Posted On:
31 DEC 2017 2:21PM by PIB Delhi
'ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया' यानी बदलते भारत के लिए माननीय प्रधानमंत्री की दृष्टि के अनुरूप मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने “सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा ” के उद्देश्य से शिक्षा क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए उल्लेखनीय पहल की है।
वर्ष 2017 शिक्षा के क्षेत्र में एक अन्य उल्लेखनीय वर्ष रहा है क्योंकि 'सबको शिक्षा और अच्छी शिक्षा' से निर्देशित नीतिगत फैसलों और कार्यों ने बदलाव को प्रेरित किया है। इसके तहत शिक्षा को उपलब्ध, सुलभ, सस्ती और जबावदेह बनाने पर जोर दिया गया है।
अधिगम परिणाम
आरटीई कानून की आलोचना अक्सर इस बात को लेकर होती रही है कि इसके तहत स्कूलों में अच्छी शिक्षा को बढ़ावा देने वाले मुद्दों पर अधिक ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है। इसलिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए फरवरी 2017 में आरटीई कानून के नियमों में संशोधन किया गया और उसमें पहली बार आठवीं कक्षा तक कक्षावार एवं विषयवार अधिगम परिणामों को समाहित किया गया ताकि गुणवत्तायुक्त शिक्षा के महत्व पर जोर दिया जा सके।
इस संबंध में प्रारंभिक स्तर तक की प्रत्येक कक्षा के लिए भाषा (हिन्दी, अंग्रेजी एवं उर्दू), गणित, पर्यावरण अध्ययन, विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान में अधिगम परिणाम तैयार किए गए हैं। ये अधिगम के बुनियादी स्तर हैं जहां तक प्रत्येक कक्षा के अंत में छात्रों को पहुंचना चाहिए।
इसके बाद जम्मू-कश्मीर सहित 21 राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने अधिगम परिणामों को अपने राज्य के नियमों में शामिल किया है। जबकि शेष राज्यों ने इस प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है जिसे इस साल के अंत तक पूरी होने की उम्मीद है।
सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अधिगम परिणाम दस्तावेजों का अनुवाद अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में किया है। वे इन्हें सभी शिक्षकों के बीच वितरित कर रहे हैं और आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहे हैं। स्कूलों में अधिगम परिणामों को प्रदर्शित करने के लिए पोस्टर के साथ-साथ माता-पिता के संदर्भ के लिए अधिगम परिणामों पर पत्रक तैयार कर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वितरित किए गए। अधिगम परिणाम दस्तावेजों, पोस्टरों और पत्रकों का क्षेत्रीय भाषाओं में मुद्रण एवं वितरण के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को 91.20 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण 2017-18
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) जो पहले पाठ्यपुस्तक सामग्री पर आधारित था, अब एक योग्यता आधारित मूल्यांकन है। पहले कक्षा 3,5 और 8 के महज 4.43 लाख छात्रों के परीक्षण के मुकाबले इस बार भारत के 700 जिलों के करीब 1,10,000 स्कूलों के लगभग 22 लाख छात्रों को वर्ष 2017-18 में (13 नवंबर 2017 तक) मूल्यांकन किया गया जो इसे अधिगम उपलब्धि का एक सबसे बड़ा नमूना सर्वेक्षण बनाता है।
यह सर्वेक्षण एनएएस के पिछले चक्रों के मुकाबले एक सुधार है क्योंकि यह एक पूर्ण शैक्षणिक वर्ष में पूरा हो जाएगा। यह छात्रों के स्कोर को प्रदर्शित करेगा और उसी वर्ष शैक्षणिक उपचारों का सुझाव देने में समर्थ होगा। परीक्षा आयोजित होने के 2 महीने के भीतर जिलावार नतीजों की घोषणा कर दी जाएगी। एनएएस रिपोर्ट यह दर्शाएगी कि क्या छात्र का अधिगम स्तर एक विशेष ग्रेड के अधिगम परिणामों के अनुरूप है। यह आंकड़ों का विश्लेषण करते समय छात्रों की उपलब्धियों के साथ-साथ स्कूल, शिक्षक और छात्रों की बदलती पृष्ठभूमि पर भी नजर रखेगी।
एनएएस 2017-18 के जरिये ऐसा पहली बार होगा कि शिक्षकों के पास यह समझने के लिए एक उपकरण होगा कि विभिन्न कक्षाओं में बच्चे को वास्तव में क्या सीख्ाना चाहिए, क्रियाकलापों के जरिये इसके बारे में कैसे पढ़ाया जा सकता है और कैसे यह मापा एवं सुनिश्चित किया जाए कि बच्चे अपेक्षित स्तर तक पहुंच चुके हैं। यह जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एजेंसियों को उपलब्धि सर्वेक्षण आयोजित करने और नीतिगत निर्देशों में सुधार के लिए व्यवस्था की सेहत का आकलन करने में भी मदद करेगा। इसके अलावा देश के सभी जिलों के लिए पहली बार विस्तृत जिला-विशेष रिपोर्ट कार्ड तैयार किए जाएंगे।
अध्यापक शिक्षण
प्रमुख सुधार:
- विभिन्न माध्यमों के साथ चार वर्षीय एकीकृत बीएड प्रोग्राम की शुरुआत- पूर्व-प्राथमिक, प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक अध्यापकों के लिए विशेषज्ञता के साथ-साथ सभी मौजूदा अध्यापक शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक सत्र 2019-2020 से नियामकीय ढांचे और दिशानिर्देश लागू किए जाएंगे।
- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डीआईईटी) के सुदृढीकरण के लिए दिशानिर्देश: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनपीई), 1986 के अनुसार सेवापूर्व एवं सेवा के दौरान प्रशिक्षण देने के लिए डीआईईटी की परिकल्पना की गई थी। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में धीरे-धीरे सेवापूर्व प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित किया जाने लगा है। इसके अलावा वर्तमान में सेवा काल के दौरान प्रशिक्षण में विशेषज्ञता के साथ कोई नोडल एजेंसी नहीं है। इसलिए इस चुनौती से निपटने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हाल में डीआईईटी के सुदृढीकरण पर दिशानिर्देश तैयार किए हैं। परिणामस्वरूप राज्यों को डीआईईटी पर एमएचआरडी के दिशानिर्देशों में प्रस्तावित मॉडल के अनुरूप डीआईईटी की अवधारणा को नए सिरे से तैयार करने से पहले जिलावार विश्लेषण करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इससे सेवा काल के दौरान प्रशिक्षण में कहीं अधिक विशेषज्ञता हासिल करने की भी गुंजाइश रहेगी।
- डीआईकेएसएचए (डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर फॉर नॉलेज शेयरिंग): भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने 5 सितंबर 2017 को डीआईकेएसएचए की शुरुआत की थी।
डीआईकेएसएचए से अध्यापक प्रशिक्षण और व्यावसायिक विकास के क्षेत्रों में जारी एवं प्रयासरत समाधान, अनुप्रयोग एवं नवाचारों को रफ्तार मिलेगी। राज्यों और टीईआई को अपनी जरूरतों व उद्देश्यों के अनुरूप डीआईकेएसएचए को नए सिरे से तैयार करने और उसे विस्तार देने की स्वायत्तता होगी। डीआईकेएसएचए स्कूलों में अध्यापकों और अध्यापक शिक्षा संस्थानों (टीईआई) में टीचर एजुकेटरों एवं स्टूडेंड्स टीचर्स के फायदे के लिए है।
- इन-सर्विस अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए आरटीई अधिनियम में संशोधन:
एक अन्य ऐतिहासिक उपलब्धि के तहत आरटीई अधिनियम की धारा 23 (2) में संशोधन कर इन-सर्विस अप्रशिक्षित प्राथमिक शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए अवधि को 31 मार्च 2019 तक विस्तार देने के प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों द्वारा 1 अगस्त 2017 को पारित किया गया है। इसे 10 अगस्त 2017 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित कर दिया गया। उपरोक्त संशोधन के अनुसार, सरकारी, सरकारी अनुदान प्राप्त एवं गैर-अनुदानित निजी स्कूलों में काम करने वाले सभी अप्रशिक्षित इन-सर्विस प्राथमिक शिक्षकों को 31 मार्च 2019 तक केंद्र सरकार द्वारा प्राधिकृत अकादमिक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता अवश्य प्राप्त कर लेना चाहिए।
इससे शिक्षक एवं शिक्षण प्रक्रियाओं की समग्र गुणवत्ता में सुधार और उसके परिणामस्वरूप बच्चों के अधिगम परिणाम सुनिश्चित होगा। साथ ही यह प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर सरकार के जोर को भी मजबूती देता है।
अप्रशिक्षित शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण का आयोजन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) द्वारा ऑनलाइन मोड के जरिये किया जा रहा है। ऑनलाइन डी.ईएल.ईडी. पाठ्यक्रम की शुरुआत 3 अक्टूबर 2017 से पहले ही हो चुकी है। इस पहल की अनोखी विशेषता यह है कि इस पाठ्यक्रमों के लिए स्व-निर्देशित मोड में एनआईओएस द्वारा तैयार अध्ययन सामग्रियों को एसडब्ल्यूएवाईएएम प्लेटफॉर्म पर चार भागों यानी (1) ऑडियो/वीडियो व्याख्यान, (2) विशेष रूप से तैयार पठन सामग्री जिसे डाउनलोड/प्रिंट किया जा सकता है, (3) टेस्ट एवं क्विज के जरिये स्व-मूल्यांकन परीक्षण और (4) आशंकाओं के निवारण के लिए ऑनलाइन चर्चा फोरम, में अपलोड किया जाता है। तीन पाठ्यक्रमों यानी 501, 502 और 503 को चार भागों में एसडब्ल्यूएवाईएएम पर पहले ही अपलोड किए जा चुके हैं। डी.ईएल.ईडी. पाठ्यक्रम के वीडियो व्याख्यान स्वयंप्रभा (डीटीएच चैनल संख्या 32) पर भी प्रसारित किए जाते हैं।
