कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा- 2018: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय


एमएसडीई की वर्ष 2018 के अंत में समीक्षा – कौल विकास कार्यक्रम से प्रतिवर्ष एक करोड़ से अधिक युवा जुड़ते हैं और लाभान्वित होते हैं;

देश के सभी कौशल विकास पहलों को एक राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढ़ांचे के अंतर्गत लाना मुख्य उद्देश्य;

Posted On: 01 JAN 2019 2:22PM by PIB Delhi

कौशल विकास- मुख्य अंश 2018

इस वर्ष, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एसएडीई) ने अपने 4 वर्षों को सफलतापूर्वक पूरा किया, इसकी स्थापना 2014 में हुई थी। पहली बार, भारत सरकार द्वारा एक ऐसा मंत्रालय बनाया गया जिसका मुख्य उद्देश्य, देश के सभी कौशल विकास पहलों को एक राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढ़ांचे (एनएसएफक्यू) के अंतर्गत लाना है। वार्षिक रूप से, कौशल भारत कार्यक्रम में एक करोड़ से ज्यादा युवा जुड़ रहे हैं और लाभान्वित हो रहे हैं, के अंतर्गत आने वाला एक मिशन जिसका उद्देश्य युवाओं को बेहतर आजीविका के लिए कौशल में सक्षम बनाना है।  

 

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय की कुछ प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैं:

 

I.नीति, रूपरेखा और मानक

 

कौशल विकास और उद्यमिता के लिए 2015 में राष्ट्रीय नीति का शुभारंभ: देश में कौशल विकास के लिए पहला व्यापक नीतिगत ढांचा।

 

माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 2015 में राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन की शुरूआत- सभी राज्यों, क्षेत्रों और लोगों तक फैली हुई पहली राष्ट्रीय कार्यान्वयन योजना।

 

सामान्य मानदंड- 2015 में जारी किया गया, प्रशिक्षण लागत, प्रक्रियाओं, आकलनों, प्रमाणीकरणों और परिणामों को सामंजस्य प्रदान करने के लिए। वर्तमान समय में 20 से अधिक मंत्रालय, कौशल विकास योजनाओं को लागू कर रहे हैं।

 

अन्य योजनाओं और कार्यक्रमों के साथ सामान्य मानदंड संरेखण; जिसमें 20 मंत्रालयों में से 18 का समावेश; गृह मंत्रालय (एमएचए) को विशेष प्रकृति के कारण छूट प्राप्त।  

राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) का प्रवर्तन- पिछले चार वर्षों में 2,000 से ज्यादा गुणवत्ता वाले पैक विकसित किए गए।

 

II. कार्यक्रम / पहल

 

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई): यह मंत्रालय की प्रमुख योजनाओं में से एक है, जिसका उद्देश्य 4 साल में 1 करोड़ से अधिक युवाओं को 221 से ज्यादा रोजगार सूची में नि: शुल्क कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है, यह 2 महीने से लेकर 6 महीने तक का अल्पकालिक प्रशिक्षण प्रदान करता है।

 

प्रधानमंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके): यह मानकीकृत बुनियादी ढाँचे के साथ "आदर्श प्रशिक्षण केंद्र" के निर्माण की दिशा में एक पहल है  जिसे भारत के प्रत्येक जिला में खोला जाना है; जिसका लक्ष्य बेंचमार्क संस्थानों का निर्माण करना है जो प्रमुख हितधारकों- उद्योग और प्रशिक्षुओं, के बीच योग्यता आधारित कौशल विकास के लिए आकांक्षित मूल्यों का प्रदर्शन कर सकते हैं।

 

राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस): इस योजना का उद्देश्य युवाओं को प्रशिक्षु के रूप में नियुक्त करने में उद्योगों और नियोक्ताओं की भागीदारी को बढ़ाना और एक तैयार वर्कफोर्स के निर्माण के लिए उन्हें नौकरी के दौरान ही कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। सरकार नियोक्ता द्वारा दिए गए स्टाइपेन्ड मूल्यों का पुनर्भुगतान करती है।

 

शैक्षणिक समानता की स्थापना: स्किल इंडिया का उद्देश्य आकांक्षापूर्ण कौशल प्रदान करना और व्यावसायिक प्रशिक्षण को अकादमिक शिक्षा प्रणाली के बराबर लाना है, खासकर व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर गतिशील मार्ग प्रदान करना है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अंतर्गत प्रशिक्षण विंग का महानिदेशालय और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय अंतर्गत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) ने व्यावसायिक/ आईटीआई की योग्यता को शैक्षणिक समकक्षता के बराबर लाने के लिए एक प्रणाली विकसित करने के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है, इसके माध्यम से आईटीआई उम्मीदवारों को उनके कौशल के अलावा अतिरिक्त उच्च शैक्षणिक योग्यता प्राप्त करने की उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने का मार्ग खुलेगा। यह समझौता ज्ञापन आईटीआई के पूर्व-प्रशिक्षुओं, राष्ट्रीय व्यापार प्रमाणपत्र (एनटीसी) रखने वालों के लिए माध्यमिक/ उच्च माध्यमिक योग्यता प्राप्त करने का भी मार्ग खोलता है।

दीर्घकालिक कौशल विकास में क्षमता निर्माण: कौशल पारिस्थितिकी तंत्र की क्षमता निर्माण की दिशा में कई पहलों में से एक पहल है पूरे देश के कौशल संस्थानों का एक समान नामकरण जैसे राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई), एनएसटीआई, और आईटीआई के पाठ्यक्रमों का विलय, भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस) की स्थापना और विभिन्न आईटीआई का निरीक्षण और पुनः संबद्धता आदि।

 

कौशल विकास आधारभूत संरचना में निवेश

 

प्रधानमंत्री कौशल केंद्र: वर्ष 2018 में, एमएसडीई ने प्रधान मंत्री कौशल केंद्र (पीएमकेके) के अंतर्गत कौशल विकास प्रशिक्षण के लिए उद्योग मानकीकृत बुनियादी ढांचों के निर्माण के लिए बड़े पैमाने पर ध्यान केंद्रित किया। पीएमकेके के पास संबंधित जिला में कौशल विकास की आधारभूत संरचना, प्रशिक्षण और प्लेसमेंट का बैंचमार्क बनने की क्षमता है; साथ ही देश में भी। इसका उद्देश्य कौशल विकास को गुणवत्ता उन्मुख, चिरस्थायी और आकांक्षी बनाना है।

दिसंबर 2018 तक, 29 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में 719 पीएमकेके आवंटित किए गए हैं, जिसका विस्तार 631 जिलों और 521 संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों तक है। जिसमें से 515 पीएमकेके स्थापित किए जा चुके हैं और अतिरिक्त 204 पीएमकेके केंद्रों की स्थापना का काम प्रगति पर है। इसके अलावा, 419 पीएमकेके का उद्घाटन स्थानीय संसदों, विधान सभा सदस्यों और अन्य गणमान्य लोगों द्वारा किया गया है। 2018 में, कुल 100 पीएमकेके का शुभारंभ किया गया है और 65 पीएमकेके की स्थापना की गई है।

