खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा 2017- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय


भारत ने वर्ल्ड फूड इंडिया 2017 ‘भारतीय व्यजनों का कुंभ मेला’ का आयोजन किया जिसमें 61 देश, तमाम वैश्विक सीईओ के साथ 800 वैश्विक व घरेलू प्रदर्शनकारियों ने हिस्सा लिया। इस मेले में 75000 बिजनेस विजिटर्स भी आए।

प्रधानमंत्री ने निवेशक पोर्टल-निवेश बंधु का उद्घाटन किया

डब्लूएफआई 2017 में भारत को खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सबसे पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में प्रदर्शित किया गया; घरेलू और विदेशी निवेशकों ने 13.56 अरब डॉलर निवेश करने का इरादा जताया

वैश्विक खाद्य फैक्टरी में वर्ल्ड फूड इंडिया की वजह से भारत की स्थिति सुधरी

बिजनेस के लिए सुगम माहौल और ढांचे के मामले में भारत की रैंकिंग में सुधार

कैबिनेट ने नई केंद्रीय क्षेत्र योजना-प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना को मंजूरी दी


मेगा फूड पार्कों का संचालन; तमिलनाडु में अन्य सुविधाओं के साथ शॉलट्स के लिए कॉमन फूड प्रोसेसिंग इनक्यूबेशन सेंटर की शुरुआत

Posted On: 05 JAN 2018 1:20PM by PIB Delhi

प्राइवेट सेक्टर लेंडिंग के लिए कृषि गतिविधियों के अंतर्गत खाद्य और कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाई और कोल्ड चेन बुनियादी ढांचा

प्री-कंडीशनिंग, प्री-कोडिंग पर सेवा कर, रीएपिलेशन, खुदरा पैकेजिंग और फलों व सब्जियों की लेबलिंग के लिए चेन परियोजनाओं में छूट दी गई

मंत्रालय में इंवेस्ट ट्रैकिंग एंड फैसलिटी डेस्क ऑफ इंवेस्ट इंडिया की स्थापना

नाबार्ड में 8000 करोड़ रुपये का डेयरी प्रसंस्करण और विकास निधि की स्थापना

मंत्रालय में जीएसटी सुविधा शाखा की स्थापना
 

केंद्रीय मंत्री श्रीमती हरसिमरत कौर बादल के नेतृत्व में 2017 में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने प्रमुख कदम उठाए। प्रमुख उपलब्धियों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं;

  • वर्ल्ड फूड इंडिया 2017:

मंत्रालय ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में भारत की निवेश क्षमता का प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली में 3 से 5 नवंबर तक विश्व खाद्य भारत 2017 का आयोजन किया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किए गए तीन दिवसीय आयोजन ने भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अधिकतम निवेश प्रतिबद्धताओं को बढ़ावा देने के अवसरों का प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम ने खाद्य सुरक्षा हासिल करने की पृष्ठभूमि में नवाचार, प्रौद्योगिकी, विकास और स्थिरता का लाभ उठाने को लेकर खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला का प्रदर्शन करते हुए अभिनव उत्पादों और विनिर्माण प्रक्रियाओं के प्रदर्शन के लिए एक मंच मुहैया कराया। 27 राज्यों और 800 वैश्विक व घरेलू प्रदर्शनकारियों के साथ ही 61 देशों और ग्लोबल सीईओ ने मेले में भाग लिया। प्रदर्शनी में 75000 बिजनेस विजिटर्स ने हिस्सा लिया। जर्मनी, जापान और डेनमार्क विश्व खाद्य भारत में भागीदार देश थे जबकि इटली और नीदरलैंड फोकस देश थे। विश्व खाद्य भारत 2017 के समापन समारोह में भारत के राष्ट्रपति ने इसे "भारतीय खाद्य का कुंभ मेला" का नाम दिया।

 