सरकारी, सरकारी अनुदान प्राप्त एवं गैर-अनुदानित निजी स्कूलों में कार्यरत कुल 14,02,962 शिक्षक एनआईओएस पोर्टल पर पंजीकृत हैं और अब तक 13,58,000 दाखिलों की पुष्टि हो चुकी है।
केंद्रीय विद्यालयों में टैबलेट वितरण
केंद्रीय विद्यालय संगठन ने प्रासंगिक ई-सामग्री के साथ प्री-लोडेड टैबलेट के जरिये अपने विद्यार्थियों और शिक्षकों को जोड़ने के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है ताकि कक्षा संपर्क को सुगम बनाने, छात्रों के बीच सही रुचि जगाने और छात्रों में अधिगम को प्रभावी बनाने में मदद मिल सके।
25 केंद्रीय विद्यालयों (प्रत्येक क्षेत्र से एक केवी) में आठवीं कक्षा के छात्रों को पायलट आधार पर अच्छी गुणवत्ता वाले टैबलेट प्रदान किए जाएंगे। प्रत्येक बच्चे को गणित और विज्ञान में प्री-लोडेड सामग्री के साथ एक टैबलेट दिया जाएगा। करीब 5,000 छात्र और शिक्षक इस परियोजना में शामिल होंगे। छात्रों के साथ-साथ उनके गणित एवं विज्ञान के शिक्षकों को भी विषयों को पढ़ाने के लिए टैबलेट प्रदान किए जाएंगे।
प्राचार्यों/एचएम, अध्यापकों और छात्रों के लिए ई-सामग्री
विभाग छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों और प्राचार्यों के प्रशिक्षण के लिए भी ई-सामग्री के प्रावधान और उसे तैयार करने पर काफी जोर दे रहा है।
सीआईईटी-एनसीईआरटी शिक्षकों और छात्रों के लिए ई-सामग्री और ऑनलाइन कोर्स तैयार कर रहा है। अब तक 4,524 ई-सामग्री (ऑडियो, वीडियो, इंटरैक्टिव, चित्र, दस्तावेज, नक्शे आदि) तैयार किए गए हैं। इन सामग्रियों को सत्यापित करने के बाद नियमित तौर पर एनआरओईआर पोर्टल और ई-पाठशाला पोर्टल पर अपलोड किया जाता है।
एनयूईपीए ने नेशनल सेंटर फॉर स्कूल लीडरशिप (एनसीएसएल) की स्थापना की है जो स्कूल प्रमुखों के लिए मूडल प्लेटफॉर्म के इस्तेमाल से स्कूल नेतृत्व एवं प्रबंधन पर ऑनलाइन प्रोग्राम की अवधारणा और डिजाइन तैयार करता है। इस ई-लर्निंग कोर्स की परिकल्पना बुनियादी पाठ्यक्रम के तौर पर की गई है और आने वाले वर्षों में एनसीएसएल मध्यम और उन्नत पाठ्यक्रमों को भी तैयार करेगा।
दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला - चिंतन शिविर
इसका आयोजन 06-07 नवंबर 2017 को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा किया गया। इसमें विभिन्न एनजीओ, निजी संगठनों, व्यक्तिगत विशेषज्ञों, राज्य अधिकारियों आदि से 350 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
इस दौरान छह विषयों - छात्रों के लिए डिजिटल शिक्षा, शिक्षकों के लिए डिजिटल शिक्षा, मूल्यपरक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा, जीवन शैली संबंधी शिक्षा और प्रायोगिक शिक्षा - पर विचार-विमर्श किया गया।
प्रतिभागियों द्वारा माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री के समक्ष इन छह विषयों पर प्रस्तुतियां दी गईं। सिफारिशों की समीक्षा की जा रही है और एक विस्तृत रूपरेखा भी तैयार की गई है।
एक भारत श्रेष्ठ भारत - राष्ट्रीय स्तर शिविर
एक भारत श्रेष्ठ भारत को मनाने के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) द्वारा नई दिल्ली के इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स में 31 अक्टूबर से 2 नवंबर 2017 तक एक सामाजिक विज्ञान प्रदर्शनी सह राष्ट्रीय एकता शिविर का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय स्तर के इस शिविर में सभी 25 क्षेत्रों से केंद्रीय विद्यालयों के कुल 1,250 छात्रों ने भाग लिया।
अच्छी शिक्षा को बढ़ावा देने वाले घटकों के लिए एसएसए के तहत रकम आवंटन में बढ़ोतरी
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एसएसए के तहत रकम आवंटन में संशोधन किया गया और 2016 में 10 प्रतिशत रकम स्कूलों में अच्छी शिक्षा को बढ़ावा देने वाले घटकों के लिए आवंटित की गई। वर्ष 2017 में इसे 30 प्रतिशत तक बढ़ाया गया था। उम्मीद है कि यह अप्रैल 2018 तक बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। यह पिछले वर्षों के मुकाबले एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि पहले यह रकम या तो खर्च नहीं होती थी, या फिर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों द्वारा मुख्य तौर पर नागरिक कार्यों में अथवा शिक्षकों के वेतन भुगतान में इसका उपयोग किया जाता था।
माननीय प्रधानमंत्री द्वारा समीक्षा के दौरान लिए गए विशिष्ट निर्णय और एसएसए के तहत उपलब्धियों के आधार पर सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों की वार्षिक ग्रेडिंग
माननीय प्रधानमंत्री द्वारा समीक्षा के दौरान प्राथमिक शिक्षा पर लिए गए विभिन्न निर्णय और एसएसए घटकों की वास्तविक समय निगरानी सुनिश्चित करने के लिए जनवरी 2017 में शगुन (एसएचएजीयूएन) पोर्टल को लॉन्च किया गया। राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के प्रदर्शन को मापने वाली ऑनलाइन ग्रेडिंग सितंबर/अक्टूबर 2017 में शुरू की गई थी। आगे इसे और विस्तार देते हुए परिष्कृत किया जाएगा ताकि इसे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मूल्यांकन और उनके प्रदर्शन में सुधार के लिए एक समर्थ उपकरण बनाया जा सके।
एनसीईआरटी द्वारा 6 करोड़ से अधिक पाठ्यपुस्तकों का वितरण
एनसीईआरटी ने व्यक्तियों, स्कूलों, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सीधे तौर पर पाठ्यपुस्तकों की खरीदारी की सुविधा प्रदान करने के लिए अगस्त 2017 में एक पोर्टल शुरू किया। इस पोर्टल के माध्यम से एनसीईआरटी ने 11 दिसंबर 2017 तक 1.56 करोड़ प्रतियों के लिए 3,524 स्कूलों से ऑर्डर प्राप्त किया है। इसके अलावा करीब 1.55 करोड़ प्रतियों के लिए एनसीईआरटी को एनवीएस एवं अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों से सीधे तौर पर ऑर्डर प्राप्त हुए। इस प्रकार एनसीईआरटी को अब तक (11.12.2017 तक) करीब 3.11 करोड़ प्रतियों के लिए ऑर्डर प्राप्त हो चुके हैं। उम्मीद की जा रही है कि एनसीईआरटी जून 2018 तक 6 करोड़ से अधिक पाठ्यपुस्तकों का मुद्रण और वितरण करेगा।
इन पाठ्यपुस्तकों का वितरण दिल्ली मुख्यालय के अलावा अहमदाबाद, बेंगलूरु, गुवाहाटी और कोलकाता में पहले से ही स्थापित चार क्षेत्रीय उत्पादन सह वितरण केंद्रों के जरिये किया जाएगा। एनसीईआरटी ने पाठ्यपुस्तकों के वितरण के लिए देश भर में 905 वेंडरों को भी सूचीबद्ध किया है।
स्वच्छ विद्यालय के तहत सबसे साफ-सुथरे विद्यालयों को पुरस्कार
जून 2016 के दौरान डीओएसईएंडएल ने सरकारी स्कूलों में जल, स्वच्छता, साबुन से हाथ धोना, परिचालन एवं रखरखाव, व्यवहार में बदलाव और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में साफ-सफाई एवं स्वच्छता कार्यों में उत्कृष्टता को पहचानने, उसे प्रेरित करने और मनाने के लिए स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की शुरुआत की।
इस पुरस्कार के लिए कुल 2,68,402 स्कूलों ने वेब पोर्टल/मोबाइल ऐप के जरिये आवेदन किया था। स्कूलों का चयन जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर किया गया। राष्ट्रीय स्तर पर 643 स्कूलों का मूल्यांकन किया गया और 1 सितंबर 2017 को 172 स्कूलों को राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किए गए जिसमें शहरी एवं ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय शामिल थे।
वर्ष 2018 के लिए इस पुरस्कार का दायरा बढ़ाकर उसमें अनुदान प्राप्त एवं निजी स्कूलों को भी शामिल कर लिया गया है। नवंबर के दूसरे सप्ताह तक 5.33 लाख सरकारी, अनुदान प्राप्त एवं निजी स्कूलों ने इस पुरस्कार के लिए अपने आवेदन जमा कराए हैं।
सभी स्कूलों में एमडीएम के तहत स्कूल स्तर पर स्वचालित निगरानी प्रणाली
इस विभाग ने मध्यान्ह भोजन योजना की रियल टाइम निगरानी के लिए आंकड़े जुटाने की एक स्वचालित प्रणाली स्थापित की है। स्कूल के प्रधानाध्यापक/शिक्षक पर बिना किसी लागत बोझ के इस प्रकार के आंकड़े एकत्रित किए जा रहे हैं।
