कोयला मंत्रालय
वर्षांत समीक्षा 2018 : कोयला मंत्रालय
वर्ष 2018 में कोयला मंत्रालय की पहल और उपलब्धियां
अप्रैल-नवम्बर, 2018-19 के दौरान 433.896 मिलियन टन (एमटी) कच्चे कोयले का उत्पादन हुआ, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 394.910 एमटी का उत्पादन हुआ था
अप्रैल-नवम्बर, 2018-19 के दौरान सीआईएल का कोयला उत्पादन और कोयले की ढुलाई/उठाव क्रमश: 358.322 एवं 392.091 एमटी का हुआ
‘शक्ति’ नीति के तहत वार्षिक अनुबंधित क्षमता के 75 प्रतिशत की दर से लगभग 68,000 मेगावाट की क्षमता के लिए मौजूदा कोयला आपूर्ति को जारी रखने की इजाजत दी गई है
वर्ष 2017-18 के दौरान सीआईएल ने 24.85 एमटीवाई की कुल वार्षिक क्षमता वाली पांच खुली खदान परियोजनाओं को मंजूरी दी और 4264.90 करोड़ रुपये की पूंजी स्वीकृत की
तीन संभावित कोल फील्ड से कोयले की निकासी का मुद्दा सुलझाने के लिए भारत सरकार ने झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में तीन रेल परियोजनाओं का कार्यान्वयन शुरू किया है
सभी उपभोक्ताओं/हितधारकों के साथ-साथ कोयला कंपनियों की भी पहुंच घोषित किस्म तक सुनिश्चित करने में मदद के लिए अप्रैल 2018 में ‘उत्तम’ एप लांच किया गया
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01 JAN 2019 3:05PM by PIB Delhi
कोयला उत्पादन
- वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रैल-नवम्बर अवधि के दौरान 433.896 मिलियन टन (एमटी) कच्चे कोयले का उत्पादन हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 394.910 एमटी का उत्पादन हुआ था।
- अप्रैल-नवम्बर, 2018 के दौरान कोयला उत्पादन की समग्र वृद्धि दर 9.8 प्रतिशत आंकी गई।
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का कोयला उत्पादन और उठाव (अप्रैल-नवम्बर 2018 के दौरान)
- वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रैल-नवम्बर अवधि के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला खनन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का कोयला उत्पादन एवं कोयला ढुलाई/उठाव क्रमश: 358.322 एमटी और 392.091 एमटी रहा।
- सीआईएल का उत्पादन एवं ढुलाई या प्रेषण वृद्धि दर वित्त वर्ष 2018-19 में अप्रैल-नवम्बर अवधि के दौरान क्रमश: 8.8 तथा 6.6 प्रतिशत आंकी गई।
- आम तौर पर यह माना जाता है कि हर साल जून-सितंबर के दौरान कोयला उत्पादन की वृद्धि दर काफी धीमी पड़ जाती है।
- अक्टूबर के बाद से ही उत्पादन ने तेज गति पकड़ ली है।
-
स्थिति
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अप्रैल-नवम्बर 2018
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अप्रैल-नवम्बर 2017
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मात्रा की दृष्टि से वृद्धि
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वृद्धि दर
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सीआईएल का उत्पादन (एमटी में)
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358.322
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329.297
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29.025
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8.8%
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सीआईएल की ढुलाई (एमटी में)
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392.091
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367.805
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24.286
|
6.6%
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अखिल भारतीय माह वार क्रमिक कोयला उत्पादन
(मिलियन टन में)
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अप्रैल
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मई तक
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जून तक
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जुलाई तक
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अगस्त तक
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सितंबर तक
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अक्टूबर तक
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नवम्बर तक
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2018-19
(नवम्बर 2018 तक)
|
53.78
|
110.53
|
165.08
|
214.06
