नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय

वर्षांत समीक्षा-2017- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय


 सरकार 2022 तक संस्‍थापित नवकरणीय ऊर्जा क्षमता के लिए 175 गीगावाट लक्ष्‍य अर्जित करने की राह पर 

भारत ने वैश्विक पवन एवं सौर ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता में वैश्विक चौथा एवं छठा स्‍थान हासिल किया

नवम्‍बर 2017 तक कुल 62 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित, जिसमें से 27 गीगावाट मई, 2014 से संस्‍थापित हुई तथा 11.79 गीगावाट जनवरी, 2017 से

पारदर्शी बोली एवं सुगमीकरण के जरिए सौर (2.44 रुपये/इकाई) एवं पवन (2.64 रुपये/इकाई) के लिए ऐतिहासिक निम्‍न टैरिफ अर्जित

अगले तीन वर्षों के लिए सौर ऊर्जा की 100 गीगावाट क्षमता तथा पवन ऊर्जा की 60 गीगावाट क्षमता के लिए महत्‍वाकांक्षी बोली प्रक्रिया की रूपरेखा तय की गई

Posted On: 27 DEC 2017 11:20AM by PIB Delhi

    नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने नये भारत के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के एक स्‍वच्‍छ ऊर्जा भविष्‍य के स्‍वप्‍न को साकार करने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत ने विश्‍व में सबसे बड़ा नवीकरणीय क्षमता विस्‍तार कार्यक्रम आरंभ किया है। सरकार का लक्ष्‍य नवीकरणीय ऊर्जा पर भरपूर जोर देने के जरिए स्‍वच्‍छ ऊर्जा के हिस्‍से में बढ़ोतरी करना है। भारत में नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा के विकास तथा उपयोग के मुख्‍य वाहक ऊर्जा सुरक्षा, बिजली की कमी, ऊर्जा पहुंच, जलवायु परिवर्तन आदि रहे हैं।

     ग्रिड कनेक्‍टेड नवीकरणीय ऊर्जा के तहत पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान 27.07 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का क्षमता संवर्धन किया गया है, जिसमें सौर ऊर्जा से 12.87 गीगावाट, पवन ऊर्जा से 11.70 गीगावाट, लघु पनबिजली से 0.59 गीगावाट तथा जैव ऊर्जा से 0.79 गीगावाट शामिल है। स्‍वच्‍छ ऊर्जा क्षेत्र की वृद्धि दर से उत्‍साहित होकर भारत सरकार ने लक्षित राष्‍ट्रीय निर्धारित योगदान (आईएनडीसी) पर संयुक्‍त राष्‍ट्र जलवायु परिवर्तन संरचना सम्‍मेलन को प्रस्‍तुत अपने प्रतिवेदन में कहा है कि भारत प्रौद्योगिकी के अंतरण एवं हरित जलवायु निधि समेत निम्‍न लागत अंतराष्‍ट्रीय वित्‍त की सहायता से 2030 तक गैर-फॉसिल ईंधन आधारित ऊर्जा  संसाधनों से 40 प्रतिशत संचयी बिजली ऊर्जा क्षमता अर्जित करेगा। 30.11.2017 तक देश में सोलर रूफ टॉप परियोजनाओं से 863.92 मेगावाट समेत 16611.73 मेगावाट की सकल क्षमता के साथ सौर ऊर्जा परियोजनाएं संस्‍थापित की गई हैं।

    सरकार सृजन आधारित प्रोत्‍साहनों (जीबीआई), पूंजी एवं ब्‍याज सब्सिडियों, व्‍यावहार्य अंतराल निधियन, रियायतपूर्ण वित्‍त, वित्‍तीय प्रोत्‍साहनों जैसे विभिन्‍न प्रोत्‍साहनों के जरिए नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रही है। राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन का उद्देश्‍य फॉसिल आधारित ऊर्जा विकल्‍पों के साथ सौर ऊर्जा को प्रतिस्‍पर्धी बनाने के अंतिम उद्देश्‍य के साथ बिजली सृजन एवं अन्‍य उपयोगों के लिए सौर ऊर्जा के विकास एवं उपयोग को बढ़ावा देना है। राष्‍ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन का लक्ष्‍य दीर्घकालिक नीति, बड़े स्‍तर पर परिनियोजन लक्ष्‍यों, महत्‍वाकांक्षी अनुसंधान एवं विकास तथा महत्‍वपूर्ण कच्‍चे माल, अवयवों तथा उत्‍पादों के घरेलू उत्‍पादन के माध्‍यम से देश में सौर ऊर्जा सृजन की लागत को कम करना है। नवीकरणीय ऊर्जा, फॉसिल ईंधन आधारित सृजन की तुलना में लगातार लागत प्रतिस्‍पर्धी बनती जा रही है।

     वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए पिछले  दो वर्षों के दौरान सोलर पार्क, सोलर रूफटॉप योजना, सौर रक्षा योजना, नहर के बांधों तथा नहरों के ऊपर सीपीयू सोलर पीवी पॉवर प्‍लांट के लिए सौर योजना, सोलर पंप, सोलर रूफटॉप आदि के क्रियान्‍वयन के लिए बड़े कार्यक्रम/योजनाएं आरंभ की गई हैं।

    वर्ष 2022 तक 175 गीगावाट के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्‍न योजनाओं को वित्‍तीय समर्थन उपलब्‍ध कराने के अतिरिक्‍त विभिन्‍न नीतिगत उपाय आरंभ किये जा रहे हैं तथा विशेष कदम उठाए जा रहे हैं। इनमें नवीकरणीय खरीद बाध्‍यता (आरपीओ) के मजबूत क्रियान्‍वयन और नवीकरणीय सृजन बाध्‍यता (आरजीओ) के लिए बिजली अधिनियम एवं टैरिफ नीति में अनुकूल संशोधन करना; हरित ऊर्जा गलियार परियोजना के माध्‍यम से बिजली पारेषण नेटवर्क का विकास; टैरिफ आधारित प्रतिस्‍पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्‍यम से सौर एवं पवन ऊर्जा की खरीद के लिए दिशा-निर्देश, राष्‍ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अधिसूचित किया जाना, पवन ऊर्जा परियोजनाओं को फिर से मजबूत बनाने, सोलर फोटोवोल्‍टेक सिस्‍टम्‍स/डिवाइसिस की तैनाती के लिए मानक निर्धारित करना, अंतरराज्‍यीय पारेषण प्रणाली प्रभारों तथा मार्च, 2019 तक कमीशन की जाने वाली परियोजनाओं के लिए सौर तथा पवन बिजली के अंत:राज्‍यीय बिक्री से होने वाले नुकसान की माफी के लिए आदेश; रूफटॉप परियोजनाओं के लिए बड़े सरकारी परिसरों/भवनों की पहचान करने; मिशन वक्‍तव्‍य एवं स्‍मार्ट सिटी के विकास के लिए दिशा-निर्देशों के तहत रूफटॉप सोलर एवं 10 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा के प्रावधान को अनिवार्य बनाना, नये निर्माण या उच्‍चतर फर्श क्षेत्र अनुपात के लिए रूफटॉप सोलर के अनिवार्य प्रावधान के लिए भवन उपनियमों में संशोधन; सौर परियोजनाओं के लिए अवसंरचना दर्जा; कर मुक्‍त सोलर बांड जारी करने; दीर्घकालिक ऋण उपलब्‍ध कराने; बैंकों/एनएचबी द्वारा गृह ऋण के हिस्‍से के रूप में रूफटॉप सोलर का निर्माण; वितरण कंपनियों को प्रोत्‍साहित करने तथा नेट-मीटरिंग को अनिवार्य बनाने के लिए समेकित बिजली विकास योजना (आईपीडीएस) में उपयों को शामिल करना तथा इस लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए हरित जलवायु निधि के रूप में भी द्वीपक्षीय एवं अंतर्राष्‍ट्रीय दानकर्ताओं से फंड जुटाना आदि शामिल हैं।

एनएसआरई की अन्‍य महत्‍वपूर्ण पहलें तथा उपलब्धियां इस प्रकार हैं : 

नवीकरणीय ऊर्जा की अनुमानित क्षमता

   स्‍वदेशी नवीकरणीय संसाधनों के बढ़ते उपयोग से महंगे आयातित फॉसिल ईंधनों पर भारत की निर्भरता में कमी आने की उम्‍मीद है। लगभग 3 प्रतिशत बंजर भूमि के अनुमान के साथ भारत के पास 1096 गीगावाट की वाणिज्यिक अक्षय ऊर्जा स्रोतों से अनुमानित अक्षय ऊर्जा क्षमता है, जिसमें पवन - 302 गीगावॉट; लघु हाइड्रो - 21 गीगावाट; जैव ऊर्जा 25 गीगावाट; और 750 गीगावाट सौर ऊर्जा शामिल है।

