Prime Minister's Office

Hindi translation of text of PM's address at Inauguration of filling of Aji Dam under Sauni Yojana

Posted On: 29 JUN 2017 9:10PM by PIB Delhi

कैसे हो सब? मज़े में?

 

मंच पर विराजमान राज्य के मुख्यमंत्री श्री विजयभाई, उप-मुख्यमंत्री श्री नीतिन भाई, पूर्व मुख्यमंत्री आनंदीबेन, राज्य के मंत्रीमंडल के सदस्यों, केन्द्र में मंत्रीमंडल के मेरे साथियों, संसद सदस्यों, मेयर श्री और बड़ी मात्रा में उपस्थित भाईयो और बहनों।

 

न्यारी कि बात न्यारी, आजी करे राजी। 2001 में जब गुजरात में मुख्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी मिली, और थोड़े ही दिनों में राजकोट से संदेशा आया कि साहब आजी डेम पूरा भर गया है, आपको आना ही पडेगा। मुझे बराबर याद है कि मुख्यमंत्री काल कि मेरी शुरूआत थी। भूकंप के बाद के कच्छ की स्थिति देखने निकला था, 10-15 दिन में समाचार मि‍ले कि आजी डेम भर गया है और राजकोट के लोगों को इतना आनंद था कि मुझे कहा गया कि आपको आना ही पड़ेगा, और मैं खास उस दिन आजी डेम आ कर के जल पूजा करने का सौभाग्य मुझे मिला था। और उस दिन मैंने देखा था कि आजी कैसा राजी करता है और अभी विजय भाई कहते थे कि 40 साल में 11 बार ही यह आजी डेम भरा है। पानी क्या होता है, पानी का महात्म्य क्या होता है, वह गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ के लोग, उनको समझने कि जरूरत नहीं है।

 

पहले राजकोट आते थे, तो रास्ते पर से निकलें तो हर एक घर के बाहर कुंडी बनी हुई होती है। नीचे नल होता है और कुंडी में नीचे उतर के पानी भर के, और जहां जाओ वहां राजकोट में चर्चा का विषय पानी ही होता था। उस समय मैं संघ के काम के लिए प्रवास करता था और प्रवास में भी उस तरह तय करना पड़ता था कि पानी का दिन कब है उस दिन जायेंगे तो पानी मिलेगा। रेलवे में पानी लाने के समाचार हिन्दुस्तान भर में बड़े न्यूज़ बन गये थे कि राजकोट को पीने के लिए रेलवे में पानी ले जाना पड़ा। वह मुश्किल दिन हमने देखे है पर सामान्यतः सरकारें, चलो भई इस बार टेंकर बढ़ा दो और पानी पहुंचा दो। लोगों को भी ऐसी आदत हो गई थी कि कोई बात नहीं, अगले हफ्ते टेंकर आने वाला है तब देखा जायेगा। लोगों को ऐसी आदत सी हो गई थी कि टेंकर आयेगा और पानी मिलेगा और गुजारा चल जायेगा। कई इलाकों में हैन्ड पम्प कि मांग आती थी और हैन्डपम्प कि मांग पूरी करे वह एक बड़ा अवसर माना जाता था ।

 

