प्रधानमंत्री कार्यालय

मिजोरम के आइजोल में तुरिअल पनबिजली परियोजना के राष्ट्र समर्पण समारोह में प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ

Posted On: 16 DEC 2017 6:00PM by PIB Delhi

मित्रों,

चिबई वेक उले,

इन दम एम 

 

प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे पहली बार मिजोरम आने का अवसर मिला है। उत्तर पूर्व के राज्‍य, जिन्हें हम 'एट सिस्‍टर्स' कहते हैं, उनमें से यही एक राज्य था, जहां मैं प्रधानमंत्री के तौर पर अभी तक नहीं आ पाया था। इसलिए मैं सबसे पहले आपका क्षमाप्रार्थी हूं। हालांकि प्रधानमंत्री बनने से पहले मैं मिजोरम आता रहा हूं। यहां के शांत-सुंदर वातावरण से भली-भांति मैं परिचित हूं। यहां के मिलनसार लोगों के बीच मैंने बहुत अच्छा समय गुजारा है। अभी जब आपके बीच आया हूं तो वो पुरानी यादें फिर से ताजा हो जाना बहुत सुभाविक है। 

आज आपके इस सुंदर राज्‍य की मेरी यात्रा ने मेरी पिछली यादें ताजा कर दी जब मैंने मिजोरम के मित्रवत लोगों के साथ अच्‍छे समय बिताए थे। अब मैं आपको और वास्‍तव में मिजोरम के लोगों को क्रिसमस एवं नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए शुरू करता हूं, मेरी क्रिसमस एंड अ हैप्‍पी न्‍यू ईयर।


नया साल आप सब के लिए खुशियां एवं समृद्धि लाए।

मैं कुछ समय पहले जैसे ही आइजोल पहुंचा, मिजोरम: 'पहाड़ी लोगों की भूमि' की मोहक सुंदरता का एक बार फिर गवाह बना।

यह अमन एवं शांति की भूमि है।

यहां के लोग काफी गर्मजोशी से मेहमाननवाजी करते हैं।

यह एक ऐसा राज्‍य है जहां भारत में सर्वाधिक साक्षरता दर है।


उत्तर पूर्वी राज्यों में विकास को लेकर अटल जी के कार्यकाल में बहुत गंभीर प्रयास हुए थे। अटल जी कहते थे आर्थिक सुधार का एक बड़ा मकसद है क्षेत्रीय भेदभाव को पूरी तरह खत्म करना। इस दिशा में उन्होंने काफी कदम भी उठाए थे। 


2014 में हमारी सरकार बनी तो एक बार फिर इस क्षेत्र को, हम सरकार की नीतियों और फैसलों में आगे लेकर आए हैं। मैंने तो एक नियम बना दिया था कि हर 15 दिन में कैबिनेट का कोई ना कोई मंत्री उत्तर पूर्व के राज्यों का दौरा जरूर करेगा। ये भी नहीं होगा कि सुबह आए, दिन में किसी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और शाम को वापस चला जाए। मैं चाहता था कि मंत्रिमंडल के मेरे साथी यहां रुककर, आपके बीच रहकर, आपकी आवश्यकताओं को समझें, उनके मुताबिक अपने मंत्रालयों में नीतियां बनाएं। 


साथियों,

मुझे बताया गया है कि पिछले तीन वर्षों में मेरे साथी मंत्रियों की 150 से ज्यादा दौरा पूर्वोत्तर के राज्यों में हो चुकी है। हम इस विजन के साथ काम कर रहे हैं कि अपनी परेशानियां, अपनी आवश्यकताएं बताने के लिए आपको दिल्ली तक संदेश ना भिजवाना पड़े, बल्कि दिल्ली खुद आपके बीच चलकर आए। 


इस पॉलिसी को हमने नाम दिया है- मिनिस्‍ट्री ऑफ डोनर एट योर डोर-स्‍टेप। मंत्रियों से अलग, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय के सचिव भी अपने अफसरों के साथ हर महीने पूर्वोत्तर के किसी न किसी राज्य में कैंप करते हैं। सरकार के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि पूर्वोत्तर की योजनाओं में तेजी आई है, जो बरसों से अटके हुए प्रोजेक्ट थे, वे आज तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।