  • निवेशक पोर्टल- निवेश बंधु की शुरुआत- वर्ल्ड फूड इंडिया के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने निवेश बंधु -निवेशक के पोर्टल की शुरुआत की। इस अनूठे पोर्टल का उद्देश्य केंद्रीय और राज्य सरकार की नीतियों और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए प्रदान किए जाने वाले प्रोत्साहन के बारे में जानकारी एकत्र करना है। प्रसंस्करण आवश्यकताओं के साथ स्थानीय स्तर पर पोर्टल मानचित्र संसाधन से लैस है। यह किसानों, प्रोसेसर, व्यापारियों और रसद ऑपरेटरों के लिए व्यापार नेटवर्किंग के लिए एक मंच भी है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सात प्रकाशनों को, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में सूचित निर्णय लेने में मदद करने के लिए पोर्टल में शामिल किया गया है। पोर्टल में फूड मैप ऑफ इंडिया को भी शामिल किया गया है। खाद्य मानचित्र ने निवेशक को अपनी परियोजनाओं का पता लगाने के संबंध में निर्णय लेने के लिए सक्षम बनाता है क्योंकि खाद्य मानचित्र ने अधिशेष उत्पादन क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण की क्षमता का मानचित्रण दिखाया है। प्रधानमंत्री ने कॉफी टेबल बुक के साथ भारतीय व्यंजनों पर स्मारक टिकट भी जारी किया।

 

  • भारत को पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में प्रदर्शित किया- वर्ल्ड इंडिया फूड 2017 में भारत को पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में प्रदर्शित किया गया। डब्लूएफआई 2017 के दौरान घरेलू और विदेशी निवेशकों के साथ 13.56 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इन मुद्दों पर आगे बढ़ने के लिए इंवेस्ट इंडिया में एक विशेष शाखा की स्थापना की गई है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित अपव्यय को कम करने, अधिक उत्पादन करने और अधिक प्रक्रिया करने के लिए सुनिश्चित करना है। फोर्क टू फोर का उनका मंत्र है और फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री का लक्ष्य किसानों और उपभोक्ताओं के बीच पुल बनना है। वर्ल्ड फूड इंडिया ने ग्लोबल फूड फैक्ट्री के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने में मदद की। देश में आयोजित इस कार्यक्रम में ग्लोबल सीईओज के हिस्सा लेने से इज ऑफ डोइंग की रैंकिंग में काफी सुधार हुआ।इन सीईओज की प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली के साथ राउंटटेबल बैठकें हुईं। बी2बी/बी2जी बैठकों में बैठकों में 15 देशों के 200 से अधिक सदस्यों के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंत्रिस्तरीय और व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के दौरान 8 सेक्टोरल कॉन्फरेंस आयोजित किए गए। साथ ही दो खाद्य मानक और भारत के सुरक्षा प्राधिकरण के सहयोग से पूर्ण सत्र "भारतः पसंदीदा गंतव्य" और "एक राष्ट्र, एक खाद्य कानून-खाद्य क्षेत्र में निवेश के लिए एक सक्षम नियामक वातावरण तैयार करना" जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए।

देश और दुनिया भर की 800 से ज्यादा कंपनियों के साथ इंडिया गेट के समीप स्थित मैदान में 40,000 वर्ग मीटर में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। प्रदर्शनी के दौरान फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन एंड वोमेन एंत्रप्रोन्सर्स पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया था ताकि वे देशी भारतीय व अंतरराष्ट्रीय संभवाओं से जुड़ सकें जिससे नए अवसरों के रास्ते खुलें। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के थीम पैलेलियन में उत्साहजनक दृश्य देखने को मिला था जहां, भारतीय उत्पादों की दृष्टि से दुनिया के लिए पेशकश की गई थी। साथ ही स्मार्ट शेल्फ, ओएलईडी स्क्रीन, ट्विटर वॉल, आभासी और संवर्धित वास्तविकता आदि जैसे कई प्रौद्योगिकियों के माध्यम से, मेगा फूड पार्कों को एक भू मानचित्रण आदि के जरिये दर्शाया गया था।

