रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय

रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय : वर्षांत समीक्षा-2017

Posted On: 22 DEC 2017 7:20PM by PIB Delhi

उर्वरक विभाग

यूरिया मूल्य निर्धारण नीति – 2015: नई यूरिया नीति-2015 को 25 मई, 2015 को अधिसूचित किया गया था। इसके उद्देश्य ये रहे हैं:

  • स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम स्तर पर पहुंचाना
  • यूरिया इकाइयों की ऊर्जा दक्षता बढ़ाना
  • भारत सरकार पर सब्सिडी बोझ को तर्कसंगत करना
  • लागत से अधिक अवधारणा पर आधारित पुनर्आकलित क्षमता (आरएसी) तक रियायत आधारित मूल्य निर्धारण। एनसीयू के लिए एमआरपी कुल मिलाकर 5360 रुपये प्रति मीट्रिक टन जमा (प्लस) एमआरपी का 5 प्रतिशत तय की गई।

2016-17 के दौरान यूरिया उत्पादन

  • वर्ष 2016-17 के दौरान 242.01 एलएमटी यूरिया का उत्पादन हुआ, जो वर्ष 2012-13 में उत्पादित 225.75 एलएमटी और वर्ष 2013-14 में उत्पादित 227.15 एलएमटी की तुलना में काफी अधिक है।

यूरिया की नीम कोटिंग :

  • शत-प्रतिशत नीम कोटेट उत्पादन 25 मई, 2015 को अनिवार्य कर दिया गया।
  • शत-प्रतिशत नीम कोटिंग हासिल कर ली गई।
  • 1 सितम्बर, 2015 : स्वदेश में उत्पादित यूरिया
  • 1 दिसम्बर, 2015 : आयातित यूरिया

50 किलो की मौजूदा बोरी के स्थान पर 45 किलो की यूरिया बोरी का चलन शुरू : इसके लिए 4 सितम्बर, 2017 को जारी अधिसूचना देखें। सरकार ने 50 किलो की मौजूदा बोरी के स्थान पर 45 किलो की यूरिया बोरी का चलन शुरू करने का निर्णय लिया है।

नई निवेश नीति : नई निवेश नीति (एनआईपी) के प्रावधानों के तहत, इसके संशोधनों के साथ पढ़ें, मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (मैटिक्स) ने पश्चिम बंगाल स्थित पानागढ़ में एक सीबीएम आधारित नया अमोनिया-यूरिया परिसर स्थापित किया है, जिसकी वार्षिक स्थापित क्षमता 1.3 एमएमटी है। मैटिक्स का वाणिज्यिक उत्पादन 1 अक्टूबर, 2017 को शुरू हो गया है।

फास्फेटिक और पोटाशिक (पी एंड के) उर्वरकों की दरों में कमी : विभाग ने उर्वरक कम्पनियों को पी एंड के उर्वरकों की दरें घटाने के लिए उत्साहित किया था, जिससे जून, 2016 से प्रति 50 किलो डीएपी, एमओपी और जटिल उर्वरकों की एमआरपी में क्रमशः 125, 250 तथा 50 रुपये की कमी आई। दिसम्बर, 2016 से प्रति 50 किलो डीएपी की कीमत 65 रुपये और घट गई है।

एसएसपी इकाइयों के लिए न्यूनतम वार्षिक उत्पादन अथवा न्यूनतम क्षमता उपयुक्त पैमाने को हटाना : एसएसपी इकाइयों के लिए अनिवार्य 50 प्रतिशत क्षमता उपयोग अथवा 40 हजार एमटी के न्यूनतम उत्पादन के प्रावधान को हटाने का निर्णय लिया गया है, जो कि सब्सिडी के लिए पात्र होने से संबंधित है।

एफसीआईएल की सिन्दरी एवं गोरखपुर इकाइयों और एचएफसीएल की बरौनी इकाई का पुनरुद्धार : कैबिनेट ने 13 जुलाई, 2016 को आयोजित अपनी बैठक में ‘मनोनयन रूट’ के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों यथा राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम, कोल इंडिया लिमिटेड, भारतीय तेल निगम लिमिटेड और भारतीय उर्वरक निगम लिमिटेड/हिन्दुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड के एक विशेष उद्देश्य वाहन (एसपीवी) के जरिये गोरखपुर, सिन्दरी एवं बरौनी इकाइयों के पुनरुद्धार को मंजूरी दी थी। तद्नुसार, हिन्दुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) नामक एक एसपीवी का गठन किया गया है।

गोरखपुर, सिन्दरी और बरौनी इकाइयों की मौजूदा स्थिति कुछ इस प्रकार है : परियोजना पूर्ण गतिविधियां प्रगति पर हैं। इन तीनों परियोजनाओं के सन्दर्भ में निम्नलिखित परियोजना-पूर्व गतिविधियां पूरी हो गई हैं :

