सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
वर्षांत समीक्षाः सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय 2018:राजमार्ग निर्माण वर्ष
Posted On:
07 JAN 2019 12:47PM by PIB Delhi
प्रमुख गतिविधियां
सूची
- भूमिका
- राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण
- सड़क सुरक्षा
- परिवहन क्षेत्र में पहल
- हरित उपाय
- ई-उपाय
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- अन्य
- भूमिका
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने वर्ष 2018-19 को निर्माण वर्ष घोषित किया था। यह ऐसा वर्ष था जिसमें पिछले चार वर्षों के दौरान लिए गए प्रमुख नीतिगत फैसलों से हासिल फायदों को स्थायित्व प्रदान करना, जारी परियोजनाओं पर निगरानी रखना, सड़क ब्लॉकों की समस्याओं का समाधान और पिछले वर्ष हासिल की गयी प्रभावशाली कार्य प्रगति में कुछ और जोड़ना, प्रमुख लक्ष्य था। मंत्रालय ने 2015-16 तक अवार्ड की गई सभी जारी परियोजनाओं को जारी करने, और वर्ष के दौरान कम से कम 12 हजार किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का फैसला किया। इसकी तुलना में 2017-18 के दौरान 9829 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का लक्ष्य हासिल किया गया था। वर्तमान में कुल मिलाकर 6.48 लाख करोड़ रूपए से अधिक की लागत से करीब 61,300 किलोमीटर लंबी सड़क परियोजनाएं प्रगति पर हैं। जारी कार्यों (जो अवार्ड किये गए थे, जिनके के लिए नियत तारीखें घोषित की गयी थी और जिनका स्थल कार्य प्रगति पर है) में से वर्ष के दौरान 30,200 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़को का निर्माण कार्य बकाया है। वितीय वर्ष 2018-19 के प्रथम नौ महीनों में 5,759 कि.मी. सड़को का निर्माण पूरा किया गया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 4,942 कि.मी. सड़के बनाई गयी थीं।
1.2 इस लक्ष्य को हालिस करने के लिए मंत्रालय ने निर्माण पूर्व गतिविधियों को तेजी से पूरा करने तथा प्रक्रिया में अधिक सक्षमता और पारदर्शिता लाने के लिए नीतियां बनाई दिशा निर्देश और पद्धतियां तय की बोलीदाता सूचना प्रबंधन प्रणाली (बीआईएमएस) विकसित की गयी ताकि ईपीसी मोड पर अनुबंधों के लिए बोलीदाताओं की योग्यता-पूर्ववर्ती प्रक्रिया को सुचारू बनाया जा सकें। भूमि अधिग्रहण के लिए अधिसूचना प्रक्रिया मे तेजी लाने के लिए भूमिराशि पोर्टल का व्यापक इस्तेमाल किया जा रहा है। बीआईएमएस पोर्टल और भूमिराशि पोर्टल को पब्लिक फाइनेंस मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) के साथ जोड़ा गया है ताकि लाभार्थियों को वास्तविक समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।
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- वितीय मोर्चें पर भी भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने इस वर्ष टोल-ओपरेट- ट्रांसफर (टीओटी) के अंतर्गत अपनी प्रथम परियोजना का सफलता पूर्वक वितीय समापन किया और दूसरे समूह के अंतर्गत 586 कि.मी. राष्ट्रीय राजमार्ग का प्रस्ताव किया। 9 परियोजनाओं के प्रथम टीओटी समूह में दो राज्यों आध्रप्रदेश और गुजरात की कुल लगभग 681 कि.मी. सड़के शामिल थी, जो वर्ष के प्रारंभ में 9681 करोड़ रूपये की लागत से अवार्ड की गयी थी। ये परियोजनाएं प्राधिकरण के अनुमान से 1.5 गुना अधिक थी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भारतीय स्टेट बैंक से दस वर्ष के लिए 25,000 करोड़ रूपये का असुरक्षित ऋण भी प्राप्त किया, जिसके पुनर्भुगतान में 3 वर्ष के स्थगन की सुविधा भी शामिल थी। एनएचएआई को दी गयी यह राशि किसी एक संस्थान को एकबारगी मंजूर की जाने वाली सबसे बड़ी राशि थी। यह ऋण एसबीआई द्वारा किसी संस्था को मंजूर किया गया सबसे लंबी अविध का असुरक्षित ऋण भी था।
- यह वर्ष परिवहन क्षेत्र में अनेक गतिविधियों के लिये भी जाना जायेगा, जिनमें कार्बन फुटप्रिंट में कमी लाने, सड़क सुरक्षा में बढ़ोतरी, सड़क के सक्षम उपयोग और सड़क इस्तेमाल करने वालों की सुविधा के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है। मंत्रालय द्वारा वर्ष के दौरान शुरू किये गये प्रमुख उपायों में निम्नांकित शामिल हैं-देश में सार्वजनिक परिवहन को सुदृढ़ बनाने के लिये ‘ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन’ के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षऱ, टोल प्लाजा स्थलों पर लघु मार्गस्थ सुविधाओं का निर्माण, सभी टोल प्लाजों के लिये गुणवत्ता आधारित रैंकिंग प्रणाली कायम करना, ड्राइविंग लाइसेंस आवेदनों का सरलीकरण, निर्माण उपकरण वाहनों और ट्रैक्टरों के लिये उत्सर्जन मानक अधिसूचित करना और जिला स्तर पर सक्षम ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के बारे में दिशा निर्देश जारी करना तथा सड़क सुरक्षा उपायों के प्रचार के लिये गैर सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करना, सुखदः यात्रा ऐप एवं टोल फ्री आपातकालीन नंबर शुरू करना, इलेक्ट्रोनिक टोल वसूली प्रणाली खराब होने की स्थिति में वाहनों को निशुल्क जाने देने की अनुमति देना, सड़क दुर्घटना पीड़ितों को 5 लाख रूपये मुआवजा देने, वाहनों से उत्सर्जन में कमी लाने और आयात का बोझ कम करने के लिये मेथालोन में गेसोलिन मिश्रण के बारे में अधिसूचना जारी करना और वाहन उत्सर्जन डेटा को वाहनों के राज्य/केंद्रीय रजिस्टर से जोड़ना।
- राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण
- अवार्ड/निर्माण संबंधी आंकड़े
वर्ष
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अवार्ड (कि.मी)
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निर्माण (कि.मी)
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2014-15
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7972
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4410
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2015-16
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10098
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6061
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2016-17
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15948
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8231
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2017-18
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17055
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9829
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नोट: वित्तीय वर्ष 2018-19, में 30.11.18 तक 5,759 कि.मी राजमार्गों का निर्माण किया गया जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 4,942 कि.मी. राजमार्गों का निर्माण किया गया था। मंत्रालय निर्माण-पूर्व गतिविधियों को परियोजनाओं के अवार्ड किये जाने से पहले पूरी करना सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
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देश में 700 से अधिक राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजाओं की समीक्षा के लिये दो दिन की एक कवायद की गयी, जिसके आधार पर 300 से अधिक ऐसी परियोजनाओं की पहचान की गयी जिन्हें 2019 में पूरा किया जा सकें। वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए निर्धारित यह लक्ष्य सबसे अधिक था। पिछले वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण की स्थिति का ब्यौरा नीचे तालिका में दिया गया हैं।
2. प्रमुख कार्यक्रमों /ऐतिहासिक परियोजनाओं की प्रगतिः
- भारतमाला परियोजना : चरण -I