भाईयो-बहनो, हम गुजरात को कहाँ से कहाँ ले कर गये। कहाँ टेंकर, कहाँ हैन्डपम्प और कहाँ मारूति कार जा सके उतनी बड़ी पाईप ड़ालकर के पानी का धोध बहा दे, डेम भी भर दें। भाईयो-बहनो, दीर्घद्रष्टि वाली सरकार हो, जनसुखाकारी के लिए समर्पित हो, सामान्य मानवी कि ज़िंदगी में बदलाव लाने का इरादा हो, तो कैसे उत्तम परिणाम आते है उसका हम अंदाज़ कर सकते हैं। गुजरात में जो युवक, 15-17 साल कि उम्र के जो हुए होंगे उसके बाद कि पीढ़ी को पता नहीं होगा कि उनके पहले, गुजरात का जीवन कैसा था। बिजली के लिए तड़पना पड़ता था। बिजली कब आयेगी, शाम को खाना खाते वक्त बिजली मिलेगी या नहीं मिलेगी, किसान को खेत में पम्प चलाना हो तो रात भर जागना पड़े और खबर मिले कि करंट आया है और पम्प चालु करें और खेत में पानी दें। वह दिन भूलने का कोई कारण नहीं है। कहाँ से कहाँ पहुंचे है और कितनी मेहनत करके पहुंचे है, कितने अच्छे इरादे के साथ समर्पण करके पहुंचे है, वह अंदाज़ तब ही आता है कि कैसे मुश्किल दिनों में हमारे माँ-बाप जिंदगी जीते थे। कौन-सा कारण होगा कि कच्छ, काठियावाड़ छोड़ के हिन्दुस्तान के अलग-अलग शहरों कि झुग्गीयों में जीवन बिताने को मजबूर होना पडता था। 50 बीघा जमीन का मालिक हो, बेटी का ब्याह कराना हो, और कहीं जमीन गिरवी रखकर पैसे चाहिये तो जमीन लेने के लिए कोई तैयार नहीं था और वह ऐसा कहेगा कि बेटी का ब्याह करने के लिए 5000-25000 लेना हो तो ले जाओ, तेरी जमीन ले कर मुझे कोई फायदा नहीं है। 50 बीघा जमीन का मालिक बेटी का ब्याह कराने के लिए जमीन गिरवी रख के पांच हजार, पचास हजार रूपये नहीं पा सकता था कारण पानी न होने के कारण जमीन का कोई मूल्य ही नहीं था और यह दूर के दिनों कि बात नहीं है, 20 साल पहले कि गुजरात कि यह जिंदगी थी। किसके पाप के कारण थी उस चर्चा में मैं पड़ना नहीं चाहता। पर जबसे गुजरात कि जनता ने हमें सेवा करने का अवसर दिया, चाहे केशुभाई पटेल का नेतृत्व हो, आनंदीबेन पटेल का नेतृत्व हो, विजयभाई रूपाणी का नेतृत्व हो या मुझे आपके एक सेवक के रूप में सेवा करने का अवसर मिला हो; यह पूरे कालखंड में गुजरात का गांव, गुजरात का किसान, गुजरात को पानी, गुजरात को बिजली, गुजरात के गांव को सड़क उसके पीछे हम लोगों ने आकाश-पाताल एक किए थे और उसका ही परिणाम है कि हम आज आंख से आंख मिलाकर के संतोष के साथ आप लोगों के साथ बात कर सकते है। हमारे मन में यह एहसान का भाव नहीं है और हो भी ना सके। हमारा मन कर्तव्य को पूरा करने का भाव है और उसके कारण ही ज्यादा काम करने की प्रेरणा मिलती है क्योंकि आप लोग अविरत आर्शीवाद बरसाते रहते हो।

 

विजयभाई अभी वर्णन कर रहे थे कि इतनी लंबी विदेश यात्रा करके सीधे काम करने लग गये। जिस देश कि जनता, जिस राज्य कि जनता, जिस राजकोट कि जनता मेरे पर इतना ज्यादा प्रेम बरसाती हो तो थकान लगने का कोई कारण ही नहीं बनता है। मुझे बराबर याद है अभी नीतिन भाई ने बताया, हैमु गढ़वी होल, राजकोट में जब मैंनें सौनी योजना कि शुरूआत कि थी, और power point presentation करके जब मैने सबको समझाया था कि मेरा यह सपना है।

 

मुझे बराबर याद है कि इतने सारे प्रश्न उठाये गये थे। यह अशक्य है, चुनाव आया है इसलिए मोदी सारी बातें कर रहे हैं। राजकीय पक्ष के लोग तो मौका गंवाते ही नहीं है पर अखबार में भी सवाल खड़े किये गये थे कि यह अशक्य ही है। इतने सारे रूपये आयेंगे कहाँ से, इतनी सारी पाईप लाईन कहाँ से लगेंगी? और 2040 आने तक भी कुछ होने वाला नहीं है। शंका-कुशंका का वातावरण पैदा हुआ था और उस वक्त आत्मविश्वास के साथ, पूरी समझदारी के साथ मैंने गुजरात के लोगों को विश्वास दिया था कि यह काम होकर रहेगा, समय सीमा में होकर रहेगा, ज्यादा से ज्यादा मेहनत करेंगे पर पानी पहुंचा कर ही रहेंगे यह हमनें संकल्प किया था।

 

