Prime Minister's Office

Text of PMs address on 50th year celebrations of IMC Ladies Wing in Mumbai via Video Conferencing

Posted On: 13 APR 2017 8:30PM by PIB Delhi

मैं Indian Merchant Chamber के Ladies Wing को 50 वर्ष पूरे होने पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। किसी भी संस्था के लिए 50 वर्ष का पड़ाव बहुत अहम होता है और ये ऐसा कालखंड होता है कि व्य क्ति हो या संस्था हो, वो सोने की तरह तप करके निकलता है, चमकने लगता है; और शायद इसीलिए 50 वर्ष पूरे होने को Golden Jubilee भी कहते हैं। आप जिस संस्था का हिस्सा हैं उसका बहुत ही गौरवशाली इतिहास रहा है। स्वदेशी आंदोलन की पृष्ठिभूमि में इसकी स्थासपना हुई है। आपने भी पिछले 50 वर्ष महिलाओं के लिए काम करते हुए, कुछ न कुछ योगदान दिया है; और इसके लिए आपकी संस्था प्रशंसा की पात्र है। और पिछले 50 वर्ष में जिन-जिन लोगों ने इसका नेतृत्वि किया है, इसको आगे बढ़ाया है, वे सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं। 

आज की जो आर्थिक सामर्थ्य का जब विषय आता है, निर्णय में भागीदारी की बात आती है, जब भी महिलाओं में आर्थिक सामर्थ्य बढ़ा है; निर्णय में उनकी भागीदारी भी बढ़ी है। आप कोई भी सेक्टिर देखिए; जहां भी महिलाओं को सही अवसर मिला है, वो पुरुषों से दो कदम आगे ही निकल गई हैं। 

आज देश की महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, अंतरिक्ष में जा रही हैं, ओलम्पिक में देश को medal दिला रही हैं। पंचायत से ले करके parliament तक, गांव के well से ले करके silicon valley तक भारत की महिलाओं की धमक है। और इसलिए ये कल्पrना कि भारत की महिलाएं सिर्फ घरेलू हैं, ये एक myth है। अगर हम भारत के agriculture sector को देखें, dairy sector को देखें, कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि भारत के कृषि क्षेत्र को और पशुपालन के क्षेत्र में अगर सबसे बड़ा योगदान किसी का है; तो नारी शक्ति का है। 

अगर आप आदिवासी इलाके में चले जाएं, वहां पुरुषों की गतिविधि देखिए तो आपको अंदाज आएगा, और शाम के बाद तो हाल क्या होता है, और आदिवासी इलाके में जाइए महिलाएं जिस प्रकार से घर चलाती हैं, आर्थिक गतिविधि करती हैं, उसके पास जो कला है, कौशल्य है, कुटीर उ़द्योग है; आदिवासी महिलाओं में ये जो हुनर होता है, जो सामर्थ्य होता है, हम लोगों में उस तरफ ध्याहन नहीं जाता है; और मेरा मानना है कि हर व्यखक्ति में एक उद्यमी भी होता है, Business की समझ होती है। बस उसे सही मौका और मार्गदर्शन देने की जरूरत होती है। 

देश में कई स्थासनों पर Dairy business से जो महिलाएं जुड़ी हुई हैं, सीधे उनके bank account में पैसा transfer किया जाता है। और मेरा तो जहां-जहां भी डेयरी उद्योग के लोगों से मिलना होता है तो मैं आग्रह करता हूं कि आप डेयरी से संबंधित दूध भरने के लिए जब महिलाएं आती हैं, वो पैसे cash देने की बजाय अच्छाू होगा उस पशुपालक महिलाओं का ही अलग bank account हो, उन्हींप महिलाओं के account में पैसा जमा हो। आप देखिए, वो गांव की गरीब महिला भी जो एक गाय, एक भैंस पालती है जब उसके खाते में bank में जमा पैसे होते हैं वो एक empowerment feel करती है; पूरे घर में उसकी आवाज को notice किया जाता है, उसकी बात को सुना जाता है। जब तक इसको एक माला में पिरोते नहीं हैं, उसकी सारी मेहनत बिखर जाती है। और इसलिए इन छोटे-छोटे बदलाव भी एक नई ताकत देते हैं। 