 

राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (एनएसटीआई): एमएसडीई द्वारा तेलंगाना, हैदराबाद में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति के हाथों से पहले राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (भूतपूर्व आरवीटीआई) की आधारशिला भी रखी गई है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री, श्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा जुलाई 2018 में एनएसटीआई (डब्ल्यू) मोहालीवास की आधारशिला भी रखी गई है।

 

राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान (डब्लू): केंद्रीय योजना के अंतर्गत, ‘महिलाओं के लिए राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान नामक 18 केंद्रीय संस्थानों के संस्थागत नेटवर्क के माध्यम से महिलाओं के लिए नियमित व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं, विशेष रूप से उच्च वेतन-रोजगार और स्वरोजगार की क्षमता रखने वाली महिलाओं के लिए प्रशिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अलावा भी विशेष प्रशिक्षण सुविधाएं प्रदान की जा रही है।

 

एनएसटीआई (डब्लू), नोएडा, बेंगलुरु, तिरुवनंतपुरम, जयपुर, इलाहाबाद, कोलकाता, तुरा, पानीपत, वडोदरा और इंदौर में यह अपने स्वयं के स्थायी परिसर में स्थित हैं। एनएसटीआई (डब्लू), मुंबई का परिचालन वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रदान किए गए दो-मंज़िला इमारत से हो रहा है। एनएसटीआई (डब्लू) शिमला, मोहाली, त्रिची, अगरतला, पटना, गोवा और हैदराबाद का संचालन संबंधित राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की गई अस्थायी इमारतों से हो रहा है। इन 18 परिचालित संस्थानों के अलावा, जम्मू और कश्मीर में एनएसटीआई (डब्लू) खोलने के लिए भूमि की पहचान की गई है।

 

शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) और शिल्प प्रशिक्षक प्रशिक्षण योजना (सीआईटीएस) के अंतर्गत विभिन्न ट्रेडों/ क्षेत्रों में नियमित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं जहां पर मजदूरी/ स्व-रोजगार/ प्रशिक्षित प्रशिक्षकों की ज्यादा मांग है। नवंबर 2018 तक, 2018-19 के लिए एनएसटीआई (डब्लू) में कुल 4,904 नियमित सीटों (2784 सीटीएस + 2120 सीटीआईएस) की स्वीकृत दी गई है। इसके अलावा, सीटीएस / सीटीआईएस पाठ्यक्रमों में, उच्च मांग वाले ट्रेडों में दूसरी इकाइयां भी संचालित की जा रही हैं।

 

दीर्घकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन वर्तमान समय में कार्यालय प्रबंधन, इलेक्ट्रॉनिक्स, वास्तुकला, कंप्यूटर, वस्त्र निर्माण और प्रौद्धोगिकी, कॉस्मेटोलॉजी, फलों और सब्जियों के प्रसंस्करण, डेस्कटॉप प्रकाशन, सतही अलंकरण तकनीक, फैशन डिजाइन और प्रौद्योगिकी, खानपान और आतिथ्य, सिलाई प्रौद्योगिकी, यात्रा और टूर, कंप्यूटर एडेड एम्ब्रायडरी एंड डिजाइनिंग, फूड एंड बेवरेजेज सर्विस असिस्टेंट, खाद्य उत्पादन (सामान्य), ड्राफ्ट्समैन सिविल, और इंटीरियर डेकोरेशन एंड डिजाइनिंग आदि, जैसे कार्यात्मक क्षेत्रों में किया जा रहा है। उत्तीर्ण प्रशिक्षुओं को कैम्पस इंटरव्यू आयोजित करके नियोजन में मदद भी प्रदान किया जाता है। प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षुता प्रशिक्षण सहायता प्रदान की जाती है। एनएसटीआई (डब्लू), द्वारा ऑफ-कैंपस लघु अवधि प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं।

 

भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएस): उत्कृष्टता के इन अत्याधुनिक केंद्रों को इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (आईटीई), सिंगापुर जैसे वैश्विक संस्थानों की तर्ज पर भारत के चार क्षेत्रों में स्थापित किया जा रहा है। दिसंबर 2016 में, माननीय प्रधान मंत्री द्वारा कानपुर में पहले आईआईएस की शुरू की गई, जिसकी अवधारणा प्रधान मंत्री द्वारा आईटीआई सिंगापुर की यात्रा के दौरान की गई थी। मेसर्स एनबीसीसी को आईआईएस कानपुर के लिए नए भवन की योजना, डिजाइन और निर्माण की जिम्मेदारी दी गई है। मेसर्स एनबीसीसी ने इसके लिए एक एजेंसी को काम पर रखा है और निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। इसके अलावा, आईआईएस मुंबई को टाटा समूह के सहयोग से स्थापित किया जाएगा। आईआईएस के निर्माण के लिए कुल बजट 476 करोड़ रूपये रखी गई है, जो कि कुशल ऊर्जा निर्माण, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स और स्वचालन जैसे उन्नत पाठ्यक्रमों में व्यक्तिगत प्रशिक्षण प्रदान करेगा।

 

कार्यक्रम और उपलब्धियां

 

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) और पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल): कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय अखिल भारतीय आधार पर प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के नाम से एक फ्लैगशिप योजना को लागू कर रहा है।

 

पीएमकेवीवाई (1.0) योजना की शुरूआत 2015 में एक प्रायोगिक रूप में हुई, जो सफल उम्मीदवारों को ईनाम के रूप में प्रशिक्षण की संपूर्ण खर्च प्रदान करता है। इस योजना को कौशल प्रमाणन और पुरस्कार योजना के रूप में भारतीय युवाओं को बड़ी संख्या में कौशल प्रशिक्षण लेने के लिए लामबंद करने और उन्हें स्थायी आजीविका के लिए रोजगार योग्य बनाने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया। इस योजना के अंतर्गत, सफलतापूर्वक प्रशिक्षित उम्मीदवारों को मौद्रिक इनाम प्रदान किया गया। अपने पायलट चरण के दौरान, पीएमकेवीवाई (1.0) ने 375 रोज़गार सूची में 18 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया।

 

पीएमकेवीवाई (2.0) योजना पहले वर्ष में कार्यान्वयन के सफल होने के बाद, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2016 से 2020 तक, चार सालों के लिए 12,000 करोड़ रूपये के व्यय के साथ देश के 1 करोड़ युवाओं को कौशल प्रदान करने के लिए पीएमकेवीवाई (2.0) योजना बनाई। पीएमकेवीवाई (2.0) बड़ी संख्या में दूरदर्शी युवाओं को मान्यता प्राप्त और मान्यता प्राप्त प्रशिक्षण सहयोगियों/ प्रशिक्षण केंद्रों के माध्यम से लघु अवधि प्रशिक्षण (एसटीटी) और पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) लेने में सक्षम बनाता है, जिसमें जनजातीय समुदाय, विकलांगता और अन्य वंचित युवाओं वाले व्यक्ति भी शामिल हैं।

 