बजट में से पैसे अनेक कार्यों के लिए इस्तेमाल करने कि आवश्यकता होती है पर पता था कि एक बार गुजरात के कोने-कोने तक पानी पहुंच जाये, सौराष्ट्र के कोने-कोने तक पानी पहुंच जाए, कच्छ के कोने-कोने तक पानी पहुंच जाये तो वह धरती खुद दुनिया भर से रूपये खिंच लायेगी, गुजरात में विकास का दौर नई ऊंचाईयों पर पहुंच जायेगा उसकी पूरी जानकारी थी और उसका ही परिणाम है, समय से पहले सिर्फ सात महीनों में, नहीं तो अक्‍टूबर-नवम्बर में आजी डेम पूरा खाली हो गया था। अभी तो पूरे जोश के साथ बारिश नहीं आयी है, अभी तो ज़मीन सिर्फ गीली हुई है और आजी में पूरे जोश के साथ पानी आ रहा है और विज्ञान, टेक्नोलॉजी, कार्यक्षमता तो देखो, 470 किलोमीटर दूर से पानी आया है और 65 मंज़िला इमारत बनाओ और ऊपर कि टंकी में पानी पहुंचाओ उतनी ऊंचाई पर पानी नर्मदा डेम से यहां तक पहुंचाया गया है। इस विज्ञान कि एक विशेषता है। 65 मंजिला ऊंची इमारत जितना ऊंचा पानी ले कर गये है तब जा कर आपके घर के नल में पानी आ रहा है ।

 

भाईयो-बहनो रूपये तो खर्च होंगे। जनता के लिए पैसे है और उनके लिए ही खर्च होंगे पर पैसे गवानें नहीं चाहिये उनका सदुपयोग होना चाहिये। यह पानी कि पूरी योजना पैसे के उत्तम उपयोग का नमूना है और अभी सरदार सरोवर डेम का पूरा काम तो अभी 10 दिन पहले ही खत्‍म हुआ है। मुख्यमंत्री और उनके साथियों ने जाकर डेम के दरवाज़े बंद किए। आनंदीबेन आये, दरवाज़े का काम पूरा हुआ और फिर भी अड़चने आनी चालु रहती थी। किसने कितनी तकलीफ दी है, कभी ना कभी नर्मदा का इतिहास लिखा जायेगा तब वह सारे पात्र लोगों कि नजर के सामने होंगे कि इतने सारे लोग थे जिन्होंने गुजरात के हक को छीनने के लिए इतनी उदासीनता दिखाई, इतने खराब काम किये और हमारी जनता को दुःखी रखा।

 

भाईयो-बहनो, पानी आया है पर जब पानी आये तब उसके साथ जिम्मेदारी भी आती है और मैं राजकोट और सौराष्ट्र के लोगों को, कच्छ के लोगों को बिनती करना चाहता हूं कि कैसी मुश्किलों से बाहर निकलने कि हमने कोशिश कि है उसको भूलना नहीं चाहिये और अब यह पारस है, पानी नहीं है। उसके स्पर्श मात्र से समृद्धि आने वाली है। यह परमात्मा का प्रसाद है। जिस तरह परमात्मा का प्रसाद नीचे गिर जाये तो हम ईश्वर कि माफी मांग कर दाना-दाना इकट्ठा कर लेते है, यह पानी परमात्मा का प्रसाद है उसको गंवाने का हमें अधिकार नहीं है। पानी बचाना पड़ेगा। और जब पानी पहुंचा है तो बचाने कि बात करने का हक मुझे है और इसलिए मैं कच्छ, सौराष्ट्र और गुजरात कि जनता के पास पानी बचाने कि भीख मांगता हूं।

 