केंद्र सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के लाभ के लिए योजनाओं में तेजी आई है। वर्षों से अटकी परियोजनाएं अब प्रगति कर रही हैं।

अभी-अभी मैंने स्‍व-सहायता समूहों द्वारा लगाई गई प्रभावशाली प्रदर्शनी की झलक देखी है जिसमें सभी आठ पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के उत्‍पाद शामिल थे। मैं इन स्व-सहायता समूहों के सदस्यों को उनकी प्रतिभा और क्षमता के लिए बधाई देता हूं। यह एक ऐसी संभावना है जिसे प्रोत्‍साहित और विकसित करने के लिए केंद्र सरकार प्रतिबद्ध है। यह दीन दयाल अंत्योदय योजना के प्रमुख उद्देश्यों में से एक है।

स्‍व-सहायता समूह केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जा रही ब्याज सब्सिडी के साथ नॉर्थ ईस्‍टर्न डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन द्वारा मुहैया कराए गए क्रेडिट लिंकेज का लाभ उठा रहे हैं।

मुझे बताया गया है कि पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय भी नॉर्थ ईस्‍टर्न हैंडीक्राफ्ट्स एंड हैंडलूम डेवलपमेंट कॉरपोरेशन और नॉर्थ ईस्‍टर्न रीजनल एग्रीकल्‍चरल मार्केटिंग कॉरपोरेशन की गतिविधियों का समर्थन कर रहा है।


सार्वजनिक क्षेत्र के ये उपक्रम विपणन एवं खाद्य प्रसंस्‍करण के लिए कारीगरों, बुनकरों और किसानों को प्रशिक्षण देने में संलग्‍न हैं।

सीएसआईआर, आईसीएआर और आईआईटी जैसे संस्थानों द्वारा विकसित प्रौ़द्योगिकी एवं उत्‍पादों का पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में संभावित इस्‍तेमाल का अध्‍ययन किया जाना चाहिए ताकि स्‍थानीय उत्‍पादों को मूल्‍यवर्द्धन के लिए समर्थ बनाया जा सके।

 

मित्रों,

आज हम मिजोरम के इतिहास में एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव का जश्‍न मनाने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं:


60 मेगावॉट क्षमता की तुरिअल पनबिजली परियोजना के पूरा होने और उसे राष्‍ट्र को समर्पित करने के लिए। यह पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में कोपिली स्‍टेज-2 के 13 साल बाद एक प्रमुख केंद्रीय पनबिजली परियोजना है।

तुरिअल पनबिजली परियोजना मिजोरम में सफलतापूर्वक चालू होने वाली केंद्रीय क्षेत्र की पहली प्रमुख परियोजना है। यह राज्‍य की पहली बड़ी पनबिजली परियोजना है। यह हर साल 251 मिलियन यूनिट विद्युत ऊर्जा का उत्‍पाद करेगी और राज्‍य के सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी।


इस परियोजना के चालू होने से मिजोरम पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में सिक्किम और त्रिपुरा के बाद बिजली अधिशेष वाला तीसरा राज्‍य बन गया है।

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जी की सरकार ने 1998 में सबसे पहले इस परियोजना की घोषणा की थी और इसके लिए मंजूरियां दी थी लेकिन इसमें देरी हो गई।

इस परियोजना के पूरा होने से अन्‍य सभी निर्माणाधीन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता झलकती है। साथ ही इससे पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में विकास के एक नए युग की शुरुआत होगी।

बिजली उत्‍पादन के अलावा जलाशय का पानी भी नेविगेशन के लिए नया मार्ग प्रशस्‍त करेगा। यह दूर-दराज के गांवों तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा। 45 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले विशाल जलाशय का उपयोग मत्स्य पालन के विकास में भी किया जा सकता है।


यह परियोजना इको-टूरिज्‍म को बढ़ावा देगी और पेयजल आपूर्ति के लिए एक सुनिश्चित स्रोत प्रदान करेगी। मुझे बताया गया है कि इस राज्‍य में 2100 मेगावॉट पनबिजली उत्‍पादन की क्षमता है जिसमें से हमने अभी मामूली अंश का ही दोहन किया है।


