Prime Minister's Office

Hindi Translation of PM's Speech at dedication of Phase I of SAUNI Project to the nation in Gopalanand Nagar, Botad (Gujarat)

Posted On: 17 APR 2017 11:15PM by PIB Delhi

मंच पर विराजमान गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान विजय रूपाणीजी, उप मुख्यमंत्री श्रीमान नीतिनभाई पटेल, पूर्व मुख्यमंत्री आदरणीय आनंदीबेन, मंच पर विराजमान केन्द्र और राज्य के मंत्री श्री, सांसद सदस्य श्री, विधायक श्री और विशाल संख्या में उपस्थित बोटाद के भाईयों और बहनो।  

बोटाद की धरती भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के लिए एक प्रकार से तीर्थ यात्रा होती है। शायद बोटाद की जो नयी पीढ़ी है उनको यह सुनकर आश्चर्य होता होगा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के लिए बोटाद तीर्थक्षेत्र कैसे होगा? जिस जमाने में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अवतार में हम जनसंघ के तौर पर कार्य करते थे। उस समय निशान दिया था। हम दिया बनाते तब ऐसा लगता था की इस बार हमारी पार्टी जीतने ही वाली है। ऐसे वह दिन थे, जनसंघ की कोई पहचान नहीं थी। जनसंघ के नेता के नाम भी कोई जानता नहीं था, उस ज़माने में, 1967 में बोटाद में पहली जनसंघ की म्युनिसिपालीटी बनी थी और जनसंघ के जीवन में विजय इतना बड़ा था की समग्र देश में बोटाद...बोटाद...हो गया था। और पंडित दीनदयाल उपाध्याय केरल के अंदर जनसंघ के अधिवेशन में अध्यक्ष बने थे, उनको यह समाचार मिले, तो पंडित दीनदयाल उपाध्याय खुद सीधे बोटाद आये थे, बोटाद की जनता का आभार व्यक्त करने। आज एक तरफ पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जन्म शताब्दी मनायी जा रही है, और दूसरी तरफ पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जो अर्थचिंतन था, उस अर्थ चिंतन में पंडित जी एक बात कहते थे, की देश की शकल बदलनी हो, देश को नई आर्थिक उंचाईयों पर ले जाना हो तो उनका सीधा सादा सूत्र था “हर हाथ को काम, हर खेत को पानी”। और जब पंडित दीनदयाल जी की शताब्दी मनाते हो और वह भी बोटाद की धरती पर, 400 किलोमीटर दूर से माता नर्मदा का पानी लेकर आते है वह हमारे लिए कितने आनंद के पल होंगे। बोटादवासियों के लिए कितने आनंद के पल होंगे। बहुत खुशी हो ऐसी यह घटना है। यह घटना को हम सबको मनानी है। पानी का मूल्य क्या है यह तो वही जानता है जिन्होंने सूखा कृष्णसागर तालाब देखा हो उनको पता होगा की पानी किसको कहते है। काठियावाड़ की धरती को पता चले की बिना पानी की धरती कैसी हो। काठियावाड़ के आदमी को पता हो की पानी के बगैर ज़िंदगी कैसी हो। आज जब माता नर्मदा हमारे यहां पधारे है तब यहां बैठे हुए सबको मेरी बिनती है कि हम लोग माता नर्मदा का स्वागत करें। आपकी जेब में मोबाईल फोन हो तो बाहर निकालो, मोबाईल की लाईट चालू करो और सब लोक एक साथ माता नर्मदा का स्वागत करो। आप सब मेरे साथ में बोलेंगे. नर्मदे....सर्व दे....नर्मदे..सर्व दे..