आज देश में हजारों milk society को महिलाएं चला रही हैं। कई brand इसलिए कामयाब हुए हैं क्योंशकि उनके पीछे महिलाओं की ताकत थी, महिलाओं का श्रम था, उनका business acumen था। ये brand आज दुनियाभर के बड़े management स्कूलों के लिए भी case study बन चुके हैं। अब आप लिज्जdत पापड़ की कथा देखिए, एक जमाने में कुछ आदिवासी महिलाओं ने मिल करके लिज्ज त पापड़ को शुरू किया, एक प्रकार से कुटीर उद्योग के रूप में शुरू हुआ, और आज लिज्ज्त पापड़ ने कहां से कहां अपनी जगह बना ली; आप अमूल को देखें, हर घर में अमूल की पहचान बनी है। हजारों महिला दूध मंडलियों के द्वारा उसके अंदर बहुत बड़ा संचालन में और योगदान होता है; और उसी का परिणाम है कि इन्होंहने अपनी एक पहचान बनाई, एक जगह बनाई है। हमारे देश की महिलाओं में संयम भी है, सामर्थ्य भी है, और सफलता के लिए संघर्ष करने का हौसला भी है। आप जैसी संस्थाभएं उन्हेंक सही रास्ताभ दिखाने में मदद कर सकती हैं। 

Indian Merchant Chamber के साथ एक और गौरव भी जुड़ा हुआ है। और वो गौरव है स्वतयं महात्माM गांधी भी Indian Merchant Chamber के सदस्य थे। जिन लोगों ने गांधीजी के बारे में बहुत अध्यrयन किया होगा उनके ध्याhन में एक नाम आया होगा; जितनी बड़ी चर्चा उस नाम की होनी चाहिए, हुई नहीं है। और आज मैं आपसे भी आग्रह करूंगा कि जिस नाम का मैं उल्लेनख कर रहा हूं, आप भी कोशिश कीजिए; Google Guru के पास जा करके जरा पूछिए कि कौन से नाम की मैं चर्चा कर रहा हूं, और वो नाम है गंगा बा। बहुत कम लोगों को शायद ये गंगा बा के विषय में जानकारी है। 

महात्मा गांधीजी अफ्रीका से भारत लौटे, साबरमती आश्रम में उनका सार्वजनिक जीवन का प्रारंभ हुआ। तो उन्हेी गांव से पता चला, आज से 100 साल पहले की घटना की बात है ये! कि कोई गंगा बा है जो बहुत छोटी आयु में विधवा हो गई और वो समाज के रीतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ करके उसने पुन: अपनी शिक्षा शुरू की, पढ़ना शुरू किया। बहुत छोटी आयु में विधवा हो गई थी, उस समय तो 8, 10 साल की उम्र होगी शायद। और महात्मा गांधी गंगा बा को कहते थे वो बड़ी महा-साहसी महिला थी। जब गांधीजी ने उसके विषय में सुना तो गांधीजी साबरमती आश्रम से उनको मिलने के लिए चले गए। और जब गांधीजी गंगा बा से मिले तो गंगा बा ने गांधीजी को एक भेंट दी थी, एक gift दी थी। 

और आज जिस आजादी के आंदोलन के साथ जो चरखा गांधीजी के साथ हर पल दिखाई देता है, वो चरखा गंगा बा ने गांधीजी को भेंट दिया था। और women empowerment की बात वो चरखा के माध्यदम से गंगा बा ने गांधीजी को प्रेरणा दी थी। अब गंगा बा के नाम पर women empowerment को भी award भी दिया जाता है, उनके जीवन पर एक किताब भी निकली हुई है। मेरा कहने का तात्पगर्य ये है कि 100 साल पहले एक नारी में वो ताकत थी जो गांधीजी को भी आंख से आंख मिला करके women empowerment के विषय में खुल करके बात कर पाती थी। ये हमारे देश की नारी की ताकत है। 