लक्ष्‍य

   भारत सरकार ने 2022 के आखिर तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इसमें से 60 गीगावाट पवन ऊर्जा से, 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से, 10 गीगावाट बायोमास ऊर्जा से तथा पांच गीगावाट लघु पनबिजली से शामिल है। 2017-18 के लिए 14550 मेगावाट ग्रिड नवीकरणीय ऊर्जा (पवन 4000 मेगावाट, सौर 10000 मेगावाट, लघु पनबिजली ऊर्जा 200 मेगावाट, जैव ऊर्जा 340 मेगावाट एवं अवशिष्‍ट से ऊर्जा 10 मेगावाट) निर्धारित किया गया है।

कुल संस्‍थापित क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्‍सा

  आर्थिक विकास, बढ़ती समृद्धि, शहरीकरण की बढ़ती दर और प्रति व्‍यक्ति ऊर्जा उपभोग ने देश में ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी कर दी है। ऊर्जा की मांग की पूरी करने के लिए 31.10.2017 तक देश में सभी संसाधनों से 331.95 गीगावाट की कुल संस्‍थापित बिजली सृजन क्षमता है।

उपलब्धियां

   नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की उपलब्धियां तथा वर्ष के दौरान की गई पहलों का विवरण निम्‍नलिखित है –

हरित ऊर्जा क्षमता संवर्धन

   इस वर्ष अभी तक (जनवरी, 2017 से नवम्‍बर, 2017 तक) देश में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से कुल 11788 मेगावाट ग्रीन कनेक्‍टेड बिजली सृजन क्षमता जुड़ी हुई है।

उपलब्धियों की क्षेत्र-वार विशेषताएं

·     2016-17 में 5502.39 मेगावाट की अब तक की सबसे अधिक पनबिजली क्षमता सृजन दर्ज की गई, जो लक्ष्‍य की तुलना में 38 प्रतिशत अधिक है। अब पवन ऊर्जा संस्‍थापित क्षमता के लिहाज से भारत चीन, अमरीका एवं जर्मनी के बाद चौथे स्‍थान पर है।

·     2017-18 में 5525.98 मेगावाट की अब तक का सबसे अधिक सौर ऊर्जा क्षमता संवर्धन।

·     पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान 1.31 लाख समेत 30.11.2017 तक देश में अभी तक 1.42 लाख सोलर पम्‍प संस्‍थापित किये गये हैं।

·     23656 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए टेंडर जारी किये गये हैं तथा 19340 मेगावाट के लिए आशय पत्र जारी कर दिए गए हैं।

·     लघु पन बिजली  संयंत्रों से पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान ग्रिड कनेक्‍टेड नवीकरणीय ऊर्जा के तहत 0.59 गीगावाट का क्षमता सृजन किया गया है।

·     बायोमास दहन, बायोमास गैसीकरण एवं बैगेस सहसृजन से संस्‍थापनों समेत बायोमास बिजली की संचित उपलब्धि 8181.70 मेगावाट तक पहुंच गई।

·     राष्‍ट्रीय बायोगैस एवं खाद प्रबंधन कार्यक्रम (एनबीएमएमपी) के तहत मुख्‍य रूप से ग्रामीण एवं अर्द्धशहरी परिवारों के लिए पारिवारिक प्रकार बायोगैस संयंत्र स्‍थापित किए जाते हैं। 2017-18 के दौरान 1.1 लाख बायोगैस संयंत्रों के लक्ष्‍य के मुकाबले 0.15 लाख बायोगैस प्‍लांट की स्‍थापना की गई है जिससे 30.11.2017 तक कुल संचयी उपलब्धि 49.8 लाख बायोगैस संयंत्र तक पहुंच गई है।

वर्ष 2017-18 (जनवरी-नवम्‍बर 2017) में कार्यक्रम/ योजनावार प्रगति

क्षेत्र

वित्‍त वर्ष- 2017-18

उपलब्धि‍ (जनवरी-नवंबर 2017)