यह योजना 250 से ज्यादा रोजगार सूची के लगभग 38 सेक्टर कौशल परिषद से संबंधित लघु अवधि के प्रशिक्षण (एसटीटी), विशेष परियोजनाओं (एसपीएल) और आरपीएल चलाता है, जो कि उद्योग क्षेत्र का विविध और संपूर्ण प्रतिनिधित्व है।

 

पीएमकेवीवाई (2.0) के अंतर्गत, 12 दिसंबर 2018 तक, 33,43,335 (एसटीटी + एसपीएल + आरपीएल) उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है, (23,32,544 एसटीटी + 9,38,420 आरपीएल + 73,389 एसएलपी) और 12 दिसंबर, 2018 तक एसटीटी के लिए 82,482 लोगों को, एसपीएल के लिए 9951 लोगों और आरपीएल के लिए 5,680 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा था।

 

वित्त वर्ष 2018-19 में, 12 दिसंबर, 2018 तक, पीएमकेवीवाई (2.0) के अंतर्गत एसटीटी के द्वारा 6,88,388, आरपीएल के द्वारा 2,35,258 उम्मीदवारों और एसपीएल के द्वारा 41,939 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, वित्त वर्ष 2018-19 में 10,07,292 उम्मीदवारों का आकलन किया गया और 9,44,455 उम्मीदवारों को प्रमाणित किया गया।

 

पीएमकेवीवाई (2.0) के घटक के रूप में सेंटरली स्पॉसर्ड स्टेट मॉनिटर्ड (सीएसएसएम) के अंतर्गत, जिसमें कौशल प्रशिक्षण का प्रबंधन राज्यों द्वारा किया जाता है जबकि, वित्त पोषित केंद्र द्वारा- 12 दिसंबर 2018 तक, कुल 1.82 लाख उम्मीदवारों को नामांकित किया गया है और 94,349 उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया गया। वर्तमान समय में कुल 87,722 उम्मीदवार 169 रोजगार सूची में प्रशिक्षण ले रहे हैं।

 

सर्वोत्कृष्ट कार्यक्रम पीएमकेवीवाई ने 2018 में सफलतापूर्वक लगभग 10 लाख प्लेसमेंटों का पंजीकरण किया है। यह योजना कौशल पारिस्थितिकी तंत्र के मानकों में परिमाण और गति लाने और युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने पर जोर देती है। उत्साहजनक रूप से, महिलाओं ने प्लेसमेंट ड्राइव के लिए 5 लाख से अधिक पंजीकरण कराकर पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। पुरुष पंजीकरण की संख्या 4.5 लाख से कम है और जिसे कुछ महीनों में बढ़ने की उम्मीद है।

 

एक नए पहल के रूप में 2018 के बाद से, पीएमकेवीवाई (2.0) के अंतर्गत प्रमाणित प्रत्येक उम्मीदवार को 2 लाख तक की व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा राशि का कवर दिया जाता है, जो कि 2 साल तक के लिए वैध है। इस बीमा की लागत का वहन कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है।

 

बेस्ट इन क्लास एम्प्लॉयर्स के साथ पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल): आरपीएल पूर्व अनुभव रखने वालों या अनौपचारिक रूप से प्रशिक्षित लोगों के कौशल को प्रमाणित करता है। 2016 से लेकर अबतक, इस कार्यक्रम ने देश भर में लगभग 8 लाख लोगों को लाभान्वित किया है। इस पहल को बढ़ावा देने के लिए, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने 2018 में बेस्ट इन क्लास एम्प्लॉयर्स के साथ आरपीएल को शुरू किया - विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिष्ठित नियोक्ताओं के साथ सीधे मिलकर काम करने की पहल। इस आयोजन में, सेक्टर कौशल परिषद और सभी क्षेत्रों के प्रमुख नियोक्ताओं की प्रतिबद्धता को देखा गया। जिनमें से कुछ नीचे सूचीबद्ध हैं:

 

  1. हाइड्रोकार्बन क्षेत्र- 3 नियोक्ताओं के साथ साझेदारी में 9 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रमाणित करने का लक्ष्य
  2. खुदरा क्षेत्र- 60 से ज्यादा नियोक्ताओं में 5 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रमाणित करने का लक्ष्य
  3. पर्यटन क्षेत्र- 24 नियोक्ताओं में 5 लाख से अधिक उम्मीदवारों को प्रमाणित करने का लक्ष्य
  4. जीवन विज्ञान क्षेत्र- 21 से अधिक नियोक्ताओं के साथ 75 हजार से अधिक उम्मीदवारों को प्रमाणित करने का लक्ष्य
  5. प्लंबिंग क्षेत्र- प्लंबिंग जैसे अनौपचारिक और असंगठित क्षेत्र भी इस महत्वाकांक्षी पहल के लिए बड़े पैमाने पर जुड़ने के लिए आ रहे हैं

 

एमएसडीई ने पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) कार्यक्रम के लिए एक समर्पित पोर्टल की शुरूआत की है, जो व्यक्तियों को देश भर में आरपीएल केंद्रों की जानकारी प्राप्त करने और आगामी बैच के लिए पंजीकरण कराने के लिए एक मंच प्रदान करेगा।

 

शुल्क आधारित प्रशिक्षण: राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा अनुमोदित प्रशिक्षण प्रदाताओं द्वारा छात्र से शुल्क का भुगतान मॉडल के अंतर्गत कार्यान्वित किए जा रहे कौशल प्रशिक्षण में, स्थापना के बाद से लेकर 13 दिसंबर, 2018 तक, 104 लाख से ज्यादा प्रशिक्षण आयोजित किए गए हैं। वित्त वर्ष 2018-19 के लिए, नवंबर 2018 तक, 35 से ज्यादा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में उच्च रोजगार सूची में 23 लाख से अधिक प्रशिक्षण प्रदान किए गए हैं, जिसमें अन्य विशेषज्ञों के अलावा नवीकरणीय ऊर्जा दक्षता विशेषज्ञ, स्मार्ट सिटीज- अवधारणा और कार्यान्वयन, सौर तकनीशियन, छत बागवानी और एफएंडबी सेवा विशेषज्ञ शामिल हैं।

 

दीर्घकालिक प्रशिक्षण: दीर्घकालिक प्रशिक्षण मॉड्यूल के अंतर्गत, देश में कुल 15,042 आईटीआई हैं, जिनमें से 2,229 आईटीआई को 2108 में संबद्ध किया गया है। देश के आईटीआई में छात्रों के बैठने की क्षमता बढ़कर 2,94,196 हो गई है, जिसमें अन्य वैकल्पिक लोग भी शामिल है। देश भर में आईटीआई का संचालन करने वाले प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी) के अंतर्गत, "संबद्धता मानदंड 2018" प्रकाशित किया गया है, जो कि www.ncvtmis.gov.in पर उपलब्ध है।

 

आईटीआई की ग्रेडिंग: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तत्वावधान में प्रशिक्षण महानिदेशालय ने प्रदर्शन करने वाले आईटीआई संस्थानों को "स्टार रेटिंग" प्रदान करने के लिए ग्रेडिंग शुरू किया है और दूसरे संस्थानों को सुधार करने का अवसर दिया है। ग्रेडिंग प्रक्रिया का पहला चरण नवंबर 2017 में शुरू हुआ और जून 2018 तक इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया। कुल 4811 आईटीआई को वर्गीकृत किया गया, जिसमें 2940 प्राइवेट आईटीआई भी शामिल,और निर्णायक ग्रेड को डीजीटी/ एनसीवीटी एमआईएस वेबसाइट पर जून, 2018 में प्रकाशित किया गया।

