Prime Minister's Office

Hindi Translation of PM’s Speech at inauguration of SUMUL Cattle Feed Plant in Tapi, Gujarat

Posted On: 17 APR 2017 11:00PM by PIB Delhi

तबियत कैसी है? इस बार गरमी थोड़ी जल्दी शुरु हो गई है। मंच पर विराजमान गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान विजयभाई, नीतिनभाई, श्री बाबुभाई बोखीरिया, श्री गणपतभाई वसावा।

आज सूमुल डेरी के तत्वावधान में आप सब को मिलने का सौभाग्य मिला है जिसके निमित्त मेरे युवा साथी भाई राजु पाठक, मंच पर विराजमान विधायक श्री सांसद श्री, सहकारी आगेवान और बडी मात्रा में उपस्थित हुए मेरे आदिवासी भाइयो और बहनों।

इस व्यारा में मैने चप्पलें घिस डाली है। स्कूटर पर आता था तो कभी कंधे पर झोला उठाकर बस में से उतरकर चल के जाता। कितने सालों से इस विस्तार में गरीब आदिवासियों के बीच रहकर, सामाजिक कार्य करने के मुझे संस्कार मिले। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के तौर पर आया, मुख्यमंत्री के तौर पर भी आया पर मैंने इस विस्तार में इतना बडा विराट कार्यक्रम पहली बार देखा। मेरी नजर जहां तक पहुंचे, सर ही सर दिखाई दे रहे हैं।

इतना विराट दृश्य और ऐसी उत्तम discipline, ऐसी उत्तम शिस्त; आप सभी को सर झुका के नमन करता हूं। आप सभी तो यहां मुझे आर्शीवाद दे रहे हैं, लाखों की संख्या में आकर आर्शीवाद दे रहे हो, पर मैं अनुभव करता हूं की यह विस्तार के ग्यारह लाख; जिसमें से यहां एक भी मौजूद नहीं है। ऐसे ग्यारह लाख पशु, वह भी आज हमें आर्शीवाद दे रहे हैं। आज का यह मेरा क्षण, मैं वह ग्यारह लाख पशुओं को समर्पित करता हूं। आज पशुदान के द्वारा पशुओं को उत्तम आहार, इससे बडी सेवा कौन सी हो सकती है? इससे बडा जीवन का संतोष कौन सा हो सकता है?

सूमुल ने जिस तरह अच्छा काम किया है, और सूमुल आज उसकी सवर्ण जयंती मना रहा है। 50 साल की उसकी यात्रा, जिसने यहां के आर्थिक जीवन को बदल डाला है। यह वही सूमुल है जिसकी शुरूआत देश के भूतपूर्व नायाब प्रधानमंत्री मोरारजीभाई देसाई ने की थी।

और आज मेरा सौभाग्य है की हर एक समय आप के बीच आता रहता हूं, और आज जब सूमुल एक लंबी छलांग लगा रहा है, consumer market में, फूड प्रोसेसिंग में, नई ऊंचाईंयों को सर करने के सपने के साथ कदम रख रहा है, सूमुल को, इस सहकारी प्रवृत्ति को, उसको जी जान से आगे ले जाने वाले सभी खाताधारकों को, दूध मंडलियों को और विशेषतः पशुपालन की उत्तम कामगीरी करनार मेरी आदिवासी बहनों को हृदयपूर्वक अभिनंदन देता हूं|

आदिवासी विस्तार का विकास कैसे होगा? आदिवासी के जीवन में quality of life  बदलाव कैसे आये? उसकी जीवन परंपरा का रक्षण हो और साथ ही विकास के उसके सपने साकार हो; उसकी उत्तम व्यूहरचना, उत्तम रणनीति; उमरगाम से अंबाजी तक पूरे आदिवासी पट्टे में हमने कर दिखाई है। और देश के विद्वानों, आज नहीं तो कल सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन जनभागीदारी से कैसे किया जा सकता है? संस्कार और सहकार की जुगलबंदी से कैसे किया जाता है? वह गुजरात ने करके दिखाया है। आज सूमुल ने, उसके कर्ताहर्ता ने और पिछले पचास वर्ष में सूमुल को यहां तक पहुंचाने में जिस-जिसने योगदान दिया है; हमारे लिए राजकीय पक्षापक्षी सहकारी प्रवृत्ति में अंदर नहीं आने देनी है। इसलिए पचास सालों में जिन्होने भी योगदान दिया है, और आज राजुभाई के नेतृत्व में जो प्रगति हो रही है, वह सभी अभिनंदन के अधिकारी हैं और अनेक शुभकामनाएं देने के लिए आया हूं।

