शिक्षा मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2018 - मानव संसाधन विकास मंत्रालय
Posted On:
11 JAN 2019 5:56PM by PIB Delhi
'बदलते भारत' के लिए माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 'सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा' के आदर्श वाक्य के साथ शिक्षा क्षेत्र को बदलने की दिशा में छलांग लगाई है।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने वर्ष 2018 में छात्रों की बेहतरी के लिए समग्र तौर पर विद्यालय-पूर्व, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत समग्र शिक्षा योजना शुरू की। इसके अलावा, मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने देश में अनुसंधान एवं नवाचार संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उच्चतर शिक्षा विभाग में कई नई योजनाएं शुरू की है। ऐसा देश में पहली बार हुआ है जब कोई सरकार अनुसंधान एवं नवाचार पर इतने जोर-शोर से ध्यान दे रही है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने चुनिंदा उच्च शैक्षणिक संस्थानों को उनके परिसरों में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए क्रमिक स्वायत्तता दी है ताकि वे वैश्विक संस्थानों की रैंकिंग में अपनी जगह बना सकें। इम्प्रेस, स्टडी इन इंडिया, एसपीएआरसीके, स्टार्स, एनटीए, एनडीएल, एचईएफए, एलईएपी, एआरपीआईटी और इनोवेशन सेल जैसी मानव संसाधन विकास मंत्रालय की नई महत्वपूर्ण योजनाएं/ पहल देश के शिक्षा क्षेत्र में नाटकीय बदलाव ला सकती हैं।
I. समग्र शिक्षा - स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना
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मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने स्कूली शिक्षा के लिए 2018-19 से एक एकीकृत योजना - समग्र शिक्षा शुरू की है। समग्र शिक्षा के तहत विद्यालय-पूर्व, प्राथमिक,उच्च प्राथमिक, माध्यमिक से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक एक निरंतरता के रूप में 'स्कूल' की परिकल्पना की गई है।
बीई 2018-19 में समग्र शिक्षा के लिए कुल 30,891.81 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं। 30,891.81 करोड़ रुपये में से 19,808.36 करोड़ रुपये (64%) की राशि राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्रीय हिस्सेदारी के तौर पर (31.12.2018 के अनुसार) जारी की गई है। इसके तहत शैक्षिक रूप से पिछड़े ब्लॉकों (ईबीबी), विशेष फोकस वाले जिलों (एसएफडी), सीमावर्ती क्षेत्रों और नीति आयोग द्वारा चिह्नित एस्पिरेशनल जिलों को प्राथमिकता दी जाएगी।
वर्दी के लिए आवंटन को 400 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये प्रति बच्चा प्रति वर्ष कर दिया गया है जबकि पाठ्यपुस्तकों के लिए आवंटन को 150/250 रुपये से बढ़ाकर 250/400 रुपये प्रति बच्चा प्रति वर्ष किया गया है। दमदार पाठ्यपुस्तकों को लागू किया गया है।
समग्र शिक्षा के तहत पुस्तकालय अनुदान (पढ़े भारत बढ़े भारत)
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पढ़े भारत बढ़े भारत के तहत होने वाली गतिविधियों के पूरक के तौर पर और सभी उम्र के छात्रों के बीच पढ़ने की आदत बढ़ाने के लिए सरकारी स्कूलों के लिए पुस्तकालय अनुदान प्रदान करते हुए पुस्तकों के प्रावधान सहित स्कूल पुस्तकालयों को केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना 2018-19 से समग्र शिक्षा के तहत सुदृढ़ किया जा रहा है।
पहली बार प्राथमिक से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक के स्कूलों को अलग से वार्षिक पुस्तकालय अनुदान का प्रावधान किया गया है। बच्चों में पढ़ने की आदत डालने के लिए पढ़ने के लिए विशेष जगह यानी रीडिंग कॉर्नर बनाए गए हैं। प्राथमिक से लेकर वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों के लिए पुस्तकालय अनुदान 5,000 रुपये से 20,000 रुपये तक का प्रावधान किया गया है।
वर्ष 2018-19 में विभिन्न श्रेणियों के 7,02,250 स्कूलों के लिए पुस्तकालय अनुदान के तहत 47,396.14 लाख रुपये का परिव्यय अनुमानित है।
समग्र शिक्षा के तहत खेल अनुदान (खेले इंडिया खिले इंडिया)
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बच्चों के समग्र विकास की आवश्यकता को समझते हुए समग्र शिक्षा के तहत प्रत्येक स्कूल में खेल एवं शारीरिक शिक्षा को शामिल किया है। इनडोर और आउटडोर खेलों के लिए आवश्यक खेल उपकरणों के लिए इसके तहत खेल अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
खेल शिक्षा पाठ्यक्रम का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। इनडोर और आउटडोर खेलों के खेल उपकरणों के लिए प्रावधान किया गया है। प्रत्येक स्कूल को प्राथमिक स्तर पर 5,000 रुपये, उच्चतर प्राथमिक स्तर पर 10,000 रुपये और माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक स्तर पर 25,000 रुपये तक की लागत से खेल उपकरण प्राप्त होंगे ताकि खेलों के महत्व और उसकी प्रासंगिकता पर जोर दिया जा सके।
वर्ष 2018-19 में विभिन्न श्रेणियों के 8,94,307 स्कूलों के लिए खेल अनुदान के तहत 50,690.37 लाख रुपये के परिव्यय का अनुमान है।
विशेष जरूरत वाले बच्चे (सीडब्ल्यूएसएन):
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सीडब्ल्यूएसएन लड़कियों के लिए प्रति माह 200 रुपये का वजीफा कक्षा I से XII तक प्रदान किया जाएगा।
पहले यह केवल नौवीं से बारहवीं कक्षा के लिए था। विशेष जरूरत (सीडब्ल्यूएसएन) वाले बच्चों के लिए आवंटन को 3,000 रुपये से बढ़ाकर 3,500 रुपये प्रति बच्चा प्रति वर्ष कर दिया गया है।
वर्ष 2018-19 में सीडब्ल्यूएसएन अनुदान मद में 1,02,350.91 लाख रुपये के परिव्यय का अनुमान है।
कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी)
समग्र शिक्षा योजना के तहत मौजूदा केजीबीवी में उच्चतर प्राथमिक स्तर पर और माध्यमिक स्तर पर बालिका छात्रावासों को विस्तारित/ परिवर्तित करने का प्रावधान है ताकि बारहवीं कक्षा तक छात्रों को आवासीय एवं स्कूली सुविधा प्रदान की जा सके। इसके तहत शैक्षिक रूप से पिछड़े हरेक उस ब्लॉक में कक्षा VI से XII तक की लड़कियों के लिए कम से कम एक आवासीय विद्यालय की सुविधा प्रदान की जाएगी जहां किसी अन्य योजना के तहत आवासीय विद्यालय नहीं है।
एसएसए, आरएमएसए और टीई के लिए मौजूदा मानदंड
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एकीकृत योजना के तहत नए मानदंड
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केजीबीवी एवं बालिका छात्रावास
- एसएसए के तहत केजीबीवी के लिए प्रावधान छठी से आठवीं कक्षा तक। आरएमएसए के तहत बालिका छात्रावास का प्रावधान नौवीं से बारहवीं कक्षा तक।
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बालिकाओं के प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर में सुचारू तौर पर स्थानांतरण के लिए केजीबीवी को बारहवीं कक्षा तक बढ़ाया जाएगा।
बेहतरी के लिए उन केजीबीवी को प्राथमिकता दी जाएगी जहां एक ही परिसर में बालिका छात्रावास की स्थापना की गई हो।
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यह योजना मुख्य तौर पर 10 से 18 वर्ष के आयु वर्ग की उन लड़कियों पर केंद्रित है जो छठी से बारहवीं कक्षा में अध्ययन करना चाहती हों और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग,अल्पसंख्यक समुदाय एवं बीपीएल परिवार से संबंधित हों। भवन निर्माण के लिए गैर-आवर्ती अनुदानों के अलावा श्रमबल लागत सहित सभी खर्चों के लिए आवर्ती अनुदान इस प्रकार प्रदान किया गया है: -
- छठी से आठवीं कक्षा के लिए केजीबीवी के लिए प्रति वर्ष 60 लाख रुपये तक।
- छठी से दसवीं कक्षा के लिए केजीबीवी के लिए प्रति वर्ष 80 लाख रुपये तक।
- छठी से बारहवीं कक्षा के लिए केजीबीवी के लिए प्रति वर्ष 1 करोड़ रुपये तक।
- नौवीं से बारहवीं कक्षा के लिए एकल बालिका छात्रावास के लिए प्रति वर्ष 25 लाख रुपये तक ।
वर्ष 2000-01 में एसएसए की शुरुआत के बाद से 2017-18 तक 3,66,773 बालिकाओं के नामांकन के साथ 3,703 केजीबीवी स्वीकृत किए गए हैं। केजीबीवी के खर्च को पूरा करने के लिए 2018-19 के दौरान 3,269.86 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय का अनुमान है। वर्ष 2018-19 के दौरान उन्नयन के लिए 1,232 केजीबीवी को मंजूरी दी गई है। स्वीकृत क्षमता के अनुसार 7.25 लाख से अधिक ग्रामीण लड़कियों को लाभ होगा और उनमें से अधिकतर लड़कियां एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक एवं समाज के अन्य वंचित वर्गों से होंगी।
व्यावसायिक शिक्षा 'समग्र शिक्षा' के साये तले एक योजना है। इसके तहत अर्थव्यवस्था और वैश्विक बाजार के विभिन्न क्षेत्रों के लिए शिक्षित, रोजगारपरक एवं प्रतिस्पर्धी मानव संसाधन तैयार करने के उद्देश्य से सामान्य शैक्षणिक शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत करने पर जोर दिया गया है। इस योजना में सरकारी स्कूल और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल शामिल हैं।
इस योजना में छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा के लिए अवसर प्रदान करने का प्रावधान है। इस योजना के तहत इस वर्ष (2018-19) 1,501 स्कूलों को स्वीकृति सहित अब तक कुल 9,623 स्कूलों को मंजूरी दी गई है। स्वीकृत 9,623 सकूलों में से अब तक 7,470 स्कूलों में यह योजना लागू की गई है। इसके तहत फिलहाल 8,33,041 छात्रों की रिपोर्ट दर्ज की गई है।
एनएसक्यूएफ के अुनरूप व्यावसायिक पाठ्यक्रम 9वीं से 12वीं कक्षा के छात्रों को पढ़ाया जाता है। माध्यमिक स्तर पर यानी कक्षा 9वीं और 10वीं में छात्रों को एक अतिरिक्त विषय के रूप में व्यावसायिक मॉड्यूल की पेशकश की जाती है। सीनियर सेकेंडरी स्तर पर यानी कक्षा XI और XII में व्यावसायिक पाठ्यक्रम अनिवार्य (वैकल्पिक) विषय के रूप में पेश किए जाते हैं। इस कार्यक्रम के तहत कर्मियों की व्यवस्था का प्रावधान है ताकि औद्योगिक सेटअप में छात्रों के लिए प्रशिक्षण एवं उद्योग जगत से अतिथियों के व्याख्यान की व्यवस्था हो सके। राज्य सरकारों को सलाह दी गई है कि व्यावसायिक शिक्षा को अन्य शैक्षणिक विषयों के समान माना जाए और समान दर्जा दिया जाए।