यह राजमार्ग क्षेत्र के लिये 2017-18, में शुरू किया गया समग्र कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य महत्वपूर्ण ढ़ाचागत अंतराल दूर करते हुए देश में सड़क यातायात गतिशीलता को अधितम सक्षम बनाना है। इस कार्यक्रम के प्रथम चरण के अंतर्गत 2017-18 से 2021-22 की अवधि में 5,35,000 करोड़ रूपये की लागत से चरणबंद्ध तरीके से 34,800 कि.मी. राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण किया जाना है। इसमें 5,000 कि.मी. राष्ट्रीय कॉरीडोर, 9000 कि.मी. आर्थिक कॉरीडोर, 6000 कि.मी. फीडर कॉरीडोर और इंटर-कॉरीडोर, 2000 कि.मी. सीमावर्ती सड़के, 2,000 कि.मी. तटवर्ती सड़के और बंदरगाह सम्पर्क सड़के तथा 800 कि.मी. हरित क्षेत्र एक्सप्रेसवे शामिल हैं।
भारतमाला परियोजना (शेष एनएचडीपी सहित) के अंतर्गत इस वर्ष अक्टूबर के अंत तक 6,407 कि.मी. लंबी सड़क परियोजनाएं अवार्ड की गईं। शेष लंबाई के लिये विस्तृत परियोजना रिपोर्टें तैयार की जा रही हैं। यातायात की भीड़-भाड़ वाले 191 स्थानों की पहचान की गय़ी थी ताकि वहा वाहनों की भीड़ की समस्या हल करने की परियोजनाएं चलाई जा सकें। इनमें से तेरह परियोजनाएं पूरी की गईं। 80 अन्य संस्थानों पर भीड़-भाड़ कम करने संबधी परियोजनाएं प्रगति पर हैं। इसके अतिरिक्त ऐसे 93 अन्य स्थानों पर भीड़-भाड़ कम करने संबधी परियोजनाओं की विस्तृत रिपोर्टें तैयार की जा रही हैं। मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों की स्थापना के लिए पहचान किए गए 35 स्थानों में से 7 स्थानों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्टें तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। अन्य स्थानों के लिए भूमि उपलब्ध कराने की पुष्टि राज्य सरकारों से की जा रही है।
- सेतु भारतम्
यातायात का सुरक्षित और सुचारू प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए, मंत्रालय ने सेतु भारतम् नाम के कार्यक्रम के अंतर्गत लेबल क्रासिंग के स्थान पर आरओबीज और रोड ओवर ब्रिजों (आरओबीज़) और रोड अंडर ब्रिजों (आरयूबीज़) की योजना की गई है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत बनाए जाने के लिए प्रस्तावित 174 आरओबीज़/आरयूबीज़ में से 91 के निर्माण की मंजूरी प्रदान की गई, जिनके लिए 7,104.72 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। स्वीकृत 91 आरओबीज़/आरयूबीज़ में से 59 का कार्य विभिन्न चरणों में प्रगति पर है।
- चारधाम महामार्ग विकास परियोजन
इस परियोजना में उत्तराखंड राज्य में स्थित चार प्रमुख धामों, अर्थात्, गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए आसान पहुँच विकसित करने की व्यवस्था है। ये चार धाम प्रमुख तीर्थस्थल हैं। यह परियोजना लगभग 12,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से दो लेन के विन्यास और साथ ही पक्के फुटपाथ के साथ 889 किलोमीटर सड़कों के विकास के लिए अपरिहार्य है। परियोजनाओं को ईपीसी मोड पर लिया जा रहा है और उन्हें मार्च, 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
iv पूर्वी परिधीय एक्सप्रेसवे-पश्चिमी परिधीय एक्सप्रेसवे
दिल्ली के आसपास पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की दो परियोजनाएं इस साल पूरी की गईं, जिनमें 135 किमी पूर्वी पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (ईपीई) और दिल्ली के पश्चिमी और पूर्वी हिस्से से एनएच-1 और एनएच -2 को जोड़ने वाला 135 किमी का वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (डब्ल्यूपीई) शामिल है, जिनका उद्घाटन माननीय प्रधान मंत्री ने क्रमशः मई 2018 और नवंबर 2018 में किया। ईपीई का निर्माण एनएचएआई और डब्ल्यूपीई का निर्माण हरियाणा सरकार द्वारा किया गया था। दोनों एक्सप्रेसवे की परिकल्पना राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली न आने वाले ट्रैफ़िक को बाहर से उनके गंतव्य की ओर मोड़कर राष्ट्रीय राजधानी को प्रदूषित और विकृत होने से बचाने के उद्देश्य से की गई थी।
ईपीई एनएच 1 पर कुंडली से एनएच 2 पर पलवल तक फैला है, और इसका निर्माण 4617.87 करोड़ रुपये की लागत पर किया गया है। इसके अलावा 1700 एकड़ भूमि के अधिग्रहण पर 5900 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसे 910 दिनों के निर्धारित लक्ष्य की तुलना में लगभग 500 दिनों के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया। यह पूरी तरह से एक्सेस-नियंत्रित छह-लेन का एक्सप्रेसवे है जिसमें टोल प्रणाली स्थापित की गई है। एक्सप्रेसवे में एक विशेष टोल प्लाजा है, जो इलेक्ट्रॉनिक टोल वसूली ढांचे, समूचे ईपीई की आईटीएस नियंत्रण प्रणाली और एक डिजिटल आर्ट गैलरी से लैस है, जिसमें ईपीई के निर्माण और प्रमुख संरचनाओं के होलोग्राफिक मॉडल रखे गए हैं। सभी 30 प्रवेश बिंदुओं पर वेट-इन-मोशन उपकरण, पूरे मार्ग पर सौर ऊर्जा, 4000 किलोवाट की क्षमता वाले आठ सौर ऊर्जा संयंत्र, वर्षा जल संचयन, ड्रिप सिंचाई और भारतीय संस्कृति और विरासत को दर्शाती स्मारकों की 36 प्रतिकृतियां इस एक्सप्रेसवे की प्रमुख विशेषताएं हैं। इस परियोजना से लगभग 50 लाख मानव-दिवस के लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए हैं।
v दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का उद्देश्य दिल्ली और मेरठ के बीच तथा उससे आगे उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड तक एक तीव्र और सुरक्षित कनेक्टिविटी प्रदान करना है। डीएमई का संरेखण दिल्ली के निज़ामुद्दीन ब्रिज से शुरू होता है और मौजूदा एनएच 24 पर डासना तक जाता है। डीएमई का एक चरण एनएच 24 पर डासना से हापुड़ तक जारी रहेगा, जबकि ग्रीनफील्ड एलाइनमेंट के रूप में डासना से मेरठ तक अन्य चरण की योजना बनाई गई है। एक्सप्रेसवे का निर्माण 4 पैकेजों में किया जा रहा है। परियोजना की कुल लंबाई 82 किमी है, जिसमें से 27.74 किलोमीटर का पहला पैकेज 14-लेन वाला होगा, जबकि शेष मार्ग 6-लेन एक्सप्रेस-वे होगा। इस परियोजना पर 4975.17 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है।
परियोजनाओं के 8.36 किमी लंबे पैकेज -1 का उद्घाटन माननीय प्रधान मंत्री ने इस वर्ष मई में किया था। यह भाग 14 लेन का है, जो निज़ामुद्दीन ब्रिज से दिल्ली उत्तर प्रदेश बॉर्डर तक पहुंच-नियंत्रित है, और इसका निर्माण 30 महीने की निर्धारित अवधि की तुलना में 18 महीने के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया। इसके निर्माण पर लगभग 841.50 करोड़ रुपये की लागत आयी। 14 लेन वाला यह देश का पहला राष्ट्रीय राजमार्ग है, और इसमें कई विशेषताएं हैं जो प्रदूषण को कम करने में मदद करेंगी। इनमें राजमार्ग के दोनों ओर 2.5 मीटर चौड़ा साइकिल ट्रैक, यमुना पुल पर एक ऊर्ध्वाधर उद्यान, सौर प्रकाश व्यवस्था और केवल ड्रिप सिंचाई के माध्यम से पौधों को पानी देना, आदि विशेषताएं शामिल है।
पैकेज II उत्तर प्रदेश की सीमा से डासना (19.28 किमी) तक, पैकेज- III - डासना से हापुड़ (22.27 किमी) और पैकेज–IV-डासना से मेरठ तक ग्रीन-फील्ड संरेखण-(31.78 किमी) निर्माणाधीन हैं और इनके मार्च 2019 तक पूरा होने की संभावना है।
vi वडोदरा-मुंबई एक्सप्रेसवे
473 किलोमीटर का एक्सप्रेसवे अहमदाबाद-वडोदरा एक्सप्रेसवे को मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा और इस तरह अहमदाबाद से पुणे के लिए लगभग 650 किलोमीटर की लंबाई के लिए एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
vii दिल्ली - मुंबई एक्सप्रेसवे