 

  • फूड स्ट्रीट-वर्ल्ड फूड इंडिया के आयोजन के दौरान मशहूर शेफ संजीव कपूर द्वारा स्ट्रीट फूड का आयोजन किया गया जो इस कार्यक्रम में लोगों को ज्यादा आकर्षित कर रहा था। फूड स्ट्रीट को प्रायोगिक मंच के तौर पर तैयार किया गया था, ताकि वहां दुनिया की पाक कलाओं का सामूहिक प्रदर्शन किया जा। साथ ही दुनिया के व्यंजनों का स्वाद, खूशबू, भोजन बनाने की भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और अपने उत्पादन की विविध विशिष्टता के प्रदर्शन के उद्देश्य से इसका आय़ोजन किया गया था। इस दौरान शेफों द्वारा तैयार की गई 918 किलो की पौष्टिक और स्वास्थवर्धक खिचड़ी ने गिनीज बुक में रिकॉर्ड दर्ज कराया। इस कार्यक्रम के दौरान खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्रीमती बादल ने प्रत्येक व्यक्ति से भारत खाद्य सुरक्षित सुनिश्चत करने के लिए 'मेरे प्लेट का भोजन बर्बाद नहीं होगा' का प्रतिज्ञा करने की अपील की। 

 

  • एमओएफपीआई की अंतर्राष्ट्रीय भागीदार- एमओएफपीआई ने अंतरराष्ट्रीय खाद्य प्रदर्शनी में फ्रांस की सैलोन इंटरनेशनल डी लाईमेंटेशन (एसआईएएल) ने हिस्सा लिया और जर्मनी की ऑलगेमीन नहरंग्स एंड जेनुस्मिट्टल औसलेलंग (एएनयूजीए) की भागीदार ने भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की ताकत का प्रदर्शन किया।

 अक्टूबर 2017 में कोलोन, जर्मनी में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम एएनयूजीए में भारत के लिए एक साझेदार देश होना एक सम्मान की बात थी। मतभेदों को दूर करने और किसानों के जीवन को बदलने के लिए खाद्य कूटनीति के विचार से उत्साहित, श्रीमती बादल ने दोहराया कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योग का विकास 2022 तक किसानों की आय दोहरीकरण के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा। न केवल खाद्य प्रसंस्करण में बल्कि खेती प्रौद्योगिकियों में भी हमारी खेती तकनीक और निवेश का उन्नयन को लेकर पश्चिम से सीखने की आवश्यकता है कि कैसे फसल और अपशिष्ट स्तर पर अपव्यय को नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेने में मार्गदर्शक उद्देश्य साबित हो सकते हैं।

 

  • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना

23 अगस्त, 2017 को मंत्रालय की योजनाओं का पुनर्गठन किया गया और नई योजनाओं को मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी और जिसे प्रधानमंत्री किसान सम्पादा योजना के रूप में शुरू किया। सम्पदा योजना का उद्देश्य अवसंरचना के निर्माण और कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र की संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में प्रसंस्करण और संरक्षण की बढ़ती क्षमता को कृषि गेट से खुदरा दुकानों तक को लक्षित करना है। नई योजना खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों और खाद्य व्यापार को एकीकृत करने के साथ ही किसानों के लिए बड़े पैमाने पर अवसरों के नए द्वार खोलेगी और इससे उनके लिए रोजगार बढ़ने के साथ ही उनकी आय में बढ़ोतरी होगी। पीएमकेएसवाई एक प्रमुख योजना है जिसमें मेगा फूड पार्क, एकीकृत कोल्ड श्रृंखला और वैल्यू एडिशन इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य सुरक्षा और क्वालिटी एश्योरेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर आदि की चल रही योजनाएं शामिल हैं और साथ ही एग्री प्रोसेसिंग क्लस्टर के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, पिछड़ा और अग्रेषण संबंधों का निर्माण, खाद्य प्रसंस्करण तथा संरक्षण क्षमता का निर्माण / विस्तार जैसी नई योजनाएं भी इसमें शामिल हैं।