II. अधिगम परिणाम एवं मूल्यांकन में सुधार
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प्रारंभिक स्तर के लिए अधिगम परिणाम दस्तावेज को दो रूपों में विकसित किया गया है। पूर्ण दस्तावेज में कक्षा I से VIII तक पाठ्यक्रम में अपेक्षाओं, शैक्षणिक प्रक्रियाओं और अधिगम परिणाम को शामिल किया गया है। यह दस्तावेज शिक्षकों एवं शिक्षक प्रशिक्षकों और स्कूल प्रशासन के लिए स्कूलों में सीखने की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने और बढ़ाने के लिए है। इसके कॉम्पैक्ट संस्करण में प्रत्येक कक्षा में प्रत्येक विषय के लिए केवल अधिगम परिणाम को शामिल किया गया है। देश के 24 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों (बिना विधायिका वाले केंद्रशासित प्रदेशों और जम्मू कश्मीर ने केंद्रीय नियमों को अपनाया है) ने अपने राज्य के नियमों में अधिगम परिणामों को शामिल किया है।
एनसीईआरटी ने छात्रों के अधिगम परिणामों को बढ़ाने के लिए व्यवस्थित इनपुट प्रदान करने के लिए 190 प्राथमिक और 100 उच्चतर प्राथमिक स्कूलों के साथ मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में इछावर नामक एक ब्लॉक को अपनाया। बुनियादी सर्वेक्षण के बाद पिछले एक साल से किट एवं अन्य सामग्री और आर्ट इंटीग्रेटेड लर्निंग के उपयोग सहित सभी शैक्षणिक प्रक्रियाओं के संबंध में इनपुट जारी किए गए हैं।
इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में पांच ब्लॉकों (दक्षिण, पूर्व, उत्तर और पूर्वोत्तर में दो) को एनसीईआरटी द्वारा अधिगम परिणामों के लिए अपनाया गया है जहां अधिगम परिणामों को बेहतर करने के लिए एनसीईआरटी शिक्षाशास्त्र एवं सामग्री को लागू किया गया है। प्राथमिक कक्षाओं एवं उच्चतर प्राथमिक कक्षाओं दोनों के लिए अधिगम परिणामों की उपलब्धि पर अध्ययन करने की योजना बनाई गई है।
एनसीईआरटी ने अधिगम परिणामों की उपलब्धियों को बढ़ाने के लिए देश के छह ब्लॉकों में शोध अध्ययन किए। इस शोध अध्ययन से (i) प्रत्येक वर्ग के लिए पहचाने गए अधिगम परिणामों के लिए उपयुक्त आयु एवं विकास का आकलन करने में मदद मिलेगी और (ii) अधिगम परिणामों की उपलब्धि के लिहाज से एनसीईआरटी द्वारा तैयार रणनीतियों एवं सामग्रियों की पर्याप्तता का आकलन करने में मदद मिलेगी।
अन्य प्रमुख प्रदर्शन संकेतक सहित अधिगम परिणाम की समस्या को दूर करने के लिए संबंधित एससीईआरटी और जिला प्रशासन के सहयोग से एस्पिरेशनल जिलों में हस्तक्षेप करने की योजना भी है। माध्यमिक स्तर के लिए अधिगम परिणामों को एनसीईआरटी द्वारा विकसित किया जा रहा है और इसे अंतिम रूप देने के बाद साझा किया जाएगा।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2017-18
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एनएएस ने कक्षा 3, 5, 8 और 10 में छात्रों के अधिगम स्तर का मूल्यांकन किया। शुरू में जिला रिपोर्ट कार्ड जारी किए गए और बाद में कक्षा 3, 5 और 8 के लिए राज्य अधिगम रिपोर्ट मई 2018 में वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए। कक्षा 10 के लिए राज्य अधिगम रिपोर्ट नवंबर 2018 में उपलब्ध थीं। राज्य अधिगम रिपोर्ट के निम्नलिखित दो लिंक हैं:
http://www.ncert.nic.in/programmes/NAS/SRC.html
http://www.ncert.nic.in/programmes/NAS/SRCX.html
विभिन्न राज्यों में सभी जिलों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एनएएस के बाद हस्तक्षेप (2018-19) शुरू किया गया। जिलों को प्रतिपुष्टि देने के लिए अधिगम में अंतर की पहचान का इस्तेमाल किया गया। स्कूलों में अधिगम गुणवत्ता में सुधार के लिए हस्तक्षेप का एक ढांचा सुझाया जा रहा है। हस्तक्षेपों की डिजाइनिंग और कार्यान्वयन में स्कूल के नेताओं, शिक्षकों और समूहों, ब्लॉक, डीआईईटी,एससीईआरटी और विभिन्न राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों में शिक्षा निदेशालयों के अधिकारियों का पूरा नेटवर्क शामिल है।
विभिन्न मध्यावधि एनएएस बाद के हस्तक्षेप शुरू किए गए हैं जिसमें डीआईईटी, बीआरसीसी एवं अन्य हितधारकों के साथ एनएएस के निष्कर्षों को साझा करना शामिल है। इसके अलावा इसमें विभिन्न ग्रेड स्तरों पर अधिगम परिणामों को बढ़ाने के लिए अधिगम रणनीतियों को विकसित करने पर बीआरसीसी, सीआरसीसी और शिक्षकों का उन्मुखीकरण, राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में शिक्षण अधिगम को बेहतर बनाने के लिए मूल्यांकन आंकड़ों के उपयोग में स्कूल नेताओं का उन्मुखीकरण, राज्य के अधिकारियों (एससीईआरटी/ एसआईई) के समर्थन के साथ सीखने के अंतराल को कम करने के लिए वैकल्पिक शिक्षण रणनीतियों का उपयोग करने में शिक्षकों की सुविधा और सीखने के स्तर में सुधार के लिए समुदाय से समर्थन प्राप्त करना शामिल हैं।
एनसीईआरटी द्वारा छत्तीसगढ़, सिक्किम, त्रिपुरा, गुजरात, महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर और गोवा के सहयोग से एनएएस बाद हस्तक्षेप शुरू किए गए हैं।
ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड (ओडीबी) अगले पांच वर्षों में माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक कक्षाओं के साथ सभी 1,01,580 स्कूलों को स्मार्ट क्लासरूम सुविधा प्रदान करेगा। इन स्कूलों के सभी क्लास रूम में यह सुविधा होगी जिससे छात्रों के बीच डिजिटल पैठ बढ़ेगी और उन्हें डिजिटल शिक्षण की सुविधा मिलेगी।
स्कूल आधारित मूल्यांकन (वार्षिक उपलब्धि सर्वेक्षण)
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अधिगम परिणामों का निष्पक्ष रूप से मूल्यांकन करने के लिए इस विभाग ने पहले से ही नियमित अंतराल पर बाहरी मूल्यांकन के लिए राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) आयोजित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सभी हितधारकों के साथ विस्तृत बातचीत के बाद यह प्रक्रिया तैयार की गई है। वर्ष 2017-18 में आयोजित एनएएस के परिणाम पहले से ही सार्वजनिक डोमेन पर उपलब्ध हैं।
इसके अलावा 2017 में आयोजित एनएएस के दौरान 22 लाख छात्रों के सर्वेक्षण से एकत्र किए गए सबूतों और अधिगम परिणाम में सुधार के लिए एक ढांचा तैयार करने के लिए एनसीईआरटी के एक पायलेट सर्वेक्षण में विभिन्न लक्षित हस्तक्षेप के आधार पर 2019 में स्कूल आधारित मूल्यांकन (एसबीए) आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। यह संबंधित स्कूलों द्वारा छात्रों की एक गुणात्मक एवं बिना खतरा वाली मूल्यांकन प्रक्रिया होगी।
बाहरी मूल्यांकन के साथ ये मात्रात्मक एवं गुणात्मक मूल्यांकन तकनीक यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि वांछित अधिगम परिणाम तक पहुंच सुनिश्चित हुआ है। इसलिए ये दोनों मूल्यांकन आवश्यक हैं जो एक तार्किक निरंतरता बनाते हैं।
प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स असेसमेंट (पीआईएसए) में भारत की भागीदारी
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प्रोग्राम फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट्स असेसमेंट (पीआईएसए) का आयोजन 2021 में आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) द्वारा किया जाएगा। पीआईएसए को ओईसीडी द्वारा 1997 में शुरू किया गया था जो पहले 2000 में प्रशासित हुआ था और अब इसमें लगभग 80 देशों को शामिल किया गया है। पीआईएसए की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
i. पीआईएसए एक त्रैवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण (प्रत्येक तीन वर्ष के अंतराल पर) है जिसका उद्देश्य 15 वर्ष उम्र के छात्रों के कौशल एवं ज्ञान का परीक्षण करके दुनिया भर में शिक्षा प्रणाली का मूल्यांकन करना है।
ii. छात्रों का मूल्यांकन पढ़ने, गणित, विज्ञान एवं साथ मिलकर समस्याओं के समाधान के आधार पर किया गया।
iii. देश के भीतर (या खास भौगोलिक क्षेत्र भी इसके दायरे) पीआईएसए में स्कूली शिक्षा के सभी रूपों यानी सरकारी, निजी, सरकारी सहायता प्राप्त स्कलों का प्रतिनिधित्व करने वाले 15 वर्षीय छात्रों का एक नमूना लिया गया है। यानी यह नमूना स्कूल जाने वाले 15 वर्ष आयु वाले छात्रों की पूरी आबादी से तैयार किया गया।
iv. सामग्री-आधारित मूल्यांकन के विपरीत पीआईएसए उन उपायों को मापता है जिनसे छात्रों ने उन प्रमुख दक्षताओं को हासिल किया है जो आधुनिक समाजों में पूर्ण भागीदारी के लिए आवश्यक हैं।
v. पीआईएसए में भागीदारी विभिन्न देशों के बीच बेंचमार्क प्रदर्शन सुनिश्चित करती है।
vi. पीआईएसए अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क से संबद्ध परीक्षण आईटम का उपयोग करता है। परीक्षण आईटम को स्थानीय परिदृश्य और भाषा के अनुरूप तैयार किया जाता है। परीक्षण के लिए उपयोग किए जाने से पहले उनका परीक्षण और सत्यापन किया जाता है।
भारत केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस), नवोदय विद्यालय समिति (एनवीएस) और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ द्वारा संचालित स्कूलों के माध्यम से पीआईएसए 2021 में भाग लेगा। पूरी तरह विचार-विमर्श करने के बाद यह तय किया गया कि कंप्यूटर-आधारित परीक्षण मोड इस समय भारतीय छात्रों के लिए उपयुक्त नहीं होगा और अब परीक्षण का तरीका पेपर-आधारित होगा। पीआईएसए 2021 की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस उद्देश्य के लिए एमएचआरडी और ओईसीडी के बीच एक अंतर्राष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। विश्व बैंक पीआईएसए से संबंधित सभी गतिविधियों के लिए तकनीकी सहायता के साथ-साथ 56 लाख अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता भी प्रदान करेगा।
एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकों की समीक्षा
