श्रम और रोजगार मंत्रालय

असंगठित श्रमिकों के लिए इस वर्ष 15,705 मकान मंज़ूर किए गए


एनसीएस परियोजना 3.92 करोड़ नौकरी खोजने वालों और 14.86 लाख नियोक्ताओं को एक मंच पर लाई

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति को व्यावसायिक मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए 25 एनसीएस केंद्र स्थापित किए गए


Posted On: 18 DEC 2017 8:27PM by PIB Delhi

वर्षांत समीक्षा-2017

 

श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय प्रत्येक श्रमिक को नौकरी की सुरक्षा, न्यूनतम मज़दूरी की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के प्रति कृतसंकल्प है। श्रम कानूनों का अनुपालन कराने में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के साथ-साथ श्रम मंत्रालय ने सामाजिक सुरक्षा एवं रोज़गार की गुणवत्ता को बढ़ाने वाले प्रावधानों के ज़रिए प्रत्येक श्रमिक के सम्मान को बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

भारत सरकार देश के विकास रणनीति के केन्द्र में रोज़गार को लाने, मेक इन इंडिया के जरिए औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देने, कौशल विकास के माध्यम से रोज़गार को बढ़ाने और स्टार्ट अप इंडिया के जरिए नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक व्यापक रणनीति पर काम कर रही है।

 

I.श्रमिक कल्याण के क्षेत्र में मुख्य उपलब्धियां

  1. मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017

भुगतानशुदा मातृत्व अवकाश को 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 सप्ताह करने के लिए 01 अप्रैल 2017 से मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 को लागू किया जा चुका है। इस अधिनियम में प्रावधान किया गया है कि 50 अथवा उससे अधिक कर्मचारी वाले संस्थानों में अनिवार्य रूप से क्रेच की सुविधा अथवा घर पर रहकर काम करने की सुविधा मुहैया कराई जाएगी। पहली बार इस अधिनियम में कमिशनिंग मां और दत्तक मां दोनों के लिए 12 सप्ताह तक भुगतानशुदा मातृत्व अवकाश का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम से करीब 18 लाख महिला कर्मचारी लाभान्वित हो चुकी हैं।

 

2. बाल श्रम (निषेध और नियमन) संशोधन नियम, 2017

  1. बाल श्रम (निषेध और नियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 को 01 सितंबर 2016 को लागू किया गया था। यह संशोधन 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को काम पर रखने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के साथ, 30 अगस्त 2017 को अधिसूचित खतरनाक कारोबार और व्यवसाय की अनुसूची के अनुसार खतरनाक कारोबार एवं व्यवसाय में किशोरों (14 से 18 आयु वर्ग के बच्चे) को रोज़गार पर रखने पर भी प्रतिबंध लगाता है। श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने उपर्युक्त अधिनियम में निम्नलिखित संशोधन कर बाल श्रम (निषेध और नियमन) संशोधन नियम, 2017 को 02 जून 2017 को भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया है। अतः अब भारत ने बाल श्रम पर दो महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) सम्मेलन 138  और 182 को अंगीकार कर लिया है।
  2. बाल मज़दूर मुक्त भारत के उद्देश्य को हासिल करने के क्रम में मंत्रालय ने संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक मानक परिचालन तंत्र (एसओपी) तैयार किया है।
  3. पेंसिलः संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 और राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) योजना के प्रावधानों के प्रभावशाली तरीके से कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के क्रम में इनकी बेहतर निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली के लिए 26 सितंबर 2017 को एक ऑनलाइन पोर्टल शुरू किया गया। अब तक देश के कुल 710 ज़िलों में से 431 ज़िलों के ज़िला नोडल अधिकारी इस पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं। बाल एवं किशोर श्रमिकों के शैक्षणिक पुनर्वास के उद्देश्य से जारी एनसीएलपी योजना के बेहतर कार्यान्वयन के लिए एनसीएलपी की सभी चालू परियोजना सोसायटियों को इस पोर्टल पर पंजीकृत किया जाता है।