मुझे ऐसा कोई कारण नहीं दिखता कि मिजोरम शुद्ध बिजली निर्यातक राज्‍य क्‍यों नहीं बन सकता। हमारा उद्देश्‍य पूर्वोत्‍तर राज्‍यों को न केवल अतिरिक्‍त बिजली संपन्‍न राज्‍य बनाना है बल्कि हमने एक अत्‍याधुनिक पारेषण प्रणाली विकसित करने का भी लक्ष्‍य रखा है जो यह सुनिश्चित करता है कि अतिरिक्‍त बिजली को बिजली किल्‍लत वाले देश के अन्‍य भागों तक स्‍थानांतरित किया जाएगा। 


मेरी सरकार पूर्वोत्‍तर राज्यों में विद्युत पारेषण प्रणाली में व्यापक सुधार के लिए करीब 10,000 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है।


साथियोंस्वतंत्रता के 70 वर्ष बाद भी हमारे देश में ऐसे 4 करोड़ घर हैं जिनमें अब तक बिजली का कनेक्शन नहीं है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो लोग किस तरह 18वीं सदी की जिंदगी जीने के लिए मजबूर हैं। यहां मिजोरम में भी हजारों घर ऐसे हैं जो अब भी अंधकार में जिन्दगी गुजार रहे हैं। ऐसे घरों में बिजली पहुँचाने के लिए सरकार ने हाल ही में 'प्रधानमंत्री सहज बिजलीहर घर' योजना यानी 'सौभाग्य' की शुरूआत की है। हमारा लक्ष्य है जल्द से जल्द देश के हर घर को बिजली कनेक्शन से जोड़ा जाए। 


इस योजना पर लगभग 16 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। जिन गरीबों को इस योजना के तहत बिजली कनेक्शन दिया जाएगा उनसे कनेक्‍शन के लिए सरकार कोई पैसा नहीं वसूलेगी। हम चाहते हैं कि गरीबों की जिंदगी में उजाला आएउनकी जिंदगी रोशन हो। 


साथियों,

अगर देश के बाकी हिस्सों से तुलना करें तो देखने में आता है कि उत्तर-पूर्व में नए उद्यमियों की संख्या में उतनी वृद्धि नहीं हुई, जितनी होनी चाहिए थी। इसकी एक बड़ी वजह यह थी कि नौजवानों को अपना कारोबार करने के लिए जरूरी पूँजी नहीं मिल पाती थी। नौजवानों की इसी आवश्यकता को समझते हुए सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्‍टार्टअप इंडिया योजना, स्‍टैंड अप योजना जैसी योजनाओं की शुरुआत की। उत्तर-पूर्व को विशेष ध्यान में रखते हुए पूर्वोत्‍तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने 100 करोड़ रुपये की राशि से एक वेंचर कैपिटल फंड भी बनाया है। मेरा मिजोरम के नौजवानों से आग्रह है कि वो केंद्र सरकार की इन योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाएं। यहां के नौजवान स्‍टार्टअप की दुनिया में छा जाने का हौसला रखते हैं, क्षमता रखते हैं। भारत सरकार ऐसे नौजवानों को सहारा देने के लिए प्रतिबद्ध है। 

हम भारत के युवाओं के कौशल और ताकत पर दांव लगा रहे हैं। हम 'उद्यम के माध्यम से सशक्तीकरण' में विश्वास करते हैं - जो नवाचार और उद्यम के फलने-फूलने के लिए सही वातावरण तैयार कर रहा है ताकि हमारी भूमि आगे ऐसे विचार पैदा हों जो मानवता को बदल सकें।

भारत 2022 में आजादी के 75 साल पूरे करेगा। इसलिए अगले पांच वर्षों के दौरान हमारे पास अपनी उपलब्धियों के लिए योजना बनाने का अवसर है ताकि विकास के सभी क्षेत्रों में उल्‍लेखनीय प्रगति की जा सके।

साल 2022 तक एक नए भारत के निर्माण के लिए हमें आर्थिक विकास के साथ-साथ विकास के फल को सभी तक सुनिश्चित करने के दोहरे लक्ष्‍य के साथ काम करने की आवश्‍यकता है। 'सबका साथ, सबका विकास' के जज्‍बे के साथ सभी भारतीय के पास नई समृद्धि में भाग लेने के लिए जाति, लिंग, धर्म, वर्ग आदि का भेद किए बिना समान अवसर मौजूद हैं।