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एनसीईआरटी ने 2017-18 में राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005 के अनुसरण में एनसीईआरटी द्वारा तैयार पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकों की समीक्षा की है। एनसीएफ- 2005 की अनुवर्ती के रूप में तैयार एनसीईआरटी के सभी पाठ्यपुस्तकों को बेहतर बनाने के लिए उनकी समीक्षा की गई है। एनसीईआरटी के पाठ्य पुस्तकों पर शिक्षकों के सुझावों के लिए एक पोर्टल भी बनाया गया है। शिक्षकों से प्राप्त सुझावों का विश्लेषण किया गया और उपयुक्त पाए जाने पर उन्हें पाठ्य पुस्तकों में शामिल भी किया गया है। इसके अलावा स्वच्छ भारत, डिजिटल इंडिया, बेटी बचाओ बेटी पढाओ, विमुद्रीकरण आदि राष्ट्रीय पहल को भी एकीकृत तरीके से समीक्षा की गई और पाठ्य पुस्तकों में जगह दी गई है। वर्ष 2011 की जनगणना के संदर्भ में आंकड़ों को भी अद्यतन किया गया। वर्ष 2018-19 के लिए पाठ्य पुस्तकों की समीक्षा की गई है।
एनसीईआरटी ने माध्यमिक एवं वरिष्ठ माध्यमिक स्तर के पाठ्यक्रम एवं पाठ्य पुस्तकों पर चर्चा करने और मूल्यांकन एवं परीक्षा से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए सात संयुक्त समितियों का गठन किया जिसमें एनसीईआरटी, सीबीएसई, एनवीएस और केवीएस से सदस्यों को शामिल किया गया। इन समितियों का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय में 5 जून 2017 और 5 जुलाई 2017 को स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक के अनुरूप किया गया। इन बैठकों में दो प्रमुख सिफारिश की गई थीं- 1. सीबीएसई अब किसी पाठ्यपुस्तक को प्रकाशित नहीं। सभी पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन केवल एनसीईआरटी द्वारा किया जाएगा। 2. इन मुद्दों पर आगे चर्चा करने के लिए संयुक्त समितियों का गठन किया जाएगा।
संयुक्त समितियों ने सितंबर से नवंबर 2017 के दौरान अपनी बैठकें कीं और आगे की कार्रवाइयों के लिए सभी सहभागी संगठनों के साथ बैठकों के मिनट्स को साझा किया। इन संयुक्त समितियों की बैठक के बाद एनसीईआरटी ने IX और X कक्षा के लिए अंग्रेजी और संस्कृत में कार्य पुस्तिका तैयार करने और कंप्यूटर विज्ञान (XI-XII), सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (IX-XII) और इन्फॉर्मेटिक्स प्रैक्टिसेज (XI-XII) के साथ-साथ जैव प्रौद्योगिकी (XI-XII) के लिए पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों को अद्यतन एवं विकसित करने की पहल की है।
वर्ष 2018-19 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाह के अनुसार एनसीईआरटी ने पाठ्यचर्या को युक्तिसंगत बनाने की पहल के तहत अपनी पाठ्य पुस्तकों की फिर से समीक्षा की है। इस संबंध में मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विभिन्न हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए। प्राप्त सुझावों का विश्लेषण एनसीईआरटी के संकाय सदस्यों द्वारा विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों के साथ किया गया। अब एनसीईआरटी 2019-20 के लिए अपनी पाठ्यपुस्तकों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है। इसके तहत प्रत्येक पाठ्यपुस्तक के शीर्षक में क्यूआर कोड शामिल किया गया है।
एनसीईआरटी 6 करोड़ से अधिक पाठ्यपुस्तकों को वितरित करेगा
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एनसीईआरटी ने आम लोगों, स्कूलों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सीधे तौर पर पाठ्यपुस्तकों की खरीद की सुविधा प्रदान करने के लिए अगस्त 2017 में एक पोर्टल शुरू किया। एनसीईआरटी ने सत्र 2014-15 के लिए जून 2014 तक 4.15 करोड़ पाठ्यपुस्तकों, सत्र 2015-16 के लिए जून 2015 तक 4.17 करोड़ पाठ्यपुस्तकों, सत्र 2016-17 के लिए जून 2016 तक 4.35 करोड़ पाठ्यपुस्तकों, सत्र 2017-18 के लिए जून 2017 तक 4.63 करोड़ पाठ्यपुस्तकों और सत्र 2018-19 के लिए जून 2018 तक 5.91 करोड़ पाठ्यपुस्तकों का मुद्रण किया। उम्मीद है कि एनसीआरटी सत्र 2019-20 के लिए जून 2019 तक 6.03 करोड़ पाठ्यपुस्तकों की छपाई करेगा। पाठ्यपुस्तकों का वितरण दिल्ली के अलावा अहमदाबाद, बेंगलूरु, गुवाहाटी और कोलकाता में पहले से स्थापित चार क्षेत्रीय उत्पादन-सह-वितरण केंद्रों के माध्यम से किया जाएगा। एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तकों के वितरण के लिए देश भर में 895 विक्रेताओं को सूचीबद्ध किया है।
एनसीईआरटी की किताबें डिजिटल संस्करण में मुफ्त उपलब्ध हैं। करीब 15 लाख छात्रों ने ई-पाठशाला ऐप डाउनलोड किए हैं। महज एक साल में इस पर आगंतुकों की संख्या 3 करोड़ के पार पहुंच गई है।
III. विश्वसनीय आंकड़े एवं जवाबदेही
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यूडीआईएसई + (यूडीआईएसई प्लस)
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यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफॉर्मेशन ऑन स्कूल एजुकेशन (यूडीआईएसई) देश के सभी स्कूलों का डेटा एकत्र करता है। वर्ष 2018-19 से यूडीआईएसई को अद्यतन करने और नई सुविधाओं को शामिल करने का निर्णय लिया गया है। यूडीआईएसई + (यानी यूडीआईएसई प्लस) ऐप्लिकेशन ऑनलाइन होगा और धीरे-धीरे वास्तविक समय के डेटा एकत्र करने की दिशा में आगे बढ़ेगा। यूडीआईएसई + ऐप्लिकेशन की डेटा संग्रह के अलावा निम्नलिखित विशेषताएं होंगी:
क.) डेटा एनालिटिक्स और डेटा विजुअलाइजेशन के साथ एक डैशबोर्ड विकसित किया जाएगा। इसमें वर्षों से प्रवृत्ति का अध्ययन करने और वृद्धि की निगरानी करने के लिए समय श्रृंखला डेटा शामिल होगा। प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों में प्रगति पर नजर रखी जाएगी।
ख.) इस प्रणाली को जीआईएस मैपिंग से जोड़ा जाएगा और स्कूल रिपोर्ट कार्ड तैयार किए जाएंगे।
ग.) डेटा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए एक मोबाइल ऐप सहित तीसरे पक्ष के सत्यापन के लिए एक अलग मॉड्यूल विकसित किया जाएगा।
डेटा संग्रह की प्रक्रिया जनवरी 2019 में शुरू होगी।
परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (पीजीआई)
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पीजीआई का उद्देश्य स्कूली शिक्षा के 70 संकेतकों के आधार पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ग्रेडिंग करना है।
i. यह सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ग्रेडिंग करेगा और इस प्रकार एक से अधिक राज्य/केंद्रशासित प्रदेश को समान ग्रेड भी दिया जा सकता है। इसलिए सभी 36 राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अंततः उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएंगे। पीजीआई की परिकल्पना राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को कुछ प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के एक उपकरण के तौर पर की गई है जैसे शिक्षक भर्ती और स्थानांतरण, छात्रों और शिक्षकों की इलेक्ट्रॉनिक उपस्थिति आदि।
ii. पीजीआई के सत्तर (70) संकेतक हैं जिन्हें दो श्रेणियों अर्थात परिणामों और शासन प्रक्रियाओं में विभाजित किए गए हैं। पहली श्रेणी को चार डोमेन- अधिगम परिणाम, एक्सेस परिणाम, बुनियादी ढांचा एवं सुविधाएं और इक्विटी परिणाम- में विभाजित किया गया है। दूसरी श्रेणी शासन प्रक्रियाओं के बारे में है जिसमें उपस्थिति, शिक्षक पर्याप्तता, प्रशासनिक पर्याप्तता, प्रशिक्षण, जवाबदेही और पारदर्शिता को शामिल किया गया है।
पीजीआई के तहत कुल भारांश हजार अंकों का है। प्रत्येक संकेतक को बीस या दस अंक दिए गए हैं।
वर्ष 2017-18 के लिए सभी राज्य/ केंद्रशासित प्रदेशों के आंकड़े प्राप्त हो गए हैं और उन्हें संकलित कर लिया गया है। अंतिम ग्रेडिंग यूनिसेफ द्वारा आंकड़ों के तीसरे पक्ष के सत्यापन के बाद की गई है। सूचकांक जल्द ही आधिकारिक तौर पर जारी किया जाएगा।
माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री ने 18 जनवरी 2017 को शगुन पोर्टल- www.seshagun.nic.in को लॉन्च किया। इसके दो मॉड्यूल हैं- (1) नवप्रवर्तन का भंडार और (2) ऑनलाइन निगरानी।
रिपॉजिटरी: अच्छी प्रथाओं का यह भंडार सकारात्मक कहानियों एवं विकास पर ध्यान केंद्रित करता है जो स्कूली शिक्षा में प्रदर्शन को बेहतर बना रहे हैं। इन नवीन प्रथाओं को केस स्टडी, वीडियो, प्रशंसा-पत्र और छवियों के रूप में तैयार किया जाता है।
यह डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रारंभिक शिक्षा के क्षेत्र में पंजीकृत होने वाली सफलता की कहानियों, अभिनव विचारों से आम लोगों, मीडिया, हितधारकों, प्रभावित करने वालों और वैश्विक शिक्षाविदों को अवगत कराने के लिए है। राज्य सरकारों, पब्लिक स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों को लाभ पहुंचाने वाले नवाचारों को इस भंडार के माध्यम से तैयार और प्रसारित किया जाता है। शगुन रिपॉजिटरी में सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं पर 277 वीडियो, 266 केस स्टडी, 151 प्रशंसा-पत्र और 4,537 तस्वीरें मौजूद हैं।
वर्ष 2018-19 में विभाग ने रिपॉजिटरी के दायरे में अपनी सभी योजनाओं और विभिन्न स्वायत्त निकायों जैसे एनसीईआरटी, एनआईईपीए, सीबीएसई, एनसीटीई, एनआईओएस, केवीएस, एनवीएस और राष्ट्रीय बाल भवन (एनबीबी) की गतिविधियों को लाने के लिए उसका विस्तार करने का निर्णय लिया।
निगरानी: शगुन का ऑनलाइन निगरानी मॉड्यूल प्रमुख शैक्षिक संकेतकों के आधार पर राज्य-स्तरीय प्रदर्शन एवंप्रगति को मापता है जो राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के शिक्षा विभाग को वास्तविक समय पर मूल्यांकन करने में समर्थ बनाता है।
इसके मुख्य कार्यों में रकम के उपयोग पर नजर रखना, प्रमुख शैक्षिक संकेतकों के आधार पर प्रदर्शन का आकलन करना, ऑनलाइन योजना तैयार करना एवं लक्ष्य निर्धारित करना और परिणामों की निगरानी करना शामिल हैं।
यह पोर्टल डेटा एनालिटिक्स की सुविधा प्रदान करता है और ग्राफिक्स तैयार करता है जो पहचाने गए प्रमुख मानदंडों पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। इन प्रमुख मपनदंडों में मुख्यधारा में लाए गए स्कूली बच्चों की सटीक संख्या, सरकारी और निजी स्कूलों में नामांकन में वृद्धि या कमी, अधिगम परिणाम बढ़ाने और शिक्षकों के वेतन मद में खर्च में बढ़ोतरी आदि शामिल हैं।
