विद्युत मंत्रालय

सरकार की सभी को 24 घंटे बिजली देने की कल्‍पना - सभी राज्‍य मार्च, 2019 तक लक्ष्‍य को हासिल करने में लगे: श्री आर.के. सिंह

सभी राज्‍यों में मार्च, 2019 तक बिजली घाटा 15 प्रतिशत से कम करने के लिए योजनाएं

बिल तैयार करने में श्रम बल समाप्‍त करने पर राज्‍यों में सहमति, प्रीपेड/स्‍मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य ताकि भ्रष्‍टाचार रोका जा सके और बिलों के भुगतान के पालन में वृद्धि हो

राज्‍य बिजली क्षेत्र में क्रॉस सब्‍सीडाइजेशन 20 प्रतिशत से कम करें

विद्युत कानून में संशोधन के जरिए बिजली वितरण में कैरेज और कंटेंट को अलग किया जाएगा

Posted On: 07 DEC 2017 7:35PM by PIB Delhi

केन्‍द्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्‍य मंत्री श्री राजकुमार सिंह ने आज यहां राज्‍यों/संघ शासित प्रदेशों के बिजली और ऊर्जा मंत्रियों के सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता की। कुल 17 राज्‍यों और एक संघ शासित प्रदेश ने सम्‍मेलन में हिस्‍सा लिया और राज्‍य स्‍तर पर केन्‍द्र सरकार की शीर्ष योजनाओं की प्रगति सहित विभिन्‍न मुद्दों और उन सुधार उपायों पर चर्चा की जिनसे केन्‍द्र और राज्‍यों के स्‍तर पर सभी के लिए 24 घंटे सस्‍ती और गुणवत्‍तापूर्ण बिजली सुनिश्‍चित की जा सके।

मीडिया को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने सम्‍मेलन आयोजित करने के बारे में सरकार की कल्‍पना स्‍पष्‍ट रूप से सामने रखी। उन्‍होंने कहा कि 24 घंटे बिजली देश के प्रत्‍येक नागरिक का मौलिक अधिकार है और सभी राज्‍यों को यह निश्‍चित करना होगा। राज्‍यों के बीच एक सर्वसम्‍मत रोडमैप तैयार करने की सहमति बनी जिससे राज्‍यों के बिजली/वितरण कंपनियों के घाटे को 15 प्रतिशत से कम पर लाया जा सके और इस सीमा के बाद उनके द्वारा किसी प्रकार की अनावश्‍यक लोड शेडिंग करने पर दंड की व्‍यवस्‍था हो। उन्‍होंने कहा कि अपनी अक्षमता का बोझ उपभोक्‍ता पर डालने को न्‍यायोचित नहीं ठहराया जा सकता और मार्च, 2019 के बाद इसकी इजाजत नहीं दी जाएगी।

सम्‍मेलन के उद्घाटन सत्र के बाद श्री सिंह ने कहा है कि बिजली देश के आर्थिक विकास का सबसे महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। बिजली के बिना विकास नहीं हो सकता। हम विकसित देश बनने की दिशा की ओर बढ़ रहे हैं और बिजली सुधार सर्वोच्‍च प्राथमिकता है। सभी को सस्‍ती और गुणवत्‍तापूर्ण बिजली प्रदान किए बिना औद्योगिकीकरण और नौकरियों का सृजन संभव नहीं है। हमारे साथ दिसम्‍बर, 2018 तक 40 मिलियन नए उपभोक्‍ता जुड़ जाएंगे और अगले 5 वर्षों में आर्थिक विकास की दर 8 से 9 प्रतिशत होने की संभावना है, बिजली की मांग कई गुना बढ़ जाएगी। इसके अलावा आने वाले समय में विद्युत ऊर्जा के अन्‍य रूपों को समाप्‍त कर देगी क्‍योंकि यह अधिक कार्यसाधक है और इसे आसानी से पहुंचाया जा सकता है। बिजली गतिशीलता के लिए जीवाश्‍म ईंधनों, खाना पकाने आदि का स्‍थान लेगी और पेट्रोलियम उत्‍पादों का महत्‍व कम कर देगी। वैश्‍विक मंच पर हमारी रणनीतिक स्‍वायत्‍ता के लिए बिजली के क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर होना आवश्‍यक है। उन्‍होंने कहा कि इसके अलावा नवीकरणीय ऊर्जा निकट भविष्‍य में जीवाश्‍म ईंधनों का स्‍थान लेगी।