  1. संभाव्यता-पूर्व
  2. भू-तकनीकी जांच और स्थलाकृतिक अध्ययन

उपर्युक्त तीनों परियोजनाओं में अक्टूबर, 2020 तक उत्पादन शुरू होने की आशा है।

मॉडल उर्वरक खुदरा दुकान :

  • बजट 2016-17 में अगले तीन वर्षों के दौरान 2000 मॉडल उर्वरक खुदरा दुकानें खोलने की घोषणा की गई थी।
  • इन दुकानों में उचित दरों पर गुणवत्तापूर्ण उर्वरकों की बिक्री करने, मृदा परीक्षण, बीज परीक्षण, पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने जैसी अनिवार्य सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।
  • इन दुकानों में विभिन्न उपकरणों जैसे ट्रैक्टर, लेजर लेवलर, रोटावेटर, फसल कटाई मशीन एवं थ्रेसर और छिड़कने वाले यंत्रों के साथ-साथ कुदाल और हंसिया जैसे छोटे उपकरणों को भी किराये पर देने जैसी कुछ वैकल्पिक सेवाएं मुहैया कराई जाएंगी।

मई 2017 तक 2000 मॉडल उर्वरक खुदरा दुकानें खोली जा चुकी हैं।

 

उर्वरक सब्सिडी योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना और किसानों के लिए इसके अपेक्षित लाभ :

  • अनुमानित 19 जिलों में से 17 जिलों में पायलट परियोजना लागू की गई है।
  • शेष दो जिलों में पीओएस मशीनें लगाने और खुदरा विक्रेताओं को प्रशिक्षित करने के कार्य जारी हैं। 
  • विभाग ने उर्वरक योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) को देश भर में लागू करने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार की है, जो राज्य सरकारों की तैयारियों और उर्वरक कंपनियों द्वारा पीओएस मशीनों को लगाये जाने पर आधारित है।
  • कुल मिलाकर 2,04,996 पीओएस मशीनें लगाए जाने की जरूरत है, जिनमें से 1,82,898 मशीनें प्राप्त हो गई हैं और देश भर में 1,45,968 मशीनें लगाई जा चुकी हैं।
  • विभिन्न राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को 1 सितम्बर, 2017 से ‘गो-लाइव मोड’ में डाल दिया गया है।
  • इस तारीख तक 14 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को डीबीटी रूपरेखा के अंतर्गत लाया जा चुका है।
  • राष्ट्रीय स्तर पर डीबीटी को विभिन्न चरणों में लागू करने की अनुमानित तिथियों का उल्लेख निम्नलिखित तालिका में किया गया है:

 

क्र.सं.

राज्यों /केन्द्र शासित प्रदेशों के नाम

गो-लाइव की समय सीमा

1

दिल्ली एनसीटी

1 सितम्बर, 2017

2

मिजोरम, दमन एवं दीव, दादरा एवं नगर हवेली, मणिपुर, नगालैंड, गोवा, पुडुचेरी

1 अक्टूबर, 2017

3

राजस्थान, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, असम, त्रिपुरा

1 नवंबर, 2017

4

आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश

1 दिसम्बर, 2017

5

केरल, बिहार, कर्नाटक, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु

1 जनवरी, 2018

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

फार्मास्यूटिकल विभाग

 

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी)

  • 1 जनवरी, 2017 से लेकर 18 दिसम्बर, 2017 तक की अवधि के दौरान 3019 पीएमबीजेपी केन्द्र चालू कर दिए गए हैं। इस योजना के उत्पाद बास्केट का विस्तारीकरण कर इसमें 652 दवाओं और 154 सर्जिकल एवं उपभोग्य पदार्थों को शामिल कर लिया गया है, जिनमें सभी चिकित्सीय श्रेणियां जैसे कि संक्रमण रोधी, मधुमेह रोधी, हृदय रोग संबंधी, कैंसर रोधी, जठरांत्र दवाओं इत्यादि को कवर किया गया है।
  • देश भर में पीएमबीजेपी केन्द्र खोलने को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों/संगठनों/गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं। 2 नवंबर, 2017 तक विभिन्न व्यक्तियों की ओर से 36564 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनमें से सभी को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है।

 

स्टेंट और घुटना प्रत्यारोपण की अधिकतम कीमतों की सीमा तय करना :