1250 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे दिल्ली और मुंबई के बीच एक नए संरेखण के साथ विकसित किया जा रहा है, जो हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के पिछड़े और जनजातीय जिलों से गुजरता है। इस एक्सप्रेसवे पर एक लाख करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। यह एनएच 8 के जरिए दिल्ली और मुंबई के बीच की दूरी को वर्तमान 1450 किमी से 1250 किमी तक और यात्रा के समय को 12 घंटे तक कम कर देगा। दिल्ली से राजस्थान के दाहोद तक प्रस्तावित राजमार्ग के खंडों के लिए निविदा प्रक्रिया जारी है, जबकि गुजरात के वड़ोदरा से अंकलेश्वर के बीच के खंड को पहले ही अवार्ड किया जा चुका है। शेष खंडों के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है।
viii बैंगलोर-चेन्नई एक्सप्रेसवे
260 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है। यह एक ग्रीन-फील्ड अलाइनमेंट है। बैंगलोर-चेन्नई को जोड़ने वाली दो मौजूदा सड़कें हैं, एक होसकोटे (बैंगलोर) से होकर जाती है-फिर चेन्नई तक और दूसरी इलेक्ट्रॉनिक सिटी (बैंगलोर) होसुर (तमिलनाडु) और फिर चेन्नई से होकर जाती है। प्रस्तावित एक्सप्रेसवे का संरेखण इन दोनों हिस्सों के बीच से गुजर रहा है।
ix दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे
500 किमी लंबे प्रस्तावित एक्सप्रेसवे के लिए ग्रीनफील्ड अलाइनमेंट का पता लगाया जा रहा है।
x नागपुर-हैदराबाद-बैंगलोर (एनबीएच) एक्सप्रेसवे
विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम आवंटित कर दिया गया है और 940 किमी लंबे नए ग्रीन फील्ड नागपुर - हैदराबाद - बैंगलोर एक्सप्रेसवे के लिए संरेखण को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
xi कानपुर-लखनऊ (केएल) एक्सप्रेसवे
75 किमी लंबे कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम प्रगति पर है।
xii वाराणसी एयरपोर्ट रोड और रिंग रोड
माननीय प्रधान मंत्री ने नवंबर में एनएच-56 पर 16.55 किमी लंबे, 759.36 करोड़ रुपये की लागत वाले वाराणसी रिंग रोड फेज -1 और 17.25 किमी लंबे, 812.59 करोड़ रुपये की लागत वाले बाबतपुत्र-वाराणसी रोड का उद्घाटन किया। इससे वाराणसी से हवाई अड्डे तक यात्रा समय कम हो गया और बौद्ध तीर्थयात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल सारनाथ तक सुविधाजनक पहुंच कायम हुई है, जिससे वाराणसी के लोगों और पर्यटकों को बड़ी राहत मिली है।
xiii बायेत द्वारका - ओखा ब्रिज
मंत्रालय ने ओखा से बायेत-द्वारका द्वीप तक मुख्य भूमि को गुजरात तट से जोड़ने के लिए 2.32 किलोमीटर लंबे 4-लेन पुल के एक सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण का काम शुरू किया है। 689.47 करोड़ रुपये की लागत से यह परियोजना को 01.01.2018 को आवंटित की गई। यह भारत का सबसे लंबा स्पैन केबल स्टे ब्रिज होगा जिसका मुख्य स्पैन 500 मीटर होगा। यह परियोजना 30 महीने की अवधि में पूरी होने वाली है।
xiv इलाहाबाद में फाफामऊ में गंगा पर पुल
इलाहाबाद के फाफामऊ में 1948.25 करोड़ रुपये की कुल पूँजी लागत के साथ एनएच - 96 पर गंगा नदी पर 9.9 किमी लंबे नए 6-लेन पुल के निर्माण के लिए एक परियोजना को स्वीकृति दी गई है। परियोजना की निर्माण की अवधि तीन वर्ष तय की गई है और इसके दिसंबर, 2021 तक पूरा होने की संभावना है। नया पुल इलाहाबाद में एनएच -96 पर मौजूदा पुराने 2 लेन फाफामऊ पुल पर यातायात की भीड़ की समस्या हल करेगा। नया पुल पवित्र शहर इलाहाबाद में कुंभ, अर्ध-कुंभ और प्रयाग में संगम में अन्य वार्षिक अनुष्ठान स्नान के दौरान लोगों की भारी भीड़ को भी सुविधा प्रदान करेगा। इससे पवित्र शहर प्रयाग में पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा। यह नया 6-लेन पुल राष्ट्रीय राजमार्ग - 27 और राष्ट्रीय राजमार्ग - 76 के माध्यम से नैनी पुल होकर मध्य प्रदेश से आने वाले और लखनऊ / फैजाबाद जाने वाले यातायात के लिए भी फायदेमंद होगा। इसके अलावा, नए पुल की यह परियोजना निर्माण के दौरान लगभग 9.20 लाख मानव दिवसों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्रदान करेगी।
xv बिहार में फुलौत में कोसी नदी पर पुल
बिहार के फुलौत में 6.930 किलोमीटर लंबे 4-लेन पुल के निर्माण के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी गई थी, साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग -106 के मौजूदा बीरपुर-बिहपुर खंड के पुनर्वास और उन्नयन के लिए मंजूरी दी गई थी। इस नए ब्रिज के निर्माण से बिहार में उदाकिशनगंज और राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 106 के बिहपुर के बीच मौजूदा 30 किलोमीटर लंबी खाई भर जाएगी, जिससे नेपाल / उत्तर बिहार / पूर्व-पश्चिम गलियारे (एनएच- 57 से गुजरते हुए) और दक्षिण बिहार / झारखंड / स्वर्णिम चतुर्भुज (एनएच -2 से गुजरना) के बीच कनेक्टिविटी कायम होगी और साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या -31 के पूर्ण उपयोग हो सकेगा।
xvi लॉजिस्टिक पार्क
भारतमाला परियोजना के चरण - 1 में विकास के लिए 35 मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्कों के नेटवर्क की पहचान की गई थी। 7 स्थानों पर मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्कों के विकास के लिए भूमि खंडों की उपलब्धता की पुष्टि की गई है और सभी बिन्दुओं पर विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने का काम प्रगति पर है।
xvii ज़ोजिला सुरंग
यह जम्मू-कश्मीर में 14.150 किलोमीटर लंबी, 2-लेन वाली द्वि-दिशात्मक ज़ोजिला सुरंग के निर्माण की एक परियोजना है। यह भारत की सबसे लंबी सड़क सुरंग और एशिया की सबसे लंबी द्वि-दिशात्मक सुरंग होगी। इस सुरंग के निर्माण से श्रीनगर, कारगिल और लेह के बीच हर मौसम में कारग़र कनेक्टिविटी कायम होगी और इन सभी क्षेत्रों के आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक एकीकरण करने में मदद मिलेगी।
xviii सिल्कारा- बेंड - बरकोट सुरंग
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने उत्तराखंड राज्य में एनएच-134 के साथ धरासू-यमुनोत्री खंड पर 2- लेन, 4.532 किलोमीटर लंबी द्वि-दिशात्मक सिल्कीरा बेंड-बरकोट सुरंग के निर्माण, संचालन और रखरखाव को मंजूरी दी। यह परियोजना चारधाम योजना का हिस्सा है। 1383.78 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ परियोजना की निर्माण अवधि 4 वर्ष है। एक बार पूरा हो जाने के बाद, इस खंड से धरासू से यमुनोत्री की यात्रा दूरी लगभग 20 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा समय में एक घंटेे की बचत होगी। इससे देश के भीतर क्षेत्रीय सामाजिक-आर्थिक विकास, व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यमुनोत्री के लिए हर तरह के मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी। परियोजना को राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा।
xix उत्तर पूर्व में राजमार्ग परियोजनाएँ
पूर्वोत्तर क्षेत्र में 12,000 किमी से अधिक की सड़क परियोजनाओं के निर्माण के लिए लगभग 1,90,000 करोड़ रुपये को परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। एनएचआईडीसीएल द्वारा निष्पादित की जा रही परियोजनाएं की लागत 1,66,026 करोड़ निर्धारित की गई है जिससे पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में 10,892 किमी लंबी सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। परियोजनाओं की लागत के रूप में संबद्ध राज्यों के लोक निर्माण विभागों को 17,257 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा, 7,000 करोड़ रुपये एनएचएआई को सौंपे गए हैं।
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- राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में सुविधा पहुचाने के लिए वित्त पोषण मोडल और अन्य नीतियां :
i लंबित परियोजनाओं को बहाल करने के उपाय