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260.97
|
310.73
|
370.95
|
433.90
|
2017-18
(नवम्बर 2017 तक)
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46.05
|
95.86
|
144.22
|
188.85
|
234.65
|
281.32
|
335.34
|
394.91
|
विद्युत उपक्रमों को कोयला आपूर्ति की निगरानी
वर्ष 2015-16 से लेकर वर्ष 2018-19 (नवम्बर तक) के दौरान कम (क्रिटिकल) एवं अत्यंत कम (सुपर क्रिटिकल) स्टॉक वाले बिजली घरों में स्टॉक की स्थिति कुछ इस तरह से रही :
तिथि
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मात्रा (एमटी में)
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कम स्टॉक वाले बिजली घरों की संख्या
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अत्यंत कम स्टॉक वाले बिजली घरों की संख्या
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कुल
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स्टॉक (दिनों में)
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31.03.2015
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26.10
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12
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6
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18
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18
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31.03.2016
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38.87
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0
|
0
|
0
|
27
|
31.03.2017
|
27.74
|
1
|
0
|
1
|
19
|
31.03.2018
|
16.27
|
10
|
18
|
28
|
10
|
30.11.2018
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12.94
|
12
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11
|
23
|
8
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कोयला कंपनियों और सीआईएल में उपलब्ध निगरानी व्यवस्था के अलावा विद्युत उपक्रम क्षेत्र को होने वाली कोयला आपूर्ति की नियमित निगरानी एक अंतर-मंत्रालय उप-समूह द्वारा की जाती है, जिसमें विद्युत, कोयला और रेल मंत्रालय के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। इस उप-समूह का गठन कैबिनेट सचिवालय की अवसंरचना समीक्षा समिति द्वारा किया जाता है। यह उप-समूह विद्युत संयंत्रों के पास उपलब्ध कम कोयला स्टॉक सहित विद्युत क्षेत्र से संबंधित किसी भी आकस्मिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए परिचालन से जुड़े महत्वूर्ण निर्णय लेता है।
विद्युत क्षेत्र लिंकेज नीति – शक्ति
सीसीईए ने 17 मई, 2017 को एलओए-एफएसए की मौजूदा व्यवस्था को समाप्त होने को मंजूरी दे दी और इसके साथ ही शक्ति (भारत में पारदर्शी ढंग से कोयले के दोहन एवं आवंटन की योजना) 2017 की शुरुआत की, जिसे कोयला मंत्रालय ने 22 मई 2017 को जारी किया था। इस नीति में निम्नलिखित बातों का उल्लेख किया गया है –
- ‘शक्ति’ नीति के तहत वार्षिक अनुबंधित क्षमता (एसीक्यू) के 75 प्रतिशत की दर से लगभग 68,000 मेगावाट की क्षमता के लिए मौजूदा कोयला आपूर्ति को जारी रखने की इजाजत दी गई है। भविष्य में कोयले की उपलब्धता के आधार पर कोयला आपूर्ति को और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है। यही नहीं, इस नीति के फलस्वरूप ईंधन आपूर्ति समझौतों (एफएसए) पर हस्ताक्षर न होने के कारण विलम्ब का सामना कर रही 68000 मेगावाट क्षमता में से लगभग 19000 मेगावाट क्षमता का मार्ग प्रशस्त हो गया है, बशर्ते कि इन संयंत्रों को 31 मार्च 2022 तक चालू कर दिया जाए। जिन संयंत्रों के लिए एलओए जारी किए गए हैं, वे अब शक्ति नीति के पैराग्राफ ए (1) के तहत एफएसए पर हस्ताक्षर करने के पात्र बन गए हैं। 22 मई, 2017 को जारी शक्ति नीति के पैरा ए (1) के अनुसार, लंबित एलओए धारकों के साथ एफएसए पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। हालांकि, इससे पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि संबंधित संयंत्र चालू किए जा चुके हैं, निर्धारित लक्ष्य प्राप्त किए जा चुके हैं, एलओए की समस्त विशिष्ट शर्तों को निर्धारित समय सीमा में पूरा कर लिया गया है और संबंधित एलओए धारकों के खिलाफ कोई भी प्रतिकूल जानकारी नहीं मिली है।
इसके साथ ही एलओए-एफएसए की पुरानी व्यवस्था अपनी समाप्ति के करीब पहुंच गई :