  • कोरोनरी स्टेंट्स की अधिकतम कीमतें 1 अप्रैल, 2017 से संशोधित कर दी गई हैं। समस्त हृदय स्टेंट्स अब 7400 रुपये से लेकर 30180 रुपये तक की मूल्य सीमा में उपलब्ध हैं।
  • घुटना प्रत्यारोपण की अधिकतम कीमतें 16 अगस्त, 2017 से तय कर दी गई हैं। विभिन्न तरह के घुटना प्रत्यारोपण अब 54,720 रुपये से लेकर 1,13,950 रुपये तक की मूल्य सीमा में उपलब्ध हैं।
  • कोरोनरी स्टेंट्स की कीमतों में 85 प्रतिशत तक की कमी की गई है, जबकि घुटना प्रत्यारोपण की कीमतों में मूल्य सीमा तय करने से पहले के दामों के 69 प्रतिशत तक की कमी की गई है।
  • आम जनता को 5,950 करोड़ रुपये की कुल अनुमानित बचत : कोरोनरी स्टेंट्स की कीमतों की सीमा तय करने से 4450 करोड़ रुपये की अनुमानित बचत और घुटना प्रत्यारोपण की कीमतें तय करने से 1500 करोड़ रुपये की अनुमानित बचत हुई है।

 

एनपीपीए ने जनवरी 2017 से लेकर नवंबर, 2017 तक की अवधि के दौरान 255 फॉर्मूलेशंस के अधिकतम मूल्य तय किए हैं जिससे एनएलईएम 2015 के तहत मूल्य नियंत्रण के दायरे में कुल मिलाकर 849 फॉर्मूलेशंस आ गए हैं। अनुसूचित फॉर्मूलेशंस की अधिकतम कीमतें तय किए जाने से उपभोक्ताओं को 2643.37 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

जनवरी 2017 से लेकर नवंबर 2017 तक की अवधि के दौरान दवा कंपनियों से ओवरचार्जिंग के मद में 179.45 करोड़ रुपये वसूले गए तथा इस अवधि के दौरान ओवरचार्जिंग के कारण 728.99 करोड़ रुपये के 226 मांग नोटिस (स्वतः संज्ञान के मामलों सहित) जारी किए गए।

 

फार्मा डेटा बैंक दवा निर्माताओं/विपणनकर्ताओं/आयातकों/वितरक कंपनियों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म मुहैया कराता है, जहां वे दवा (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 (डीपीसीओ, 2013) के निर्धारित फॉर्म II, फॉर्म III और फॉर्म V में अनिवार्य रिटर्न ऑनलाइन दाखिल कर सकते हैं। इसी तरह इस प्लेटफॉर्म पर डीपीसीओ, 2013 के तहत ‘नई दवा’ की कीमत मंजूरी संबंधी आवेदन भी ऑनलाइन दाखिल किए जा सकते हैं। 11 दिसम्बर, 2017 तक 64804 उत्पादों के लिए 862 कंपनियां पंजीकृत की गई हैं। पंजीकृत की गई 862 कंपनियों में से 121 कंपनियों की फॉर्म V अनुपालन स्थिति उनके द्वारा पंजीकृत उत्पादों के सन्दर्भ में शत-प्रतिशत रही है।

मोबाइल एप/अन्य टूल : एनपीपीए ने देश की आम जनता के हित में 28 अगस्त, 2016 को अपना मोबाइल एप ‘फार्मा सही दाम’ लांच किया है, जिसके जरिये कोई भी व्यक्ति अत्यन्त आसानी से किसी फॉर्मूलेशन के ब्रांड नाम, संघटक, अधिकतम मूल्य और एमआरपी को सर्च कर सकता है। इस एप को एंड्रायड आधारित मोबाइल फोन के जरिये गूगल प्ले स्टोर और आईओएस आधारित मोबाइल फोन (आई फोन) के जरिये एपस्टोर से निःशुल्क डाउनलोड किया जा सकता है। इसी तरह एनपीपीए की वेबसाइट पर उपलब्ध ‘सर्च मेडिसिन प्राइस’ नामक टूल को उपयोग करके अधिसूचित फॉर्मूलेशंस के अधिकतम मूल्यों का पता लगाया जा सकता है।

दवा संवर्धन एवं विकास योजना (पीपीडीएस)

  • यह योजना वर्ष 2008 (दवा विभाग के गठन के बाद) में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य संगोष्ठियों, सम्मेलनों और प्रदर्शनियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके दवा क्षेत्र में विभिन्न उत्पादों का संवर्धन, विकास एवं निर्यात संवर्धन करना है। इसके तहत निर्यात एवं निवेश के लिए भारत आने वाले एवं यहां से विदेश जाने वाले प्रतिनिधिमंडलों के लिए भी वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाती है। इसी तरह दवा क्षेत्र के विकास और निर्यात के साथ-साथ इस क्षेत्र पर व्यापक असर डालने वाले विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों पर अध्ययन/परामर्श सत्र आयोजित करने के लिए भी वित्तीय सहायता दी जाती रही है।
  • 2 नवंबर, 2017 तक 17 आयोजनों/संगोष्ठियों के लिए वित्तीय सहायता मुहैया कराई गई।
  • राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल नीति बनाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि फार्मा क्षेत्र के सभी पहलुओं को कवर किया जा सके।
  • राष्ट्रीय फार्मा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (नाइपर) : छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और राजस्थान में एक-एक नाइपर की स्थापना संबंधी सरकारी घोषणा के बाद इन तीन राज्यों की सरकारें नाइपर खोलने के लिए क्रमशः झालावाड़, रायपुर और नागपुर में भूमि मुहैया कराने पर सहमत हो गई हैं।

