वित्‍त मंत्रालय

मजबूत वृहद आर्थिक तत्‍व और सतत विकास के लिए अनेक सुधारों को लागू किया जाना वर्ष 2017 में वित्‍त मंत्रालय की उल्‍लेखनीय उपलब्‍धियां रहीं


2017 वित्‍त मंत्रालय के लिए ऐतिहासिक वर्ष रहा, मूडीज इन्‍वेस्‍टर्स सर्विस ने 13 साल बाद भारत की स्‍थानीय एवं विदेशी मुद्रा रेटिंग बढ़ाई, विश्‍व बैंक के ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में भारत 30 पायदान ऊपर चढ़ गया और ‘विमुद्रीकरण’ से वित्‍तीय प्रणाली में पारदर्शिता स्‍पष्‍ट रूप से नजर आई



परिवर्तनकारी सुधार - वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू कर अप्रत्‍यक्ष कर प्रणाली में आमूलचूल बदलाव सुनिश्‍चित किया गया



सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को नई पूंजी उपलब्‍ध कराई गई और उनके समेकन के लिए वैकल्‍पिक व्‍यवस्‍था की गई- पीएमजेडीवाई और एपीवाई ने उल्‍लेखनीय प्रगति हासिल की



विनिवेश के जरिए धन जुटाने की प्रक्रिया फिर से परिभाषित की गई, सरकार ने एक नया एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) ‘भारत 22’ लांच किया, जो सीपीएसई, पीएसबी और एसयूयूटीआई की रणनीतिक होल्डिंग के 22 शेयरों का अनूठा मिश्रण है

Posted On: 18 DEC 2017 6:48PM by PIB Delhi

वर्षांत समीक्षा

 

 

वर्ष 2017 में वित्‍त मंत्रालय ने उल्‍लेखनीय उपलब्‍धियां हासिल की। मंत्रालय के सभी पांचों विभागों यथा आर्थिक मामलों के विभाग (डीईए), राजस्‍व विभाग, वित्‍तीय सेवाओं के विभाग (डीएफएस), निवेश संवर्धन एवं परिसंपत्‍ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम) और व्‍यय विभाग (डीओई) के सम्मिलित प्रयासों से ही यह संभव हो पाया, जिनका उल्‍लेख नीचे किया गया है:- 

I. आर्थिक मामलों का विभाग

·         वर्ष 2017-18 के दौरान अर्थव्‍यवस्‍था के बुनियादी तत्‍व निरंतर मजबूत बने रहे

वृहद आर्थिक संकेतक

वर्ष 2017-18 के लिए

जीडीपी वृद्धि दर (%)

6.0 (दूसरी तिमाही तक )

सीपीआई

3.6% (दूसरी तिमाही)

डब्‍ल्‍यूपीआई

3.6% (दूसरी तिमाही)

चालू खाता घाटा

14.3 अरब अमेरिकी डॉलर (पहली तिमाही)

व्‍यापार घाटा

41.2 अरब अमेरिकी डॉलर (पहली तिमाही)

बाह्य ऋण एवं जीडीपी का अनुपात  (%)

20.2

एफडीआई का प्रवाह

1,350.93 मिलियन अमेरिकी डॉलर

(अक्‍टूबर, 2017 तक)

विदेशी मुद्रा भंडार

401,942.0 मिलियन अमेरिकी डॉलर

(1 दिसम्‍बर, 2017 तक)

(स्रोत ; आरबीआई बुलेटिन)

विनिर्माण, बिजली, गैस, जलापूर्ति एवं अन्‍य उपयोगी सेवाओं और व्‍यापार, होटल, परिवहन एवं संचार तथा प्रसारण क्षेत्र से जुड़ी सेवाओं की वृद्धि दर वर्ष 2016-17 की दूसरी तिमाही की तुलना में वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में 6.0 प्रतिशत से ज्‍यादा रही।