मंत्रालय ने नई परियोजनाओं के अनुमोदन और आवंटन के साथ-साथ चल रही परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित किया है। कुल 73 परियोजनाओं (8,187 किमी) की अनुमानित निवेश राशि 1,00,000 करोड़ रुपये की है, जिसे लंबित परियोजनाओं के रूप में जाना गया। देरी के कारणों की पहचान की गई और उनके समाधान के लिए नीतिगत उपाय किए गए।
ii टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर मॉडल
मंत्रालय टोल-ऑपरेट-ट्रांसफर (टीओटी) योजना के माध्यम से सार्वजनिक निधि से निर्मित अपनी सड़क परिसंपत्तियों का मुद्रीकरण कर रहा है। इस योजना में 30 वर्षों की रियायती अवधि के लिए बंडल किए गए राष्ट्रीय राजमार्गों की बोली की परिकल्पना की गई है। पहले बंडल में 9 परियोजनाएं शामिल थीं, जिसमें आंध्र प्रदेश और गुजरात में 681 किलोमीटर सड़कें थीं। इसका आवंटन 2018 में मैक्वेरी को 9,681 करोड़ रुपये के लिए किया गया था।, जो एनएचएआई के अनुमान का 1.5 गुना था। दूसरे बंडल में चार राज्यों में फैले 586 किलोमीटर के दायरे में - राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल और बिहार शामिल हैं। प्रस्ताव में चार राजमार्गों पर 12 टोल प्लाजा हैं।
iii एनएचएआई और एसबीआई के बीच समझौता ज्ञापन
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने भारतीय स्टेट बैंक के साथ 10 साल के लिए 25,000 करोड़ रुपये दीर्घकालिक, असुरक्षित ऋण के रूप में प्राप्त करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। एसबीआई द्वारा एक बार में मंजूर की गई यह ऋण की सबसे बड़ी राशि है। यह अब तक का सबसे बड़ा फंड है, जो एनएचएआई ने एक बार में प्राप्त किया है।
iv राष्ट्रीय राजमार्गों के संरेखण के लिए दिशानिर्देश
मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के उचित संरेखण के निर्धारण के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमे कार्यान्वयन एजेंसियों को सलाह दी गई की वे, विशेष रूप से आर्थिक गलियारों के मामले में, मौजूदा राजमार्गों को चौड़ा करने के बजाय, हरित-क्षेत्र संरेखण की व्यवहार्यता की जांच करें। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि चौड़ीकरण में 'मार्ग का अधिकार' अर्थात् राइट ऑफ वे (आरओडब्ल्यू) के लिए भूमि अधिग्रहण, संस्थाओं के स्थानांतरण और निर्मित ढांचे ध्वस्त करने की आवश्यकता पड़ती है, जिसमें बहुत समय और लागत शामिल है। इसके अलावा, पहले राजमार्गों को बड़े पैमाने पर चक्करदार बनाया जाता था, ताकि आसपास के सभी संभावित शहरों को उनके साथ जोड़ा जा सके। यह सड़क ज्यामिति खासकर आर्थिक गलियारों के मामले में अधिक अनुकूल नही पाई गई है। भारत माला परियोजना में भी आर्थिक गलियारों के लिए विशेष गलियारे के दृष्टिकोण की आवश्यकता उजागर की गई है। कुछ परीक्षण मामलों में यह भी पाया गया है कि किसी हरित क्षेत्र सड़क परियोजना के लिए 60 से 70 मीटर के आरओडब्ल्यू अर्थात् मार्ग के अधिकार का अधिग्रहण करना व्यवहार्य है, जो मौजूदा सड़क के विस्तार में शामिल है, विशेष रूप से तब जब संबंधित लागत और समय शामिल हो।
(v) ई-गजेटिंग के लिए प्लेटफार्म और पीएफएमएस के माध्यम से भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे का भुगतान
एक वेब सुविधा विकसित की गई है, जहां सभी भूमि अधिग्रहण संबंधी राजपत्र अधिसूचनाओं की प्रोसेसिंग सहित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रियाओं को एक साझा प्लेटफार्म ‘‘भूमि राशि’’ के जरिए अंजाम दिया जा रहा है। इस सुविधा को राजपत्र अधिसूचनाओं के प्रकाशन के लिए शहरी विकास मंत्रालय, भारत सरकार ई-गजेट प्लेटफार्म के साथ जोड़ा गया है। भूमि राशि के उपयोग से प्रोसेसिंग समय में कमी आई है। इसमें पहले जहां 2 से 3 महीने का समय लगता था, वहां अब केवल 1 से 2 सप्ताह का समय लगेगा।
भूमि राशि को वित्त मंत्रालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) से एकीकृत किया गया है, ताकि सीएएलए के साथ पार्क किए जाने की बजाए भूमि मालिकों/इच्छुक व्यक्तियों के खातों को वास्तविक समय के आधार पर मुआवजा दिया जा सके।
- बोलीदाता सूचना प्रबंधन प्रणाली
मंत्रालय ने सभी राष्ट्रीय राजमार्ग कार्यों और केंद्र प्रायोजित कार्यों के लिए ईपीसी मोड पर अनुबंधों हेतु बोलीदाताओं की पूर्व-योग्यता की प्रक्रिया को कारगर बनाने के लिए एक बोलीदाता सूचना प्रबंधन प्रणाली (बीआईएमएस) विकसित की है। बीआईएमएस बोलीदाताओं के सभी बुनियादी ब्यौरों जैसे सिविल कार्य अनुभव, नकद राशि प्राप्तियां और नेटवर्क, वार्षिक कारोबार आदि के लिए डेटा बेस के रूप में कार्य करता है। यह पहले से ही संग्रहीत डेटा से थ्रेसहोल्ड क्षमता और बोली क्षमता जैसे मूल्यांकन मापदंडों के आधार पर बोलीदाताओं के त्वरित पूर्व-योग्यता मूल्यांकन की सुविधा प्रदान करता है। इस तरह इस जानकारी का उपयोग करके तकनीकी मूल्यांकन तेजी से किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए वार्षिक पुरस्कारों की स्थापना
असाधारण कार्य निष्पादन करने वाले छूटग्राहियों और ठेकेदारों को सम्मानित करने के वास्ते राष्ट्रीय राजमार्ग क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए वार्षिक पुरस्कार इस वर्ष से शुरू किए गए हैं। राजमार्ग निर्माण और टोलिंग के क्षेत्र में काम कर रहे सभी छूटग्राहियों और ठेकेदारों से आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। ये पुरस्कार निर्माण प्रबंधन, संचालन और रख-रखाव, सर्वक्षेष्ठ टोल प्लाजा, सबसे सुरक्षित राजमार्ग, डिजाइन और निर्माण प्रौद्योगिकी में नवाचार की पांच श्रेणियों के लिए रखे गए हैं।
- राजमार्ग क्षमता नियमावली
सीएसआईआर-सीआरआरआई द्वारा विकसित भारत की पहली राजमार्ग क्षमता नियमावली इस वर्ष शुरू की गई। ये नियमावली देश में सड़क इंजीनियरों और नीति निर्माताओं के लिए एक उपकरण के रूप में विकसित की गई है। इसमें यातायात विशेषताओं के आधार पर अलग-अलग लेन विन्यास वाली विभिन्न प्रकार की सड़कों के विकास और प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
ix भूमि अधिग्रहण, अनुबंध दस्तावेज आदि के बारे में कार्यशाला
मंत्रालय ने भूमि अधिग्रहण, अनुबंध दस्तावेज (ईपीसी/डीपीआर) और ई-दिशा (ईआरपी परियोजनाएं), नए मानकों और तकनीकी से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए मंत्रालय, एनएचएआई और एनएचआईडीसीएल के क्षेत्रीय अधिकारियों के लिए दिल्ली में 18.12.2018 को एक कार्यशाला आयोजित की। राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम 1956 के तहत राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए भूमि अधिग्रहण पर दिशा निर्देशों की एक पुस्तिका भी जारी की गई है ताकि राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को निर्बाध रूप से अंजम दिया जा सके।
- सड़क सुरक्षा
- सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में कमी
मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार समूचे भारत में पुलिस अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के आधार पर वर्ष 2017 में सड़क दुर्घटनाओं में मामूली कमी दर्ज हुई। इसे निम्नांकित तालिका में देखा जा सकता है-
मानदंड
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2016
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2017
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पिछले वर्ष की तुलना में परिवर्तन (प्रतिशत)
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सड़क दुर्घटनाओं की संख्या
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4,80,652
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4,64,910
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(-) 3.3
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मारे गए व्यक्तियों की संख्या