3. असंगठित श्रमिकों का कल्याण

  1. बीड़ी, चलचित्र और गैर कोयला खान श्रमिकों के लिए गृह सब्सिडी को 40,000 से बढ़ाकर 1,50,000 रुपये किया जा चुका है। इस वर्ष 25.5 करोड़ रुपये की लागत से 15,705 मकानों को मंज़ूरी दी जा चुकी है।
  2. पुनर्निर्मित बंधुआ मज़दूर पुनर्वास योजना का कार्यान्वयनः 6413 बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास के लिए 15 दिसंबर 2017 तक 664.50 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई है। इसके अतिरिक्त सर्वेक्षण करने, जागरूकता निर्माण और मूल्यांकन अध्ययन करने के उद्देश्य से वर्ष 2017-18 में 107.25 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई है।

4. न्यूनतम मज़दूरी संशोधनः

केन्द्रीय स्तर पर कृषि, गैर कृषि, निर्माण सहित लगभग सभी क्षेत्रों में न्यूनतम मज़दूरी में लगभग 40 फीसदी की वृद्धि हुई है। गैर कृषि क्षेत्र श्रमिकों की न्यूनतम मज़दूरी सी श्रेणी के क्षेत्रों में 250 रुपये से बढ़कर 350 रुपये, बी श्रेणी में 437 रुपये और ए श्रेणी में 523 रुपये हो गई है। इस संबंध में 27 फरवरी 2017 को एक अधिसूचना (संशोधित) जारी की जा चुकी है।

5. मज़दूरी का भुगतान (संशोधन) अधिनियम, 2017- वर्तमान में प्रभावी अधिनियम नियोक्ताओं को अपने कर्मचारियों को नकद अथवा चेक अथवा सीधे कर्मचारी के खाते में मज़दूरी का भुगतान करने में सक्षम बनाता है, इसके साथ ही अधिनियम में प्रावधान है कि उपयुक्त सरकारें अधिकृत राजपत्र में अधिसूचना जारी कर यह अनिवार्य कर सकते हैं कि कोई भी उद्योग अथवा अन्य संस्थान अपने कर्मचारियों को केवल चेक अथवा बैंक खाते में सीधे भुगतान के ज़रिए ही तनख्वाह देगा। इस संबंध में केन्द्र के अंतर्गत आने वाले रेलवे, वायु परिवहन सेवाएं, खनन और तेल क्षेत्रों के लिए 25 अप्रैल 2017 को अधिसूचना जारी की जा चुकी है। इससे श्रमिकों के औपचारिकीकरण की दिशा में आने वाले बदलावों में मदद मिलेगी।

6.   मज़दूरी भुगतान अधिनियम, 1936 – अधिनियम के खंड 1 के उपखंड (6) में प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए केन्द्र सरकार ने 29 अगस्त 2017 को जारी राजपत्रित अधिसूचना के जरिए मज़दूरी की सीमा को 18,000 रुपये से बढ़ाकर 24,000 रुपये प्रतिमाह कर दिया है।

7.   बैंक खाता खोलना –

नकदरहित मज़दूरी सुनिश्चित करने के लिए श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय ने नवंबर 2016 से अप्रैल 2017 तक श्रमिकों के बैंक खाते खुलवाने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया। देशभर में 1,50,803 शिविर लगाए गए, जिनमें नकदरहित मज़दूरी मज़दूरी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 49,66,489 श्रमिकों के बैंक खाते खोले गए।

