स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय - वहन योग्य तथा सुगम स्वास्थ्य सुविधा के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पबद्ध

Posted On: 20 DEC 2017 12:42PM by PIB Delhi

 

वर्षांत समीक्षा

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय

 

वर्षांत: 2017

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017

वर्ष 2017 में 15 वर्षों के अंतराल के बाद नई राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति जारी की गई। 15 मार्च, 2017 को मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी) 2017 को अपनी स्वीकृती दी। एनएचपी 2017 में बदल रही सामाजिक, आर्थिक प्रौद्योगिकी तथा महामारी से संबंधित वर्तमान परिस्थिति और उभर रही चुनौतियों का समाधान किया गया है। नई नीति बनाने की प्रक्रिया में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की केन्द्रीय परिषद तथा मंत्री समूह की स्वीकृति से पहले विभिन्न हित-धारकों तथा क्षेत्रीय हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया गया।

एनएचपी 2017 का प्रमुख संकल्प 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यय को जीडीपी के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाना है। स्वास्थ्य नीति में स्वास्थ्य और निरोग केन्द्रों के माध्यम से आश्वस्त व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का बड़ा पैकेज उपलब्ध कराना है। इस नीति का उद्देश्य सभी के लिए संभव उच्चस्तरीय स्वास्थ सेवा का लक्ष्य प्राप्त करना, रोकथाम और संवर्धनकारी स्वास्थ्य सेवा तथा वित्तीय बोझ रहित गुणवत्ता संपन्न स्वास्थ्य सेवाओं की सार्वभौमिक पहुंच उपलब्ध कराना है। पहुंच बढ़ाकर, गुणवत्ता में सुधार करके और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की लागत में कमी करके इसे हासिल किया जाएगा। एनएचपी 2017 में संसाधनों का बड़ा भाग (दो तिहाई या अधिक) प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को उपलब्ध कराने पर बल दिया गया है और इसका बल प्रति एक हजार की आबादी पर दो बिस्तरों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर है। इस आबादी का वितरण इस प्रकार किया गया है ताकि स्वर्ण घण्टे के अंदर पहुंच हो सके। स्वास्थ्य नीति 2017 में नई दृष्टि से निजी क्षेत्र से रणनीतिक खरीदारी पर ध्यान दिया गया है। राष्ट्रीय नीति में स्वास्थ्य लक्ष्यों को हासिल करने में निजी क्षेत्र की मजबूतियों का लाभ उठाने और निजी क्षेत्र के साथ मजबूत साझेदारी पर ध्यान दिया गया है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के प्रमुख आकर्षण निम्नलिखित हैं।

1.  आश्वासन आधारित दृष्टिकोण-नीति में रोकथाम और संवर्धनकारी स्वास्थ्य सेवा पर फोकस करते हुए आश्वासन आधारित दृष्टिकोण पर बल दिया गया है।

2.  स्वास्थ कार्ड को स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ना-नीति में देश में कहीं भी सेवाओं के परिभाषित पैकेज के लिए स्वास्थ कार्ड को प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं से जोड़ने की सिफारिश की गई है।

3.  रोगी केन्द्रीत दृष्टिकोण-नीति में रोगी देखभाल, सेवाओं के मूल्य, लापरवाही तथा अनुचित व्यवहारों से संबंधित विवादों/ शिकायतों के समाधान के लिए अधिकार सम्पन्न चिकित्सा अधिकरण स्थापित करने की सिफारिश की गई है तथा प्रयोगशालाओं और इमेजिंग सेन्टरों तथा उभर रही विशेषज्ञ सेवाओं के लिए मानक नियामक ढ़ांचा स्थापित करने की सिफारिश की गई है।

4.  पोषक तत्व की कमी- पोषक तत्व की कमी से उत्पन्न कुपोषण को घटाने पर बल तथा सभी क्षेत्रों में पोषक तत्व की पर्याप्तता में विविधता पर फोकस।

5.  देखभाल गुणवत्ता- सार्वजनिक अस्पतालों तथा स्वास्थ सुविधाओं का समय-समय पर मूल्यांकन किया जाएगा और उन्हें गुणवत्ता स्तर का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा।

6.  मेक इन इंडिया पहल- नीति में दीर्घकालिक दृष्टि से भारतीय आबादी के लिए देश में बने उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय मैन्यूफैक्चरिंग को संवेदी और सक्रिय बनाने की आवश्यकता पर बल।

7.  डीजिटल स्वास्थ्य प्रणाली-स्वास्थ नीति में चिकित्सा सेवा प्रणाली की दक्षता और परिणाम को सुधारने के लिए डीजिटल उपायों की व्यापक तैनाती पर बल दिया गया है। इसका उद्देश्य सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को पूरा करने वाली तथा कार्य दक्षता, पादर्शिता और सुधार करने वाली एकीकृत स्वास्थ सूचना प्रणाली स्थापित करना है।

8.  महत्वपूर्ण अंतरों को पाटने और स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में रणनीतिक खरीदारी करने के लिए निजी क्षेत्र से सहयोग।

एनएचपी 2017 को सरकार द्वारा केन्द्रीय बजट 2017-18 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के लिए 47,352.51 करोड़ रूपये आबंटित करके  उचित समर्थन दिया है। यह राशि पिछले वर्ष के आबंटन से 27.7 प्रतिशत अधिक है।

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2017

मंत्रिमंडल ने 15 दिसम्बर, 2017 को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक 2017 को स्वीकृति दी।

विधेयक में निम्नलिखित प्रावधान हैं:

चिकित्सा परिषद 1956, अधिनियम को बदलना

चिकित्सा शिक्षा सुधार के क्षेत्र में दूरगामी कार्य करना

प्रक्रिया आधारित नियमन के बजाए परिणाम आधारित चिकित्सा शिक्षा नियमन

स्वशासी बोर्डों की स्थापना करके नियामक के अंदर उचित कार्य विभाजन सुनिश्चित करना

चिकित्सा शिक्षा में मानक बनाए रखने के लिए उत्तरदायी और पारदर्शी प्रक्रिया बनाना

भारत में पर्याप्त स्वास्थ कार्याबल सुनिश्चित करने का दूरदर्शी दृष्टिकोण

नये कानून के प्रत्याशित लाभ:

चिकित्सा शिक्षा संस्थानों पर कठोर नियामक नियंत्रण की समाप्ति और परिणाम आधारित निगरानी व्यवस्था