मूडीज इन्‍वेस्‍टर्स सर्विस ने भारत सरकार की स्‍थानीय एवं विदेशी मुद्रा जारीकर्ता रेटिंग ‘बीएए3’ से बढ़ाकर ‘बीएए2’ कर दी है और इसके साथ ही 13 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद रेटिंग से संबंधित आउटलुक को ‘सकारात्‍मक’ से बढ़ाकर ‘स्थिर’ कर दिया है। वृहद आर्थिक स्थिरता के लिए सरकारी प्रतिबद्धता को ध्‍यान में रखते हुए मूडीज ने यह कदम उठाया है क्‍योंकि इसकी बदौलत महंगाई दर कम हो गई, राजकोषीय घाटे में कमी आई और सरकार के राजकोषीय समेकन कार्यक्रम से बेहतर बाह्य संतुलन संभव हो पाया।

    विश्‍व बैंक के ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में भारत 30 पायदान ऊपर चढ़कर 100वें स्‍थान पर पहुंच गया। यह ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में किसी भी देश द्वारा लगाई गई सर्वाधिक छलांग है। यह जानकारी ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक (ईओडीबी) से संबंधित रिपोर्ट, 2018 से मिली है। इसकी बदौलत भारत दक्षिण एशिया एवं ब्रिक्‍स देशों में एकमात्र ऐसा राष्‍ट्र है, जो इस साल की ईओडीबी रिपोर्ट में सर्वाधिक बेहतर प्रदर्शन करने वाली अर्थव्‍यवस्‍थाओं में अपने आपको शुमार करने में सफल रहा है।

     विकास की गति सुस्‍ती से उबर कर फिर से तेज हुई- वित्‍त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्‍पाद) की वास्‍तविक वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रही, जो प्रथम तिमाही में दर्ज की गई 5.7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर से काफी अधिक है। इसी तरह जीवीए की वास्‍तविक वृद्धि दर प्रथम तिमाही के 5.6 प्रतिशत से बढ़कर दूसरी तिमाही में 6.1 प्रतिशत हो गई। इस तिमाही विकास की गति तेज होने में विनिर्माण क्षेत्र का अच्‍छा योगदान रहा, जो प्रथम तिमाही के 1.2 प्रतिशत से बढ़कर दूसरी तिमाही में 7 प्रतिशत के उच्‍च स्‍तर पर पहुंच गया। इसी तरह बिजली एवं अन्‍य उपयोगिता क्षेत्रों की वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत तथा व्‍यापार, परिवहन एवं संचार क्षेत्रों की वृद्धि दर 9.9 प्रतिशत होने से भी आर्थिक विकास की तेज गति संभव हो पाई।  कुल मिलाकर, सेवा क्षेत्र ने दूसरी तिमाही में 7.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। इसी तरह सकल अचल पूंजी निर्माण की वृद्धि दर भी पहली तिमाही के 1.6 प्रतिशत से बढ़कर दूसरी तिमाही में 4.7 प्रतिशत हो गई। उधर, निजी खपत की वास्‍तविक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत के स्‍तर पर टिकी रही।

    काला धन बाहर निकालने के लिए उठाए गए क्रांतिकारी कदम ‘विमुद्रीकरण’ के एक साल बाद यानी 08 नवम्‍बर, 2017 को इस दिशा में मिली सफलताओं को रेखांकित किया गया। इस दौरान प्रचलन में रहे उच्‍च मूल्‍य वर्ग वाले नोटों में 50 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई, पारिश्रमिक का कैशलेस (नकद रहित) लेन-देन सुनिश्चित करने के लिए 50 लाख नये बैंक खाते खोले गए, वित्‍त वर्ष 2015-16 से लेकर वित्‍त वर्ष 2016-17 तक की अवधि के दौरान करदाताओं की संख्‍या में 26.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई एवं दाखिल किये गये ई-रिटर्न की संख्‍या में 27.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई, अगस्‍त 2016 से लेकर अगस्‍त 2017 के बीच आईएमपीएस लेन-देन के कुल मूल्‍य में लगभग 59 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, 2.24 लाख मुखौटा कंपनियों को पंजीयक सूची से हटा दिया गया, 29 213 करोड़ रुपये की अघोषित आय के बारे में पता चला और देश भर में यूएलबी के राजस्‍व में बढ़ोतरी दर्ज की गई।