 

प्रशिक्षण महानिदेशालय दूसरे चरण की ग्रेडिंग शुरू करने की प्रक्रिया में है, जिसमें चरण I से प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखना और कोर ग्रेडिंग समिति की सिफारिश शामिल किया जाएगा। ग्रेडिंग प्रक्रिया का दूसरा चरण की शुरूआत देश के शेष सभी आईटीआई को ग्रेडिंग पद्धति में शामिल करने के उद्देश्य से किया जाएगा।

 

प्रशिक्षण की दोहरी प्रणाली: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने छह राज्यों- ओडिशा, झारखंड, राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में प्रशिक्षण की दोहरी प्रणाली (DST) के अंतर्गत विभिन्न उद्योगों के साथ 27 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया है। गुजरात और तमिलनाडु के लिए लगभग 80 अतरिक्त एमओयू लागु होने वाला है। डीएसटी योजना जर्मन वोकेशनल ट्रेनिंग मॉडल से प्रेरित है, जिसमें उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उच्च रोजगार पाठ्यक्रमों के अंतर्गत, प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए उद्योगों का सरकारी और निजी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के साथ साझेदारी करने का प्रावधान है। आईटीआई और उद्योग को प्रशिक्षण का पैटर्न या तो ब्लॉक मोड (जैसे, कुछ महीने आईटीआई में और फिर कुछ महीने उद्योग में) या फिर मिश्रित मोड (यानी आईटीआई और उद्योग के बीच सप्ताह में साझा किए गए कुछ दिन) चुनने की स्वतंत्रता है। वर्तमान समय में प्रशिक्षण की दोहरी प्रणाली 16 ट्रेडों में एक वर्ष और दो वर्ष की अवधि के लिए मौजुद है। आईटीआई में थ्योरी भाग के साथ सेफ्टी और टूल्स, उपकरण के बारे में मूल बातों के साथ  फाउंडेशन प्रैक्टिकल भी करवाए जाते हैं। और पाठ्यक्रम में व्यावहारिक / प्रयोगशाला प्रशिक्षण भाग के लिए प्रासंगिक औद्योगिक प्रशिक्षण उद्योग में सिखाया जाता है। छात्रों को उद्योग में प्रशिक्षण की अवधि के दौरान थोड़ी मात्रा में वजीफा भी दिया जाता है और प्रशिक्षण की सफल समाप्ति पर दोहरी प्रणाली में राष्ट्रीय व्यापार प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाता है।

 

संकल्प: आजीविका जागरूकता के लिए कौशल संवर्धन और ज्ञान संवर्धन (संकल्प) परियोजना का उद्देश्य राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (एनएसडीएस) के जनादेश को लागू करना है, जिसकी शुरूआत कौशल विकास मंत्रालय ने 15 जुलाई को अपने मुख्य उप-मिशनों के माध्यम से किया था। इस परियोजना को विश्व बैंक के सहयोग से मिशन मोड में लागू किया जाएगा।

 

जनवरी 2018 में इस परियोजना को 28 राज्यों और 7 केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा संकल्प में भाग लेने में अपनी सहमति प्रदान करने के बाद प्रभावी किया गया। राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों को निधियों के भुगतान की प्रक्रिया चल रही है। रोल आउट की सुविधा के लिए राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के साथ क्षेत्रीय कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जा रहा है। विकेन्द्रीकृत योजना को बढ़ावा देने के लिए, संकल्प के अंतर्गत जिला कौशल विकास योजना (डीएसडीपी) में उत्कृष्टता पुरस्कारकी शुरूआत की गई है। 19 राज्यों/ संघ राज्य क्षेत्रों के 223 जिलों ने इसमें भाग लिया। कौशल विकास में आकांक्षापूर्ण जिलों को सहायता प्रदान करने के लिए, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय द्वारा आकांक्षात्मक कौशल अभियान शुरू किया गया है।

 

व्यावसायिक शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण प्रणाली में निर्णय लेने और पारदर्शिता को अधिक मजबूत बनाने के लिए, संकल्प के अंतर्गत कौशल भारत पोर्टल की शुरूआत की गई है। आने वाले वर्षों में, स्किल इंडिया पोर्टल एक ऐसा मंच होगा, जहां केंद्र और राज्य/ केंद्रशासित प्रदेशों की कौशल योजना संबंधी अधिकांश डेटा उपलब्ध होंगे।

 

कुशल भारतीय श्रमिकों का विदेश में रोजगार का वर्तमान परिदृश्य और भविष्य के दृष्टिकोण का मूल्यांकन करने के लिए एक वैश्विक कौशल अंतर का अध्ययन किया गया है। सिंगापुर पॉलीटेक्निक के साथ सहभागिता का उद्देश्य प्रशिक्षकों और मूल्यांकनकर्ताओं के प्रशिक्षण के लिए अकादमियों को अधिक मजबूत करना है।

 

स्ट्राइव: "औद्योगिक मूल्य संवर्धन के लिए कौशल को बढ़ावा (स्ट्राइव)" 2,,200 करोड़ रूपये की केंद्रीय परियोजना है, जिसमें परियोजना परिव्यय में सहायता के रूप में विश्व बैंक का आधा हिस्सा लगा हुआ है। स्ट्राइव, एक परिणाम-आधारित परियोजना है, जो कि  इनपुटों के आधार पर व्यावसायिक शिक्षा में सरकार की कार्यान्वयन रणनीति और प्रशिक्षण को चिह्नित करके एक मजबूत बदलाव के साथ उसे तब्दील करके एक परिणाम-आधारित कौशल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करता है। स्ट्राइव परियोजना का उद्देश्य उद्योग समूहों/ भौगोलिक चैमबर्स के माध्यम से जागरूकता पैदा करना है जिससे कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों (एमएसएमई) में शामिल चुनौतीयों का सामना किया जा सके। परियोजना का उद्देश्य आईटीआई के वितरण की गुणवत्ता को एकीकृत करना और बढ़ाना भी है। इन परियोजना के अंतर्गत आईटीआई को उन्नयन के लिए प्रतिस्पर्धात्मक रूप से चुना जाएगा जिससे परिणाम की उपलब्धि को सुनिश्चित किया जा सके। वर्तमान समय में परियोजना संचालन के लिए नियमावली तैयार किया जा रहा है जिसके द्वारा अपनाई गई मानक संचालन प्रक्रिया का पालन विभिन्न कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा किया जाएगा। कार्य प्रणाली को अंतिम रूप देने और संचालन के अनुमोदन के बाद परियोजना का कार्यान्वयन चरण शुरू किया जाएगा।

 

राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी): माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कौशल क्षेत्र में मौजूदा नियामक संस्थानों- राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीटी) और राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए) का विलय, नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग (एनसीवीईटी) में करने की मंजूरी दी। एनसीवीईटी, दीर्घकालिक और अल्पकालिक दोनों प्रकार के व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में लगे संस्थाओं के कामकाज पर नियंत्रण रखेगा और ऐसी संस्थाओं के कामकाज के लिए न्यूनतम मानक स्थापित करेगा। एनसीवीईटी के प्राथमिक कार्यों में शामिल होंगे- मान्यता प्राप्त निकायों, मूल्यांकन निकायों और कौशल संबंधित सूचना प्रदाताओं की मान्यता और नियमन; मान्यता प्राप्त निकायों और सेक्टर स्किल काउंसिल (एसएससी) द्वारा विकसित योग्यता की स्वीकृति; मान्यता प्राप्त निकायों और मूल्यांकन एजेंसियों के माध्यम से व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों का अप्रत्यक्ष नियमन; अनुसंधान और सूचना प्रसार और शिकायत निवारण।

 

जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) - वयस्क शिक्षा के लिए स्वैच्छिक एजेंसियों को मदद करने की योजना का जेएसएस घटक का स्थानांतरण 2 जुलाई, 2018 को मानव संसाधन विकास मंत्रालय से विकास और उद्यमिता मंत्रालय में कर दिया गया है। वर्तमान समय में, देश के 27 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों में 271 जन शिक्षण संस्थान मौजूद हैं। दिसंबर 2018 में, 247 जेएसएस क्रियाशील हैं। जन शिक्षण संस्थानों की स्थापना 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत या तो एक स्वैच्छिक संगठन (इसके मूल निकाय के रूप में) या एक विश्वविद्यालय या एक स्वतंत्र एजेंसी के रूप में किए जाते हैं। जेएसएस को भारत सरकार द्वार 100 प्रतिशत वार्षिक अनुदान देकर वित्त पोषित किया जाता है। जन शिक्षण संस्थान के कार्यों को स्वतंत्र बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट द्वारा देखा जाता है जिसका गठन भारत सरकार की सहमति से तीन वर्षों की अवधि के लिए किया जाता है।

जन शिक्षण संस्थानों द्वारा लाभार्थियों के दहलीज पर न्यूनतम लागत और बुनियादी ढांचे के साथ व्यावसायिक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान किए जा रहे हैं। जेएसएस एकाकीपन में काम नहीं करते हैं, बल्कि विभिन्न विभागों के साथ सम्मिलित कार्यक्रमों को भी आयोजित करते हैं। जेएसएस विभिन्न प्रकार के ट्रेडों/ पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण देता है जैसे कि कटिंग और टेलरिंग, मुलायम खिलौने का निर्माण, बैग बनाना, सौंदर्य संस्कृति, विद्युत सामाग्री का मरम्मत, खाद्य प्रसंस्करण, वेल्डिंग, ऑटो की मरम्मत, प्लंबिंग, जरी का काम आदि। एसएसडीई के अंतर्गत कौशल विकास के लिए जन शिक्षण संस्थान (एनजीओ) की सहायता की योजना को स्थायी वित्त समिति (एसएफसी) ने 4 सितंबर 2018 को आयोजित हुए अपनी बैठक में मंजूरी देते हुए मार्च, 2020 तक बढ़ा दिया है।

 

अन्य मंत्रालयों के साथ समझौता

 

किसानों के लिए स्किल इंडिया: ग्रामीण युवाओं के कौशल को विकसित करने और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (एसओए एंड एफडब्लू) ने एक समझौता किया है। एमएसडीई और एसओए एंड एफडब्लू, दोनों युवाओं की आजीविका में सुधार के लिए रोजगार योग्य कौशल प्रदान करने के महत्व को पहचानते हैं। हस्ताक्षर किए गए एमओयू के अंतर्गत, एमएसडीई कृषि क्षेत्र की ओर ग्रामीण युवाओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए नौकरी की भूमिकाओं की पहचान करेगा, जिससे उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा किया जा सके। कुछ चयनित कृषि विकास केंद्रों में आकांक्षापूर्ण और तकनीकी रूप से उन्मुख नौकरियों को कृषि/ संबद्ध क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण और संबंधित क्षेत्रों (सूक्ष्म सिंचाई तकनीशियन, ग्रीन हाउस संचालक, ग्रीन हाउस फिटर, एक्वाकल्चर तकनीशियन) में शामिल करके नए पैन इंडिया मॉडल का बहुत मजबूत नींव रखा जा सकता हैं। इस एमओयू पर पांच साल की अवधि के लिए हस्ताक्षर किया गया है और इसका उद्देश्य युवाओं को लाभदायक वेतन या स्वरोजगार के लिए कृषि के विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए प्रेरित करना है।

 

स्किल इंडिया और पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय ने चार राज्यों के 50,000 राजमिस्त्रियों  को प्रशिक्षित करने के लिए हाथ मिलाया है: झांसी और उसके आसपास के क्षेत्रों में से एक हजार राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षण देने के साथ शुरूआत करते हुए, एनएसडीसी और उनके प्रशिक्षण भागीदारों द्वारा 50,000 राजमिस्त्री को प्रशिक्षित करने का अनुमानित लक्ष्य रखा गया है, वर्तमान समय में इस प्रकार के अन्य प्रशिक्षण सत्र अन्य क्षेत्रों में चलाए जा रहे हैं। राजमिस्त्री कौशल स्तर के आधार पर, पूर्व शिक्षण की मान्यता (आरपीएल) से गुजर रहे हैं, जो अनौपचारिक शिक्षा को मान्यता देने और प्रमाणित करने के लिए और नौकरी देने वाले कौशल पर सात दिनों का प्रशिक्षण कार्यक्रम है जिसके माध्यम से उम्मीदवार को औपचारिक एनएसक्यूएफ स्तरों के बराबर लाया जा सकता है और इसे स्वीकृति प्रदान की जा सकती है। कौशल प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले राजमिस्त्रियों को बहुत छोटे और सस्ते ट्विन पिट (गड्ढों) सिस्टम का निर्माण करना सिखाया जा रहा है। इस पद्धति में ‘Y’ जंक्शन वाले दो निक्षालन गड्ढों का निर्माण शामिल है, जिससे कि एक समय में एक गड्ढे को ही भरा जा सके। इस प्रक्रिया में, एक गड्ढे के लगभग पूरा भर जाने पर उसे ढँक कर छोड़ देते हैं, जिसमें औसत परिवार को पांच से आठ वर्ष का समय लग सकता है और दूसरे गड्ढे का इस्तेमाल करना शुरू करते हैं।

 

अंतर-मंत्रालयी सहयोग- इस बात को स्वीकार करते हुए कि कौशल एमएसडीई का ही एकमात्र जनादेश नहीं है, बल्कि प्रमुख कार्यक्रमों को लागू करने के लिए यह कई अन्य मंत्रालयों की भी एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है, एमएसडीई कई राष्ट्रीय मिशनों, परियोजनाओं और मंत्रालयों के साथ सहयोग कर रहा है।

 

एमएसडीई द्वारा सौभाग्य योजना से जुड़े हुए विद्युत लाइनमैनों को ब्रिज प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जो कि विद्युत मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है।