विद्युत क्षेत्र से जुड़ी नई एवं अधिक पारदर्शी कोयला आवंटन नीति शक्ति-2017 के तहत निम्नलिखित बातों पर विचार किया जाता है :
सीआईएल/एससीसीएल विद्युत मंत्रालय की सिफारिश पर अधिसूचित मूल्य पर राज्य स्तरीय /केन्द्रीय उत्पादन कंपनियों/संयुक्त उद्यमों को कोल लिंकेज की मंजूरी दे सकती है।
- ऐसे आईपीपी को लिंकेज की अनुमति जिन्होंने घरेलू कोयले पर आधारित पीपीए कर रखे हैं, लेकिन उनके पास कोई लिंकेज नहीं है।
- बगैर पीपीए वाले आईपीपी/विद्युत उत्पादकों को लिंकेज नीलामी के आधार पर दिए जाएंगे। इसके तहत वही विधि अपनाई जाएगी, जिसे गैर-नियमित क्षेत्र के लिए लिंकेज नीलामी के तहत अपनाया गया था।
- नये पीपीए के लिए राज्यों को कोल लिंकेज निर्दिष्ट किए जा सकते हैं। इसके लिए पूर्ण विवरण के साथ कोल लिंकेज की उपलब्धता की घोषणा पहले से करनी पड़ेगी। राज्य इन लिंकेजों के बारे में वितरण कंपनियों (डिस्कॉम)/एसडीए को सूचित कर सकते हैं।
- राज्यों के समूह की विद्युत आवश्यकता का भी संयोजन किया जा सकता है और इस संयोजित बिजली की खरीद या तो विद्युत मंत्रालय द्वारा नामित एजेंसी अथवा शुल्क आधारित बोलियों के आधार पर इन राज्यों द्वारा अधिकृत एजेंसी द्वारा की जा सकती है।
- विद्युत मंत्रालय के साथ सलाह-मशविरा कर कोयला मंत्रालय उन आईपीपी को कोल लिंकेजों के आवंटन के लिए एक पारदर्शी बोली प्रक्रिया की विस्तृत विधि तैयार कर सकता है, जिन्होंने आयातित कोयले पर आधारित पीपीए कर रखे हैं। इसके तहत लागत में होने वाली बचत को पूरी तरह से उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराना होगा।
अभी तक उपर्युक्त नीति के पैरा ए (1), बी (1) और बी (2) के तहत कोल लिंकेजों को मंजूरी दी गई है। जनवरी-नवम्बर, 2018 के दौरान शक्ति नीति, 2017 के तहत कोल इंडिया लिमिटेड ने 12 ईंधन आपूर्ति समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
अभी तक ‘शक्ति’ के विभिन्न प्रावधानों के तहत स्वीकृत किए गए कोल लिंकेजों का विवरण कुछ इस तरह से है :
· शक्ति के पैरा ए (1) के तहत : कुल मिलाकर 4730 मेगावाट क्षमता वाले 6 विद्युत संयंत्रों के लिए एफएसए पर हस्ताक्षर किए जाने को मंजूरी दी गई है।
· शक्ति के पैरा बी (1) के तहत : कुल मिलाकर 21880 मेगावाट क्षमता के लिए 18 टीपीपी स्वीकृत लिंकेज।
· शक्ति के पैरा बी (2) के तहत : शक्ति नीति के पैरा बी (2) के तहत लिंकेज नीलामी सितंबर 2017 में आयोजित की गई थी, जिस दौरान 9045 मेगावाट क्षमता के लिए 10 अनंतिम सफल बोलीदाताओं द्वारा 27.18 एमटी वार्षिक कोल लिंकेज की बुकिंग की गई। अभी तक 10 सफल बोलीदाताओं में से 7 बोलीदाताओं के साथ हुए ईंधन आपूर्ति समझौते को कार्यान्वित किया गया है।
गैर-विनियमित क्षेत्र के लिए लिंकेजों की नीलामी
गैर-विनियमित क्षेत्र के लिए लिंकेजों की नीलामी की नीति 15 फरवरी, 2016 को जारी की गई थी। गैर-विनियमित क्षेत्र यथा सीमेंट, स्टील/स्पंज आयरन, अल्युमिनियम एवं अन्य (उर्वरक- यूरिया क्षेत्र को छोड़कर) और उनके सीपीपी के लिए लिंकेजों/एलएओ के सभी आवंटन नीलामी आधारित होंगे। 10 अक्टूबर, 2018 तक कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा चार चरणों में आयोजित की गई लिंकेज नीलामियों के तहत 71.72 एमटीपीए कोयले की बुकिंग की गई है। गैर-विद्युत के अधिसूचित मूल्य पर प्रतिशत की दृष्टि से फायदा 17.90 प्रतिशत का रहा है। नीलामी का चौथा चरण जून 2018 से ही जारी है। 10 अक्टूबर, 2018 तक आयोजित नीलामी के चौथे दौर में स्पंज आयरन, सीमेंट और सीपीपी उप-क्षेत्र द्वारा कुल मिलाकर 26.54 एमटी की बुकिंग की गई और उपर्युक्त 3 उप-क्षेत्रों के लिए अधिसूचित मूल्य पर फायदा औसतन 30.25 प्रतिशत का रहा है।
- कोल लिंकेज को युक्तिसंगत बनाना
कोयले के मौजूदा स्रोतों की व्यापक समीक्षा करने के उद्देश्य से जून, 2014 में एक अंतर-मंत्रालय कार्य दल (आईएमटीएफ) का गठन किया गया था, ताकि संबंधित तकनीकी बाधाओं के तहत ढुलाई लागत का अनुकूलन किया जा सके। सक्षम प्राधिकरण द्वारा स्वीकृत आईएमटीएफ की रिपोर्ट संबंधित पक्षों को सुलभ कराई गई। आईएमटीएफ की सिफारिश पर तीन चरणों में इसे युक्तिसंगत बनाने का काम किया गया। राज्य स्तरीय/केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पीएसयू) के लिए लिंकेज को युक्तिसंगत बनाने का काम आरंभ में आईएमटीएफ की सिफारिश पर किया गया और बाद में कोयले की उपलब्धता के आधार पर तथा पीएसयू के टीपीपी के अनुरोध पर सीआईएल द्वारा इसे आगे बढ़ाया गया। कुल मिलाकर 55.66 एमटी कोयले की ढुलाई को युक्तिसंगत बनाया गया है, जिससे 3359 करोड़ रुपये की संभावित वार्षिक बचत हुई है।