30.11.2017 तक संचयी उपलब्धि

I.   ग्रिड- इंटरैक्टिव विद्युत (क्षमता एमडब्‍ल्‍यूपी में)

पवन ऊर्जा

4046.44

32746.87

सौर ऊर्जा

7599.31

16611.73

छोटी पनबिजली

64.80

4399.35

बायो पावर  (बायोमास एवं गैसीकरण और खोई का सह उत्पादन)#

60.95

8181.70

कचरे से बिजली

16.00

114.08

कुल

11787.50

62053.73

II.  ऑफ-ग्रिड / कैप्टिव पावर  (क्षमता एमडब्‍ल्‍यूईक्‍यू में)

कचरे से ऊर्जा              

12.11

175.45

बायोमास (गैर-खोई) का सह उत्पादन

9.50

661.41

बायोमास गैसीफायर 

0.92

163.37

 एयरो-जेनरेटर/हाइब्रिड प्रणालियां

0.32

3.29

एसपीवी प्रणालियां

146.02

551.56

कुल

168.87

1555.08

III.  अन्‍य नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियां

पारिवारिक बायोगैस संयंत्र (लाख में)

0.15

49.80

वाटर मिल/ सूक्ष्म पनबिजली (संख्‍या.)

0.00

2690/72

#बायो पावर की प्रगति को निर्यात योग्य विद्युत क्षमता की संस्थापित क्षमता में संशोधित किया गया है।

·          

   
       

 

मंत्रालय की प्रमुख पहल

 

सौर ऊर्जा

 

  • राष्‍ट्रीय सौर मिशन के तहत सौर ऊर्जा क्षमता स्‍थापित करने के लक्ष्‍य को 20 गीगावाट से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 तक 100 गीगावाट कर दिया गया है। वर्ष 2017-18 के लिए 10,000 मेगावाट का लक्ष्‍य रखा गया है, जिसकी बदौलत 31 मार्च, 2018 तक संचयी क्षमता 20 गीगावाट (जीडब्‍ल्‍यू) से अधिक हो जाएगी।
  • अब तक 23656 मेगावाट के लिए नि‍विदा जारी की गई है, जिनमें से 19340 मेगावाट के लिए आशय पत्र (एलओआई) जारी कर दिया गया है।
  • सोलर पार्कों और अल्‍ट्रा मेगा सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विकाससे जुड़ी योजना की क्षमता 20,000 मेगावाट से बढ़ाकर 40,000 मेगावाट कर दी गई है। 21 राज्‍यों में कुल मिलाकर 20,514 मेगावाट क्षमता के 35 सोलर पार्कों को मंजूरी दी गई है।
  • आंध्र प्रदेश में 1000 मेगावाट क्षमता के कुरनूल सोलर पार्क को पहले ही चालू किया जा चुका है और इसका परिचालन जारी है। एक ही स्‍थान पर 1000 मेगावाट क्षमता के सोलर पार्क के चालू हो जाने से कुरनूल सोलर पार्क अब दुनिया के सबसे बड़े सोलर पार्क के रूप में उभर कर सामने आया है।
  • राजस्‍थान में 650 मेगावाट क्षमता के भादला (चरण-II) सोलर पार्क को चालू कर दिया गया है।
  • मध्‍य प्रदेश में 250 मेगावाट क्षमता के नीमच मंदसौर सोलर पार्क (500 मेगावाट) के चरण-I को चालू कर दिया गया है।
  • सोलर पार्क योजना के तहत क्षमता को 20,000 मेगावाट से बढ़ाकर 40,000 मेगावाट करने के लिए संबंधित दिशा-निर्देशों के जारी होने के बाद इस साल राजस्‍थान (1000 मेगावाट), गुजरा‍त (500 मेगावाट) और मिजोरम (23 मेगावाट) में 3 नए सोलर पार्कों को मंजूरी दी गई है।
  • सौर ऊर्जा की दर घटकर 2.44 रुपये प्रति/केडब्‍ल्‍यूएच के न्‍यूनतम स्‍तर पर आ गई है। हाल के महीनों में सौर ऊर्जा की दर में कमी के रुख का कालक्रम कुछ इस प्रकार है:-

क्र.सं.

अवधि

क्षमता

न्‍यूनतम दर (रुपये प्रति/केडब्‍ल्‍यूएच)

योजना

राज्‍य

1

फरवरी-2017

750 मेगावाट

3.30

राज्‍य योजना

मध्‍य प्रदेश (रीवा सोलर पार्क)

2

मई-2017

250 मेगावाट

2.62

वीजीएफ योजना

राजस्‍थान

(भादला IV सोलर पार्क)

3

मई-2017

500 मेगावाट

2.44

वीजीएफ योजना

राजस्‍थान

(भादला III सोलर पार्क)

4

अगस्‍त-17

500 मेगावाट

2.65

राज्‍य योजना

गुजरात

(गैर- सोलर पार्क)

 