एक प्रमुख पहल के तहत अगस्त से सितंबर 2019 के दौरान देश भर के सभी सरकारी स्कूलों का दौरा और जांच की जाएगी। शगुनोत्सव मुख्य तौर पर सभी स्कूलों में बुनियादी ढांचा और सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करेगा और इसे ऑनलाइन मैप किया जाएगा। प्राप्त प्रतिपुष्टि का उपयोग प्रदर्शन ग्रेडिंग इंडेक्स के तहत यूडीआईएसई + डेटाबेस और कुछ संकेतकों को सत्यापित करने में किया जाएगा।
IV. अच्छे प्रदर्शन को मान्यता
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शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार
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इन पुरस्कारों की शुरुआत 1958 में की गई थी। 1960 के दशक के मध्य से 5 सितंबर को भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर समारोह के लिए निश्चित तारीख तय की गई। बाद के वर्षों में इन पुरस्कारों की संख्या बढ़कर 378 तक हो गई लेकिन यह महसूस किया गया कि इन पुरस्कारों का कद कम हो रहा है।
वर्ष 2018 में इस योजना के प्रमुख दिशानिर्देशों को संशोधित और प्रमुख राष्ट्रीय पुरस्कारों के पैटर्न बदलाव किया गया था। नई योजना पारदर्शी, निष्पक्ष है और ये पुरस्कार उत्कृष्टता एवं प्रदर्शन को प्रदर्शित करते हैं।
नई योजना की विशेषताएं इस प्रकार हैं:-
- शिक्षकों से ऑनलाइन स्व-नामांकन www.mhrd.gov.in पर आमंत्रित किए गए थे। इस वेब पोर्टल को भारतीय प्रशासनिक स्टॉफ कॉलेज (एएससीआइ्र) द्वारा विकसित किया गया था और सभी सॉफ्टवेयर परिचालन बिना किसी खराबी अथवा शिकायत के आसानी से हुआ।
- देश भर के शिक्षकों से लगभग 6,000 आवेदन प्राप्त हुए थे जो इसके सफल होने का स्पष्ट संकेत था।
- इसके लिए सभी नियमित शिक्षक पात्र थे और न्यूनतम सेवा की आवश्यकता नहीं थी। इसने मेधावी युवा शिक्षकों को आवेदन करने में समर्थ बनाया।
- पुरस्कारों की संख्या को 45 कर दिया गया जिससे इन पुरस्कारों की प्रतिष्ठा बहाल हुई।
- अंतिम चयन में किसी राज्य, केंद्रशासित प्रदेश अथवा संगठन का कोटा नहीं दिया गया। यह उन्हें पुरस्कारों के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
- राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वतंत्र जूरी ने अंतिम चयन किया। जूरी ने सभी राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और संगठनों द्वारा अग्रसारित 152 उम्मीदवारों की सूची की समीक्षा की। प्रत्येक नामांकित व्यक्ति ने जूरी के समक्ष एक प्रस्तुति दी जिसने अंतिम मूल्यांकन किया और राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए 45 नामों की सिफारिश की।
माननीय प्रधानमंत्री ने 4 सितंबर 2018 को अपने निवास पर पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों के साथ बातचीत की और उन्हें सम्मानित किया। माननीय प्रधानमंत्री ने भी पुरस्कार प्राप्त शिक्षकों के साथ अपनी बातचीत के बारे में ट्वीट किया।
हालांकि झारखंड के श्री अरविंद जजवारे और महाराष्ट्र के श्री विक्रम अडसुल जैसे पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं ने छात्रों के ड्रॉप आउट घटाने और नामांकन बढ़ाने के लिए आनंदपूर्ण तरीके से अधिगम पर जोर दिया। गुजरात के श्री राकेश पटेल, राजस्थान के श्री इमरान खान जैसे शिक्षकों ने आईसीटी एवं बच्चों के अनुकूल गतिविधि आधारित शिक्षा को अपने स्कूलों को लागू किया ताकि अधिगम में सुधार लाया जा सके। इसी प्रकार कर्नाटक की सुश्री शैला आरएन जैसी शिक्षिकाओं ने छात्रों की भलाई के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए सामुदायिक समर्थन जुटाया जबकि सिक्किम की सुश्री कर्मा चोमू भूटिया ने नामांकन बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत की।
भारत के माननीय उपराष्ट्रपति ने 5 सितंबर 2018 को विज्ञान भवन में पुरस्कार प्रदान किया। समारोह के दौरान प्रत्येक पुरस्कार विजेता की उपलब्धियों पर फिल्में भी दिखाई गईं।
स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के तहत सबसे स्वच्छ स्कूलों को पुरस्कृत किया गया
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स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने स्वच्छ विद्यालय पहल को एक कदम आगे बढ़ाते हुए 2016-17 में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार (एसवीपी) शुरू किया। ये पुरस्कार स्कूलों में स्वच्छता के प्रति व्यवहार में बदलाव और दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए दिए जाते हैं। स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार स्कूलों में जल, साफ-सफाई और स्वच्छता संबंधी गतिविधियों में उत्कृष्टता को पहचानने, उसे प्रेरित करने और उसे मनाने के लिए एक पहल है। इस पुरस्कार के लिए स्कूलों ने वेबसाइट और मोबाइल ऐप के माध्यम से स्वेच्छापूर्वक ऑनलाइन आवेदन किया था। स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2017-18 में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के अलावा निजी स्कूलों को भी शामिल किया गया।
पुरस्कारों के लिए पद्धति
पुरस्कारों के लिए स्कूलों का चयन पांच उप-श्रेणियों में उनके द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर किया जाता है जिनके नाम हैं (i) जल, (ii) शौचालय, (iii) साबुन, (iv) संचालन एवं रखरखाव, (v) व्यवहार परिवर्तन एवं क्षमता निर्माण। राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने गए सर्वश्रेष्ठ स्कूलों को मान्यता प्रमाण पत्र के साथ स्कूल में साफ-सफाई एवं स्वच्छता की स्थिति को बनाए रखने और उसमें सुधारने लाने के लिए अतिरिक्त स्कूल अनुदान के तौर पर 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है। स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार में भाग लेने वाले सर्वश्रेष्ठ राज्यों और शीर्ष जिलों को भी मान्यता दी गई है।
स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2017-18
एसवीपी 2017-18 को स्कूलों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली। स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार 2017-18 के लिए 6,15,152 स्कूलों ने ऑनलाइन पंजीकरण किया जो पिछले वर्ष इसमें भाग लेने वाले स्कूलों की तुलना में दोगुना से भी अधिक है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने पुरस्कारों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर 727 स्कूलों को चुना।
क्रॉस सत्यापन और पूरी तरह से स्क्रीनिंग के बाद शीर्ष 52 स्कूलों को एसवीपी 2017-18 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। शीर्ष 4 राज्य अर्थात पुदुचेरी, तमिलनाडु, गुजरात एवं आंध्र प्रदेश और सर्वश्रेष्ठ 9 जिले पांडिचेरी, श्रीकाकुलम, चंडीगढ़, हिसार, कराईकल, लातूर, नेल्लोर, दक्षिण गोवा और वडोदरा को 18.9.2018 को आयोजित एक समारोह के दौरान मान्यता प्रमाण पत्र दिए गए।
V. विभाग द्वारा संचालित विद्यालय
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वर्ष 2018-19 के दौरान स्वीकृत नए केवी:
सीसीईए द्वारा 01.08.2018 को 13 केंद्रीय विद्यालय स्वीकृत किए गए जो इन जिलों में हैं: बागपत (उत्तर प्रदेश), चंदेल (मणिपुर), वाशिम (महाराष्ट्र), चिकबल्लापुर (कर्नाटक), ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश), सिद्दीपेट (तेलंगाना), परभणी (महाराष्ट्र), औरंगाबाद (एलडब्ल्यूई) (बिहार), नवादा (एलडब्ल्यूई) (बिहार), पलामू (एलडब्ल्यूई (झारखंड), बांदा (उत्तर प्रदेश), भदोही (उत्तर प्रदेश) और मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)।
खोले गए नए केवी का विवरण:
वर्ष 2018-19 के दौरान पूरे भारत में 16 नए केवी खोले गए जो इन जिलों में हैं- कोप्पल (कर्नाटक), पथनमथिट्टा (केरल), सिवनी (मध्य प्रदेश), जोधपुर (राजस्थान), पाली (राजस्थान), निजामाबाद (तेलंगाना), औरंगाबाद (बिहार), मैसूरु (कर्नाटक), बागपत (उत्तर प्रदेश), चंदेल (मणिपुर), वाशिम (महाराष्ट्र), चिक्काबल्लापुर (कर्नाटक), सिद्दीपेट (तेलंगाना), परभणी (महाराष्ट्र), हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश) और एसएसजी, सीआईएसएफ कैंप, ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश)।
वर्ष 2018-19 के दौरान पूरा होने वाले स्कूल भवनों का विवरण:
निम्नलिखित नए स्कूल भवनों को पूरा किया गया- असम में तीन इमारतें (तामुलपुर, गोलाघाट और हाफलोंग), बिहार में दो (सासाराम और अररिया), छत्तीसगढ़ में दो (राजनांदगांव और जांजगीर),नरेला (दिल्ली) में एक, गुजरात में दो (जेटपुर और वीरमगांव), कठुआ (जम्मू-कश्मीर) में एक, गोड्डा जिले (झारखंड) में एक, करवार (कर्नाटक) में एक, मध्य प्रदेश में चार (टीकमगढ़, नंबर 2 रीवा,श्योपुर और दतिया), उत्तर प्रदेश में दो (हरदोई और शिवगढ़), राजगढ़ी (उत्तराखंड) में एक और बीएसएफ गांधीनगर (पश्चिम बंगाल) में एक।
वर्ष 2018-19 के दौरान उद्घाटन किए गए स्कूल भवनों का विवरण:
वर्ष 2018-19 के दौरान पूरे भारत में 14 नए केवी स्कूल भवनों का उद्घाटन किया गया जो इस प्रकार हैं- सासाराम (बिहार), कठुआ (जम्मू-कश्मीर), नंबर 2 रीवा एवं टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश), राजनांदगांव (छत्तीसगढ़), गोड्डा (झारखंड), जाजपुर एवं केंद्रपाड़ा (ओडिशा), मंगलदोई (असम), विरुधुनगर (तमिलनाडु), कामराजनगर (कर्नाटक), एसएएस नगर मोहाली (पंजाब), इंद्रपुरा (राजस्थान) और मधुपुर (झारखंड)।
आधारशिला रखे जाने का विवरण:
वर्ष 2018-19 के दौरान उत्तर प्रदेश में 4 केवीएस यानी देवरिया, बावली बागपत, लखीमपुर खीरी और सरवस्ती के लिए आधारशिला रखी गई।
वर्ष 2018-19 के दौरान 'रतलाम-2' के नाम से एक जेएनवी स्वीकृत किया गया। वर्ष 2018-19 में छह नए नवोदय विद्यालय को कार्यात्मक बनाया गया था जो इस प्रकार हैं- रतलाम-2, फाजिल्का,रामबन, साबरकांठा, पूर्वी जयंतिया हिल्स और किश्वर। वर्ष 2018-19 के दौरान रतलाम-2 के लिए एक नई इमारत को मंजूरी दी गई। झाबुआ-2, मलकानगिरी-2 और रामपुर के लिए तीन नई इमारतों को 2018-19 में शुरू किया गया। वर्ष 2018-19 में रतलाम-2 के लिए आधारशिला भी रखी गई।
VI. आनंदपूर्ण अधिगम को बढ़ावा