इस स्वचालित निगरानी प्रणाली के तहत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने दैनिक आधार पर स्कूलों से आंकड़े जुटाने के लिए एक उपयुक्त प्रणाली (इंट्रैक्टिव वॉइस रिस्पॉन्स सिस्टम यानी आईवीआरएस/एसएमएस/मोबाइल ऐप्लिकेशन/वेब ऐप्लिकेशन) स्थापित की है। इसका इस्तेमाल निगरानी और समय पर कार्रवाई के उद्देश्य से किया जा रहा है।
पूर्व निर्धारित प्रारूप में विशिष्ट क्षेत्र पर आंकड़े वास्तविक समय आधार पर एनआईसी द्वारा परिचालित केंद्रीय सर्वर पर भेजने के लिए सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों पर दबाव डाला जा रहा है। एकत्रित आंकड़ों के आधार पर राष्ट्रीय/राज्य/जिला/ब्लॉक स्तर पर इस योजना की रियल टाइम निगरानी रिपोर्ट उपलब्ध कराई जाती है।
शैक्षिक रूप से पिछड़े 3,497 ब्लॉकों में माध्यमिक शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच, लैंगिक समानता और गुणवत्ता में सुधार
शैक्षिक रूप से पिछड़े 3,479 ब्लॉकों में माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, लैंगिक समानता और सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय स्तर पर अभिनव हस्तक्षेप को बढ़ावा देने के क्रम में आरएमएसए के तहत एक इनोवेशन फंड का गठन किया गया है। यह फंड दिसंबर 2017 तक शुरू किया जा सकता है और इसका प्रभाव दिसंबर 2018 तक दिखना चाहिए।
इस परियोजना के तहत अब तक 23 राज्यों से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और 08.12.2017 को सिचिव (एसईऐंडएल) की अध्यक्षता में संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित हुआ जिसमें प्रस्तावों पर विचार किया गया।
सभी 25 करोड़ स्कूली छात्रों के आधार आधारित आंकड़े जुटाना और स्टूडेंट्स डेटा मैनेजमेंटट एंड इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एसडीएमआईएस) का सृजन
विभाग देश में सभी छात्रों के आधार विवरण के साथ एक डेटाबेस तैयार कर रहा है जो ड्रॉप आउट यानी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने पर लगाम लगाने, नकली नामांकन पर रोक लगाने, नियोजन प्रकिया में सुधार लाने और संसाधनों की कुशल उपयोगिता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
अब तक करीब 21 करोड़ छात्रों को इसके दायरे में लाया जा चुका है। अप्रैल 2018 तक एसडीएमआईएस संभवत: सभी 25 करोड़ छात्रों को इसके दायरे में ले आएगा और उसके बाद वार्षिक आधार पर आंकड़ों को अद्यतन किया जाएगा।
सीभी स्कूलों में लैंगिक आधार पर अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था
भारत के प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2014 को घोषणा की थी कि देश के सभी सरकारी स्कूलों में एक साल के भीतर छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने केंद्र सरकार के साथ सहयोग की एक पहल के रूप में 'स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय' अभियान शुरू किया। इसके तहत सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान, स्वच्छ भारत कोष और सार्वजनिक उपक्रमों एवं निजी कंपनियों के साथ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के जरिये धन उपलब्ध कराया गया।
इस कार्यक्रम के तहत 15 अगस्त 2015 तक एक साल की अवधि में 2,61,400 स्कूलों में 4,17,796 शौचालयों का निर्माण/चालू किया गया। साथ ही भारत ने पूरे देश में सभी सरकारी स्कूलों को 100 प्रतिशत चालू शौचालय प्रदान करने के लक्ष्य को हासिल कर लिया।
सभी स्कूलों में शौचालय सुविधा के प्रावधान से स्कूलों में स्वच्छता मानकों में सुधार होगा जिससे बच्चों के बीच स्वास्थ्य और स्वच्छता बेहतर हो सकेगा। 'स्वच्छ विद्यालय' को 2016 में प्रधानमंत्री के उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए प्राथमिकता वाले एक कार्यक्रम के रूप में भी मान्यता दी गई थी।
छात्रवृत्ति:
राष्ट्रीय साधन-सह-योग्यता छात्रवृत्ति योजना (एनएमएमएसएस)
- वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक के पिछले तीन वर्षों के दौरान 3.80 लाख छात्रवृत्तियों को मंजूरी दी गई है।
- चालू वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 8.12.2017 तक 3.59 लाख छात्रवृत्तियों को मंजूरी दी गई है।
माध्यमिक छात्रवृत्ति के लिए छात्राओं को प्रोत्साहित करने की राष्ट्रीय योजना (एनएसआईजीएसई)
- वर्ष 2014-15 से 2016-17 तक के पिछले तीन वर्षों के दौरान छात्राओं के लिए 9.71 लाख प्रोत्साहन मंजूर किए गए।
- चालू वर्ष 2017-18 के लिए 8.12.2017 तक छात्राओं के लिए 7.12 लाख प्रोत्साहन को स्वीकृति दी गई।
एसईएंडएल विभाग की अन्य उपलब्धियां
- आरटीई अधिनियम के तहत नो-डिटेंशन प्रावधान में संशोधन करने और कक्षा 5 व 8 में छात्रों को रोकने के लिए एक विधेयक लोकसभा में पेश किया गया है।
- सभी सीबीएसई स्कूलों में 10वीं के लिए बोर्ड परीक्षा अनिवार्य की गई है।
- मध्यान्ह भोजन योजना के तहत 11.40 लाख स्कूलों के 9.78 करोड़ छात्रों को रोजाना भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है और इसे तैयार करने के लिए 25.38 लाख रसोइये नियुक्त किए गए हैं।
- प्रौढ़ साक्षरता अभियान के तहत 3 करोड़ लोग साक्षर हुए और वे साक्षरता परीक्षा उत्तीर्ण हुए।
- पिछले तीन वर्ष के दौरान 93 केंद्रीय विद्यालय (केवी) शुरू किए गए और 19 केवी जल्द ही शुरू होने वाले हैं।
- 62 नए नवोदय विद्यालयों को मंजूरी दी गई है।
नई शिक्षा नीति (एनईपी)
कवरेज, सामग्री और डिलिवरी प्रणाली के लिहाज से भारत के शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव के मद्देनजर करीब 30 साल बाद एक नई शिक्षा नीति तैयार की जा रही है।
एमएचआरडी ने एक अभूतपूर्व सहयोगात्मक, बहुहितधारक एवं बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया शुरू की है। इस परामर्श प्रक्रिया के तहत देश भर में 2.75 लाख प्रत्यक्ष परामर्श के जरिये लोगों तक पहुंचने के साथ-साथ ऑनलाइन इनपुट प्राप्त किए गए। www.MyGov.in पोर्टल पर 26 जनवरी 2015 से 31 अक्टूबर 2015 तक ऑनलाइन परामर्श प्रक्रिया के तहत 33 चिह्नित विषयों पर करीब 29,000 सुझाव प्राप्त हुए।
यूनेस्को महात्मा गांधी इंस्टीच्यूट ऑफ एजुकेशन फॉर पीस, सस्टेनेबल डेवलपमेंट द्वारा युवाओं के बीच एक सर्वेक्षण के साथ 200 से अधिक विषयगत राष्ट्रीय कार्यशालाएं आयोजित की गईं। स्कूली शिक्षा के संदर्भ में 19 राज्यों के 340 जिलों से 1,10,623 गांवों, 3,250 ब्लॉकों और 725 शहरी स्थानीय निकायों ने अपनी ग्रासरूट कंसल्टेशन रिपोर्ट www.MyGov.in पोर्टल पर अपलोड किए हैं।
इसी प्रकार, उच्च शिक्षा के संदर्भ में 20 राज्यों के 406 जिलों से 2,741 ब्लॉकों और 962 शहरी स्थानीय निकायों ने ऐसा किया है। प्राप्त परिणाम दस्तावेजों, सिफारिशों और सुझावों की जांच करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मसौदे के साथ-साथ फ्रेमवर्क फॉर एक्शन तैयार करने के लिए एक समिति (कमेटी फॉर इवोलुशन ऑफ द न्यू एजुकेशन पॉलिसी) गठित की गई है।
नेशनल इंस्टीच्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ)
इसे 29 सितंबर 2015 को लॉन्च किया गया था और यह उद्देश्यों एवं सत्यापित मानदंडों के आधार पर संस्थानों की रैकिंग करता है। इसे इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मास्युटिकल, आर्किटेक्चर, मानविकी, कानून एवं विश्वविद्यालयों के लिए अलग से उपलब्ध कराया गया है।
सबसे पहले 4 अप्रैल 2016 को इन रैंकों की घोषणा की गई थी। इसमें 3,500 से अधिक संस्थानों ने भाग लिया और इस प्रकार यह विश्व में सबसे अधिक संस्थानों की भागीदारी वाली रैंकिंग बन गई। दूसरी इंडिया रैंकिंग अप्रैल 2017 में जारी की गई।
एसडब्ल्यूएवाईएएम (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स)
मानव संसाधन मंत्रालय ने एक प्रमुख एवं नई पहल शुरू की गई जिसे 'स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स' (एसडब्ल्यूएवाईएएम) कहा गया है। यह सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) के इस्तेमाल से ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिए पोर्टल और एक एकीकृत प्लेटफॉर्म मुहैया कराएगा। साथ ही यह उच्च शिक्षा के सभी विषयों और कौशल क्षेत्रों को कवर करेगा ताकि देश में कम लागत पर बेहतरीन गुणवत्ता वाले उच्च शिक्षा तक हरेक छात्र की पहुंच सुनिश्चित हो सके।