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1,50,785
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1,47,913
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(-) 1.9
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मंत्रालय सड़क सुरक्षा, सड़क सुरक्षा ऑडिट, सड़कों पर काले धब्बों की पहचान और सुधार, आटोमोबाइल सुरक्षा मानकों को मजबूत करने, सड़क सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजन, सुदृढ़ प्रवर्तन सहित कई उपायों के माध्यम से सड़क सुरक्षा की समस्या का समाधान करने के लिए ठोस प्रयास कर रहा है। इन प्रयासों के कुछ परिणाम दिखने शुरू हो गए हैं।
2. दुर्घटना ब्लैक स्पोट्स में सुधार
मंत्रालय ने अभी तक विभिन्न राज्यों में 789 सड़क दुर्घटना ब्लैक स्पोट्स की पहचान की है। इनमें से 651 राष्ट्रीय राजमार्गों पर और 138 राज्य सड़कों पर हैं। इन ब्लैक स्पोट्स को सुधारने के लिए शुरू किए गए कार्य पूर्ण होने की दिशा में विभिन्न चरणों में हैं।
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- जिलों में ड्राइवर प्रशिक्षण स्कूलों की स्थापना में दिशा निर्देश
मंत्रालय ड्राइविंग प्रशिक्षण व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्यों, वाहन निर्माताओं और गैर- सरकारी संगठनों के साथ मिल कर काम कर रहा है। इंस्टिट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च (आईटीडीआर), क्षेत्रीय ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (आईडीटीसीज़) और ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (डीटीसी) स्थापित किए गए हैं, जो अत्याधुनिक ढांचे के साथ मॉडल ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं। मंत्रालय ने देश के सभी जिलों में ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र बनाने और भारी वाणिज्यिक वाहन चालकों के लिए रिफ्रेशर-प्रशिक्षण कार्यक्रम सुदृढ़ बनाने की एक योजना शुरू की है। मंत्रालय राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा मॉडल इंस्टिट्यूट आफ ड्राइवर्स ट्रेनिंग एंड रिसर्च (आईडीटीआर) की स्थापना के लिए एक योजना लागू कर रहा है। अभी तक विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में 24 (संख्या) आईटीआरडी मंजूर किए गए हैं और इनमें से 16 पूर्ण हो चुके हैं और कार्यशील हैं।
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- सड़क सुरक्षा जागरूकता के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठनों को धन देने संबंधी दिशा-निर्देश
मंत्रालय ने “सड़क सुरक्षा प्रचार कार्य को बढ़ावा देने और सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए वित्तीय सहायता एवं पुरस्कार प्रदान करने” के एक कार्यक्रम के तहत सड़क सुरक्षा के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने के काम में गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) को शामिल करने के बारे में दिशा-निर्देश जारी किए हैं। यह परिकल्पना की गई है कि गैर-सरकारी संगठन नागरिकों के बीच सड़क सुरक्षा जागरूकता पैदा करने संबंधी गतिविधियों को अंजाम देंगे।
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- सुखद यात्रा ऐप और टोल फ्री आपात नम्बर
राजमार्ग उपयोगकर्ताओं के लिए एनएचएआई द्वारा विकसित एक मोबाइल ऐप और टोल-फ्री आपात नंबर 1033 इस साल मार्च में शुरू किया गया था। सुखदयात्रा मोबाइल एप्लिकेशन टोल द्वारों के बारे में जानकारी प्रदान करता है। इस ऐप की प्रमुख विशेषताओं में उपयोगकर्ता के लिए सड़क की गुणवत्ता से संबंधित जानकारी प्रदान करना या राजमार्गों पर किसी भी दुर्घटना या गड्ढे की रिपोर्ट करने की व्यवस्था शामिल है। यह इस्तेमालकर्ताओं को टोल प्लाजा पर इंतजार के अपेक्षित समय के बारे में वास्तविक समय डेटा और विभिन्न सुविधाओं, जैसे हितकर स्थानों, राजमार्ग नेस्ट/नेस्ट मिनी आदि की जानकारी प्रदान करता है। ऐप का उपयोग फास्टैग्स खरीदने के लिए भी किया जा सकता है।
टोल-फ्री नंबर 1033 उपयोगकर्ताओं को आपातकालीन स्थिति, या राजमार्ग-संबंधी फीडबैक हासिल करने में मदद करेगा। इस सेवा को सड़कों के किनारे एम्बुलेंस / टो-अवे सेवाओं के साथ भी जोड़ा गया है।
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- 29वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन
मंत्रालय ने 23 से 30 अप्रैल 2018 के दौरान 29 वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया। इस वर्ष स्कूलों और वाणिज्यिक चालकों पर ध्यान केंद्रिय किया गया और इसका विषय था "सड़क सुरक्षा जीवन रक्षा"। उद्घाटन समारोह में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने देश में सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय की प्राथमिकताओं पर जोर दिया। 10 स्कूली बच्चों को पुरस्कार दिए गए जिन्होंने सड़क सुरक्षा पर राष्ट्रीय स्तर की निबंध प्रतियोगिता जीती। माननीय मंत्री ने इस अवसर पर उपस्थित सभी लोगों को सड़क सुरक्षा की शपथ भी दिलाई। सड़क सुरक्षा और ड्राइविंग नियमों के बारे में लोगों को बताने के लिए देश भर के कई शहरों में सड़क सुरक्षा से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इस मुद्दे के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कई गैर सरकारी संगठनों ने मंत्रालय के कार्यक्रमों में भाग लिया।
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- सड़क सुरक्षा के बारे में मंत्रियों का समूह
मंत्रालय ने राजस्थान के परिवहन मंत्री श्री यूनुस खान की अध्यक्षता में राज्य के परिवहन मंत्रियों के एक समूह का गठन किया था ताकि अंतरराज्यीय मुद्दों पर काम किया जा सके और कराधान, परमिट और अन्य मुद्दों की एक समान दरों को अपनाने पर सहमति बनाई जा सके। 13 राज्यों के परिवहन मंत्रियों के एक समूह ने इस साल 18-19 अप्रैल को गुवाहाटी में बैठक की और करों और परमिटों के सामंजस्य, सड़क सुरक्षा उपायों, नीति में बदलाव और राज्य सड़क परिवहन उपक्रमों को मजबूत करने के उपायों के उद्देश्य से 9-बिंदु गुवाहाटी घोषणा का अनुमोदन किया। बैठक के दौरान लिए गए सबसे महत्वपूर्ण फैसलों में विविध सड़क कर ढांचे के स्थान पर वन नेशन वन टैक्स की सिफारिश शामिल थी, जिससे यात्रा में आसानी होगी।
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- दुर्घटना पीड़ितों को पांच लाख रुपये मुआवजा :
बीमा कंपनियों से दुर्घटना पीड़ितों को उचित और तेजी से मुआवजा दिलाने में मदद के लिए, मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम के प्रासंगिक नियमों को संशोधित किया, जिसके अनुसार हर दुर्घटना पीड़ित या उसका निकटतम संबंधी मृत्यु के मामले में 5 लाख रुपये और गंभीर क्षति तथा विकलांगता के मामले में क्षति की मात्रा के अनुपात में 5 लाख रुपये तक के मुआवजे का हकदार होगा। संतुष्ट न होने की स्थिति में दुर्घटना के शिकार लोग अदालत के माध्यम से अधिक मुआवजे का दावा कर सकते हैं, लेकिन इस नियम से गरीब से गरीब व्यक्ति को भी तेजी से और उचित मुआवजा मिलेगा।
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- टोल प्लाजा पर सीसीटीवी संस्थापना:
राष्ट्रीय राजमार्गों के 210 टोल प्लाजों पर वाहनों की भीड़ के लिए सीसीटीवी और निगरानी के लिए एनएचएआई मुख्यालय में एक केंद्रीय कमान और नियंत्रण केंद्र स्थापित किया जा रहा है। इसे क्षेत्रीय कार्यालयों के साथ जोड़ा जाना प्रस्तावित है और परियोजना का निष्पादन सेवा मॉडल आधार पर पांच वर्ष की अवधि के लिए निर्धारित किया गया है।
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- सड़क सुरक्षा सप्ताह पर फिल्म :