हाल ही में कोयला मंत्रालय ने स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आईपीपी) के लिए लिंकेज युक्तिकरण नीति जारी की है। इसके लिए दिनांक 15 मई, 2018 को भेजा गया पत्र देखें, जिसके तहत राज्य स्तरीय/केन्द्रीय उत्पादन कंपनियों के लिंकेज के युक्तिकरण के साथ इसकी शुरुआत हुई। इस नीति के अनुसार सीआईएल ने राज्य स्तरीय/केन्द्रीय उत्पादन कंपनियों के लिए 5.42 एमटी को युक्तिसंगत बनाया है, जिससे 292 करोड़ रुपये (जैसा कि विद्युत संयंत्रों द्वारा अनुमान लगाया गया है) की संभावित बचत हुई है। इस पर अमल जारी है।
इसके अलावा 18 अक्टूबर, 2018 को एक अंतर-मंत्रालय कार्य दल का गठन किया गया, ताकि कोल लिंकेजों को और ज्यादा तर्कसंगत बनाने की संभावनाओं पर गौर किया जा सके। बंदरगाहों से दूर-दराज के क्षेत्रों में भेजे जा रहे आयातित कोयले के साथ तटीय क्षेत्रों के निकट ढुलाई किए गए घरेलू कोयले की अदला-बदली करना भी इसमें शामिल है। आईएमटीएफ की चार बैठकें अब हो चुकी हैं।
केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का निर्दिष्ट अंतिम उपयोग करने वाले ऐसे संयंत्रों (विद्युत एवं गैर-विद्युत दोनों ही क्षेत्रों वाले) को ‘ब्रिज लिंकेज’ देने की नीति 8 फरवरी, 2016 को जारी की गई, जिन्हें कोयला खदान/ब्लॉक आवंटित किए गए हैं। ब्रिज लिंकेज दरअसल केन्द्रीय एवं राज्य स्तरीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों का निर्दिष्ट अंतिम उपयोग करने वाले किसी संयंत्र की कोयला आवश्यकता और लिंकेज आवंटित कोयला खदान/ब्लॉक से उत्पादन शुरू होने के समय कोयले की मात्रा के बीच की खाई को पाटने के लिए एक अल्पकालिक लिंकेज के रूप में काम करेगा। अब तक 31 टीपीपी और 1 सीपीपी के लिए ब्रिज लिंकेजों को मंजूरी दी गई है। जनवरी 2018 से लेकर 22 नवम्बर, 2018 तक की अवधि के दौरान 2 टीपीपी के लिए ब्रिज लिंकेजों को स्वीकृति दी गई है।
- थर्ड पार्टी द्वारा नमूने लेना
माल लदान वाले स्थान पर थर्ड पार्टी द्वारा नमूने लेने (सैम्पलिंग) – मानक परिचालन प्रक्रिया से जुड़े दिशा-निर्देश 26 नवम्बर, 2015 को जारी किए गए थे। नमूने लेने और ताप विद्युत संयंत्रों द्वारा माल उतारने/प्राप्त किए जाने वाले स्थान पर कोयले का विश्लेषण करने के लिए सीआईएमएफआर की भी अनुमति दी गई है। थर्ड पार्टी द्वारा नमूने लेने (सैम्पलिंग) की समीक्षा समय-समय पर संयुक्त सचिव (कोयला) और संयुक्त सचिव (थर्मल) की संयुक्त अध्यक्षता वाली समिति द्वारा की जा रही है।
सीआईएमएफआर ने वार्षिक आधार पर 548 मिलियन टन के लिए त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने का काम पूरा कर लिया है। एफएसए/एमओयू के तहत विद्युत उपक्रमों को होने वाली लगभग पूरी आपूर्ति की सैम्पलिंग (नमूना लेना) को पहले ही सीआईएमएफआर द्वारा कवर किया जा चुका है।
इसके अलावा, थर्ड पार्टी सैम्पलिंग के दायरे में अब उन गैर-विद्युत उपभोक्ताओं को भी ला दिया गया है, जो विभिन्न एफएसए और वैकल्पिक आधार पर होने वाली ई-नीलामी के तहत कोयला प्राप्त कर रहे हैं।
अप्रैल 2018 में ‘उत्तम (खनन किए गए कोयले के थर्ड पार्टी आकलन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना)’ नामक एक एप लांच किया गया। इस एप के जरिए सभी उपभोक्ताओं/हितधारकों के साथ-साथ कोयला कंपनियो की भी पहुंच घोषित किस्म, थर्ड पार्टी सैम्पल के विश्लेषण से जुड़े निष्कर्षों और रेफरी के विश्लेषण से संबंधित निष्कर्षों तक सुनिश्चित की जा सकती है।
अब विद्युत उपक्रमों और गैर-विद्युत उपभोक्ताओं दोनों ही से जुड़े सभी एफएसए और ई-नीलामी के तहत होने वाली कोयला आपूर्ति को थर्ड पार्टी सैम्पलिंग के दायरे में ला दिया गया है। उपभोक्तागण अब स्वतंत्र थर्ड पार्टी एजेंसियों द्वारा विश्लेषण के उपरांत दी जाने वाली श्रेणी के आधार पर स्वयं को होने वाली कोयला आपूर्ति के तहत कोयले के समुचित मूल्य का भुगतान कर रहे हैं।
वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान विनिवेश
- कोल इंडिया का ओएफएस : कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की 10 प्रतिशत चुकता इक्विटी पूंजी के विनिवेश को सीसीईए द्वारा नवम्बर 2015 में मंजूरी दी गई। इनमें से 3.19 प्रतिशत शेयरों का विनिवेश वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ओएफएस (ऑफर फॉर सेल या बिक्री पेशकश) के जरिए किया गया।