  • अन्य महत्वपूर्ण प्रशासनिक निर्णय

Ø  खाद्य एवं कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाई और कोल्ड चेन का बुनियादी ढांचे को ऋण देने के लिए प्राथमिकता क्षेत्र तौर पर कृषि गतिविधियों के तहत वर्गीकृत किया गया है। खाद्य प्रसंस्करण गतिविधियों और बुनियादी ढांचे के लिए अतिरिक्त ऋण की उपलब्धता।

Ø  पूर्व-कंडीशनिंग, प्री-कोडिंग, खुदरा पैकेजिंग और फलों व सब्जियों के लेबलिंग पर सेवा कर कोल्ड शृंखला परियोजनाओं में छूट दी गई। यह कोल्ड चेन ऑपरेटरों को कर छूट के मामले में एक बड़ी राहत है क्योंकि यह सुविधा केवल किसानों को फार्म गेट पर उपलब्ध थी, लेकिन कोल्ड चेन ऑपरेटरों के लिए नहीं थी। इसने शीत श्रृंखला परियोजनाओं की व्यवहार्यता को बढ़ाया, जिससे क्षेत्र में अधिक निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके।

Ø  पारदर्शिता को बढ़ाने और मानवीय हस्तक्षेप को कम करने के लिए ऑन-लाइन सॉफ़्टवेयर का निर्माण किया गया ताकि बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के दावों को दर्ज किया जा सके। यह अन्य योजनाओं के लिए भी विस्तारित किया जा रहा है।

Ø  मंत्रालय में इंवेस्ट इंडिया को लेकर इंवेस्टमेंट ट्रैकिंग एवं फैसलिटी डेस्क की स्थापना की गई है। डेस्क नए संभावित निवेशकों की पहचान और निवेश के लिए एक केंद्रित और संरचित तरीके से उनसे संपर्क करेगा और साथ ही हाथों हाथ सेवाएं प्रदान करके निवेश के मामलों का अनुवर्तीकरण करेगा। यह डेस्क भारत और विदेशों में दोनों रोडशोज के आयोजन में मंत्रालय की सहायता और निवेश बैठक आयोजित करेगा।

Ø  नाबार्ड में 8000 करोड़ रुपये का डेयरी प्रसंस्करण और विकास निधि की स्थापना की गई है। सहकारी क्षेत्र में विशेष रूप से पुराने और अप्रचलित दूध प्रसंस्करण इकाइयों के आधुनिकीकरण के लिए फंड का उपयोग किया जाएगा और इसके परिणामस्वरूप दूध प्रसंस्करण क्षमता में वृद्धि होगी जिससे किसानों के उत्पाद को अधिक मूल्य मिले और उनकी आय में वृद्धि होगी।

Ø  शॉलट्स के लिए पेरांबलुर में आम खाद्य प्रसंस्करण इनक्यूबेशन सेंटर का उद्घाटन किया गया। 

अतिरिक्त राजकोषीय रियायतों:

2016-17 के बजट में प्रावधान

  • रेफ्रिजेरेटेड कंटेनरों पर उत्पाद शुल्क में 12.5% से 6% तक की कमी।
  • रेफ्रिजेरेटेड कंटेनरों पर मूल कस्टम ड्यूटी में कमी 10% से 5% तक।
  • शीत भंडारण के लिए परियोजना के आयात के तहत वर्तमान में उपलब्ध 5% बेसिक कस्टम ड्यूटी, शीत कक्ष के लिए पूर्व शीतलन इकाई, पैक हाउस, सॉर्टिंग और ग्रेडिंग लाइनों और पकने वाले कक्षों सहित शीत श्रृंखला के लिए भी विस्तार किया गया।
  • मशीनरी पर एक्साइज ड्यूटी 10% से घटाकर 6% कर दी गई। 