  • 30 नवम्‍बर, 2017 तक देश भर में 41.80 लाख से भी ज्‍यादा सोलर लाइटिंग प्रणालियां, 1.42 लाख सोलर पम्‍प और 181.52 एमडब्‍ल्‍यूईक्‍यू के पावर पैक स्‍थापित किए गए हैं। पिछले साढ़े तीन वर्षों के दौरान 18.47 लाख सोलर लाइटिंग प्रणालियों, 1.31 लाख सोलर पम्‍पों और 96.39 एमडब्‍ल्‍यूईक्‍यू के पावर पैकों से जुड़ी प्रमुख उपलब्धियों की जानकारी मिली है।
  • कई योजनाएं जैसे कि (i) रक्षा योजना (ii) केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसयू) की योजना (iii) मिश्रित योजना (iv) कैनाल बैंक/कैनाल टॉप स्‍कीम (v) वीजीएफ योजना (vi) सोलर पार्क योजना (vii) सोलर रूफटॉप्स योजना फिलहाल क्रियान्वि‍त किए जा रहे राष्‍ट्रीय सोलर मिशन के तहत मंत्रालय द्वारा शुरू/लांच की गई हैं।
  • रक्षा योजना के तहत 300 मेगावाट के लक्ष्‍य के सापेक्ष 357.50 मेगावाट को मंजूरी दी गई है, सीपीएसयू योजना के तहत 1000 मेगावाट के लक्ष्‍य के सापेक्ष पूरी क्षमता को मंजूरी दी गई है, 3000 मेगावाट की मिश्रित (बंडलिंग) योजना के तहत श्रृंखला-I: 3000 मेगावाट के लिए निविदा जारी की गई है, 100 मेगावाट की कैनाल बैंक/कैनाल टॉप स्‍कीम के तहत समूची क्षमता को स्‍वीकृति दी गई है, 2000 मेगावाट एवं 5000 मेगावाट की वीजीएफ योजना और 20,000 मेगावाट की सोलर पार्क योजना के तहत 21 राज्‍यों में कुल मिलाकर 20,514 मेगावाट क्षमता के 35 सोलर पार्कों को मंजूरी दी गई है।

सोलर रूफटॉप

मंत्रालय ग्रिड कनेक्‍टेड रूफटॉप और छोटे सौर ऊर्जा संयंत्र कार्यक्रम क्रियान्वित कर रहा है, जिसके तहत आवासीय, सामाजिक, सरकारी/पीएसयू और संस्‍थागत क्षेत्रों में सीएफए/प्रोत्‍साहन के जरिए 2100 मेगावाट की क्षमता स्‍थापित की जा रही है।

इस कार्यक्रम के तहत सामान्‍य श्रेणी वाले राज्‍यों में आवासीय, संस्‍थागत एवं सामाजिक क्षेत्रों में इस तरह की परियोजनाओं के लिए बेंचमार्क लागत के 30 प्रतिशत तक और विशेष श्रेणी वाले राज्‍यों में बेंचमार्क लागत के 70 प्रतिशत तक केंद्रीय वित्‍त सहायता मुहैया कराई जा रही है। सरकारी क्षेत्र के लिए उपलब्धि से संबद्ध प्रोत्‍साहन दिए जा रहे हैं। सब्सिडी/सीएफए निजी क्षेत्र में वाणिज्यिक और औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए लागू नहीं है।  

  • अब तक 1767 एमडब्‍ल्‍यूपी क्षमता की सोलर रूफटॉप परियोजनाओं के लिए मंजूरी दी गई है और लगभग 863.92 एमडब्‍ल्‍यूपी  क्षमता स्‍थापित की गई है।
  • सभी 36 राज्‍यों/केंद्रशासित प्रदेशों के ईआरसी ने अब रूफटॉप सोलर परियोजनाओं के लिए शुद्ध/सकल मीटरिंग नियमन और /अथवा टैरिफ आदेश अधिसूचित किए हैं।
  • विश्‍व बैंकएशियाई विकास बैंक और नव विकास बैंक की ओर से लगभग 1375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के रियायती ऋण सोलर रूफटॉप परियोजनाओं के लिए भारतीय स्‍टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक को उपलब्‍ध कराए गए हैं।
  • एक योग्‍य तकनीकी श्रमबल तैयार करने के लिए सूर्यमित्र कार्यक्रम शुरू किया गया है और इस कार्यक्रम के तहत 11,000 से भी अधिक व्‍यक्तियों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • परियोजना मंजूरी में तेजी लाने, रिपोर्ट पेश करने और आरटीएस परियोजनाओं की निगरानी के लिए एक ऑनलाइन प्‍लेटफॉर्म सृजित किया गया है।

