पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण अपनी पहली सार्वजनिक निजी भागीदारी में आपूर्ति, परिचालन, रखरखाव मॉडल पर कोलकाता टर्मिनल एक निजी कम्पनी को सौंपेगा
इस परियोजना से राष्ट्रीय जलमार्ग-1 पर नेपाल जाने वाले कंटेनरयुक्त कार्गो को निकालने की भारी संभावना
Posted On:
29 OCT 2018 2:04PM by PIB Delhi
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) सार्वजनिक निजी भागीदारी की दिशा में कल एक सशक्त प्रयास करते हुए कोलकाता में अपने टर्मिनलों के परिचालन और प्रबन्ध का काम मैसर्स सुमित अलायंस पोर्ट ईस्ट गेटवे (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड (एसएपीईएल) को आपूर्ति, परिचालन और रखरखाव (एसओएम) मॉडल पर सौंप देगा। सौंपने का कार्य जहाजरानी सचिव श्री गोपाल कृष्ण की उपस्थिति में कोलकाता में आयोजित एक समारोह में किया जाएगा।
टर्मिनल जीआर जेटी-1 और बीआईएसएन और अंतर्देशीय जल परिवहन (आईडब्ल्यूटी) की जीआर जेटी- II को रेवेन्यू शेयरिंग (व्यावसायिक गठबंधन से होने वाले लाभ को बांटकर) मॉडल पर सज्जित करने,परिचालन और प्रबन्धन के लिए एसएपीईएल को सौंपा जाएगा। परिचालनकर्ता को यह अधिकार होगा कि वह उपयोग करने वाले लोगों से आईडब्ल्यूएआई द्वारा अधिसूचित शुल्क दरों के अनुसार उपयोग शुल्क वसूले। यह ठेका 30 वर्ष की अवधि के लिए वैध होगा। मैसर्स एसएपीईएल को अगस्त 2017 में रेवेन्यू शेयरिंग प्रबंध के अंतर्गत यह ठेका दिया गया था। इसमें 61.70% खुद के लिए और 38.30%आईडब्ल्यूएआई को देने का प्रावधान किया गया है। यह कार्य वैश्विक निविदा प्रक्रिया के जरिये कोलकाता में गार्डन रीच टर्मिनल और पटना में गायघाट और कालूघाट टर्मिनल के लिए किया गया। एसओएम मॉडल के अंतर्गत आईडब्ल्यूएआई द्वारा हाथ में ली गई पहली पीपीपी परियोजना होने के नाते इस कार्यक्रम ने भारत में आईडब्ल्यूटी के विकास में निजी निवेश का मार्ग प्रशस्त कर दिया है।
आईडब्ल्यूटी टर्मिनल जीआर जेटी-। और बीआईएसएन तथा जीआर जेटी-।। क्रमश: 30,409.64 वर्ग मीटर और 14,557 वर्ग मीटर में फैला हुआ है, और इसमें एक रोल ऑन – रोल ऑफ टर्मिनल के अलावा दो स्थायी आरसीसी जेटी और एक तैरती हुई जेटी है। बीआईएसएन जेटी से जहाजों पर ट्रकों को संकरैल लाने ले जाने और परिचालन प्रबंधन में निजी क्षेत्र की भागीदारी से जेट्टियों की परिचालन क्षमता में सुधार होगा।
आईडब्ल्यूएआई के अध्यक्ष श्री प्रवीर पांडे के अनुसार इससे परिचालनकर्ता कोलकाता और पटना में रख-रखाव सेवा को हाथ में लेकर कार्गो संचालन उपकरण, कंटेनर संचालन उपकरण और भंडार गृहों में निवेश कर सकेंगें।
कोलकाता और पटना टर्मिनलों विकसित करने से नेपाल जाने वाले कंटेनरयुक्त कार्गो राष्ट्रीय जलमार्ग-। से निकालने की भारी संभावना है।
कोलकाता से पटना में प्रवेश से सड़क और रेल की तुलना में क्रमश: 24% और 4% की बचत होगी। कोलकाता से काठमांडू प्रवेश में सड़क और रेल की तुलना में क्रमश: करीब 13% और 26% की बचत होगी।
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आर.के.मीणा/अर्चना/केपी/एनएम -10929
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