राष्ट्रीय लाइसेंस परीक्षा लागू करना। यह पहला मौका होगा जहां देश के किसी उच्च शिक्षा क्षेत्र में ऐसा प्रावधान लागू किया गया है जैसा की पहले नीट तथा साझा काउंसलिंग लागू किया गया था।

चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र को उदार और मुक्त बनाने से यूजी और पीजी सीटों की संख्या बढ़ेगी और इस अवसंरचना क्षेत्र में नया निवेश बढ़ेगा।

आयुष चिकित्सा प्राणाली के साथ बेहतर समन्वय

चिकित्सा महाविद्यालयों में 40 प्रतिशत सीटों के नियमन से किसी भी वित्तीय स्थिति के सभी मेधावी विधार्थियों मेडिकल सीटों तक पहुंच।

 

राष्ट्रीय पोषण मिशन (एनएनएम) 

 

केन्द्र ने स्वास्थ और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा महिला और विकास मंत्रालय के संयुक्त प्रयास राष्ट्रीय पोषण मिशन को स्वीकृति दी जिसका उद्देश्य कुपोषण के अंतरपीढ़ी चक्र को रोकने के लिए जीवन चक्र दृष्टिकोण अपनाना है।

मिशन में वृद्धि स्तर को कम करने, कुपोषण, एनीमियां तथा कम वजन के नवजातों की संख्या में कमी लाने की परिकल्पना की गई है। इससे आपसी मेल-मिलाप होगा, बेहतर निगरानी सुनिश्चित होगी, समय पर कार्रवाई के लिए एलर्ट जारी होगा और लक्ष्य हासिल करने में राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को मंत्रालय तथा राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के अनुरूप प्रदर्शन, निर्देशन और निरीक्षण में प्रोत्साहन मिलेगा।

मिशन का उद्देश्य 10 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ प्रदान करना है।

मिशन दिसम्बर, 2017 में 9046.17 करोड़ रूपये के 3 वर्ष के बजट के साथ लांच किया जाएगा। बजट वर्ष 2017-18 से प्रारम्भ होगा ताकि 2017-18 में 315 जिले, 2018-19 में 235 जिले तथा 2019-20 में शेष जिले कवर किये जा सकें।

मिशन के प्रमुख घटक/विशेषताएं:

कुपोषण से निपटने में योगदान करने वाली विभिन्न योजनाओं का मानचित्रण

आपसी मिलन की सुदृढ व्यवस्था लागू करना।

आईसीटी आधारित रियल टाइम निगरानी प्रणाली।

लक्ष्यों की पूर्ति के लिए राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को संवेदी बनाना।

आंगवाड़ी कर्मियों को आईटी आधारित उपयों के इस्तेमाल के लिए संवेदी बनाना।

आंगवाड़ी कर्मियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले रजिस्टरों को समाप्त करना।

आंगवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों की लम्बाई नापने की व्यवस्था लागू करना।

सामाजिक लेखा-जोखा

विभिन्न गतिविधियों के जरिये पोषण कार्यक्रम में भागीदारी के लिए जनआंदोलन के माध्यम से लोगों को शामिल करके पोषण संसाधन केन्द्र स्थापित करना।

 

मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम, 2017

अधिनियम में भारत में मानसिक स्वास्थ के लिए आधार आधारित वैधानिक ढांचा अपनाया गया है। इसमे मानसिक स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और उनके लिए अधिक से अधिक देखभाल और सम्मान के साथ जीवन सुनिश्चित करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के प्रावधान में समानता को मजबूत बनाया गया है।

यह अधिनियम पहुंच गुणवत्ता में सुधार तथा उचित मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए संस्थागत व्यवस्था को मजबूती प्रदान करता है। अधिनियम मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में सरकारी और निजी क्षेत्रों के दायित्व को बढ़ाता है। इसमें मानसिक स्वास्थ्य संबंधी व्यक्तियों का प्रतिनिधित्व है और देखभाल के लिए केन्द्रीय तथा राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकार स्थापित करने की व्यवस्था है।

अधिनियम का सर्वाधिक प्रगतिशिल विशेषता अग्रिम निर्देश का प्रावधान, नामित प्रतिनिधि, दाखिला, उपचार, स्वच्छता तथा व्यक्तिगत साफ सफाई से संबंधित महिलाओं तथा बच्चों के लिए विशेष धारा है। इलेक्ट्रो-कनवल्सिव थेरेपी तथा साइकोसर्जरी के उपयोग पर प्रतिबंध।

इस अधिनियम का एक महत्वपूर्ण पक्ष आत्महत्या को अपराधीकरण के दायरे से मुक्त बनाना है जिससे आत्महत्या प्रयासों के दबाव का उचित प्रबंधन सुनिश्चित होगा।

एचआईवी और एड्स ( निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 2017

- संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित सतत विकास लक्ष्य के तहत 2030 तक इस महामारी को खत्म करना।

-कोई भी व्यक्ति जो एड्स से पीड़ित हो उसके साथ रोजगार, शैक्षणिक संस्थानों, मकान को किराये पर देने, दूसरी स्वास्थ्य सुविधाओं और बीमा सेवाओं के मुद्दे पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।

-अधिनियम में इस बात पर विशेष जोर दिया गया है कि पीड़ित व्यक्ति को उसकी जानकारी में एचआईवी संबंधित परीक्षण, उपचार और रोग विषयक अनुसंधान को आगे बढ़ाया जाए।

- 18 साल से कम उम्र का हर एक व्यक्ति जो एचआईवी से पीड़ित या प्रभावित हो उसे साझे घर में रहने के साथ साथ पारिवारिक सुविधाओं के आनंद लेने का पूरा अधिकार है।

- अधिनियम, किसी भी व्यक्ति को एचआईवी पॉजिटिव लोगों और उनके साथ रहने वाले लोगों के प्रति नफरत की भावनाओं की वकालत करने से रोकता है।

- कोई भी व्यक्ति अपनी सूचित सहमति के अलावा उसका / उसकी एचआईवी स्थिति का खुलासा करने के लिए मजबूर नहीं होगा, और यदि न्यायालय आदेश द्वारा आवश्यक हो।

- राज्य की देखभाल और हिरासत में हर व्यक्ति को एचआईवी की रोकथाम, परीक्षण, उपचार और परामर्श सेवाएं प्राप्त करने का अधिकार होगा।
- अधिनियम से पता चलता है कि एचआईवी पॉजिटिव व्यक्तियों से संबंधित मामलों को प्राथमिकता के आधार पर अदालत निपटायेगा और गोपनीयता की व्यवस्था भी सुनिश्चित करेगा।