मेरी सरकार प्रतिस्पर्धी एवं सहकारी संघवाद में विश्‍वास करती है जहां राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होती है। मुझे विश्‍वास है कि राज्य परिवर्तन के मुख्य वाहक हैं।


हमने राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्रियों की एक समिति ने केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं को तर्कसंगत बनाने के लिए सिफारिशें कीं। हमने उन सिफारिशों को विधिवत स्‍वीकार किया है।

वित्तीय बाधाओं के बावजूद पूर्वोत्‍तर राज्यों के लिए केंद्र प्रायोजित प्रमुख योजनाओं के लिए 90-10 का हिस्‍सेदारी पैटर्न जारी रहा है। अन्य योजनाओं के लिए यह 80-20 है।

 

मित्रों,

नए भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब विकास के फल सभी तक पहुंचेंगे।

केंद्र सरकार ने उन लगभग 115 जिलों पर ध्यान केंद्रित करने की योजना बनाई है जो विभिन्न सामाजिक संकेतकों पर मूल्यांकन में अपेक्षाकृत पिछड़े हैं। इससे मिजोरम सहित पूर्वोत्तर राज्यों के पिछड़े जिलों को भी फायदा होगा।

कल ही हमने एक नई केंद्रीय योजना को मंजूरी दी है। दो क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में खाई को पूर्वोत्‍तर विशेष बुनियादी ढांचा विकास योजना पाटेगी। एक क्षेत्र भौतिक बुनियादी ढांचा है जिसका संबंध जल आपूर्ति, बिजली, कनेक्टिविटी और विशेष रूप से पर्यटन को बढ़ावा देने वाली परियोजनाओं से है।

दूसरा, सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाएं हैं जो शिक्षा एवं स्‍वास्‍थ्‍स से संबंधित होती हैं। यह नई योजना राज्‍य सरकारों से उचित विचार-विमर्श के बाद तैयार की गई है। हालांकि निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए एनएलसीपीआर के तहत जारी सभी परियोजनाओं को मार्च 2022 तक पूरा करने के लिए धन उपलब्‍ध कराया जाएगा।

नई योजना 100 प्रतिशत केंद्रीय वित्त पोषित होगी जबकि एनएलसीपीआर के तहत परियोजनाओं में 10 प्रतिशत योगदान राज्‍य सरकारों का होता है। केंद्र सरकार अगले तीन साल के दौरान इस योजना के तहत पूर्वोत्‍तर राज्‍यों को 5,300 करोड़ रुपये प्रदान करेगी।

पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के विकास की राह में कनेक्टिविटी का अभाव सबसे बड़ी बाधा है। हमने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में निवेश के जरिये परिवहन के माध्यम से एक बदलाव लाने का लक्ष्य रखा है।

केंद्र सरकार ने पिछले तीन साल के दौरान 32,000 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 3,800 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण को मंजूरी दे दी है जिसमें से लगभग 1,200 किलोमीटर सड़क का निर्माण पहले ही किया जा चुका है।

केंद्र सरकार पूर्वोत्‍तर में स्‍पेशल एक्सिलेरेटेड रोड डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 60,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्‍त निवेश करेगी। साथ ही पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में राजमार्गों एवं सड़कों का नेटवर्क तैयार करने के लिए भारतमाला के तहत अगले 2 से 3 वर्षों में 30,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। हम पूर्वोत्‍तर क्षेत्र के सभी राज्यों की राजधानियों को रेल नक्शे पर लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

भारत सरकार 47,000 करोड़ रुपये की लागत से 1,385 किलोमीटर लंबी 15 नई रेल लाइन परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रही है।

पिछले साल मिजोरम के भैरबी को असम के सिल्‍चर से जोड़ने वाली रेल लाइन के उद्घाटन के साथ ही रेलवे मिजोरम तक पहुंच गया।

मैंने 2014 में आइजोल को जोड़ने वाली एक नई रेल लाइन की आधारशिला रखी थी। राज्‍य सरकार के समर्थन से राज्‍य की राजधानी आइजोल को हम बरोड गेज रेल लाइन से जोड़ देंगे।