मेगा फूड पार्क्स- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को बढ़ावा देने में जुटा हुआ है ताकि कृषि तेजी आगे बढ़ जिससे कृषकों की आय दोगुनी करने में मददगार साबित हो सके। साथ ही इसका उद्देश्य ‘मेक इंड इंडिया’ पहल को मदद पहुंचाना थी है। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर विशेष ध्यान देने के साथ खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को मूल्यवान बनाकर और आपूर्ति श्रृंखला के प्रत्येक चरण में खाद्य अपव्यय को कम करने के लिए  खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय देश में मेगा फूड पार्क योजना को लागू कर रहा है। खाद्य प्रसंस्करण के लिए मेगा फूड पार्क के तहत आधुनिक ढांचे का निर्माण कर किसानों और बाजार के बीच एक श्रृंखला बना दी जाएगी ताकि कलस्टर आधारित व्यवस्था बन सके और लिंकेज को रोका जा सके। सामान्य सुविधाएं और बुनियादी सुविधाओं को सक्षम करने से केन्द्रीय प्रसंस्करण केंद्र में बनाया जाता है। प्राथमिक प्रसंस्करण और भंडारण के लिए सुविधाएं प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र (पीपीसी) और संग्रह केंद्र (सीसी) के रूप में खेत के पास बनाए जाते हैं। इस योजना के तहत भारत सरकार मेगा फूड पार्क के लिए 50 करोड़ रुपये तक का आर्थिक मदद मुहैया करा रही है।

इस वर्ष निम्नलिखित मेगा फूड पार्कों का संचालन शुरू या उनका उद्घाटन किया गया।

 

  1. पतंजली खाद्य और हर्बल पार्क, हरिद्वार (उत्तराखंड);
  2. सिंधु मेगा फूड पार्क, खरगोन (मध्य प्रदेश)
  3. झारखंड मेगा फूड पार्क रांची (झारखंड)
  4. जंगीपुर बंगाल मेगा फूड पार्क, मुर्शिदाबाद (पश्चिम बंगाल)
  5. श्रीनिना खाद्य पार्क, चित्तूर, (आंध्र प्रदेश)
  6. उत्तर पूर्व मेगा फूड पार्क, नलबारी, (असम)
  7. अंतर्राष्ट्रीय मेगा फूड पार्क, फजिलका, (पंजाब)
  8. एकीकृत खाद्य पार्क, तुमकुर, (कर्नाटक)
  9. एमआईटीएस मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड, रायगड़ा, (ओडिशा)

 

निम्नलिखित मेगा फूड पार्कों का सिलान्यास किया गया।

  1. पंजाब कृषि उद्योग निगम मेगा फूड पार्क परियोजना, लुधियाना
  2. केरल में पलक्कड़ में किनाफ्रा द्वारा विकसित मेगा फूड पार्क
  3. केएसआईडीसी द्वारा केरल के अलाप्पुझा में विकसित मेगा फूड पार्क
  4. कपासथला, पंजाब में मक्का आधारित मेगा फूड पार्क
  • एक मेगा फूड पार्क से 5000 लोगों, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में रोज़गार मिलने के अलावा लगभग 25000 किसानों के लाभान्वित होने की संभावना है।
  • चालू वित्त वर्ष के अंत तक संचालन के लिए सातारा (महाराष्ट्र), अजमेर (राजस्थान), और अगरतला (त्रिपुरा) में मेगा फूड पार्क परियोजनाएं उन्नत स्तर पर हैं।
  • नाबार्ड ने 10 मेगा फूड पार्क परियोजनाओं के लिए 'फूड प्रोसेसिंग फंड' के अंतर्गत 2000 करोड़ में से 427.6 9 करोड़ का ऋण और 2 प्रसंस्करण इकाइयों को 81.10 करोड़ की राशि वितरित की गई है। नाबार्ड के साथ विशेष फंड से सस्ती ऋण प्राप्त करने के उद्देश्य से मंत्रालय ने विभिन्न राज्यों में 157 नामित खाद्य पार्कों को अधिसूचित किया है।

 

