाही में प्रगति की सूचना है और 146 जिलों में संस्थागत प्रसव में सुधार की सूचना है। इसके अलावा, यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इन्फॉर्मेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यू-डीआईएसई) 2015-16 के अनुसार, माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का नामांकन 2013-14 में 76 प्रतिशत के मुकाबले बढ़कर 80.97 प्रतिशत हो गया है। चयनित जिलों के प्रत्येक स्कूल में बालिकाओं के लिए शौचालयों का निर्माण किया जा चुका है।
161 जिलों में सफल कार्यान्वयन के आधार पर, सरकार ने बीबीबीपी के क्षेत्र का विस्तार किया है, जिसमें मौजूदा 161 जिलों के अलावा 244 जिलों में बहु-क्षेत्रीय कार्य शामिल है, जहां पर कलक्टर/ डीएम/ डीसी के नेतृत्व में योजना को भौतिक रूप से कार्यान्वित किया जा रहा है। बीबीबीपी योजना के लिए जिलों में, महिला शक्ति केंद्र (एमएसके) योजना के अंतर्गत, महिला जिला स्तरीय केंद्र (डीएलसीडब्लू) एक मजबुत आधार प्रदान करता है। राज्य स्तर पर, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य कार्यबल द्वारा योजना के कार्यान्वयन के लिए संपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। 235 जिलों को अलर्ट डिस्ट्रिक्ट मीडिया, एडवोकेसी और आउटरीच के माध्यम से कवर किया जाना है, इस प्रकार देश के सभी 640 जिलों (2011 की जनगणना के अनुसार) में बाल लिंग अनुपात पर गहरा सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है।
2. महिला कल्याण
वन स्टॉप सेंटर: - हिंसक अपराधों की शिकार कई महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि उन्हें मदद के लिए कहां जाना है। उनके लिए, पूरे देश में वन स्टॉप सेंटर (ओएससी) स्थापित किए गए हैं। वन स्टॉप सेंटर योजना की शुरूआत मार्च 2015 में हुई थी, जिसमें हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए पुलिस, चिकित्सा, कानूनी, मनोवैज्ञानिक सहायता और अस्थायी आश्रय सहित सेवाओं की एक एकीकृत सुविधा प्रदान की गई है। यह योजना निर्भया फंड के माध्यम से वित्त पोषित होती है।
देश के सभी जिलों में चरणबद्ध तरीके से ओएससी स्थापित किए जा रहे हैं। महिला और बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार ने पहले ही देश के सभी 718 जिलों में वन स्टॉप सेंटर स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासनों को मंजूरी प्रदान कर दी है। अब तक, 279 ओएससी कार्यरत हो चुके हैं। इन केंद्रों ने 1.93 लाख से अधिक महिलाओं को सहायता प्रदान की है।
महिला हेल्पलाइन: - महिला हेल्पलाइन के सार्वभौमिकरण की योजना की शुरूआत 1 अप्रैल 2015 से की गई और इसका उद्देश्य हिंसा से पीड़ित महिलाओं को 24 घंटे आपातकालीन और गैर-आपातकालीन सेवा प्रदान करना है, जिसमें निर्दिष्ट माध्यम से (उपयुक्त प्राधिकारी के साथ लिंक करना जैसे पुलिस, वन स्टॉप सेंटर, अस्पताल) और एक समान नंबर (181) के द्वारा देश भर में महिलाओं से संबंधित सरकारी योजनाओं/ कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रदान करना शामिल है। अब तक 32 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में महिला हेल्पलाइन की शुरूआत की जा चुकी है। उन्होंने महिलाओं के 20.23 लाख से अधिक शिकायतों का निपटारा किया है। यह योजना निर्भया फंड के माध्यम से वित्त पोषित होती है।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न: - कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 में सभी महिलाओं को शामिल किया गया है, चाहे उनकी उम्र या रोजगार की स्थिति कैसी भी हो और सभी कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ उनकी रक्षा करती है चाहे वह संगठित क्षेत्र से हों या असंगठित। छात्रों, प्रशिक्षुओं, मजदूरों, घरेलू कामगारों और यहां तक कि दौरा करने वाली एक महिला अधिकारी भी इस अधिनियम में शामिल हैं।
इस अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों को दर्ज करने के लिए यौन उत्पीड़न इलेक्ट्रॉनिक-बॉक्स (SHe-Box) नामक एक ऑनलाइन शिकायत प्रबंधन प्रणाली को विकसित किया है। SHe-Box पोर्टल देश में सभी महिला कर्मचारियों को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकायत ऑनलाइन करने की सुविधा प्रदान करता है, जिसमें सभी सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारी शामिल हैं।
देश भर में इस अधिनियम के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने के लिए, संगठित और असंगठित क्षेत्र दोनों में, एमडब्लूसीडी ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दे पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम, प्रशिक्षण, कार्यशालाएं आदि, चलाने के लिए 223 संसाधित संस्थानों के एक पूल की पहचान की है। SHe-Box, इन प्रतिष्ठित संस्थानों/ संगठनों को मंत्रालय के साथ अपनी क्षमता निर्माण गतिविधियों को साझा करने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है, जो कि बदले में इन संस्थानों/ संगठनों की गतिविधियों पर नज़र रखने में सक्षम होगा जिससे कि देश भर में इनका उपयोग किया जा सके। वर्ष 2018 में, इन प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा 744 से अधिक क्षमता निर्माण अभ्यासों का आयोजन किया गया जिसमें 50,000 से अधिक लोगों ने भाग लिया।
बाल विवाह: - बाल विवाह प्रथा को खत्म करने के लिए मंत्रालय कार्रवाई कर रहा है। बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 उन लोगों को दंडित करता है जो बाल विवाह को बढ़ावा देते हैं, उसको क्रियान्वित करते हैं और उसका पालन करते हैं। भारत सरकार ने "बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006" में संशोधन का प्रस्ताव रखा है। प्रस्तावित संशोधनों से बाल विवाह को शून्य घोषित कर दिया जाएगा जो कि अबतक अनुबंधित पार्टियों के सहमति के विकल्प पर ही शून्य होता है, जो विवाह के समय अल्पव्यस्क थे।
निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण: - मंत्रालय ने पंचायतों में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों (ई़डब्लूआर) को प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाया है जिससे कि वे अपने गांवों को प्रभावी ढंग से संचालित कर सकें और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने वाली निर्माता के रूप में विकसित हो सकें। प्रशिक्षण के पहला चरण (2017-18) में, 14 राज्यों के 414 जिलों को कवर करते हुए 18,578 ईडब्लूआर को प्रशिक्षित किया गया। दूसरे चरण (सितंबर 2018 में शुरू) में 19 राज्यों के 310 जिलों को कवर करते हुए 13,950 ईडब्लूआर को प्रशिक्षित करना है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन के लिए ईडब्ल्यूआर में नेतृत्व गुणों और प्रबंधन कौशल में सुधार लाना, महत्वपूर्ण विधानों पर उन्हें ज्ञान प्रदान करना और संपत्ति निर्माण और सार्वजनिक कार्यों की निगरानी करवाना है।
शिकायत निवारण प्रकोष्ठ: - मंत्रालय की शिकायत निवारण प्रकोष्ठ, महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर प्राप्त होने वाली ऑनलाइन शिकायतों का निपटारा करती है। देश के नागरिक त्वरित प्रतिक्रिया के लिए अपनी शिकायतों को min-wcd[at]nic[dot]in पर भेज सकते हैं। उपरोक्त प्रणाली बहुत प्रभावी ढंग से काम कर रही है क्योंकि यह त्वरित कार्रवाई और नियमित फॉलोअप में मदद करता है। प्रकोष्ठ ने अपनी स्थापना के एक वर्ष में करीब 39,347 शिकायतों का निपटारा किया है।
3. लैंगिक बजट (जीबी)
महिलाएं अपने पूरे जीवन काल में विभिन्न प्रकार की अतिसंवेदनशीलता और भेदभाव का सामना करती हैं। यह माना गया है कि इन कमजोरियों को कम करने के लिए लैंगिक बजट एक महत्वपूर्ण तरीका है। लैंगिक बजट (जीबी) योजना के अंतर्गत, केंद्र और सभी राज्य सरकारों में नीति निर्माण से लेकर परिणाम प्राप्ति तक जीबी के संस्थागतकरण को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इस योजना के तीन मुख्य फोकस क्षेत्र हैं: जेंडर बजट सेल का समर्थन और मार्गदर्शन; हितधारकों के लिए प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण और लैंगिक बजट विश्लेषण और प्रदर्शन लेखा परीक्षण की सुविधा। इस योजना के अंतर्गत, मंत्रालय द्वारा लैंगिक बजट की प्रक्रिया को मजबूत करने हेतु विभिन्न हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए केंद्र/ राज्य सरकार के संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान किया जाता है। पिछले तीन वित्तीय वर्षों में मंत्रालय ने 180 से अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सहयोद प्रदान किया है।
मंत्रालय के निरंतर प्रयासों के कारण, 57 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों ने लैंगिक बजट प्रकोष्ठ का गठन किया है। इसके अलावा, 21 राज्य सरकारों के राज्य नोडल केंद्रों को लैंगिक बजट पर सरकारी हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करने की जिम्मेदीरी सोंपी है।
एमडब्लूसीडी यह सुनिश्चित करने में लगा हुआ है कि बजट के रूप में सार्वजनिक संसाधन, महिलाओं की चिंताओं को दूर करने के लिए पर्याप्त रूप से निर्धारित किया जा सके। वर्ष 2018-19 में, 33 मंत्रालयों/ विभागों और केंद्र शासित प्रदेशों ने एक ही विषय पर रिपोर्ट की है, कुल केंद्रीय बजट का 1, 21,961.32 करोड़ (4.99 प्रतिशत) का व्यय।
एमडब्लूसीडी, संस्थागत स्तर पर और एनआईएफएम के साथ क्षमता निर्माण के स्तर पर, वित्त मंत्रालय, नीति आयोग के साथ सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से केंद्र और राज्यों के अंदर लैंगिक बजट पर आंतरिक और बाहरी क्षमताओं को मजबूत कर रहा है। महिलाओं के लिए बजट तंत्र और प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए, 2018-19 में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/ विभागों और राज्य सरकारों के अधिकारियों के साथ कई परामर्शों का आयोजन किया गया। आगे की ओर सोचते हुए, एमडब्लूसीडी, मौजूदा तंत्र को मजबूत करने, अतिरिक्त तंत्र का निर्माण करने और महिलाओं के अधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए लिंग बजट उपकरण और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग, वित्त मंत्रालय और अन्य प्रमुख मंत्रालयों के साथ-साथ सरकारी स्तर के संस्थानों के साथ मौजूदा तंत्र को मजबूत करने का काम जारी रखेगी।
4. किशोरियों के लिए योजना:
सरकार, स्कूल जानेवाली 11-14 वर्ष की आयु की किशोर बालिकाओं के पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार लाने के लिए योजना लागू कर रही है और साथ ही उनके कौशल को उन्नत करने के लिए भी योजना लागू कर रही है। किशोर लड़कियों को पोषण संबंधी सहायता प्रदान करने के अलावा, योजना का उद्देश्य स्कूली लड़कियों को औपचारिक स्कूली शिक्षा/ कौशल प्रशिक्षण में वापस जाने के लिए प्रेरित करना है। इस योजना को देश के सभी जिलों में 01.04.2018 से लागू कर दिया गया है।
वर्ष 2018-19 के लिए, इस योजना के मद में 500 करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया गया है अब तक, राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा दिए गए रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 6.9 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित करने के लिए इस योजना के अंतर्गत 136.25 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।
5. स्वधार गृह
मंत्रालय ने वृंदावन, मथुरा में 1000 बेड की क्षमता के साथ, विधवाओं के रहने, सुरक्षित स्थान प्रदान करने, स्वास्थ्य सेवाओं, पौष्टिक भोजन, कानूनी और परामर्श सेवाओं को प्रदान करने के लिए कृष्ण कुटीर नामक एक घर का निर्माण किया है। कृष्ण कुटीर का उद्घाटन 31.08.2018 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ द्वारा, श्रीमती मेनका गांधी, महिला और बाल विकास मंत्री की उपस्थिति में किया गया।
कृष्ण कुटीर, वृंदावन में विधवाओं के घर ने, विधवाओं को लाभ पहुंचाना शुरू कर दिया है, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार को 01.09.2018 से 31.03.2019 की अवधि तक कृष्ण कुटीर को चलाने के लिए 1.57 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
6. उज्वला योजना
अबतक, उज्जवला योजना के अंतर्गत कुल परियोजनाओं की संख्या 270 है, जिसमें 141 पुनर्वास गृह शामिल हैं। वर्ष 2018-19 के लिए प्रथम अनुदान के रूप में 5.24 करोड़ रुपये की कुल राशि 9 राज्यों, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना को जारी किए गए हैं और वर्ष 2016-17 और 2017-18 का लंबित अनुदान उनके उपयोगिता प्रमाणपत्र और अन्य सहायक दस्तावेजों के उपर आधारित है।
7. पोषण अभियान
पोषण अभियान, प्रधान मंत्री की समग्र पोषण योजना की शुरूआत औपचारिक रूप से माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 8 मार्च, 2018 को झुंझुनू, राजस्थान से की गई।
पोषण अभियान का उद्देश्य, जीवन चक्र अवधारणा के माध्यम से, एक समन्वित और परिणाम उन्मुख दृष्टिकोण को अपनाकर देश में चरणबद्ध तरीके से, कुपोषण को कम करना है। यह अभियान समय पर सेवा का वितरण और एक मजबूत निगरानी के साथ-साथ बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए तंत्र सुनिश्चित करता है। अभियान का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 0-6 वर्ष के बच्चों के स्टंटिंग को 38.4 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक कम करना है। इस कार्यक्रम से 10 करोड़ से अधिक लोग लाभान्वित होंगे।
वित्तीय वर्ष 2017-18 में 315 जिलों को इसमें शामिल किया गया, शेष जिलों को 2018-19 में शामिल किया जा रहा है।
इस वर्ष के दौरान, नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में राष्ट्रीय परिषद की तीन बैठकें और एमडब्लूसीडी के सचिव की अध्यक्षता में कार्यकारी समिति की चार बैठकें आयोजित की जा चुकी है।
वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 में राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को 2122.27 करोड़ रूपये की राशि जारी की गई है।
सितंबर 2018 को, राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में पूरे देश में मनाया गया है। 10 अक्टूबर 2018 को एक पुरस्कार समारोह के माध्यम से क्षेत्रिय स्तर के प्रयासों को मान्यता दी गई।
पोषण अभियान, विभिन्न कार्यक्रमों के साथ अभिसरण को सुनिश्चित करता है यानी आंगनवाड़ी सेवा, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, डब्ल्यूसीडी मंत्रालय की किशोरियों के लिए योजना; जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम); पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय (डीडब्ल्यू एंड एस) का स्वच्छ भारत मिशन; उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय (सीएएफ और पीडी) का सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस); ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) का महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा); पंचायती राज मंत्रालय के साथ पेयजल और शौचालय और शहरी विकास मंत्रालय के माध्यम से स्थानीय शहरी निकाय।
अभियान की प्रमुख गतिविधियों में से एक आईसीडीएस- कॉमन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को लागू करना है। 30 नवंबर, 2018 को, 9 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के 64 जिलों में आईसीडीएस-सीएएस को रोल-आउट किया गया। आईसीडीएस-सीएएस एप्लिकेशन के साथ इंस्टॉल किए गए मोबाइल उपकरणों के माध्यम से, आंगनवाड़ी कार्यकर्तओं द्वारा प्रदान की गई सेवाओं की जानकारी दी जाती है। एडब्लूडब्लूएस द्वारा दर्ज की गई जानकारी डैशबोर्ड पर दिखाई देती है जिसे www.icds-cas.gov.in पर ब्लॉक, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर देखा जा सकता है।
8. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना
माननीय प्रधान मंत्री ने 31 दिसंबर, 2016 को, पात्र गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को मातृत्व लाभ प्रदान करने के लिए एक अखिल भारतीय कार्यक्रम के शुरूआत की घोषणा की। इस कार्यक्रम को कैबिनेट द्वारा 17.01.2017 को मंजुरी प्रदान की गई और पूरे देश में इसे 01.01.2017 से लागू किया गया। 19.05.2017 को योजना के कार्यान्वयन के लिए सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की गई, अर्थात् कैबिनेट की मंजूरी के तुरंत बाद। तब से इस कार्यक्रम को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) का नाम दिया गया है।
पीएमएमवीवाई एक केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना है जिसके अंतर्गत केन्द्र और राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों के बीच अनुदान/ सहायता अनुदान का अनुपात 60:40 है, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों के लिए और हिमालयी राज्यों के लिए यह 90:10 अनुपात और बिना विधानमंडल के संघ शासित प्रदेशों के लिए यह 100 प्रतिशत है।
इस योजना में गर्भावस्था के दौरान और स्तनपान के लिए डीबीटी मोड में पीडब्लू एंड एलएम के बैंक/ डाकघर खाते में सीधे 5,000/- नकद प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की परिकल्पना की गई है, जो नीचे दी गई विशिष्ट शर्तों को पूरा करते है:
नगद स्थानांतरण
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शर्तेँ
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राशि रुपये में
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पहली किस्त
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गर्भावस्था का प्रारंभिक पंजीकरण
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1,000/-
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दुसरी किस्त
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प्रसवपूर्व कम से कम एक चेक-अप कराना (गर्भावस्था के 6 महीने बाद)
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2,000/-
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तीसरी किस्त
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बच्चे का जन्म पंजीकृत है
बच्चे को पहले चक्र में बीसीजी, ओपीवी, डीपीटी और हेपेटाइटिस-बी या इसके समकक्ष/ विकल्प दिया गया
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3,000/-
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पात्र लाभार्थियों को संस्थागत प्रसव के बाद जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के अंतर्गत मातृत्व लाभ के लिए अनुमोदित मानदंडों के अनुसार शेष नकद प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, इस प्रकार महिलाओं को औसतन 6,000/- मिलेंगे।
योजना कार्यान्वयन दिशानिर्देश, योजना को रोल आउट करने वाला सॉफ्टवेयर यानि प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना- कॉमन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (पीएमएमवीवा-सीएएस) और इसकी मैनुअल पुस्तिका को माननीय मंत्री (डब्लूसीडी) द्वारा 01.09.2017 को जारी किया गया है। इसके बारे में अधिक जानकारी wcd.nic.in पर उपलब्ध हैं। वर्तमान दिनांक तक, प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के अंतर्गत 65.20 लाख से अधिक लाभार्थियों को नामांकित किया गया है, जिसमें से 55.69 लाख से अधिक लाभार्थियों को भुगतान कर दिया गया है। कुल 18,47,35,02,000 धनराशि लाभार्थियों में वितरित की गई है।
मंत्रालय ने सितंबर, 2018 (1 से 7 सितंबर, 2018) के पहले सप्ताह के दौरान, प्रत्येक राज्य/ जिला स्तर पर प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के शुभारंभ की पहली वर्षगांठ को “मातृ वंदना सप्ताह” के रूप में मनाया। मातृ वंदना सप्ताह के दौरान, राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) की गतिविधियों पर जोर देने वाले विभिन्न गतिविधियों को चलाने का अनुरोध किया गया। इस सप्ताह का समापन एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसमें पीएमएमवीवाई के अंतर्गत उपलब्धियों को प्राप्त करके देश में उच्च प्रदर्शन करने वाले राज्यों/ यूटी और जिलों की पहचान करने पर विषेश जोर दिया गया। देश भर में योजना के प्रगति की समीक्षा के लिए सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में पीएमएमवीवाई के अंतर्गत विभिन्न समीक्षा बैठकें-सह-कार्यशालाएं आयोजित की गई।
अबतक, पीएमएमवीवाई के अंतर्गत सभी 36 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के लिए वित्त वर्ष 2017-18 में 2,04,859.25 लाख और वित्त वर्ष 2018-19 में 43,098.50 लाख (सभी 02.01.2019 तक) स्वीकृत किए गए हैं।
9. मीडिया
प्रिंट मीडिया: मंत्रालय के विभिन्न योजनाबद्ध कार्यकलापों और घटनाओं के बारे में कम से कम 14 विज्ञापन हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं के प्रमुख समाचार पत्रों में (22 दिसंबर, 2018 तक) प्रकाशित किए गए।
वीडियो स्पॉट: समाज में व्याप्त बुराईयों पर नौ वीडियो स्पॉट (45 सेकंड की अवधि के) जैसे घरेलू हिंसा, यौन उत्पीड़न, दहेज निषेध, बाल विवाह और मंत्रालय द्वारा अपनाई जाने वाली योजनाएं, जैसे, कानूनी रूप से गोद लेना, राष्ट्रीय महिला कोष और ऑनलाइन पोर्टल महिला ई-हाट का प्रसारण किया गया। इन स्पॉट को डिजिटल सिनेमा के माध्यम से देखा गया और निजी टीवी चैनलों, लोकसभा टीवी और दूरदर्शन के माध्यम से प्रसारित किया गया।
ऑडियो स्पॉट: श्रोताओं तक व्यापक पहुंच बनाने के लिए, बीओसी और प्रसार भारती के माध्यम से, नवंबर 2018 तक प्राइवेट एफएम चैनलों और ऑल इंडिया रेडियो पर 35 सेकंड और 45 सेकंड की अवधि के सात ऑडियो स्पॉट प्रसारित किए गए। इन स्पॉट्स को इन चैनलों पर फिर से प्रसारित किया जाएगा। पहली बार, मंत्रालय ने असाधारण महिलाओं के जीवन और उनकी अनुकरणीय उपलब्धियों के बारे में लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रायोजित रेडियो कार्यक्रम (एसआरपी) को शुरू किया है, जिन्होंने राष्ट्र को गर्वांन्वित करने और समाज की सेवा करने के लिए सभी बाधाओं को पार किया। यह कार्यक्रम ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से प्रसारित किया जाता है। इस कार्यक्रम की शुरूआत 2 नवंबर, 2018 को की गई और यह 60 एपिसोड की एक श्रृंखला है।
आउटडोर प्रचार: मंत्रालय ने एलपीजी बिल, आईआरसीटीसी/ भारतीय रेलवे भोजन किट, एयर इंडिया का बोर्डिंग पास, बिजली बिल, डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड, अंतर-राज्यीय बस अड्डा और दिल्ली मेट्रो में घोषणा के माध्यम से सामाजिक संदेश देने का भी काम किया है।
एसएमएस अभियान: मंत्रालय की योजनाओं तक लोगों की पहुँच को ज्यादा से ज्यादा बनाने के लिए, जून में एक महीना का अभियान चलाया गया, जिसमें मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के डाइरेक्ट लिंक, एसएमएस के माध्यम से भेजे गए।
सोशल मीडिया: मंत्रालय अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब का प्रभावी रूप से उपयोग किया जहां पर उसके लाखों की संख्या में फॉलोअर्स हैं। इस माध्यम का उपयोग सरकार की विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए किया गया जिससे नागरिक जुड़ाव को बढ़ाया जा सके। नागरिकों के साथ जुड़ने के लिए, कई प्रतियोगिताओं की मेजबानी की गई, जिसमें सुझाव मांगे गए और विभिन्न प्रतीक चिह्नों के लिए भीड़ इकट्ठा किया गया। इस वर्ष, मंत्रालय ने बैक टू स्कूल, लाइक यू डू मां, 9 से 5 के लिए योग, चाइल्डलाइन 1098, कृष्ण कुटीर, राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, वूमेन ऑफ इंडिया ऑर्गेनिक फेस्टिवल और सुरक्षित पड़ोसी जैसे ऑनलाइन कैंपेन शुरू किया है। मंत्रालय का सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म, ऑनलाइन शिकायतों के लिए संपर्क हेतु नोडल बिंदु के रूप में भी काम करता है और हमारे #HelpMeWCD अभियान के माध्यम से मंत्रालय की शिकायत निवारण टीम, एनसीडब्लू और एनसीपीसीआर के साथ समन्वय करता है। यह प्रकोष्ठ सुनिश्चित करता है कि मंत्रालय प्रधान मंत्री कार्यालय और भारत सरकार द्वारा दिए गए एजेंडे और सिफारिश के अनुरूप काम करे।
10. वूमेन ऑफ इंडिया फेस्टिवल
मंत्रालय द्वारा महिला उद्यमियों और किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘वूमन ऑफ इंडिया फेस्टिवल’ का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाता है, और कल्याण और व्यक्तिगत देखभाल के लिए खाद्य से लेकर कपड़े तक में जैविक उत्पादों के उपयोग को सक्रिय रूप से बढ़ावा देता है। वूमेन ऑफ इंडिया ऑर्गेनिक फेस्टिवल 2018 का आयोजन, 26 अक्टूबर से लेकर 4 नवंबर, 2018 तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली में किया गया। इस फेस्टिवल ने, 287 स्टॉलों पर देश के दूरस्थ कोनों से आए लगभग 570 प्रतिभागियों को एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया। पहली बार, मंत्रालय ने जैविक और शाकाहारी भोजन के स्टॉल लगाए, जो आगंतुकों द्वारा अच्छी तरह से पसंद किए गए। फेस्टिवल ने जैविक वस्तुओं का स्वास्थ्य और पर्यावरणीय लाभों पर प्रकाश डाला, इस क्षेत्र में कार्यरत महिलाओं के लिए एक मंच प्रदान किया और दूरदराज के क्षेत्रों से जैविक उत्पादकों के लिए निरंतर और आसानी से सुलभ बिक्री आउटलेट के विकास को प्रोत्साहित किया। व्यापक प्रचार के लिए रेडियो जिंगल्स (संख्या में 4) और प्रिंट विज्ञापन भी प्रकाशित किए गए। 10 दिवसीय महोत्सव के 5 वें संस्करण का समापन 4 नवंबर, 2018 (रविवार) को आईजीएनसीए में हुआ।
इस वर्ष, 26 राज्यों से आई महिला किसानों और उद्यमियों द्वारा कुल बिक्री, रिकार्ड रूप से 2.75 करोड़ रुपये से भी ज्यादा रही, जबकि पिछले साल के संस्करण में 1.84 करोड़ रुपये की बिक्री हुई थी जिसका आयोजन दिल्ली हाट, आईएनए, नई दिल्ली में किया गया था। इस फेस्टिवल में लगभग 12 लाख लोगों ने हिस्सा लिया। प्रतिभागियों को महिला ई-हाट में खुद को नामांकित करने का अवसर मिला, जो महिला उद्यमियों की आकांक्षाओं और जरूरतों को पूरा करने के लिए मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया एक ऑनलाइन मार्केटिंग पोर्टल है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा ‘वूमेन ऑफ इंडिया ऑर्गेनिक फेस्टिवल’ के दो और कार्यक्रम, चंडीगढ़ में 12 से 14 जनवरी, 2019 और हैदराबाद में फरवरी, 2019 में आयोजित किए जाने वाले हैं।
सात्विक: पिछले वर्षों की तरह, सात्विक फूड फेस्टिवल का आयोजन महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा सृष्टि के सहयोग से किया गया, जहाँ 22 से 25 दिसंबर, 2018 के दौरान मंत्रालय ने अहमदाबाद में 50 स्टॉल प्रायोजित किए।
11. सूचान प्रौद्योगिकी:
मंत्रालय द्वारा कई योजनाओं और पहलों में ई-गवर्नेंस के कार्यान्वयन के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। वर्ष 2018 के दौरान मंत्रालय की आईटी विभाग के संबंध में कुछ प्रमुख उपलब्धियों का संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है:
ईऑफिस: https://mwcd.eoffice.gov.in
मंत्रालय ने पूरी तरह से ईऑफिस प्रीमियम उत्पादों को लागू किया है और सफलतापूर्वक कागज रहित कार्यालय की अवधारणा को स्थानांतरित किया है, जिसके लिए मंत्रालय को प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआर एंड पीजी) द्वारा प्लेटिनम मंत्रालय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एमडब्लूसीडी, सभी मंत्रालयों के बीच में ई-फाइलों की संख्या और ई-फाइल (100 प्रतिशत) के मामले में, शून्य भौतिक फ़ाइल के साथ सूची में सबसे ऊपर है। मंत्रालय में 49,000 से अधिक ई-फाइलें बनाई गई हैं।
मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट (www.wcd.nic.in) के लिए जीआईजीडब्लू का कार्यान्वयन: मंत्रालय ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट (www.wcd.nic.in) के लिए जीआईजीडब्लू का अनुपालन पूरा कर लिया है और एसटीक्यूसी निदेशालय से जीआईजीडब्लू अनुपालन के लिए एसटीक्यूसी प्रमाणपत्र हासिल कर लिया है, MeitY, मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट (www.wcd.nic.in) के संदर्भ में।
साइबर सुरक्षा नीति का गठन: मंत्रालय, डिजिटल रूप में नागरिकों को सेवा प्रदान करने के लिए, अधिक से अधिक आईटी अनुप्रयोग के विकास को ध्यान में रखते हुए साइबर सुरक्षा नीति को तैयार करने की प्रक्रिया में है। मंत्रालय द्वारा इसके लिए एक समिति का भी गठन किया गया है।
एलजीडी कोड्स की मैपिंग और सीडिंग: स्थानीय शासन डाइरेक्टरी (एलजीडी), मानक स्थानों की कोड डाइरेक्टरी है जो प्रत्येक राजस्व/ भूमि क्षेत्र इकाई जैसे राज्य, जिला, उप जिला, ब्लॉक और गाँव और स्थानीय निकायों जैसे ग्राम पंचायत, नगर पालिका और विभाग/ संगठन इकाइयों को अद्वितीय कोड प्रदान करती है। मंत्रालय ने विभिन्न योजनाओं को एलजीडी कोड के साथ एकीकृत किया है और अपने ई-गवर्नेंस अनुप्रयोगों को एलजीडी कोड के साथ प्रशासनिक इकाइयों के स्थान को और अधिक एकीकृत करने की प्रक्रिया में है।
राष्ट्रीय सरकार सेवा पोर्टल पर सेवाओं को अपलोड करना: मंत्रालय की आईटी सेवाओं (जी2सी, जी2ई और जी2बी के अंतर्गत) को “राष्ट्रीय सरकार सेवा पोर्टल (https://services.india.gov.in) पर अपलोड किया जा रहा है, जिसको सभी केंद्र और राज्य/ केंद्रशासित प्रदेशों के सरकारी सूचना और लेनदेन सेवाओं के लिए एकल खिड़की पोर्टल प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है, जी2सी, जी2ई और जी2बी के अंतर्गत।
12. राष्ट्रीय महिला कोष
राष्ट्रीय महिला कोष (आरएमके) एक सोसायटी है, जो कि सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के अंतर्गत पंजीकृत है और इसकी स्थापना 1993 में महिला और बाल विकास मंत्रालय (एमडब्लूसीडी) के तत्वावधान में एक शीर्ष सूक्ष्म वित्त संगठन के रूप में की गई, जिसके द्वारा गरीबों के लिए कर्ज की व्यवस्था, अनौपचारिक क्षेत्रों की संपत्ति विहीन महिलाओं के लिए विभिन्न आजीविका सहायता और उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को एक ग्राहक-अनुकूल प्रक्रिया में रियायती शर्तों के माध्यम से आय पैदा करने वाली गतिविधियाँ प्रदान करना है।
27 दिसंबर, 2018 को आरएमके का संग्रह 284 करोड़ रूपया है, जिसमें भंडार और अधिशेष भी शामिल है, जिसका उपयोग इंटरमीडिएट माइक्रोफाइनेंसिंग ऑर्गनाइजेशन (आईएमओ)/ एनजीओ/ वीओ के माध्यम से महिला एसएचजी या व्यक्तिगत महिलाओं (अंतिम लाभार्थियों) को रियायती दर पर सूक्ष्म ऋण देने के लिए किया जाता है।
आरएमके को उसके मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और "नियम और विनियम" द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
आरएमके ने दिसंबर, 2018 तक 1524 एनजीओ/ आईएमओ के नेटवर्क के माध्यम से लगभग 7.40 लाख गरीब महिला लाभार्थियों के लिए 371.52 करोड़ से अधिक का संचयी अनुमोदन और 307.72 करोड़ रूपये का भुगतान किया है।
आरएमके के लिए संशोधित ऋण दिशानिर्देशों के अनुमोदन के बाद, मध्यवर्ती सूक्ष्म-वित्तपोषण संगठनों (आईएमओ) से प्राप्त सभी लंबित ऋण प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए ऋण प्रस्तावों की प्रक्रिया में तेजी लायी गई।