·         खोज क्षमता और पार‍दर्शिता के लिए इसरो के सहयोग से आरटीएस परियोजनाओं की भौगोलिक टैगिग आरंभ करना।

·         आवेदन प्रस्‍तुत करने और जागरुकता के लिए लाभार्थियों के आसानी से पहुंच के लिए मोबाइल ऐप अरुण (अटल रुफ टॉप सोलर यूजर नेवीगेटर) लांच करना।

·         विभिन्‍न मंत्रालयों/विभागों में आरटीएस परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन के लिए एमएनआरई (नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय) ने मंत्रालयवार विशेषज्ञ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम आवंटित किए।

·         सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए नीतियों, विनियमों, तकनीकी मानकों और वित्‍त पोषण नियमों के सर्वोत्‍तम अभ्‍यास मार्गदर्शिका और संग्रह प्रकाशित किया गया।

पवन ऊर्जा

·         वर्ष 2016-17 के दौरान पवन ऊर्जा में 5.5 गीगावाट की क्षमता जोड़ी गई जो देश में अब तक एक वर्ष में जोड़ी गई क्षमता में सबसे अधिक है। देश में वर्तमान स्‍थापित पवन ऊर्जा लगभग 32.75 गीगावाट है। पवन ऊर्जा क्षमता की स्‍थापना में भारत विश्‍व में चीन, अमेरिका और जर्मनी के बाद चौथे स्‍थान पर है।

·         भारत में पवन ऊर्जा उपकरण निर्माण का मजबूत आधार है। वर्तमान में देश में पवन टर्बाइन के 53 मॉडल बनाने वाले 20 अनुमोदित मान्‍यता प्राप्‍त निर्माता हैं और प्रत्‍येक टर्बाइन की क्षमता 3 मेगावाट तक है। भारत में बनाई जाने वाली पवन टर्बाइन विश्‍व गुणवत्‍ता मानको के अनुरूप है और यूरोप, अमेरिका तथा अन्‍य देशों से आयातीत टर्बाइनों में सबसे कम लागत की है।

·         देश की पवन ऊर्जा क्षमता का राष्‍ट्रीय पवन ऊर्जा संस्‍थान (एनआईडब्‍ल्‍यूई) द्वारा पुनर्मूल्‍यांकन किया गया है। 100 मीटर हब ऊंचाई पर इसकी क्षमता का अनुमान 302 गीगावाट लगाया गया है। एनआईडब्‍ल्‍यूई वेबसाइट पर ऑन लाइन विंड एटलस उपलब्‍ध है। इससे देश में पवन ऊर्जा विकास में नये अयाम जुड़ेंगे।

·         पहली एसईसीआई पवन ऊर्जा नीलामी के लिए पीपीए/पीएसए पर हस्‍ताक्षर किए गए (1000 मेगावाट, फरवरी 2017 में शुल्‍क 3.46 रुपये प्रति यूनिट आंका गया) 1000 मेगावाट की दूसरी पवन ऊर्जा नीलामी में न्‍यूनतम शुल्‍क 2.64 रुपये प्रति यूनिट आंका गया।

·         भारत में लम्‍बी तटीय रेखा है जहां तटीय पवन ऊर्जा परियोजनाएं बनाने की अच्‍छी संभावना है। मंत्रीमंडल ने राष्‍ट्रीय तटीय पवन ऊर्जा नीति को स्‍वीकृति प्रदान की है जिसे 6 अक्‍टूबर 2015 को अधिसूचित किया गया है। गुजरात और तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों में कुछ खंडों की पहचान की गई हैं। पवन संसाधन आंकड़े एकत्रित करने के लिए गुजरात तट पर पहला एलआईडीएआर स्‍थापित किया गया और चालू किया गया।

·         हवा की भविष्‍यवाणी :- तमिलनाडु में एनआईडब्‍ल्‍यूई के साथ हवा की भविष्‍यवाणी के आधार पर गुजरात और राजस्‍थान के साथ भविष्‍यवाणी के लिए सहमति पत्र पर हस्‍ताक्षर किए गए हैं।