बहुत धन्यवाद साथियों...गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर आप लोगों ने जब मुझे सेवा का मौका दिया था और मैं जब देश की मीटिंग में जाता था और देश के लोग और अन्य मुख्यमंत्रियों को कहता था की हमारी आर्थिक ताकत, हमारे बजट का बड़ा हिस्सा पानी के पीछे खर्च होता है। किसी के गले यह बात नहीं उतरती थी। कई लोग मुझे कहते थे की मोदी जी आप इतने सारे रूपये पानी के पीछे खर्च कर रहे हो, आप कभी चुनाव जीतेंगे नहीं। लोगों को पसंद आये ऐसा कुछ करो। मैंने कहा भाई हम भारतीय जनता पार्टी के लोग अलग मिट्टी के है, मुझे चुनाव जीतने का कारोबार नहीं करना है, मुझे मेरे गुजरात के गांव को समृद्ध करना है। अगर एक बार मेरे गुजरात का गांव समृद्ध हो गया, तो गुजरात की प्रगति की यात्रा को कोई नहीं रोक पायेगा और गुजरात के गांव को पैसों का ढग सुख नहीं दे पायेगा, गुजरात के गांव को पानी ही सुख दे सकेगा। यह बात मेरे दिमाग में साफ थी। एक तरफ पैसों का ढग हो और दूसरी और पानी हो तो गुजरात का आदमी पानी के भरोसे पैसों से भी ज़्यादा सोना पका सके उतनी ताकत के साथ खड़ा रह सके और इसलिए हम पूरी ताकत पानी के लिए लगायी। कोई सरकार चुनाव से पहले हज़ार – दो हज़ार करोड़ की योजना गांव के नाम पर घोषित कर दे तो भी हमारे देश में वाह..वाह की हेडलाईन बनी होती और चुनाव भी जीता जा सके। कोई कल्पना कर सकता है पानी पहुंचाने के लिए सौनी योजना द्वारा 16000 करोड़ का बजट यह गुजरात सरकार खर्च कर रही है। आज यहां जो पानी पहुंचा है, 400 किलोमीटर दूर मां नर्मदा बैठे है, जिस मां नर्मदा को सिर पर पानी चढ़ाने के लिए बेटे श्रवण की तरह अपने मां-बाप को यात्रा पर ले जाये और नर्मदा पानी का आचमन कराके लाते थे और मां नर्मदा के दर्शन करके बेटे को आशीर्वाद देती थी, जो मां नर्मदा के दर्शन करने के लिए बेटा पैसे इकट्ठा करके गरीब मां को यात्रा कराता था आज खुद मां नर्मदा उनके संतानो को आशीर्वाद देने के लिए हमारे आंगन में आयी है। भाईयों-बहनों इससे बड़ा मिरेकल क्या हो सकता है? नहर में से पानी ले जाये तो खर्च कम होगा। पर मनुष्य का स्वभाव है, न आया हो तब तक बहुत ही अच्छी बातें करता है...वाह मोदी साहब, कमाल कर दिया आपने तो...और थोड़े ही दिनो में मैंने देखा बड़े  बडे पम्प लगाकर पानी की चोरी करने लगे की जहां पानी पहुंचना चाहिये वहां पहुंचे ही नहीं और एक भय पैदा हुआ। हम लोगों ने तय किया कि भले ही खर्च हो पर पाईपलाईन से पानी ले जायेंगे तो ही आखिर के गांव तक के लोगों तक पानी पहुंचे नहीं तो बेफाम पानी की चोरी होगी, कोई रोक भी नहीं सकेगा। मेरी पूरे गुजरात से विनती है, इस गुजरात के गरीब से गरीब आदमी के पेट को काटकर यह पानी की पाईपलाइन डाली गई है। गरीब की जरूरत को रोक लगाकर पानी पहुंचाने का प्रयास हुआ है। वह पानी ईश्वर का प्रसाद है। एक बूंद पानी के बिगाड़ने का मुझे या आपको कोई हक़ नहीं है। 