 

रेल मंत्रालय के अंतर्गत स्वर्ण परियोजना के लिए रेलवे कर्मचारियों के कौशल उन्नयन में सहायता प्रदान करना

 

स्वच्छ भारत मिशन में योगदान देने के लिए गुणवत्ता वाले राजमिस्त्री को, गुणवत्ता वाले शौचालयों के तेज निर्माण के लिए कौशल प्रदान करना, जो कि खुले में शौच से मुक्त भारत के लिए हमारे कदम का आधार बिंदु है।

 

उर्जा गंगा गैस पाइपलाइन परियोजना और नमामि गंगे का समर्थन।

 

माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा जनवरी 2018 में औपचारिक रूप से शुरू किए गए नीति आयोग के "ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम" कार्यक्रम का समर्थन, जो कि पूरे भारत में 117 जिलों को कवर करेगा। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने अपने एस्पिरेशनल कौशल अभियान 2018-19की शुरुआत की।

 

एस्पिरेशनल स्किलिंग अभियान- ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट्स प्रोग्राम की सहायता करने और उसे पूरा करने के लिए एस्पिरेशनल स्किलिंग अभियान की कल्पना की गई है। यह अभियान जिला स्तर पर चुनौतियों का निपटारा करके आकांक्षापूर्ण जिलों के कौशल पहलों/ घटकों का समर्थन करेगा। एमएसडीई, प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीटी), राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए), राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के 150 से अधिक अधिकारियों की समर्पित टीम को इन जिलों में तीन चरणों में काम करने के लिए प्रतिनियुक्त किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के माध्यम से, एमएसडीई आकांक्षापूर्ण जिलों में शासन का सुदृढ़ीकरण और संस्थागत बुनियादी ढांचे को मजबूत करने का प्रयास करता है।

 

अन्य विकास

 

एमएसडीई ने फेसबुक और एडोब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है जिससे कि उनके मंच का उपयोग युवा सशक्तिकरण के लिए किया जा सके।

 

प्रशिक्षुता के लिए ऑपरेशनल फ्रेमवर्क: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने प्रशिक्षुता को और ज्यादा उद्योग के अनुकूल बनाने के लिए 2014 में प्रशिक्षुता अधिनियम और 2015 में प्रशिक्षुता नियमों व्यापक सुधार किया है। एमएसडीई  ने 2018 में अपरेंटिसशिप एक्ट के लिए एक ऑपरेशनल फ्रेमवर्क की शुरूआत की है, जो कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर हितधारकों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को सूचीबद्ध करके परिचालन के दिशानिर्देशों को देता है। यह राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) के निष्पादन के बारे में भी विस्तृत जानकारी प्रदान करता है, जो कि कॉर्पोरेट जगत को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षुओं को संलग्न करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

 

इन सुधारों को पारिस्थितिकी तंत्र में अल्पकालिक कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए अध्यापन-कला को और मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण (टीओटी) और मूल्यांकनकर्ताओं के प्रशिक्षण (टीओए) के लिए दिशानिर्देशों को भी जारी करते हुए देखा गया। यह कार्य टेमासेक फाउंडेशन के सहयोग और सिंगापुर पॉलिटेक्निक के तकनीकी सहायता से साझेदारी में किया गया। इनसे टीओटी और टीओए कार्यक्रमों के लिए डीजीटी, एनएसडीसी, एसएससी, कौशल विश्वविद्यालयों और निजी भागीदारों जैसे कई हितधारकों को एकसाथ लाने में सक्षम हो सकेंगें।

 

एनएपीएस योजना का उद्देश्य प्रशिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा देना और उन नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करना है जो प्रशिक्षुओं को अपने साथ संलग्न करना चाहते हैं और उन्हें नौकरी प्रशिक्षण में नामांकिन करके अर्न वाइल लर्न का अवसर प्रदान करना चाहते हैं। एनएपीएस के अंतर्गत प्रतिष्ठानों के वित्तीय लाभ में शामिल, (i) निर्धारित स्टाइपेंड का 25 प्रतिशत हिस्सा शामिल है, जो प्रत्येक माह अधिकतम 1,500 रूपये प्रति प्रशिक्षु के लिए और (ii) बुनियादी प्रशिक्षण प्रदाताओं के बुनियादी प्रशिक्षण की लागत का साझाकरण; 3 महीने के लिए 7,500 रूपये तक। यह प्रशिक्षुता योजना अपने साथ आईटीआई, पॉलिटेक्निक, स्कूलों, कॉलेजों और अल्पकालिक पाठ्यक्रमों (पीएमकेवीवाई, डीडीयू-जीकेयू, एसडीआई और अन्य) के छात्रों को जोड़ती है। यह पहले केवल विनिर्माण क्षेत्र तक ही सीमित था; लेकिन अब सरकार सेवा क्षेत्र में प्रशिक्षुओं के कार्य के लिए अधिक संभावनाएं देख रही है।

 

नियोक्ताओं को अप्रेंटिसशिप स्कीम का संचालन करने के लिए अपना पाठ्यक्रम बनाने की भी स्वतंत्रता दी जाती है। इन सुधारों को 1961 के प्रशिक्षुता अधिनियम में लाया गया है जिससे कि उद्योग और उम्मीदवार दोनों को अधिक लाभ और विकास का समान अवसर प्राप्त हो सके। एनएपीएस के शुभारंभ होने से लेकर अबतक 4.8 लाख से अधिक उम्मीदवारों और 74,000 से अधिक प्रतिष्ठानों का इस अधिनियम के अंतर्गत पंजीकरण किया जा चुका है।

 

स्किल इंडिया पोर्टल: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्किल इंडिया पोर्टल के शुरूआत की घोषणा की। यह बेहतर कौशल विकास प्रबंधन प्रणाली, सभी हितधारकों को कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में एक मजबूत एकीकृत मंच पर लाने के लिए शुरू-से-अंत तक समाधान प्रदान करेगी। स्किल इंडिया पोर्टल का उद्देश्य सभी उम्मीदवारों और प्रशिक्षण भागीदारों के डेटाबेस को एक मंच पर लाना है। यह एक एकीकृत इंटरफ़ेस होगा जो कि विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, एनएसडीसी और कॉर्पोरेट्स द्वारा संचालित सभी कुशल पहलों और योजनाओं के लिए एक एकीकृत मंच के रूप में काम करेगा। यह पोर्टल उम्मीदवारों को संग्राहक बनाकर, उनके कुशल जीवनचक्र, प्लेसमेंट आदि के द्वारा कौशल प्रशिक्षण को सशक्त बनाने में मदद करेगा और बेहतर विश्लेषण के लिए एक समृद्ध डेटा पूल होगा, जो भविष्य के विकास कार्यक्रमों के लिए सूचित निर्णय लेने में सशक्त करेगा।