केन्‍द्र सरकार की वर्तमान योजनाओं के अंतर्गत राज्‍यों को उनके बिजली बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए 85 हजार करोड़ से अधिक की धनराशि प्रदान की जा रही है। चूंकि देश में इस समय अतिरिक्‍त बिजली है, राज्‍य सभी को 24 घंटे बिजली प्रदान करने की स्‍थिति में है, बशर्ते उपभोक्‍ता खर्च की गई बिजली के लिए भुगतान करें। श्री सिंह ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि कुछ राज्‍य उपभोक्‍ताओं को प्रभावी तरीके से बिल नहीं दे पा रहे हैं और वसूली में उन्‍हें अनुमानत: करीब 50 प्रतिशत का घाटा हो रहा है। जहां उपभोक्‍ताओं को सही तरीके से बिल दिए जा रहे हैं वहां वसूली 95 प्रतिशत है।

सुधारों के प्रस्‍ताव रखते हुए श्री सिंह ने कहा कि वितरण कंपिनयों का घाटा कम करने और उन्‍हें व्‍यवहार्य बनाने के लिए सरकार का मीटर रीडिंग में श्रम बल समाप्‍त करने का प्रस्‍ताव है। प्रत्‍येक राज्‍य में भविष्‍य में छोटे उपभोक्‍ताओं के लिए प्रीपेड मीटर और बड़े उपभोक्‍ताओं के लिए स्‍मार्ट मीटर लगाना अनिवार्य करने से भ्रष्‍टाचार को रोका जा सकेगा और बिलों के भुगतान का पालन करने में वृद्धि होगी। प्रीपेड मीटरों के सफल कार्यान्‍वयन का एक उदाहरण देते हुए श्री सिंह ने कहा कि मणिपुर ने अपने सभी शहरी इलाकों में प्रीपेड मीटर लगाकर अपना घाटा 50 प्रतिशत से अधिक कम किया है।

कैरेज और कंटेंट को अलग करने के बारे में श्री सिंह ने कहा कि विद्युत कानून में एक संशोधन के जरिए इसका प्रस्‍ताव है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सुधारों के बारे में श्री सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने की कार्य योजना के रूप में भारत का 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा और 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से 40 प्रतिशत स्‍थापित बिजली क्षमता हासिल करने का लक्ष्‍य है।

इस लक्ष्‍य को हासिल करने के लिए राज्‍य सरकारों द्वारा यह अनिवार्य करना जरूरी है कि नवीकरणीय खरीद दायित्‍व को पूरा किया जाए। उन्‍होंने कहा कि केन्‍द्र सरकार पनबिजली पर भी ध्‍यान केन्‍द्रित कर रही है और जल्‍द ही नई पनबिजली नीति तैयार की जाएगी।

बिजली के क्षेत्र में निकट भविष्‍य में सुधार उपायों के बारे में श्री सिंह ने कहा कि सरकार मेक इन इंडिया और भविष्‍य में होने वाले औद्योगिकीकरण पर विशेष ध्‍यान दे रही है। देश में रोजगार सृजन अपने बलबूते पर होना चाहिए।

श्री सिंह ने कहा कि गरीब बिजली उपभोक्‍ताओं की मदद के लिए सरकार बिजली क्षेत्र में सब्‍सिडी के सीधे लाभ हस्‍तांतरण पर जोर दे रही है। इससे उद्योग को अधिक प्रतिस्‍पर्धात्‍मक बनाया जा सकेगा और उच्‍च दरों का बोझ उपभोक्‍ताओं से लिया जा सकेगा।

सम्‍मेलन के दौरान आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गोवा, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मणिपुर, नागालैंड, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और संघ शासित पुडुचेरी के मंत्री और वरिष्‍ठ अधिकारी  उपस्थित थे। बिजली सचिव श्री अजय कुमार भल्‍ला और मंत्रालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी सम्‍मेलन में मौजूद थे। 

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वीके/एएम/केपी/एसकेपी–5768



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