400 किलोमीटर दूर से मां नर्मदा आयी है और 400 फूट की ऊंचाइ पर पहुंचाया है। और आज जो दूसरी योजना की शुरूआत हुई, वह पानी जब पहुंचेगा तब मां नर्मदा 500 किलोमीटर दूर होगी और पानी की ऊंचाई पहुंची होगी 500 मीटर। पानी जहां नर्मदा मैया है वहां से 500 मीटर ऊंचा ले जाने का काम गुजरात का किसान सुखी हो इसलिए किया गया है। और शोर्टकट नहीं लीया है लंबे समय के हल लाने कि दिशा में काम किया है। परिणाम प्राप्त करने की दिशा में काम किया है। आज भी हम अगर राजस्थान और गुजरात के गांव में देखें की लाखा वणझाराने बावड़ी बनाई है। हरे गांव में लाखा वणझारा की बातें सुनाई देती है। उस जमाने के करोड़ों–करोड़ों रूपये के पत्थरों से छोटे तालाब बनाकर लोगों को पानी देने के प्रयास हुए थे। भाईयों-बहनों वह दिन दूर नहीं होगा, 50 – 100 साल बाद की पीढ़ी यह पाईपलाईन से पानी पहुंचने की बात समजेंगे तब उनको लगेगा कि हमारे पूर्वज थे वह हमारे लिए पानी का यह प्रबंध करके गये थे ऐसा काम आज गुजरात में सौनी योजना द्वारा हो रहा है। इतना सब कुछ करने के बाद भी पानी की जरूरत जो है वह पूरी करने के लिए काफी प्रयत्न करने की जरूरत है। मैं गुजरात के लोगों को विनती करता हूं, कि आप जरा देखो मध्यप्रदेश की सरकार क्या काम कर रही है। मध्यप्रदेश की शिवराजसिंह की सरकार का गुजरात के हर एक किसान को आभार व्यक्त करना चाहिये। गुजरात के अखबारों का ध्यान भी नहीं पड़ा होगा, गुजरात के पानी निष्णात का भी ध्यान नहीं पड़ा होगा, नर्मदा एक ऐसी नदी है जो पर्वतों में से नहीं निकलती है। यह नदी की विशेषता है। बाकी तो नदियां पर्वत में से आती है। यह नदी जंगलों में से, घने पेड में से जो पानी रातभर गिरता रहता है वह सब मिलकर नर्मदा मैया आगे बढती है। उसका शुरूआती स्थान तो देखने जैसा है। अभी मध्यप्रदेश की सरकार ने गुजरात के गांव-गांव में पानी पहुंचे, गुजरात के किसान को 100 साल के बाद भी पानी के लिए तकलीफ ना हो इसके लिए मध्यप्रदेश की सरकार ने मध्य प्रदेश में नर्मदा के किनारे यात्रा निकाली है। पिछले 6 महीनों से यात्रा चल रही है। और वह यात्रा नर्मदा के किनारे के गांव के किसानो को जंगल बनाने की प्रेरणा देती है। नर्मदा के तट पर एक घना जंगल बनाने का अभियान चल रहा है। वह अभियान जिस तरह से चल रहा है भविष्य में कई लोग कहते है की नर्मदा का भविष्य कितना? अगर यह जंगल गये तो पानी कहां से आयेगा? उसकी फिक्र अभी से करके मध्यप्रदेश शिवराजसिंह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ऐसा जंगल तैयार कर रही है जिससे 100 साल बाद भी मां नर्मदा न सूखे उसके फिक्र भारतीय जनता पार्टी वहां कर रही है। भारी गरमी में वहां से रोज यात्रा निकलती है। हज़ारो ग्रामजन उसके साथ जुड़ते है। और उसका समापन 15 तारीख को है। एक दिन हमारे मुख्यमंत्री विजयभाई रूपाणी भी वहां हो कर आये है। बोटाद में बैठे हुए आदमी को पता नहीं होगा की हमारे यहां पानी पहुंचाने के लीये 6 महिने से लोग पदयात्रा कर रहे है। पैड़ – पौधे लगा रहे है और उसका कारण है की मां नर्मदा में