आज मुझे एक महत्वपूर्ण घोषणा भी करनी है। हमें पता है जब दिल्‍ली में हमारी सरकार बनी, सिर्फ एक हफ्ता भी नहीं हुआ था। विजय के फूल-हार भी ताज़ा थे और जिसको हम पसंद नहीं थे उनको तो आज भी पसंद नहीं है। उन्होने बवाल मचा दिया था दाल के दाम, दाल के दाम, दाल के दाम। गरीब की दाल गई, सब कुछ हमें पहले से मिला था पर हमारे माथे पड़ा और उस समय मैंने देश के लोगों को विनती की थी की हम जो तुवर की दाल खाते है, दुनिया में बहुत ही कम जगह में तुवर की खेती होती है। पूरी दुनिया में से अगर खरीदें तो जितना चाहिए उतना समय पर ना मिले और कभी मिले तो हमारे यहां बहनें कहेंगी की इसका दाना ऐसा है, यह पानी में चढ़ती है, यह पानी में नहीं चढ़ती और सब वापस अटक जाता है। मैंने देश के किसानों को विनती की थी, में तो नया-नया ही प्रधानमंत्री बना था। मैने देश के किसानो को विनती की थी की देश के गरीबों को प्रोटीन कठोल में से मीलता है उडद हो, तुवर हो, मूं ग हो, चने हो, वह गरीब के लिए अनिवार्य है। मैंने देश के किसानों  को विनती की थी की आप जो भी पकाते हो वह पकाओ पर बीच में थोड़ा कठोल भी बोया करो। मुझे मेरे देश के किसानों के आगे आज सर झुकना है उनको नमन करना है।एक जज़बात को उन्होंने स्‍वीकार किया और देश में कठोल का विक्रम उत्पादन करके दिखाया और आज सरकार के बाल की खाल उखाड़ने वालों का मुंह मेरे देश के किसानो ने बंद कर दिये। थाली में सस्ती दाल मिलना शुरु हो गया, गरीब के पेट में सस्ती दाल जाने लगी।

पिछले साल बारिश देरी से शुरू होने के कारण खेती का टाईम टेबल विलंबित हुआ था और परिणामतः कठोल के उत्पादन में भी समय गया और हमने minimum sport price से पहली बार देश में कठोल खरीदने का निर्णय किया। पर किसानो ने मेरे ध्यान में  रखा की साहब यह खरीदारी पंद्रह तारीख को बंद होने वाली है, अभी हमें थोडा समय चाहिये क्योंकि यह पूरा टाईम-टेबल में देरी हुई है।

नाफेड पंद्रह तारीख तक बंद न करे तो कुछ करो। आज मैं देश और गुजरात के किसानों को कहता हूं की सरकार ने खरीदी का समय एक सप्ताह बढ़ा दिया है अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। आपके फसल को तैयार होने में अगर विलंब है तो आपको भी उसका लाभ मिलेगा जिससे कठोल उगाने वाले किसानों को कोई मुश्किल नहीं होगी और उसकी फिक्र करने की जिम्मेदारी सरकार की है। उसका विश्वास फिर से यह निर्णय से उजागर होगा कारण गरीब के घर में, उसकी थाली में उनको उत्तम तरह के प्रोटिन खा सके उसके लिए सरकार ने यह बीड़ा उठाया है। मेरे किसान भाईयों ने वह बीड़ा उठा लिया है और सरकार उनके सम्‍मान करने की बात को आगे बढ़ाने की दिशा कृतसंकल्‍प है।

भाईयों-बहनो आज 958 करोड़ रुपये की पानी की योजना आगे बढ़ाने का शिलान्यास हुआ है। आप जब उनकी फिल्म देख रहे थे तब देखा होगा की उसमे कहा है की पानी नीचे से उठाकर 118 मीटर की उंचाई पर ले जाया जायेगा और वहां पहुंचने के बाद खेत तक नीचे वापस आएगा। आप सोच सकते है कि 50 मंजिला ईमारत से भी उपर तक पानी पहुंचाने का काम और वह भी सामान्य नहीं, ऐसी बड़ी पाईपलाईन जिसमें मारूति कार तक चली जाये। कितना बडा विरल कार्य है। इसलिए 70 साल तक जब भूतकाल में सरकारें  चलती थी, आज भी मै हिन्दुस्तान के कोने कोने में जाता हूं तो गरीब आदमी क्या मांगता है? साहब हमारे गांव में मिट्टी का काम करवा देना गुजरात में कोई मिलेगा तो क्या कहेगा? मोदी साहब बहुत हुआ, अब पेवर रोड चाहिये। उच्छल निझर के आदिवासी मुझे मिलने आते थे कि साहब रोड तो है पर अब पेवर रोड चाहिये, Four Laneचाहिये क्‍योंकि गुजरात ने विकास के नये मॉडल के साथ जनमानस को भी तैयार किया है। आज भी हिन्दुस्तान के काफी जगहों पर हेन्डपम्प लगा दो तो बहुत बड़ा काम किया हो ऐसा है, तीन-चार चुनाव भी जीत जायेंगे, एक हेन्‍डपम्‍प लगा दो तो।