केंद्र सरकार 'ऐक्‍ट ईस्ट पॉलिसी' को लगातार आगे बढ़ा रही है। दक्षिण पूर्व एशिया मुख्‍य द्वार के रूप में मिजोरम इसका काफी फायदा उठा सकता है। यह म्यांमार और बांग्लादेश के व्यापार के लिए एक प्रमुख पारगमन केंद्र के रूप में उभर सकता है।


विभिन्न द्विपक्षीय परियोजनाएं पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं। प्रमुख परियोजनाओं में कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट, रीह-टेदीम रोड प्रोजेक्ट और बॉर्डर हाट शामिल हैं। ये सभी आर्थिक लिंकेज के लिए संभावनाएं बढ़ाएंगी और पूर्वोत्‍तर क्षेत्र में समग्र आर्थिक वृद्धि और विकास को बढ़ावा देंगी।

 

मित्रों,

मिजोरम में उच्च साक्षरता दर, प्राकृतिक सुंदरता और बड़ी तादाद में अंग्रेजी भाषी लोगों की उपलब्धता से राज्य को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का अनुकूल माहौल तैयार होता है।

यह राज्‍य साहसिक पर्यटन, सांस्‍कृतिक पर्यटन, पर्यावरण पर्यटन, वाइल्‍डलाइफ पर्यटन और समुदाय आधारित ग्रामीण पर्यटन के लिए उल्‍लेखनीय अवसर पदान करता है। यदि इसे सही तरीके से विकसित किया जाए तो पर्यटन राज्‍य में सबसे बड़े नियोक्‍ता के रूप में उभर सकता है। केंद्र सरकार ने पर्यावरण पर्यटन और साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पिछले दो वर्षों में मिजोरम के लिए 194 करोड़ रुपये की दो पर्यटन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं के कार्यान्‍वयन के लिए केंद्र सरकार ने 115 करोड़ रुपये पहले ही जारी कर दिए हैं।


सरकार पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्‍य से मिजोरम के विभिन्न वन्य जीवन अभ्यारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यानों के रखरखाव के लिए सहायता प्रदान करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। आइये हम मिजोरम को भारत का एक शीर्ष पर्यटन स्‍थल बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं।


साथियों, हमारे देश का ये हिस्सा बहुत आसानी से खुद को कार्बन निगेटिव घोषित कर सकता है। हमारे साथी भूटान ने ऐसा करके दिखाया है। राज्य सरकारों की तरफ से प्रयास बढ़े तो उत्तर-पूर्व के आठों राज्य कार्बन निगेटिव हो सकते हैं। कार्बन निगेटिव राज्यों की पहचान देश के इस क्षेत्र को पूरे विश्व मानचित्र पर एक बड़े ब्रांड के तौर पर स्थापित कर सकती है। इसी तरह जैसे सिक्कम ने खुद को 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक राज्‍य घोषित किया है, वैसे ही उत्तर पूर्व के अन्य राज्य भी इस दिशा में अपने प्रयासों को और तेज कर सकते हैं। 


जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने परंपरागत कृषि विकास योजना का आरम्भ किया है। 


इसके तहत सरकार देश भर में 10 हजार से ज्यादा ऑर्गेनिक क्‍लस्‍टर विकसित कर रही है। पूर्वोत्‍तर में भी 100 किसान उत्‍पादक संगठन बनाए गए हैं। इनसे 50 हजार से ज्यादा किसानों को जोड़ा जा चुका है। यहां के किसान अपने जैविक उत्‍पादों को दिल्ली में बेच सकें, इसके लिए भी व्यवस्था की गई है। 


साथियों,

2022 में हमारा देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा। मिजोरम ये संकल्प ले सकता है कि 2022 तक वो खुद को 100 प्रतिशत ऑर्गेनिक और कार्बन निगेटिव राज्‍य के तौर पर विकसित कर लेगा। मैं मिजोरम के लोगों को ये भरोसा दिलाना चाहता हूं कि इस संकल्प की सिद्धि में केंद्र सरकार हर तरह से उनके साथ खड़ी है। हम आपकी छोटी-छोटी दिक्कतों को समझ कर उन्हें सुलझा रहे हैं। जैसे मैं आपको बांस का उदाहरण देना चाहता हूं। 