एसडब्ल्यूएवाईएएम आईटी प्लेटफॉर्म को देश में ही विकसित किया गया है। यह विभिन्न पाठ्यक्रमों की सुविधा प्रदान करता है और इसके जरिये कई विषयों में 9वीं कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई कक्षाओं में पढ़ाया जाता है जिसे कभी भी, कहीं भी ऐक्सेस किया जा सकता है। एसडब्ल्यूएवाईएएम के माध्यम से देश में सभी शिक्षार्थियों को उच्च गुणवत्तायुक्त ई-सामग्री मुहैया कराए जाने से शिक्षा नीति के तीन प्रमुख सिद्धांतों- ऐक्सेस, इक्विटी एंड क्वालिटी यानी पहुंच, न्यायसंगत और गुणवत्तायुक्त- को हासिल किया जा सकेगा।
एसडब्ल्यूएवाईएएम के माध्यम से प्रदान किए गए प्राठ्यक्रम शिक्षार्थियों के लिए मुफ्त में उपलब्ध हैं और वे सर्वोत्तम शिक्षक बिरादरी द्वारा तैयार किए गए हैं। भारत के माननीय राष्ट्रपति ने 9 जुलाई 2017 को आधिकारिक तौर पर एसडब्ल्यूएवाईएएम की शुरुआत की थी। वर्तमान में एसडब्ल्यूएवाईएएम पर करीब 750 एमओओसी (मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज) पाठ्यक्रम सूचीबद्ध हैं और लगभग 330 एमओओसी पाठ्यक्रम चल रहे हैं जिसमें लगभग 6 लाख (5,92,178) छात्रों ने इन पाठ्यक्रमों के लिए पंजीकरण किया है।
(भारत के माननीय राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने 9 जुलाई, 2017 को 'गुरु पूर्णिमा' के शुभ अवसर पर एसडब्ल्यूएवाईएएम को लॉन्च किया।
स्वयं प्रभा
यह देश में डीटीएच (डायरेक्ट टु होम) के माध्यम से 32 उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक चैनल सातों दिन चौबीस घंटे उपलब्ध कराने की एक पहल है। इससे सबसे कम लागत में ई-शिक्षा उपलब्ध कराया जा सकेगा।
अंतरिक्ष विभाग ने इसके लिए जीसैट-15 के दो ट्रांसपोंडर आवंटित किए हैं। दूरदर्शन की मुफ्त डीटीएच सेवा (फ्री डिश) के उपभोक्ता उसी सेट टॉप बॉक्स और टीवी के जरिये इन शैक्षणिक चैनलों को भी देख सकेंगे। इसके लिए किसी अतिरिक्त निवेश की आवश्यकता नहीं होगी।
डीटीएच के जरिये प्रसारित ये शैक्षणिक कार्यक्रम अभिलेखीय डेटा के रूप में यूट्यूब पर भी उपलब्ध कराए जाएंगे। चैनल सूची, विषय, अभिलेखीय लिंक आदि स्वयं प्रभा पोर्टल (https://swayamprabha.gov.in/) पर उपलब्ध हैं जिसे इनफ्लिबनेट गांधीनगर द्वारा डेवलप किया गया है।
(भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 8 जुलाई से 10 जुलाई 2017 के बीच मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित 'डिजिटल पहल पर राष्ट्रीय सम्मेलन' के दौरान 'स्वयं', 'स्वयं प्रभा डीटीएच चैनल' और 'राष्ट्रीय अकादमिक डिपॉजिटरी' को लॉन्च किया गया।)
राष्ट्रीय अकादमिक डिपॉजिटरी (एनएडी)
भारत सरकार सभी हितधारकों को कुशल सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से प्रशासनिक एवं शैक्षणिक सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है। अकादमिक दस्तावेजों के डिजिटल डिपॉजिटरी की पहल इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है जिसे राष्ट्रीय अकादमिक डिपॉजिटरी (एनएडी) कहा गया है।
एनएडी को भारत के माननीय राष्ट्रपति द्वारा 9 जुलाई 2017 को लॉन्च किया गया। एनएडी शैक्षणिक संस्थानों/स्कूल बोर्डों/पात्रता मूल्यांकन निकायों द्वारा डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध कराए गए अकादमिक दस्तावेजों (डिग्री, डिप्लोमा, प्रमाण पत्र, मार्क-शीट आदि) का एक ऑनलाइन स्टोर हाउस है।
एनएडी अकादमिक दस्तावेजों को सातों दिन चौबीस घंटे उपलब्ध कराने वाला एक ऑनलाइन माध्यम है। यह अकादमिक दस्तावेजों की प्रामाणिकता की पुष्टि करने, उनके सुरक्षित भंडारण और आसान पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करने में सहायता करता है। एनएडी पोर्टल पर 24 नवंबर 2017 तक 74.81 लाख रिकॉर्ड अपलोड किए जा चुके हैं।
राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय (एनडीएल)
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) देश के शैक्षणिक संस्थानों के बीच उपलब्ध मौजूदा ई-सामग्री और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के जरिये शिक्षा का राष्ट्रीय मिशन (एनएमईआईसीटी) के तहत तैयार ई-सामग्री का एक राष्ट्रीय भंडार तैयार करने के उद्देश्य से एनएमईआईसीटी के तहत राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय (एनडीएल) की स्थापना कर रहा है। एक राष्ट्रीय परिसंपत्ति तैयार करने लिहाज से आईआईटी खड़गपुर को भारत के राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय (एनडीएल) के लिए मेजबानी, समन्वय और उसे स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
इस परियोजना का उद्देश्य शैक्षणिक एवं सांस्कृतिक संस्थानों/निकायों के बीच उपलब्ध सभी मौजूदा डिजिटल एवं डिजिटलीकृत सामग्रियों को एकीकृत करना है ताकि पूरी आबादी के विभिन्न्ा उपयोगकर्ता समूहों तक एकल-खिड़की पहुंच उपलब्ध कराया जा सके।
एनडीएल पोर्टल (https: //ndl.iitkgp. ac.in) फरवरी 2016 में चुनिंदा सीएफटीआई (केंद्रीय वित्त पोषित तकनीकी संस्थानों) से उपयोगकर्ताओं के साथ लाइव हो गया, जबकि दैनिक वेबसाइट हिट: ~30K के साथ फरवरी 2017 में सभी के लिए (मोबाइल ऐप को जारी करने के साथ) खोला गया। उपयोगकर्ता आधार- पंजीकृत: 17+ लाख, सक्रिय: 7+ लाख, सामग्री आइटम: 72 लाख, स्रोत: 142 और आईआरडी स्रोत: 85। मोबाइल ऐप (एंड्रॉयड): जनवरी 2017 में लॉन्च किया गया, 3.5 लाख डाउनलोड और दैनिक एंड्रॉयड हिट: ~20K। प्रशिक्षण एवं जागरूकता विकास आईडीआर कार्यशाला: 19 एवं उपयोगकर्ता कार्यशालाएं।
उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (एचईएफए)
मंत्रिमंडल ने 12 सितंबर 2016 को अपनी बैठक में एचईएफए स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। दमदार उच्च शिक्षा संस्थानों के निर्माण को गति देने के क्रम में मंत्रिमंडल ने 1,000 करोड़ रुपये की सरकारी इक्विटी के साथ उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (एचईएफए) के सृजन को मंजूरी दी है।
एचईएफए के सृजन से प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बड़े निवेश किए जा सकेंगे। पीएसयू बैंक/सरकारी स्वामित्व वाली एनबीएफसी (प्रोमोटर) के भीतर एक एसपीवी के तौर पर एचईएफए का गठन किया जाएगा। यह आईआईटी/आईआईएम/एनआईटी एवं ऐसे अन्य संस्थानों में विश्वस्तरीय प्रयोगशाला एवं बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं के वित्त पोषण के लिए 20,000 करोड़ रुपये तक जुटाने के लिए इक्विटी का फायदा उठाएगी।
एचईएफए शैक्षिक एवं शोध बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को 10 वर्षीय ऋण के जरिये वित्त पोषण करेगी। ऋण के मूलधन का पुनर्भुगतान संस्थानों के आंतरिक संसाधनों के जरिये किया जाएगा। जबकि सरकार नियमित अनुदान सहायता के जरिये ब्याज का भुगतान करेगी।
सभी केंद्रीय वित्त पोषित उच्च शिक्षा संस्थान एचईएफए के सदस्य के तौर पर जुड़ने के लिए पात्र होंगे। सदस्य के रूप में जुड़ने के लिए संस्थान को अपने आंतरिक संसाधनों से एक निश्चित राशि 10 वर्षों के लिए एचईएफए को एस्क्रो करने के लिए सहमत होना चाहिए। भविष्य के इस सुरक्षित नकदी प्रवाह को बाजार से धन जुटाने के लिए एचईएफए द्वारा प्रतिभूतिकृत किया जाएगा। आंतरिक संसाधनों से जुटाई जाने वाली रकम के लिए दी गई सहमति के आधार पर एचईएफए द्वारा निर्धारित उधारी सीमा के लिए प्रत्येक सदस्य संस्थान पात्र होंगे।
एचईएफए 2,000 करोड़ रुपये की प्राधिकृत पूंजी के साथ केनरा बैंक और मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) द्वारा संयुक्त रूप से प्रवर्तित होगी। इस में सरकार की इक्विटी 1,000 करोड़ रुपये होगी।
एचईएफए सार्वजनिक उपक्रमों/कंपनियों से भी सीएसआर फंड जुटाएगी जो अनुदान के आधार पर इन संस्थानों में शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए जारी किया जाएगा।
कंपनी अधिनियम 2013 के तहत निगमित और एनबीएफसी के रूप में आरबीआई में पंजीकृत इस वित्त पोषण एजेंसी के प्रबंधन के लिए उच्च शिक्षा वित्त पोषण एजेंसी (एचईएफए) की स्थापना के लिए संयुक्त उद्यम साझेदार के रूप में केनरा बैंक की पहचान और नियुक्ति 29.12.2016 को की गई थी। इसके लिए एमएचआरडी और केनरा बैंक के बीच एक एमओयू पर 9 फरवरी 2017 को हस्ताक्षर किए गए। बाद में 16 मार्च 2017 को एमएचआरडी और केनरा बैंक के बीच संयुक्त उद्यम समझौते (जेवीएम) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
संयुक्त उद्यम की इक्विटी में एमएचआरडी, जीओआई और केनरा बैंक का निवेश निम्नलिखित अनुपात में होगा:
क्रम संख्या
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पक्ष
|
योगदान
(रुपये में)
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शेयरधारिता प्रतिशत
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1.