- भारत 22 ईटीएफ : सीसीईए से अनुमोदन हो जाने के बाद वैकल्पिक व्यवस्था के तहत ‘भारत 22 ईटीएफ’ नामक एक नये एक्सचेंज ट्रेडेड फंड के सृजन को मंजूरी दी गई है। बाजार के संघटक के अनुसार सीआईएल और एनएलसी का वेटेज़ इस इक्विटी ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में क्रमश: 3.3 एवं 0.3 प्रतिशत है।
वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान भारत 22 ईटीएफ के जरिए सीआईएल के 0.225 प्रतिशत शेयरों और एनएलसीआईएल के 0.10 प्रतिशत शेयरों का विनिवेश किया गया।
- एनएलसीआईएल का बायबैक : चालू वित्त वर्ष यानी 2018-19 के दौरान एनएलसीआईएल के बोर्ड द्वारा 88 रुपये प्रति इक्विटी शेयर की दर से प्रत्येक 10 रुपये मूल्य के 14,19,31,818 पूर्ण चुकता इक्विटी शेयरों के बायबैक को पहले ही मंजूरी दी जा चुकी है। कोयला मंत्रालय ने भी एनएलसीआईएल द्वारा शेयरों के प्रस्तावित बायबैक को अपनी ओर से समर्थन देने के लिए प्रमोटर की ओर से सरकार की मंजूरी के बारे में सूचित कर दिया है, जिसके लिए पत्र दिनांक 9 अक्टूबर, 2018 देखें।
- सीपीएसई-ईटीएफ : आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 2 मई, 2013 को सीपीएसई-ईटीएफ बनाने को मंजूरी दे दी, जिसमें सूचीबद्ध केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) के इक्विटी शेयर शामिल हैं।
तदनुसार, सीपीएसई-ईटीएफ योजना में प्लेसमेंट के जरिए सीआईएल के शेयरों का विनिवेश तीन किस्तों में किया गया। इसके तहत मार्च 2014 में 0.35 प्रतिशत, जनवरी 2017 में 0.67 प्रतिशत और मार्च 2017 में 0.25 प्रतिशत शेयरों का विनिवेश किया गया।
सीपीएसई-ईटीएफ के उपर्युक्त एफएफओ3 के शेयर पहले ही डीआईपीएएम को हस्तांतरित किए जा चुके हैं। सीआईएल और एनएलसीआईएल में भारत सरकार की 2.21 प्रतिशत और 1.62 प्रतिशत शेयरधारिता का विनिवेश एफएफओ3 सीपीएसई-ईटीएफ के जरिए किया गया। शेष शेयरों को डीआईपीएएम द्वारा प्राप्त करना अभी बाकी है।
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के तहत कोयला ब्लॉकों/खदानों का आवंटन
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों और इनके अंतर्गत बनाए गए नियमों के तहत अब तक 85 कोयला खदानों को सफलतापूर्वक आवंटित किया गया है (मूलत: 92 कोयला खदानें आवंटित की गई थीं, बाद में 7 कोयला खदानों से जुड़े कोयला खदान विकास एवं उत्पादन समझौते को निरस्त कर दिया गया था)। इन 85 कोयला खदानों में से 25 खदानों का आवंटन इलेक्ट्रॉनिक नीलामी (निजी कंपनियों को 24 खदानें और एक सरकारी कंपनी को 1 खदान) के जरिए किया गया और 60 खदानों का आवंटन सरकारी कंपनियों को किया गया है। इन 85 कोयला खदानों में से 48 खदानों का आवंटन विनियमित क्षेत्र (सेक्टर) यथा विद्युत क्षेत्र को, 21 खदानों का आवंटन गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) यथा लौह एवं इस्पात, सीमेंट एवं कैप्टिव (स्व-उपयोग) बिजली क्षेत्र को और 16 खदानों का आवंटन कोयले की बिक्री के लिए किया गया है। 77 कोयला खदानों के लिए आवंटन/सौंपने संबंधी आदेश जारी किए गए हैं। वर्ष 2018 के दौरान 3 कोयला खदानों का आवंटन कोल इंडिया लिमिटेड को किया गया है। इनमें बीजाहान, दामोगोरिया पूर्व और उत्कल-ए शामिल हैं। 18 कोयला खदानों की नीलामी प्रक्रिया और 8 कोयला खदानों की आवंटन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
उपर्युक्त अधिनियम के तहत आवंटित कोयला खदानों का विकास दरअसल कोयला खदान विकास एवं उत्पादन समझौते (सीएमडीपीए) की अनुसूची-ई/सफल बोलीदाताओं/आवंटियों द्वारा नामित प्राधिकरण के साथ किए गए आवंटन समझौते में निर्दिष्ट शर्तों के साथ-साथ तय किए गए लक्ष्यों के अनुरूप भी किया जाएगा। इन निर्धारित शर्तों का उल्लंघन करने पर समझौते के प्रावधानों के तहत उपयुक्त कार्रवाई की जाएगी। वर्ष 2018 के दौरान बैंक गारंटी के रूप में जमा कराई गई परफॉर्मेंस सिक्योरिटी से 428 करोड़ रुपये की राशि हासिल की गई है।
- उल्लेखनीय है कि वर्तमान बोली प्रणाली की प्रभावशीलता एवं उसमें निहित चुनौतियों पर गौर करने और भविष्य में कोयला खदानों की नीलामी आयोजित करने हेतु उसमें बदलावों को सुझाने के लिए एक उच्चस्तरीय विशेषज्ञ समिति (एचपीईसी) का गठन किया गया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट 12 जुलाई 2018 को सौंप दी। एचपीईसी की रिपोर्ट और उस पर सचिवों की समिति द्वारा पेश की गई सिफारिशों (इसके लिए दिनांक 12 अक्टूबर, 2018 को जारी कार्यालय ज्ञापन देखें) पर गौर करने तथा विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श करने के बाद संबंधित निर्देश नामित प्राधिकरण को जारी किए गए हैं, ताकि तदनुसार भावी आवश्यक कदम उठाए जा सकें। इन निर्देशों में कोयला खदानों के भावी आवंटन के लिए दिशा-निर्देश शामिल हैं।