यूनिवर्सल टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी)

भारत का यूआईपी दुनिया के सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। इस कार्यक्रम के तहत 3 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.7 करोड़ नवजात बच्चों के टीकाकरण का वार्षिक लक्ष्य निर्धारित है।90 लाख से अधिक टीकाकरण सत्र हर साल आयोजित किए जाते हैं। यह दुनिया में सबसे अधिक लागत प्रभावी सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप कार्यक्रम है।

यूआईपी के तहत नये प्रयास

मिशन इंद्रधनुष: भारत सरकार ने दिसंबर 2014 में मिशन इंद्रधनुष (एमआई) शुरू की । इसके तहत (लक्षित कार्यक्रम) उन बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है जो टीकाकरण से वंचित हैं या जिन्हें आंशिक रूप से टीका लगाया गया है। इस अभियान में उन जिलों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है जहां बच्चों को किसी न किसी वजह से टीकाकरण का फायदा नहीं मिल सका। मिशन इंद्रधनुष के चार चरणों को पूरा कर लिया गया है, जिसमें 2.94 करोड़ बच्चों को टीका लगाया गया है, जिनमें से 76.36 लाख बच्चों को पूरी तरह से प्रतिरक्षित किया गया है। इसके अलावा 76.84 लाख गर्भवती महिलाओं को टेटनस से बचाव के लिए टीका लगाया गया था। मिशन इंद्रधनुश के तहत  दो राउंड के दौरान पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज में वृद्धि की वार्षिक दर 1% से बढ़कर 6.7% हो गई है।

इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष

भारत के माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 8 जून, 2017 को वडनगर, गुजरात से तीव्र मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) शुरू की गई। इंटेंसिफाइड मिशन इंद्रधनुष 16राज्यों के 121 जिलों, पूर्वोत्तर राज्यों के 52 जिलों और 17 शहरी इलाकों में आयोजित किए जाएंगे जहां मिशन इंद्रधनुष और यूआईपी के दोहराए चरणों के बावजूद टीकाकरण की कवरेज बहुत कम है। दिसंबर 2018 तक 90% से अधिक की पूर्ण प्रतिरक्षण कवरेज का कार्यक्रम भी लक्षित है। अक्टूबर और नवंबर में आईएमआई के दो दौर के दौरान 190 जिलों और शहरी क्षेत्रों में कुल 39.19 लाख बच्चों और 8.09 लाख गर्भवती महिलाओं को टीका लगाया गया है।

नये टीके का परिचय

निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी): भारत पोलियो मुक्त है लेकिन इस स्थिति को बनाए रखने के लिए, निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (आईपीवी) पेश किया गया था। अक्टूबर, 2017 तक  देश में आईपीवी की 2.95 करोड़ खुराक की व्यवस्था की गई है।

वयस्क(एडल्ट) जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई) वैक्सीन: जापानी एन्सेफलाइटिस,15 साल से कम उम्र के बच्चों में मस्तिष्क को प्रभावित करने वाला प्राणघातक वायरल रोग है। हालांकि राष्ट्रीय वेक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीबीडीसीपी) ने असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के 31 प्रभावित जिलों की पहचान 15- 65 साल के आयु समूह में वयस्क जेई टीकाकरण के लिए की थी। वयस्क जेई टीकाकरण अभियान असम, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल के सभी 31 जिलों में पूरा किया गया है, जिसमें 15-65 वर्ष की आयु से अधिक 3.3 करोड़ लाभार्थियों को टीका लगाया गया है।

रोटावायरस वैक्सीन: रोटावायरस युवा बच्चों के बीच गंभीर दस्त और मौत के प्रमुख कारणों में से एक है। फिलहाल, 9 राज्यों - आंध्र प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, असम, राजस्थान, तमिलनाडु और त्रिपुरा में रोटावायरस टीका पेश किया गया है। अक्टूबर, 2017 तक रोटावायरस के टीके के 1.12 करोड़ खुराकों के बारे में जानकारी दी गई है।

खसरा-रूबेला (एमआर) वैक्सीन: रूबेला संक्रमण के कारण जन्मजात जन्म के दोषों के प्रति सुरक्षा प्रदान करने के लिए रूबेला वैक्सीन को खसरा-रूबेला वैक्सीन के रूप में यूआईपी में पेश किया गया है। चरणबद्ध तरीके से एमआर अभियान को  शुरू किया जा रहा है, हालांकि 5 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों (कर्नाटक, तमिलनाडु, गोवा, लक्षद्वीप और पुडुचेरी) में फरवरी, 2017 से शुरू हुआ था। 3.33 करोड़ बच्चों को 97% की कवरेज के साथ टीका लगाया गया था। इन राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में 9-12 महीने और 16-24 महीनों में दो खुराक के रूप में नियमित टीकाकरण में एमआर टीका पेश किया गया है। अगला चरण अगस्त, 2017 से शुरू हुआ और यह 6 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों (आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़, दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना) में पूरा हो गया है। केरल और उत्तराखंड में अभियान चल रहा है नवंबर 2017 तक  इन 8 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में 3 करोड़ से अधिक बच्चों को अभियान में शामिल किया गया है।

निमोकोकल वैक्सीन (पीसीवी): यूआईपी के तहत पीयूवी को मई 2017 में चरणबद्ध तरीके से शुरू किया गया था ताकि न्यूमोकोकलल न्यूमोनिया की वजह से शिशुओं के मृत्यु दर को कम किया जा सके। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों में उत्तर प्रदेश के 6 जिलों और बिहार के 17 जिलों में पीसीवी वैक्सीन पेश किया गया है। अक्टूबर  2017 तक लगभग 5.7 लाख खुराक का प्रबंध किया गया है।

लेबर रूम की गुणवत्ता में सुधार की पहल – लक्ष्य
लेबर रूम और मातृत्व ऑपरेशन थियेटर्स में गर्भवती मां को प्रदान की जा रही सुविधाओं और गर्भवती महिलाएं देखभाल की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्वास्थ्य परिवार और कल्याण मंत्रालय (MoHFW ) ने लक्ष्य प्रारंभ किया। इसका मकसद जच्चा और बच्चे में अवांछनीय प्रतिकूल परिणामों को रोकना है।