2018 में, कुल तीन लघु ऋण समिति की बैठकें हुईं और 23 करोड़ रुपये की लागत वाले 29 प्रस्तावों के लिए ऋण मंजूरी प्रदान करने पर विचार किया गया। समिति ने 2018 के दौरान, आईएमओ के 18 प्रस्तावों को 7.20 करोड़ रूपये के व्यय के साथ मंजुरी प्रदान की।
आरएमके और महिला ई-हाट के नेटवर्क का विस्तार करने के लिए, 21 दिसंबर, 2017 को गठित आउटरीच समिति का कार्यकाल जुलाई 2018 में एक वर्ष की अवधि के लिए बढ़ाकर जून, 2019 तक कर दिया गया।
RMK वेबसाइट को जीआईजीडब्लू के दिशानिर्देशों का अनुपालन करने और वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए पुनर्निर्मित किया गया है और उसे फिर से विकसित किया गया है।
RMK को नए नेटवर्किंग उपकरणों से सुसज्जित किया गया है और आगे पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन लिमिटेड के माध्यम से वीपीएन कनेक्टिविटी से एनआईसीनेट कनेक्टिविटी के लिए स्थानांतरित किया गया है।
एनआईसी द्वारा विकसित आरएमके का ई-लोनिंग प्रणाली कार्यरत अवस्था में है। ई-लोन प्रणाली के माध्यम से, आईएमओ/ एनजीओ ऑनलाइन रूप में अपने प्रस्तावों को प्रस्तुत कर सकते हैं और इंटरनेट के माध्यम से अपने आवेदन की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके द्वारा आरएमके की ऋण मंजूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बनेगी।
वर्ष 2018 के दौरान, आरएमके और महिला ई-हाट पर वीडियो स्पॉट और रेडियो जिंगल्स को एनएफडीसी के माध्यम से निर्मित किया गया और इसे आकाशवाणी, प्राइवेट टीवी चैनल इत्यादि के माध्यम से प्रसारित किया गया।
आरएमके द्वारा, ऋण प्रस्तावों को आमंत्रित किया गया खासकर, महिला द्वारा संचालित संगठनों की गरीब महिला उद्यमियों को ऋण देने के लिए विज्ञापन जिसे डीएवीपी के माध्यम से प्रकाशित किया गया। साथ ही कई बार डीएवीपी के माध्यम से हिंदी/ अंग्रेजी/ क्षेत्रीय और राष्ट्रीय समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किए गए, जो कि यूपी, एमपी, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तराखंड और उत्तर पूर्वी राज्यों में प्रकाशित किए गए।
वर्ष 2018 के दौरान, आईएमओ से मूलधन और ब्याज के रूप में 22.07 करोड़ की कुल राशि वसूली गई।
गलती करने वाले एनजीओ के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की शुरूआत की गई और 2018 के दौरान एनआई अधिनियम की धारा 138 के अंतर्गत 20 मामले, विभिन्न राज्यों में आज्ञा उल्लंघन के 167 मामले, ताजा मध्यस्थता के 10 मामले; 4 अभियोग के मामले, 51 मामलों में एफआईआर दर्ज करया गया।
27 सितंबर, 2018 को शिलांग, मेघालय में, आरएमके योजनाओं पर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन, संबंधित अधिकारियों के बीच संशोधित दिशानिर्देशों के बारे में जागरूकता लाने के लिए आयोजित किया गया, साथ ही उत्तर पूर्वी राज्यों के आईएमओ के साथ-साथ महिला ई-हाट में जागरूकता पर सह संवेदनशील कार्यशाला का आयोजन किया गया।
आईएमओ के लिए, ओरिएंटेशन ट्रेनिंग और अवेयरनेस कम कैपेसिटी बिल्डिंग वर्कशॉप का आयोजन 10-11 दिसंबर, 2018, 12-13 दिसंबर, 2018 और 14-15 दिसंबर, 2018 को एनआईपीसीसीडी, नई दिल्ली में किया गया।
आरएमके द्वारा आयोजित प्रशिक्षण में आईएमओ भाग ले रहा है।
RMK ने 15 सितंबर, 2018 से 2 अक्टूबर, 2018 को स्वच्छ्ता अभियान पखवाड़ा का आयोजन किया।
14 सितंबर, 2018 से 20 सितंबर, 2018 तक हिंदी पखवाड़ा मनाया गया और विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया और विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किया गया।
महिला ई-हाट
7 मार्च, 2016 को महिला और बाल विकास मंत्रालय ने महिला उद्यमियों/ एसएचजी/ गैर-सरकारी संगठनों की सहायता करने के लिए एक अद्वितीय प्रत्यक्ष ऑनलाइन ई-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म “महिला ई-हाट” को शुरू किया। महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण को मजबूत करने के लिए उनके उत्पादों और सेवाओं के लिए एवेन्यू प्रदान करनेवाला यह अपनी तरह का पहला ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है।
एमडब्लूसीडी की यह पहल महिला उद्यमियों/ गैर सरकारी संगठनों/ एसएचजी द्वारा बनाए गए/ निर्माण किए गए/ बेचे जाने वाले उत्पादों के प्रदर्शन के लिए और महिला उद्यमियों की आकांक्षाओं और जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से किया गया है। URL है: http: //mahilaehaat-rmk.gov.in।
यह ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म, विक्रेताओं और खरीदारों के बीच सीधे संपर्क की सुविधा प्रदान कर रहा है। महिला ई-हाट का पूरा कारोबार एक मोबाइल के माध्यम से संभाला जा सकता है तथा यह खरीदारों को उनकी सुविधा के अनुसार, विक्रेताओं से भौतिक रूप से, टेलीफोन पर या ईमेल या किसी अन्य माध्यम से संपर्क करने का विकल्प प्रदान करता है। सेवाओं में वृहद रूप में दुहराव और कस्टमाइज्ड ऑर्डर भी किया जा सकता है।
पोर्टल पर उत्पादों के प्रदर्शन की 18 वृहद श्रेणियां हैं, वस्त्र, फैशन सहायक उपकरण/ आभूषण, किराना और स्टेपल/ ऑर्गेनिक आदि।
31 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों की महिला उद्यमी/ एसएचजी/ एनजीओ ने 7000 से अधिक उत्पादों और सेवाओं के माध्यम से 32,000 से अधिक महिला उद्यमियों/ एसएचजी/ एनजीओ को और 7.34 लाख से अधिक लाभार्थियों को प्रभावित किया है।
विक्रेताओं के साथ, विभिन्न राज्यों में जमीनी स्तर पर कौशल, क्षमता निर्माण, डिजिटल और वित्तीय साक्षरता आदि के लिए जागरूकता और संवेदनशील कार्यशालाओं का आयोजन किया जा रहा है। राज्य महिला विकास निगमों के साथ मिलकर अबतक नई दिल्ली, इंदौर, कोच्चि, चंडीगढ़, मुंबई, छत्तीसगढ़, हैदराबाद, वाराणसी, भोपाल, शिलॉग में कार्यशालाएँ आयोजित की गई हैं और कई अन्य जगहों पर यह प्रस्तावित हैं। महिला आर्थिक विकास महामंडल (एमएवीआईएम) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया गया है, जिससे महिला ई-हाट पर उनकी महिला उद्यमियों/ एसएचजी/ एनजीओ के उत्पादों और सेवाओं का प्रदर्शन करने के लिए।
13. महिला शक्ति केन्द्र योजना
महिला शक्ति केन्द्र योजना, 2017-18 से 2019-20 तक क्रियान्वित करने के लिए केन्द्र द्वारा प्रायोजित एक योजना है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त बनाना है और ऐसा माहौल तैयार करने के लिए अनुमोदित किया गया है, जिससे उन्हें अपनी क्षमता का पूरा एहसास हो सके। इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिए सरकार से संपर्क करने और उन्हें प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के माध्यम से सशक्त बनाना है। इस योजना को 23 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने का अनुमोदन किया गया है: अंडमान और निकोबार, आंध्र प्रदेश, असम, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दमन और दीव, दादर और नागर हवेली, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड।
राज्य/ केंद्र शासित क्षेत्र के स्तर पर, 26 राज्य संसाधन केंद्र महिला (एसआरसीडब्लू) आंध्र प्रदेश, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, केरल, मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, पुडुचेरी, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर डब्ल्यूसीडी/ समाज कल्याण विभाग को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए कार्यरत हैं। जिला स्तर पर, 640 जिलों में चरणबद्ध तरीके से जिला स्तर केंद्र महिला (डीएलसीडब्लू) की स्थापना की जा रही किया जा रही है, जो कि सरकारी कार्यक्रमों, योजनाओं और सेवाओं से संबंधित सूचनाओं को इकट्ठा करने के लिए है, जिनमें महिलाओं की बीबीबीपी योजना भी शामिल है। 11 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के 28 जिलों में डीएलसीडब्लू क्रियाशील हैं।
सामुदायिक सहभागिता को ब्लॉक स्तर के पहल के रूप में, कॉलेज के छात्र स्वयंसेवकों के माध्यम से, 115 सबसे पिछड़े/ आकांक्षी जिलों में लागु किया गया है। छात्र स्वयंसेवक, सभी ग्रामीण महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए सरकारी योजनाओं/ कार्यक्रमों, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के बारे में जागरूकता प्रदान करेंगे। छात्र स्वयंसेवकों की पहचान पहले ही कर्नाटक के 2 जिले (यादगीर और रायचूर) और छत्तीसगढ़ के 2 जिले (महासमुंद और राजनांदगांव) में की जा चुकी है। जिन जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक एमएसके स्थापित नहीं हुए हैं, वहां ब्लॉक स्तरीय समिति को एनजीओ द्वारा सामूहिक रूप से महिलाओं को जुटाने के लिए एमएसके के संचालन में सहायता प्रदान की जाएगी, जो कि उनके कौशल को बढ़ा कर अधिक से अधिक स्व-रोजगार बढ़ाने की दिशा में काम करेंगे।
14. एकीकृत बाल विकास सेवा (आईसीडीएस):
आंगनवाड़ी सेवाओं (आईसीडीएस की अम्ब्रेला योजना के अंतर्गत) के तहत आंगनवाड़ी केंद्र (एडब्ल्यूसी) भवनों का निर्माण, मनरेगा के साथ अभिसरण में:
2019 तक, 11 राज्यों (आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश) के अधिकांश पिछड़े जिलों में 2 लाख आंगनवाड़ी केंद्र (एडब्लूसी) भवनों के निर्माण के लिए मनरेगा और आईसीडीसी योजना के अभिसरण का दिशानिर्देश ग्रामीण विकास मंत्रालय और डब्ल्यूसीडी द्वारा 13.08.2015 को संयुक्त रूप से जारी किया गया।
देश में एडब्लूसी भवनों (लगभग 4.5 लाख) की कमी को ध्यान में रखते हुए, एडब्लूसी भवनों के निर्माण की योजना को देश भर के सभी जिलों में विस्तारित किया गया है और एडब्लूसी के निर्माण का लक्ष्य चार सालों में (2019 तक), 2 लाख से बढ़ाकर 4 लाख कर दिया गया है। मनरेगा के अभिसरण से देश भर में 4 लाख आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के बीच संशोधित संयुक्त दिशानिर्देशों पर 17.02.2016 को हस्ताक्षर किए गए हैं। आंगनवाड़ी की संशोधित सेवाओं के अंतर्गत, 70,000 सरकारी स्वामित्व वाले भवनों में शौचालयों के निर्माण के लिए 12,000/- प्रति एडब्ल्यूसी और 20,000 एडब्ल्यूसी में पीने के पानी की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रति एडब्ल्यूसी 10,000/- का प्रावधान किया गया है। 14 वें वित्त आयोग के अंतर्गत पंचायती राज संस्थानों के पास उपलब्ध धन से इन एडब्ल्यूसी में पेयजल और स्वच्छता की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी।
सीएसआर में वेदांता फाउंडेशन द्वारा आंगनवाड़ी केंद्रों (एडब्ल्यूसी) का निर्माण: कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम से आंगनवाड़ी केंद्रों के निर्माण के लिए वेदांता के प्रस्ताव पर 13.07.2015 को प्रधान मंत्री कार्यालय में आयोजित बैठक के परिणामस्वरूप, 21 सितंबर, 2015 को एमडब्लूसीडी और मैसर्स वेदांता के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया गया है, जिसमें वेदांता द्वारा उनके स्वयं के संसाधनों के द्वारा 4000 आंगनवाड़ी केंद्र भवनों की निर्माण मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश राज्यों में करने का प्रावधान है। मैसर्स वेदांता की निर्माण प्रगति रिपोर्ट (30.11.2018 तक) के अनुसार, प्रस्तावित 4000 एडब्लूसी इमारतों में से, 269 एडब्लूसी इमारतों [राजस्थान में 225 एडब्लूसी इमारतें, उत्तर प्रदेश में 39 एडब्लूसी इमारतें, मध्य प्रदेश में 5 एडब्लूसी इमारतें] का निर्माण किया जा चुका है।
बीमा योजनाओं का अभिसरण:
18-50 वर्ष की आयु के लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेवाई)/ प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई), आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (एडब्लूडब्लू)/ आंगनवाड़ी सहायकों (एडब्लू) के मौजूदा बीमा योजनाओं को स्थानांतरित करने सरकार के निर्णय को पूरा करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई) के अंतर्गत 2.00 लाख का जीवन कवर (किसी भी कारण से मृत्यु, जीवन जोखिम को कवर), 18-59 वर्ष की आयु के लोगों को 2.00 लाख (आकस्मिक मृत्यु और स्थायी पूर्ण विकलांगता के लिए)/ 1.00 लाख रुपये (आंशिक लेकिन स्थायी विकलांगता के लिए) का कवर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के अंतर्गत दिया जाता है, जबकि जो 51-59 वर्ष की आयु के हैं उन्हें संशोधित आंगनवाड़ी कार्रकर्ती बीमा योजना के अंतर्गत 30,000 रूपये का जीवन बीमा कवर दिया जाता है (किसी भी कारण से मृत्यु, जीवन जोखिम को कवर)। यह स्थानांतरण 01.06.2017 से प्रभावी है।
एडब्लूडब्लू / एडब्लूएच को घातक बीमारी की पहचान होने के बाद 20,000/- की सहायता राशि प्रदान की जाती हैं, {आक्रामक कैंसर (घातक ट्यूमर) अंगों में प्रकट होता है, स्तन, गर्भाशय ग्रीवा, कॉर्पस यूटरी, अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब और योनि/ वाल्व} (एलआईसी के लिए संतोषजनक साक्ष्य प्रमाण के साथ) और 9 वीं से लेकर 12 वीं कक्षा (आईटीआई पाठ्यक्रम सहित) में पढ़ने वाले उनके बच्चों को छात्रवृत्ति। प्रति परिवार दो बच्चों के लिए 300/- प्रति परिवार प्रति तिमाही की छात्रवृत्ति उपलब्ध है। एडब्लूडब्लू / एडब्लूएच को इस सामाजिक सुरक्षा का लाभ एलआईसी के सहयोग से प्रदान किया जा रहा है। इन सामाजिक सुरक्षा के लाभों के प्रीमियम की लागत एमडब्लूसीडी और एलआईसी द्वारा वहन की जाती है। राज्य सरकारों/ केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासन या एडब्लूडब्लू / एडब्लूएच को इन सामाजिक सुरक्षा लाभों के लिए किसी प्रकार के भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है।
आईसीडीएस योजना के लिए डीवीटी
लाभ और सेवाओं के सरल और तेज प्रवाह के लिए कल्याणकारी योजनाओं की मौजूदा प्रक्रिया में फिर से सुधार करके सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार के उद्देश्य से और लाभार्थियों के लक्ष्य को सुनिश्चित करने, डी-डुप्लिकेटेशन और धोखाधड़ी में कमी लाने के लिए, भारत सरकार ने अपनी योजनाओं में लाभार्थियों को प्राथमिक पहचानकर्ता के रूप में पहचान करने के लिए आधार का उपयोग करके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को शुरू किया है। आधार का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि लाभ का हस्तांरण इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यक्तियों के बैंक खातों में ही जाएं, जिससे धन के प्रवाह में शामिल धोखाधड़ी को कमी लायी जा सके, जिसमें भुगतान में देरी को कम करना, लाभार्थी के सटीक लक्ष्य को सुनिश्चित करना और चोरी और दोहराव को रोकना भी शामिल है।
अपनी योजनाओं में डीबीटी के सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने प्राथमिक लाभार्थी के रूप में आधार को मान्यता दिया है और लाभार्थी को सीधे लाभ और सेवाओं के हस्तांतरण के लिए डीबीटी मोड में 17 योजनाएं/ योजना घटक लागू कर रहा है। लाभार्थी डेटा, बैंक विवरण, आधार संख्या, मोबाइल नंबर, आधार सत्यापन और धन हस्तांतरण को समहित करने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों/ कार्यान्वयन एजेंसियां द्वारा विशिष्ट वेब-आधारित कॉमन एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर्स (सीएएस)/ प्रबंधन सूचना प्रणाली (एसआईएस) को विकसित और रोल-आउट किया गया है।