हमारे समाज में भी एक नहीं, लाखों, करोड़ों गंगा बा हैं, बस उन्हेंथ सशक्ता empower करने की आवश्य कता है। आधुनिक भारत में मां, बहनों को सशक्तं करके ही देश आगे बढ़ सकता है। और इसी सोच के साथ सरकार प्रगतिशील फैसले ले रही है। जहां कानून बदलने की आवश्यतकता है, वहां कानून बदला जा रहा है; जहां नए नियम की जरूरत है, वहां नए नियम बनाए जा रहे हैं। अभी हाल ही में maternity act में बदलाव करके maternity leave को twelve week से बढ़ा करके 26 week कर दिया गया है; 12 हफ्ते से सीधा 26 हफ्ते। दुनिया के बड़े-बड़े, समृद्धशील देशों में भी आज ऐसे नियम नहीं हैं। 

Factory Act में भी बदलाव करके राज्योंे को सलाह दी गई है कि महिलाओं को रात्रि में काम करने के लिए सुविधा प्रदान की जाए। Disability act में भी बदलाव करके acid attack से जो पीडि़त महिलाएं हैं उन महिलाओं को वही सहायता, वही reservation देने का प्रावधान किया गया है, जो दिव्यांागों को मिलता है। इसके अलावा mobile fan के द्वारा नारी सुरक्षा को ले करके panic button के द्वारा एक पूरा पुलिस थाने के साथ networking का काम, बड़ी सफलतापूर्वक उसको workout किया गया है। Universal Helpline, 181 अब तो महिलाओं के लिए परिचित हो गया है। 

सरकार ने एक बड़ा महत्वयपूर्ण फैसला भी किया है कि सरकार की योजनाओं का लाभ जिन-जिन परिवारों को मिलता है, वे पहला हकदार उस परिवार की प्रमुख महिला होगी; जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना में इस बात को प्राथमिकता दी जा रही है कि घर की registry महिलाओं के नाम पर हो। हम जानते हैं कि अगर किसी महिला को पूछो; आज भी हमारे समाज की स्थिति है- घर किसके नाम पर, तो पति के नाम पर या बेटे के नाम पर; गाड़ी किसके नाम पर, तो पति के नाम पर या बेटे के नाम पर; स्कू टर भी लाया तो किसके नाम पर, तो पति के नाम पर या बेटे के नाम पर। सौहार्द स्व भाव जो हो कि महिला के नाम पर भी संपत्ति हो सकती है, उसके लिए थोड़ा प्रोत्सापहित करना पड़ता है, कुछ नियम बदलने पड़ते हैं, कुछ व्यसवस्थानओं को महिला- केंद्रित करनी पड़ती है, उसका परिणाम भी मिल रहा है। Passport के नियमों में भी एक बड़ा महत्वरपूर्ण बदलाव किया गया है; अब महिला को अपनी शादी का या तलाक का certificate देना जरूरी नहीं होगा। ये उसकी इच्छाै पर होगा कि वो Passport में अपने पिता का नाम लिखवाए या फिर मां का। सरकार हर स्तचर पर हर Ladder पर प्रयास कर रही है कि महिलाएं नौकरी के लिए, स्वसरोजगार के लिए, स्व यं हो करके आगे आएं। 

आप सबको पता होगा एक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना पिछले तीन साल से चल रही है। पिछले दो साल में लगभग तीन लाख करोड़ रुपया बैंकों से कर्ज दिया गया है, और किसी भी गारंटी के बिना दिया गया है। आपको जान करके आनंद भी होगा, आश्चसर्य भी होगा, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत जो कर्ज लेने वाले सात करोड़ खाताधारकों में से 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। कोई भी हिन्दु स्ता नी इस बात से गर्व कर सकता है कि बैंक से 3 लाख करोड़ रुपयों का कर्ज दिया गया; उन लेने वालों में 70 प्रतिशत महिलाएं हैं। सरकार ने तो Standup India कार्यक्रम के तहत भी महिला उद्यमों को अपने रोजगार के लिए 10 लाख से एक करोड़ रुपये तक का कर्ज without any guarantee देने का शुरू किया है। 