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जीओआई
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1000,00,00,000/-
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90.91
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2.
|
केनरा बैंक
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100,00,00,000/-
|
9.09
|
एचईएफए को अब 31.5.2017 को कंपनी अधिनियम 2013 के अंतर्गत धारा 8 कंपनी के रूप में शामिल किया गया है। एमएचआरडी और केनरा बैंक द्वारा एचईएफए को अब तक निम्नलिखित अंशदान प्रदान किया गया है:
अभिदाता का नाम
|
रकम (करोड़ रुपये में)
|
जीओआई, एमएचअआरडी, उच्च शिक्षा विभाग
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250
|
केनरा बैंक
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50
|
कुल
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300
|
एचईएफए के निदेशक मंडल की पहली और दूसरी बैठक क्रमशः 12-06-2017 और 11-8-2017 को आयोजित की गई थी। एचईएफए अब अपना कामकाज शुरू कर चुकी है और संस्थानों को इसका फायदा उठाने के लिए आवेदन प्रारूप के साथ 16-08-2017 को सूचित किया जा चुका है।
एचईएफए के निदेशक मंडल की तीसरी बैठक 29-11-2017 को आयोजित की गई जिसमें निम्नलिखित ऋण आवेदन पर विचार किए गए:
क्रम संख्या
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संस्थान का नाम
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प्रस्तावित ऋण की रकम (करोड़ रुपये में)
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1
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आईआईटी-कानपुर
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391
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2
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आईआईटी-दिल्ली
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200
|
3
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आईआईटी-खड़गपुर
|
500
|
4
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आईआईटी-मद्रास
|
300
|
5
|
आईआईटी-बंबई
|
521
|
6
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एनआईटी-सुरथकल
|
80
|
|
कुल
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1992
|
उच्च शिक्षा पर भारत का सर्वेक्षण
उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (एआईएसएचई) 2011 में शुरू किया गया जिसमें वर्ष 2010-11 के आंकड़े एकत्रित किए गए। यह सर्वेक्षण अतिआवश्यक था क्योंकि उच्च शिक्षा पर आंकड़ों के किसी भी स्रोत से देश में उच्च शिक्षा की पूरी तस्वीर नहीं मिल पा रही थी। साथ ही नीति निर्माण के लिए कई महत्वपूर्ण मानदंडों पर आंकड़ों की आवश्यकता थी लेकिन या तो कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं था या फिर जो उपलब्ध था वह अपूर्ण था।
भारतीय चिकित्सा परिषद, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद सहित उच्च शिक्षा के सभी प्रमुख हितधारकों और राज्य सरकारों ने पहली बार आंकड़े जुटाने के इस अभियान में भाग लिया। पूरा सर्वेक्षण इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया गया और इसके लिए एक समर्पित पोर्टल www.aishe.gov.in बनाया गया। इस प्रकार सर्वेक्षण की पूरी प्रक्रिया को कागज रहित बनाया गया।
इस सर्वेक्षण में उन सभी संस्थानों को शामिल किया गया जो देश में उच्च शिक्षा प्रदान करने में लगे हुए हैं। आंकड़े कई मापदंडों पर जुटाए जा रहे हैं जैसे शिक्षक, छात्रों का नामांकन, कार्यक्रम, परीक्षा परिणाम, शिक्षा ऋण, बुनियादी ढांचा आदि। शिक्षा के विकास के संकेतकों, जैसे संस्थान घनत्व, सकल नामांकन अनुपात, छात्र-शिक्षक अनुपात, लैंगिक समानता सूचकांक आदि, की गणना एआईएसएचई के जरिये एकत्रित आंकड़ों के आधार पर की जाती है। ये शिक्षा क्षेत्र के विकास के लिए अनुसंधान एवं सूचित नीतिगत निर्णय लेने में काफी उपयोगी हैं।
एआईएसएचई 2016-17 के दौरान 96.6% विश्वविद्यालयों, 92.1% कॉलेजों और 72.4% एकल संस्थानों ने पोर्टल पर आंकड़े अपलोड किए। एआईएसएचई 2010-11 के अंतिम रिपोर्ट एमएचअआरडी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। वर्ष 2016-17 के लिए सर्वेक्षण पूरा हो चुका है और वर्ष 2017-18 के लिए सर्वेक्षण जल्द ही शुरू किया जाएगा।
स्वच्छता पखवाड़ा
14 सितंबर 2017 को उच्च शिक्षा संस्थानों की 'स्वच्छता रैंकिंग' नामक एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें 3,000 से अधिक संस्थानों ने भाग लिया जिन्होंने शौचालय की पर्याप्तता, जल शुद्धता एवं आपूर्ति, छात्रावास में रसोई की सुविधा एवं साफ-सफाई, परिसर में हरियाली, कचरा निपटान व्यवस्था, अपशिष्ट सफाई व्यवस्था आदि महत्वपूर्ण मानदंडों पर अपने परिसरों की स्वच्छता संबंधी जानकारी ऑनलाइन प्रस्तुत किया। पांच श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ संस्थानों को पुरस्कृत किया गया।
उन्नत भारत अभियान कार्यक्रम के तहत विभाग के स्वच्छता पखवाड़ा के साथ तालमेल बिठाने के लिए जिला कलेक्टरों को उनके जिले में शैक्षणिक संस्थान द्वारा गोद लिया गया कम से कम 1 गांव में ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन के साथ शौच से मुक्त (ओडीएफ) को पूरा करने के लिए कहा गया था। अजमेर, वारंगल, तेलगाना, झाबुआ और इंदौर के कलेक्टर उन शीर्ष 5 कलेक्टरों में शामिल थे जिन्होंने समय सीमा के भीतर इस कार्य को पूरा किया। उन्हें 14 सितंबर 2017 को आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया। इस अभियान से ग्रामीण क्षेत्र के 1,400 से अधिक परिवार लाभान्वित हुए।
अनुसंधान पार्क
आईआईटी दिल्ली, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी कानपुर, आईआईटी हैदराबाद और आईआईएससी बेंगलूरु में से प्रत्येक में 75 करोड़ रुपये की लागत से पांच नए अनुसंधान पार्क स्थापित करने के प्रस्ताव को केंद्र सरकार से मंजूरी दे दी गई है। आईआईटी बंबई और आईआईटी खड़गपुर में से प्रत्येक में 100 करोड़ रुपये की लागत से पहले से ही स्वीकृत अनुसंधान पार्कों को जारी रखने की मंजूरी भी दी गई है।
आईआईटी गांधीनगर में कुल 90 करोड़ रुपये की लागत से अनुसंधान पार्क स्थापित करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वित्त पोषण किया जा रहा है।
इम्प्रिंट इंडिया
इम्प्रिंट इंडिया सामाजिक प्रासंगिकता के क्षेत्र में प्रमुख संस्थानों में शोध को निर्देशित करने का एक प्रयास है। इसके तहत 10 डोमेन की पहचान की गई है जो ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर पर उल्लेखनीय प्रभाव डाल सकता है: (1) स्वास्थ्य सेवा प्रौद्योगिकी, (2) ऊर्जा सुरक्षा, (3) ग्रामीण शहरी आवास डिजाइन, (4) नैनो प्रौद्योगिकी, (5) जल/नदी प्रणाली, (6) उन्नत सामग्री, (7) कंप्यूटर विज्ञान एवं आईसीटी, (8) विनिर्माण प्रौद्योगिकी, (9) उन्नत सुरक्षा और (10) पर्यावरण/जलवायु परिवर्तन। इनमें से प्रत्येक डोमेन को एक आईआईटी द्वारा समन्वित किया गया है।
इन डोमेन के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में वैज्ञानिकों द्वारा 2,600 से अधिक शोध प्रस्ताव जमा कराए गए हैं। जानेमाने वैज्ञानिकों द्वारा इनकी जांच की गई और 595.89 करोड़ रुपये के 259 प्रस्तावों को कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दी गई है। एमएचआरडी और विभिन्न प्रतिभागी मंत्रालयों/विभागों द्वारा संयुक्त वित्त पोषण वाली 323.17 करोड़ रुपये लागत की 142 अनुसंधान परियोजनाएं फिलहाल मंजूरी की प्रक्रिया के तहत इम्प्रिंट-1 के तहत कार्यान्वयन में हैं। इम्प्रिंट-2 मंजूरी प्रक्रिया के तहत है।
उच्चतर आविष्कार अभियान
इस योजना को उद्योग की विशिष्ट जरूरत के आधार पर अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च किया गया था ताकि वैश्विक बाजार में भारतीय उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को बरकरार रखा जा सके। सभी आईआईटी को उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिए उद्योग के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है जहां नवाचार की आवश्यकता है। साथ ही उन्हें ऐसे समाधान तलाशने के लिए कहा गया है जिन्हें व्यावसायिक स्तर पर लाया जा सके।
यूएवाई के तहत आईआईटी संस्थानों द्वारा प्रस्तावित और पहचान की गई परियोजनाओं में हर साल 250 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव है बशर्ते परियोजना लागत का 25% योगदान उद्योग का हो। वर्ष 2016-17 के लिए 285.15 करोड़ रुपये लागत वाली 92 परियोजनाओं को कार्यान्वयन के लिए मंजूरी दी गई है।
आईआईटी मद्रास इस योजना का राष्ट्रीय समन्वयक है। 160 प्रस्ताव प्राप्त किए गए हैं जिनमें से उद्योग ने 156 करोड़ रुपये के योगदान के लिए सहमति जताई है। इस प्रकार यह उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों की अब तक की सबसे बड़ी भगीदारी बन गई है। इन अनुसंधान परियोजनाओं के परिणामस्वरूप पेटेंट के पंजीकरण अपेक्षित हैं।
अन्य पहल
आईआईटी में लैंगिक संतुलन में सुधार: आईआईटी संस्थानों में लैंगिक संतुलन में सुधार के लिए आईआईटी परिषद ने 28.4.2017 को आयोजित अपनी 51वीं बैठक में सिफारिशों के आधार पर.....
