आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति (सीसीईए)

मंत्रिमंडल द्वाराकोयला खान (विशेष उपबंध) अधिनियम 2015 और खान एवं खनिज (विकास और नियमन) अधिनियम 1957के तहत कोयले की बिक्री के लिए खदानों/ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया को मंजूरी


वाणिज्यिक कोयला खनन को निजि क्षेत्र के लिए खोला जाना 1973 में इस क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के बाद का इस क्षेत्र का सबसे महत्वाकांक्षी सुधार

यह प्रक्रिया कोयला क्षेत्र में पारदर्शितालानेतथाकारोबारी सुगमता को उच्च प्राथमिकता प्रदान करती है और यह सुनिश्चित करती है कि प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग देश के विकास के लिए हो

एकाधिकार से प्रतिस्पर्धा युग की ओर कदम बढ़ाते हुए दक्षता लाना

ज्यादा निवेश से प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार पैदा होंगे

इससे कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित होने, कोयले के आवंटन के प्रति जवाबदेही तथा सस्ते कोयला मिलने से ऊर्जा सुरक्षा भी सुनिश्चत होगी

Posted On: 20 FEB 2018 2:00PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज कोयला खान (विशेष उपबंध) अधिनियम, 2015और खान एवं खनिज (विकास एवं नियमन) अधिनियम 1957 के तहत कोयले की बिक्री के लिए खानों/ब्लॉकों की निलामी पद्धति को मंजूरी दे दी। निजी क्षेत्र के लिए व्यवसायिक कोयले के खनन को निजी क्षेत्र के लिए खोला जाना 1973 में इस क्षेत्र के राष्ट्रीयकरण के बाद कोयला क्षेत्र का सबसे महत्वाकांक्षी सुधार है।

उच्चतम न्यायालय ने दिनांक 24.09.2014 के अपने आदेश के जरिए कोयला खान राष्ट्रीयकरण अधिनिमय 1973 के तहत 1993 से विभिन्न सरकारी और निजि कंपनियों को दिए गए कोयला खानों और ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दिया था। पारदर्शिता लाने तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए संसद द्वारा 30.03.2005 को कोयला खान विशेष उपबंध विधेयक 2015 को अधिसूचित किया गया था। इस अधिनियम में कोयले की बिक्री तथा नीलामी प्रक्रिया के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की गई हैं। यह प्रक्रिया पारदर्शिता लाने तथा कारोबारी सुगमता को उच्च प्राथमिकता देती है और साथ ही यह सुनिश्चत करती है कि प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल राष्ट्रीय विकास के लिए हो। नीलामी प्रक्रिया नीचे से ऊपर के क्रम में होगी जिसमें बोली के मानक रूपये और टन के मूल्य प्रस्ताव के रूप में होंगे, जिसका भुगतान कोयले के वास्तविक उत्पादन के आधार पर राज्य सरकार को किया जाएगा। कोयला खानों से निकाले गए कोयले की बिक्री और उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। इस सुधार से एकाधिकार से प्रतिस्पर्धा के युग की बढ़ते हुए कोयला क्षेत्र में दक्षता आने की उम्मीद है। यह कोयला क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा और हरसंभव बेहतरीन प्रौद्योगिकी का रास्ता खोलेगी।

ज्यादा निवेश होने से कोयले क्षेत्रों विशेषकर खनन क्षेत्रों में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होंगे, जिससे इन क्षेत्रों के आर्थिक विकास पर असर पड़ेगा।

इससे ऊर्जा भी सुनिश्चित होगी। क्योंकि भारत में 70 प्रतिशत बिजली का उत्पादन ताप विद्युत संयंत्रों में होता है। यह सुधार कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ ही कोयले के आवंटन को जवाबदेह बनाएगा तथा किफायती कोयले की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा जिससे उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सकेगी।

कोयले की बिक्री के लिए कोयला खानों की नीलामी से अर्जित होने वाला पूरा राजस्व कोयला वाले राज्यों को मिलेगा अत: इस प्रक्रिया से उन्हें अधिक राजस्व की प्राप्ति होगी, जिसका इस्तेमाल वे अपने पिछड़े क्षेत्रों और वहां के लोगों तथा जनजातियों के विकास के लिए कर सकेंगे। देश के पूर्वी हिस्से के राज्य इससे विशेष रूप से लाभान्वित होंगे।

 

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