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत आवंटित कोयला ब्लॉकों/खदानों को चालू करना
- वर्ष 2018 के दौरान छह कोयला खदान चालू किए गएः
- अरधाग्राम
- मनोहरपुर
- गारे पाल्मा IV/8
- तलईपल्ली
- दुलंगा
- पछवाड़ा उत्तर
- कोयला खदानों के विकास की निगरानी के लिए सचिव (कोयला) तथा नामित प्राधिकार द्वारा नियमित बैठकें की जाती हैं। वर्ष 2018 के दौरान सचिव (कोयला) ने 11/01/2018, 27/02/2018, 19/04/2018, 23/07/2018, 1/08/2018, 5/09/2018 तथा 14/11/2018 को 7 बैठकें कीं। नामित प्राधिकार की बैठक 20/09/2018 तथा 5/11/2018 को हुई।
- नीलाम किए गए कोयला खदानः कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों के अंतर्गत नीलाम किए गए 15 चालू (अनुसूची II) कोयला खदानों में से 12 कोयला खदानों में खनन कार्य प्रारंभ हो गया है/खदान खोलने की अनुमति दे दी गई हैं। शेष 3 अनुसूची II कोयला खदान चालू होने के लिए विभिन्न मंजूरियों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन 3 गैर-संचालन अनुसूची II कोयला खदानों के मामले में कोयला खदान विकास तथा उत्पादन समझौता के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की गई हैं/की जा रही हैं।
- 10 अनुसूची III कोयला खदानों में से एक कोयला खदान को खनन के लिए खोलने की अनुमति दी गई। शेष अनुसूची III कोयला खदान 2018 से आगे खुलेंगे, क्योंकि आवंटन के समय में ये खदान चालू नहीं थे।
- आवंटित कोयला खदानः 18 चालू (अनुसूची II) कोयला खदान सार्वजनिक प्रतिष्ठानों/जेनको को आवंटित किए गए थे, जिनमें से 4 खदान चालू हैं, 42 अनुसूची III तथा अनुसूची I कोयला खदानों (24 अनुसूची III+18 अनुसूची I) में से 6 कोयला खदानों को खोलने की अनुमति दी गई है। अनुसूची III तथा I कोयला खदान जून, 2018 से आगे चालू होंगे, क्योंकि आवंटन से समय ये खदान चालू नहीं थे।
- कोयला उत्पादन की स्थितिः
कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के अंतर्गत चालू किए गए कोयला खदानों के आवंटन से अक्टूबर, 2018 तक कुल 56.13 एमटी कोयले का उत्पादन हुआ है।
नीलामी/खदानों के आवंटन से हुई प्राप्तियों के कारण कुल 6096.50/- करोड़ रुपये (रॉयल्टी कर उपकर आदि को छोड़कर) का राजस्व सृजन हुआ है। इस राशि में नकद भुगतान तथा नवंबर, 2018 तक मासिक भुगतान सम्मिलित हैं।
- एमएमडीआर अधिनियम, 1957 के अंतर्गत कोयला ब्लॉक आवंटन
- चिन्हित किए गए 137 अतिरिक्त गैर-सीआईएल कोयला ब्लॉकों में से एमएमडीआर अधिनियम, 1957 के अंतर्गत 89 कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए उपलब्ध हैं।
- 6/6/2018 को एमएमडीआर अधिनियम, 1957 के अंतर्गत देवचा पचमी कोयला ब्लॉक पश्चिम बंगाल विद्युत विकास निगम (डब्ल्यूबीडीसीएल) को आवंटित किया गया है।
- 6 कोयला ब्लॉकों को एमएमडीआर अधिनियम, 1957 के अंतर्गत कोल इंडिया लिमिटेड/ इसकी सहायक कंपनियों को आवंटित करने का निर्णय लिया गया है।
- 30/1/2018 को एक लिगनाइट ब्लॉक (भरकंदम) समझौता पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
- कोयला खुदाई
- वित्त वर्ष 2018-19 के लिए प्रोत्साहन की उपयोजना (क्षेत्रीय) खुदाई के अंतर्गत सीएमपीडीआईएल खुदाई लक्ष्य, 22,000 मीटर है, जो पहले साल की खुदाई से 47,000 मीटर अधिक है और गैर-सीआईएल ब्लॉकों में विस्तृत खुदाई की उपयोजना के अंतर्गत खुदाई 512500 मीटर है, जो पिछले वर्ष की खुदाई से 13000 मीटर अधिक है।
- सुरक्षा ऑडिट
- सीआईएल की सहायक कंपनी डब्ल्यूसीएल की खदान बचाव टीम ने रूस के येकाटेरीनबर्ग में 2018 में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय खदान बचाव प्रतियोगिता में सर्वाधिक सक्रिय टीम का पुरस्कार प्राप्त किया। नागपुर, डब्ल्यूसीएल में आंतरिक चट्टान परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित की गई, ताकि रॉक मास रेटिंग का निर्धारण हो सके।
- कोयला गुणवत्ता की ग्रेडिंग