-लेबर रूम और मातृत्व ओ.टी. में प्रसव के दौरान मातृ एवं नवजात जन्मजात मृत्यु, रोगग्रस्तता और मृत जन्म को कम करना है। इसके साथ ही  सम्मानपूर्ण मातृत्व देखभाल सुनिश्चित करना है।

- यह पहल सरकारी मेडिकल कॉलेजों (एमसी) के साथ साथ जिला अस्पताल (डीएचएस) के अलावा और उच्च वितरण भार उप-जिला अस्पताल (एसडीएच) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में लागू की जाएगी।

- इस पहल में लेबर रूम की गुणवत्ता प्रमाणन करने और उल्लिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहन देने की योजना है।

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए)

-इस कार्यक्रम का उद्देश्य हर महीने 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को सुनिश्चित, व्यापक और गुणवत्तापूर्व प्रसव पूर्व देखभाल नि:शुल्क प्रदान करना है।

-4500 से अधिक स्वयंसेवकों को सभी राज्य / संघ शासित प्रदेशों में पीएमएसएमए पोर्टल पर पंजीकृत किया गया है।

-पीएमएसएमए सभी राज्य / संघ शासित प्रदेशों में 12500 से अधिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर आयोजित किया जाता है।

-अभियान के तहत व्यापक सेवाओं के लिए पीएमएसएमए साइटों पर 90 लाख से अधिक पूर्व प्रसवपूर्व परीक्षण किए गए हैं।
-पीएमएसएमए के तहत 5 लाख से अधिक उच्च जोखिम वाले गर्भधारण की पहचान की गई है।

इंटेंसिफाईड डायरिया नियंत्रण पाक्षिक (आईडीसीएफ)

-2014 के बाद से हर साल जुलाई-अगस्त के दौरान 'बाल बचपन के कारण शून्य बच्चे की मौत' के अंतिम लक्ष्य के साथ मनाया गया।

-पखवाड़े के दौरान (15 दिन में) स्वास्थ्य कर्मचारी पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों के घरों में जाते हैं। इसके तहत  सामुदायिक स्तर की जागरूकता निर्माण, गतिविधियों का संचालन और ओआरएस वितरित करते हैं।

-2017 (जुलाई-अगस्त) में  पांच वर्ष से कम उम्र के 7 करोड़ से अधिक बच्चे ओआरएस की सुविधा के लिए आशा केंद्रों तक गये।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके)

-4 डी पर नियंत्रण के लिए बच्चों की जांच और नि:शुल्क उपचार के लिए फरवरी 2013 में इस कार्यक्रम को शुरू किया गया था। 4 डी में विकलांगता सहित जन्म, रोग, कमियों और विकास विलंब पर दोष शामिल है।

-सितंबर, 2017 तक 36 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में 11020 टीमें हैं।

-92 जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र (डीईआईसी) कार्यात्मक हैं।

-11.7 करोड़ बच्चों की जांच की गई। 43.4 लाख बच्चों को माध्यमिक तृतीयक सुविधाओं के लिए भेजा गया जबकि 27.8 लाख बच्चों ने माध्यमिक तृतीयक सुविधाओं में सेवाओं का लाभ उठाया।

नेशनल डिवर्मिंग डे (एनडीडी)
 

एसटीएच संक्रमण का मुकाबला करने के लिए, स्वास्थ्य मंत्रालय ने एनडीडी नामक एक ही दिन की रणनीति को अपनाया है, जिसमें स्कूलों और आंगनवाड़ी केंद्रों के मंच के माध्यम से 1-19 वर्ष से आयु वर्ग के बच्चों को अल्बेंडाजोल की एक खुराक दी जाती है।

-88% कवरेज के साथ 2017 में 50.6 करोड़ बच्चों को दो राउंड (फरवरी और अगस्त) में शामिल किया गया था।

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके)

2014 में एक व्यापक कार्यक्रम के रूप में यौन प्रजनन स्वास्थ्य, पोषण, चोट लगने और हिंसा (लिंग आधारित हिंसा सहित) पर ध्यान केंद्रित किया गया। गैर-संचारी रोग, मानसिक स्वास्थ्य और पदार्थ, एक प्रोत्साहन और निवारक दृष्टिकोण के साथ दुरुपयोग मामलों में विशेष ध्यान देने पर बल दिया गया।

स्वास्थ्य सुविधाओं, समुदाय और स्कूलों को प्लेटफॉर्म के रूप में हस्तक्षेप के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

 किशोरावस्था के अनुकूल स्वास्थ्य क्लिनिक (एएफएसएचसी): ये किशोरों के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के संपर्क के पहले स्तर के रूप में कार्य करते हैं। आज तक देश भर में 7632 एएफएचसी स्थापित किए गए हैं और करीब 29.5 लाख किशोरों ने 2017-18 की दूसरी तिमाही के दौरान सेवाओं का लाभ उठाया है।

 साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंटेशन (वाईफ) प्रोग्राम: इसमें स्कूली लड़कों और लड़कियों के लिए साप्ताहिक पर्यवेक्षण आईएफए गोलियों के प्रावधान और पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा के अलावा दो वर्षीय बच्चों और दो वर्षीय अल्बेन्डाजोल की गोलियां शामिल हैं। 2017-18 की दूसरी तिमाही तक  3.9 करोड़ लाभार्थियों (किशोर लड़कों और लड़कियों) को वाईफस के तहत लाभान्वित किया गया।

मासिक धर्म स्वच्छता योजना: यह योजना ग्रामीण इलाकों में किशोरियों के लिए लागू की जा रही है। सेनेटरी नैपकिन की खरीद को वर्ष 2014 से विकेंद्रीकृत किया गया है। टेंडर प्रक्रिया के तहत सैनिटरी नैपकिन की विकेंद्रीकृत खरीद के लिए एनएचएम के माध्यम से 42.9 करोड़ रुपये को आवंटित किया गया है। जबकि आठ राज्य, राज्य निधि के माध्यम से इस योजना को कार्यान्वित कर रहे हैं।

 पीयर एजुकेशन प्रोग्राम: कार्यक्रम के तहत चार पीअर एडुकेटर्स (साथी) - स्वास्थ्य समस्याओं पर किशोरों को जानकारी देने के लिए प्रति 1000 आबादी के लिए दो पुरुष और दो महिला का चयन किया जाता है। पीयर एजुकेशन प्रोग्राम को 211 जिलों में लागू किया जा रहा है, अब तक 1.94 लाख पीई चुना गया है इसके साथ ही एएनएम और पीयर शिक्षक के लिए प्रशिक्षण जारी है।