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कला, संगीत, नृत्य एवं रंगमंच सहित सांस्कृतिक गतिविधियां छात्र के जीवन और स्कूल की गतिविधियों में बहुत उल्लेखनीय भूमिका निभाती हैं। राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा ढांचे के तहत इन गतिविधियों के महत्व पर जोर दिया और बताया गया है कि किस प्रकार यह अधिगम बढ़ाने में मदद करती हैं।
छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए सांस्कृतिक गतिविधियों का एक पखवाड़ा 21 दिसंबर, 2018 को संपन्न हुआ। रंगोत्सव शीर्षक के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में स्कूल स्तर की गतिविधियां शामिल थीं और राष्ट्रीय स्तर पर संपन्न इस प्रकार थे-
(क) राष्ट्रीय रोल प्ले प्रतियोगिता (एनसीईआरटी में)
(ख) राष्ट्रीय लोक नृत्य प्रतियोगिता (एनसीईआरटी में)
(ग) कला उत्सव (एकल गायन, नृत्य एवं संगीत वाद्ययंत्र सहित) (सिरफोर्ट ऑडिटोरियम में)
(घ) केंद्रीय विद्यालयों और नवोदय विद्यालयों के कला एवं संगीत शिक्षकों की राष्ट्रीय प्रतियोगिता (अंबेडकर भवन में)
(ड.) छात्रों एवं छात्राओं के लिए राष्ट्रीय स्तर की अंतर स्कूल बैंड प्रतियोगिता (त्यागराज स्टेडियम में)
(च) भाषा संगम (20 नवंबर से 21 दिसंबर 2018 तक) (सभी स्कूलों में)
कला उत्सव
कला उत्सव देश में शिक्षा के माध्यमिक स्तर (कक्षा IX-XII) में सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों की कलात्मक प्रतिभा को प्रोषित और प्रदर्शित करते हुए शिक्षा में कला को बढ़ावा देने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की एक पहल है। इस कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली में 12 से 14 दिसंबर 2018 के दौरान किया गया। कला उत्सव स्कूल,जिला एवं राज्य स्तरों पर प्रदर्शन और दृश्य कला एवं शिल्प (नृत्य, संगीत, रंगमंच, पेंटिंग, मूर्तिकला एवं विरासत शिल्प) दोनों पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों, शिक्षक अध्यापकों, प्रशासकों और अन्य हितधारकों के बीच भारत की सांस्कृतिक विरासत और इसकी जीवंत विविधता के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्कूली शिक्षा के साथ कलाकारों एवं कारीगरों की नेटवर्किंग को प्रोत्साहित करना देना है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत - राष्ट्रीय स्तर का शिविर
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केंद्रीय विद्यालय संगठन ने 31 अक्टूबर से 2 नवंबर 2018 के बीच नई दिल्ली में राष्ट्रीय एकता शिविर - एक भारत श्रेष्ठ भारत का आयोजन किया। राष्ट्रीय स्तर के इस शिविर में सभी 47 क्षेत्रों के केंद्रीय विद्यालयों के कुल 1,600 छात्रों और 175 एस्कॉर्ट शिक्षकों ने भाग लिया। केवीएस 'एक भारत श्रेष्ठ भारत - 2018' के दौरान निम्नलिखित प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया:
क. समूह गीत, समूह नृत्य (राज्य एवं अंतर्राष्ट्रीय), रंगमंच, स्पॉट पेंटिंग, एकल गायन, एकल शास्त्रीय नृत्य और मेहराबों का प्रदर्शन
ख. वाद-विवाद (हिंदी एवं अंग्रेजी), प्रश्नोत्तरी, संस्कृत श्लोक सस्वर पाठ, हिंदी काव्य पाठ, अंग्रेजी पात्रता, रचनात्मक लेखन, स्पेल-बी
स्कूल एवं कॉलेज के छात्रों के साथ प्रधानमंत्री का सहभागिता कार्यक्रम 'परीक्षा पे चर्चा' 16 फरवरी 2018 को नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित किया गया।
यह मुख्य तौर पर 'टाउन हॉल' कार्यक्रम था जो अपने आप में अनूठा था। इसकी योजना पहली बार बनाई गई थी जिसमें माननीय प्रधानमंत्री स्टेडियम में स्कूल एवं कॉलेज के छात्रों के साथ और पूरे देश में वेब इंटरेक्शन के माध्यम से लाइव बातचीत कर रहे थे। माईजीओवी प्लेटफॉर्म पर इस बातचीत कार्यक्रम के लिए देश भर के छात्रों से लिखित प्रश्न आमंत्रित किए गए थे। लगभग 18,000 लिखित प्रश्न प्राप्त हुए थे जिनमें से 40 प्रश्नों को पहले शॉर्टलिस्ट किया गया। उसके बाद दूरदर्शन से इन लघु प्रश्नों के वीडियो शूट करने का अनुरोध किया गया और आईआईटी मुंबई, बीएचयू आदि के कुछ छात्रों ने प्रश्न का अपना वीडियो तैयार किया और इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेज दिया। उसके बाद बातचीत के लिए विषय को ध्यान में रखते हुए अंतिम प्रश्नों के बारे में निर्णय लिया गया।
छठी से लेकर बारहवीं कक्षा तक के देश भर के छात्रों और उच्च शिक्षण संस्थानों से दूरदर्शन (डीडी नेशनल, डीडी न्यूज, डीडी इंडिया)/ रेडियो चैनलों (ऑल इंडिया रेडियो मीडियम वेव, ऑल इंडिया रेडियो एफएम चैनल) पर यह प्रसारण देखने/ सुनने का अनुरोध किया गया था। विभिन्न स्कूलों एवं कॉलेजों 2,500 छात्रों को उनके शिक्षकों के साथ तालकटोरा स्टेडियम में इस लाइव बातचीत में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था। इसके लिए आवश्यक व्यवस्था करने के लिए सभी सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों और सरकारी उच्च शिक्षण संस्थानों को निर्देश एवं सलाह जारी की गई ताकि छात्र यह कार्यक्रम देख सकें। निजी स्कूलों और संस्थानों को भी आवश्यक सलाह जारी की गई।
माननीय प्रधानमंत्री के एक घंटे के संवाद के रूप में परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम की योजना बनाई गई थी जो लगभग दो घंटे तक जारी रही। स्कूलों और कॉलेजों के 2,500 से अधिक छात्र प्रधानमंत्री से बातचीत के लिए 16 फरवरी 2018 के तालकटोरा स्टेडियम में मौजूद थे और देश भर के 8.5 से अधिक करोड़ छात्रों ने डीडी/ टीवी चैनल/ रेडियो चैनल पर कार्यक्रम को देखा या सुना।
प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा इस कार्यक्रम को व्यापक रूप से कवर किया गया। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, यह बातचीत कार्यक्रम सोशल मीडिया पर जबरदस्त हिट और नंबर 1 ट्रेंड वार्तालाप रहा। इसे ट्विटर पर 2.5 बिलियन इम्प्रेशन मिला। यह वेबकास्टिंग आदि के माध्यम से यूट्यूब, फेसबुक लाइव पर व्यापक रूप से देखा गया।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) मानव संसाधन विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था है जो दसवीं और बारहवीं की परीक्षा आयोजित करने के लिए स्कूलों को मान्यता प्रदान करती है। बोर्ड के 10 क्षेत्रीय कार्यालय है और इससे मान्यताप्राप्त स्कूलों की संख्या 21,000 से अधिक है।
मान्यता
बोर्ड ने 2018-19 सत्र से स्कूलों को मान्यता देने की प्रक्रिया के लिए ऑनलाइन सॉफ्टवेयर विकसित और कार्यान्वित किया है। अब मान्यता के लिए अंतिम आवेदन जमा कराने की प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिक संचार के साथ एकीकृत किया गया है जो पूरी तरह पारदर्शी है। हितधारक अब हरेक स्तर पर अपने आवेदन पर नजर रख सकता है।
एफलिएशन बाई-लॉज में पूरी तरह सुधार किया गया है ताकि गति, पारदर्शिता, परेशानी मुक्त प्रक्रियाओं और एसबीएसई के साथ कारोबारी सुगमता सुनिश्चित किया जा सके। मानव संसाधन विकास मंत्री ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर एफलिएशन बाई-लॉज बदलाव की मुख्य बदलावों को उजागर किया है।
परीक्षा सुधार
i. दिव्यांग अधिनियम, 2016 के तहत बेंचमार्क दिव्यांग व्यक्तियों को छूट/ रियायत दी जा रही है और दिनांक 26.09.2018 और 05.11.2018 के परिपत्र के तहत इन सुविधाओं/ छूट का अनुरोध करने के लिए भी आग्रह किया गया है। बोर्ड ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) की सुविधा के लिए एक नीति भी अधिसूचित की है।
ii. स्कूलों को परीक्षा केंद्र के रूप में ठीक करने के लिए संशोधित दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं। प्रश्नपत्रों में अधिक विकल्प प्रदान किए गए हैं।
iii. ओएएसआईएस को कई परीक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए एकल खिड़की समाधान के रूप में पेश किया गया है।
iv. बोर्ड ने कक्षा X एवं XII के लिए कम्पार्टमेंट 2018 परीक्षाओं में एन्क्रिप्टेड प्रश्न पत्रों को वितरित करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक लागू किया है।
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा
बोर्ड ने सभी मान्यताप्राप्त स्कूलों के लिए हाल ही में दिनांक 13.08.2018 को परिपत्र संख्या एसीएडी 25/2018 जारी किया जिसमें पाठ्यक्रम भार, एनसीईआरटी के सुझाव के मद्देनजर कक्षा II तक के छात्रों को कोई गृहकार्य न दिए जाने और स्कूल बैग के वजन में कमी लाने संबंधी प्रावधान राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) 2005 के तहत दिए गए हैं।
उच्च शिक्षा विभाग की नई पहल
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी
§ राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) की स्थापना देश में उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए सभी प्रवेश परीक्षाओं के संचालन के लिए एक स्वायत्त एवं आत्मनिर्भर प्रीमियर परीक्षण संगठन के रूप में गई है।
§ एनटीए ने लगभग 3,800 शिक्षार्थियों के लिए दिसंबर के पहले सप्ताह में एसडब्ल्यूएवाईएएम के लिए अपनी पहली ऑनलाइन परीक्षा सफलतापूर्वक आयोजित की है।
§ यूजीसी/ नेट परीक्षा भी 18.12.2018 को एनटीए द्वारा सफलतापूर्वक आयोजित की गई। लगभग 9.5 लाख स्नातकोत्तर स्तर के छात्रों ने यह परीक्षा दी। जनवरी 2019 में जेईई परीक्षा भी लगभग 9.5 लाख छात्रों के लिए एनटीए द्वारा आयोजित की जाएगी।
§ स्त्री-पुरुष संतुलन में सुधार:
आईआईटी में बी. टेक कार्यक्रमों में महिला नामांकन में सुधार के लिए उपयुक्त उपायों का सुझाव देने के लिए संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) द्वारा आईआईटी-मंडी के निदेशक की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई। उस समिति की सिफारिशों पर आईआईटी परिषद ने 28.04.2017 को आयोजित अपनी 51वीं बैठक में विचार किया और 2018-19 में महिला नामांकन को मौजूदा 8% से बढ़ाकर 14%,2019-20 में 17% और 2020-21 में 20% करने का निर्णय लिया है।
§ प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो:-
अत्याधुनिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शोध करने में देश के प्रतिभा पूल का उपयोग करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मंत्रिमंडल की मंजूरी से 2018-19 की शुरुआत के साथ सात वर्षों की अवधि के लिए प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो (पीएमआरएफ) नाम से एक योजना शुरू की है। वर्ष 2018 के दौरान पीएमआरएफ के लिए 135 छात्रों का चयन किया गया।
