नीति आयोग

संसाधन दक्षता - टिकाऊ भविष्‍य की कुंजी

नीति आयोग और भारत में यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने पहली बार भारत के लिए संसाधन दक्षता (आरई) रणनीति जारी की

Posted On: 01 DEC 2017 5:00PM by PIB Delhi

कम संसाधन के इस्‍तेमाल से अधिक उत्‍पादन के लिए संसाधनों का कुशलतापूर्वक   इस्‍तेमाल टिकाऊ भविष्‍य के लिए एक विश्‍वसनीय एवं भरोसेमंद तरीका रहा है। यह न केवल संसाधनों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है बल्कि पर्यावरण पर प्रभाव को भी घटाता है। इसे सुनिश्चित करने के क्रम में नीति आयोग ने भारत आए यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) क साथ मिलकर पहली बार भारत के लिए संसाधन दक्षता पर रणनीति जारी की है जिसमें भारत में संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने के लिए एक कार्य योजना भी शामिल है। इस रणनीति पत्र का अनावरण नीति आयोग के प्रधान सलाहकार रतन श्री पी. वाटल, भारतीय संसाधन समिति के सदस्‍य डॉ. तिश्‍यरक्षित चटर्जी, सुश्री हेनरीट फेर्गेमैन, ईयू काउंसलर (पर्यावरण, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन) और वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) में संयुक्‍त सचिव श्री जिग्‍मेट ताकपा द्वारा गुरुवार, 30 नवंबर 2017 को राजधानी में एक समारोह में किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी तादाद में विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

नीति आयोग के प्रधान सलाहकार रतन पी. वाटल ने अपने प्रमुख संबोधन में कहा कि संसाधन दक्षता के जरिये कुछ ही सामग्रियों के साथ बहुत आसानी से अधिक किया जा सकता है। व्‍यावहार में जीवन-चक्र दृष्टिकोण के जरिये यह पर्यावरण एवं संबंधित सामाजिक बोझ कम करता है, अपशिष्‍ट को संसाधन में बदलकर एक चक्रीय अर्थव्‍यवस्‍था सुनिश्चित करता है और संसाधन सुरक्षा को मजबूत करता है। ईयू काउंसलर (पर्यावरण, ऊर्जा एवं जलवायु परिवर्तन) सुश्री हेनरीट फेर्गेमैन ने कहा कि भारत-यूरोपीय संघ के संदर्भ में आरई एजेंडे को प्राथमिकता मिली है और यूरोपीय संघ इसके कार्यान्‍वयन में भारत सरकार का समर्थन करेगा। वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) में संयुक्‍त सचिव श्री जिग्‍मेट ताकपा ने कहा कि मंत्रालय आरई रणनीति के कार्यान्‍वयन में मदद के लिए एमओईएफसीसी में एक संसाधन दक्षता (आरई) प्रकोष्‍ठ स्‍थापित करना चाहता है। भारतीय संसाधन समिति के सदस्य डॉ. तिश्‍यरक्षित चटर्जी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह रणनीति देश में संसाधन उत्पादकता पर केंद्रित पहला नीतिगत दस्तावेज है। सीआईआई-आईटीसी सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस फॉर सस्‍टेनेबल डेवलपमेंट के सीईओओ श्री सचिन जोशी ने कहा कि आरई रणनीति एक्‍शन एजेंडा के तौर पर सतत सार्वजनिक खरीद (एसएसपी) पर जोर देती है जो बाजार को संसाधन दक्षता वाली अर्थव्‍यवस्‍था में बदलने का एक प्रमुख औजार होगा।

आरई रणनीति के प्रमुख तथ्‍य:

संसाधन दक्षता रणनीति में निम्‍नलिखित प्रमुख तत्‍वों के साथ 2017-2018 की अवधि के लिए प्रमुख कार्य योजना और 2017-2020 के लिए मध्‍यवावधि कार्य योजना शामिल है:

 

  • अंतर-विभागीय समिति एवं विशेषज्ञों के एक कार्यबल सहित संस्‍थागत विकास।
  • अपनी क्षमता को मजबूती देने और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए विभिन्‍न स्‍तरों पर क्षमता विकास।
  • बुनियादी विश्‍लेषण के लिए एक संकेतक निगरानी ढांचे का विकास।
  • एमएचआरडी जीआईएएन कार्यक्रम के तहत आरई पर लघु अवधि पाठ्यक्रम शुरू करना
  • चुनिंदा क्षेत्रों (ऑटोमोटिव एवं निर्माण) में प्रोमोशनल एवं नियामकीय टूल्‍स जैसे द्वितीयक कच्‍चा माल (एसआरएम) उत्‍पाद के लिए इकोलेबलिंग, रीसाइक्लिंग मानकों, आरएंडडी एवं प्रौद्योगिकी विकास, सतत सार्वजनिक खरीद, औद्योगिक क्‍लस्‍टर एवं अपशिष्‍ट-विनिमय प्‍लेटफॉर्म का विकास, क्षेत्रवार कार्ययोजना के विकास के साथ सूचना साझेदारी एवं जागरूकता।

उम्‍मीद की गई है कि यह रणनीति संसाधन सुरक्षा को बढ़ावा देने और पर्यावरण पर प्रभाव घटाने के लिए एक रूपरेखा तैयार करेगी। इस रणनीति के लागू होने से ब्‍यूरो फॉर रिसोर्स एफिसिएंसी (बीआरई) की स्‍थापना करने की आवश्‍यकता को भी बल मिलेगा जो भारत में ब्‍यूरो ऑफ एनर्जी एफिसिएंसी (बीईई) जैसे संस्‍थानों के लिए सक्षम एवं प्रमुख मंच तैयार करेगा।

पृष्‍ठभूमि:

संसाधन दक्षता कम से कम संभावित संसाधन इनपुट के साथ अधिकतम संभावित लाभ प्राप्त करने की एक रणनीति है। संसाधन दक्षता को बढ़ावा देने का लक्ष्य संसाधन उपयोगिता को उद्देश्यपूर्ण और प्रभावी तरीके से बेहतर करना है। ऐसे न्‍यायपूर्ण संसाधनों के उपयोग से स्‍थायी विकास के तीनों आयामों- आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरण- के लिए काफी फायदेमंद है।   

 

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अतुल तिवारी/शाहबाज़ हसीबी/बाल्‍मीकि महतो/संजीत चौधरी



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