 

मिशन पारिवार विकस (एमपीवी)

7 राज्यों के 146 जिलों में 3 से अधिक या इससे ऊपर के टीएफआर वाले जिलों में गर्भ निरोधकों और परिवार नियोजन सेवाओं की पहुंच में काफी वृद्धि हुई है।

एमपीवी में निम्नलिखित गतिविधियां शामिल हैं।

-इनजेक्टेबल गर्भनिरोधक के बाहर रोल करें

-बंध्याकरण मुआवजा योजना

-सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में कंडोम बॉक्स

-एमपीवी अभियान और सारथी (आईईसी वाहन)

-नव विवाहित जोड़ों के लिए नई पहल किट

-सास बहू सम्मेलन  

परिवार नियोजन - उपस्कर प्रबंधन सूचना प्रणाली (एफपी-एलएमआईएस)

-आपूर्ति-श्रृंखला प्रबंधन प्रणाली को मजबूत करने के लिए शुभारंभ किया गया।

-प्रशिक्षकों का राष्ट्रीय प्रशिक्षण (टीओटी) पूरा हो चुका है।

-राज्य स्तर का प्रशिक्षण 13 राज्यों और 3 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में पूरा हो चुका है, जिला स्तर के प्रशिक्षण को भी शुरू किया गया है।

-राज्य गोदामों के लिए भूमि शेयर प्रविष्टि 34 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों (लक्षद्वीप और नागालैंड को छोड़कर) में पूरा कर लिया गया है।

स्वास्थ्य और सशक्त केंद्र (एचडब्ल्यूसी)

2017-18 में  मंत्रालय ने स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों (एचडब्ल्यूसी) के लिए उप-स्वास्थ्य केंद्रों के परिवर्तन का उल्लेख किया है ताकि इसे व्यापक बनाने के लिए प्राथमिक देखभाल की सेवाओं की टोकरी का विस्तार किया जा सके।

 एचडब्ल्यूसी से आरएमएनसीएच + ए, संचारी बीमारियों, गैर-संचारी रोगों, नेत्र विज्ञान, ईएनटी, दंत चिकित्सा, मानसिक, वृद्धावस्था की देखभाल, तीव्र सरल चिकित्सा के लिए उपचार से संबंधित सेवाओं के पैकेज के लिए निवारक, प्रोत्साहन, पुनर्वास के साथ साथ आपातकालीन और आघात सेवाओं को उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है।

  इंसेंटिव पैकेज में निम्नलिखित सेवाओं पर विशेष ध्यान

1. गर्भावस्था और बच्चे के जन्म में देखभाल।

2. नवजात और शिशु स्वास्थ्य देखभाल सेवा।

3. बचपन और किशोर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं।

4. परिवार नियोजन, गर्भनिरोधक सेवाएं और अन्य प्रजनन स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं।

5. संचारी रोगों का प्रबंधन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम।

6. सामान्य सरल रोगों और सामान्य सरल बीमारियों और मामूली बीमारियों के लिए सामान्य से बाहर रोगी देखभाल का प्रबंधन।

7. गैर-संचारी रोगों की स्क्रीनिंग और प्रबंधन।

8. मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों का स्क्रीनिंग और बेसिक प्रबंधन।

9. सामान्य नेत्र और ईएनटी समस्याओं की देखभाल।

10. मूलभूत दंत चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल।

11. ज्येष्ठ और उपशामक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं।

12. ट्रॉमा केयर (जो इस स्तर पर प्रबंधित किया जा सकता है) और आपातकालीन चिकित्सा सेवा।

 एच एंड डब्ल्यूसी एक टीम आधारित दृष्टिकोण का उपयोग करके व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करेगा। इसके साथ ही उप केंद्र क्षेत्र के एएनएम, आशा और एडब्ल्यूडब्ल्यूएस सहित प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल टीम के साथ मध्य स्तर की सेवा प्रदाता का नेतृत्व करेंगे।

मार्च 2018 तक 4000 उप-केंद्रों को एचडब्ल्यूसी में मार्च 2022 तक 1.25 लाख  उप केंद्रों को एचडब्ल्यूसी में परिवर्तित करने का लक्ष्य रखा गया है। अब तक 3871 एचडब्ल्यूसी के लिए स्वीकृति पहले ही दे दी गई है।

प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम

एनएचएम के तहत पीपीपी मोड में सभी जिला अस्पतालों में 'राष्ट्रीय डायलिसिस प्रोग्राम' का समर्थन किया जाना चाहिए। एनएचएम सहायता के तहत गरीबों को मुफ्त डायलिसिस सेवाओं के प्रावधान के लिए राज्यों / संघ शासित प्रदेशों को प्रदान किया गया है।

जुलाई 2017 के अनुसार राज्यों / संघ शासित प्रदेशों ने बताया है कि 1.77 लाख से अधिक मरीजों ने 19.15 लाख से अधिक डायलिसिस सत्रों के साथ सेवाओं का लाभ उठाया है।

मुफ्त निदान सेवा पहल

एमओएचएफडब्ल्यू ने दिशानिर्देश में सुविधाओं के प्रत्येक स्तर पर किए जाने वाले जांच की स्पष्ट सूची प्रदान की है। दिशानिर्देश में प्रत्येक स्तर की सुविधा पर उपलब्ध कराए गए परीक्षणों की संख्या अधिक या कम हो सकती है। केरल, झारखंड,  कर्नाटक जैसे राज्यों में लोगों के कुछ वर्गों से उपयोगकर्ता शुल्क जमा हो रहे हैं। जबकि दमण और दीव जैसे यूटी सीटी स्कैन सेवाओं के लिए चार्ज है।
अब तक यह
कार्यक्रम 26 राज्यों / संघ शासित प्रदेशों में शुरू किया गया है जो नि:शुल्क निदान सेवाओं या तो घर में या पीपीपी मोड में प्रदान कर रहे हैं। परीक्षणों और कार्यान्वयन योजना की संख्या राज्य से भिन्न होती है।

एनएचएम के तहत नि:शुल्क निदान सेवा पहल के लिए 29 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वित्तीय वर्ष 2017-18 में 759.10 करोड़ रुपये को मंजूरी दे दी गई है।