·         120 मीटर ऊचाई पर पवन संसाधन के लिए मेसो मानदंड का मानचित्र तैयार किया गया है। क्‍योंकि अधिकतर कर्बाइनों को 100 मीटर से अधिक ऊंचाई पर स्‍थापित किया जाता है। भारत का कुल अनुमानित पवन संसाधन 100 मीटर हाइट पर 302 गीगावाट से 120 मीटर की ऊंचाई पर लगभग 600 गीगावाट हो जाएगी। अपतटीय पवन ऊर्जा के लिए भी मेसो मापदंड का मानचित्र बनाया गया। फिर भी इनके वास्‍तविक उपयोग को विशिष्‍ट स्‍थलों के मानदंड से मापा जाएगा।

·         विद्युत अधिनियम की धारा 63 के अंतर्गत हवा की नीलामी के लिए बोली लगाने के दिशा निर्देशों के लिए ऊर्जा मंत्रालय को दिसंबर में अधिसूचित किया गया।

छोटी पनबिजली परियोजना

·         ग्रीड कनेक्टिड नवीकरणीय विद्युत के अंतर्गत छोटी पनबिजली परियोजना की 0.59 गीगावाट से पिछले ढाई वर्षों में 27.07 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में वृद्धि की गई है।

बायोमास पावर

·         30.11.2017 को कुल 8181.70 मेगावाट ऊर्जा उपलब्‍ध हुई है।

परिवार के लिए बायोगैस संयंत्र

·         राष्‍ट्रीय बायोगैस और खाद प्रबंधन कार्यक्रम (एनबीएमएमपी) के अंतर्गत ग्रामीण और अर्द्धशहरी घरों के लिए फैमली साइज का बायोगैस संयंत्र स्‍थापित किए गए। वर्ष 2017-18 के दौरान 1.10 लाख बायोगैस संयंत्र लगाने के लक्ष्‍य था जिसमें से 0.15 लाख बायोगैस संयंत्र लगाए जा चुके हैं। इस प्रकार कुल बायोगैस संयंत्रों की संख्‍या 49.8 लाख हो गई है।

ऑफ ग्रीड सौर ऊर्जा उपकरण

·         30.11. 2017 को 41.80 लाख से अधिक सौर ऊर्जा प्रकाश उपकरण, 1.42 लाख सौर ऊर्जा पम्‍प और 181.52 MWeq के पावर पैक देश में स्‍थापित किए गए हैं। पिछले साढ़े तीन वर्षों  में 18.47 सौर ऊर्जा प्रकाश उपकरण 1.31 लाख सौर ऊर्जा पम्‍प और 96.39 MWeq के पावर पैक स्‍थापित किए गए हैं।

नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए शुल्‍क नीति में संशोधन

·         मार्च 2022 तक सौर ऊर्जा आरपीओ में 8 प्रतिशत तक की वृद्धि

  • • निर्धारित दिनांक के बाद नए कोयला / लिग्नाइट आधारित थर्मल प्लांट के लिए आरजीओ की शुरूआत।
  •         नवकरणीय ऊर्जा के भंडारण के माध्यम से सस्ती नवीकरणीय ऊर्जा सुनिश्चित करना।
  • • सौर और पवन ऊर्जा पर अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन और नुकसान पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाएगा।
  • • भविष्य मेंसंशोधित टैरिफ नीति के अनुसार जो कि 22 जुलाई 2016 को ऊर्जा मंत्रालय द्वारा अधिसूचित है। अगले 3 वर्षों में वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के सौर और गैर-सौर ऊर्जा के लिए आरपीओ की दीर्घकालिक वृद्धि दर को सूचित किया है। जोकि निम्नलिखित है-