  • एकीकृत शीत श्रृंखला और मूल्य वृद्धि बुनियादी सुविधा:

अ.   2017 में 16 परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इन संचालनों के साथ, मंत्रालय ने 2.44 लाख मीट्रिक टन शीत भंडारण की एक अतिरिक्त क्षमता, व्यक्तिगत त्वरित फ्रीजिंग (आईक्यूएफ) के प्रति घंटे 72.70 मीट्रिक टन प्रति वर्ष, 34.55 लाख लीटर प्रति दिन दूध / प्रसंस्करण / भंडारण और 472 रियर व्हान को 2014-2017 के दौरान बनाया है।

आ. पिछले साढ़े तीन वर्षों में, 74 एकीकृत शीत श्रृंखला परियोजनाओं को चालू कर दिया गया है, जिससे कुल शीत श्रृंखला परियोजनाओं को 111 में ले लिया गया है। मंत्रालय ने अभी तक 238 कोल्ड चेन परियोजनाओं (पूर्ण और चल रही परियोजनाओं सहित) की क्षमता 7.38 लाख मीट्रिक टन की शीत भंडारण क्षमता, 210.75 मीट्रिक टन प्रति व्यक्ति व्यक्तिगत त्वरित फ्रीजिंग (आईक्यूएफ), 106.9 9 लाख लीटर प्रति दिन दूध प्रोसेसिंग / भंडारण और 1371 रिफर वैन शूरू किए हैं।

इ.     इस मंत्रालय के फीडबैक और अनुभव के आधार पर योजना के दिशानिर्देशों को संशोधित किया गया है ताकि उन्हें निवेशक के अनुकूल बनाया जा सके।

औसतन, प्रत्येक शीत शृंखला परियोजना फल और सब्जियों के लगभग 500 किसानों को लाभ देती है और लगभग 5000 किसान डेयरी क्षेत्र में काम करती हैं और 100 लोगों के लिए रोज़गार पैदा करती हैं।

वर्ष

2014 (मई - दिसंबर)

2015

2016

2017 (दिसंबर तक)

कुल

कुल शीत श्रृंखला परियोजनाओं की संख्या

13

21

24

16

74

कोल्ड स्टोरेज / सीए / एमए संग्रहण / डीप फ्रीजर (लाख मीट्रिक टन) की कुल क्षमता

0.39

0.66

0.576

0.811

2.44

व्यक्तिगत त्वरित फ्रीजिंग (मीट्रिक टन / प्रति घंटा)

32.20

16.25

13.25

11

72.70

दूध संग्रहण / प्रसंस्करण (लाख लीटर प्रति दिन)

5.50

10.00

16.05

3.00

34.55

रेफर वाहन (संख्या)

82

98

196

96

472

 