एमएसडीई ने अप्रैल 2018 और नवंबर 2018 के बीच 24 राज्यों और 250 जिलों को कवर करते हुए लगभग 400 रोजगार मेलाओं का आयोजन किया। अबतक 1.37 लाख पंजीकरण हुए हैं और लगभग 65,000 उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट किया गया है। रोजगार मेला में अब तक 800 से अधिक नियोक्ताओं ने भाग लिया है। नैसकॉम, एसएपी, आईबीएम, एडोब जैसे कॉरपोरेट्स के साथ सहयोग से भविष्य की नौकरियों के लिए एकरेखित पाठ्यक्रम बनाने में मदद मिली है। यह कार्यक्रम कौशल विकास को सुविधाजनक बनाने में मदद करेगा, जिसमें नई पीढ़ी के तकनीकी क्षेत्र जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वचालन, रोबोटिक्स और ब्लॉक-चेन तकनीक शामिल हैं।

 

स्किल सारथी- एक मेगा काउंसलिंग प्रोग्राम स्किल इंडिया ने स्किल सारथी जैसी पहल के माध्यम से सामर्थ्य उम्मीदवारों को कौशल-आधारित कैरियर परामर्श प्रदान करने के लिए एक मंच भी बनाया है। कुशल युवाओं के विकास के लिए मार्गदर्शन और परामर्श एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह छात्र की सहायता प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सभी स्तरों पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए। यह उम्मीदवारों को उनके कौशल और सीखने की क्षमता को विकसित करने में मदद करता है। कौशल सारथी जैसी पहल, निर्णय लेने के कौशल के साथ संभावित कार्यबल, पूर्व-नियोजन कौशल, वर्कर की परिपक्वता में वृद्धि, अभिवृद्धि की दर में कमी, अभिरुचि की दर में वृद्धि और अभ्यर्थियों के रोजगार, अभिरुचि और प्रशिक्षण के अनुसार उनके रोजगार की दर मे वृद्धि के माध्यम से उद्योग की मांग और व्यापार के पक्ष को भी ध्यान में रखती है।

 

स्किल इंडिया के अंतर्गत परामर्श मॉडल के माध्यम से एमएसडीई तकनीकी और व्यावसायिक क्षेत्रों में युवाओं को गैर-पारंपरिक शिक्षा मार्गों से परिचित कराने का प्रयास कर रहा है जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

 

आईटीआई पाठ्यक्रमों की पेशकश- जिनमें एआई, आईओटी, एआर /वीआर प्रौद्योगिकियों के नए युग के औद्योगिक 4.0 कौशल भी शामिल हैं

 

लघु अवधि के पाठ्यक्रम - प्रशिक्षण प्रदाताओं के साथ जुड़ने और संपर्क करने के मार्गदर्शन के साथ

 

प्रशिक्षुता के अवसर - दोनों अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम

 

प्रशिक्षुता में डिग्री का अवसर- यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त अर्निंग वाइल लर्निंग कार्यक्रम और जिसे चुनिंदा विश्वविद्यालयों द्वारा पेशकश किया जाने वाला है।

 

कौशल विश्वविद्यालय

 

इसका उद्देश्य शैक्षणिक मार्गों के प्रति उदासीन लोगों के बीच इसकी उपलब्धता के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता फैलाना है, जबकि औपचारिक रूप से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इच्छुक लोगों को और अधिक मार्ग प्रदान करना है।

 

पीएमकेवीवाई के अंतर्गत विशेष परियोजनाएं जिसे विशेष रूप से आदिवासी आबादी पर ध्यान केंद्रित कर 2018 में शुरू की गई। इनमें से कुछ हैं:

 

(i) ब्रू प्रोजेक्ट: इस परियोजना का उद्देश्य मिजोरम के ब्रू जनजाति को कौशल प्रदान करना है, जो विस्थापित हो गए थे और वर्तमान समय में उत्तर त्रिपुरा के जिलों में आंतरिक विस्थापित व्यक्ति (आईडीपी) शिविरों में रह रहे हैं। इस परियोजना के अंतर्गत 556 उम्मीदवार लाभान्वित हुए हैं।

 

(ii) कटकरी आदिम जनजाति: इस परियोजना का उद्देश्य महाराष्ट्र के कटकरी जनजाति के 1020 उम्मीदवारों को कौशल प्रदान करना है।

 

(iii) एलडब्लूई जिलों के लिए कौशल विकास योजना: सरकार नक्सलियों को हमारे देश की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए कई पहल कर रही है। हम एलडब्लूई से प्रभावित 47 जिलों में "वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 47 जिलों में कौशल विकास" योजना को लागू कर रहे हैं। यह योजना 47 प्रभावित जिलों में से प्रत्येक में 1 नई आईटीआई स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों की सहायता कर रही है। 47 जिलों में से, 39 जिले आकांक्षापूर्ण हैं। इसके अलावा, प्रत्येक 34 प्रभावित जिलों में, 2 कौशल विकास केंद्र भी स्थापित किए जा रहे हैं। यह स्थानीय युवाओं को इन संस्थानों में कौशल प्राप्त करके एक सभ्य आजीविका प्राप्त करने में मदद करेगा।

 

2018 में, ईडीटी ने सरकार की नीति के अनुसार, आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए आईटीआई में प्रवेश की योग्यता में छूट दी है, जिसके अंतर्गत लाभार्थी को एक वर्षीय प्री-आईटीआई फाउंडेशन पाठ्यक्रम से गुजरना पड़ेगा।

 

यह फाउंडेशन पाठ्यक्रम उन्हें नियमित शैक्षणिक प्राप्ति के अंतराल को भरने और आईटीआई पाठ्यक्रम को समझने में सक्षम बनाएगा। इस पाठ्यक्रम के सफल समापन के बाद, उन्हें एक या दो साल की अवधि के नियमित ट्रेडों के लिए आईटीआई में भर्ती करवाया जाएगा।

 

ये उम्मीदवार आईटीआई कार्यक्रम के सफल समापन के बाद एक वर्ष के लिए "राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस)" के भी पात्र होंगे।

 

गृह मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित की जा रही योजना "वामपंथी चरमपंथियों की आत्मसमर्पण-सह-पुनर्वास योजना" के प्रत्येक लाभार्थी 36 महीने की अधिकतम अवधि के लिए 6,000 रुपये मासिक वजीफे के लिए पात्र होंगे।

 

(iv) ज़रदोज़ी शिल्पकार के लिए सामान्य सुविधा केंद्र: ओडिशा के पास कला और शिल्प की एक समृद्ध विरासत है जिसे स्थानीय कारीगरों ने अपने कामों द्वारा लोकप्रिय बनाया है, जो कि 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। इन प्रतिभाशाली कारीगरों के कौशल को और उन्नत करने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए, कटक में ज़रदोज़ी शिल्पकारों के लिए कौशल-सह-आम सुविधा केंद्र की शुरूआत अप्रैल 2018 में की गई। यह केंद्र उद्योगिक स्तर के प्रशिक्षण को अधिक सक्षम बनाने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी में/का उपयोग करता है। यह ई-कॉमर्स सहित मार्केटिंग रणनीतियों पर प्रशिक्षण भी प्रदान करता है, जिससे कारीगर आत्मनिर्भर हो सकें और खरीदारों से सीधे जुड़ सकें। उपयुक्त मशीनरी और नवीनतम तकनीक से युक्त कॉमन फैसिलिटी सेंटर पेशेवरों के लिए सुलभ होगा जो स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए अपनी आजीविका उत्पन्न करने के लिए इच्छुक हैं। केंद्र भविष्य के सुनारों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखता है, जो कि ज़रदोज़ी हस्तकला के पुनरुद्धार की आधारशिला के रूप में भी काम करते हैं। इस कार्यक्रम का दृष्टिकोण, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ज़रदोज़ी शिल्पकारों को व्यापक अवसर प्रदान करने के लिए कटक में एक अंतर्राष्ट्रीय-स्तरीय ज़रदोज़ी प्रदर्शनी-सह-कार्यशाला का आयोजन करना है।