मंत्रालय स्तर पर लाभ और सेवाओं को प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या, फंड ट्रांसफर की धनराशि, शिकायत निवारण आदि की वास्तविक समय की निगरानी के लिए वेब-आधारित सीएएस/ एमआईएस का उपयोग किया जाता है। इन संदर्भ में, वेब-आधारित सीएएस/ एमआईएस को डीबीटी मिशन के डीबीटी पोर्टल, कैबिनेट सचिवालय के साथ वेब सेवाओं के माध्यम से डीबीटी योजनाओं की प्रगति की स्वचालित मासिक रिपोर्टिंग के लिए एकीकृत किया गया है, सिर्फ एक योजना (वन स्टॉप सेंटर) को छोड़कर जिसके लिए एमआईएस के विकास की प्रक्रिया प्रगति पर है।"
पूरक पोषण (आईसीडीएस के अंतर्गत) नियम, 2017:
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013 में निहित प्रावधानों का पालन करते हुए, इस मंत्रालय ने 20 फरवरी 2017 को पूरक पोषण (एकीकृत बाल विकास सेवा योजना के अंतर्गत) नियम, 2017 को अधिसूचित किया है ताकि उक्त अधिनियम के प्रावधानों के तहत निर्दिष्ट अधिकारों को उक्त अधिनियम के अंतर्गत यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जा सके कि प्रत्येक गर्भवती महिलाओं के लिए और बच्चे के जन्म के 6 महीने बाद तक स्तनपान कराने वाली माँ के लिए और 6 माह से 6 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे (कुपोषण से पीड़ित लोगों सहित) को वर्ष में 300 दिनों के लिए, अनुसूची II में निर्दिष्ट पोषण मानकों के अनुसार सुविधा मिल सके। पात्र व्यक्तियों को खाद्य अनाज या भोजन की उचित मात्रा की आपूर्ति न होने की स्थिति में, ऐसे व्यक्ति संबंधित राज्य सरकार से खाद्य सुरक्षा भत्ता प्राप्त करने के हकदार होंगे, जिसका भुगतान केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किए गए समय और प्रक्रिया के अनुसार होगा।
पूरक पोषण के लिए लागत मानदंडों में संशोधन:
सरकार ने अक्टूबर, 2018 में आंगनवाड़ी सेवाओं के अंगर्गत पूरक पोषण के लागत मानदंडों के लिए संशोधन की निम्न मंजूरी दी है:
क्रम सं
|
वर्ग
|
वर्तमान दर
(रू में प्रति दिन प्रति लाभार्थी)
|
संशोधित दर
(रू में प्रति दिन प्रति लाभार्थी)
|
1
|
बच्चे (6-72 महीने)
|
6.00
|
8.00
|
2
|
गर्भवती महिलाएं ओर दुग्धपान कराने वाली माताएं
|
7.00
|
9.50
|
3
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गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे (6-72 महीने)
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9.00
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12.00
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आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (एडब्लूडब्लू) / आंगनवाड़ी सहायकों(एडब्लूएच) के मानदेय में वृद्धि:
सरकार द्वारा आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (एडब्लूडब्लू) / आंगनवाड़ी सहायकों(एडब्लूएच) के मानदेय में समय-समय पर निर्धारित मानदेय का प्रति माह भुगतान किया जाता है। सरकार ने हाल ही में एडब्लूडब्लू) का मानदेय 3,000/ - से, 4,500/ - प्रति माह बढ़ाया है; मिनी एडब्लूसी स्तर पर एडब्लूडब्लू को 2,250/ - से 3,500/ - प्रति माह; एडब्लूएच को 1,500/ - से - 2,250/ - प्रति माह कर दिया गया है और एडब्लूएच के लिए प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन प्रति माह 250/ - की शुरुआत की और यह 1 अक्टूबर, 2018 से प्रभावी है।
इसके अलावा, एडब्लूडब्लू को पोषण अभियान के अंतर्गत आईसीडीएस-सीएएस का उपयोग करने के लिए प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन 500/ - की अनुमति दी गई है।
भारत सरकार द्वारा भुगतान किए गए मानदेय के अलावा, संबंधित राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र इन कार्यकर्ताओं को अन्य योजनाओं के अंतर्गत सौंपे गए अतिरिक्त कार्यों के लिए अपने स्वयं के संसाधनों से मौद्रिक प्रोत्साहन भी प्रदान कर रहे हैं।
15. डाइरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी)
लाभ और सेवाओं के सरल और तेज प्रवाह के लिए कल्याणकारी योजनाओं की मौजूदा प्रक्रिया में फिर से सुधार करके सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार के उद्देश्य से और लाभार्थियों के लक्ष्य को सुनिश्चित करने, डी-डुप्लिकेटेशन और धोखाधड़ी में कमी लाने के लिए, भारत सरकार ने अपनी योजनाओं में लाभार्थियों को प्राथमिक पहचानकर्ता के रूप में पहचान करने के लिए आधार का उपयोग करके प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को शुरू किया है। आधार का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि लाभ का हस्तांरण इलेक्ट्रॉनिक रूप से व्यक्तियों के बैंक खातों में ही जाएं, जिससे धन के प्रवाह में शामिल धोखाधड़ी को कमी लायी जा सके, जिसमें भुगतान में देरी को कम करना, लाभार्थी के सटीक लक्ष्य को सुनिश्चित करना और चोरी और दोहराव को रोकना भी शामिल है।
अपनी योजनाओं में डीबीटी के सफल कार्यान्वयन के लिए सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने प्राथमिक लाभार्थी के रूप में आधार को मान्यता दिया है और लाभार्थी को सीधे लाभ और सेवाओं के हस्तांतरण के लिए डीबीटी मोड में 17 योजनाएं/ योजना घटक लागू कर रहा है। लाभार्थी डेटा, बैंक विवरण, आधार संख्या, मोबाइल नंबर, आधार सत्यापन और धन हस्तांतरण को समहित करने के लिए राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों/ कार्यान्वयन एजेंसियां द्वारा विशिष्ट वेब-आधारित कॉमन एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर्स (सीएएस)/ प्रबंधन सूचना प्रणाली (एसआईएस) को विकसित और रोल-आउट किया गया है। मंत्रालय स्तर पर लाभ और सेवाओं को प्राप्त करने वाले लाभार्थियों की संख्या, फंड ट्रांसफर की धनराशि, शिकायत निवारण आदि की वास्तविक समय की निगरानी के लिए वेब-आधारित सीएएस/ एमआईएस का उपयोग किया जाता है। इन संदर्भ में, वेब-आधारित सीएएस/ एमआईएस को डीबीटी मिशन के डीबीटी पोर्टल, कैबिनेट सचिवालय के साथ वेब सेवाओं के माध्यम से डीबीटी योजनाओं की प्रगति की स्वचालित मासिक रिपोर्टिंग के लिए एकीकृत किया गया है, सिर्फ एक योजना (वन स्टॉप सेंटर) को छोड़कर जिसके लिए एमआईएस के विकास की प्रक्रिया प्रगति पर है।"
process.
एमडब्लूसीडी के डीबीटी योजनाओं की सूची
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क्रम.
सं.
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योजना का नाम
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योजना का प्रकार
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भुगतान लाभ का प्रकार
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1.
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आंगनवाड़ी सेवाएं – प्रशिक्षण कार्यक्रम
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद और वस्तु के रूप में
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2.
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प्रधान मंत्री मातृ वंदन योजना
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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3.
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महिलाओं का संरक्षण और सशक्तीकरण- व्यापक
महिलाओं और बच्चों का अवैध व्यापार- लाभार्थियों को उज्वला सुविधाएं
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद और वस्तु के रूप में
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4.
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महिलाओं का संरक्षण और अधिकारिता- महिलाओं और बच्चों का अवैध व्यापार से बचाने के लिए व्यापक योजनाएं
महिलाओं और बच्चों के लिए -उज्जवला -वेतन
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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5.
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महिलाओं का संरक्षण और अधिकारिता-सुधार गृह-लाभार्थियों को सुविधाएं
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
|
नगद और वस्तु के रूप में
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6.
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महिलाओं का संरक्षण और अधिकारिता-सुधार गृह-कर्मचारियों को वेतन
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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7.
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महिला शक्ति केंद्र योजना (पहले एनएमईडब्लू)
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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8.
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राष्ट्रीय महिला कोष द्वारा महिलाओं के लिए सूक्ष्म वित्त
|
केंद्रिय क्षेत्र द्वारा प्रायोजित
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नगद और वस्तु के रूप में
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9.
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एकीकृत बाल संरक्षण योजना- कर्मचारियों को वेतन
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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10.
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राष्ट्रीय क्रेच योजना-
पोषण
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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वस्तु के रूप में
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11.
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राष्ट्रीय क्रेच योजना –
श्रमिकों को मानद
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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12.
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किशोरियों के लिए योजना
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
|
वस्तु के रूप में
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13.
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आंगनवाड़ी सेवाएं- अनुपूरक पोषण
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
|
वस्तु के रूप में
|
14.
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आंगनवाड़ी सेवाएं- एडब्लूडब्लू और एडब्लूएच के लिए मानद
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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15.
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बाल संरक्षण सेवाएं- लाभार्थियों को सुवाधाएं
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
|
वस्तु के रूप में
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16.
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बाल संरक्षण सेवाएं- लाभार्थियों को सुवाधाएं (स्पान्सर्शिप)
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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17.
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वन स्टॉप सेंटर- कर्मचारियों को वेतन
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केंद्र द्वारा प्रायोजित
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नगद के रूप में
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16. सांख्यिकी ब्यूरो
सांख्यिकी ब्यूरो चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन्स एंड अदर होम्स पर रिपोर्ट
सितंबर, 2018 के महीने में सांख्यिकी ब्यूरो चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन्स एंड अदर होम्स पर रिपोर्ट के साथ सामने आया है। मंत्रालय ने तत्कालीन सांख्यिकी सलाहकार श्रीमती रत्ना अंजन जेना की अध्यक्षता में एक समिति का गठन, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) के अंतर्गत आने वाले चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन्स एंड अदर होम्स संस्थानों के मानचित्रण और समीक्षा का विश्लेषण करने के लिए और रिपोर्ट लेखन के लिए किया गया। यह रिपोर्ट देश में सीसीआई के कामकाज पर एक राष्ट्रीय डाटाबेस बनाने की दिशा में एक कदम है, जो कि उनकी कानूनी स्थिति, स्टाफिंग, सुविधाओं, सहायता प्रणालियों, वित्त पोषण, प्रबंधन, मानदंडों और मानकों के पालन आदि पर आधारित है और सीसीआई/ होम्स में रखे गए जरूरतमंदों और कमजोर बच्चों के लिए रखेगए शर्तों को संशोधित करने के लिए सभी हितधारकों द्वारा रिपोर्ट की प्राप्ति और सिफारिशों का उपयोग करने के लिए महत्वपूर्ण है।
पर्फॉर्मिंग और नॉन- पर्फॉर्मिंग गैर-सरकारी संगठनों पर रिपोर्ट
जून 2018 में, सांख्यिकी ब्यूरो द्वारा किया गया एक महत्वपूर्ण योगदान पर्फॉर्मिंग और नॉन- पर्फॉर्मिंग गैर-सरकारी संगठनों की सूची जारी करना था। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के एनजीओ को इस सूची में शामिल किया गया। राज्य/ संघ राज्य की क्षेत्रवार सूची, मंत्रालयों को एनजीओ को किसी कार्य के लिए धन या अनुदान देने का निर्णय लेने में सहायक होगी। यह आम जनता को अपने क्षेत्रों में प्रदर्शन करने वाले पर्फॉर्मिंग और नॉन- पर्फॉर्मिंग गैर-सरकारी संगठनों के बारे में जानने में भी मदद करेगा। यह सूची मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है।
इंटर्नशिप प्रोग्राम
सांख्यिकी ब्यूरो, मंत्रालय की अनुसंधान योजना के अंतर्गत युवा छात्रों के लिए इंटर्नशिप कार्यक्रम भी आयोजित करता है, जिसका उद्देश्य मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के लिए अनुसंधान और संबंधित गतिविधियों में युवा छात्रों/ विद्वानों को शामिल करना है। इस कार्यक्रम को बड़ी संख्या में प्रशिक्षुओं ने सफलतापूर्वक पूरा किया है; दिसंबर 2018 के अंत तक, कुल 96 इंटर्न प्रशिक्षित किए जा चुके हैं, 12 अब तक इंटर्नशिप कर रहे हैं और इस कार्यक्रम के लिए 50 और इंटर्न का नामांकन किया जाना है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों के स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के युवा छात्रों को उन्मुख करने वाला यह कार्यक्रन मंत्रालय की एक बड़ी उपलब्धि रही है।
17. बाल कल्याण ब्यूरो
बाल संरक्षण सेवा योजना (पूर्ववर्ती आईसीपीएस):
बाल संरक्षण अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए बाल संरक्षण सेवा योजना को 2009 से क्रियान्वित किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य एक अच्छे प्रकार से परिभाषित सेवा वितरण संरचनाओं और अन्य चीजों के बीच संस्थागत देखभाल के माध्यम से एक सुरक्षा जाल प्रदान करना है। इसके अलावा, इसकी उप-योजना बाल संरक्षण सेवाओं के रूप में नामकरण के साथ, इस योजना को अम्ब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत लाया गया है।
सीपीएस उन बच्चों को बचाव, वैधानिक देखभाल और पुनर्वास सेवाएं प्रदान करता है, जिन्हें देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है और जिनका कानून के साथ विभेद हैं जैसा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत परिभाषित किया गया है और किसी अन्य कमजोर बच्चों को भी। यह केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना है जो राज्य सरकारों/ संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है बच्चों के लिए (जेजे एक्ट, 2015 और जेजे नियम के अंतर्गत अनिवार्य रूप में) या तो स्वयं या उपयुक्त गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से सेवाएं प्रदान करने के लिए दिया जाता है। इस वर्ष सुविधाओं के युक्तिकरण सीसीआई की निगरानी और निरीक्षण पर जोर दिया गया है जिससे इसमें रहने वाले बच्चों के सर्वोत्तम हित में सेवाओं का प्रबंधन प्रभावी रूप से किया जा सके।
सीपीएस के अंतर्गत सांविधिक सहायता सेवाएं