  • बूचड़खानों की स्थापना / आधुनिकीकरण की योजना के तहत पणजी (गोवा) में एक परियोजना को लागू किया गया है।
  • 10खाद्य परीक्षण लैब्स पूरा हो चुके हैं।
  • 31 अगस्त 2017 को,इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी (आईआईएफपीटी) के सहयोग से पेरामबलुर में लॉन्च किए जाने वाले शॉलट्स के लिए एक कॉमन फूड प्रोसेसिंग इनक्यूबेशन सेंटर शुरू किया गया। पेरांबलूर जिले के किसानों की खेती में बढ़ती हुई कठिनाई के बावजूद, 8,000 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती के क्षेत्र में प्रति वर्ष 700,000 टन उथले का उत्पादन किया जा रहा है, क्योंकि इनकी कीमतों में वृद्धि, अप्रत्याशित मौसम, रोग फैलने और बाजार में पर्याप्त कीमत नहीं मिल रही है। इस प्रकार पेरामबलुर में शॉलट्स के लिए केन्द्रीय प्रसंस्करण केंद्र को यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया था कि कोई भी शॉलट्स बर्बाद नहीं हो, साथ ही इससे किसानों की आय में वृद्धि हो सकती है और उपभोक्ताओं के लिए शॉलट्स की उपलब्धता सुनिश्चित भी हो रही है।
  • जीएसटी सुविधा केंद्र-खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ने अपने कार्यालय में एक चार सदस्यीय जीएसटी सुविधा केंद्र स्थापित किए हैं ताकि उद्योग को नए कर व्यवस्था के बारे में निर्देशित किया जा सके। मंत्रालय ने कार्यान्वयन के उद्देश्य के लिए जीएसटी सेल बनाया है और तत्काल प्रभाव से जीएसटी को सुगम बनाने में मदद की है। जीएसटी सुविधा केंद्र, एमओएफपीआई से संबंधित प्रमुख उद्योग और व्यापार संघों के लिए लेवी के रोलआउट के लिए सभी संभव समर्थन प्रदान करता है। यह सेल मंत्रालय से संबंधित किसी भी मुद्दे का समाधान करने के लिए पहले संपर्क के रूप में कार्य करता है। जीएसटी सेल प्रासंगिक जीएसटी अधिनियम, नियम, दर संरचना आदि के पूर्ण ज्ञान से लैस होगा। जीएसटी सुविधा केंद्र के सदस्यों से टोल फ्री नंबर 1800111175 या # AskonGSTFPI के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए http://www.mofpi.nic.in पर जाया जा सकता है।

 खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय की सहायता के लिए, एफएसएसएआई ने उत्पाद की स्वीकृति को सरल बनाया:

  1. अंतर्राष्ट्रीय आचार मानकों के साथ मिलकर नए एडिटिव्स की एक बड़ी संख्या को स्वीकृति दी गई।
  2. विनियमों में एक संशोधन के रूप में अधिसूचित किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप गैर-मानक खाद्य उत्पादों को स्वामित्व वाले खाद्य पदार्थ (अच्छे खाद्य और न्यूट्रास्युटिकल को छोड़कर) को, जो नियमों में अनुमोदित सामग्री और एडिटिव्स का उपयोग करने के बाद अब उत्पाद अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होगी। इसने उद्योग को काफी राहत प्रदान की है।
  • हरियाणा के सोनीपत, कुंडली में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी संस्थान, उद्यमशीलता और प्रबंधन (एनआईएफटीईएम) और तमिलनाडु के तंजावूर में भारतीय खाद्य प्रसंस्करण प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएफपीटी) को उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में सरकार द्वारा विकसित किया जा रहा है। इन संस्थानों से पढ़कर निकलने वालों को 100% प्लेसमेंट मिल चुके हैं।
  • एफएसएसएआई, भारत में खाद्य सुरक्षा के लिए सर्वोच्च विनियामक निकाय ने 'फूड रेगुलेटरी पोर्टल' नामक एक शक्तिशाली नए उपकरण की घोषणा की। खाद्य व्यवसायों के लिए घरेलू कारोबार और खाद्य आयात दोनों को पूरा करने के लिए एकल इंटरफेस के रूप में योजना बनाई गई, यह पोर्टल देश के खाद्य सुरक्षा कानूनों के प्रभावी और पारदर्शी कार्यान्वयन के लिए मददगार साबित होगा। व्यवसायों के संचालन के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने के लक्ष्य साथ यह पोर्टल “एक राष्ट्र, एक खाद्य कानून” के सरकार के मिशन के साथ रणनीतिक रूप से काम करेगा। 
  • राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति

राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति पर दृष्टिकोण पत्र एमओएफपीआई वेबसाइट पर अपलोड किया गया है और सुझाव सभी हितधारकों व आम जनता से आमंत्रित किए गए हैं। राष्ट्रीय खाद्य प्रसंस्करण नीति, भारत के राष्ट्रीय खाद्य ग्रिड और राष्ट्रीय शीत श्रृंखला ग्रिड के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगी और देश के हर जगह और कोने में खुदरा बाजार तैयार करेगी।

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वीएल/एएम/वीएस/पीकेए/एसएस-6202
 



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