गरीब महिलाएं घर से निकलकर काम कर सकें, रसोई के धुंए से उन्हेु मुक्ति मिले; अभी दीपक जी उसका बड़ा वर्णन कर रहे थे और इसलिए उज्व्य ला योजना के तहत अब तक दो करोड़ से ज्यासदा महिलाओं को मुफ्त गैस कनैक्श‍न दिया गया है। 

मैं इसको जरा विस्तािर से कहना चाहता हूं आप लोगों को। जब मैंने लालकिले पर से देश के लोगों से कहा था कि अगर आपको जरूरत नहीं है तो आप गैस सिलेंडर की subsidy क्यों लेते हैं? और अमीर घर में भी सोचा नहीं गया था, subsidy का गैस आता था लेते थे। ..... लेकिन जब मैंने देशवासियों को कहा, एक करोड़ 20 लाख से ज्या दा परिवारों ने अपनी गैस subsidy surrender कर दी। और तब मैंने कहा था कि ये गैस subsidy जो surrender हुई है, मैं ये गरीबों को transfer कर दूंगा। 

एक समय था हमारे देश में parliament के member को gas connection के लिए 25 coupon दी जाती थी ताकि वो अपने इलाके के लोगों को oblige कर सके। और MP के घर लोग चक्क.र काटते थे कि उनके परिवार को एक gas connection मिल जाए। Gas connection की coupon की कालाबाजारी होती थी। 2014 का जो चुनाव हुआ था, एक पार्टी इस मुद्दे पर चुनाव लड़ रही थी लोकसभा का; जो मेरे खिलाफ लड़ रहे थे, उनका मुद्दा ये कि अब नौ सिलेंडर देंगे या 12 सिलेंडर देंगे? हिन्दु.स्तांन की लोकसभा का चुनाव, देश का प्रधानमंत्री कौन हो? देश की सरकार क्याग हो? एक political party का agenda था कि 9 सिलेंडर मिलेंगे या 12 सिलेंडर? आप कल्पहना कर सकते हैं कि 2014 में जब 9 और 12 के बीच में हम अटके पड़े थे, इस सरकार ने पिछले 11 महीने में एक करोड़ 20 लाख परिवारों को गैस का चूल्हाच पहुंचा दिया है। 

और ये, आप माताएं, बहनें यहां बैठी हैं, आप इसका अंदाज कर सकते हैं; जब लकड़ी का चूल्हा1 जला करके मां खाना पकाती है तो एक दिन में उसके शरीर में 400 सिगरेट का धुंआ जाता है। बच्चेर घर में खेलते हैं तब क्यां होता होगा? उनके शरीर का हाल क्यात होता होगा? उस पीड़ा को समझ करके, उस वेदना को समझ करके इन मां, बहनों को लकड़ी के चूल्हे के धुंए से मुक्ति दिलाने का मैंने एक अभियान छेड़ा। और आने वाले दो साल में, 11 महीने हो चुके; दूसरे दो साल में पांच करोड़ परिवारों को, जोकि हमारे गरीबतर; हिन्दुीस्ताधन में total 25 करोड़ परिवार हैं। 5 करोड़ परिवारों को इस धुंए से मुक्ति दिलाने का एक बहुत बड़ा बीड़ा उठाया है। 

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत इस काम को, और जैसा अभी दीपक जी बता रहे थे, योजना एक बात है, कानून-नियम एक बात है, सामान्य मानवी की जिंदगी में बदलाव तब आता है जब उसका implementation होता है, आखिरी छोर पर बैठे हुए व्यीक्ति तक वो व्यनवस्थाउ पहुंचती है और इस सरकार की ये पहचान है कि यहां पर योजनाओं की संकल्पीना की जाती है, road map तैयार किया जाता है, और उसको परिपूर्ण करने के लिए लगातार monitoring हो करके उसको साकार किया जाता है। 