राज्य सरकारों/ संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों द्वारा बताया गया है कि अब तक पूरे देश में 723 बाल कल्याण समितियाँ और 702 किशोर न्याय बोर्ड गठित किए जा चुके हैं।
सीपीएस के अंतर्गत संस्थागत देखभाल सेवाएँ
2018-19 के दौरान, मंत्रालय ने 1511 होम्स, 322 विशेषीकृत दत्तकग्रहण एजेंसियों (एसएएएस) और 265 ओपन शेल्टरों को राज्य सरकारों/ केन्द्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों के माध्यम से सहायता प्रदान की है।
संस्थागत देखभाल के माध्यम से लाभार्थियों को कवर
2018-19 के दौरान 78,000 से अधिक बच्चे, सीपीएस योजना के अंतर्गत प्रदान की गई संस्थागत देखभाल सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं।
सीसीआई की निरीक्षण और निगरानी:
CCI में रहने वाले बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, मंत्रालय ने राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र सरकार के साथ मिलकर निरीक्षण किया और JJ मॉडल नियम, 2016 के अनुसार संस्थानों का संचालन किया है।
मंत्रालय ने राज्य सरकारों को सीसीआई का प्रबंधन करने वाली एजेंसियों की पृष्ठभूमि की जांच करने और कर्मचारियों के पुलिस सत्यापन को सुनिश्चित करने की भी सलाह दी है। मंत्रालय ने राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी है कि सीसीआई में रहने के दौरान किसी भी घटना के मामले में बच्चों के कल्याण के लिए कार्रवाई करें। मंत्रालय ने जेजे एक्ट के अंतर्गत सभी चाइल्ड केयर संस्थानों के पंजीकरण को सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के साथ लगातार काम किया है। अब तक देश भर में 8,200 से अधिक सीसीआई को जेजे एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत किया गया है। राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा निरीक्षण के बाद 539 सीसीआई को विभिन्न आधारों पर बंद कर दिया गया है।
गैर-संस्थागत देखभाल सेवाएँ
2018-19 के दौरान, गैर-संस्थागत सहायता सेवाओं को मजबूत करने पर जोर दिया गया है, जिसमें फोस्टर केयर, स्पान्सर्शिप और गोद लेना शामिल है। 30 नवंबर, 2018 तक 6,000 से अधिक बच्चे योजना के स्पान्सर्शिप घटक के माध्यम से लाभान्वित हुए हैं। इसके अलावा, इस वर्ष के दौरान लगभग 1900 बच्चों का ‘इन-कंट्री एडॉप्शन’ किया गया है और 365 बच्चों का ‘इंटर कंट्री अडॉप्शन’ किया गया है (30 नवंबर, 2018 तक)।
चाइल्ड हेल्पलाइन
चाइल्ड हेल्पलाइन (1098), चाइल्ड प्रोटेक्शन सिस्टम से बच्चों को सीधे जोड़ने और उसके बाद सेवाओं को प्राप्त करने में सहायता करने वाली योजना का एक घटक है। वर्तमान में चाइल्ड लाइन के माध्यम से देश के लगभग 475 स्थानों और 65 प्रतिशत भाग को कवर किया जा रहा है। मंत्रालय, सिविल सोसाइटी संगठनों की सहायता से 24x7 चाइल्ड हेल्पलाइन को चला रहा है। चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ) -ए मदर एनजीओ द्वारा देशभर के अन्य नागरिक समाज संगठनों के साथ साझेदारी में यह सेवा प्रदान की जा रही है। इस सेवा को चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन (सीआईएफ)- एक मदर एनजीओ द्वारा देश के अन्य नागरिक समाज संगठनों के साथ साझेदारी में प्रदान किया जा रहा है। बाल संरक्षण सेवाओं को प्रदान करने में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए, एनजीओ भागीदारों को नीति अयोग में पंजीकृत किया गया है और पीएफएमएस पोर्टल पर डाला गया है।
रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने रेलवे के सहयोग से विशेष संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को तैयार किया है, जिससे रेलवे के माध्यम से भगोड़े, परित्यक्त, अपहृत, तस्करी से पीड़ित बच्चों का बचाव और पुनर्वास किया जा सके।
रेलवे के माध्यम से भगोड़े, परित्यक्त, अपहृत, तस्करी से पीड़ित बच्चों के बचाव और पुनर्वास के लिए विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर चाइल्ड हेल्प डेस्क की स्थापना की गई है। अब तक, रेलवे स्टेशनों पर बाल सहायता डेस्क को 2017-18 के दौरान 62 रेलवे स्टेशनों से बढ़ाकर 2018-19 के दौरान 84 रेलवे स्टेशनों तक बढ़ाया गया है। चालू वर्ष के दौरान इन सुविधाओं के माध्यम से 60,000 से अधिक बच्चों की सहायता की गई है।
हौसला 2018 का आयोजन
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 26-29 नवंबर, 2018 को, दूसरा अंतर-बाल देखभाल संस्थान उत्सव, "हौसला 2018" का आयोजन चाइलड केयर संस्थानों में रहने वाले बच्चों के लिए किया गया। यह कार्यक्रम चाइल्ड केयर संस्थानों में रह रहे बच्चों को प्रेरित करने के लिए, 'बाल सुरक्षा' की थीम को ध्यान में रखकर आयोजित किया गया जिससे वे अपनी क्षमताओं को व्यक्त करने के लिए राष्ट्रीय मंच तक पहुंच सकें। इसके अलावा, इस कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य विभिन्न परिस्थितियों में बच्चों की सुरक्षा के बारे में उनके विचारों को भी समझना था। इस आयोजन के दौरान, बच्चों ने वाद-विवाद, चित्रकला, एथलेटिक्स मीट, फुटबॉल और शतरंज प्रतियोगिता जैसी विभिन्न गतिविधियों में भाग लिया। इस वर्ष बच्चों के बीच मुक्त अभिव्यक्ति को प्रोत्साहन देने के लिए 'अभिव्यक्ति' नामक एक नई प्रतियोगिता शुरू की गई। 18 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के 600 से अधिक सीसीआई के बच्चों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया।
खोया-पाया पोर्टल
जून, 2015 में एक नागरिक आधारित पोर्टल खोया- पाया की शुरूआत बच्चों की सुरक्षा में नागरिक भागीदारी बढ़ाने के लिए किया गया है, जो कि लापता या देखे गए बच्चों की जानकारी को पोस्ट करने में सक्षम बनाता है। 2018-19 के दौरान, पोर्टल पर अब तक 9,962 से अधिक उपयोगकर्ता अपना पंजीयन दर्ज करवा चुके हैं। इसके अलावा, गुमशुदा बच्चों के 1,10,000 से अधिक मामले पोर्टल पर प्रकाशित किए जा चुके हैं।
यौन शोषण के शिकार बच्चों के लिए ई-बॉक्स
बच्चे प्रायः यौन शोषण के बारे में शिकायत करने में असमर्थ होते हैं। शिकायत करने के लिए उन्हें एक सुरक्षित और अनाम मोड प्रदान करने के लिए, इंटरनेट आधारित सुविधा, पोक्सो ई-बॉक्स, एनसीपीसीआर की वेबसाइट पर प्रदान की गई है, जहाँ पर कोई बच्चा या उसकी ओर से कोई भी व्यक्ति न्यूनतम विवरण के साथ शिकायत दर्ज कर सकता है। पोक्सो ई-बॉक्स को अन्य माध्यमों जैसे ई-मेल पोक्सो ई-बटन आदि के द्वारा शिकायतें प्राप्त होती हैं। जैसे ही कोई शिकायत दर्ज की जाती है, एक प्रशिक्षित परामर्शदाता तुरंत उस बच्चे से संपर्क करता है और बच्चे को सहायता प्रदान करता है। काउंसलर बच्चे की ओर से वारेंट होने पर औपचारिक शिकायत दर्ज करता है। पोक्सो ई-बॉक्स की शुरूआत होने के बाद से 26 अगस्त, 2016 से 20 दिसंबर, 2018 तक हेल्पलाइन नंबर पर कुल 3,213 हिट प्राप्त हुए हैं। इन हिट्स में से 135 मामलों को बच्चों के लिए यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 के माध्यम से कवर किया गया।
बाल संरक्षण नीति का मसौदा
मंत्रालय ने बाल संरक्षण नीति 2018 का मसौदा तैयार किया है। यह नीति भारत के संविधान, विभिन्न बाल आधारित कानूनों, अंतर्राष्ट्रीय संधियों और बच्चों की सुरक्षा और भलाई के लिए अन्य मौजूदा नीतियों के अंतर्गत प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों पर आधारित है। इसका उद्देश्य बाल शोषण, उत्पीड़न और उपेक्षा की रोकथाम और प्रतिक्रिया के माध्यम से सभी बच्चों के लिए एक सुरक्षित और अनुकूल वातावरण उत्पन्न करना है। यह, सभी संस्थानों और संगठनों (कॉर्पोरेट और मीडिया हाउस सहित), सरकारी या निजी क्षेत्र को, बच्चों की सुरक्षा/ सुरक्षा के लिए उनकी जिम्मेदारियों को समझने और बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने के लिए एक ढांचा प्रदान करता है; व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से।
पुरस्कारों का वितरण: प्रधान मंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
डब्ल्यूसीडी मंत्रालय कई दशकों से गुणवान बच्चों और व्यक्तियों/ संस्थानों को पुरस्कार प्रदान कर रहा है। इस योजना को 2018 में पुनर्निर्मित किया गया है जिससे कि इसे और अधिक व्यापक और समावेशी बनाया जा सके। राष्ट्रीय बाल पुरस्कार, जिसे अब प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार कहा जाता है, को दो श्रेणियों में दिया जाना है:
बाल शक्ति पुरस्कार: यह पुरस्कार भारत में रह रहे (+5) वर्ष से अधिक आयु से लेकर (संबंधित वर्ष में 31 अगस्त तक) 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों की पहचान करके, उन्हें नवाचार के क्षेत्र में असाधारण क्षमताओं और उत्कृष्ट उपलब्धि, शैक्षिक उपलब्धियों, खेल, कला और संस्कृति, सामाजिक सेवा और बहादुरी के लिए दिया जाना है, जो कि ख्याति के पात्र हैं। प्रत्येक पुरस्कार विजेता को पदक, 1,00,000/- का नकद पुरस्कार, 10,000/- का पुस्तक कूपन वाउचर, एक प्रमाण पत्र और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। यह उपलब्धि एक बार के लिए नहीं होनी चाहिए, बल्कि समय के साथ खत्म हुई होनी चाहिए। उपलब्धियों को संगत होना चाहिए और संबंधित क्षेत्र में बच्चे के जुनून का संकेत दिखना चाहिए।
बाल कल्याण पुरस्कार
'व्यक्तिगत' श्रेणी के अंतर्गत: इन पुरस्कारों को उन व्यक्तियों को पहचान करके प्रदान किया जाना है, जिन्होंने बाल विकास, बाल संरक्षण और बाल कल्याण के क्षेत्र में कम से कम 7 वर्षों तक उत्कृष्ट योगदान दिया है और बच्चों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालने का काम किया हो। इस श्रेणी में तीन (3) पुरस्कार दिए जा सकते हैं। इस पुरस्कार में प्रत्येक विजेता को 1, 00,000/- (एक लाख) रूपया नकद पुरस्कार, एक प्रशस्ति पत्र और एक प्रमाण पत्र शामिल है। ।
'संस्थान' श्रेणी के अंतर्गत: यह पुरस्कार उन संस्थानों को दिया जाना है जिन्होंने कम से कम 10 साल तक बाल कल्याण के किसी भी क्षेत्र में बच्चों के हितों के लिए असाधारण काम किया हो। इस श्रेणी में तीन (3) पुरस्कार दिए जा सकते हैं। इसमें प्रत्येक संस्थान को पुरस्कार के रूप में 5, 00,000/- रूपया नगद, एक प्रशस्ति पत्र और एक प्रमाण पत्र दिया जाना शामिल है।
राष्ट्रीय बाल पुरस्कार पोर्टल का शुभारंभ
मंत्रालय ने 1.8.2018 को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार हेतु ऑनलाइन आवेदन फॉर्म स्वीकार करने के लिए एक विशेष पोर्टल/ वेबसाइट यानी www.nca-wcd.nic.in की शुरूआत की है। आम व्यक्ति से नामांकन केवल ऑनलाइन माध्यम से ही स्वीकार किए जा रहे हैं। ऑनलाइन प्रारूप के अलावा, अन्य प्रकार के आवेदनों पर विचार नहीं किया जा रहा है। वेब पोर्टल पूरे वर्ष नामांकन को स्वीकार करता है, लेकिन अगले वर्ष जनवरी माह में प्रदान दिए जाने वाले पुरस्कारों से संबंधित वर्ष के लिए 31 अगस्त तक ही विचार किया जाता है। तय तारीख के बाद प्राप्त आवेदनों को अगले वर्ष के पुरस्कारों के लिए विचार में शामिल किया जाएगा। देश का कोई भी नागरिक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से असाधारण उपलब्धि वाले बच्चे की सिफारिश कर सकता है।
एनसीपीसीआर में मध्यस्थता सेल का गठन
मंत्रालय ने एनसीपीसीआर में एक मध्यस्थता प्रकोष्ठ का गठन उन बच्चों के मुद्दों को हल करने के लिए किया है, जो वैवाहिक जीवन की समस्या के कारण या घरेलू हिंसा के कारण, अन्य देशों से भारत में या भारत से अन्य देश में, पति या पत्नी की अनुमति के बिना लेकर चले जाते हैं। यह पहल बच्चों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हुए एक पैतृक योजना को तैयार करने के लिए की गई है।
बाल बजट
बाल बजट, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक नीतिगत पहल है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच हुई विस्तृत विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप, एक कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया है जिसमें सभी मंत्रालयों को किसी भी योजना/ परियोजनाओं को तैयार करते समय बाल कल्याण के पैमानों को इंगित करने के लिए कहा गया है। यह पहल, बच्चों को सरकारी योजनाओं के लाभों को प्राप्त करने में मदद करेगा। यह पहल, नीति निर्माताओं द्वारा बच्चों को समान उपभोक्ताओं के रूप में ध्यान केंद्रित करने में मदद करेगा। वित्त मंत्रालय द्वारा 2018-19 के दौरान जारी किए गए बजट दस्तावेज के अभिन्न अंग के रूप में बाल बजट पर जोर दिया गया है। सभी मंत्रालयों/ विभागों को लिंग और बाल बजट के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है।
सुरक्षित पड़ोस अभियान
मंत्रालय ने, बाल संरक्षण के कई विधायी और प्रोग्रामिक उपायों के अलावा, बच्चों को दुर्व्यवहार और अत्याचार से बचाने के लिए सुरक्षित पड़ोस को प्रोत्साहित करने वाला एक वकालत कार्यक्रम भी शुरू किया है। अन्य गतिविधियों के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से इस संदर्भ में जागरूकता पैदा की जाएगी।
18. खाद्य और पोषण बोर्ड
खाद्य और पोषण बोर्ड द्वारा पोषण संबंधी जानकारी के प्रचार-प्रसार हेतु विभिन्न लक्षित समूहों के लिए विभिन्न गतिविधियाँ आयोजित की गई। एफएनबी मुख्यालय, अपने चार क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से, इन इकाइयों के कामकाज के लिए तकनीकी और लॉजिस्टिक सहयोग प्रदान करता है और क्षेत्रिय इकाइयों द्वारा निम्नलिखित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।
पोषण में प्रशिक्षकों (टीओटी) के प्रशिक्षण का कार्यक्रम: प्रत्येक सीएफएनईयू द्वारा, बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ), सहायक बाल विकास परियोजना अधिकारियों (एसीडीपीओ), चिकित्सा अधिकारियों, आईसीडीएस के वरिष्ठ पर्यवेक्षकों, शिक्षकों, प्रतिष्ठित गैर सरकारी संगठनों, वीडीओ, ग्राम सेवक सहित मास्टर ट्रेनरों के लिए पांच दिनों का "प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण" कार्यक्रम आयोजन किया जाता है जो कि, जमीनी स्तर के पदाधिकारियों के लिए प्रशिक्षकों के रूप में काम करते हैं, जैसे कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और बड़े स्तर पर समुदाय। अबतक कुल 23 टीओटी कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिससे 460 प्रतिभागियों को लाभान्वित किया गया है।
ओरिएंटेशन ट्रेनिंग कोर्सेस (ओटीसी): प्रत्येक सीएफएनईयू, 30 प्रतिभागियों के लिए दो दिनों का प्रशिक्षण आयोजित करता है जिसमें आईसीडीएस और स्वास्थ्य सेवा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ता शामिल होते हैं जैसे एडब्लूडब्लू, हेल्पर्स, आशा, किशोरियाँ, गर्भवती, नव विवाहिता, समुदाय और पीआरआई इत्यादि। ओटीसी के विषय हैं (i) नवजात और बाल युवा की फीडिंग (ii) स्वास्थ्य और पोषण और (iii) गंभीर कुपोषण का प्रबंधन। कुल 342 ओटीसी कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं, जिससे 10,260 प्रतिभागी लाभान्वित हुए हैं।
घरेलू स्तर पर फलों और सब्जियों का संरक्षण और पोषण शिक्षा का प्रशिक्षण
प्रत्येक सीएफएनईयू, 5 दिनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन करता है जिसमें 30 प्रतिभागियों को घरेलू स्तर पर फलों और सब्जियों का संरक्षण सहित फलों और सब्जियों का पोषण शिक्षा प्रदान किया जाता है जिसमें गृहिणियां, नवयुवतियां और बेरोजगार युवक शामिल हैं। स्वस्थ और आय सृजन गतिविधि के लिए विटामिन और खनिजों के सेवन को संतुलित करने के लिए। प्रशिक्षण पूरा होने के पश्चात प्रशिक्षुओं के बीच फलों और सब्जियों के संरक्षण और पोषण के लिए एक तत्काल परिकलक वितरित किया जाता है। प्रत्येक सीएफएनईयू, एससी/ एसटी लाभार्थियों सहित नवयुवतियों और महिलाओं के लिए फलों और सब्जियों और पोषण शिक्षा के होम स्केल संरक्षण में विशेष प्रशिक्षण का आयोजन करता है। इसमें कुल 181 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिसमें 5430 प्रतिभागी लाभान्वित हुए हैं।