• जेएबी उप समिति, और बी.टेक में महिला नामांकन में वृद्धि करने का निर्णय लिया। आईआईटी के कार्यक्रमों में वर्तमान 8% से लेकर 2018-19 तक 14% 201 9-20 में 17% और 2020-21 में 20% सीटों को बढ़ाने का फैसला किया है।
• प्रीमियर टेस्टिंग सुविधा: 10 नवंबर 2017 को हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए सभी तरह की प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए एक स्वायत्त और आत्मनिर्भर प्रीमियर टेस्टिंग संगठन के रूप में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को मंजूरी दी।
• कई कल्याणकारी उपाय अर्थात् सभी जगहों पर विशेष रूप से विकलांग छात्रों के लिए यौन उत्पीड़न, बिना रुकावट पहुंच के लिए एंटी रैगिंग सेल, सेल, एंटी-भेदभाव सेल, जेंडर सेंसिटाइजेशन सेल, आंतरिक शिकायत समिति शुरू की गई है।
• जम्मू, भिलाई, गोवा, धारवाड़, तिरुपति और पलक्कड़ में छह नए आईआईटी 1411 करोड़ रूपये की कुल लागत से स्थापित किए गए और ये संस्थान अब संचालन में हैं।
• इन आईआईटी के स्थायी परिसरों के निर्माण के प्रस्ताव को नवंबर 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फेज-ए के लिए 7002.42 करोड़ रूपए की कुल लागत की मंजूरी दे दी थी।
• ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अकादमीक्स नेटवर्क (जीआईएएन): जीआईएएन कार्यक्रम अकादमिक पाठ्यक्रम को पढ़ाने के लिए विदेशी और भारतीय संकायों को एक साथ लाता है, जो दुनिया के अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों से चयनित छात्रों को क्रेडिट प्रदान करता है। इस योजना के तहत विदेशी योजनाएं आ रही हैं और पाठ्यक्रमों का संचालन करती हैं, जिनमें से 802 पाठ्यक्रम पूरा हो चुके हैं। 2017-18 में, अब तक कुल 156 पाठ्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
• स्मार्ट इंडिया हैकथॉन 2017: पहली बार भारत ने 42,000 से ज्यादा इंजीनियरिंग छात्रों की भागीदारी के साथ स्मार्ट इंडिया हैकथॉन 2017 का आयोजन किया था, जिसमें 30 मंत्रालयों के 600 डिजिटल समस्याओं का समाधान किया गया था। द्वितीय स्मार्ट इंडिया हैकथॉन 2018 की घोषणा की गई है और लगभग एक लाख इंजीनियरिंग छात्रों को भाग लेने की उम्मीद है।
• 38 सेंट्रल यूनिवर्सिटी में वाई-फाई का कार्यान्वयन
• विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (ओपन एंड डिस्टेन्स लर्निंग) विनियम, 2017 को हाल ही में जून, 2017 खुले और दूरी(ओपन एंड डिस्टेन्स लर्निंग) के माध्यम से उच्च शिक्षा की निगरानी के लिए उपयुक्त नियमों की तत्काल आवश्यकता को देखते हुए अधिसूचित किया गया है। समाज के विभिन्न वर्गों को शिक्षा प्रदान करने के लिए भारत में खुली और दूरस्थ शिक्षा प्रणाली एक महत्वपूर्ण तरीके के रूप में उभरी है। इन विनियमों के जरिए ओडीएल माध्यम से एचईआई के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि वो अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का संचालन करें जिसमें अनुमोदन, मूल्यांकन और निगरानी की व्यवस्था शामिल है।
• यूजीसी (विश्वविद्यालयों के तौर पर मानी जाने वाली संस्थाओं) विनियम, 2017 विश्वविद्यालयों के लिए डीम्ड की एक विशिष्ट श्रेणी का निर्माण करने के लिए अधिसूचित किया गया है, जिसे विश्वविद्यालयों में मानने वाले संस्थानों के नाम से जाना जाता है, जिन्हें अन्य डीम्ड से विश्वविद्यालयों में अलग तरह से विनियमित किया जाएगा। उचित समय अवधि में विश्व स्तर के संस्थानों में विकसित करने के साथ ही विश्व स्तर पर रैंकिंग में शीर्ष 100 में भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों की सहायता करने के लिए, यूजीसी ने सरकार से 10 संस्थानों की प्रतिष्ठित योजनाओं और निजी क्षेत्र के 10 संस्थानों के चयन के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। पहले से प्राप्त होने वाले अनुदान के अलावा सरकार संस्थानों को पांच साल की अवधि में 1000 करोड़ की वित्तीय सहायता मिलेगी। निजी क्षेत्र से चुने गए संस्थानों को देश के विकास के लिए सक्षम स्नातकों के लिए नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए पूर्ण स्वायत्तता होगी।
प्रमुख विधाई (लेजिस्लेटिव) सुधार
• आईआईटी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप विधेयक - लोकसभा ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान सूचना प्रौद्योगिकी लोक निजी भागीदारी विधेयक 2017 को 26 जुलाई, 2017 को पारित किया, जो डिग्री देने के लिए पीपीपी मॉडल पर 15 आईआईआईटी को स्थापित किया जाएगा।
• आईआईआईटी विधेयक 2014 को 05/01/2015 को राजपत्र में अधिसूचित किया गया था। इस विधेयक को कैबिनेट ने अगस्त 2012 में मंजूरी दे दी थी और बजट सत्र के दौरान पेश किया गया था जो लोकसभा के विघटन के साथ समाप्त हो गया था। विधेयक, इलाहाबाद, ग्वालियर, जबलपुर और कांचीपुरम में मौजूद चार विद्यमान आईआईआईटी को स्वतंत्र वैधानिक स्थिति प्रदान करता है, जिसे केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है और उन्हें राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करने की व्यवस्था की गई।
• नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) 29 सितंबर, 2015 को लॉन्च किया गया था जिसका उद्देश्य और सत्यापित मानदंडों के आधार पर संस्थानों की रैंकिंग करना है। इसे इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मास्यूटिकल, आर्किटेक्चर, मानविकी, कानून और विश्वविद्यालयों के लिए अलग से उपलब्ध कराया गया है। प्रथम रैंक 4 अप्रैल 2016 को घोषित किए गए थे। 3,500 से अधिक संस्थानों ने
इस अभ्यास में भाग लिया है, जिससे यह विश्व में रैंकिंग अभ्यास में सबसे बड़ा अभियान रहा। अप्रैल 2017 में दूसरी भारत रैंकिंग जारी की गई।
• लोकसभा द्वारा आईआईएम विधेयक, 2017 पारित- भारतीय प्रबंधन शिक्षा संस्थान शिक्षा प्रबंधन में विश्व स्तर पर बेंचमार्क की प्रक्रियाओं पर खरा उतरते हुए सर्वोत्तम गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने वाले देश के प्रमुख संस्थान हैं। आईआईएम को विश्व स्तर के प्रबंधन संस्थानों और उत्कृष्टता के केंद्रों के रूप में पहचाना जाता है और देश को ख्याति मिली है। सभी आईआईएम, सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत अलग-अलग स्वायत्त निकाय हैं।
सोसायटी होने के नाते, आईआईएम डिग्री देने के लिए अधिकृत नहीं हैं और इसलिए, वे प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और फेलो प्रोग्राम प्रदान करते हैं। जबकि इन डिग्री को क्रमशः एमबीए और पीएचडी के समकक्ष माना जाता है, लेकिन ये समरूपता सार्वभौमिक स्वीकार्य नहीं है, खासकर फेलो कार्यक्रम के लिए। इसलिए, मंत्रिमंडल के अनुमोदन के बाद, आईआईएम विधेयक, 2017 को लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके तहत आईआईएम को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित किया गया जो उन्हें अपने छात्रों को डिग्री देने में सक्षम होगा। विधेयक संसद के दोनों सदनों में पारित किया गया है।
आईआईएम बिल की मुख्य विशेषताएं
डिग्री देने के अलावा, विधेयक संस्थानों को जवाबदेही के साथ पूर्ण स्वायत्तता प्रदान करता है। इन संस्थानों का प्रबंधन बोर्ड द्वारा संचालित किया जाएगा जिसमें बोर्ड द्वारा चयनित एक संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक होंगे। बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्व छात्रों की एक बड़ी भागीदारी बिल में एक महत्वपूर्ण विशेषता है। बोर्ड में अनुसूचित जातियों / जनजातियों के महिलाओं और सदस्यों का भी प्रावधान किया गया है। यह विधेयक स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा संस्थाओं के प्रदर्शन की आवधिक(पिरियाडिक) समीक्षा, और सार्वजनिक डोमेन पर उसके परिणाम रखने के लिए भी प्रदान करता है। संस्थाओं की वार्षिक रिपोर्ट संसद में रखी जाएगी और सीएजी उनके खातों का लेखा-परीक्षण करेगी। एक सलाहकार निकाय के रूप में, एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की अध्यक्षता में आईआईएम के समन्वयन फोरम का भी प्रावधान है।