हमारे विजयभाई का सपना है की गुजरात को हेन्डपम्प से मुक्त करना है, पाईपलाईन से मेरी बहनों को रसोईघर तक पानी पहुंचाना है। नल चालु करें और पानी आये ऐसा सपना देखा है। एक आधुनिक हिन्दुस्तान बनाना हो तो किस तरह बनाया जाये, व्यक्ति के जीवन में बदलाव किस तरह से लाया जाये, उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे होगी उस दिशा में काम उठाया है। आज सूमुल में आया हूं तब एक डेरी और किसानों को मिलाकर कितना बड़ा आर्थिक revaluation किया जा सकता है।

आप कल्पना करो और मान लो की दस गांव हम पकड़ते है दस गांव में किसान उसके खेत के आसपास Solar Panel लगा दें और सौर उर्जा पैदा करें, सूरज से बिजली; और वह उर्जा थोड़ी उसके लिए रखें और थोडी गुजरात सरकार खरीदे। आप मुझे बताओ की सहकारी प्रवृत्ति से जैसे दूध उत्पादन हो रहा है ठीक उसी तरह सूर्य शक्ति द्वारा बीज उत्पादन हो सकता है या नहीं? किसानों को बिजली का भार कम हो सकता है या नहीं? और देश को विदेशों से जो पेट्रोलियम चीजें लानी पड़ रही है उसमें कटौती हो सकती है या नहीं? दक्षिण गुजरात में पहाड़ भी है, उत्तम प्रकार के कुदरती जंगली फल-फूल भी है। उत्तम शहद का उत्पादन हमारे किसान दूध के उत्पादन के साथ कर सकते है। बहनों को शहद उत्पादन की ट्रेनिंग मिले और दूध लेने जो गाड़ी जाये वह साथ में शहद भी लेकर आये उसका packing हो, Branding हो और दुनिया में सूमुल का शहद भी किस तरह से बिकना चालु हो और उसकी अतिरिक्त आय हो।  दस-बार गांव का cluster, दस-बार गांव का गोबर एक जगह इकठ्ठा हो। जैसे दूध इकठ्ठा होता है वैसे ही गोबर इकठ्ठा हो, गांव का कचरा इकठ्ठा हो। उसमें से गैस का उत्पादन हो और वह गैस यह दस गांव में देने की व्यवस्था हो और उसमें से भी आय मिले। को-ऑपरेटिव तरह से इतने नये प्रोजेक्ट्स हम ले सकते है जिसके कारण सूमुल केन्द्रवर्ती रहकर यहां के पूरे जीवन को किस तरह बदल सके उनके पायलट प्रोजेक्ट शुरु करने चाहिये। अगर सफलता मिले तो उसको scalable करके उनका विस्तार करना चाहिये। हमने गुजरात में सिंचाई के पानी के लिए सिंचाई समिति बनाने की कल्‍पना की है।

किसानों की पानी समिति हो, सहकारी हो पानी का पूरा हिसाब रहे ‘per drop more crop’ एक-एक बूंद पानी में से विपुल मात्रा में फसल पैदा हो, ऐसे आयोजन की तैयारी आज से करें तो यह 958 करोड रुपये के खर्च से जो पानी की योजना बन रही है, पीने का शुद्ध पानी भी मिले और दूर सुदूर अलग-अलग स्‍थानों पर वाड़ी योजना चला सकते हैं।

समग्र देश में वाड़ी योजना एक आकर्षण का केन्द्र बनी है। दक्षिण गुजरात उसमें सफल हुआ है। वह वाड़ी योजना की फसल, टपक सिंचाई, sprinkler उसका लाभ कैसे मिलेगा। हमारे दक्षिण गुजरात में शुगर की खेती, गन्ने की खेती; उसमें से गन्ने का उत्पादन एक समय था, जब बहुत ज्यादा पानी से गन्ने पकाये जाते थे और उस समय मैने गन्ने के उत्पादकों को बुलाया और मैंने कहा की compulsory किसानों को sprinkler से खेती सिखाओ। और आज मुझे खुशी है की गुजरात में जहां गन्ने की खेती होती है, हर एक जगह पर टपक सिंचाई द्वारा, फव्‍वारा पद्धति से कम से कम पानी से गन्ने पकाने में सफलता प्राप्त हुई है और उसका लाभ गन्ने की फेक्टरियों को भी मिल रहा है। sugar content बढ़ा है, गन्ने में से ज्यादा रस निकलने लगा है उस रस में से ज्यादा चीनी मिल रही है। इन सभी से हम कई क्रांतिकारी कदम उठाते रहे है।