    केन्‍द्र एवं राज्‍यों के बीच शुद्ध कर राशि के वितरण से जुड़े मसलों पर विचार करने के लिए 15वें वित्‍त आयोग के गठन को 27 नवम्‍बर, 2017 को अधिसूचित किया गया।

     लॉजिस्टिक्‍स क्षेत्र के एकीकृत विकास की जरूरत को पूरी करने के लिए 10 नवम्‍बर, 2017 को संस्‍थागत व्‍यवस्‍था (आईएम) की 14वीं बैठक आयोजित की गई, जिसमें लॉजिस्टिक्‍स क्षेत्र को ढांचागत दर्जा दिया गया। अन्‍य देशों के मुकाबले भारत में लॉजिस्टिक्‍स लागत बहुत ज्‍यादा होने की बात को ध्‍यान में रखते हुए यह कदम उठाया गया है।

II. राजस्‍व विभाग

जीएसटी

मुख्‍य विशेषताएं

   30 जून, 2017 की मध्‍य रात्रि को वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की घोषणा की गई और इसे 01 जुलाई, 2017 से लागू किया गया।

     जीएसटी केंद्र और राज्य दोनों के द्वारा प्रशासित है और इसमें केन्‍द्र एवं राज्‍यों के अनेक करों को समाहित किया गया है, जिनमें राज्‍य वैट, केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क, क्रय कर और प्रवेश कर शामिल हैं।

   जीएसटी से कारोबारी लेन-देन में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित हो रही है और इसके साथ ही जीएसटी से कारोबार में सुगमता आ रही है तथा कर दरें तर्कसंगत हो गई हैं।

   जीएसटी से अंतर-राज्‍य लेन-देन की राह की बाधाएं हट गई हैं, जिससे एक साझा बाजार की स्‍थापना का मार्ग प्रशस्‍त हुआ है।

   जीएसटी प्रणाली के तहत करदाताओं को कच्‍चे माल पर अदा किये गये करों का क्रेडिट (इनपुट टैक्‍स क्रेडिट) लेने का प्रावधान किया गया है, जिसका इस्‍तेमाल वे अपने उत्‍पादों पर कर अदायगी में कर सकते हैं।

प्रत्‍यक्ष कर

आयकर विभाग ने कर आधार बढ़ाने और कर प्रशासन में दक्षता तथा पारदर्शिता लाने के लिए अनेक कदम उठाए। 50 लाख रुपये तक की आमदनी वाले करदाताओं के लिए एकल पेज वाला आईटीआर-1 (सहज) फॉर्म पेश करना और 50 करोड़ रुपये तक के कारोबार वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्‍स को घटाकर 25 प्रतिशत के स्‍तर पर लाना भी इन कदमों में शामिल हैं। इन पहलों के परिणामस्‍वरूप करदाताओं की संख्‍या वित्‍त वर्ष 2012-13 के 4.72 करोड़ से बढ़कर 18 सितम्‍बर, 2017 तक 6.26 करोड़ के स्‍तर पर पहुंच गई।

कर आधार बढ़ाने के सरकारी प्रयासों के फलस्‍वरूप वित्‍त वर्ष 2017-18 के दौरान प्रत्‍यक्ष करों का संग्रह बढ़कर अक्‍टूबर, 2017 तक 4.39 लाख करोड़ रुपये के स्‍तर पर जा पहुंचा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 15.2 प्रतिशत अधिक है।

विमुद्रीकरण एवं ऑपरेशन क्‍लीन मनी

आयकर विभाग विमुद्रीकरण अवधि के दौरान प्राप्‍त सूचनाओं के आधार पर तलाशी एवं जब्‍ती सहित व्‍यापक कार्रवाई कर रहा है।

आयकर विभाग ने 31 जनवरी, 2017 को ऑपरेशन क्‍लीन मनी (ओसीएम) का शुभारंभ किया, जिसका उद्देश्‍य प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हुए विमुद्रीकरण अवधि यानी 9 नवम्‍बर से लेकर 30 दिसम्‍बर, 2016 के दौरान जमा की गई नकद राशि का ई-सत्‍यापन करना है।