- वित्त वर्ष 2018-19 के लिए ग्रिड स्वीकृति के उद्देश्य से कोयलरी नियंत्रण नियम 2004 तथा कोयला खदान (संरक्षण तथा विकास) नियम 2011 के अंतर्गत 2017-18 के दौरान सीआईएल की सहायक कंपनियों तथा एचसीसीएल 33 परतों/परत टुकड़ों तथा साइडिंग से सीसीओ टीम द्वारा नमूनें (3 सेट) लिए गए। इसमें 177 खदान शामिल थे और 124 खदानों को फिर से ग्रेड दिया गया, जिसके परिणाम स्वरूप 78 खदानों के ग्रेड में कमी आई और 46 खदानों के ग्रेड में वृद्धि हुई।
अनुसंधान और विकास
अनुसंधान और विकास गतिविधि शीर्ष संस्था स्थायी वैज्ञानिक अनुसंधान समिति (एसएसआरसी) के माध्यम से की जाती है। कोयला सचिव इसके अध्यक्ष होते हैं।
01/04/2018 तक जारी अनुसंधान परियोजनाओं की संख्या 17 थी, जिसमें से 4 परियोजनाएं पूरी कर ली गई हैं।
निम्नलिखित क्षेत्रों में जारी अनुसंधान परियोजनाएः
- उत्पादन, उत्पादकता और कोयला खदानों में सुरक्षा
- कोयला सजावट
- पर्यावरण तथा पारिस्थितिकी संरक्षण
- स्वच्छ कोयला प्रौद्योगिकी
17 जारी अनुसंधान परियोजनाओं के लिए 104.57 करोड़ रुपये की कुल स्वीकृति दी गई है।
चालू परियोजनाओं की स्थिति
- सीआईएल में 20 करोड़ रुपये और उससे अधिक लागत की 117 चालू खनन परियोजनाएं हैं। इन 117 परियोजनाओं में से 63 परियोजनाएं (54 प्रतिशत) समय पर हैं और 54 परियोजनाएं (46 प्रतिशत) विलंब से चल रही हैं। एससीसीएल में 20 खनन परियोजनाएं (14 खुली खदान तथा 6 भूमिगत) क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। ये परियोजनाएं 20 करोड़ रुपये तथा इससे ऊपर की हैं और इनकी स्वीकृत पूंजी लागत 6865.72 करोड़ रुपये हैं। इसमें से 14 परियोजनाएं समय पर हैं (एफआर/आरसीई के अनुसार), 6 परियोजनाएं विलंब से चल रही हैं।
- विलंब के मुख्य कारण वानिकी मंजूरी भूमि अधिग्रहण तथा संबंधित आरआर समस्याएं, प्रतिकूल, भौगोलिक खदान स्थिति हैं। कोयला कंपनियां विभिन्न स्तरों पर परियोजना क्रियान्वयन की निरंतर निगरानी कर रही हैं और परियोजना लागू करने में आ रही बाधाओं के बारे में राज्य और केन्द्र स्तर के संबंधित अधिकारियों के साथ बातचीत कर रही हैं।
नई परियोजनाएं
- 2017-18 अवधि के दौरान सीआईएल ने 5 खुली परियोजनाएं की स्वीकृति दी है, जिनकी वार्षिक कुल क्षमता 24.85 एमटीवाई है और स्वीकृत पूंजी 4264.90 करोड़ रुपये है।
कोयला निकासी के लिए रेल संरचना
- झारखंड के दक्षिण करनपुरा, ओडिशा में इब- घाटी तथा छत्तीसगढ़ में मांड-रायगढ़ की 3 क्षमता वाले कोयला खदानों से निकासी की समस्या सुलझाने के लिए भारत सरकार ने 3 रेल परियोजनाओं – झारखंड के उत्तरी करनपुरा में तोरी-शिवपुर-कठोतिया, ओडिशा में इब- घाटी में झरसुगुड़ा-बारपल्ली-सरडेगा तथा छत्तीसगढ़ में भुपदेवपुर-कोरिचापुर-धरमजयगढ़- को लागू कर रही है।
- 44.37 किलोमीटर लंबी तोरी-शिवपुर नई बड़ी रेललाइन का निर्माण 2399 करोड़ रुपये के संशोधित पूंजी आवंटन के साथ सितंबर, 2018 में पूरा कर लिया गया है (सिंगल लाइन)। रेललाइन के दोहरीकरण, ओएचई तथा सिग्नल कार्य प्रगति पर हैं। कार्य पूर्व मध्य रेलवे द्वारा किया जा रहा है। शिवपुर-कठोतिया सेक्शन की 49.085 किलोमीटर लाइन का निर्माण 1799.64 करोड़ रुपये के संशोधित पूंजी आवंटन के साथ रेल की संयुक्त उद्यम कंपनी झारखंड मध्य रेल लिमिटेड (जेसीआरएल) द्वारा शुरू किया गया है। जेसीआरएल में सीसीएल (64 प्रतिशत), इरकॉन (26 प्रतिशत) तथा झारखंड सरकार (10 प्रतिशत) के हिस्सेदार हैं। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तथा बढ़े हुए माइलेज के बारे में जानकारी क्रमशः 27/02/2018 तथा 13/06/2018 को पूर्व मध्य रेलवे और रेल बोर्ड को भेज दी गई है। पूर्व मध्य रेल के साथ रियायत समझौते पर हस्ताक्षर तथा जेसीआरएल की वित्तीय खाताबंदी का काम प्रगति पर है। मध्य लाइन की पेगिंग का काम और भौतिक कार्य वित्तीय खाताबंदी और वानिकी मंजूरी के बाद जनवरी, 2018 तक हो जाने की आशा है।
- 1044 करोड़ रूपये के संशोधित पूंजी परिव्य के साथ 52.41 किलोमीटर लंबी झारसुगुड़ा-बरपाली-सरदेगा नई बीजी रेल लाइन का निर्माण कार्य मार्च 2018 में पूरा हो चुका है। यह सिंगल लाइन 08.03.2018 को चालू हो गई और 05.04.2018 से कोयले की ढुलाई शुरू हो गई। यह कार्य दक्षिण-पूर्व रेलवे द्वारा कार्यान्वित किया गया।
- भूपदेवपुर- कोरिछापर-धरमजयगढ़ रेल अवसंरचना के विकास के लिए एसईसीएल(64%), इरकॉन (26%) और छत्तीसगढ़ सरकार(10%) की इक्विटी भागीदारी से पूर्वी और पश्चिमी गलियारों यथा छत्तीसगढ़ पूर्व रेलवे लिमिटेड (सीईआरएल) और छत्तीसगढ़ पूर्व-पश्चिम रेलवे लिमिटेड (सीईडब्ल्यूआरएल) के विकास हेतु दो विशेष उद्देश्य वाली कम्पनियों(एसपीवी) का गठन किया गया।