II. ईपीएफओ द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमः

  1. ईपीएफओ का कर्मचारी पंजीकरण अभियान (ईईसी) – सरकार ने पंजीकरण से छूट गए कर्मचारियों को पंजीकृत करने के लिए जनवरी 2017 में ईईसी की शुरुआत की थी और इसके तहत नियोक्ताओं को प्रशासनिक शुल्क में छूट, नाममात्र क्षति एक रुपया प्रति वर्ष और यदि कर्मचारी का अंश जमा नहीं किया गया है तो उस पर छूट आदि दी गई थी। इस अभियान के अंतर्गत, जनवरी 2017 से जून 2017 के बीच करीब 1.01 करोड़ अतिरिक्त कर्मचारियों को ईपीएफओ के साथ पंजीकृत किया गया।
  2. यूनिवर्सल खाता संख्या (यूएएन)- 12 दिसंबर 2017 तक ईपीएफ खाते को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित करने की सुविधा देने वाला संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को जारी किया गया यूएएन 12,26,13,675 कर्मचारियों को लाभांवित कर रहा है। इसके अतिरिक्त 2,56,59,988 कर्मचारियों के खातों को आधार से जोड़ने का कार्य पूरा कर लिया गया है। इन खातों के संबंध में कर्मचारियों के लिए ऑनलाइन और मोबाइल सेवाएं (उमंग एप के जरिए) भी उपलब्ध हैं।
  3. ईपीएफओ के सदस्यों की आवास संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से ईपीएफओ ने 12 अप्रैल 2017 को एक आवास योजना भी अधिसूचित की, जिसके तहत सदस्यों को अपनी भविष्य निधि से धन निकालने की अनुमति है।

 

  1. मल्टिपल बैंकिंग प्रणालीः केवल भारतीय स्टेट बैंक के बजाय संस्थानों के पास अब 13 अलग-अलग बैंकों के जरिए प्रत्यक्ष भुगतान करने का विकल्प उपलब्ध है। इनमें एसबीआई, इलाहाबाद बैंक, इंडियन बैंक, पीएनबी, यूबीआई, बैंक ऑफ बड़ौदा, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस बैंक, कोटेक महिन्द्रा बैंक, इंडियन ओवरसीज़ बैंक और आईडीबीआई बैंक शामिल हैं।
  2. ऑनलाइन दावा पावती और अन्य सेवाएं
    1. नियोक्ता बिना किसी झंझट के अपने अंशदान का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से कर सकते हैं। अंशदान सदस्य के खाते में चार दिन के भीतर जमा कर दिया जाता है।
    1. नाम, जन्म तिथि और लिंग परिवर्तन आदि के लिए भी ऑनलाइन सुविधा शुरू की गई है।
    2. पेंशनभोगियों की सुविधा के लिए डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र की शुरूआत की गई।
    3. छूट वाले प्रतिष्ठानों के लिए ऑनलाइन रिटर्न फाइल करने की सुविधा।
    4. ई-कोर्ट मैनेजमेंट प्रणाली के जरिए श्रमिकों एवं संस्थानों से जुड़े मामलों के लिए ऑनलाइन प्रोसेसिंग की सुविधा।

6  केन्द्रीयकृत सेवाएः सभी 120 ईपीएफओ कार्यालयों को देशभर में सहज इंटरफेस के लिए राष्ट्रीय डेटा केन्द्र पर समेकित डेटाबेस में तब्दील कर दिया गया है।

7. अंतरराष्ट्रीय कर्मचारीः

    1. विदेशों में भारतीय पेशेवरों, कौशल कर्मियों आदि के हितों की रक्षा करने के लिए 19 देशों के साथ द्विपक्षीय सामाजिक सुरक्षा समझौता (एसएसए) किया गया है, ईपीएफओ इसकी नोडल कार्यान्वयन एजेंसी है।
    1. कवरेज प्रमाणपत्र बनाने के लिए ऑनलाइन सेवा शुरू की जा चुकी है।
    2. अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों के दावों का निपटान भारत में कार्य के अंतिम दिन ही किया जा रहा है।
    3. 2017 में ही भारत ब्राज़ील के बीच बातचीत के लिए प्रशासनिक प्रबंधों को अंतिम रूप दे दिया गया।

III. ईएसआईसी द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमः

1. सामाजिक सुरक्षा के दायरे में कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरीः

    1. 31 मार्च 2017 के अनुसार, ईएसआईसी योजना के अंतर्गत कवर बीमित व्यक्तियों की संख्या बढ़कर 3.19 करोड़ हो गई है, और इस योजना के अंतर्गत आने वाले लाभार्थियों की संख्या 12.40 करोड़ पहुंच गई है।
    2. ईएसआईसी अधिनियम के अंतर्गत 01 जनवरी 2017 से इस योजना का लाभ उठाने के लिए कर्मचारियों की मज़दूरी की अधिकतम सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये किया गया है।