वर्ष 2019 प्रभावी होने के साथ ही किसी भी मान्यता प्राप्त भारतीय संस्थान से बीटेक/एमटेक छात्रों को आईआईटी/ आईआईएससी में पीएचडी कार्यक्रम के लिए सीधा प्रवेश दिया जाएगा। ऐसे छात्र जो पात्रता मानदंड को पूरा करते हैं और एक चयन प्रक्रिया के माध्यम से शॉर्टलिस्ट किए जाते हैं जैसा कि पीएमआरएफ दिशानिर्देशों में निर्धारित किया गया है, को पहले दो वर्षों के लिए 70,000 रुपये प्रति माह की फेलोशिप की पेशकश की जाएगी। उन्हें तीसरी वर्ष के लिए 75,000 रुपये प्रति माह और चौथे एवं पांचवे वर्ष में 80,000 रुपये प्रति माह की फेलोशिप दी जाएगी।े
इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों में शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए विदेशी यात्रा खर्च को कवर करने के लिए 5 साल की अवधि के लिए प्रत्येक शोधार्थी को 2 लाख रुपये का शोध अनुदान प्रदान किया जाएगा। तीन साल की अवधि में अधिकतम 3,000 अध्येताओं का चयन किया जाएगा।
§ उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (एचईएफए):
o इसे 2022 तक 'रिवाइटलिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सिस्टम्स इन एजुकेशन (आरआईएसई)' की पहल के तहत लागू किया गया है।
o एचईएफए अगले 4 वर्षों में 1,00,000 करोड़ रुपये प्रदान करेगा।
o अब तक लगभग 2,700 करोड़ रुपये के ऋण पहले ही स्वीकृत किए जा चुके हैं।
o स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा चार एम्स के निर्माण के वित्तपोषण के लिए एचईएफए का भी उपयोग किया जा रहा है। एम्स गोरखपुर और एम्स भटिंडा (पंजाब) के लिए पहले ही ऋण को मंजूर किया जा चुका है।
§ शोध में सहयोग को प्रोत्साहित करने के लिए योजना (एसपीएआरसी)-
दुनिया के शीर्ष अकादमिक संस्थानों के साथ शोध और अकादमिक सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए निर्णय लिया गया है कि सरकार उने भारतीय संस्थानों के बीच ऐसे सहयोग को वित्त पोषित करेगी जो किसी एक खास विषय पर एनआईआरएफ रैंकिंग अथवा समग्र एनआईआरएफ रैंकिं में शीर्ष 100 की जमात में शामिल हैं जबकि विदेशी संस्थानों के मामलों में उन्हें शीर्ष 500 क्यूएस विश्व रैंकिंग में शामिल होना चाहिए।
लगभग 800 प्रस्ताव (अंतिम तारीख 7.12.2018) पहले ही मिल चुके हैं। संयुक्त सहयोग के लिए आवेदन करने वाले कुछ विदेशी शिक्षण संस्थानों में एमआईटी, हार्वर्ड, लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स,नेशनल टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी सिंगापुर, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज आदि शामिल हैं।
§ एसटीएआरएस (स्कीम फॉर ट्रांसफॉर्मेशनल एंड एडवांस्ड रिसर्च इन साइंस) –
इस योजना को विज्ञान के क्षेत्र में अंतर-अनुशासनात्मक और परिवर्तनकारी शोध में तेजी लाने के लिए शुरू किया गया है ताकि शिक्षण संस्थानों को विज्ञान में स्थापित अनुसंधान केंद्रों के साथ सहयोग करने की अनुमति दी जाए।
आईआईएससी बेंगलूरु द्वारा समन्वित एसटीएआरएस का उद्देश्य विज्ञान के क्षेत्र में छोटे-छोटे शिक्षण संस्थानों में शोधकर्ताओं को शोध के लिए रकम उपलब्ध कराना है। इस पर 487 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।
§ इनोवेशन सेल और अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूशंस ऑन इनोवेशन असीवमेंट्स (एआरआईआईए) –
इनोवेशन सेल मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल है और देश भर के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) में नवाचार संस्कृति को व्यवस्थित रूप से बढ़ावा देने के उद्देश्य से इसे एआईसीटीई परिसर में स्थापित किया गया है।
वास्तविक परिणाम के उद्देश्य से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे कार्यों का आकलन करना होगा। इसलिए अटल रैंकिंग ऑफ इंस्टीट्यूशंस ऑन इनोवेशन अचीवमेंट्स (एआरआईआईए) योजना शुरू की गई है। यह उच्च शैक्षणिक संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करेगा।
§ स्वच्छ भारत समर इंटर्नशिप
- मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सहयोग से पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने एक अभिनव योजना 'स्वच्छ भारत ग्रीष्मकालीन इंटर्नशिप (एसबीएसआई) 2018' को शुरू किया है। इसका उद्देश्य गर्मी की छुट्टियों के दौरान गांवों के स्वच्छ्ता कार्य में कॉलेज के युवाओं को शामिल करना है।
· इसमें अब तक 2 लाख छात्रों ने दाखिला लिया है।
- छात्र एक गांव में 100 घंटे बिताते हैं जहां वह गांव के लोगों के साथ मिलकर उसे स्वच्छ बनाने का काम करेंगे।
§ तकनीकी शिक्षा में सुधार-
विश्लेषणात्मक समझ विकसित करने के लिए और पढ़ाए जा रहे विषयों की समग्र धारणा हासिल करने के लिए नए सिरे से सीखने पर कम जोर देते हुए तकनीकी शिक्षा प्रणाली में सुधार किया गया है। डिप्लोमा एवं डिग्री इंजीनियरिंग छात्रों के लिए इंटर्नशिप अनिवार्य कर दिया गया है ताकि उन्हें पास आउट होने पर उद्योग में अवसर मिल सके।
§ उन्नत भारत अभियान और उन्नत भारत अभियान 2.0
·प्रत्येक संस्था 5 गांवों को गोद लेती है।
·सामाजिक, आर्थिक विकास के लिए ज्ञान का उपयोग।
·तकनीकी संस्थान स्थानीय मुद्दों के लिए तकनीकी समाधान तैयार करते हैं।
·अन्नत भारत अभियान (यूबीए) 2.0 - मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक प्रमुख कार्यक्रम है, चैलेंज मोड पर 688 संस्थानों (426 तकनीकी और 262 गैर-तकनीकी) को चुना जाता है जो देश के प्रतिष्ठित उच्च शैक्षिक संस्थान (सार्वजनिक और निजी दोनों) हैं, इन्होंने यूबीए के माध्यम से विकास के लिए 3,555 गांवों को गोद लिया है।
स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन
§ यह एक अनोखी आईटी पहल है जिसके तहत छात्रों को जीवन की वास्तविक स्थितियों में ज्ञान का इस्तेमाल करने और दैनिक समस्याओं के लिए नवीन समाधान खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
§ स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2018 (एसआईएच 2018) 16 अक्टूबर 2017 को लॉन्च किया गया था। इसमें 2 उप-संस्करण शामिल हैं - सॉफ्टवेयर के साथ-साथ हार्डवेयर:
• सॉफ्टवेयर संस्करण- 36 घंटे की सॉफ्टवेयर उत्पाद विकास प्रतियोगिता, एसआईएच 2017 की अवधारणा के समान।
• हैकाथॉन के नए हार्डवेयर संस्करण में टीमें लगातार 5 दिनों तक काम करती हैं और प्रस्तावित समस्या के लिए अपना हार्डवेयर समाधान तैयार करती हैं।
• सॉफ्टवेयर संस्करण एसआईएच 2018 का ग्रैंड फिनाले 30 और 31 मार्च 2018 को आयोजित किया गया था।
• एसआईएच 2019 उद्योग से भी वास्तविक जीवन की समस्याओं को आमंत्रित करने वाला है। एसआईएच 2019 के लिए आवेदन पत्र का विज्ञापन दिनांक 04.12.2018 के समाचार पत्र में पहले ही दिया जा चुका है।
• एसएचआई 2019 का उद्देश्य औद्योगिक समस्याओं के लिए सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर समाधान तैयार करना है। इन पहलों को बनाए रखने के लिए अच्छे और नए समाधान संस्थान के इनक्यूबेशन सेल को सौंपे जाएंगे जहां प्रमुख निवेशक व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नवाचारों को वित्तीय समर्थन उपलब्ध करा सकते हैं।
राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ)
§ उत्कृष्टता एवं रैंकिंग का तीसरा सफल वर्ष पूरा हुआ।
§ यह गुणवत्ता का एक मानक बन चुका है और यह संस्थानों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा करता है।
§ श्री प्रकाश जावडेकर ने अप्रैल 2018 में उच्च शैक्षिक संस्थानों के प्रदर्शन के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में एनआईआरएफ इंडिया रैंकिंग 2018 जारी की।
§ इसके तहत 9 श्रेणियों में कुल 2,809 संस्थानों ने भाग लिया। सामूहिक रूप से वे 3,954 अलग-अलग प्रोफाइल प्रस्तुत कर चुके हैं जिनमें से कुछ विभिन्न विषयों/ श्रेणियों में हैं। इसमें 301 विश्वविद्यालय, 906 इंजीनियरिंग संस्थान, 487 प्रबंधन संस्थान, 286 फार्मेसी संस्थान, 71 विधि संस्थान, 101 चिकित्सा संस्थान, 59 वास्तुकला संस्थान और 1,087 जनरल डिग्री कॉलेज शामिल हैं। शीर्ष संस्थानों को 9 श्रेणियों में पुरस्कार दिए गए। इस वर्ष के आरंभ में दवा, कानून और वास्तुकला जैसे नए क्षेत्रों में संस्थानों की रैंकिंग की शुरुआत की गई।
· भारत सरकार ने 18 अप्रैल 2018 को नई दिल्ली में 'स्टडी इन इंडिया' कार्यक्रम शुरू किया।
· दक्षिण एशिया, अफ्रीका, सीआईएस और पश्चिम एशिया के 30 देशों के छात्र 160 उन चुनिंदा भारतीय संस्थानों (सार्वजनिक और निजी दोनों) से विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन कर सकते हैं जो एनएएसर और एनआईआरएफ रैंकिंग में ऊंचे स्थान पर मौजूद हैं।
· इससे भारतीय संस्थानों की वैश्विक रैंकिंग में सुधार होगा।
· स्टडी इन इंडिया कार्यक्रम अच्छी तरह चल रहा है और लगभग 2,000 छात्रों को 100 शीर्ष भारतीय संस्थानों के पहले सत्र में प्रवेश के लिए चयन किया गया है।
शोध एवं अच्छी उच्च शिक्षा
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एआईसीटीई ने चालू वित्त वर्ष में अनुसंधान प्रोत्साहन योजना के तहत 11.77 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस योजना का उद्देश्य स्थापित एवं नई प्रौद्योगिकी में इंजीनियरिंग विज्ञान एवं नवाचारों में शोध को बढ़ावा देना और संकाय एवं अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मास्टर एवं डॉक्टरेट की डिग्री वाले उम्मीदवार तैयार करना है। मॉडर्नाइजेशन एंड रिमुवल ऑफ ओब्सोलेसेंस (एमओडीआरओबीएस) के तहत एआईसीटीई ने चालू वित्त वर्ष में प्रयोगशालाओं, कार्यशालाओं, आदि में अप्रचलन को दूर करने के लिए 16 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
· आईआईटी दिल्ली, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद और आईआईएससी बैंगलोर में 5 नए अनुसंधान पार्क @ 75 करोड़ रुपये प्रत्येक के साथ स्वीकृत किए गए हैं।
नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी (एनडीएल)