सड़क के नियमों का पालन करने की आवश्यकता के बारे में सार्वजनिक जागरूकता पैदा करने के लिए तीन लघु फिल्मों का उद्घाटन 14 अगस्त, 2018 को माननीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने किया। ये फिल्में अंततः सड़क सुरक्षा के लक्ष्य को प्रोत्साहित करने में योगदान करेंगी। इन फिल्मों में निःस्वार्थ कार्य करने वाले फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार को माननीय मंत्री द्वारा सड़क सुरक्षा ब्रैंड एम्बेसडर के रूप में भी नियुक्त किया गया है।
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- सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण :
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में एशियाई परिवहन विकास संस्थान को नामित किया है। उद्देश्य यह है कि यह केंद्र अनुसंधान अध्ययन और सर्वोत्तम प्रथाओं के भंडार के रूप में कार्य करेगा। मानव संसाधन विकास और ज्ञान का आदान-प्रदान इसकी गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण घटक है। अक्टूबर 2018 तक, राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा केंद्र ने 1400 से अधिक पेशेवरों को सड़क सुरक्षा और सड़क संरक्षा जांच में प्रशिक्षण प्रदान किया। इसके लिए अखिल भारतीय स्तर पर 31 पाठ्यक्रमों का संचालन किया गया।
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- परिवहन क्षेत्र में किए गए उपाय :
सड़क यात्रा को लोगों के लिए अधिक सुविधाजनक बनाने हेतु मंत्रालय ने वर्ष के दौरान परिवहन के क्षेत्र में कई नए उपाए किए। इनमें से कुछ का ब्यौरा नीचे दिया गया है-
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- ड्राइविंग लाइसेंस आवेदनों के निपटान में सरलीकरण
लाइसेंस की प्रक्रिया को सरल बनाने में और सुधार लाने के लिए, मंत्रालय ने ड्राइविंग लाइसेंस आवेदन फॉर्म को सरल बनाया है। चार प्रारूपों यानी (क) लर्नर लाइसेंस, (ख) ड्राइविंग लाइसेंस, (ग) लाइसेंस का नवीकरण, और (घ) पता अद्यतन करना - सभी को एक में समेकित किया गया है। नया फॉर्म, आवेदक की आधार आधारित जांच की सुविधा प्रदान करेगा और नवीकरण, पते में परिवर्तन आदि के लिए आनलाइन सेवाएं प्रदान करेगा। नए फॉर्म की एक अन्य विशेषता यह है कि यह अंगदान के बारे में आवेदक की इच्छा को दर्ज करेगा।
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- एक्सल भार संशोधन :
माल वाहनों के अनुमेय सुरक्षित एक्सल वजन को संशोधित किया गया था और एक्सल के विभिन्न विन्यासों के लिए लगभग 15% से 20% तक की वृद्धि की गई थी। माल परिवहन वाहनों की वहन क्षमता बढ़ाने और रसद लागत को नीचे लाने में मदद करने के लिए यह निर्णय लिया गया था। संशोधन से माल वाहनों की वहन क्षमता में लगभग 20-25% और रसद लागत में लगभग 2% की वृद्धि होगी। यह ओवरलोडिंग की घटनाओं को भी कम करेगा। हालांकि ऑटोमोबाइल प्रौद्योगिकी और सड़क निर्माण की गुणवत्ता में पिछले कुछ वर्षों में बहुत सुधार हुआ है, लेकिन 1983 के बाद से एक्सल भार में कोई परिवर्तन नहीं किया गया था। अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार एक्सल लोड के सामंजस्य की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।
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- टोल प्लाजों के लिए रैंकिंग प्रणाली का शुभारंभ
एनएचएआई ने इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग, फास्टैग लेन की मंजूरी में लगने वाले समय, डिस्प्ले पैनल, कर्मचारियों के व्यवहार, स्वच्छता आदि जैसे मापदंडों पर शुल्क प्लाज़ा की रैंकिंग के लिए एक मैट्रिक्स-आधारित पद्धति विकसित की है। मैट्रिक्स के लिए डेटा उन क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा एकत्र किया जाएगा जो अपने अधिकार क्षेत्र के तहत शुल्क प्लाजा स्थलों की रैंकिंग करने के लिए उनका इस्तेमाल करेंगे। इस बीच, 10 फरवरी, 2018 को एनएचएआई द्वारा देशभर में 300 से अधिक टोल प्लाजा स्थलों पर एक देशव्यापी अभियान शुरू किया गया, ताकि उन मुद्दों का समाधान किया जा सके जो राजमार्ग उपयोगकर्ताओं को प्रभावित करते हैं। अधिकारियों ने टोल प्लाजा स्थलों का दौरा किया और उपयोगकर्ता सुविधा संबंधी मुद्दों का समाधान किया और लोगों से जानकारी प्राप्त की।
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- वाहनों की अधिकतम गति में संशोधन
मंत्रालय ने दिनांक 6 अप्रैल 2018 की अधिसूचना के तहत विभिन्न वर्गों के वाहनों की अधिकतम गति को संशोधित किया है। यह अधिसूचना विभिन्न वर्गों के वाहनों की गति निर्धारित करती है। तदनुरूप ड्राइवर सहित 8 से अधिक सीटों वाले यात्री वाहन में एक्सप्रेसवे पर 120 किमी /प्रति घंटा और नगरपालिका की सड़कों पर 70 किमी /प्रति घंटा की अधिकतम गति हो सकती है।
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- डिजि-लॉकर और एम परिवहन प्लेटफार्म के जरिए दस्तावेज स्वीकरण
मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के लिए एक एडवाइजरी जारी की गई है, जिसके जरिए उनसे कहा गया है कि वे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के डिजि-लॉकर प्लेटफॉर्म और सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एम परिवहन मोबाइल ऐप के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक रूप में दस्तावेजों को स्वीकार करें। डिजीलॉकर या एम परिवहन पर उपलब्ध ऐसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के अनुसार मूल दस्तावेजों के साथ कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त माना जाता है। इससे नागरिकों की शिकायतों का निवारण/आरटीआई आवेदनों का निपटान करने में भी मदद मिलेगी और साथ ही डिजिटल इंडिया अभियान को बढ़ावा मिलेगा।
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- सभी सार्वजनिक सेवा वाहनों में वाहन स्थान ट्रैकिंग उपकरण और आपात बटन लगाए जाने संबंधी अधिसूचना
महिला यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र के वाहनों में, वाहन स्थान ट्रैकिंग उपकरण (वीएलटी) और इमरजेंसी बटन लगाने की व्यवस्था के लिए 25 अक्टूबर, 2018 को विस्तृत मानक अधिसूचित किए गए। राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया गया है कि वे इस नियम का अनुपालन सुनिश्चित करें और वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र जारी करते समय सार्वजनिक सेवा वाहनों में वीएलटी उपकरण की उपयुक्तता और कार्यात्मक स्थिति की जांच करें। राज्यों में कमांड और कंट्रोल सेंटर का इस्तेमाल विभिन्न हितधारकों जैसे राज्य आपातकालीन कार्रवाई केंद्र, राज्य और केंद्र सरकारों के परिवहन प्राधिकरण, उपकरण निर्माताओं और उनके अधिकृत डीलरों, परीक्षण एजेंसियों आदि को कमांड और नियंत्रण केंद्र प्रदान करने के लिए किया जाएगा। कमांड और कंट्रोल सेंटर राज्य के वाहन डेटाबेस अथवा सम्बद्ध डेटाबेस को ओवर स्पीडिंग एवं उपकरण की सुचारू कार्य प्रणाली के बारे में जानकारी प्रदान करने में भी सक्षम होगा।
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- परिवहन वाहन के संदर्भ में फिटनेस
इस अधिसूचना के अनुसार आठ वर्ष तक के परिवहन वाहन के संबंध में फिटनेस प्रमाणपत्र का नवीनीकरण दो साल के लिए और आठ साल से अधिक पुराने वाहन के लिए एक वर्ष के लिए किया जाएगा। पूर्ण रूप से निर्मित वाहन के रूप में बेचे जाने वाले नए परिवहन वाहन के लिए पंजीकरण के समय किसी फिटनेस प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी और ऐसे वाहन को पंजीकरण की तारीख से दो साल की अवधि के लिए फिटनेस प्रमाण पत्र माना जाएगा।
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- दोहरे ईंधन का इस्तेमाल