2,    कवरेज विस्तारः

a    30 नवंबर 2017 तक ईएसआईसी योजना 325 ज़िलों में पूर्ण रूप से, 85 ज़िलों में आंशिक रूप से और 93 ज़िला मुख्यालयों में लागू हो चुकी है।

b    1,14,352 अतिरिक्त फैक्टरी/संस्थानों को इस योजना के दायरे में लाया गया। 31 मार्च 2017 तक, इस योजना के अंतर्गत कवर होने वाली फैक्टरी/संस्थानों की कुल संख्या 8,98,138 थी, जबकि पिछले वर्ष मार्च 2016 के अंत तक यह संख्या मात्र 7,83,786 थी।

 

    1. प्रत्येक कर्मचारी तक इस कवरेज का विस्तार करने के लिए ईएसआईसी ने नियोक्ता के अनुकूल स्कीम फॉर प्रोमोटिंग रजिस्ट्रेशन ऑफ एम्प्लोयर एंड एम्प्लोयी (एसपीआरईई) नामक नई योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत 30 जून 2017 तक कुल 1,02,013 नियोक्ता और 1,30,78,766 कर्मचारियों को ईएसआईसी के दायरे में लाया गया।

3     बीमित व्यक्तियों और नियोक्ताओं का सशक्तिकरणः

    • ई-बिज़ प्लेटफॉर्मः ईएसआईसी केन्द्र सरकार का पहला ऐसा संगठन था, जिसने व्यावसायिक परिदृश्य को सरल बनाने और लेनदेन लागत कम करने को प्रोत्साहित करने के लिए औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के ई-बिज़ पोर्टल के ज़रिए अपनी सेवाओं को एकीकृत किया।
    • ई-पहचानः आधार संख्या के जरिए बीमित व्यक्ति की पहचान स्थापित करने के लिए उस व्यक्ति की बीमा संख्या से आधार लिंक करने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसने विभिन्न प्रकार के लाभों को प्रेषित की दिशा में बीमित व्यक्ति और लाभार्थियों के पहचान की प्रक्रिया को सरल किया। इस प्रक्रिया ने बीमित व्यक्ति और उनके आश्रितों को पहचान कार्ड लेने के लिए ईएसआईसी के कार्यालयों के चक्कर लगाने से बचाया।

IV. मज़दूरी संहिता विधेयक, 2017-

यह निम्नलिखित चार श्रम कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों को तर्कसंगत, एकीकृत और सरल बनाने का कार्य करता हैः

न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, 1948

मज़दूरी का भुगतान अधिनियम, 1936

बोनस का भुगतान अधिनियम, 1965 और

समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976

मज़दूरी विधेयक 2017 का मसौदा 10 अगस्त 2017 को लोकसभा में पेश किया जा चुका है।

V. श्रम सुविधा पोर्टलः

i. ईपीएफओ और ईएसआईसी पंजीकरण के लिए एकीकृत पंजीकरण आवेदन फॉर्म की सुविधा शुरू।

  1. ईपीएफओ और ईएसआईसी के एकीकृत रिटर्न की सुविधा शुरू।
  2. 12 दिसंबर 2017 तक एलआईएन आवंटित संस्थानों की कुल संख्या 22,92,586 है।
  3. 9 श्रम कानूनों के लिए 16,000 से अधिक एकल रिटर्न को भरा गया।