जैव चिकित्सा उपकरणों के प्रबंधन और रखरखाव कार्यक्रम

एमओएचएफडब्लयू ने राज्यों के अधिकारियों के साथ उचित तंत्र तैयार करने के लिए परामर्श किया कि पहले से ही खरीदी गई चिकित्सा उपकरण का उपयोग किया गया है और ठीक से बनाए रखा गया है। उनकी कार्यशीलता की स्थिति सहित सभी जैव चिकित्सा उपकरणों की सूची को मैप करने के लिए एक व्यापक अभ्यास किया गया था।

29 राज्यों में मैपिंग का काम पूरा हो गया है। 29,115 स्वास्थ्य सुविधाओं में करीब 4564 करोड़ कीमत के 7,56,750 उपकरणों की पहचान की गई और ये पाया गया कि राज्यों में 13% से 34% की सीमा में उपकरण बेकार थे।

 

कैंसर, मधुमेह, कार्दिवास्कुलर रोग और स्ट्रोक (एनपीसीडीसीएस) के नियंत्रण और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम

 एनसीडी को रोकने और नियंत्रित करने के लिए  भारत भर में सभी राज्यों में एनपीसीडीसीएस बुनियादी ढांचे, मानव संसाधन विकास, स्वास्थ्य प्रबोधन, शीघ्र निदान, प्रबंधन और रेफरल को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

मौजूदा समय में यह  कार्यक्रम 436 जिलों में कार्यान्वित किया जा रहा है।

- 435 जिला अस्पतालों में एनसीडी क्लिनिक की स्थापना, और 2145 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र।

-कुल 138 जिलों में कार्डिएक केयर इकाइयां स्थापित की गई हैं। 84 जिलों में कैंसर कीमोथेरेपी के लिए डे केयर सेंटर स्थापित किए गए हैं।

-वित्त वर्ष 2017-18 में 1.92 करोड़ से अधिक लोगों की दूसरी तिमाही तक जांच की गई।

-कार्यक्रम में शिविरों के माध्यम से आउटरीच गतिविधियों का घटक है और इन शिविरों में 1.18 करोड़ से अधिक लोगों की जांच की गई। 10 लाख से अधिक लोगों की जांच की गई और उन्हें मधुमेह की अगली देखभाल के बारे में बताया गया है।

-आज तक लगभग 70 लाख लोग मधुमेह और इसके जटिलताओं के लिए, इस कार्यक्रम के तहत उपचार प्राप्त कर रहे हैं।

नैदानिक ​​और दवाओं की सुविधा:
जिले और सीएचसी स्तरों पर एनसीडी क्लीनिकों में भाग लेने वाले एनसीडी मरीजों के लिए नि:शुल्क निदान सुविधाओं और निशुल्क दवाएं प्रदान करने के लिए कार्यक्रम के तहत प्रावधान किया गया है।

मधुमेह, हाइपरटेंशन और कॉमन कैंसर (ओरल, ब्रेस्ट और कोर्वालिक) के लिए जनसंख्या-आधारित स्क्रीनिंग

हाल ही में शुरू की गई जनसंख्या आधारित स्क्रीनिंग ऑफ डायबिटीज, उच्च रक्तचाप और आम कैंसर समुदाय स्तर पर जोखिम कारकों को पहचानने और संबोधित करने के लिए बड़े पैमाने पर कदम उठाये गए हैं। 2017-18 के दौरान 150 से अधिक जिलों को लिया जा रहा है।

एनएचएम के तहत व्यापक प्राथमिक देखभाल के हिस्से के रूप में एनसीडी के स्क्रीनिंग और प्रबंधन के लिए संचालन संबंधी दिशानिर्देश पहले ही विकसित और जारी किए गए हैं। चिकित्सा अधिकारी, स्टाफ नर्स, एएनएम और आशा के लिए प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण पूरा कर लिया गया है। 9126 आशा, 4373 एएनएम / एमपीडब्ल्यू, 674 स्टाफ नर्स और 1006 मेडिकल अफसरों को पहले ही प्रशिक्षित किया गया है।

 सितंबर 2017 तक, 16309 उप केंद्रों में लगभग 170 जिलों के लिए अनुमोदन और स्क्रीनिंग की शुरूआत की गई है, जिसमें करीब 60 जिलों में 12 राज्यों और 2 केंद्रशासित प्रदेशों और 20,15,474 लोगों की जांच की गई है।

क्रोनिक ऑब्स्क्टिविव पुल्मोनेरी डिसेएज़ (सीओपीडी) और क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी)

 सीओपीडी और सीकेडी को रोकने और प्रबंधित करने के लिए, एनसीडी के कारण मौत के प्रमुख कारण भी हैं, एनपीसीडीसीएस के तहत उनका हस्तक्षेप शामिल किया गया है।

अभी तक, एनपीसीडीसीएस के हिस्से के रूप में सीकेडी हस्तक्षेप 41 जिलों और 96 जिलों में सीओपीडी हस्तक्षेप में लागू किया गया है।

एनपीसीडीसीएस के साथ आयुष का एकीकरण
 जीवनशैली संबंधी विकारों के व्यापक प्रबंधन के लिए, आयुष के लिए विभिन्न केंद्रीय परिषदों के साथ मिलकर छह जिलों में 'एनपीसीडीसी के साथ आयुष के एकीकरण' पर एक पायलट परियोजना शुरू की गई है।  'जीवनशैली से संबंधित' आम एनसीडी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए, एनयूपीसीडीसीएस के तहत एलोपैथी प्रणाली के बीच सिनर्जी का इस्तेमाल किया जा रहा है और आयुष के तहत दवा के वैकल्पिक तंत्र 1,75,417 और 65,169 मरीजों को एनपीसीसीसीएस-आयुष के तहत एनसीडी प्रबंधन के लिए नामांकित किया गया है।1मई 2017 तक इसके अलावा, सीएफसी और पीएचसी स्तर पर आयोजित दैनिक योग कक्षाओं के तहत 2,21,257 प्रतिभागियों को पंजीकृत किया गया है।

 एनसीडी के प्रति जागरूकता के लिए, 1,157 आउटरीच शिविर आयोजित किए गए हैं।

 

अमृत (उपचार के लिए उचित मेडिकल और विश्वसनीय प्रत्यायोजन)

रोगियों के लिए रियायती कीमतों पर मधुमेह, सीवीडी, कैंसर और अन्य रोगों के लिए दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 1 9 राज्यों में 105 फार्मेसियों की स्थापना की गई है।