आपमें से कई लोग महुड़ी दर्शन करने के लिए गये होंगे। जो लोग महुडी, खास करके जैन समुदाय के लोग बड़ी मात्रा में जाते है। जो लोग महुड़ी गये होंगे वहां बुद्धिसागर जी महाराज द्वारा लिखी गई बातें वहां उपलब्ध है। 90 साल पहले बुद्धिसागर जी महाराज थे। यह बुद्धिसागर जी जैन मुनि 90 साल पहले लिख कर गये हैं। उन्होंने कहा है जो आज भी उनके हाथ से लिखा हुआ मौजूद है, उसमें लिखा है, एक दिन ऐसा आयेगा कि जब पानी दुकानों में बिकेगा। 90 साल पहले कहा था इस महापुरुष ने कि पानी दुकान में बिकता होगा। आज यह बिस्लेरी कि बोतल हम दुकान से खरीद कर लाते है और पीते है और तब एक बूंद खेती में भी और पीने में भी उसका उपयोग उसी तरह करना पड़े और अब जब राजकोट smart city कि दिशा में आ गया है तब, पीने के पानी कि समृद्धि आ रही है तब vaist water treatment वह भी एक महत्वपूर्ण काम राजकोट के लिए खड़ा हुआ है। जो पानी गटर में जाता है उसको फिर से Recycle करके राजकोट के अंदर अन्य उपयोग के लिए कारखानों के लिए, बाग-बगीचों के लिए, construction के काम के लिए वह Recycle किया हुआ पानी का उपयोग करने कि दिशा में हमें गंभीर रूप से सोचना पड़ेगा । और इसलिए पीने का शुद्ध पानी कि गुणवत्ता की ओर कभी हमें मुश्किल नहीं आयेगी। राजकोट का विकास हो तो भी आजी और न्यारी कभी प्यासा रहने नहीं देगी वह काम हमने खड़ा किया है और इसीलिए भाईयो-बहनों, किसानों को भी, गुजरात के, सौराष्ट्र के, कच्छ के किसानों को भी, मुझे कच्छ के किसानों का विशेष आभार व्यक्त करना है कि जब मैं मुख्यमंत्री था कच्छ के किसानों को मैंनें समझाया, उन्होंने मेरी बात सिर पर उठा ली और पूरे कच्छ को टपक सिंचाई कि और ले गये, पूरा बनासकांठा टपक सिंचाई ऊपर ले गये। माईक्रो ईरीगेशन पर ले गया और उसने पूरी खेती की सूरत ही बदल दी है।

 

भाईयो-बहनो हर एक खेत में टपक सिंचाई से पानी पहुंचाना, हमारी फसल टपक सिंचाई से ले सकें, sprinkler से ले सकें, कम पानी में ज़्यादा उत्पादन ले सकें वह अब विज्ञान के लिए कोई नई बात नहीं है। राजकोट का engineering उद्योग इतना ताकतवर है उनको आग्रह करूंगा कि किसानों के लिए टपक सिंचाई से पानी का हर एक बूंद कैसे उपयोग में आ सकें उसके लिए सरल उपयोग में आ सकें ऐसे साधन बनाने कि स्पर्धा रखनी चाहिये। किसानों को उपयोगी साधन बनाने का काम राजकोट के engineering उद्योग में ताकत है कि करके दिखायें और सिर्फ गुजरात ही नहीं, हिन्दुस्तान और दुनिया के विकसित देशों के लिए भी वह सीमा चिन्ह बन सके।

 

भाईयो-बहनो मेरे लिए खुशी कि बात है कि यहां आज जो नौजवान छात्रों को मिलने का मुझे मौका मिला है। काफी लोगों के लिए हैकाथोन यह शब्द नया है, पर यह पूरी बात समझने जैसी है। सामान्य रूप से सरकार में बैठे हुए लोग अधिकारी, ब्यूरोक्रेसी, सालों से सरकार में काम करते हो, नेता चुनकर आते हो, चलता है, पर वहां एक स्वभाव बन गया है कि हमें तो सब आता है। भगवान ने जितनी बुद्धि दी है वह हमारे पास है। हर एक समस्या का समाधान हमें ही पता है। भूतकाल में ऐसी ही मान्यताएं थी। मैंने आकर मान्यता बदल दी है। मैंने कहा हमारे से भी ज़्यादा सवा सौ करोड़ देशवासियों के पास बुद्धि है, हमारी जवान पीढ़ी के पास उनसे भी ज़्यादा बुद्धि है। आज के जवानों को अगर कहें कि यह problem है, कुछ रास्ता ढूंढो। मैंने अभी थोड़े दिनों पहले भारत सरकार के विभागों को कहा कि आप के यहां ऐसे कौन से काम है कि जिसका रास्ता नहीं मिल रहा है? करने में दिक्कत आती है, ज़्यादा मेहनत लगती है, काफी दिन निकल जाते हैं, काफी पैसे खर्च हो रहे हैं, आप लोग मुझे आपकी मुश्किलों की list बनाकर दो तो शुरू में तो ऐसा कौन स्‍वीकार करेगा कि हमारा काम नहीं हो रहा है? मैं बराबर पीछे लग गया। पहले कहते थे कि साहब हमारे डिपार्टमेन्ट में सब सही है, मैंने कहा फिर भी थोड़ी तकलीफ होंगी वह ढूंढ कर मुझे बताओ। पांच सो ऐसी बातें ढूंढ निकाली कि जिसमें डिपार्टमेन्ट को लगता था कि इसमें अब नये सिरे से सोचने कि ज़रूरत है। मैंने एक हैकाथोन किया। देशभर कि engineering कॉलेज के लोगों को कहा कि यह पांच सौ प्रश्न है, आप टीम बनाओ, कम्प्यूटर पर बैठो, दिन-रात चर्चा करो, चिंतन करो, 42000 नौजवान जुड़ गये। पचास घंटे, रात-दिन जाग कर उन्होंने कम्प्यूटर पर काम किया और पांच सौ प्रश्नों के समाधान के लिए नई-नई फार्मूला लेकर आये और मुझे गर्व के साथ कहना है कि इन युवाओं ने जो सुझाव दिये थे, उनमें से मोटा-मोटी सुझाव विभागों ने स्‍वीकार कर लिया, उसका अमल शुरू कर दिया ।

