Vice President's Secretariat

Atal Bihari Vajpayee is a sage, visionary par excellence who brought developmental reforms to the forefront of governance: Vice President


Releases Book “Yuga Purush Bharata Ratna Atal Ji”

Posted On: 28 DEC 2017 12:18PM by PIB Delhi

The Vice President of India, Shri. M. Venkaiah Naidu has said that former Prime Minister, Shri Atal Bihari Vajpayee was a sage, visionary par excellence who brought developmental reforms to the forefront of governance. He was addressing a gathering after releasing the book “Yug Purush Bharata Ratna Atal Ji” authored by the Member of Parliament (LS), Dr. Ramesh Pokhrial ‘Nishank’ which was also attended by Minister of State for Parliamentary Affairs, Shri. Vijay Goel.

The Vice President lauded the efforts of Shri. Vajpayee in bringing connectivity reforms in Roads, Transport, Telecom and Governance. December 25 the birth day of Shri Vajpayee is celebrated as Good Governance Day is a testament to his contributions to our great Nation, he added.

The Vice President said that Vajpayee’s life is an example for youth and future leaders, adding that the Former Prime Minister governed the country with Dedication, Devotion and Discipline. Shri Vajpayee is like a sage and a yogi, a man of the century, his values, traditions are inspiration of everyone and his contributions will have a long-time effect on the younger generation, he said.​

 

Following is the text of Vice President’s address in Hindi:

 

मैं एक अनन्य ग्रंथ के प्रकाशन के लिए श्री रमेश पोखरियाल एवं डायमंड पॉकेट बुक्स को हार्दिक बधाई देता हूं।

  1. अटल नाम केवल नाम ही नहीं है, यह भारतीय लोकतंत्र का एक दीप्यमान मुकुट है, जो विश्व में भारत की उदात्त छवि का प्रतीक बन गया है। मुझे इस बात की खुशी है कि नि:शंक अभिव्यक्ति के धनी और मूर्धन्य साहित्यकार एवं राजनेता निशंक जी ने अपनी लेखनी से अप्रतिम साहित्यकार, सुकोमलहृदय, आदर्श नेता की मूरत को उकेरने का प्रशंसनीय प्रयास किया है।
  2. प्रस्तुत पुस्तक निस्संदेह दो कुशल साहित्यकारों का परस्पर साक्षात्कार है। जब विषय अटल हो और लेखक नि:शंक तो लेखनी रुकती नहीं, वह गद्य होकर पद्य की ओर भी झुकने लगती है। इसीलिए शायद निशंक जी पुस्तक के प्रारंभ में अपने आदर्श कवि की वन्दना के लिए, उनके जन्मदिन पर उन्हें समपिर्त की गई, अपनी विनम्र कविता प्रस्तुत करते हैं। उनके शब्द भावों में भीगे हुए लगते हैं -

तुम पर मानवता बलिहारी,

तुम्हे नमन अटल विहारी।

  1. विद्वान कवि की कविता में रस के साथ शुद्धता भी स्वत: ही प्रवेश कर जाती है। इसीलिए निशंक जी पुस्तक में सभी जगह विहारी शब्द का प्रयोग करते हैं। वैसे भी सभी भारतीयों के मनों में अटल जी का विहार भी अटल ही रहा है।
  2. पुस्तक का आरंभ निशंक जी नेभारतीय संस्कृतिसे किया है और अंतपरिणाम की प्रतीक्षाइन शब्दों से किया है। दरअसल पूरे विश्व की दृष्टि सदैव भारतीय संस्कृति के स्वरूप एवं उसके परिणाम अर्थात् विकास के चरम की ओर ही रही है।

निशंक जी की पुस्तक पूरे विश्व के लिए, खासकर उन लोगों के लिए एक आइना है, जो आदर्श शासन एवं आदर्श शासक के आदर्श तालमेल से अवगत होना चाहते हैं।