मंत्रालय ने दोहरे ईंधन के उपयोग के लिए एक अधिसूचना जारी की है जिसमें डीजल और बायो-कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस (बायो-सीएनजी) या तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) इंजनों के साथ दोहरे ईंधन से संचालित कृषि ट्रैक्टरों, पावर टिलर, निर्माण उपकरण वाहनों और कंबाइन हार्वेस्टरों से धुएं और वाष्प के उत्सर्जन को कवर किया गया है।
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- हरित उपाय :
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- इलेक्ट्रिक, इथेनॉल और मेथनॉल वाहनों को परमिट से छूट दी गई
विद्युत गतिशीलता और वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, मंत्रालय ने 18 अक्टूबर, 2018 को जारी की गई अधिसूचना के तहत बैटरी संचालित वाहनों और मेथनॉल ईंधन या इथेनॉल ईंधन पर चलने वाले वाहनों को यात्रियों या माल ढुलाई के लिए परमिट की आवश्यकता से छूट दी है।
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- पीयूसी (प्रदूषण नियंत्रण) डेटा को वाहन डेटाबेस के साथ जोड़ने की सलाह
इस मंत्रालय द्वारा वाहन डेटाबेस के साथ प्रदूषण नियंत्रण (PUC) डेटा को जोड़ने के लिए एक प्रणाली विकसित और परीक्षण की गई है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को 1 अक्टूबर, 2018 को एक सलाह जारी की, जिसमें सभी पीयूसी विक्रेताओं को दिशा-निर्देशों का पालन करने और उत्सर्जन परीक्षण डेटा को वाहन डेटाबेस पर इलेक्ट्रॉनिक रूप से अपलोड करने की सुविधा प्रदान करने का निर्देश दिया गया।
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- बैटरी संचालित वाहनों के रजिस्ट्रेशन मार्क के बारे में अधिसूचना
इलेक्ट्रिक वाहनों को एक अलग पहचान देने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि पंजीकरण संख्या को ग्रीन बैकग्राउंड वाली नंबर प्लेट पर प्रदर्शित किया जाएगा। इस आशय की एक अधिसूचना 7 अगस्त, 2018 को जारी की गई थी।
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- एम 15 (15%) मेथनॉल गैसोलीन के साथ सम्मिश्रण
मंत्रालय ने वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने और साथ ही कच्चे पैट्रोलियम, जिसमें से गैसोलीन का उत्पादन होता है, के कारण आयात का बोझ कम करने के लिए के लिए मेथनॉल के साथ गैसोलीन के सम्मिश्रण के बारे में एक अधिसूचना जारी की। माननीय प्रधान मंत्री ने 2014-15 के स्तर से 2022 तक तेल और गैस के आयात पर निर्भरता 10% कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की घोषणा की थी। मेथनॉल को एक वैकल्पिक परिवहन ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जिससे आयात की निर्भरता कुछ हद तक कम हो जाएगी।
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- वाहन बीमा/बीमा के नवीनीकरण के लिए पीयूसी (प्रदूषण नियंत्रण) प्रमाणपत्र की आवश्यकता
मंत्रालय ने आईआरडीए और सभी सामान्य बीमा कंपनियों के एमडी/अध्यक्षों से अनुरोध किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि वैध पीयूसी की उपलब्धता का पता लगाए बिना किसी तृतीय-पक्ष बीमा पॉलिसी को जारी या नवीनीकृत न किया जाये। यह निर्णय भारत के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद किया गया है।
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- निर्माण उपकरण वाहन और ट्रैक्टर के लिए उत्सर्जन मानक
मंत्रालय ने निर्माण उपकरण वाहन और ट्रैक्टर के लिए उत्सर्जन मानक अधिसूचित किये हैं। इन मानकों को 1 अक्टूबर, 2020 (कार्यावधि IV) और 1 अप्रैल, 2024 से [भारत स्टेज (सीईवी/कार्यावधि)-V] लागू किया जाएगा इससे पर्यावरण के अनुकूल निर्माण/खनन गतिविधियां सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
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- क्वाड्रिसाइकल को गैर-परिवहन वाहनों में शामिल किया गया
मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत ‘क्वाड्रिसाइकल' को गैर-परिवहन' वाहन के रूप में अधिसूचित किया है। क्वाड्रिसाइकिल तिपहिया वाहन के आकार का एक वाहन है, लेकिन 4 टायरों के साथ यह पूरी तरह से एक कार की तरह कवर किया गया है। इसमें तिपहिया वाहन जैसा इंजन दिया गया है। यह अंतिम मील कनेक्टिविटी के लिए परिवहन का एक सस्ता और सुरक्षित साधन है। केवल अधिनियम के तहत परिवहन उपयोग के लिए क्वाड्रिसाइकल की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब इसे गैर-परिवहन के लिए भी उपयोग करने योग्य बना दिया गया है।
- ई –पहल :
6.1 'इनामप्रो' को ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार
मंत्रालय के तहत एक केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र प्रतिष्ठान, एनएचआईडीसीएल द्वारा शुरू की गई परियोजना, "इनामप्रो" को प्रशासनिक सुधार और जन शिकायत विभाग ने ई-गवर्नेंस में योगदान के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। इस परियोजना को श्रेणी- I ''सरकारी प्रक्रिया री-इंजीनिययरिंग में उत्कृष्टता'' के तहत 'स्वर्ण' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
6.2 इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ईटीसी)
इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह में तेजी से बिकने वाले फास्टैग्स की संख्या और इलेक्ट्रॉनिक रूप से एकत्र किए गए उपयोगकर्ता शुल्क के मामले में तेजी देखी गई है। कुल 440 टोल प्लाजा के साथ, इस साल अक्टूबर तक 34.3 लाख से अधिक फास्टैग यूनिट जारी किए गए हैं, और 25 से 27% राजस्व ईटीसी मोड का उपयोग करके एकत्र किया जा रहा है। फास्टैग के उपयोग में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह बढ़ोतरी एकत्र किए गए शुल्क और विस्तार, दोनों के संदर्भ में हुई है। अप्रैल 2017 में 13.1% विस्तार के साथ 210.1 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी, जो अगस्त 2018 के महीने में बढ़कर 24.8% विस्तार के साथ 440.8 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
6.3 पीएफएमएस को बोलीदाता सूचना प्रबंधन प्रणाली (बीआईएमएस) और भूमिराशी के साथ जोड़ा गया
इस मंत्रालय के दो आईटी उपायों, जिनका उद्देश्य क्रमशः बोली और भूमि अधिग्रहण से संबंधित निर्माण-पूर्व प्रक्रियाओं में तेजी लाना है, को अब सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के साथ एकीकृत कर दिया गया है। बोलीदाता सूचना प्रबंधन प्रणाली (बीआईएमएस) का उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अनुबंधों के ईपीसी मोड के लिए बोलीदाताओं की पूर्व-योग्यता की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है, जो अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ काम करता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का भूमि राशि पोर्टल भूमि अधिग्रहण मामलों की पूरी तरह से डिजिटल और पेपर-लेस प्रोसेसिंग के लिए अनुमति देता है, और इसके परिणामस्वरूप भूमि अधिग्रहण मामलों का पारदर्शी, त्वरित, भ्रष्टाचार-मुक्त और त्रुटि मुक्त संचालन होता है। इसने भूमि अधिग्रहण से संबंधित गतिविधियों और रिपोर्ट जेेनरेशन की वास्तविक समय की ट्रैकिंग को भी संभव बनाया है। देश भर के लगभग 7 लाख गांवों के राजस्व रिकॉर्ड को पोर्टल में एकीकृत किया गया है। इस डिजिटल बदलाव ने भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी करने में लगने वाले समय को 3-6 महीने से घटाकर 1-2 सप्ताह कर दिया है। मंत्रालय द्वारा इस वित्तीय वर्ष के पहले आठ महीनों में 2000 से अधिक सूचनाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं, जबकि पिछले दो वर्षों के दौरान, हर साल लगभग एक हजार भूमि अधिग्रहण अधिसूचनाएँ जारी की जा सकती हैं। इस प्रक्रिया से प्रणाली में पारदर्शिता भी आई है। पहले अनुमोदित मुआवजे की राशि सीएएलए (सक्षम अधिग्रहण के लिए भूमि अधिग्रहण) के पास छोड़ी जाती थी, लेकिन भूमि राशि पोर्टल के जरिए यह राशि सीधे संबंधित व्यक्ति के खाते में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से स्थानांतरित कर दी जाती है जो पोर्टल का अभिन्न अंग है। इसके अलावा, यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल भी है क्योंकि फ़ाइलों की कोई भौतिक गतिविधि नहीं है - सभी कार्य डिजिटल रूप से किए जाते हैं।