VI. रोज़गार सृजन को सुविधाजनक बनाने के लिए प्रमुख कदमः

  1. राष्ट्रीय करियर सेवा (एनसीएस) - राष्ट्रीय करियर सेवा परियोजना नियोक्ता, प्रशिक्षकों और बेरोज़गारों को एक मंच पर लाती है। 31 अक्टूबर 2017 तक 3.92 करोड़ नौकरी की खोज करने वाले और 14.86 लाख नियोक्ताओं को इसमें पंजीकृत किया जा चुका है और इस पोर्टल के जरिए 7.73 लाख नौकरियों को बढ़ावा देने एवं उनको सृजित करने की दिशा में कार्य चल रहा है। नौकरी ढ़ूंढ़ने वालों के पंजीकरण विस्तार करने के लिए डाक विभाग के साथ मिलकर एनसीएस को आगे बढ़ाया जा रहा है और डाक घरों के जरिए भी पंजीकरण किए जा रहे हैं। युवाओं के लिए रोज़गार के अवसरों की पहुंच बढ़ाने और उन्हें समृद्ध करने के उद्देश्य से अग्रणी जॉब पोर्टल, प्लेसमेंट संगठनों और प्रतिष्ठित संस्थानों के साथ 22 रणनीतिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। सरकार ने हाल ही में सरकारी नौकरियों की जानकारी को एनसीएस पोर्टल पर पोस्ट करने को अनिवार्य कर दिया है।
  2. व्यावसायिक मार्गदर्शन एवं परामर्श और कंप्यूटर पाठ्यक्रमों का प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए 25 राष्ट्रीय करियर सेवा केन्द्र स्थापित किए गए हैं। 2017-18 के दौरान, नवंबर 2017 तक करीब 1,11,146 उम्मीदवारों को व्यावसायिक मार्गदर्शन, 8,109 उम्मीदवारों को सेक्रेटेरियल प्रैक्टिस पाठ्यक्रम, 1,300 उम्मीदवारों को विशेष कोचिंग योजना पाठ्यक्रम और 3,000 उम्मीदवारों को कंप्यूटर पाठ्यक्रम का प्रशिक्षण दिया गया है। 25 एनसीएस (एनसीएस एससी/एसटी) को एनसीएस परियोजना के साथ एकीकृत किया जा चुका है।
  3. आर्थिक पुनर्वास की प्रक्रिया में दिव्‍यांगों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण, व्यावसायिक मार्गदर्शन, और करियर काउंसलिंग देने के लिए 21 राष्ट्रीय करियर सेवा केन्द्र (एनसीएससीडीए) स्थापित किए जा चुके हैं। 2017-18 के दौरान, 35,415 दिव्‍यांगों का मूल्यांकन कर उनका रोज़गारोन्मुखी कौशल के प्रति मार्गदर्शन किया गया और करीब 6,440 लोगों को विभिन्न संगठनों में रोज़गार दिया गया।
  4. आदर्श करियर केन्द्रः गुणवत्तापरक रोज़गार सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने 100 आदर्श करियर केन्द्र स्थापित करने को मंज़ूरी दी है। इन केन्द्रों को राज्यों और विभिन्न संस्थानों के सहयोग से स्थापित किया जा रहा है। 762 रोज़गार अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
  5. जॉब फेयरः 30 नवंबर 2017 तक 725 जॉब फेयर का आयोजन किया गया।
  6. प्रधानमंत्री रोज़गार प्रोत्साहन योजना (पीएमआरपीवाई) – नए रोज़गार सृजित करने के क्रम में नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार प्रधानमंत्री रोज़गार प्रोत्साहन योजना को लागू कर रही है। 09 अगस्त 2016 को शुरू हुई योजना के तहत ईपीएफओ में पंजीकरण कराने वाले सभी नए कर्मचारियों को भारत सरकार कर्मचारी पेंशन योजना अंशदान के रूप में पहले तीन वर्षों तक 8.33 फीसदी का योगदान देगी। यह योजना प्रतिमाह 15,000 रुपये तक की आय वालों पर लागू है। इस योजना के लिए एकमुश्त 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान बजट में किया गया है। वस्त्र उद्योग के क्षेत्र में नवंबर 2017 तक सभी नए कर्मियों के लिए भारत सरकार संपूर्ण 12 फीसदी नियोक्ता अंशदान (8.33 फीसदी ईपीएस एवं 3.67 फीसदी ईपीएफ) का भुगतान कर रही है। 21,841 संगठन पीएमआरपीवाई योजना के तहत पंजीकृत हुए और 13,74,626 लाभार्थियों को ईपीएस अंशदान की प्रतिपूर्ति की गई। अब तक इस योजना पर करीब 178 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।

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वीके/एएम/पी/जीआरएस- 6086

 



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