उपभोक्‍ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग

Posted On: 22 DEC 2017 5:21PM by PIB Delhi

वर्षांत समीक्षा-2017

 

वर्ष 2017 के दौरान खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की गतिविधियों के प्रमुख बिन्दु निम्नलिखित हैः

  1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (एनएफएसए, 2013) लागू।
  1. लगातार जारी प्रयासों के परिणामस्वरूप, एनएफएसए कानून, 2013 सभी 36 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में व्यापक स्तर पर लागू। यह अधिनियम देशभर में करीब 80.72 करोड़ लोगों को मोटा अनाज/गेहूं/चावल आदि अत्यधिक सब्सिडी आधारित दरों पर क्रमशः 1/2/3 रुपये प्रति किलोग्राम में मुहैया कराकर लाभान्वित कर रहा है।   
  2. जुलाई 2016 तक वैध एनएफएसए के तहत निर्दिष्ट खाद्यान्नों की कीमत – चावल 3 रुपये प्रति किग्रा, गेहूं 2 रुपये  प्रति किग्रा और मोटा अनाज 1 रुपये प्रति किग्रा को जून 2018 तक जारी रखा गया है।
  3. वित्त वर्ष 2017-18 (13-12-2017 तक) के दौरान खाद्यान्नों के अंतर-राज्य आवागमन पर किए गए व्यय और उचित दर दुकानों के डीलरों के मार्जिन को पूरा करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को केन्द्रीय सहायता के रूप में 2959.22 करोड़ रुपये जारी किए गए। एनएफएसए के अंतर्गत इस तरह की व्यवस्था पहली बार की गई है। पूर्ववर्ती लक्षित सार्वजिनक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के अंतर्गत या तो राज्य सरकारों को इस व्यय को उठाना पड़ता था अथवा इसे लाभार्थियों (एएवाई लाभार्थियों को छोड़कर) से वसूलने की ज़रूरत पड़ती थी।
  1. टीपीडीए परिचालन का एंड-टू-एंड कंप्यूटरीकरण
  1. राशन कार्ड/लाभार्थी रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के परिणामस्वरूप, वर्ष 2013 से 2017 (नवंबर 2017 तक) तक आधार लिंकिंग के कारण जाली कार्डों का समापन, हस्तांतरण/पलायन/मृत्यु, लाभार्थी की आर्थिक स्थिति में बदलाव और एनएफएसए के कार्यान्वयन के दौरान, कुल 2.75 करोड़ राशन कार्ड राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा नष्ट/रद्द किए जा चुके हैं। इसके आधार पर सरकार करीब 17,500 करोड़ रुपये प्रति वर्ष की खाद्य सब्सिडी को उचित व्यक्ति तक पहुंचाने का लक्ष्य हासिल करने में सफल रही है।  
  2. लक्षित सार्वजिनक वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण और उसमें पारदर्शिता लाने के लिए विभाग टीपीडीएस परिचालन के एंड-टू-एंड कंप्यूटरीकरण योजना को करीब 884 करोड़ रुपये की लागत से राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ लागत साझा करने के आधार पर कार्यान्वित कर रहा है। यह योजना राशन कार्डों एवं लाभार्थियों के रिकॉर्ड के कंप्यूटरीकरण, आपूर्ति श्रंखला प्रबंधन का कंप्यूटरीकरण, पारदर्शिता पोर्टल और शिकायत निपटान प्रणाली के गठन आदि की सुविधा प्रदान करती है।
  3. योजना के तहत प्रमुख उपलब्धियां निम्नलिखित हैः

क्रम सं.

योजनागत गतिविधि

उपलब्धियां

1

राशन कार्ड/लाभार्थी डाटा का डिजिटलीकरण

सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में पूर्ण

2

खाद्यान्न का ऑनलाइन आवंटन

30 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में शुरू

3

आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन का डिजिटलीकरण

20 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में पूर्ण और बाकी राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों में कार्य प्रगति में है

4

पारदर्शिता पोर्टल

सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में गठित

5

शिकायत निवारण सुविधा

सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में टोल फ्री हेल्पलाइन/ऑनलाइन पंजीकरण सुविधा उपलब्ध

 