पंडित दीनदयाल उपाध्याकय की जन्म -शताब्दीै चल रही है, दीनदयाल अंत्योnदय योजना के तहत पिछले ढाई साल में 10 लाख से ज्या।दा women self-help group बनाए गए हैं, जिसमें लगभग साढ़े तीन करोड़ महिलाओं को जोड़ा गया है। इस वर्ष बजट में भी 500 करोड़ के निवेश के साथ महिला-शक्ति केंद्रों की स्थाैपना का भी एलान किया गया है। बेटियों को बचत पर ज्या दा ब्यामज मिल सके, इसलिए सु‍कन्याल समृद्धि योजना चलाई जा रही है। अब तक एक करोड़ से जयादा बेटियों के account इस योजना के तहत खोले जा चुके हैं। 

हमारे देश में माता-मृत्युनदर, शिशु-मृत्युनदर, प्रसूता मां का मरना, कभी-कभी pregnancy में मां और बेटी, दोनों का, बच्चेु दोनों का मरना; ये बड़ी दर्दनाक स्थिति है हमारे देश में। जितनी ज्याेदा institutional delivery बढ़ेगी, इतने हम माताओं की जिंदगी बचा पाएंगे, बच्चोंस की जिंदगी बचा पाएंगे। और इसलिए institutional delivery को बढ़ावा देने के लिए गरीब गर्भवती महिलाओं के account में 6000 रुपये की राशि तीन किश्तोंो में सीधी transfer की जा रही है। 

ये फैसले अगर आप अलग-थलग देखेंगे तो शायद अंदाज नहीं आयेगा कि भारत की नारी शक्ति के empowerment के लिए, उनके quality of life में बदलाव लाने के लिए क्या हो रहा है। लेकिन ऐसी कई योजनाओं को जब एक साथ देखेंगे तो आपको अंदाज आएगा कि सरकार नारी के empowerment के लिए, भारत के विकास में नारी शक्ति की भागीदारी के लिए कितनी सोची-समझी योजना के तहत एक-एक चीजों को आगे बढ़ा रही है और कितने व्याकपक स्तीर पर काम हो रहा है। 

Friends, आज देश की 65 प्रतिशत से ज्या दा जनसंख्यात 35 साल से कम उम्र की है। उसके अपने सपने हैं। वो कुछ कर गुजरना चाहते हैं। वो अपने सपने पूरे कर सकें, अपन ऊर्जा को सही इस्ते माल कर सकें, इसके लिए सरकार हर स्तकर पर, हर तरीके से जुटी हुई है, लेकिन उसमें आप जैसी संस्थाकएं, आप जैसी एजेंसियां; इनका भरपूर योगदान आवश्यहक होता है। 

और मेरा आपसे आग्रह है कि जब 2022 में, और मैं ये विशेष रूप से आग्रह करूंगा यहां बैठे हुए IMC के सभी महानुभावों से, कि जब 2022 में देश अपनी स्वंतंत्रता के 75 वर्ष मना रहा होगा, आजादी के 75 साल हो रहे हैं 2022 में; अभी पांच साल हमारे पास बाकी हैं। हम अभी से हर व्य क्ति, हर परिवार, हर संगठन, हर सामाजिक व्य्वस्थाा, हर गांव और शहर, हर कोई मिल करके अपने लिए कोई लक्ष्य7 तय कर सकते हैं क्याग? कि हम 2022 तक व्य क्ति के नाते मेरे द्वारा समाज के लिए करूं, संस्थात के द्वारा मैं देश के लिए समाज के लिए करूं। आज हम आजादी की जिंदगी जी रहे हैं। हम अपने फैसले खुद कर रहे हैं। सवा सौ करोड़ देशवासी अपने भाग्यद के नियंता हैं। जिन आजादी के दीवानों ने देश को आजादी दिलाने के लिए अपने-आपको बलि चढ़ा दिया, जवानी जेल में काट दी, कष्टअ झेले, कुछ नौजवान फांसी के तख्तअ पर चढ़ गए, कुछ लोगों ने अपनी जवानी अंडेमान-निकोबार में काट दी; क्या, उनके सपने पूरे करना हमारा दायित्वि नहीं है? और जब मैं हमारा दायित्वद कहता हूं तब मैं सिर्फ सरकार की बात नहीं करता हूं, मैं सवा सौ करोड़ देशवासियों की बात करता हूं। 