-5000 से अधिक दवाओं और अन्य उपभोग्य वस्तुएं 50% छूट तक बेची जा रही हैं।

-15 नवंबर 2017 तक, अमृत फार्मेसियों से 44.54 लाख रोगियों को लाभ हुआ।

-एमआरपी पर दी गई दवा का मूल्य 417.73 करोड़ रुपये थी और इस तरह से अमृत स्टोर के जरिए दवाओं की बिक्री से 231.34 करोड़ रुपये की बचत हुई।

ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली

 फीस और नियुक्ति, ऑनलाइन निदान रिपोर्ट, रक्त ऑनलाइन आदि की उपलब्धता के बारे में पूछताछ के लिए विभिन्न अस्पतालों को लिंक करने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली (ओआरएस) एक रूपरेखा है। अब तक  मध्यप्रदेश जैसे एआईआईएमएस जैसे 124 अस्पतालों के साथ- नई दिल्ली और अन्य एम्स (जोधपुर; बिहार, ऋषिकेश, भुवनेश्वर, रायपुर, भोपाल); आरएमएल अस्पताल; एसआईसी, सफदरजंग अस्पताल; निमहांस; अगरतला सरकार मेडिकल कॉलेज; JIPMER आदि बोर्ड ओआरएस पर हैं। अब तक लगभग 10,80,771 नियुक्तियां ऑनलाइन की गई हैं।

सुरक्षित डिलीवरी आवेदन

एम हेल्थ (mHealth) टूल जिसका उपयोग स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए किया जा सकता है जो परिधीय क्षेत्रों में सामान्य और जटिल वितरण का प्रबंधन करते हैं। आवेदन में क्लिनिकल निर्देश फिल्में हैं जो कि प्रमुख प्रत्यारोपण प्रक्रियाओं पर हैं, जो कि स्वास्थ्य कर्मचारियों के कौशल को मरीजों के इलाज में मदद कर सकती हैं।

मोबाइल एप:

विभिन्न मोबाइल ऐप को लॉन्च किया गया है

-इंद्रधनुष टीकाकरण (टीकाकरण ट्रैकर के लिए)

-भारत डेंगू से लड़ता है (डेंगू के लक्षणों की जांच करने के लिए एक उपयोगकर्ता को सक्षम करता है, नजदीकी अस्पताल / रक्त बैंक की जानकारी प्राप्त करने और अभिप्राय साझा करने के लिए)

-एनएचपी स्वास्थ्य भारत (रोग, जीवन शैली, प्राथमिक चिकित्सा पर सूचना प्रसार) एनएचपी डायरेक्टरी सर्विसेज मोबाइल ऐप (भारत भर में अस्पताल और रक्त बैंकों से संबंधित जानकारी प्रदान की गई है।

-कोई और अधिक तनाव मोबाइल ऐप (तनाव प्रबंधन संबंधी पहलुओं पर जानकारी)

-प्रधान मंत्री सुरक्षित मात्रृत्व अभियान (पीएमएसएमए) मोबाइल ऐप (राज्यों से गर्भावस्था देखभाल संबंधी सूचना की रिपोर्ट करने के लिए)

राष्ट्रीय वेक्टर बोर्न रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी)

मलेरिया

2030 के अंत तक मलेरिया को नष्ट करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की वैश्विक कॉल के जवाब में भारत 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के लिए प्रतिबद्ध है। उपरोक्त के जवाब में, भारत ने मलेरिया उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार किया और फरवरी 2016 में एचएफएम द्वारा शुरू किया गया, इसके बाद मलेरिया उन्मूलन (2017-2022) के लिए राष्ट्रीय सामरिक योजना (एनएसपी) का मसौदा तैयार किया गया। उपरोक्त दोनों दस्तावेज 2027 तक स्पष्ट दृष्टि और मलेरिया उन्मूलन के लिए समयबद्ध रणनीतियों को देते हैं।

 मलेरिया उन्मूलन के लिए कॉल करने के बाद भारत ने रैपिड डायग्नोस्टीक किट (पीवी और पीएफ दोनों के लिए), आर्टेमिसिनिन संयोजनों जैसे प्रभावी विरोधी मलेरिया, लंबे समय तक चलने वाली कीटनाशक जाल के प्रावधान - 40 मिलियन का उपयोग करके मलेरिया के निदान की प्राप्ति और बढ़ाकर अपने हस्तक्षेप को मजबूत किया। पूर्वोत्तर राज्यों और उड़ीसा (पहले छत्तीसगढ़ और झारखंड के उच्च स्थानिक क्षेत्रों के लिए पाइप लाइन में) में वितरित की गई है।

इन बढ़ते हुए मलेरिया के हस्तक्षेपों के कारण, अक्टूबर, 2016 की तुलना में अक्टूबर, 2017 में मलेरिया में करीब 12% की गिरावट देखी है।मौतें नाटकीय रूप से लगभग 52% तक कम हो गई हैं।

 उड़ीसा और पूर्वोत्तर राज्यों की उच्च स्थानिक स्थितियों ने पिछले 2 वर्षों में और साथ ही इस साल भी मलेरिया में भारी गिरावट देखी है।

जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई)

 जेई/एईएस के कारण रोग, मृत्यु दर और विकलांगता को कम करने के लिए जेई / एईएस की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम का गठन।

जेई से प्रभावित 231 जिलों में से 216 जिलों में 1-15 उम्र समूह में टीकाकरण कार्यक्रम को पूरा किया गया। 2017-18 में 15 जिलों में जेई टीकाकरण अभियान की योजना बनाई गई है।

-वयस्क टीकाकरण (15-65 वर्ष): असम, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में सभी 31 जिलों में पूरा किया गया।

-प्रहरी स्थल की संख्या 2005 में 51 से बढ़कर 131 हो गई है जो कि जेई की नि:शुल्क पुष्टि के लिए है। 2015 में कुल 406, जेई किट (1 किट = 96 टेस्ट) की आपूर्ति की गई। 2016 में 502 जेई किटों की आपूर्ति की गई है। 2017 के दौरान,  नवंबर तक तक 531 किट की आपूर्ति की गई है।

 -सर्वोच्च रेफ़रल लैबोरेटरीज 12 से बढ़कर 15 हो गई है

 -60 प्राथमिकता वाले जिलों में से 31 पीआईसीयू देश में कार्यरत हैं: उत्तर प्रदेश में 10, असम में 4, पश्चिम बंगाल में 10, तमिलनाडु में 5 और बिहार में 2 हैं।

-राज्यों से अनुरोध किया गया है कि वे जेई को एक अधिसूचित (नोटिफिएबल) रोग बना दें।

 