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर ने 19 जून 2018 को राष्ट्रीय पठन दिवस के अवसर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय की नई डिजिटल पहल 'नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया' की शुरुआत की।
यह नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया (एनडीएलआई) सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (एनएमईआईसीटी) के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन के तत्वावधान में मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक परियोजना है।
· इस पर 1.9 करोड़ ई-पुस्तक और दस्तावेज उपलब्ध हैं।
· सामग्री अंग्रेजी, हिंदी और लगभग 200 अन्य भाषाओं में उपलब्ध है।
· इसमें 160 कंटेंट योगदानकर्ता हैं।
· इसके 30 लाख उपयोगकर्ता हैं
· इस पर 9 हजार शैक्षणिक संस्थानों के उपयोगकर्ता पंजीकृत हुए।
सामाजिक विज्ञान में प्रभावकारी नीति अनुसंधान (आईएमपीआरईएसएस)
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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने 25 अक्टूबर 2018 को नई दिल्ली में सामाजिक विज्ञान में प्रभावकारी नीति अनुसंधान (आईएमपीआरईएसएस) योजना के वेब पोर्टल को लॉन्च किया।
इस योजना के तहत 1,500 अनुसंधान परियोजनाएं 2 वर्षों के लिए दी जाएंगी ताकि उच्च शिक्षण संस्थानों में सामाजिक विज्ञान अनुसंधान का समर्थन और नीति निर्माण में मार्गदर्शन के लिए अनुसंधान को समर्थ बनाया जा सके।
अगस्त 2018 में सरकार ने 31.3.2021 तक कार्यान्वयन के लिए 14.4 करोड़ रुपये की कुल लागत पर सामाजिक विज्ञान में प्रभावकारी नीति अनुसंधान (आईएमपीआरईएसएस) योजना को मंजूरी दे दी। भारतीय सामाजिक विज्ञान एवं अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) इस परियोजना के लिए क्रियान्वयन एजेंसी होगी।
इस योजना के व्यापक उद्देश्य इस प्रकार हैं:
क. शासन एवं समाज पर अधिकतम प्रभाव के साथ सामाजिक विज्ञान में अनुसंधान प्रस्तावों की पहचान करना और उन्हें वित्त पोषित करना।
ख. अनुसंधान को (11) व्यापक विषयगत क्षेत्रों पर केंद्रित करना जैसे: राज्य एवं लोकतंत्र, शहरी परिवर्तन, मीडिया, संस्कृति एवं समाज, रोजगार, कौशल एवं ग्रामीण परिवर्तन, शासन, नवाचार एवं सार्वजनिक नीति, विकास, वृहत व्यापार एवं आर्थिक नीति, कृषि एवं ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य एवं पर्यावरण, विज्ञान एवं शिक्षा, सोशल मीडिया एवं प्रौद्योगिकी, राजनीति, कानून और अर्थशास्त्र। इस योजना को अधिसूचित करने और अनुप्रयोगों के लिए विशेषज्ञ समूहों की सलाह के आधार पर उप-विषय क्षेत्रों के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
ग. ऑनलाइन तरीके से पारदर्शी एवं प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से परियोजनाओं का चयन सुनिश्चित करना।
घ. देश के किसी भी संस्थान में सामाजिक विज्ञान शोधकर्ताओं के लिए अवसर प्रदान करने के लिए सभी विश्वविद्यालयों (केंद्रीय एवं राज्य) सहित यूजीसी द्वारा निजी संस्थानों को 12 (बी) का दर्जा दिया गया है।
ड. आईसीएसएसआर द्वारा वित्त पोषित/ मान्यता प्राप्त अनुसंधान संस्थान भी दिए गए विषयों और उप-विषयों पर शोध प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए पात्र होंगे।
नए आईआईएम:
- वर्ष 2014-15 के बजट भाषण में छह नए आईआईएम की घोषणा की गई थी। उसी संदर्भ में वर्ष 2015-16 के दौरान अमृतसर (पंजाब), बोधगया (बिहार), नागपुर (महाराष्ट्र), संबलपुर (ओडिशा),सिरमौर (हिमाचल प्रदेश) और विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) में छह नए आईआईएम स्थापित किए गए हैं। वर्ष 2015-16 से तात्कालिक परिसरों में इन संस्थानों का शैक्षणिक सत्र शुरू हुआ। अकादमिक गतिविधियों, अस्थायी परिसरों की स्थापना और स्थायी परिसरों के निर्माण के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय इन आईआईएम को धन उपलब्ध करा रहा है। शुरुआती वर्षों के दौरान अस्थायी परिसर के जरिये इन संस्थानों की स्थापना एवं संचालन के लिए प्रति संस्थान कुल 7 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं।
- केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण (2015) में जम्मू-कश्मीर राज्य में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) स्थापित करने की घोषणा की थी। आईआईएम लखनऊ द्वारा संचालित आईआईएम जम्मू ने जम्मू के नहर रोड स्थित पुराने सरकारी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (जीसीईएंडटी) में स्थित अस्थायी/ पारगमन परिसर के 54 छात्रों के साथ वर्ष 2016-17 में अपना पहला शैक्षणिक सत्र शुरू किया। आरंभिक वर्षों के दौरान अस्थायी परिसर से इसकी स्थापना एवं संचालन के लिए प्रति संस्थान 61.9 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
- वर्ष 2014 के बाद शुरू होने वाले नए आईआईएम के लिए (जम्मू, सिरमौर, अमृतसर, बोधगया, संबलपुर, नागपुर, विशाखापत्तनम) लगभग 3,000 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय से स्थायी परिसर के निर्माण के लिए कैबिनेट की मंजूरी ली गई है।
- आईआईएम अधिनियम अब संसद द्वारा पारित कर दिया गया है और इसलिए सभी आईआईएम बोर्ड को अब इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पुनर्गठित किए जा रहे हैं। यह आईआईएम की स्वायत्तता के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
केंद्रीय विश्वविद्यालय
बिहार के मोतिहारी में एक नया केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित किया गया है और फरवरी 2016 से उसका कामकाज शुरू हो चुका है। आंध्र प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय और आंध्र प्रदेश केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय शुरू होने जा रहा है। विधेयक संसद के वर्तमान शीतकालीन सत्र में उनके लिए विधेयक प्रस्तुत किया जाएगा।
नव स्थापित केंद्रीय विश्वविद्यालयों के परिचालन के साथ-साथ परिसरों का निर्माण सुनिश्चित करने के लिए उनके ढांचागत विकास पर 600 करोड़ रुपये खर्च किए जाने का प्रस्ताव है।
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर
एसपीए विधेयक 2015 के पारित होने से तीन स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा दिया गया है।
एसडब्ल्यूएवाईएएम (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स)
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 'स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स' (एसडब्ल्यूएवाईएएम) नाम से एक बड़ी एवं नई पहल शुरू की है जो सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) उपयोग करते हुए ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए एक एकीकृत प्लेटफॉर्म और पोर्टल प्रदान करेगा। इसके दायरे में उच्च शिक्षा के सभी विषयों और कौशल क्षेत्र के पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है।
एसडब्ल्यूएवाईएएम के जरिये अब तक 72,000 से अधिक शिक्षार्थियों को 16,000 से अधिक एमओओसी पाठ्यक्रमों में नामांकित किया गया है। जबकि 2 लाख लोग पाठ्यक्रम पूरा कर चुके हैं।
एमओओसी का इस्तेमाल अब टीचिंग (एआरपीआईटी) में वार्षिक रिफ्रेशर प्रोग्राम के माध्यम से शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए भी किया जा रहा है। करीब 42,000 शिक्षक अपने वार्षिक रिफ्रेशर कोर्स के लिए पहले ही पंजीकृत हो चुके हैं।
एनआईओएस एसडब्ल्यूएवाईएएम का एक राष्ट्रीय समन्वयक है। एनआईओएस माध्यमिक स्तर के 14 पाठ्यक्रमों और डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन (डीईएलआईईडी) के सभी पाठ्यक्रमों की पेशकश कर रहा है।
छात्रवृत्ति
एआईसीटीई के रिकॉर्ड के अनुसार, जीएटीई पास 11,862 एमटेक छात्रों को लगभग 292.50 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय डॉक्टोरल फेलोशिप योजना के तहत 2.61 लाख रुपये जारी किए गए हैं। पिछले तीन वर्षों के दौरान जीएटीई पास एमटेक छात्रों के लिए कुल मिलाकर 1,076 करोड़ रुपये जारी किए गए।
उच्च शिक्षा संकाय के लिए लीडरशिप फॉर एकेडमिशयंस प्रोग्राम (एलईएपी) और एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग (एआरपीआईटी)
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मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उच्च शिक्षा संकाय के लिए 13.11.2018 को दो नई पहल- लीडरशिप फॉर एकेडमिशयंस प्रोग्राम (एलईएपी) और एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग (एआरपीआईटी) शुरू की।
लीडरशिप फॉर एकेडमिशयंस प्रोग्राम (एलईएपी) सरकार द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षण संस्थानों में दूसरे स्तर के शैक्षणिक कर्मियों के लिए तीन सप्ताह का प्रमुख नेतृत्व विकास प्रशिक्षण (दो सप्ताह घरेलू और एक सप्ताह विदेशी प्रशिक्षण) कार्यक्रम है। इसका मुख्य उद्देश्य दूसरे स्तर के अकादमिक प्रमुख तैयार करना है जो भविष्य में नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं।
एनुअल रिफ्रेशर प्रोग्राम इन टीचिंग (एआरपीआईटी) एसडब्ल्यूएवाईएएम के एमओओसी प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल से 15 लाख उच्च शिक्षण संकाय के ऑनलाइन पेशेवर विकास के लिए एक बड़ी एवं अनूठी पहल है। एआरपीआईटी को लागू करने के लिए पहले चरण में 75 विषय केंद्रित संस्थानों की पहचान की गई और उन्हें नेशनल रिसोर्स सेंटर (एनआरसी) के रूप में अधिसूचित किया गया है। इन संस्थानों को संशोधित पाठ्यक्रम के हस्तांतरण के लिए संबंधित विषय में ताजा विकास, नए एवं उभरते रुझानों, शैक्षणिक सुधारों में नवीनतम विकास पर ध्यान देते हुए ऑनलाइन प्रशिक्षण सामग्री तैयार करने का काम सौंपा गया है।
उच्च शिक्षा पर भारत का सर्वेक्षण
वर्ष 2011 में उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) शुरू किया गया था जिसके तहत वर्ष 2010-11 के आंकड़े एकत्र किए गए थे। यह सर्वेक्षण अत्यंत आवश्यक था क्योंकि उच्च शिक्षा के आंकड़ों के किसी भी स्रोत ने देश में उच्च शिक्षा की पूरी तस्वीर नहीं दी थी। साथ ही कई महत्वपूर्ण मानदंड निर्धारित किए गए थे जिन पर नीति बनाने के लिए आंकड़ों की आवश्यकता थी लेकिन आंकड़े या तो उपलब्ध नहीं था अथवा अधूरे थे।