9 नवम्‍बर, 2016 से लेकर 28 फरवरी, 2017 तक की अवधि के दौरान आयकर विभाग द्वारा की गई व्‍यापक कार्रवाई के फलस्‍वरूप 818 करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा की राशि जब्‍त की गई है तथा 9,334 करोड़ रुपये की अघोषित आय के बारे में पता चला है। सरकारी कार्रवाई के फलस्‍वरूप वित्‍त वर्ष 2016-17 के दौरान प्राप्‍त आयकर रिटर्न में 21.7 प्रतिशत, सकल संग्रह (पिछले पांच वर्षों में सर्वाधिक) में 16 प्रतिशत और शुद्ध संग्रह (पिछले तीन वर्षों में सर्वाधिक) में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी तरह व्‍यक्तिगत आयकर, नियमित आकलन कर और स्‍व–आकलन कर में क्रमश: लगभग 18, 25 तथा 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी आंकी गई है।

आयकर विभाग ने 09 नवम्‍बर, 2016 से लेकर 10 जनवरी, 2017 तक की अवधि के दौरान बड़े नोटों को संदिग्‍ध रूप से जमा करने और उससे जुड़ी गतिविधियों को ध्‍यान में रखते हुए 1100 से भी ज्‍यादा तलाशियां लीं और 5100 से भी अधिक सत्‍यापन नोटिस जारी किये। इस तरह की कार्रवाइयों से 5400 करोड़ रुपये से भी अधिक की अघोषित आय के बारे में पता चला है।

III. वित्‍तीय सेवाओं का विभाग (डीएफएस)

अर्थव्‍यवस्‍था के मुख्‍य स्‍तंभों यानी बैंकों की मजबूती सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के पुनर्पूंजीकरण का फैसला किया, ताकि ऋणों के उठाव में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार सृजन भी संभव हो सके। इसके तहत 18,139 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान के अलावा 135000 करोड़ रुपये के पुनर्पूंजीकरण बांड जारी कर अगले दो वर्षों के दौरान तकरीबन 2,11,000 करोड़ रुपये की राशि जुटाई जाएगी, जबकि शेष राशि बैंकों द्वारा सरकारी इक्विटी घटाते हुए बाजार से जुटाई जाएगी।

सरकार ने फंसे पड़े कर्जों की वसूली करने तथा इससे जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए कुछ प्रमुख विधायी परिवर्तन भी किए। दिवाला एवं दिवालियेपन से जुड़े मसलों को सुलझाने के लिए एक एकीकृत रूपरेखा के रूप में दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 बनाई गई।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत खोले गये कुल बैंक खातों की संख्‍या  29 नवम्‍बर, 2017 तक बढ़कर 30.69 करोड़ हो गई। उधर, शून्‍य बैलेंस वाले खातों की संख्‍या सितम्‍बर, 2014 के 76.81 प्रतिशत से काफी घटकर सितम्‍बर, 2017 में 20 प्रतिशत से भी नीचे आ गई।

69 लाख से भी ज्‍यादा सदस्‍य अटल पेंशन योजना से जुड़ गए, जो वित्‍तीय समावेश एवं वित्‍तीय सुरक्षा के तहत सरकार का प्रमुख कार्यक्रम है। अक्‍टूबर, 2017 तक इसमें 2690 करोड़ रुपये का अंशदान रहा।

अगस्‍त, 2017 तक भारत में लगभग 52.4 करोड़ ‘आधार’ नम्‍बरों को 73.62 करोड़ खातों से जोड़ा गया। इसके परिणामस्‍वरूप गरीब अब इलेक्‍ट्रॉनिक ढंग से भुगतान करने में समर्थ हो गए हैं। गरीबों द्वारा इलेक्‍ट्रॉनिक पहचान का इस्‍तेमाल करते हुए अब हर माह लगभग 7 करोड़ सफल भुगतान किये जाते हैं।