दीर्घावधि चक्र

2016-17

2017-18

2018-19

गैर सौर

8.75%

9.50%

10.25%

सौर

2.75%

4.75%

6.75%

कुल

11.50%

14.25%

17.00%

       
  • आईआरईडीए
  • भारतीय नवकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (आईआरईडीएए) को मिनी रत्न का दर्जा दिया गया है और आईआरईडीए की अधिकृत पूंजी रुपए 6000 करोड़ से बढ़कर 1000 करोड़ रुपये हुई है।
  • हरित ऊर्जा गलियारा
  • अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली आठ नवीकरणीय ऊर्जा समृद्ध राज्यों (तमिलनाडु, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र,गुजरात, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश) द्वारा लागू की जा रही है। परियोजना की कुल लागत 10141 करोड़ रुपए है। 20 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्यों की जबकि भारत सरकार की ओर से 40 फीसदी अनुदान दिया जा रहा है। परियोजना के तहत लगभग 9400 सीकेएम ट्रांसमिशन लाइन और 19000 एमवीए की क्षमता वाले सब स्टेशनों के कार्य को मार्च 2020 तक पूरा किया जाना है। परियोजना के लिए 6766 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिए गए हैं। जिसमें से 1400 करोड़ रुपए केंद्र सरकार के कोटे से राज्यों को जारी कर दिए गए है।
  • अन्य पहल
  •         भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। भारत ने फ्रांस के मिलकर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। इस संगठन में 121 सदस्य देश शामिल हैं।  इसमें ऐसे देश शामिल हैं जो मकर और कर्क रेखा पर पड़ते हैं। 47 देशों ने फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। 18 देशों ने 1 वर्ष के भीतर इसे अनुमोदित किया है। आईएसए ने 6.12.2017 को भारत में अपने मुख्यालय के साथ कानूनी इकाई के तौर पर कार्य करना शुरू कर दिया।
  •         सौर ऊर्जा आधारित बिजली जनरेटर, बायोमास आधारित बिजली जनरेटर, पवन ऊर्जा प्रणाली,सूक्ष्म जलविद्युत संयंत्रों और नवीकरणीय ऊर्जा आधारित सार्वजनिक उपयोग के लिए उधारकर्ताओं को 15 करोड़ रुपये तक का बैंक से ऋण दिया जाएगा। इसमें स्ट्रीट लाइट सिस्टमऔर दूरदराज के गांवों में विद्युतीकरण भी शामिल है। व्यक्तिगत परिवारों के लिएऋण सीमा 10 लाख प्रति उधारकर्ता होगी।
  •         विद्युत अधिनियम2003 के प्रावधानों के तहत नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और वितरण परियोजनाओं के लिए स्वचालित मार्ग के तहत 100% तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति है।
  • लक्ष्य पूरा करने के लिए सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं जो कि निम्नलिखित हैं।
  • 1- विद्युत आधारित 175 गीगावॉट नवकरणीय ऊर्जा का संचित लक्ष्य जिसके लिए 100 गीगावॉट सौर ऊर्जा की क्षमता वाले संयत्र की स्थापना की घोषणा।
  • 2- टैरिफ आधारित प्रतियोगी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से सौर और पवन ऊर्जा की खरीद के लिए दिशानिर्देश जारी किए गए।
  • 3- वर्ष 2018-19 तक के लिए नवीकरणीय खरीद के लिए प्रतिज्ञापत्र घोषित।
  • 4- नए कोयला / लिग्नाइट आधारित थर्मल प्लांट पर नवीकरणीय ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए प्रतिज्ञापत्र की घोषणा।
  • 5- राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा के लिए नीति अधिसूचित।
  • 6- पवन ऊर्जा परियोजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए नीति को अधिसूचित किया।
  • 7- सौर फोटोवोल्टिक प्रणालियों / उपकरणों की तैनाती के लिए मानदंड अधिसूचित।
  • 8- मार्च 201 9 तक शुरू किए जाने वाले परियोजनाओं के लिए अंतर्राज्यीय ट्रांसमिशन सिस्टम के शुल्क और घाटे को सौर और पवन ऊर्जा की अंतरराज्यीय बिक्री के लिए माफी का आदेश जारी।
  • 9- पांच राज्यों में सौर आधारित स्ट्रीट लाइट के लिए अटल ज्योति योजना प्रारंभ।
  • 10- विशेष सौर उद्यानों की स्थापना।
  • 11- सौर रूफटॉप परियोजनाओं के लिए सरकारी परिसरों और इमारतों को चिन्हित करना।
  • 12- स्मार्ट शहरों के विकास के लिए दिशा निर्देशों में रूफटॉप और 10 प्रतिशत नवकरणीय ऊर्जा के उपयोग का प्रावधान करना।
  • 13- नए निर्माण या उच्च एफएआर के प्रावधानों के लिए इमारत कानून में संशोधन करना।
  • 14- सौर परियोजनाओं को ढांचे का दर्जा।
  • 15- शुल्क मुक्त सौर बोंड शुरू करना।
  • 16- बैंको और एनबीएच द्वारा छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना को हाउसिंग ऋण का हिस्सा बनाना।
  • 17- द्वीपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय दानदाताओं से धन जुटाना। लक्ष्य को पूरा करने के लिए हरित जलवायु कोष से भी धन हासिल करना। 

 

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वीके/एएम/एसकेजे/आरआरएस/पीसी/बीपी/एसकेपी/वाईबी/एनआर–6105  

 

  

 

 

 

 



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