पोषण शिक्षा कार्यक्रम (एनईपी)
देश के पोषण की स्थिति को राष्ट्रीय विकास में एक महत्वपूर्ण संकेतक के रूप में पहचान की गई है। दूसरे शब्दों में, कुपोषण राष्ट्रीय विकास में एक बाधा है और इसलिए इसे राष्ट्रीय समस्या माना गया है न कि केवल क्षेत्रीय समस्या। जनसंख्या के सभी वर्गों के बीच, उचित आहार का सेवन और स्वस्थ जीवन शैली को प्रोत्साहित करने के लिए बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य और पोषण शिक्षा सबसे स्थायी और लागत प्रभावी कार्यक्रम है। इसलिए, पोषण शिक्षा कार्यक्रम ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों और शहरी मलिन बस्तियों में आयोजित किए जाते हैं। अबतक कुल 2, 275 एनईपी आयोजित किए गए हैं, जिससे 80,719 प्रतिभागियों को लाभ मिला है।
आंगनवाड़ी केंद्रों की मॉनेटरिंग (एडब्लूसी)
विभिन्न आईसीडीएस परियोजनाओं के अंतर्गत आंगनवाड़ियों के पूरक पोषण पर नजर रखने और आईसीडीएस को पोषण और स्वास्थ्य घटकों की सुविधा प्रदान करने के लिए मॉनेटरिंग की जा रही है। निरीक्षण के दौरान एफएनबी कर्मचारी, पोषण पर तकनीकी सहायता और आंगनवाड़ी केन्दों में पोषण शिक्षा गतिविधियों का आयोजन करके स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान करता है। अबतक आईसीडीसी-एडब्लूसी में कुल 2638 निरीक्षणों का आयोजन किया गया है।
खाद्य विश्लेषण:
खाद्य और पोषण बोर्ड का दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में चार क्षेत्रीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाएं हैं, जो कि आंगनवाड़ी सेवा योजना के अंतर्गत प्रदान किए गए विभिन्न पूरक खाद्य पदार्थों का विश्लेषण करता है। यह सैंम्पल राज्य सरकारों से प्राप्त किए जाते हैं और साथ ही एडब्लूसी की यात्रा के दौरान एफएनबी की फील्ड इकाइयों द्वारा लिए जाते हैं। वर्ष 2018-19 के दौरान, नवंबर, 2018 तक एफएनबी की क्षेत्रीय गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं द्वारा कुल 1348 नमूनों का विश्लेषण किया गया।
चार नए खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना (01 केंद्रीय और 03 क्षेत्रीय प्रयोगशालाएं):
वर्तमान समय में, खाद्य और पोषण बोर्ड (एफएनबी) द्वारा खाद्य नमूनों की गुणवत्ता विश्लेषण करने और अन्य पोषण संबंधी अभिसरण कार्य करने के लिए चार अत्याधुनिक खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं, एक केंद्रीय खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला फरीदाबाद में और तीन क्षेत्रीय खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाएं कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में स्थापित कर रहा है।
एफटीएल, फरीदाबाद और कोलकाता में काम पूरा हो चुका है। एफटीएल, चेन्नई में ईंट का काम, पलस्तर और फर्श का काम भी पूरा हो चुका है और एफटीएल, मुंबई में निर्माण का काम फरवरी, 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसके अलावा, प्रयोगशाला उपकरणों की खरीद, स्थापना और प्रयोगशाला फर्नीचर आदि का कार्य प्रगति पर है।
खाद्य और पोषण बोर्ड का पुनर्गठन:
खाद्य और पोषण बोर्ड (एफएनबी) का पुनर्गठन, जनशक्ति और बुनियादी ढांचे के लिए मौजूदा खाद्य गुणवत्ता प्रयोगशालाओं के स्थान पर, चार खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं, एक केंद्रीय प्रयोगशाला फरीदाबाद में और तीन क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं की स्थापना कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में किया गया, क्योंकि इन प्रयोगशालाओं की स्थापना बहुत समय पहले की गई और यह न केवल बहुत पुरानी हैं, बल्कि इसमें दी गई/ स्थापित की गई सुविधाएं/ उपकरण पुराने हैं और इनमें नवीनतम खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुसार खाद्य परीक्षण करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की कमी है। चूंकि अपर्याप्त स्थान और पुराने उपकरणों के कारण मौजूदा सुविधाओं का विस्तार संभव नहीं है, इसलिए अत्याधुनिक तकनीक के साथ चार नई प्रयोगशालाओं (1 केंद्रीय प्रयोगशाला और 3 क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं) की स्थापना की जा रही है। इसको ध्यान में रखते हुए, कुल 110 नए नियमित पद सृजित किए गए हैं और 23 नए पदों को खाद्य एवं पोषण बोर्ड में पुनर्जीवित किया गया है, जिससे कि फरीदाबाद, कोलकाता, चेन्नई और मुंबई में स्थापित की जा रही चार नई अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं के संचालन में मानवीय शक्ति की आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई)
2017-18 में राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को जारी निधि
अपडेट: 20.12.2017
(राशि लाख रू में)
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|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र
|
आवंटित निधि
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जारी निधि
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आंध्र प्रदेश
|
6920.38
|
6920.38
|
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अरुणाचल प्रदेश
|
912.83
|
649.18
|
|
असम
|
10037.74
|
10037.74
|
|
बिहार
|
17034.15
|
17034.15
|
|
छत्तीसगढ़
|
4179.58
|
4179.58
|
|
गोवा
|
162.92
|
162.92
|
|
गुजरात
|
9889.66
|
9889.66
|
|
हरियाणा
|
4324.3
|
4324.3
|
|
हिमाचल प्रदेश
|
1651.6
|
1651.6
|
|
जम्मू और कश्मीर
|
3018.45
|
3018.45
|
|
झारखंड
|
5622.7
|
5398.14
|
|
कर्नाटक
|
10248.81
|
9996.73
|
|
केरल
|
5465.58
|
5465.58
|
|
मध्य प्रदेश
|
12320.53
|
11883.67
|
|
महाराष्ट्र
|
12612.66
|
12612.66
|
|
मणिपुर
|
1339.42
|
1339.42
|
|
मेघालय
|
954.05
|
954.05
|
|
मिजोरम
|
617.46
|
514.41
|
|
नागालैंड
|
927.31
|
927.31
|
|
ओडिशा
|
6868.63
|
6868.63
|
|
पंजाब
|
4539.49
|
4539.49
|
|
राजस्थान
|
11486.97
|
11216.86
|
|
सिक्किम
|
354.33
|
286.12
|
|
तमिलनाडु
|
12087.85
|
11805.7
|
|
तेलंगाना
|
6920.38
|
6920.38
|
|
त्रिपुरा
|
1845.48
|
1723.37
|
|
उत्तराखंड
|
2610.99
|
2427.67
|
|
उत्तर प्रदेश
|
33616.64
|
33616.64
|
|
पश्चिम बंगाल
|
10245.03
|
10245.03
|
|
दिल्ली
|
1883.59
|
1725.59
|
|
अंडमान और निकोबार
|
163.08
|
97.8
|
|
पुडुचेरी
|
331.68
|
320.68
|
|
चंडीगढ़
|
290.41
|
271.22
|
|
दमन और दीव
|
43.67
|
41.67
|
|
दादरा और नगर हवेली
|
91.32
|
88.32
|
|
लक्षद्वीप
|
17.57
|
16.57
|
कुल
|
201637.24
|
199171.67
|
- राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान
एनआईपीसीसीडी की प्रमुख प्रोग्रामेटिक उपलब्धियां
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक कॉरपोरेशन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट, जिसे एनआईपीसीसीडी के नाम से भी जाना जाता है, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार के तत्वावधान में एक प्रमुख स्वायत्त संगठन है, जो महिलाओं और बाल विकास के समग्र डोमेन में स्वैच्छिक कार्रवाई और अनुसंधान, प्रशिक्षण और प्रलेखन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। संस्थान का उद्देश्य हैं: सामाजिक विकास के लिए स्वैच्छिक कार्रवाई को विकसित करना और उसे बढ़ावा देना; बाल विकास के बारे में व्यापक दृष्टिकोण रखना और बच्चों के लिए राष्ट्रीय नीति के पालन में प्रासंगिक आवश्यकता-आधारित कार्यक्रमों को बढ़ावा देना और विकसित करना; महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय नीति और महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाली अन्य संबंधित नीतियां; सामाजिक विकास में सरकारी और स्वैच्छिक कार्रवाई के बीच समन्वय के उपाय को विकसित करना; सरकारी और स्वैच्छिक प्रयासों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों से संबंधित कार्यक्रमों के आयोजन के लिए रूपरेखा और परिप्रेक्ष्य को विकसित करना; और संस्थान के समान गतिविधियों में लगे अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंसियों, अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों और तकनीकी निकायों के साथ संपर्क स्थापित करना। संस्थान की प्रमुख गतिविधियों में, एकीकृत बाल विकास योजना (आईसीडीएस), महिला एवं बाल विकास और बाल अधिकार और बाल संरक्षण संबंधित क्षेत्रों में प्रशिक्षण, जिसमें एकीकृत बाल संरक्षण योजना (आईसीपीएस) और पोक्सो अधिनियम, 2012 शामिल है। अप्रैल, 2018 से दिसंबर, 2018 तक संस्थान की उपलब्धियां निम्नानुसार है:
वर्ष 2018-19 के दौरान, संस्थान ने कुल 293 (दिसंबर, 2018 तक) प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए, जिसमें 10,598 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें से, महिला सुरक्षा और बाल विकास से संबंधित मुद्दों पर 208 कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें बाल संरक्षण, किशोर न्याय अधिनियम और पोक्सो अधिनियम, 2012 शामिल हैं और आईसीडीएस के पदाधिकारियों के लिए 85 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें क्रमशः 7,754 और 2844 प्रतिभागी शामिल हुए।
अप्रैल से दिसंबर, 2018 तक आयोजित कार्यक्रम
क्रम सं.
|
कार्यक्रम
|
संख्या
|
1
|
नियमित
|
107
|
2
|
आईसीपीएस
|
101
|
3
|
आईसीडीएस
|
85
|
कुल योग
|
293
|
गतिविधियों की विशेषताएं
महत्वपूर्ण गतिविधियाँ
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 26 अक्टूबर, 2018 से 4 नवंबर, 2018 तक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय केंद्र (आईजीएनसीए) में “वीमेन ऑफ़ इंडिया आर्गेनिक फेस्टिवल” का आयोजन किया गया, जिससे कि जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली महिलाओं और महिलाओं के नेतृत्व वाले समूहों को समर्थन और प्रोत्साहन मिल सके, इसके अलावा पूरे भारत में जैविक उत्पादों के लाभों के बारे में उचित जागरूकता फैलाया जा सके, अपने स्थानीय समुदाय की अर्थव्यवस्था का समर्थन किया जा सके, रोजगार सृजित किया जा सके और किसानों को संपन्न बनाया जा सके। 25 राज्यों की महिला उद्यमियों ने अपने जैविक उत्पादों जैसे चावल, दाल, मसाले, सब्जियों और फलों के अलावा आदिवासी और जातीय उत्पादों के साथ इसमें शामिल हुई। इस प्रदर्शनी में जैविक उत्पादों, जैसे अनाज, दाल, बाजरा, मसाले, सौंदर्य देखभाल, सुगंध-चिकित्सा और जैव उत्पादों आदि का प्रदर्शन और बिक्री शामिल था। वुमन ऑफ इंडिया ऑर्गेनिक फेस्टिवल, 2018 की महिला उद्यमियों ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक और पहल महिला ई-हाट में भी खुद को नामांकित किया। एनआईपीसीसीडी ने आयोजन के दौरान लॉजिस्टिक सहायता भी प्रदान की।
संस्थान ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निर्देश पर 21 जून, 2018 को 4 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया। संस्थान के लॉन में आयोजित किए गए इस योग समारोह में लगभग 300 लोगों (मुख्यालय और क्षेत्रीय केंद्रों के नियमित, संविदा, अस्थायी कर्मचारियों) ने भाग लिया। संस्थान ने आयुष मंत्रालय से योग किट और पठन सामग्री की खरीद की और भाग लेनेवाले कर्मचारियों सभी के बीच में समानों का वितरण किया।
संस्थान द्वारा, 1 से 7 सितंबर, 2018 तक अपने मुख्यालय और क्षेत्रीय केंद्रों में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया गया। इस सप्ताह के दौरान, विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिनमें शामिल हैं: एडब्लूसी पर पहुंच; चाइल्ड केयर सेंटर पर गतिविधियाँ यानी स्मार्ट ईटिंग फूड पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता; सीसीसी में माताओं द्वारा स्वस्थ नुस्खा प्रतियोगिता; आंगनवाड़ी केंद्र में शिशु और युवा बाल फिडिंग (आईवाईसीएफ) प्रथाओं पर सामुदायिक परामर्श सत्र; स्वास्थ्य मुद्दों पर बातचीत आदि।
संस्थान ने 1 से 14 सितंबर, 2018 तक हिंदी पखवाड़ा मनाया, जिसमें निम्न गतिविधियाँ शामिल हैं: श्रुति लेखन प्रतियोगिता, अनुवाद और हिंदी ज्ञान प्रतियोगिताएं आदि।
संस्थान ने 15 सितंबर, 2018 से 2 अक्टूबर, 2018 तक ‘स्वछता ही सेवा’ का अवलोकन किया। स्वच्छ पखवाड़ा के दौरान कई प्रकार की गतिविधियाँ की गईं, जिनमें शामिल हैं: संस्थान के भीतर स्वच्छता अभियान; स्वछता थीम पर सीसीसी में बच्चों के लिए गतिविधियाँ; संस्थान के परिसर में श्रम दान; स्वच्छ्ता प्रश्नोत्तरी; नारा और पोस्टर प्रतियोगिता; शाहपुर जाट में रैली; स्वच्छता मानव श्रृंखला बनाना; और हिमाचल प्रदेश के सोलन में 'स्वच्छ एवं स्वस्थ बचपन' कार्यक्रम।
एमडब्लूसीडी ने 26 से 29 नवंबर, 2018 के बीच “हौसला 2018” का आयोजन, चाइल्ड केयर संस्थान (सीसीआई) में रहने वाले बच्चों के लिए एक अंतर सीसीआई उत्सव की मेजबानी करते हुए, इस उद्देश्य के साथ किया कि यह प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने और उन्हें उनके सपनों और आकांक्षाओं को व्यक्त करने का अवसर प्रदान करेगा। बच्चों ने विभिन्न प्रतियोगिताओं, जैसे पेंटिंग प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, सुरक्षित पड़ोस परियोजना, एथलेटिक्स मीट, फुटबॉल और शतरंज प्रतियोगिता में भाग लिया। 18 राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के लगभग 600 बच्चों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जो कि देश भर के विभिन्न चाइल्ड केयर संस्थानों से आए थे। एनआईपीसीसीडी ने आयोजनों में एमडब्लूसीडी की सहायता की।
प्रशिक्षण कार्यक्रम
एडवांस्ड डिप्लोमा इन चाइल्ड गाइडेंस एंड काउंसलिंग
1 अगस्त, 2018 से, एक वर्ष का एडवांस्ड डिप्लोमा इन चाइल्ड गाइडेंस एंड काउंसलिंग कार्यक्रम को निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया है: दृष्टिकोण का पता लगाने और उसे विकसित करने के लिए, मान्यता और विश्वास जो कि मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों के रूप में बच्चों के साथ काम करने की सुविधा प्रदान करते हैं; परामर्श के संदर्भ में सैद्धांतिक निर्माण और सामाजिक-सांस्कृतिक दृष्टिकोण का ज्ञान और समझ हासिल करना; योजना के लिए कौशल विकसित करना और बच्चें तथा बच्चों से संबंधित प्रणालियों के लिए परामर्श मध्यवर्तन की योजना बनाना और उपलब्ध कराना और साथ में संसाधनों को जुटाने के लिए कौशल विकास, नेटवर्किंग और हितधारकों के साथ सहयोग करना।
इसके अलावा, मुख्यालय द्वारा बाल और किशोर परामर्श के लिए एक सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ पूरा किया गया: विकास संबंधी विकारों वाले बच्चों का सहायता करने के लिए उनके माता-पिता के संसाधनों को बढ़ावा देने वाली रणनीतियों के साथ चिकित्सकों और परामर्शदाताओं को संवेदनशील बनाना; वर्तमान समाज में बच्चों की चुनौतियों और उनके विकास में स्कूलों की भूमिका को समझने के लिए शिक्षकों को सक्षम बनाना, उन्हें गंभीर रूप से भावनात्मक कल्याण और बच्चों में उपलब्धि को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियों से अवगत कराना जिसके द्वारा बच्चे विकासात्मक लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम हों; बच्चों को सीखने और व्यवहार की कठिनाइयों के बारे में विभिन्न प्रकार की जानकारी देना और कठिन परिस्थितियों में विशेष जरूरतों के लिए उन्हें तैयार करना; बच्चों में सीखने और व्यवहार करने की समस्याओं के शुरुआती लक्षणों की पहचान करने और उनके अनौपचारिक आकलन के लिए शिक्षकों की क्षमता में वृद्धि; बच्चों की भावनात्मक भलाई को बढ़ावा देने के लिए बच्चों और परिवारों को परामर्श के दौरान व्यापक कौशल प्रदान करना, जागरूकता लाने के लिए कौशल प्रदान करना, और बच्चों और उनके बड़े होने से संबंधित महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं पर शिक्षकों और माता-पिता के लिए संवेदीकरण कार्यशालाएं।