 

मुझे याद है आज से दस साल पहले एक छोटा सा जिला बनाया था हमने देखते ही देखते यह तापी जिले ने अपनी अलग पहचान बना ली है। उच्छल निजर के मेरे आदिवासी आज केले पकाते है और आज दुनिया के बाजार में उच्छल के केले बेचे जाये वह स्थिति गुजरात ने बनाकर दिखाई है। जैसे उत्पादन में विविधता आई है वैसे हमारा अगला बल है, value addition मूल्य वृद्धि, फूड प्रोसेसिंग जिसे करने में अपने गुजरात का किसान जो प्रयोगशील है, आदिवासी किसान भी प्रयोगशील है।

एक जमाना था दाहोद जिले का किसान भुट्टे से आगे कुछ सोच नहीं सकता था दाहोद के आदिवासियों ने इतनी बडी क्रांति की है कि वह खेत शब्द भूल गये है और खेत को फुलवाड़ी कहना शुरु कर दिया है और दाहोद जिले के आदिवासी ने उगाये हुए फूल मुंबई में सुबह भगवान को चढ़ाते हैं। यह ताकत गुजरात के आदिवासी के पास है।

भाईयो-बहनो, एक क्रांति सहकारी आंदोलन द्वारा, संस्कारिता के आंदोलन द्वारा, सामाजिक एकता का बीडा उठाकर गुजरात ने कर दिखाया है। आज के नवतर प्रयास को, गुजरात सरकार के पानी के अभियान को, सूमुल के दूध के अभियान को मेरी और से अनेक अभिनंदन देता हूं। पर मेरी किसानों से विनती है हमें ध्यान देना चाहिये की आज भी हमारे यहां माता-बहनें ही पशुपालन संभालती है, पुरुषों का कोई योगदान होता नहीं है। उनको पता भी नहीं होता की गाय की क्या हालत है यह सब। सब बहनों के भरोसे छोड़ दिया होता है थोड़ा अगर ध्यान दिया जाये। आज हमारे पशु जितना दूध देते है उसके बजाय उतने ही पशु डबल दूध कैसे दे उसके वैज्ञानिक प्रयोग होते है। सूमुल ने उसमें काफी काम किया है हम उसको अपनायें, हमारे पशु बीमार ना पडे उसका ध्यान रखें, पशु की दूध देने की क्षमता बढें ऐसे पशुपालन की और ध्यान केन्द्रित करना ये भारत की आवश्यकता है। े

अभी दुनिया में पशु द्वारा जो दूध उत्पादन होता है उसके सामने हम काफी पीछे है। पूरे देश में जो दूध उत्पादन प्रति पशु जो होता है, उसके सामने गुजरात काफी आगे है पर गुजरात अभी भी काफी आगे जा सके उस स्थिती में है। और मै आग्रह करुंगा, गुजरात की सभी डेरियों को मेरा आग्रह है, गुजरात के सारे पशुपालकों को मेरा आग्रह है, गुजरात के किसानों को मेरा आग्रह है की हम हमारे पशु की दूध उत्पादन क्षमता किस तरह बढायें, per capita mild production किस तरह से बढे, और जितने भी प्रकार से पर capita milk production बढेगा, उसके सामने per capita milk consumption भी बढेगा। और जब गरीब का बालक भी सस्ता दूध प्राप्त करेगा, तो nutrition की जो फिक्र लगी रहेती है उसमें से भी हमारे बच्चों को हम बाहर ला सकेंगे।

इस उत्तम काम में आप मुझे सहयोग दो इसी अपेक्षा के साथ फिर से एकबार यह स्वर्णिम जयंती पर्व पर मेरी बहुत सारी शुभकामनाएं आप के बीच आने का अवसर मिला इतनी बडी संख्या में यहां आ कर आपने आर्शीवाद दिये, आदिवासी माताओं ने आर्शीवाद दिये मै फिर से एक बार आप सब का आभार व्यक्त करता हूं।

भारत माता की जय

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AKT/AK/NK



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