  1. जाली/अयोग्य लाभार्थियों की पहचान करने और उन्हें निरस्त करने तथा उचित व्यक्ति तक खाद्यान्न सब्सिडी पहुंचाने की व्यवस्था को सक्षम बनाने के लिए राज्य/केन्द्र शासिसत प्रदेशों द्वारा लाभार्थियों की आधार संख्या को उनके राशन कार्ड के साथ जोड़ने का कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में कुल राशन कार्ड के 81.35 फीसदी कार्डों को आधार कार्ड के साथ जोड़ा जा चुका है।
  2. योजना के एक अंग के रूप में, खाद्यान्न आवंटन के लिए उचित दर दुकानों पर कुल बिक्री के लेनदेन का इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड रखने और प्रमाणीकरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) उपकरण को लगाया जा रहा है। आज की तारीख तक, 23 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की कुल 5.27 लाख उचित दर दुकानों में से 2.83 लाख एफपीएस पर ईपीओएस उपकरण लगाया जा चुका है।
  1. डीबीटी के हाइब्रिड मॉडल का शुभारंभः

झारखंड के रांची जिले के नगरी ब्लॉक में अक्टूबर 2017 से पहल योजना की तर्ज पर डीबीटी की एक पायटल योजना की शुरुआत की गई। इस योजना के तहत, योग्य एनएफएसए लाभार्थियों को महीने की शुरुआत में अग्रिम धनराशि के रूप में सब्सिडी राशि का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में किया जाता है। सब्सिडी की राशि बैंक खाते में आने पर लाभार्थी अपने अधिकार के अनुसार पॉइंट ऑफ सेल उपकरण पर ऑथेंटिकेशन के बाद नाममात्र की लागत पर उचित दर दुकान से खाद्यान्न की खरीद कर सकता है। केन्द्रीय इश्यु दर लाभार्थी द्वारा दी जाती है। यह मॉडल एमएसपी दरों पर किसानों से खरीद की प्रक्रिया को लगातार समर्थन देता है।

  1. राशन कार्डों की अंतः राज्य पोर्टेबिलिटीः

पीडीएस लाभार्थियों को अपने अधिकृत अनाज को राज्य में ईपीओएस उपकरण वाली किसी भी उचित दर दुकान से लेने में सक्षम बनाने की सुविधा आंध्र प्रदेश, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ (750 एफपीएस) और तेलंगाना (2273 एफपीएस) पर शुरू की जा चुकी है।

  1. पीडीएस का एकीकृत प्रबंधन (आईएम-पीडीएस)

पीडीएस परिचालन की राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी, केन्द्रीय डाटा भंडार और केन्द्रीय निगरानी प्रणाली को कार्यान्वित करने की दिशा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क स्थापित करने के लिए वित्त वर्ष 2018-19 और 2019-20 में एक नई केन्द्रीय स्तर की योजना को कार्यान्वयन किए जाने के लिए मज़ूरी दी जा चुकी है।

  1. ईपीओएस लेनदेन पोर्टल का शुभारंभः

लाभार्थियों को सब्सिडी आधारित खाद्यान्न वितरित करने के लिए ईपीओएस के जरिए इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन प्रदर्शित करने की दिशा में अन्नवितरण पोर्टल (www.annavitran.nic.in)लागू किया गया। यह पोर्टल जिला स्तर पर आवंटित और वितरित खाद्यान्न के अलावा लाभार्थियों के आधार ऑथेंटिकेशन की वृहद तस्वीर भी दर्शाता है।

  1. किसानों को समर्थन

2016-17 केएमएस के दौरान 381.07 लाख मीट्रिक टन धान (चावल के मामले में) की रिकॉर्ड मात्रा खरीदी गई। 2015-16 केएमएस के दौरान यह 342.18 मीट्रिक टन थी। आरएमएस 2017-18 के दौरान 308.24 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई, जोकि पिछले पांच वर्षों के दौरान सबसे अधिक है। 2016-17 में यह 229.61 लाख मीट्रिक टन था।