IV. विनिवेश एवं सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीएएम)

केन्‍द्र सरकार ने चालू वित्‍त वर्ष 2017-18 में 15 दिसंबर, 2017 तक विनिवेश के जरिए कुल मिलाकर 52389.56 करोड़ रुपये जुटाए हैं।

वर्ष 2017-18 में सीपीएसई के विनिवेश के जरिए 72500 करोड़ रुपये जुटाने के लक्ष्‍य की प्राप्ति के लिए शेयरों के विनिवेश हेतु एक वाहन (व्‍हीकल) के रूप में एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड्स का उपयोग करने के उद्देश्‍य को ध्‍यान में रखते हुए सरकार ने 14 नवम्‍बर, 2017 को भारत 22 के नाम से एक नया एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) लांच किया, जिसका प्रबंधन आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल द्वारा किया जा रहा है। इसके तहत लगभग 8000 करोड़ रुपये की आरंभिक राशि को लक्षित किया गया है। भारत 22 सीपीएसई, पीएसबी और एसयूयूटीआई की रणनीतिक होल्डिंग के 22 शेयरों का एक अनूठा मिश्रण है।   

   वित्‍त वर्ष 2017-18 में विभाग द्वारा सफलतापूर्वक किए गए अन्‍य प्रमुख विनिवेश कुछ इस तरह से हैं :

 

सीपीएसई का नाम

भारत सरकार के शेयरों का विनिवेश किया गया (प्रतिशत में)

प्राप्तियां (करोड़ रुपये में)

विनिेवेश के बाद भारत सरकार की हिस्‍सेदारी

ओआईएल

5.6

1135.26

66.13%

नाल्‍को

9.2125

1191.73

65.38%

हुड्डो

10.193

1207.35

89.81%

एसयूयूटीआई

रणनीतिक विनिवेश

41.53.65

-

एनआईए

11.65

7653.32

85.44%

एनटीपीसी

6.63

9117.92

63.11%

जीआईसी

12.5

9704.16

85.78%

(स्रोत – डीआईपीएएम की वेबसाइट)

V. व्‍यय विभाग (डीएई)

सामान्‍य वित्‍तीय नियमों (जीएफआर), 2017 को 7 मार्च, 2017 को जारी किया गया, ताकि राजकोषीय प्रबंधन की बेहतर, दक्ष एवं कारगर रूपरेखा सुनिश्चित की जा सके। इसके साथ ही समय पर सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्‍यक लचीलापन भी सुनिश्चित किया जा सके।

डिजिटल प्‍लेटफॉर्मों को बढ़ावा देना

पीएफएमएस के जरिए धनराशि पर नजर रखना – केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री श्री अरुण जेटली ने 27 अक्‍टूबर, 2017 को भारत सरकार की सभी केन्‍द्रीय क्षेत्र योजनाओं के लिए सार्वजनिक वित्‍त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) का उपयोग अनिवार्य कर दिया, ताकि क्रियान्‍वयनकारी एजेंसियों को धन के प्रवाह पर करीबी नजर रखी जा सके। 6,66,644 करोड़ रुपये के बजट परिव्‍यय वाली केन्‍द्रीय क्षेत्र की योजनाओं (सीएसएस) ने वित्‍त वर्ष 2017-18 के दौरान केन्‍द्र सरकार के कुल व्‍यय के 31 प्रतिशत से भी अधिक हिस्‍से को कवर किया।

बुनियादी ढांचागत क्षेत्र पर सार्वजनिक व्‍यय

सरकार ने बुनियादी ढांचागत क्षेत्र पर सार्वजनिक व्‍यय में निरंतर वृद्धि की है, ताकि रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया जा सके और इसके साथ ही आर्थिक विकास को नई गति प्रदान की जा सके। भारत सरकार ने अक्‍टूबर, 2017 तक 7,67,327 करोड़ रुपये प्राप्‍त किए, जिसमें 633617 करोड़ रुपये का कर राजस्‍व, 95151 करोड़ रुपये का गैर-कर राजस्‍व और 38559 करोड़ रुपये की गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं।

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वीके/एम/आरआरएस/एसकेपी/वाईबी -6007



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