एनसीईआरटी की महत्वपूर्ण उपलब्धियां
• समावेशी शिक्षा: एनसीईआरटी ने दृश्य अवरोध वाले विद्यार्थियों(जो देखने में सक्षम न हों) के लिए भूगोल में टेक्टिल मैप बुक विकसित किया है। इसके साथ ही सभी छात्रों के लिए बरखा रीडिंग सीरीज़ जिसमें 40 पुस्तिकाएं शामिल हैं, इनमें अतिरिक्त सुविधाओं के साथ-साथ समावेशी सेटिंग्स के साथ साथा प्रिंट और डिजिटल रूपों में विकसित किया गया है।
• प्रदर्शन संकेतक: एनसीईआरटी ने प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों के लिए प्रदर्शन संकेतक (पीआईडीआईडीआईसीआई) के लिए एक फ्रेमवर्क विकसित किया है और इसे राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के साथ साझा किया है। एनसीईआरटी ने पीआईडीआईडीआईसीएस(PINDICS) को ऑन-लाइन बना दिया है।
• राष्ट्रीय अविष्कार अभियान (RAA): आरएए के लिए राज्य संसाधन समूह के निर्माण के लिए एनसीईआरटी ने दिशानिर्देश विकसित किए हैं। इसे राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के साथ साझा किया गया है।
• योग पर पाठ्य सामग्री: एनसीईआरटी द्वारा अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में उच्च प्राथमिक और माध्यमिक चरणों के छात्रों के लिए योग पर पाठ्य सामग्री विकसित की गई है।
• वीर गाथा: एनसीईआरटी ने देश के युद्ध के नायकों के बलिदान और देशभक्ति को उजागर करने वाले "वीर गाथा" विकसित किया है।
• एनसीईआरटी ने छात्रों और शिक्षकों के लिए स्वच्छता, स्वास्थ्य रक्षा, और पर्यावरण संरक्षण पर प्रकाशन जारी किए हैं।
• उत्तर पूर्व भारत-लोग, इतिहास और संस्कृति- एक प्रकाशन एनसीईआरटी द्वारा लाया गया है।
• प्रकाशन और प्रसार पाठ्यपुस्तकों- अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में विभिन्न एनसीईआरटी प्रकाशनों की 4.25 लाख से अधिक प्रतियां जारी की गई हैं।
• व्यावसायिक शिक्षा: एनएसक्यूएफ(NSQF) के तहत, एनसीईआरटी ने विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि निर्माण, जैविक खेती, पुष्पप्रतिकारी, माइक्रो सिंचाई, जूनियर सॉफ्टवेयर डेवलपर, विपणन और बिक्री प्रबंधन आदि में विभिन्न कार्य भूमिकाओं के लिए विद्यार्थियों की कार्यपुस्तिकाओं और मॉड्यूल विकसित किए हैं। एनसीईआरटी 100 जॉब रोल के लिए भी छात्र की कार्यपुस्तिकाएं और पाठ्यक्रम विकसित करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है।
प्री-सर्विस टीचर एजुकेशन में योगदान: एनसीईआरटी की अभिनव और एकीकृत प्री-सर्विस टीचर एजुकेशन कोर्सेस यानी, बीएससी,बी.एड (चार वर्ष), बीए बीएड (चार वर्ष) और बीएड (दो साल) अब 2015 के बाद से देश भर में दोहराया गया है।
• एनसीईआरटी ने स्वास्थ्य, योग और जीवन कौशल को बढ़ावा देने के लिए योग ओलंपियाड और राष्ट्रीय भूमिका निभाई, लोक नृत्य प्रतियोगिता और युवा समारोह आयोजित किया है। इन कार्यक्रमों में अधिकांश राज्यों / संघ शासित प्रदेशों के छात्रों और शिक्षकों ने भाग लिया।
• परिषद ने भोपाल में 44 वीं जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय विज्ञान, गणित और पर्यावरण प्रदर्शनी (जेएनएनएसएमईई) का आयोजन 10 से 16 नवम्बर 2017 तक किया था।
• कला उत्सव: यह भोपाल में जनवरी 2018 में आयोजित किया जाएगा।
मार्च 2018 तक की अवधि हासिल करने के लिए विशिष्ट लक्ष्य
• राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में सीखने के परिणामों का कार्यान्वयन
• सभी कक्षाओं के लिए सभी विषय क्षेत्रों में ई-सामग्री और डिजिटल पुस्तकों का विकास
• कक्षा 10 के लिए स्कूल की उपलब्धि सर्वेक्षण करना।
• स्कूल शिक्षा और शिक्षक शिक्षा से संबंधित शोध करना।
• सभी क्षेत्रों में प्री-सर्विस शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम की पेशकश करना।
• पूरे देश के विभिन्न विषय क्षेत्रों में आवश्यक सेवा-आधारित शिक्षक पेशेवर विकास कार्यक्रमों को व्यवस्थित करना।
• ऑडियो-वीडियो समारोह और आईसीटी मेला का आयोजन।
• विज्ञान के लोकप्रियता के लिए केंद्र की स्थापना।
• अंतर्राष्ट्रीय शैक्षिक सहयोग बढ़ाना
• अभिनव प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए गतिविधियों का आयोजन
• शामिल किए जाने के प्रथाओं पर राष्ट्रीय आउटरीच कार्यक्रम कार्यशाला का आयोजन
केन्द्रीय विद्यालय संगठन द्वारा की जाने वाली पहल
• मानव संसाधन विकास मंत्री ने केवीएस के स्वस्थ बच्चे- स्वस्थ भारत कार्यक्रम की शुरूआत की - मानव संसाधन विकास मंत्री, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 21 अगस्त 2017 को केवी एनएडी, अलूवा (कोच्चि) में केन्द्रीय विद्यालय संगठन के "स्वस्थ बच्चे स्वस्थ भारत" कार्यक्रम का उद्घाटन किया। माननीय मंत्री जी ने केवीएस के 12 लाख से अधिक छात्रों के लिए शारीरिक स्वास्थ्य और फिटनेस प्रोफाइल कार्ड का अनावरण किया। केवीएस ने 2016-17 के शैक्षणिक वर्ष के दौरान पटना और चंडीगढ़ क्षेत्र में एक पायलट अभियान पहले ही चलाया था। स्कूल जा रहे बच्चों के स्वास्थ्य और फिटनेस के सकारात्मक परिणामों को देखते हुए,केवीएस ने इसे देश के सभी केवी में लागू करने का निर्णय लिया।इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के तहत 5 से 8 वर्ष और 9 से 1 9 वर्षों के आयु वर्ग के सभी छात्रों के शारीरिक फिटनेस के विभिन्न घटकों को मापने के लिए चुना जाता है। आहार, व्यक्तिगत स्वच्छता और स्वच्छ पर्यावरण, सुझाव दिया दैनिक दिनचर्या और शांति और सद्भाव के लिए योग पर संतुलित बल दिया गया है।
• श्री प्रकाश जावड़ेकर ने केवी शाहदरा की आधारशिला रखी- माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने 23 फरवरी, 2017 को उत्तर-पूर्व दिल्ली में केन्द्रीय विद्यालय, जी.टी. रोड शाहदरा की आधारशिला रखी। यह इस इलाके नें पहला केवी है। माननीय मंत्री ने औपचारिक रूप से स्कूल की नींव रखी और विशाल सभा के पहले पट्टिका का अनावरण किया। माननीय सांसद उत्तर पूर्व दिल्ली श्री मनोज तिवारी, आयुक्त श्री संतोष कुमार मल्ल इस अवसर पर सम्मानित अतिथि थे। केवीएस के अतिरिक्त आयुक्त (प्रशासन) श्री जी.के. श्रीवास्तव और अतिरिक्त आयुक्त (एकड़) श्री यूएख ख्वारे मंच पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
• केन्द्रीय विद्यालय संगठन और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने 6 जुलाई 2017 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस नए उद्यम का नाम 'जिग्यासा' है, जो युवा छात्रों में वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देगी। इस एमओयू पर आयुक्त, केवीएस श्री संतोष कुमार मल्ल और महानिदेशक सीएसआईआर, डॉ। गिरीश साहनी ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ हर्षवर्धन की मौजूदगी में नई दिल्ली में एक हस्ताक्षर किए। इस दौरान एचआरडी मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव (स्कूल शिक्षा और साक्षरता) सुश्री रीना रे भी मौजूद थीं।
स्कूल भवन निर्माण में प्रमुख पहल
वर्ष 2017-18 के दौरान कुल 43 नए केन्द्रीय विद्यालय सिविल / रक्षा / परियोजना /आईएचएल सेक्टर के अंतर्गत खोला गया और कार्यात्मक बनाया गया है।
केवी की संख्या जिसके लिए स्थायी स्कूल भवनों का निर्माण पूरा किया गया: 11
ग्रीन बिल्डिंग इनिशिएटिव: संसाधनों का अधिकतम उपयोग,प्रणालियों और कार्यों की दक्षता बढ़ाने के लिए अधिकतम प्रयास। निर्माण के तहत केवी इमारतों में प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र का न्यूनतम व्यवधान, कठोर फुटपाथ घटाना, कक्षाओं में प्राकृतिक धूप को बढ़ाना और बारिश का जल संचयन प्रणाली के प्रावधान शामिल हैं। केवी में ऊर्जा कुशल फिटिंग और फिक्सर्स (एलईडी और बीईई 5 स्टॉर चिह्नित उपकरण) का गोद लेने और जल संरक्षण के लिए कम प्रवाह वाले पानी के फिक्सर्स को अपनाना। निर्माणाधीन और भविष्य में बनाए जाने वाले सभी केन्द्रीय विद्यालय इमारतों में बाधा मुक्त वातावरण प्रदान करना शामिल है।