महिला एवं बाल विकास
किशोरावस्था के दौरान सीखने और मधुर आचरण को बढ़ावा देने के लिए अनुकूल वातावरण बनाने/ बच्चों के विभिन्न शैक्षणिक और मनोसामाजिक मुद्दों के समाधान के लिए संस्थान द्वारा कई अभिभावकीय कार्यशालाएं निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ आयोजित की गईं: किशोर बच्चों की किशोरावस्था में और उनके समग्र विकास की जरूरतों के बारे में समझ विकसित करना और माता-पिता और शिक्षकों की मदद करना जिससे कि वे अपने बच्चों को विकास की अवधि के दौरान होने वाले शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक परिवर्तनों से निपटने में मदद कर सकें।
इसके अलावा, रिपोर्ट के अंतर्गत वर्ष के दौरान महिलाओं और बच्चों से संबंधित मुद्दों पर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम/ बैठकें/ कार्यशालाएं आयोजित की गईं। जिसमें शामिल था: बीबीबीपी; नवजात, शिशु और युवा बच्चों की देखभाल; अंब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवाओं में पूरक पोषण में खाद्य सुरक्षा और खाद्य सुरक्षा मानकों को बनाए रखना; आईसीडीएस अधिकारियों के लिए जापानी एन्सेफलाइटिस/ एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम; मदर एंड चाइल्ड प्रोटेक्शन कार्ड और ग्रोथ मॉनिटरिंग।
मुख्यालय द्वारा, घरेलू कामगारों के लिए उपलब्ध सहायता तंत्र पर दो परामर्शी मुलाकातों का भी आयोजन किया गया जिनके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं: प्रतिभागियों को उनके विकास चक्र के माध्यम से किशोरों की जरूरतों के बारे में उन्मुख करना; लैंगिक भेदभाव के बारे में समझ विकसित करना और किशोर लड़कियों के समग्र विकास और अधिकारों पर इसके प्रभाव को समझाना; किशोर लड़कियों के संपूर्ण विकास के लिए विभिन्न सरकारी नीतियों, कार्यक्रम, विधानों और पहलों के बारे में प्रतिभागियों को बताना; और किशोर लड़कियों के सशक्तिकरण के लिए मध्यवर्ती रणनीतियों को विकसित करना।
वन स्टॉप सेंटर योजना
वन स्टॉप सेंटर योजना के कार्यान्वयन से जुड़े अधिकारियों की क्षमता निर्माण करने के लिए, संस्थान द्वारा अधिकारियों के लिए कई ओरिएंटेशन ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित किए गए और महिला हेल्पलाइन के साथ-साथ वन स्टॉप सेंटर के काउंसलर और केस वर्कर्स की व्यवस्था निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के परिणामों, कारणों, प्रकृति और हिंसा की अभिव्यक्ति के लिए संवेदनशील बनाना खासकर पूर्वी क्षेत्र के संदर्भ में; प्रतिभागियों को वन स्टॉप सेंटर योजना, महिला हेल्पलाइन और संकट के दौरान महिलाओं के लिए मौजूद अन्य समर्थन सेवाओं के लिए उन्मुख करना; प्रतिभागियों को हिंसा प्रभावित महिलाओं के लिए मनोवैज्ञानिक-सामाजिक समर्थन और परामर्श के लिए नैतिक दिशानिर्देशों के लिए जागरूक करना; और प्रतिभागियों को विभिन्न हितधारकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों से अवगत कराना।
कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013
संस्थान ने सिविल सोसाइटी के पदाधिकारियों की क्षमता का निर्माण करने के लिए, कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम हेतु सिविल सोसायटी के लिए दो संवेदीकरण कार्यक्रम निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ आयोजित किए: लैंगिक हिंसा और अभिव्यक्ति पर प्रतिभागियों को संवेदनशील बनाना; महिलाओं के खिलाफ अत्याचार को रोकने के लिए नीतियों और विधायी उपायों पर चर्चा करना, विशेष रूप से कार्य स्थल पर; कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की समस्या के समाधान के लिए समस्या का विश्लेषण करना और कार्यनीतियां बनाना; और मौजूदा तंत्र/ सहायता सेवाओं पर चर्चा करना और उन्हें मजबूत बनाने के लिए सुझाव प्रदान करना।
इसके अलावा, मुख्यालय (पूर्वाह्न और अपराह्न) द्वारा कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 पर दस संवेदीकरण कार्यक्रम निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ आयोजित किए गए: यौन उत्पीड़न की शिकायतों का निपटारा करने, लैंगिक संबंधी मुद्दों पर जागरूकता फैलाने और आंतरिक शिकायत समिति के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के प्रति प्रतिभागियों को संवेदनशील बनाना।
इसके अलावा, क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी द्वारा सामाजिक कल्याण विभाग/ डब्ल्यूसीडी विभागों के अधिकारियों के लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 पर एक ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: आईसीसी के सदस्यों और अन्य अधिकारियों को कार्य स्थलों पर यौन उत्पीड़न की प्रकृति और प्रवृत्तियों के लिए संवेदनशील बनाना; कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 और संबंधित नियमों के प्रमुख विशेषताओं और प्रावधानों को उन्मुख करना; अधिनियम के अंतर्गत निवारण के तौर-तरीकों, क्रियाविधि और प्रक्रिया के बारे में उन्हें अवगत कराना और समितियों के भाग लेने वाले सदस्यों और अन्य अधिकारियों को उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों से अवगत कराना।
पंचायती राज की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण
संस्थान ने पंचायती राज संस्थाओं की निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों के क्षमता निर्माण कार्यक्रमों की फेज-II, श्रृंखला का आयोजन किया- मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं: महिलाओं और बच्चों के सशक्तीकरण और पीआरआई के कामकाज से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श; महिलाओं, बच्चों और हाशिए पर रह रहे समूहों के लिए केंद्र और राज्य सरकार के प्रमुख कार्यक्रमों पर चर्चा; कमजोर लोगों की सुरक्षा के विधानों पर ज्ञान प्रदान करना; गांवों में परिसंपत्ति निर्माण और सार्वजनिक कार्यों की निगरानी करने और स्थानीय प्रशासन में भागीदारी की प्रक्रिया के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्रदान करना; ड्राई डेयरी फार्मिंग, ई-बैंकिंग और कैशलेस लेनदेन आदि से संबंधित हाल के घटनाक्रमों पर चर्चा; और महिलाओं को अपने नेतृत्व क्षमता की पहचान करने में सक्षम बनाना जिससे कि वे प्रभावी रूप से बदलाव लाने वाली एजेंट के रूप में योगदान कर सकें।
किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015
संस्थान द्वारा उत्तर प्रदेश के जिला स्तर के अधिकारियों के लिए, किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और उसके नियम 2016 और एकीकृत बाल संरक्षण योजना पर, 18 उन्मुखीकरण प्रशिक्षण का आयोजन निम्न प्रमुख उद्देश्यों के साथ किया गया: प्रतिभागियों को बाल अधिकारों और बाल संरक्षण के संदर्भ में देश में बच्चों की वर्तमान स्थिति पर समझ विकसित करने में सक्षम बनाना; किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और उसके नियम 2016 की मुख्य विशेषताओं पर प्रतिभागियों को जागरूक करना; एकीकृत बाल संरक्षण योजना के अंतर्गत प्रावधानों के बारे में प्रतिभागियों को बताना और जेजे एक्ट और आईसीपीएस के प्रभावी कार्यान्वयन में विभिन्न हितधारकों की भूमिका पर चर्चा करना।
क्षेत्रीय केंद्र लखनऊ द्वारा आईसीपीएस के अंतर्गत संरक्षण अधिकारियों (गैर-संस्थागत देखभाल) के लिए दत्तक ग्रहण अधिनियम, 2016 पर दो ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत बच्चों से संबंधित देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता में विभिन्न प्रावधानों के बारे में प्रतिभागियों को जागरूक करना; दत्तक ग्रहण अधिनियम, 2016 से प्रतिभागियों को परिचित करना; और दत्तक ग्रहण विनियम, 2017 के कार्यान्वयन में आईसीपीएस के अंतर्गत संरक्षण अधिकारियों (गैर-संस्थागत देखभाल) की भूमिका पर चर्चा करना।
मुख्यालय और क्षेत्रीय केंद्रों द्वारा सीसीआई (अधीक्षक, केस कार्यकर्ता, प्रोबेशन अधिकारी, कल्याण अधिकारी, समन्वयक आदि) के कार्यकारियों के लिए बाल अधिकारों और संरक्षण पर कई ओरिएंटेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: प्रतिभागियों को बाल अधिकारों और संरक्षण और जमीनी वास्तविकताओं के वैचारिक ढांचे के बारे में जानकार बनाना; उन्हें किशोर न्याय अधिनियम, 2015 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2012 की मुख्य विशेषताओं को समझने में सक्षम बनाना; आईसीपीएस के अंतर्गत उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों पर चर्चा करना और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएं प्रदान करने में उनके सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करना और आईसीपीएस के अंतर्गत नेटवर्किंग, अभिसरण और समन्वय तंत्र के लिए रणनीति तैयार करना।
इसके अलावा, मुख्यालय और क्षेत्रीय केंद्रों द्वारा बाल सुरक्षा पर मास्टर ट्रेनर्स कार्यक्रम की एक श्रृंखला निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ आयोजित की गई: प्रतिभागियों को जेजे सिस्टम और आईसीपीएस के अंतर्गत विभिन्न प्रावधानों के बारे में उन्मुख करना; बच्चों से संबंधित नीतियों, योजनाओं और विधानों पर चर्चा करना; योजनाओं, विधानों और दिशानिर्देशों के अंतर्गत उन्हें उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों में सक्षम बनाना; बाल संरक्षण हेतु बेहतर परिणाम की प्राप्ति के लिए अभिसरण और लिंकेज के महत्व को पहचानना; आईसीपीएस के अंतर्गत कार्यनीतियों को लागू करने का वर्णन करना और उन्हें अनुसंधान और प्रलेखन, वित्तीय नियमों, लेखा परीक्षा और कार्यालय प्रक्रियाओं के लिए संवेदनशील बनाना; और बाल संरक्षण पर राज्यों द्वारा अपनाई गई नवीन और अच्छी प्रथाओं पर चर्चा करना।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का (पॉक्सो) अधिनियम, 2012
19 जून, 2012 को लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम पारित किया गया। इसके पश्चात, विभिन्न हितधारकों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के बाद, 14 नवंबर, 2012 को महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा पॉक्सो नियम को अधिसूचित किया गया। इस अधिनियम को लागू करने के लिए प्रमुख हितधारक, पुलिस/ विशेष किशोर पुलिस इकाई (एसजेपीयू), न्यायपालिका, जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू), परिवीक्षा अधिकारी, परामर्शदाता, बाल देखभाल संस्थान (सीसीआई) के कर्मी, दुभाषिए/ अनुवादक, चिकित्सा बिरादरी, पीड़ित बच्चे का समुदाय, परिवार, रिश्तेदार और बच्चा स्वयं है। केंद्र और राज्य सरकारों को पॉस्को अधिनियम, 2012 के बारे में जागरूकता पैदा करने की जिम्मेदारी दी गई है। संस्थान ने पॉक्सो अधिनियम, 2012 और इसके नियमों पर हितधारकों के लिए संवेदीकरण कार्यक्रम/ ओरिएंटेशन वर्कशॉप की एक श्रृंखला का आयोजन किया।
इनके अतिरिक्त, पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए पोक्सो अधिनियम, 2012 पर एक संवेदीकरण कार्यक्रम का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: पंचायती राज संस्थानों (पीआरआई) के सदस्यों को बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों और 'यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण' (पॉक्सो) अधिनियम की मुख्य विशेषताओं के बारे में जानकारी देना; बाल यौन शोषण के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा और बाल पीड़ितों और उनके परिवारों का सहयोग करने में अपनी भूमिका की समझ को विकसित करना; और पीआरआई के सहयोग से सामुदायिक स्तर पर यौन अपराधों के उन्मूलन के लिए रणनीति तैयार करना।
अम्ब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवाएं
इसके अलावा, मुख्यालय और इसके क्षेत्रीय केंद्रों द्वारा सीडीपीओ / एसीडीपीओ के लिए कई आनंदयोग्य पाठ्यक्रमों का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: विभिन्न पहलुओं के साथ राज्यों में अम्ब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत पुनर्गठन और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन की समीक्षा करने के लिए; कार्यक्रम को लागू करने में अपने अनुभवों को साझा करने के लिए एक मंच प्रदान करना; अम्ब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत कार्यक्रमों में हाल ही में हुए विकास और रुझानों के बारे में सीडीपीओ/ एसीडीपीओ को जानकारी देना; शुरूआती बचपन में देखभाल और पोषण और स्वास्थ्य सहित विकास के क्षेत्रों में उनके ज्ञान को अपडेट करेना; और उनके संचार, परामर्श और प्रबंधकीय कौशल को विकसित करना।
संस्थान के मुख्यालय और इसके क्षेत्रीय केंद्रों द्वारा सीडीपीओ/ एसीडीपीओ के लिए कई प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: आईसीडीएस कार्यक्रम के बारे में प्रशिक्षु सीडीपीओ/ एसीडीपीओ को जानकारी प्रदान करना- इसका दर्शन, उद्देश्य, सेवाओं का पैकेज और लाभार्थियों के संबंध में, जो कि अम्ब्रेला आईसीडीएस और न्यु डब्लूएचओ चाइल्ड ग्रोथ स्टैंडर्ड्स, एमसीपी कार्ड, सबला और आईजीएसएसवाई योजनाओं के अंतर्गत पुनर्गठन और सुदृढ़ कार्यक्रम के संबंध में है; आईसीडीएस परियोजना के समन्वय, पर्यवेक्षण और प्रबंधन में अन्य ब्लॉक कार्यकारियों की नौकरी की जिम्मेदारियों को उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों के साथ परिचित करना; आईसीडीएस कार्यक्रम में उनके साथ हाल के घटनाक्रम पर चर्चा करना और उनपर जोर देना; कार्यान्वयन के विभिन्न स्तरों पर सेवाओं के अभिसरण के लिए उनकी आवश्यकता, महत्व और रणनीतियों को उनके साथ साझा करना; पूर्वस्कूली शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और सामुदायिक भागीदारी में जमीनी स्तर के अधिकारियों के मार्गदर्शन के लिए आवश्यक कौशल को विकसित करना; और अम्ब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत आईसीडीएस परियोजनाओं के लिए प्रभावी नेतृत्व, सहायक पर्यवेक्षण और प्रबंधन हेतु उन्हें ज्ञान से परिपूर्ण करना।
इसके अलावा, मुख्यालय और इसके क्षेत्रीय केंद्रों द्वारा आईसीडीएस कार्यक्रम के गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए ब्लॉक स्तर के आईसीडीएस में विभिन्न कार्यक्षेत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: परियोजना स्तर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सतत शिक्षा प्रदान करने के लिए मास्टर ट्रेनर के रूप में कार्य करने के लिए सीडीपीओ और पर्यवेक्षकों के कौशल को बढ़ाना; आईसीडीएस सेवाओं के गुणवत्ता में सुधार के लिए परियोजना स्तर पर सभी आईसीडीएस अधिकारियों के ज्ञान और कौशल में सुधार करने के लिए इनपुट प्रदान करना; और अम्बरेला आईसीडीएस के अंतर्गत सेवाओं के वितरण की गुणवत्ता में सुधार के लिए, परियोजना स्तर पर संयुक्त रूप से काम करना और संयुक्त कार्य योजना तैयार करना।
इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय केंद्र, बेंगलुरु द्वारा आंगनवाड़ी सेवा योजना में बच्चों के पोषण संबंधी मूल्यांकन पर एक जागरूक कार्यक्रम का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: प्रतिभागियों को बच्चों के पोषण की स्थिति के महत्व की जानकारी देना; और बौनापन, बच्चों में अपक्षय के लिए पोषण संबंधी महत्व पर उनके ज्ञान को अपडेट करना, विभिन्न पोषण मूल्यांकन उपकरणों पर कक्षा पद्धति अभ्यास प्रदान करके उनके कौशल को बढ़ाना।
दिल्ली में भर्ती किए गए नए पर्यवेक्षकों के लिए ई-लर्निंग जॉब ट्रेनिंग कोर्स हेतु एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम का भी आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: प्रतिभागियों को आईसीडीएस पदाधिकारियों के लिए ई-लर्निंग कार्यक्रम के उपयोग के बारे में जानकारी देना; पर्यवेक्षकों को ई-लर्निंग कार्यक्रम का हैंड ऑन अनुभव प्रदान करना, उनके लर्निंग गैप को पाटना और उनके अंदर आत्मविश्वास का निर्माण करना।
इसके अलावा, संस्थान द्वारा तमिलनाडु के सीडीपीओ के लिए ई-लर्निंग पर एक समीक्षा सह संपर्क प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: प्रतिभागियों को आईसीडीएस पदाधिकारियों के लिए ई-लर्निंग कार्यक्रम के उपयोग के बारे में जानकारी देना; सीडीपीओ को ई-लर्निंग कार्यक्रम का अनुभव प्रदान करना; प्रशिक्षण के ई-लर्निंग मोड का उपयोग करके उनके लर्निंग गैप को पाटना और उनके अंदर आत्मविश्वास का निर्माण करना और भविष्य के लिए ई-लर्निंग कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर्स की पहचान करना।
मुख्यालय द्वारा आंगनवाड़ी सेवा कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से संबंधित नोडल अधिकारियों के लिए भी एक उन्मुखीकरण बैठक का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: अम्ब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवाओं में हाल के घटनाक्रम के संबंध में नोडल अधिकारियों को परिचित करना; आंगनवाड़ी सेवा कार्यान्वयन की सफलता में बाधा डालने वाली समस्याओं का विश्लेषण करना; आंगनवाड़ी सेवा के अधिकारियों के लिए प्रभावी प्रशिक्षण की योजना बनाने के लिए रणनीतियों के बारे में चर्चा करना; और पोषण/ बाल विकास संबंधित परिणामों को प्राप्त करने के लिए आंगनवाड़ी सेवाओं/ ईसीसीई के कार्यान्वयन के संबंध में राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों के सर्वोत्तम प्रथाओं को लागु करना।
विभिन्न हितधारकों के लिए अम्ब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत, संस्थान द्वारा प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना (पीएमएमवीवाई) पीएमएमवीवाई -सीएएस पोर्टल, संशोधित एमआईएस, रैपिड रिपोर्टिंग प्रणाली और आंगनवाड़ी सेवाओं में डेटा प्रबंधन हेतु सीडीपीओ के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: पीएमएमवीवाई -सीएएस पोर्टल के महत्व और उपयोग से प्रतिभागियों को परिचित करना; उन्हें आईसीडीएस-सीएएस के महत्व से अवगत कराना; नई प्रबंधन सूचना प्रणाली पर प्रशिक्षुओं को अपडेट करना; और प्रभावी डेटा प्रबंधन के उपयोग और महत्व से प्रशिक्षुओं को अवगत कराना।
इसके अतिरिक्त, मुख्यालय द्वारा प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना के कार्यान्वयन पर एक समीक्षा बैठक - सामान्य अनुप्रयोग सॉफ्टवेयर (आईसीडीएस-सीएएस) का आयोजन निम्न मुख्य उद्देश्यों के साथ किया गया: योजना क्रियान्वयन के तौर-तरीकों पर विचार-विमर्श, निधि प्रवाह और संवितरण तंत्र; वर्तमान स्थिति के साथ-साथ पीएमएमवीवाई के कार्यान्वयन में अनुभवी और अन्य संबंधित समस्याओं की सूची बनाना; योजना के बेहतर कार्यान्वयन के लिए विभिन्न हितधारकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों पर प्रभावी ढंग से चर्चा करना; और जागरूकता सृजन के लिए आईईसी गतिविधियों को बढ़ावा देना और महिलाओं और बच्चों की स्वास्थ्य स्थिति में सुधार के लिए राज्यों की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना।
अनुसंधान
मुख्यालय और इसके क्षेत्रीय केंद्र इसके अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में अनुसंधान करते हैं। महिला और बाल विकास पर चल रही योजनाओं या परियोजनाओं के प्रभाव का आकलन करने के लिए मूल्यांकन का आयोजन, एक स्वतंत्र पहल के रूप, या विभाग/ एजेंसी के अनुरोध पर किया जाता है। शोध कार्य का दस्तावेजीकरण व्यापक प्रसार के लिए रिपोर्ट, संकलन और मैनुअल रूप में किया जाता है। इस प्रकार के कुल 20 परियोजनाओं और अनुसंधानों का अध्ययन चालू वर्ष के दौरान पूरे होने वाले हैं।
आईसीडीएस योजना में निगरानी और पर्यवेक्षण प्रणाली को मजबूत करना- एनआईपीसीसीडी की केंद्रीय निगरानी इकाई के माध्यम से
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने, मंत्रालय में मौजूदा निगरानी और मूल्यांकन इकाई के अलावा एनआईपीसीसीडी के माध्यम से आंगनवाड़ी सेवा योजना का एक निगरानी और पर्यवेक्षण तंत्र स्थापित किया है। राष्ट्रीय स्तर पर, एनआईपीसीसीडी, नई दिल्ली में एक केंद्रीय निगरानी इकाई (सीएमयू) की स्थापना देश में आंगनवाड़ी सेवा योजना के कामकाज और कार्यान्वयन की नियमित निगरानी करने के उद्देश्य से की गई है।
2017-18 के दौरान, केंद्रीय निगरानी इकाई (सीएमयू) को पुनर्जीवित किया गया और इसमें शामिल बाहरी संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेज, होम साइंस कॉलेज और स्कूल ऑफ सोशल वर्क को अलग कर दिया गया। मौजूदा सलाहकार और परियोजना कर्मचारियों को अम्ब्रेला आईसीडीएस के अंतर्गत आंगनवाड़ी सेवा योजना की निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन अधिकारियों को ऊपर का काम सौंपा गया है।
सीएमयू के परियोजना कर्मचारी और एनआईपीसीसीडी के संकाय/ स्टाफ सदस्यों ने देश के 21 राज्यों को कवर करते हुए, 72 जिलों में 3065 आंगनवाड़ी केंद्रों, 151 आईसीडीएस परियोजनाओं और 17 एडब्लूटीसी / एमएलटीसी का निरीक्षण किया। वर्ष वार एडब्लूटीसी और आईसीडीएस परियोजनाएं निम्नानुसार हैं:
निरीक्षण की कुल संख्या
|
2018-19
(दिसंबर, 2018 तक)
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2017-18
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2016-17
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2015-16
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एडब्लूसी
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1621
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3065
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1689
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791
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आईसीडीएस परियोजनाएं
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88
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151
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323
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139
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एमसीडब्लूसीडी ने सीएमयू, एनआईपीसीसीडी के कामकाज की समीक्षा की है और यह सूचित किया है कि सीएमयू, गैर- आईसीडीएस-सीएएस जिलों तक सीमित किया जा सकता है।
20. अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह- 2018
नारी शक्ति पुरस्कार: मंत्रालय ने महिलाओं के योगदान और उनकी उपलब्धियों को अंगीकृत करने के लिए 8 मार्च 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस, 2018 मनाया। इस अवसर पर भारत के माननीय राष्ट्रपति ने 38 प्रतिष्ठित महिलाओं और संस्थानों को महिला सशक्तिकरण हेतु उनकी सेवा के लिए नारी शक्ति पुरस्कार (2017) से सम्मानित किया।
माननीय प्रधान मंत्री/ माननीय महिला एवं बाल विकास मंत्री की पुरस्कार विजेताओं के साथ बातचीत: इस खुशी के अवसर पर, भारत के प्रधान मंत्री ने नारी शक्ति पुरस्कार विजेताओं को अपने निवास पर आमंत्रित किया और 09.3.2018 को उनके साथ बातचीत करके अपना सायंकाल गुजारा।
माननीय मंत्री, डब्ल्यूसीडी ने दिल्ली के अशोक होटल में प्रतिष्ठित पुरस्कार विजेताओं के सम्मान में एक बढ़िया रात्रिभोज का आयोजन किया।
21. महिला एवं बाल विकास के राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश मंत्रियों का राष्ट्रीय सम्मेलन:
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने, महिला एवं बाल विकास मंत्री, श्रीमती मेनका संजय गांधी की अध्यक्षता में 17.07.2018 को ली मेरिडियन होटल में महिला और बाल विकास के राज्यों के प्रभारी मंत्री/ संघ राज्य मंत्रियों के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। डॉ वीरेंद्र कुमार, माननीय राज्य मंत्री और तेरह अन्य राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेशों के मंत्री और सचिवों ने इस राष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लिया।
इस सम्मेलन के दौरान, मंत्रालय की योजनाओं, नीतियों और क्रॉस-कटिंग कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा सामना की जा रही विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की गई। राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा कार्यान्वित की गई सर्वोत्तम प्रथाओं, योजनाओं और कार्यक्रमों को उनके राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों में प्रतिरूप के लिए अन्य राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के बीच साझा किया गया। सम्मेलन के विचार-विमर्श को महिलाओं और बच्चों पर अत्याचार जैसे संवेदनशील मुद्दों पर प्रभावी तरीकों से मुख्य विषय के रूप में छुआ गया और इन बुराईयों पर अंकुश लगाने के साधन पर बात किया गया।
22. सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में 21 जून, 2018 को का उत्सव:
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन, 21 जून, 2018 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सार्वजनिक सहयोग और बाल विकास संस्थान (एनआईपीपीसीडी) 5, सिरी इंस्टीट्यूशनल एरिया, हौज़ खास, नई दिल्ली के परिसर में किया गया। सभी अधिकारियों को योगाभ्यास बनियान, चटाई, दिशा-निर्देश दिए गए और बिना रूकावट के अभ्यास और समारोह के आयोजन के लिए योग शिक्षक की भी व्यवस्था की गई। सभी राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों को गर्भवती माताओं द्वारा सुरक्षित योग अभ्यास के लिए विशेष जोर देने के साथ, उपयुक्त स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की भी सलाह दी गई।
23. स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छता ही सेवा
“स्वच्छ भारत मिशन” इस मंत्रालय की मुख्य प्राथमिकता में से एक है। मंत्रालय ने 15 सितंबर, 2018 से 2 अक्टूबर, 2018 तक स्वच्छ भारत सेवा अभियान में हिस्सा लिया है। ग्राम स्तर पर, अभियान के दौरान श्रमदान के लिए सभी एडब्लूडब्लू और आईसीडीएस कार्यकर्ता शामिल थे। बच्चों द्वारा पोस्टरों के साथ रैलियां निकाली गईं, एडब्लूसी की सफेद पुताई और आसपास के इलाकों की सफाई की गई। मंत्रालय के सभी अधिकारियों/ कर्मचारियों ने श्रमदान करके स्वच्छता क्रियाकलाप में योगदान किया।
स्वच्छ भारत सेवा (स्वच्छता ही सेवा) अभियान के दौरान, खाद्य और पोषण बोर्ड (एफएनबी) ने गतिविधियों की एक श्रृंखला शुरू की है, जैसे सफाई अभियान, शौचालयों की सफाई, कार्यालय और उसके आसपास में अत्यधिक सफाई, हमारे दैनिक जीवन में स्वच्छता के लिए प्रतिज्ञा, प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग पर प्रतिबंध, विभिन्न जागरूकता गतिविधियाँ जैसे व्यक्तिगत स्वच्छता और सफाई के लिए आईईसी अभियान, पर्यावरण स्वच्छता, वृक्षारोपण, कार्यालय परिसर की सफाई, व्यक्तिगत सफाई और स्वच्छता पर फिल्म/ स्लाइड शो, हाथ धोने के नमूने का प्रदर्शन, आम जनता को स्वच्छता के साथ-साथ अन्य संबंधित गतिविधियों के लिए प्रेरित करना।
स्वच्छता पखवाड़ा:
मंत्रालय ने 1 मार्च से 15 मार्च, 2018 तक स्वच्छ्ता पखवाड़ा मनाया, जो कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस समारोह के साथ मनाया जाता है। स्वच्छता पहल के लिए, महिलाओं और बच्चों के नेतृत्व पर मुख्य रूप ले ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य, सुरक्षा, सम्मान, शिक्षा और आजीविका पर दूरगामी और व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इस पखवाड़े के दौरान, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने देश के विभिन्न राज्यों का भ्रमण किया जहां पर स्थानीय प्रशासन के साथ साझेदारी में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आने वाले स्वायत्त निकायों जैसे कि सीएआरए, एनआईपीसीसीडी, एनसीपीसीआर, एनसीडब्ल्यू और आरएमके इत्यादि और इसके अंतर्गत देश भर में फैले इसके क्षेत्रिय संगठन में स्वच्छता पखवाड़ा बड़े पैमाने पर विभिन्न गतिविधियों के साथ आयोजित किया गया।
देश भर में कुल 13,63,300 परिचालित आंगनवाड़ी केंद्रों में से, 9,29,339 आंगनवाड़ी केंद्रों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध है और 11,72,896 आंगनवाड़ी केंद्रों में पेयजल की सुविधा उपलब्ध है।
इसके अलावा, मंत्रालय ने 30.11.2018 तक, एडब्लूसी भवनों में 69,974 शौचालयों के निर्माण के लिए और एडब्लूसी भवनों में 19,993 पीने के पानी की सुविधा प्रदान करने के लिए धनराशि जारी की है।
समय-समय पर, इस मंत्रालय ने सभी राज्यों को उनके राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों में स्वच्छता पखवाड़ा के संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं और एडब्लूसी में स्वाच्छता संबंधी गतिविधियाँ आयोजित की हैं:
एडब्लूसी में सफेदी करने के लिए स्थानीय समुदायों को समावेश करना;
एडब्लूसी के अंदर और आसपास की सफाई;
अप्रचलित अभिलेखों, दस्तावेजों आदि को बाहर निकलना;
निर्मित शौचालयों की समीक्षा;
स्वच्छ्ता के लिए सीएसआर के अंतर्गत निजी क्षेत्र को शामिल करना;
एडब्लूसी के लिए किराए के भवन में शौचालय का निर्माण या ऐसे भवन में एडब्लूसी को शिफ्ट करना जहां पर शौचालय की व्यवस्था पहले से हो।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने, 13 दिसंबर 2017 को पत्र के माध्यम से, सभी राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में आंगनवाड़ी सेवाओं से संबंधित अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे 15 सितंबर, 2018 से 2 अक्टूबर, 2018 के दौरान स्वच्छ पखवाड़ा का संचालन करें और एडब्लूसी के मंच का उपयोग करके उपरोक्त गतिविधियों का संचालन करें।
खाद्य और पोषण बोर्ड ने देश भर में अपने क्षेत्रीय कार्यालयों और 42 सामुदायिक खाद्य और पोषण विस्तार इकाइयों (सीएफएनईयू) के साथ स्वच्छ पखवाड़ा मनाया। इस स्वच्छ पखवाड़ा के दौरान, क्षेत्रीय कार्यालयों और सीएफएनईयू ने स्वच्छता और सफाई के महत्व और पोषण और स्वास्थ्य की स्थिति पर इसके पड़ने वाले प्रभाव पर जोर देने के लिए विशेष गतिविधियों का आयोजन किया। आईसीडीएस, स्वास्थ्य, मध्याह्न भोजन और पंचायती राज पदाधिकारियों की भागीदारी के साथ विचार-विमर्श के दौरान निम्नलिखित गतिविधियां शामिल की गई हैं:
योजना को समझने और योजना का डिजाइन तैयार करने के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक,
व्यक्तिगत स्वच्छता और पर्यावरण स्वच्छता और पोषण के लिए एक दिवसीय कार्यशाला,
स्वच्छता अभियान - पुराने अभिलेखों की छँटाई, कार्यालय के शौचालयों की सफाई,
कार्यालय परिसर और स्टोर रूम की पेंटिंग और सफेदी,
स्वच्छ भारत पर आईईसी अभियान,
वृक्षारोपण,
स्वच्छ भारत की प्रतिज्ञा
आर.के.मीणा/एएम/ एएल/एसके-95
(Release ID: 1561633)
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