मैं आपसे आग्रह कर रहा हूं, हम जहां भी जाएं जिसके भी साथ बैठैं, 2022- आजादी के 75 साल; जैसे आजादी के पहले गांधीजी के नेतृत्वि में हर गतिविधि आजादी लेकर रहेंगे करते थे, आजादी के लिए अपने-आपको जोड़ कर रखते थे। कोई सफाई अभियान करता था तो भी आजादी के लिए करता था, कोई खादी बुनता था तो भी आजादी के लिए करता था। कोई लोगों को पढ़ाई का काम करता था तो भी आजादी के लिए करता था। कोई स्वददेशी का आग्रह करता था तो भी आजादी के लिए करता था। हर कोई जेल नहीं जाता था, हर लोग फांसी के तख्तेे पर नहीं चढ़ते थे लेकिन जहां थे वहां आजादी के लिए कुछ करते थे। क्यार हम 2022, आजादी के 75 साल, हमारे अपने योगदान के साथ मना सकते हैं क्या्? मैं आज आप सबको इसके लिए आग्रह करता हूं कि हम 2022 के लिए कोई संकल्पम करें, सपने संजोंए और देश और समाज के लिए कुछ कर गुजरने के लिए कुछ कदम हम भी चल पड़ें; ये मेरी आपसे अपेक्षा है। देश के अलग-अलग हिस्सोंम में मध्यं महिला-उद्ममी बहुत छोटे स्त।र पर जो product तैयार कर रही है वो कैसे एक बड़े platform पर market प्राप्त् करें, National, International; जहां भी हम पहुंचा सकें। वो अपनी पैठ कैसे बना सकती हैं, क्यों् उन्हेंत इस बारे में जागरूक करने के लिए कोई अभियान शुरू किया जा सकता है? 2022 twenty-twenty two तक कोई target fix किया जा सकता है कि इस लक्ष्य को ध्यांन में रखते हुए 500 या 100 कैम्पt लगाए जाएंगे। एक छोटा सा experiment, आपको मैं सुझाव देना चाहूंगा, आप जैसी एक catalytic agent हो जो संस्थाा काम कर रही हो, corporate house हो जो कुछ न कुछ product करते होंगे, और women self-help group. Corporate house इन women self-help group को skill development का काम करें, उनके raw material दें, और जिस प्रकार के product की जरूरत उस Corporate house को है; women self-help group से करवा दें। और Corporate house अपनी बड़ी product के साथ इसको जोड़ करके marketing करे। आप देखिए कम खर्चे में एक बहुत बड़ा एक eco system तैयार होगा, जहां सरकार के कहीं बीच में आए बिना भी गरीब से गरीब लोगों को काम का अवसर मिल जाएगा। और इस दिशा में हम काम कर सकते हैं। 

आज भारत में वो ताकत है, वो दुनियाभर में अपने मेहनती और कुशल कामगारों को भेज सकता है। क्याा आपकी संस्था इस तरह का कोई Online platform develop कर सकती हैं? जिससे नौजवानों को ये पता चले कि दुनिया के किस देश में इस समय किस तरह के skill की demand है। 

सरकार national entrepreneurship promotion scheme चला रही है। इसके तहत सरकार 50 लाख युवाओं को sponsor कराना चाहती है। क्याn आपकी संस्था। कम्पतनियों में scheme को ले करके जागरूकता का अभियान चलाया जा सकता है? ताकि ज्याeदा से ज्या‍दा युवाओं को, महिलाओं को रोजगार के लिए अवसर मिले। कौशल विकास की training लेने वाले युवाओं को नौकरी के लिए सरकार private sector की कम्पmनियों से भी समझौता कर रही है। ज्याकदा से ज्याीदा कम्पलनियां इस अभियान से जुड़ें, इसके लिए आपकी संस्थाै किस प्रकार से मदद कर सकती हैं, इस बारे में भी आपको सोचना चाहिए। 