 

रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग

 

असम गैस क्रैकर परियोजना (एजीसीपी)

केन्द्र सरकार, अखिल असम छात्र संघ (आसू) और अखिल असम गण संग्राम परिषद (एएजीपी) के बीच हस्ताक्षरित सहमति पत्र को ध्यान में रखते हुए 15 अगस्त, 1985 को असम गैस क्रैकर परियोजना पर पहल की गई, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर क्षेत्र का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास करना है। 2 जनवरी, 2016 को इस परियोजना की शुरुआत की गई और 5 फरवरी, 2016 को डिब्रूगढ़ के लेपेतकाता स्थित बीसीपीएल परिसर में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया। परियोजना से संबंधित संयंत्र में लगभग 700 लोगों के लिए प्रत्यक्ष रोजगार और परियोजना परिसर के अंदर लगभग 1500 लोगों के लिए अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र स्थित डाउनस्ट्रीम रसायन एवं पेट्रोरसायन उद्योग को बीसीपीएल से कच्चा माल प्राप्त होगा और पूर्वोत्तर क्षेत्र में अनेक डाउनस्ट्रीम प्लास्टिक प्रसंस्करण उद्योगों तथा सहायक इकाइयों की स्थापना के जरिये लगभग 1 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित होने की आशा है।

इस संयंत्र में फिलहाल स्थिरीकरण प्रक्रिया जारी है और अन्य उप-उत्पादों के अलावा पॉलीइथिलीन की 2,20,000 टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता तथा पॉलीप्रॉपिलीन की 60,000 टन की वार्षिक उत्पादन क्षमता के सापेक्ष बीसीपीएल ने वर्ष 2016-17 के दौरान लगभग 1,00,000 टन पॉलीमर का उत्पादन किया है।

हिन्दुस्तान ऑर्गेनिक केमिकल्स लिमिटेड (एचओसीएल)

भारत सरकार/सीसीईए ने 17 मई, 2017 को एचओसीएल की पुनर्गठन योजना को मंजूरी दी है, जिसमें डाई-नाइट्रोजन टेट्रोऑक्साइड (एन24) संयंत्र को छोड़कर एचओसीएल की रसायनी यूनिट के समस्त गैर-लाभप्रद संयंत्रों के परिचालनों को बंद करना शामिल है। एन24 संयंत्र को ‘जैसा भी है, जहां भी है’ के आधार पर इसरो को स्थानांतरित करना तय किया गया।

इस पुनर्गठन योजना को क्रियान्वित करने के लिए विभाग/एचओसीएल द्वारा आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। एन24 संयंत्र को छोड़कर रसायन यूनिट स्थित सभी संयंत्रों को बन्द कर दिया गया है। वहीं, एन24 संयंत्र को 1 अक्टूबर, 2017 को इसरो को हस्तांतरित कर दिया गया है।

 

पेट्रोलियम, रसायन एवं पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्र (पीसीपीआईआर) :

  • रसायन एवं पेट्रोरसायन विभाग ने क्लस्टर आधारित विकास की अवधारणा को प्रोत्साहित करने के लिए पेट्रोलियम, रसायन एवं पेट्रोरसायन निवेश क्षेत्रों (पीसीपीआईआर) को बढ़ावा देने की नीति अपनाई है। अब तक चार पीसीपीआईआर को मंजूरी दी गई है।
  • पूरी तरह से अमल में आ जाने के बाद पीसीपीआईआर में लगभग 7.63 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होने की आशा है और इसके साथ ही लगभग 34 लाख लोगों के लिए रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।

 

केन्द्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) :

  • सरकार ने केन्द्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) के 16 नए केन्द्रों की स्थापना को मंजूरी दी है, जिसके साथ ही इन केन्द्रों की कुल संख्या 23 से बढ़कर 39 के स्तर पर पहुंच जाएगी।
  • जनवरी-नवंबर, 2017 के दौरान सिपेट ने लगभग 60,000 लोगों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया है।
  • सिपेट के 36 कौशल प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों को राष्ट्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता नीति पर आधारित एनएसक्यूएफ के अनुरूप किया गया है। इससे देश भऱ में एकसमान एवं मानकीकृत कौशल प्रशिक्षण व्यवस्था सुनिश्चित होगी।

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वीके/एएम/आरआरएस/डीएस-6071
 



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