वैश्विक उपस्थिति

-भारत एक नियमित भागीदार है और वैश्विक घटनाओं पर प्रमुख वक्ता हैं, अर्थात विश्व स्वास्थ्य सम्मेलन 2017, संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य सभा आदि में भारत स्वास्थ्य मुद्दों को गंभीरता से उठाता रहा है।

-भारत ने 2017 ब्रिक्स कार्यक्रम में एमओएचएफडब्ल्यू ने स्वास्थ्य मंत्रियों से समन्वय किया था, ताकि स्वास्थ्य मुद्दों पर सदस्य राष्ट्रों के निरन्तर सहयोग के लिए अधिवक्ता मिल सके। टीबी, चिकित्सा उपकरणों और एएमआर आदि खास ध्यान देने की बात पर बल दिया गया।

-स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग के लिए, दिसंबर 2017 में भारत और क्यूबा ने समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य तकनीकी, वैज्ञानिक, वित्तीय और मानवीय संसाधनों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच व्यापक अंतर-मंत्रिस्तरीय और अंतर-संस्थागत सहयोग स्थापित करना है ताकि मानव गुणवत्ता और गुणवत्ता की उन्नयन के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। और स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा शिक्षा और प्रशिक्षण, और दोनों देशों में शोध में शामिल बुनियादी ढांचागत संसाधन।

-भारत और मोरक्को ने स्वास्थ्य क्षेत्र में विस्तारित सहयोग के लिए दिसंबर 2017 में समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
-स्वास्थ्य क्षेत्र में विस्तारित सहयोग के लिए भारत और इटली ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

सहयोग के मुख्य क्षेत्रों में ये खास अंश शामिल हैं

-चिकित्सा डॉक्टरों, अधिकारियों, अन्य स्वास्थ्य पेशेवरों और विशेषज्ञों के एक्सचेंज एवं प्रशिक्षण।

- मानव संसाधन के विकास और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की स्थापना में सहायता।

 -स्वास्थ्य में मानव संसाधनों का अल्पकालिक प्रशिक्षण।

- फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों का विनियमन और इसके बारे में जानकारी का आदान प्रदान।

- फार्मास्यूटिकल्स में व्यावसायिक विकास के अवसरों को बढ़ावा देना।

- सामान्य और आवश्यक दवाओं की खरीद और नशीली दवाओं की आपूर्ति के स्रोत में सहायता।

- स्वास्थ्य उपकरण और दवा उत्पादों की खरीद।

 -एसडीजी-3 और संबंधित कारकों पर जोर देने के साथ आपसी हित के एनसीडी की रोकथाम में सहयोग, जैसे कि न्यूरोकार्डियॉवस्कुलर रोग, कैंसर, सीओपीडी, मानसिक स्वास्थ्य और मनोभ्रंश।

 -संचारी रोगों और वेक्टर से उत्पन्न बीमारियों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के क्षेत्र में सहयोग।
-एसडीजी 2 और पौष्टिक सेवाओं के संगठन के प्रकाश में कुपोषण (अति पोषण और अंडर-पोषण) सहित भोजन सेवन के पोषण संबंधी पहलू।

- उत्पादन, परिवर्तन, वितरण और खाद्य वितरण की सुरक्षा।

- खाद्य उद्योग ऑपरेटरों के अनुसंधान और प्रशिक्षण।

- स्वच्छता और खाद्य सुरक्षा और स्वस्थ खाने की आदतों पर नागरिकों के लिए सूचना और संचार।

 -सहयोग के किसी भी अन्य क्षेत्र के रूप में पारस्परिक रूप से निर्णय लिया जा सकता है।

-पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रयासों को गति प्रदान करने और मिशन इंद्रधनुष, गहनता मिशन इंद्रधनुष सहित नियमित प्रतिरक्षण के तहत एमओयू पर रोटरी इंडिया के साथ हस्ताक्षर किए गए।

सहयोग के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र

-लाभार्थियों के लिए विशेष रूप से शहरी झुग्गी बस्तियों और अनावश्यक क्षेत्रों में लाभार्थियों का सामाजिक संघटन।

-सत्रों के दौरान रिफ्रेशमेंट्स / स्मारकों जैसे प्रोत्साहन के माध्यम से सामुदायिक जुटाने के अपने प्रयासों में एनसीसी, एनवाईके, एनएसएस आदि के सदस्यों को समर्थन देना।

-पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिए निजी प्रेक्टिशनरों और स्थानीय नेताओं के साथ समर्थन और जागरूकता पैदा करना, मिशन इंद्रधनुष, गहनता मिशन इंद्रधनुष और मीसल-रुबेला सहित नियमित टीकाकरण।

-भारत, प्रजनन स्वास्थ्य के क्षेत्र में दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने के लिए 1994 में जनसंख्या और विकास (आईसीपीडी) के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान गठित जनसंख्या और विकास (पीपीडी) - एक अंतर-सरकारी संगठन के संस्थापक सदस्य है, जनसंख्या और विकास भारत वर्तमान में पीपीडी बोर्ड के उपाध्यक्ष है।

-भारत उच्च स्तर की सलाहकार समूह का सदस्य है और पीएमएनसी (मातृ, नव-जन्म और बाल स्वास्थ्य) बोर्ड के लिए कार्यकारी समिति के सह-अध्यक्ष भी है।

-भारत ने महिलाओं, बच्चों और किशोरों के लिए अद्यतन वैश्विक रणनीति के विकास में नेतृत्व की भूमिका निभाई है, और किशोरावस्था में स्वास्थ्य को वैश्विक रणनीति में शामिल करने के लिए ताकत लगा दी है।

-सचिव, एमओएफ़एफडब्ल्यू, को पुलिस ब्यूरो के अध्यक्ष (अगले दो वर्षों में डब्ल्यूएचओ फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) के पक्ष में सम्मेलन के रूप में सेवा के लिए चुना गया है।

-एमओएचएफडब्ल्यू ने एएमआर (एंटी माइक्रोबियल रेसस्टेंस) पर भारत के नेतृत्व को मजबूत करने और एएमआर से निपटने के लिए एक संशोधित और मजबूत राष्ट्रीय कार्य योजना को मजबूत करने की दिशा में काम कर रहा है इस वर्ष के शुरू में जारी किया गया है।

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वीके/एएम/एजी/एलआर/पीकेए/एसके/पीबी/एमएस-6020

 



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