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- परिवहन दस्तावेज इलेक्ट्रोनिक रूप में रखने के बारे में परामर्श
मंत्रालय द्वारा एक परामर्श जारी किया गया है, जिसके अनुसार नागरिक वर्दी में किसी पुलिस अधिकारी द्वारा या इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य अधिकारी द्वारा मांगेे जाने पर परिवहन संबंधी दस्तावेज जैसे कि पंजीकरण, बीमा, फिटनेस और परमिट, ड्राइविंग लाइसेंस, प्रदूषण जांच प्रमाण पत्र और यदि आवश्यक हो, तो अन्य संबंधित दस्तावेज, भौतिक या इलेक्ट्रॉनिक रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। इससे दस्तावेजों ले जाने और उनके सत्यापन के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग संभव हो सकेगा। यह नागरिक सुविधा की दिशा में एक कदम है और लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि नागरिकों को कोई परेशानी/असुविधा न हो।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
- 'ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन' के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 10 जून, 2018 को 'ट्रांसपोर्ट फॉर लंदन' (टीएफएल) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। टीएफएल एक ऐसी एजेंसी है जो ग्रेटर लंदन के लिए परिवहन प्रणाली का प्रबंधन करती है, और उसने लंदन शहर में मजबूत एवं भरोसेमंद सार्वजनिक प्रणाली बनाकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। इसने एक ही ब्रांड के तहत 17 से अधिक ऑपरेटरों के साथ पीपीपी मॉडल में बसों के संचालन की एक अनूठी प्रणाली बनाई है। एमओयू का उद्देश्य देश में सार्वजनिक परिवहन ढांचे को पुनर्जीवित करने के लिए टीएफएल की विशेषज्ञता का उपयोग करना है।
- भारत-नेपाल सीमा पार परिवहन सुविधा कार्य समूह की दूसरी बैठक
लंबे अंतराल के बाद, भारत-नेपाल मोटर वाहन समझौते के तहत दोनों देशों के बीच वाहनों के आवागमन के नियमन के लिए 23 फरवरी, 2018 को भारत-नेपाल क्रॉस बॉर्डर ट्रांसपोर्ट फैसिलिटेशन वर्किंग ग्रुप की दूसरी बैठक काठमांडू में आयोजित की गई। नेपाल और भारत से नामित ऑपरेटरों के माध्यम से महेंद्रनगर- देहरादून, नेपालगंज- हरिद्वार, नेपालगंज-लखनऊ, नेपालगंज -दिल्ली और काठमांडू-गोरखपुर के नए मार्गों पर नियमित बस सेवा शुरू करने पर सहमति हुई। काठमांडू -सिलीगुड़ी और जनकपुर- पटना मार्गों पर बस सेवाओं का संचालन शुरू करने पर भी सहमति हुई। दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से वाणिज्यिक मांग और बुनियादी ढाँचे की उपलब्धता के आधार पर आपसी हित के अन्य मार्गों के खुलने की संभावना पर भी विचार किया।
- बांग्लादेश, भारत और नेपाल में बस ट्रायल रन
भारत और नेपाल (बीआईएन) में निर्बाध यात्री वाहन आंदोलन को आगे बढ़ाने की दिशा में एक और कदम उठाते हुए, जून, 2015 में बीबीआइएन एमवीए पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके तहत बांग्लादेश में ढाका से दो यात्री बसों का ट्रायल रन अप्रैल, 2018 में किया गया, जिसमें 43 यात्री थे। ट्रायल रन 23 अप्रैल को ढाका से शुरू हुआ और 26 अप्रैल 2018 को काठमांडू पहुंचा। प्रतिभागी देशों ने समझौते के तहत कार्गो वाहनों के लिए अधिक ट्रायल रन करने पर भी सहमति व्यक्त की है।
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- बिम्सटेक के कार्य समूह की पहली बैठक
किन्हीं दो या अधिक सदस्य राष्ट्रों के बीच यात्री और मालवाहक वाहनों के आवागमन के नियमन के लिए मोटर वाहन समझौते के मसौदेे पर बातचीत करने के लिए बिम्सटेक कार्य समूह की की पहली बैठक इस साल अप्रैल में आयोजित की गई थी। बैठक में भारत, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, थाईलैंड, श्रीलंका और म्यांमार के प्रतिनिधि शामिल हुए। समझौते के मसौदे पर चर्चा की गई और इसमें संशोधन किया गया। सदस्य देश संशोधित मसौदेे की आगे जांच करेंगे।
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- भारत और युगांडा के बीच समझौता ज्ञापन
भारत के माननीय प्रधान मंत्री की युगांडा यात्रा के दौरान, कंपाला स्थित युगांडा की सेंट्रल मैटिरियल लेबोरेटरी (एमएल), और भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत इंडियन एकेडमी ऑफ़ हाइवे इंजीनियर्स (आईएएचई) के बीच युगांडा में राजमार्गों के लिए एक क्षेत्रीय सामग्री परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना के लिए 24-25 जुलाई, 2018 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
6. सड़क और सड़क परिवहन क्षेत्र से संबद्ध भारत-जापान संयुक्त कार्य समूह की 5वीं बैठक
भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और जापान के भूमि, आधारभूत संरचना, परिवहन और पर्यटन मंत्रालय केे बीच कायम किए गए सहयोग फ्रेमवर्क के तहत सड़क परिवहन क्षेत्र में भारत-जापान संयुक्त कार्य समूह की 5 वीं बैठक 12 नवंबर, 2018 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। बैठक में, "एक्सप्रेसवे के संचालन और रखरखाव", "पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्वतीय सड़कों के विकास" और "पुराने ढांचों को बचाने के लिए निवारक उपाय" आदि क्षेत्रों में नवीनतम तकनीकी विकास के बारे में जानकारी साझा की गई।
7. रूस और भारत के बीच समझौता ज्ञापन
भारत के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय तथा रूसी संघ के परिवहन मंत्रालय के बीच सड़क परिवहन और सड़क उद्योग क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग पर एक समझौता के एक प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 अक्टूबर, 2018 को अपनी बैठक में मंजूरी दी।
- अन्य :
- तरीके से सुविधाएं और राजमार्ग नेस्ट (मिनी)
राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ पीपीपी मोड में बड़े आकार की मार्गस्थ (वेसाइड्स) सुविधाओं के विकास के लिए खरीद प्रक्रिया चल रही है, एनएचएआई ने 314 राजमार्ग नेस्ट (मिनी) का निर्माण किया है। इन्हें टोल प्लाजा के पास विकसित किया जा रहा है, जो 10एमX20एम के पक्के मंच पर लगभग 200 मीटर नीचे है और इसमें शौचालय, पानी, एटीआर, चाय / कॉफी वेंडिंग मशीन के साथ एक छोटा कियोस्क और राजमार्ग उपयोगकर्ताओं के लिए पैक किए गए सामान जैसी सुविधाएं शामिल हैं।
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- स्वच्छ्ता पखवाड़ा और 'स्वच्छता ही सेवा' अभियान (एसएचएस)
मंत्रालय ने 15 सितंबर, 2018 और 2 अक्टूबर के बीच सभी राष्ट्रीय राजमार्गों पर स्वच्छ पखवाड़ेे का आयोजन किया था। इस अवधि के दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों से सटे गांवों में श्रमदान और स्कूलों की सफाई से संबंधित कई गतिविधियाँ भी एनएचएआई द्वारा आयोजित की गई थीं। स्वच्छ भारत मिशन के तहत मंत्रालय ने पुरुषों और महिलाओं, दोनों के लिए शौचालयों का निर्माण, एनएचएआई के टोल प्लाजा स्थलों पर कूड़े के डिब्बे और होर्डिंग्स लगाना जैसे कार्यों को अंजाम दिया। नोडल मंत्रालय, पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने स्वच्छ कार्य योजना के कार्यान्वयन के लिए मंत्रालय को 2017-18 के लिए एक विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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