 

बांस, जो पूर्वोत्‍तर के लाखों लोगों के लिए आ‍जीविका का एक स्रोत है, एक बहुत ही निषेधात्‍मक नियामकीय व्‍यवस्‍था के तहत आता है। आप बिना अनुमति के अपने ही खेत से उत्‍पादित बांस का निर्यात अथवा बिक्री नहीं कर सकते हैं। हमारी सरकार इस दर्द को कम करने के उद्देश्‍य से नियामकीय व्‍यवस्‍था को बदल दिया है। अब किसानों को उनके अपने खेतों से उत्‍पादित बांस की आवाजाही, बिक्री अथवा उसके उत्‍पादों की बिक्री के लिए कोई परमिट लेने की आवश्‍यकता नहीं होगी। इससे लाखों किसानों को फायदा होगा और 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा।


मैं मिजोरम आया हूँ और फुटबॉल की बात न करूं ऐसा हो नहीं सकता। यहां के मशहूर खिलाड़ी जेजे ललपेखलुए ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। और मिजोरम में फुटबॉल तो जैसे घर-घर का हिस्सा है। मुझे बताया गया है कि फीफा का पायलट प्रोजेक्ट और अइज़ोल फुटबाल क्लब स्थानीय टेलेंट को और मजबूत कर रहे हैं। 


जब मिजोरम ने 2014 में पहली बार संतोष ट्राफी जीती थी तो पूरे देश के फुटबॉल प्रेमियों ने मिजोरम के लिए तालियां बजाई थीं। मैं मिजोरम के लोगों को खेल की दुनिया में उनकी उपलब्धियों के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। फुटबॉल एक ऐसी नरम-शक्ति है जिसके दम पर मिजोरम पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना सकता है। 

 

फुटबॉल की नरम-शक्ति मिजोरम की वैश्विक पहचान बन सकती है। मिजोरम के कई अन्‍य प्रमुख खिलाडि़यों ने राज्‍य और देश का नाम रौशन किया है। इन खिलाडि़यों में ओलंपियन आर्चर सी. लालरेमसंगा, बॉक्‍सर सुश्री जेनी लालरेमलियानी, भारोत्‍तोलक सुश्री लालछाहिमी और हॉकी खिलाड़ी सुश्री लालरुआत्‍फेलि शामिल हैं।


मुझे विश्‍वास है कि मिजोरम ऐसे खिलाडि़यों का देना जारी रखेगा जो विश्व स्तर पर श्रेष्ठ होंगे।


साथियों,

 

दुनिया में कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं सिर्फ और सिर्फ खेल के भरोसे चल रही हैं। अलग-अलग तरह के खेलों के लिए आवश्यक माहौल तैयार करके ऐसे देश दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करते हैं। पूर्वोत्‍तर में खेल की अपार क्षमता को देखते हुए ही केंद्र सरकार इस क्षेत्र मेंइंफाल में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की भी स्थापना कर रही है। 


स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बनने के बाद यहां के नौजवानों को खेल और उससे जुड़ी हर तरह का प्रशिक्षण लेने में और आसानी हो जाएगी। हमारी तो तैयारी ये भी है कि यूनिवर्सिटी बनने के बाद उसके कैंपस भारत ही नहीं दुनिया के दूसरे देशों में भी खोले जाएंताकि यहां का खिलाड़ी दूसरे देशों में भी जाकर खेल से जुड़े प्रशिक्षण ले सके। 

 

मैं आइजोल को क्रिसमस मनाने के लिए एक रंगीन और त्‍योहारी मिजाज में देख रहा हूं। मैं एक बार फिर आप सभी को और मिजोरम के लोगों को क्रिसमस की शुभकामनाएं देना चाहूता हूं- मेरी क्रिसमस।

 

धन्‍यवाद।

 

इन वाया छूंगा क-लौम ए मंगछा

 

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अतुल तिवारी/शाहबाज़ हसीबी/बाल्‍मीकि महतो/संजीत चौधरी


 

 

 



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