  1. पुस्तक के आरंभ में उन्होंने अटल जी को मेरे अटल जी के रूप में संबोधित किया है और इस रूप में निशंक जी उनके प्रति अपने ममत्व में रमे हुए दीखते हैं। और उनके द्वारा अटल जी का परिचय भी कुछ इस प्रकार दिया गया है, जैसे हम कोई पुस्तक नहीं पढ़ रहे हैं बल्कि अटल जी से खुद भेंट कर रहे हों।
  2. इसमें कोई शक नहीं है कि अटल जी से मिलना सौभाग्य की बात है, और जिस किसी व्यक्ति को यह अवसर मिला उसके मन पर अटल जी अवश्य अंकित हो जाते हैं। तभी तो निशंक जी की उनके साथ की सभी यादें बहुत गहरी और स्मृतिपटल पर बिल्कुल साफ हैं।

अटल जी का जीवन एक समग्र त्याग और आदर्श की मूर्ति है। वे आदमी को केवल आदमी मानते हैं, वह बड़ा होता है और छोटा, लोकतंत्र में सब बराबर हैं। उनके अनुसार समाज की प्रगति आपसी सहयोग और त्याग पर ही निर्भर होती है। सहयोग से चलें तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं होता। ऐसे आदर्श से चलें तो हम विकास की ओर नहीं बल्कि विकास खुद हमारी ओर चलकर आता है।

निशंक जी ने ठीक ही कहा है और यह कहना अतिशयोक्ति भी नहीं होगा, कि अटल जी का संसदीय जीवन स्वयं संसद के लिए स्वर्णिम रहा। उनकी कार्यप्रणाली रचनात्मक, उदार और लोकप्रिय रही। वे विश्व में भारत की ओर से शांतिदूत बने। राष्ट्र की सुरक्षा के लिए सदैव अधिक सतर्क रहे, इसलिए लोग उन्हें राष्ट्र प्रहरी भी कहते हैं। और मेरे विचार से जब कवि, नेता होता है तो वह स्वयं को, अपने परिवेश को और राष्ट्र को भी एक लय दे देता है। राष्ट्र सुशासन का निलय बन जाता है।

अटल जी का व्यक्तित्व एक महासागर है। फिर भी निशंक जी का प्रयास प्रशंसनीय है। उन्होंने पुस्तक में केवल अटल जी के जीवन के विविध पड़ावों से हमें अवगत कराया है, बल्कि अटल जी की मनोभूमि और कर्मभूमि के सभी विचारों और भावों को हमारे समक्ष उड़ेल दिया है।

मेरे विचार से यह पुस्तक केवल अटल जी को और गहराई से जानने का माध्यम ही नहीं है बल्कि यह पुस्तक लोकतंत्र की परीक्षा की तैयारी और उसके परिणाम का मनोज्ञ प्रतिवेदन है। यह एक साहित्यिक, समाज-शास्त्रीय, नीतिपरक, ज्ञानपरक और अंततः एक दार्शनिक ग्रंथ है। यह ग्रंथ अवश्य ही भारत और साहित्य का गौरव सिद्ध होगी।

The former Prime Minister Atal Bihari Vajpayee - a sage, visionary par excellence who brought development reforms to the forefront of governance.

The efforts of Shri, Vajpayee in bringing connectivity reforms in Roads, Transport, Telecom and Governance. December 25 the birth day of Shri Vajpayee is celebrated as Good Governance day is a testament to his contributions to our great Nation.

Shri Vajpayee’s life is an example for youth and future leaders, the Former Prime Minister governed the country with Dedication, Devotion and Discipline.

Shri Vajpayee is like a sage and a yogi, a man of the century, his values, traditions are inspiration of everyone. His contributions will have a long-time effect on the younger generation.​

हम सभी को स्वयं प्रेरित होकर अटल जी की एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए

भारत वन्दन की भूमि है, अभिनंदन की भूमि है।

हम जियेंगे तो इसके लिए, मरेंगे तो इसके लिए।।

निशंक जी को, एक बार फिर से, मेरा विशेष साधुवाद।“

 

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BK/RK



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