क्या State level bankers committee को मजबूत करने के लिए आपकी संस्थाै कोई सहयोग दे सकती हैं? इसी तरह क्याb बैंकों के training institution में आपकी संस्था के प्रतिनिधि जाकर क्या अपना योगदान दे सकते हैं? IMC के ladies wing की हर सदस्यक business की बारिकियों के बारे में गहरी समझ है। वो उठते-बैठते पैसे, business, व्याआपार; ये सब चर्चा करना उनके स्वेभाव में है। अपना business शुरू करने में किस-किस प्रकार की दिक्कातें आती हैं, उनको भलीभांति पता है। उन दिक्कउतों से सामना करते हुए कैसे आगे निकला जाए, उसका अपना अनुभव है। और वे जो नए लोग हैं उनका हाथ पकड़ करके उनको इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। 

और इसलिए मैं आशा करूंगा कि आपके संगठन के माध्य म से समाज के सामान्य् स्त र के लोग, जिनका आप लोगों के बीच बैठना-उठना संभव नहीं है; उनके पास जा करके उनको हम नई ताकत दे सकते हैं। 

अभी हमारे दीपक जी GST के विषय में कह रहे थे। समय रहते हुए GST के संबंध में हम लोगों को उद्यमियों को, खास करके महिला उद्यमियों को उनके कोई छोटे, छोटे, छोटे study camp लगा सकते हैं क्याS? Technology का कैसे उपयोग करना है? GST को stream-less कैसे बनाना है? Tax-system नई क्याम है? उससे सामान्यन जो व्यGक्ति हैं उसकी सुविधा कितनी बढ़ने वाली है? ये सारी बातें अगर हम बता सकते हैं तो मुझे विश्वा स है कि GST जो कि कितने वर्षों से मांग थी। हर कोई चाहता था, अब हुआ है तो सफल बनाने के लिए हम सबका भी योगदान बहुत आवश्यरक है। 

और लोकतंत्र जिस रूप में हमने जाना-समझा है उसको थोड़ा बदलने की आवश्य कता है। ज्याोदातर ये माना गया पांच साल में एक बार गए, बटन दबा दिया, उंगली पर काला टिकवा लगा दिया तो देश का लोकतंत्र हो गया। जी नहीं, लोकतंत्र हर पल भागीदारी का, भागीदारी की यात्रा है। हर स्तार पर, हर व्य क्ति की भागीदारी के बिना लोकतंत्र सफल नहीं होता है। सरकार कोई contractor नहीं है जिसको हमारा भाग्य बदलने का हमने contract दे दिया, पांच साल में वो भाग्यc बदल देंगे। सरकार और जनता एक मजबूत साझेदारी होती है जो मिल करके देश का भाग्यग बदलते हैं, देश की अर्थव्यतवस्थाो को बदलते हैं, देश की नई पीढ़ी के सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास करते हैं। आइए, 21वीं सदी के विश्वक में जिस प्रकार की चुनौतियां हैं, विश्व में जिस प्रकार का माहौल बदला है; हम भी मिल करके New India का सपना ले करके चलें। New India का हमारा अपना कोई संकल्पय होना चाहिए। New India का हमारा अपना कुछ न कुछ योगदान करने का road map होना चाहिए। मैंने कुछ सुझाव आज आपके सामने रखे हैं, हो सकता है इससे भी बेहतर option आपके पास होंगे। मेरी आपसे अपील है कि आप जो भी लक्ष्या तय करें उसमें पूरी ताकत के साथ जुट जाएं। New India देश के सवा सौ करोड़ लोंगों का सपना है। इस सपने को पूरा करने के लिए सवा सौ करोड़ भारतीयों को मिलकर रास्तेो निकालने होंगे, मिलकर काम करना होगा। और इन्हीं। शब्दोंर के साथ मैं अपनी बात खत्मि करता हूं। 

IMC की ladies wing को 50 वर्ष पूरे होने पर मैं फिर से एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं स्व यं वहां पर नहीं आ पाया, समय की सीमा थी। लेकिन फिर भी आप लोगों ने मुझे, मेरी बात कहने का अवसर दिया, सबके दर्शन करने का मौका मिला। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। 

धन्यवाद। 
 

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AKT/AK/NS 


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