 

कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय ने श्रम और रोजगार मंत्रालय के साथ मिलकर निम्नलिखित कार्यक्रमों का संचालन करने के लिए भागीदारी की है:

 

  • विकलांग पुनर्वास केंद्र (वीआरसी) के माध्यम से संचालित विकलांग व्यक्तियों के लिए एमओएलई की कौशल विकास योजना का समर्थन,
  • बाल श्रम के मुद्दे के समाधान के लिए उन्हें जन शिक्षण संस्थान योजना और प्रधानमंत्री कौशल केंद्र योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण देना। 4 जिलों में 4 पायलट कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं,
  • एमओएलई द्वारा 5 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत पहचाने गए बंधुआ मजदूरों के कौशल और पुनर्वास का समर्थन करना, पीएमकेवीवाई के अंतर्गत सभी रोजगार सूची में भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों की स्किलिंग की सुविधा यानि पीएमकेवीवाई के अंतर्गत क्षमता निर्माण और सशक्तीकरण के लिए लघु-अवधि प्रशिक्षण (एसटीआई) और पूर्व शिक्षण (आरपीएल) की मान्यता,
  • बीड़ी श्रमिकों और उनके आश्रितों को वैकल्पिक रोजगार/ आजीविका प्रदान करने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा, जिसके लिए शुरूआती धन प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के माध्यम से दिया जाएगा, अन्य प्रशिक्षु के रूप में

 

जापान सरकार के साथ एमओसी: कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) और जापान सरकार के बीच टोक्यो में तकनीकी विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीआईटीपी) पर एक सहयोग ज्ञापन (एमओसी) पर हस्ताक्षर किए गए। सीआईआई की चेन्नई फैसिलिटी में 17 छात्रों के पहले बैच ने पूर्व-प्रस्थान प्रशिक्षण पूरा कर लिया है और उन्हें जापान के एक प्रमुख ऑटोमोटिव निर्माता कंपनी से इंटर्नशिप ऑफर लेटर्स प्राप्त हुआ है। उन्हें जापानी प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित किया गया है, जो विशेष रूप से विभिन्न प्रभागों में उच्च गुणवत्ता प्रशिक्षण सुनिश्चित करने वाले कार्यक्रमों में लगे हुए हैं, जैसे उत्पादन, गुणवत्ता विभाग, तकनीकी विभाग आदि। इनमें से अधिकांश इंटर्न दक्षिणी तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों से हैं। वे लोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों से संबंधित हैं, जिनकी औसत पारिवारिक आय 40,000 रूपये से 80,000 रूपये प्रति वर्ष है। कार्यक्रम की आवश्यकता के अनुसार वे लोग 6 महीने से 1 वर्ष के अनुभव के साथ आए थे। उनमें से अधिकांश लोग विनिर्माण क्षेत्र में लगे हुए थे, जहाँ पर वे प्रति माह 8,000 रूपया से 10,000 रूपया कमाते थे। इस कार्यक्रम के अंतर्गत, अब वे प्रति माह लगभग 65,000 रूपये प्राप्त कर रहे हैं वो भी सांविधिक कटौती के बाद। यह कार्यक्रम उन्हें एक बहुत बड़ा वित्तीय और व्यावसायिक लाभ दे रहा है जिसके माध्यम से न केवल उनके जीवन स्तर को बढ़ावा मिलेगा बल्कि उनके परिवारों को भी लाभ पहुंचेगा।

 

इंडिया स्किल्स फाइनल्स: टीम इंडिया रूस के कज़ान में होने वाली 45 वीं विश्व कौशल अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए पूरी तरह से तैयार है। इंडियास्किल्स 2018, देश की सबसे बड़ी कौशल प्रतियोगिता है, जिसे वैश्विक मंच के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने और तैयार करने के लिए डिज़ाइन किया गया था, जो कि अक्टूबर 2018 में नई दिल्ली में एक भव्य नोट के साथ समाप्त हुआ। 27 राज्यों के 400 से अधिक प्रतियोगियों ने विशेषज्ञों और ज्यूरी सदस्यों के सामने 46 कौशल, 7 पारंपरिक कौशल और 4 डेमो कौशल में अपने कौशल का प्रदर्शन किया। इंडियास्किल्स 2018 प्रतियोगिता में 15,000 से अधिक आगंतुकों ने हिस्सा लिया। कुल मिलाकर 164 विजेताओं को उनके संबंधित कौशल श्रेणियों में पदक से सम्मानित किया गया। इनमें से 45 विजेताओं ने स्वर्ण पदक जीते, जबकि 47 विजेताओं ने रजत और 43 विजेताओं ने कांस्य पदक जीता। महाराष्ट्र 23 पदकों के साथ पदक तालिका में सबसे ऊपर रहा, जिसके बाद ओडिशा का स्थान रहा, जिसके 21 विजेता थे। कर्नाटक और दिल्ली प्रत्येक 16 पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रहे, जबकि चंडीगढ़ 12 पदकों के साथ पांचवें स्थान पर रहा। सभी फाइनलिस्ट, 2019 में आयोजित होने वाली 45वीं विश्व कौशल प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे।

 

टीम इंडिया का नेतृत्व नेशनल स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएसडीसी) द्वारा एमएसडीई के मार्गदर्शन में किया जाता है। टीम इंडिया के लिए 2017 सबसे सफल वर्ष में से एक रहा, जिसने 2017 में अबू धाबी में आयोजित हुए विश्व कौशल प्रतियोगिता में 1 रजत, 1 कांस्य और 9 उत्कृष्टता के लिए पदक जीता। यह पदक तालिका भारत द्वारा इन प्रतियोगिताओं में 2007 में भाग लेने के की शुरूआत के बाद सर्वश्रेष्ठ पदक तालिका है।

 

यूरो कौशल 2018: यूरोस्किल्स युवा पेशेवरों के लिए यूरोपीय चैम्पियनशिप है, जो यूरोप के आसपास नवीनतम कौशल विकास को बढ़ावा देती है। यूरोस्किल्स का आयोजन 26 से 28 सितंबर, 2018 तक हंगरी के बुडापेस्ट में किया गया। इस प्रतियोगिता में 28 से अधिक देशों ने भाग लिया, जिसमें जापान, यूएई और कोरिया जैसे अन्य देशों के साथ भारत एक अतिथि देश के रूप में शामिल हुआ।

 

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आरकेमीणा/एएम/केपी


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