  1. खाद्य प्रबंधन में सुधार
  1. केएमएस 2017-18 से, खरीदे गए धान की पैकेजिंग के लिए उपयोग शुल्क पर सभी राज्यों और एफसीआई से परामर्श के साथ नए दिशानिर्देश लागू किए गए हैं। ऐसा अनुमान है कि उपर्युक्त योजना से प्रत्येक सीज़न में करीब 600 करोड़ रुपये तक बचाया जा सकता है।
  2. एफसीआई द्वारा एक वर्ष में लगभग 40 मिलियन टन खाद्यान्न को देशभर से अपने गोदामों तक लाया जाता है। खाद्यान्न की आवाजाही रेल, रोड, समुद्र, तट और नदी व्यवस्था के माध्यम से की जाती है। वर्ष 2016-17 में, 13 कंटेनर आधारित खाद्यान्न की आवाजाही हुई, जिससे करीब 44 लाख रुपये के मालभाड़े की बचत हुई। 2017-18 के दौरान, एफसीआई ने 58 कंटेनर रेक्स (15.10.2017 तक) को स्थानांतरित किया है, जिससे लगभग 159 लाख रुपये के माल भाड़े की बचत हुई है।
  1. भंडारण विकास और विनियामक प्राधिकरण (डब्ल्यूडीआरए)
  1. डब्ल्यूडीआरए के साथ भंडारण के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सरल किया गया है। नए नियम डब्ल्यूडीआरए के साथ भंडारण के तौर पर जुड़ने वालों की संख्या में बढ़ोतरी को प्रोत्साहित करेंगे। यह बातचीत योग्य भंडारण रसीद (एनडब्ल्यूआर) प्रणाली को मज़बूत करेगा। इस वर्ष के दौरान अब तक करीब 90.35 करोड़ ऋण की सुविधा एनडब्ल्यूआर के तहत ली जा चुकी है।
  2. भंडारण की पंजीकरण प्रक्रिया में बदलाव लाने और पेपर आधारित एनडब्ल्यूआर की जगह ईएनडब्ल्यूआर जारी करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक बातचीत आधारित भंडारण रसीद (ईएनडब्ल्यूआर) प्रणाली और डब्ल्यूडीआरए पोर्टल शुरू किया गया। यह अधिक विश्वसनीय वित्तीय उपकरण साबित होगा।
  1. चीनी क्षेत्र
  1. पिछले पांच सालों के दौरान चीनी स्टॉक की निरंतर अधिकता के कारण 15-04-2015 तक 2014-15 के लिए गन्ना मूल्य बकाया संपूर्ण भारत के स्तर पर 21837 करोड़ रूपए पर पहुंच गया। गन्ने की कीमतों के बकाये को निपटाने के क्रम में, केन्द्र सरकार ने 4305 करोड़ रुपये का सॉफ्ट ऋण मुहैया कराना, कच्ची चीनी निर्यात प्रोत्साहन योजना के जरिए 425 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करना, 539 करोड़ रुपये की उत्पादन सब्सिडी देना और 2015-16 सीज़न के लिए किसानों को गन्ने की फसल की बकाया राशि का समय पर भुगतान आदि कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन उपायों के परिणामस्वरूप, 2014-15 सीज़न के लिए किसानों के बकाया का 99.33 फीसदी भुगतान और 2015-16 के लिए किसानों के बकाया का 99.77 (उचित और लाभकारी मूल्य आधार पर) फीसदी भुगतान किया जा चुका है। चीनी सीज़न 2016-17 के संबंध में उचित और लाभकारी मूल्य आधार पर गन्ने का करीब 99.47 फीसदी बकाया भी निपटाया जा चुका है।
  2. चीनी पर आयात शुल्क बढ़ाने और चुनिंदा क्षेत्रों में ही चीनी आयात की अनुमति देने सहित विभिन्न नीतिगत हस्तक्षेपों के परिणामस्वरूप देशभर में इस वर्ष गन्ने का कम उत्पादन होने के बावजूद चीनी की कीमतें स्थिर बनी रहीं। इन नीतियों ने न केवल स्थिर कीमतें सुनिश्चित की बल्कि घरेलू उत्पादन में भी बाधा नहीं डाली। इसके साथ ही इन नीतियों ने समय पर किसान के बकाया का भुगतान करने में सरकारों को सक्षम बनाया
  1. केन्द्रीय पूल स्टॉक से खाद्यान्नों का निर्यात

भारत सरकार ने वर्ष 2017 के दौरान निम्नलिखित देशों को मानवतावादी खाद्य सहायता के रूप में अनाज प्रदान कियाः

क्रम. सं.

देश

मात्रा (मीट्रिक टन में)

1

श्रीलंका

100

2

जिम्बावे

500

3

लेसोथो

500

4

नामिबिआ

1000

 

इसके अलावा 1.10 लाख मीट्रिक टन गेहूं अफगानिस्तान को दानस्वरूप देने को भी मंजूरी दे दी गई है और एफसीआई के स्टॉक से इसकी आपूर्ति का कार्य प्रगति में है।

 

वीके/एएम/पी/जीआरएस- 6073

 

 



(Release ID: 1513853) Visitor Counter : 1642


Read this release in: English