एआईएसएचई 2017-18 सर्वेक्षण देश में उच्च शिक्षा के उन सभी संस्थानों को कवर करता है जो एआईएसएचई कोड के साथ एआईएसएचई पोर्टल www.aishe.gov.in. पर पंजीकृत हैं।
संस्थानों को 3 व्यापक श्रेणियों- विश्वविद्यालय, कॉलेज और एकल संस्थान- में वगीकृत किया गया है। एअआईएसएचई वेब पोर्टल पर 903 विश्वविद्यालयों, 39,050 कॉलेजों और 10,011 एकल संस्थानों को पंजीकृत किया गया है जिनमें से 882 विश्वविद्यालयों, 38,061 कॉलेजों और 9,090 एकल संस्थानों ने सर्वेक्षण में भाग लिया।
एआईएसएचई- 2018 रिपोर्ट में उच्च शिक्षा में कुल 3.66 करोड़ नामांकन होने की उम्मीद है जिनमें 1.92 करोड़ छात्र और 1.74 करोड़ छात्रा होने का अनुमान लगाया गया है। कुल नामांकन में लड़कियों की संख्या 47.6% है। भारत में उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) 25.8% है जिसकी गणना 18-23 वर्ष के आयु वर्ग के लिए की जाती है। पुरुष आबादी के लिए जीईआर26.3% है और महिलाओं के लिए यह आंकड़ा 25.4% है। अनुसूचित जाति के लिए जीईआर 21.8% और अनुसूचित जनजातियों के लिए 15.9% है जबकि राष्ट्रीय स्तर पर जीईआर का आंकड़ा 25.8% है।
वर्ष 2010-11 से 2017-18 के लिए एआईएसएचई की अंतिम रिपोर्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। वर्ष 2017-18 के लिए सर्वेक्षण पूरा हो गया है और 2018-19 के लिए एआईएसएचई सर्वेक्षण शुरू हो चुका है। इसके लिए डेटा अपलोड करने की अंतिम तिथि 28 फरवरी 2019 है।
स्वच्छता पखवाड़ा
§ 1 अक्टूबर 2018 को उच्च शिक्षण संस्थानों की स्वच्छता रैंकिंग नामक से एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। स्वच्छता रैंकिंग पुरस्कार के लिए 8 विभिन्न श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ 51 उच्च शिक्षण संस्थानों का चयन किया गया।
§ इस वर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों से ऑनलाइन विस्तृत जानकारी मांगी गई, इसके लिए 6,29 संस्थानों ने आवेदन किया जबकि कट-ऑफ के आधार पर 205 संस्थानों को शॉर्टलिस्ट किया गया। एआईसीटीई और यूजीसी ने सभी 205 संस्थानों का निरीक्षण किया। इन 8 श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ 51 संस्थानों का चयन किया गया:
विश्वविद्यालय (आवासीय एवं गैर-आवासीय)
§ कॉलेज (आवासीय एवं गैर-आवासीय)
§ तकनीकी संस्थान (विश्वविद्यालय - आवासीय)
§ तकनीकी कॉलेज (आवासीय एवं गैर-आवासीय)
§ सरकारी विश्वविद्यालय
शोध पार्क
सरकार ने आईआईटी मद्रास, आईआईटी खड़गपुर, आईआईटी बंबई, आईआईटी गांधीनगर, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद और आईआईएससी बैंगलोर में 9 शोध पार्क स्थापित करने को मंजूरी दी है। आईआईटी मद्रास शोध पार्क 43 आरएंडडी ग्राहकों, 4 इंक्यूबेटर, 55 स्टार्टअप और 5 उत्कृष्टता केंद्र के साथ पूरी तरह परिचालन में है। उसे 447.66 करोड़ रुपये की कुल लागत से स्थापित किया गया जिसमें सरकार से प्राप्त 137 करोड़ रुपये का अनुदान भी शामिल है। आईआईटी खड़गपुर और आईआईटी बंबई में से प्रत्येक का शोध पार्क 100 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन हैं। इसके अलावा आईआईटी खड़गपुर को 100 करोड़ रुपये और आईआईटी बंबई को 3 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
आईआईटी गांधीनगर शोध पार्क फिलहाल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से पूर्ण वित्त पोषण के साथ 90 करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन है। उसने अब तक 40 करोड़ रुपये की रकम जारी की है।
शेष पांच शोध पार्क आईआईटी दिल्ली, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद और आईआईएससी बैंगलोर में से प्रत्येक को 75 करोड़ रुपये की लागत स्थापित करने के लिए सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है।
इम्प्रिंट इंडिया
§ इम्प्रिंटट पहल को नवंबर 2015 में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा शुरू की गई थी जो प्रमुख संस्थानों में उन क्षेत्रों में शोध को चैनलाइज करने के लिए है जो देश के लिए सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सबसे अच्छा हो।
§ इस पहल के तहत 10 चयनित डोमेन के तहत अनुसंधान परियोजनाओं को संयुक्त रूप से मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं अन्य सहभागी मंत्रालयों/ विभागों द्वारा वित्त पोषित किया जाता है। ये डोमेन हैं: स्वास्थ्य की देखभाल, ऊर्जा, स्थायी आवास, नैनो प्रौद्योगिकी हार्डवेयर, जल संसाधन एवं नदी प्रणाली, उन्नत सामग्री, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, विनिर्माण, सुरक्षा एवं रक्षा और पर्यावरण विज्ञान एवं जलवायु परिवर्तन।
§ तीन साल के लिए 323.16 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 142 शोध परियोजनाओं को मानव संसाधन विकास मंत्रालय एवं सहभागी मंत्रालयों द्वारा 50:50 के अनुपात में मंजूरी दी गई है। वर्तमान में इम्प्रिंट-I के तहत इन परियोजनाओं का निष्पादन हो रहा है।
§ इम्प्रिंट-II को अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक संयुक्त निधि एवं विभिन्न मंत्रालयों के सहयोग के साथ शुरू किया गया है। इस योजना को सभी सीएफटीआई और सीयू में मुख्य शोषकर्ता (पीआई) के रूप में खोला गया है, जबकि निजी संस्थानों सहित अन्य संस्थान संयुक्त पीआई के तौर रपर इसमें भाग ले सकते हैं। प्रत्येक प्रस्ताव की औसत लागत 3 साल की अवधि के लिए करीब 2 करोड़ रुपये होने का का अनुमान है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग में से प्रत्येक के लिए 335 करोड़ रुपये के परिव्यय की मंजूरी दी ई है। इस प्रकार इम्प्रिंट-II के लिए समर्पित कोष का आकार 670 करोड़ रुपये है।
§ इम्प्रिंट-II के तहत कुल 122 परियोजनाओं के लिए 112 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इसके अलावा इम्प्रिंट-II के तहत विभिन्न मंत्रालयों से विशिष्ट चुनौतियों का आह्वान किया जा रहा है ताकि उनका समाधान इम्प्रिंट-II द्वारा किया जा सके।
उच्चतर आविष्कार अभियान
§ यह योजना उद्योग-विशिष्ट आवश्यकता-आधारित अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी ताकि वैश्विक बाजार में भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धा को बनाए रखा जा सके। सभी आईआईटी को उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए उद्योग के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है जहां नवाचार की आवश्यकता होती है और उन समाधानों के साथ आते हैं जिन्हें व्यावसायीकरण स्तर तक लाया जा सकता है।
§ यूएवाई के तहत आईआईटी द्वारा प्रस्तावित पहचान वाली परियोजनाओं पर हर साल 250 करोड़ रुपये का निवेश करना प्रस्तावित है, बशर्ते उद्योग 25% परियोजना लागत का योगदान करे। वर्ष 2016-17 के लिए 92 परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए 285.15 करोड़ रुपये मंजूर किए गए।
§ आईआईटी मद्रास इस योजना के राष्ट्रीय समन्वयक हैं। अब तक 160 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं जिसमें उद्योग ने 156 करोड़ रुपये के योगदान के लिए अपनी सहमति दी है। इस प्रकार यह एक सबसे बड़ी उद्योग-अकादमिक साझेदारी होगी। इन शोध परियोजनाओं के परिणामस्वरूप कई पेटेंट के पंजीकरण की उम्मीद है।
§ ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर एकेडमिक्स नेटवर्क (जीएआईएन): उच्च शिक्षा में अकादमिक नेटवर्क के लिए वैश्विक पहल यानी ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क (जीएआईएन) को 30 नवंबर 2015 को लॉन्च किया गया। इस कार्यक्रम के तहत भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने के लिए दुनिया भर के प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों को आमंत्रित करना है।
मंजूर पाठ्यक्रमों की संख्या: 1,417
पहले से तैयार पाठ्यक्रम: 1,037
मेजबान संस्थानों की संख्या: 138
§ यूजीसी (इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस डीम्ड यूनिवर्सिटीज टु बी) अधिनियम, 2017 को डीम्ड टु बी विश्वविद्यालयों की एक अलग श्रेणी बनाने के लिए अधिसूचित किया गया जिन्हें इंस्टीट्यूशंस ऑफ एमिनेंस डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटीज कहा जाता है। इनका विनियमन अन्य डीम्ड यूनिवर्सिटीज से अलग तरीके से होगा ताकि उचित समय अवधि में विश्वस्तरीय संस्थानों को तैयार किया जा सके। साथ ही भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों को वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध रैंकिंग के शीर्ष 100 सूची में शामिल होने में सहायता करने के लिहाज से सरकार ने छह इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस (आईओसी) को शॉर्टलिस्ट किया है जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र से 3 और निजी क्षेत्र से 3 संस्थानों को शामिल किया गया है। एक अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ समिति (ईईसी) ने अपनी रिपोर्ट में संस्थानों के 6 संस्थानों (सार्वजनिक क्षेत्र से 3 और निजी क्षेत्र से 3) के चयन की सिफारिश की थी। इन संस्थानों का विवरण इस प्रकार है:
§ सार्वजनिक क्षेत्र: (i) भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर, कर्नाटक (ii) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे, महाराष्ट्र और (iii) भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली।
§ निजी क्षेत्र: (i) जियो संस्थान (रिलायंस फाउंडेशन), पुणे (ग्रीनफील्ड श्रेणी के अंतर्गत) (ii) बिड़ला प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान, पिलानी, राजस्थान और (iii) मणिपाल उच्च शिक्षा अकादमी,मणिपाल, कर्नाटक।
§ सरकारी संस्थानों को पहले से प्राप्त अनुदान के अलावा पांच वर्षों की अवधि में 1,000 करोड़ की वित्तीय सहायता मिलेगी। निजी क्षेत्र से चयनित संस्थानों को देश के विकास के लिए समर्थ स्नातकों को तैयार करने के लिए नवाचार एवं रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए पूर्ण स्वायत्तता होगी।
आरके मीणा/एएम/एसकेसी
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