केन्द्रीय विद्यालयों में छत पर सौर पीवी सिस्टम की शुरूआत
केन्द्रीय विद्यालयों में निर्माण कार्यों की समीक्षा के लिए वेब आधारित परियोजना निगरानी प्रणाली का विकास, भूमि हस्तांतरण की स्थिति, मरम्मत कार्य, बुनियादी ढांचे की सूची और खेल सुविधाएं।
शहरी विकास मंत्रालय के तहत http://ncog.gov.in पर केन्द्रीय विद्यालयों के भूमि विवरणों को अपलोड करना।
केन्द्रीय विद्यालयों में खेल सुविधाओं का उन्नयन
• प्रशिक्षण
पहली बार, नेशनल सेंटर फॉर स्कूल लीडरशिप (एनसीएसएल), नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एनयूईपीए), नई दिल्ली के सहयोग से केवीएस ने 82 नए नियुक्त प्रिंसिपलों का स्कूल लीडरशिप और एक महीने के सर्टिफिकेट कोर्स का आयोजन किया था।
अप्रैल से सितंबर तक वर्तमान सत्र में, 7500 से अधिक शिक्षकों ने 25 क्षेत्रीय कार्यालयों में लघु अवधि के पाठ्यक्रम / कार्यशालाओं में प्रशिक्षण के लिए शामिल हुए।यह पूरे देश में ज़ीइईटी और केवी द्वारा आयोजित नियमित इन-सर्विस प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के अलावा है। `
• उपहार के तौर पर जूनियर छात्रों को किताबें देना- केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने अपने छात्रों से कागज को बचाने के लिए एक पहल के रूप में अकादमिक सत्र के पूरा होने के बाद अपने जूनियर को पुरानी किताबें दान करने का आग्रह किया। हैरानी की बात है, केवीएस को विद्यार्थियों से भारी प्रतिक्रिया मिली। बड़ी संख्या में पुस्तकों ने 878 पेड़ों को सिर्फ एक महीने में बचाया है। अब केवीएस आने वाले वर्षों में इस अभ्यास को अधिक व्यवस्थित बनाने का इरादा रखता है।
2017 के लिए बुक डोनेशन का आंकड़ा
दान की गई पुस्तकों की कुल संख्या: 2, 58,385
एक किताब का औसत वजन: 200 ग्राम
पेपर का कुल वजन बच गया: 51,677 किलोग्राम
एक टन पेड़ = 17 पेड़ (लगभग)
सहेजे गए पेड़ों की कुल संख्या: 878 (लगभग)
केन्द्रीय विद्यालय संगठन की उपलब्धियां
गणतंत्र दिवस परेड में केवी पीतमपुरा के डांस को प्रथम पुरस्कार - गणतंत्र दिवस परेड 2017 के अवसर पर केंद्रीय विद्यालय पीतमपुरा द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला नृत्य तिरंगा साक्षी है को अपनी श्रेणी में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। माननीय रक्षा मंत्री श्री सुभाष राम राव भामर ने शनिवार को दिल्ली छावनी में राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को ने पुरस्कार प्रदान किया। गणतंत्र दिवस परेड 2017 में 162 छात्रों के एक मजबूत दल ने राजपथ में एक नृत्य प्रस्तुत किया था।
• केन्द्रीय विद्यालय संगठन को राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार - केंद्रीय विद्यालय संगठन को राष्ट्रमंडल भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में 'राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार -2017' से सम्मानित किया। आयुक्त केवीएस, श्री संतोष कुमार मल्ल को 29 अगस्त 2017 को भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने सम्मानित और प्रशस्ति पत्र दिया। केवीएस को युवाओं के मामलों और खेलों के मंत्रालय द्वारा युवा प्रतिभा 'खेल के मैदान में श्रेणी के 'पहचान और विकास के उद्देश्य से चयनित किया गया है।
केवीएस ने देश भर में और विदेशों में फैले सभी केवी के छात्रों के बीच खेल और शारीरिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं। इसने एसजीएफआई द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्कूल खेलों में सराहनीय कामयाबी मिली है। इस वर्ष 62 वें राष्ट्रीय स्कूल खेलों के दौरान कुल 81 पदकों की कुल संख्या हासिल की गई, थी, जबकि दो साल पहले कुल पदकों की संख्या 38 थी।
अवनी लेखारा ने देश के लिए रजत जीता - केन्द्रीय विद्यालय नं. 3, जयपुर की कक्षा 10 की छात्रा सुश्री अवनी लेखारा 24/02/2017 को यूएई में वर्ल्ड शूटिंग पैरा स्पोर्ट्स वर्ल्ड कप में रजत पदक जीता। अवनी ने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच 1 प्रतियोगिता (आर 2) में एक जूनियर विश्व रिकॉर्ड 244.4 की शूटिंग की। 15 वर्षीय स्लोवाकिया के वेरोनिका वडोविकोवा के पीछे समाप्त हुए जिन्होंने 247.5 का विश्व रिकॉर्ड बनाया था।
• रजत पदक के विजेता "वर्ल्ड स्कूल चैंपियनशिप - कॉमेट गेम ताइक्वांडो" 2017 में केवी रोहिणी, गुड़गांव की कक्षा 12 की छात्रा सुश्री शिवानी मेहरा ने आगरा में आयोजित प्रतियोगिता में रजत पदक जीता।
• "एसजीएफआई-स्विमिंग 200 एम बैक स्ट्रोक" में रिकॉर्ड टूटा- केवी गोल मार्केट नई दिल्ली के कक्षा 9 के छात्र आर्यन बाबा साहेब भोसले, ने एसजीएफई 2017-18 के दौरान रिकॉर्ड तोड़ा।
केरल स्टेट फिल्म अवार्ड्स द्वारा केवीआईआर के सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार का पुरस्कार – केवी पट्टम (शिफ्ट-I) में कक्षा तीन की छात्रा अबेनी आधी को केरला स्टेट फिल्म अवॉर्ड्स- 2016 द्वारा सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार पुरस्कार (महिला) मिला, सिद्धार्थ में शानदार प्रदर्शन के लिए सम्मानित किया गया। 2016 में रिलीज मलयालम फिल्म शिव का कोछाव पाउलो अयप्पा कलोहो में अंबिलिया नाम का चरित्र निभाने के लिए सम्मान हासिल हुआ। कोचवा पावलो अयप्पा काल्हो को प्रतिष्ठित बैनर उदय पिक्चर्स के तहत तैयार किया गया था, जिसमें कुंजकोबॉटन और अनुस्य ने मुख्य भूमिका निभाई थी। अबेनी एक अभिनेत्री से भी ज्यादा प्रतिभावान चित्रकार भी है और उन्हें नृत्य और गिटार बजाना पसंद है।
• इंडिया टुडे समूह द्वारा चयनित आधुनिक भारत के 70 प्रतीकों में केवीएस शामिल- इंडिया टुडे समूह द्वारा भारत की आजादी की 70वीं वर्षगांठ पर पर प्रकाशित विशेष अंक के 70 आधुनिक मॉडलों के बीच केंद्रीय विद्यालय संगठन को चुना गया है। इसमें केंद्रीय विद्यालय की शुरुआत से लेकर आजतक विभिन्न पहलुओं और सफलता के बारे में वर्णन है।
• केवी पट्टम शीर्ष सरकारी दिवस विद्यालय में शामिल- केन्द्रीय विद्यालय, पट्टम, तिरुवनंतपुरम को 'सिक्योरिटी वर्ल्ड इंडिया स्कूल रैंकिंग' में लगातार तीसरे साल देश का सर्वश्रेष्ठ सरकारी दिवस स्कूल घोषित किया गया है। सात से लेकर नौवीं रैंकिंग में भी केन्द्रीय विद्यालयों ने बाजी मारी- के.वी. पश्चिम पलक्कड़, सातवीं, के.वी. पुरानाट्टुककर, त्रिशूर, आठवें और केवी, केल्थोरन नगर, कन्नूर, 9 वें नंबर पर हैं।
• डिजिटल पहल
ऑनलाइन प्रवेश प्रक्रिया:
2017-18 सत्र से सभी वर्गों में प्रवेश ऑनलाइन किए गए।
कक्षा 1 के 1,05,040 सीटों के लिए 648941रजिस्ट्रेशन किया गया।
क्लाउड आधारित सॉफ़्टवेयर द्वारा प्रवेश सूची तैयार की गई और अभिभावकों को ई-मेल, स्कूल की वेबसाइट के माध्यम से सूचित किया गया।
अभिभावकों और स्कूल प्रशासन के लिए पारदर्शिता और सुविधा सुनिश्चित की गई।
टनों कागज और लाखों मानव घंटों की बचत हुई।
ई-ऑफिस: केवीएस मुख्यालयों में ई-ऑफिस को अमल में लाया गया है। पहले चरण में कार्यपद्धति में तेजी से निपटान और जवाबदेही सुनिश्चित करने के साथ ही पेपरलेस पर्यावरण बनाने पर ध्यान दिया गया है।
ई-प्रज्ञ: 25 राज्यों के 25 केवी में 5000 छात्रों प्री लोडेड टैबलेट मुहैया कराया जाएगा। टैबलेट के जरिए इन केंद्रीय विद्यालयों के शिक्षक छात्रों के साथ संवाद स्थापित करेंगे। यह फ्लिप-लर्निंग को बढ़ावा देगा और इसके साथ ही स्कूल में बस्ते के बोझ को कम करेगा। छात्र, अपनी गति से सीखने के साथ साथ स्वयं का प्रभावी मूल्यांकन कर सकेंगे। पायलट प्रोजेक्ट में करीब 200 शिक्षक (प्रत्येक विद्यालय के 8 शिक्षक) शामिल होंगे।
भाषा लैब्स / ई-कक्षाओं की स्थापना: ई-लर्निंग की सुविधा के लिए इंटरएक्टिव बोर्डों और प्रोजेक्टर से लैस पूरे देश में केवी में अब तक 9711 ई-कक्षाएं स्थापित की गई हैं। बोलचाल की भाषा में स्किल को मजबूत करने के लिए 276 भाषा प्रयोगशालाएं आयोग के अधीन हैं।
वीएल/एएम/एससी/एलआर/डीएस/आरके/एसएस-6151