 

राजकोट munciple corporatoin ने भी स्मार्ट सिटी के लिए राजकोट में क्या करना चाहिये, जनभागीदारी किस तरह बढ़ानी चाहिये? ट्रैफिक के प्रश्नों का किस तरह उकेल लाना चाहिये, कर का किस तरह से भुगतान करना चाहिये और उसकी व्यवस्था करनी चाहिये, गरीबों के जीवन में बदलाव लाने के लिए क्या करना चाहिये, वाई-फाई का ज़माना है, वाई-फाई द्वारा, डिजीटल इन्डिया द्वारा राजकोट को किस तरह डिजिटलाईज़ करना चाहिये, ऐसे सौ जितने छोटे-बडे काम उन्होंने निकालें हैं, और उन्होने कहा है कि पूरे गुजरात के colleges को, पूरे सौराष्ट्र कि colleges को राजकोट ने निमंत्रण भेजा है। आप रजिस्ट्रेशन कराओ और यह 100 प्रश्नों का मुझे उकेल लाना है और आप उस पर चिंतन करो और स्पर्धा में भाग लो। 29 जुलाई से इस हैकाथोन में हज़ारों नौजवान जुड़ने के लिए उत्सुक हो रहे हैं। राजकोट को किस तरह बदलना है, राजकोट की व्यवस्थाओं को किस तरह से आधुनिक बनाया जाये उसके लिए एक काम हमारी कॉलेज में पढ़ती नौजवान पीढ़ी करने वाली है। उनके उत्साह और उमंग को सौ-सौ सलाम मै करता हूं। आपको मैं अभिनंदन देता हूं और मुझे विश्वास है कि यह हैकाथोन जनभागीदारी का उत्तम प्रयास है। हर कोई उसको मदद करेगा, हर कोई उसको प्रोत्साहित करेगा और हमारी नई पीढ़ी, कॉलेज में पढ़ने वाली पीढ़ी, मोबाईल फोन पर दुनिया के साथ जुड़ती पीढ़ी, कम्प्यूटर पर दुनिया के खेल खेलती हुई पीढ़ी, राजकोट के भाग्य को बदलने के लिए इस हैकाथोन का काम करेगी उसका मुझे पूरा विश्वास है ।

 

भाईयो-बहनो, आज आजी डेम में पानी देखकर किसको आनंद नहीं होगा। उस आनंद कि अनुभूति के साथ हरा भरा सौराष्ट्र देखें तब मन कितना आनंदित हो जाये उस दिन कि याद के साथ मैं फिर से राज्य सरकार का आभारी हूं कि सौनी योजना जो शंकाओं के बादलों के बीच उसने जन्म लिया था, आज सफलता कि सीढ़ी चढ़कर हमारे सामने खड़ी है। उसे पाने का व्यय करता हुआ आदमी भी उसको पीने वाला है और यह नर्मदा का पानी, यह पावन पानी, परमात्मा के प्रसाद के तौर पर आया हुआ पानी वह हमारे भाग्य को भी बदलें ऐसे शुभकामनाओं के साथ आप सब का खूब खूब आभार...

धन्यवाद.....

AKT/J.Khunt/ mamta



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