सीबीए(एएंडडी) अधिनियम, 1957 के अंतर्गत भूमि अधिग्रहण:
कोल बेयरिंग एरियाज़ (अधिग्रहण एवं विकास) अधिनियम, 1957(सीबीए (एडी) अधिनियम, 1957) के अंतर्गत 01.04.2018 से अब तक अधिगृहीत भूमि निम्नलिखित है :
क्र.स.
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कम्पनी का नाम
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परियोजना का नाम
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क्षेत्रफल हैक्टेयर में
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1
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आरआरवीयूएनएल (राज्य सरकार का उपक्रम)
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पारसा कोयला ब्लॉक, सरगुजा और सूरजपुर जिला, छत्तीसगढ़
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1252.447
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2
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डीवीसी (विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत सरकारी निगम
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ट्यूब्ड कोयला ब्लॉक, लातेहार जिला झारखंड
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460.00
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3
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एसईसीएल
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रिस्दी-सोनपुर ब्लॉक, कोरबा जिला, छत्तीसगढ़
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1050.593
|
4
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ईसीएल
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झांजरा-जामगोरा ब्लॉक, बर्धवान जिला, पश्चिम बंगाल
|
30.00
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5
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सीसीएल
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पिचड़ी खुली खदान परियोजना- II, बोकारो, झारखण्ड
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31.93
|
कुल:
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2824.970
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अंतर्राष्ट्रीय सहयोग
सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआई)और कॉमनवेल्थ सांइटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च आर्गेनाइजेशन (सीएसआईआरओ), ऑस्ट्रेलिया के बीच 16.11.2018 को सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।
इस एमओयू में मुख्य रूप से वैज्ञानिक लीडर्स के बीच नवोन्मेषी सहयोग के लिए अवसरों का विकास करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और निम्नलिखित क्षेत्रों पर ध्यान दिया जाएगा :
निम्नलिखित में से कुछ या समस्त क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण अनुसंधान में सहयोग को बढ़ावा देना:
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- थिन सीम्स सहित मेपिंग कोल सीम के लिए 2डी/3डी भूकंपीय आंकड़ा विशलेषण
- हाइड्रो-जियोलॉजिकल मॉडलिंग
- लांग वॉल टेक्नॉलोजी टॉप कोल केविंग का इस्तेमाल करते हुए थिक सीम्स माइनिंग
- हाई प्रोडक्टिव भूमिगत खनन प्रौद्योगिकी
- कोयला खान मीथेन
- वेंटिलेशन एयर मीथेन शमन प्रौद्योगिकियां
- ड्रिल होल जियोफिजिकल लॉगिंग और भू-प्रौद्योगिकीय वर्णन के लिए आंकड़ों का विश्लेषण
- माइन गैस कैप्चर और उपयोग
- भूमिगत कोयलों की खानों में परत नियंत्रण
- खुली खदानों में ढलान की स्थिरता तथा ओवरबर्डन डम्प्स स्टेबिलिटी
- खुली खदानों से उठने वाली धूल का उपचार
- कोयले की सफाई और तैयारी (किफायती और उच्च दक्षता वाली प्रोद्योगिकियां)
- दहन और गैसीकरण अनुप्रयोगों के लिए कोयले का मिश्रण
- कोयले के वर्णन के लिए तात्विक अध्ययन (राख का विश्लेषण)
- कोयले और गैर-कोयला परत में ट्रेस एलिमेन्ट्स और रेयर अर्थ का अध्ययन
- रिमोट सेंसिंग का उपयोग करते हुए खान पुन: प्राप्ति और पुनर्वास
- सुविज्ञ खनन, सेंसिंग और स्वचलन
- आंकड़ों से संचालित खनन निर्णय
- कोयले की गुणवत्ता की ऑनलाइन निगरानी और प्रबंधन
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आर.के.मीणा/अर्चना/आरआरएस/एजी/आरके/एसएस/वाईबी/एमएस-11950
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