पानी एक बूंद भी कम न हो। अगर यह भाव रहा तो ही मां नर्मदा का पानी बचा पायेंगे और वह फिक्र हमें करनी पड़ेगी। वह जिम्मेदारी हमें लेनी पड़ेगी। और इसलिए टपक सिंचाई, स्प्रिंक्लर उनको जीवन का धर्म बनाना पड़ेगा। और अब टपक सिंचाई हो तो यह खेती हो सकती है यह नहीं वह सब चला गया है। हर एक प्रकार की फसल टपक सिंचाई और स्प्रिंक्लर से ली जा सकती है। हमारे पुरखों ने पानी बचाया इसलिए हमारे हिस्से में आया है। हम पानी बचायेंगे तो हमारी आने वाली पीढ़ी को पानी पहुंचने वाला है। और कोई मां-बाप ऐसे नहीं होंगे की बच्चों के जीवन का जो होना हो वह होगा हम तो अपनी व्यवस्था कर लेंगे। ऐसे मां-बाप कहीं नहीं होंगे। और इसलिए मां नर्मदा जब आशीर्वाद देने आये है तब हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है।

2022, भारत की आज़ादी के 75 साल पूरे हो रहे है। जो महापुरूषों ने सालों तक आजादी का आंदोलन चलाया है। सैंकडों लोग फांसी पर चढ़ गये। हज़ारों लोगों ने अपनी जवानी जेल में बिता दी। पीढि़यां हिन्दुस्तान आज़ाद हो उसके लिए पूरी हो गई। उस आज़ादी के 75 साल 2022 में आ रहे है। हमें आज़ादी के लिए देश के लिए मरने का सौभाग्य नहीं मीला। हमें आज़ादी के लिए मुश्‍किलें सहने का अवसर नहीं मिला। पर भले ही देश के लिए मरने का अवसर न मिला हो पर आज देश के लिए जीने का अवसर जरूर मीला है। 2022 देश की आज़ादी के दिवानो के सपनों के जैसा भारत बनाने की ज़िम्मेदारी हमारी है या नहीं? मैं बोटाद वालों से पूछता हूं 2022 तक आज़ादी के 75 साल में देश के लिए कुछ करने की ज़िम्मेदारी हर एक नागरिक की है या नहीं?हमें ज़िम्मेदारी उठानी चाहिये या नहीं? हमें कोई संकल्प करना चाहिये या नहीं? 2022 में एक ऐसा काम मै लूंगा जो मेरे देश, मेरे समाज को काम आये वह मैं कर के रहूंगा। यह निर्णय हिन्दुस्तान के एक-एक नागरिक को करना चाहिये या नहीं? मेरी आपसे विनती है गांव-गांव, हर घर में, यह बात पहुंचाये कि 2022 आज़ादी के दिवानों के सपनों के जैसा हिन्दुस्तान बनाना है। हमने भी कुछ सपने देखे है। भारत सरकार ने देश के सामने एक विषय रखा है। 2022 तक हिन्दुस्तान के जो किसान है वह किसानों की आय हमें दो गुना करनी है। उसमें किसानो का साथ चाहिये। आधुनिक टेक्नोलोजी का आविष्कार चाहिये। खेती की पद्धति उत्तम कैसे हो वह करनी चाहिये। खेती के साथ अन्य कौन से काम हो सके? दूध उत्पादन कैसे हो? खेत के चारों और ईमारती लकड़ी की खेती किस प्रकार हो। खेत में सोलर एनर्जी का किस तरह उपयोग हो सके? माता-बहनों को मधुमक्खी पालन का शिक्षण दे कर शहद का उत्पादन किस तरह से बढाया जाये? 2022 तक कितने किसान हो जो तय करे की आज मैं पांच थैला यूरिया इस्तेमाल करता हूं, 2022 तक मेरी खेती मै एसी करूंगा कि पांच थैले से मैं दो थैले तक आ जाऊंगा और यूरिया में कटौती करके यह भारत माता की सेवा करूंगा ऐसा संकल्प करने वाले कितने किसान निकलेंगे? कितने किसान निकलेंगे जो तय करे कि अब मेरे खेत में एक भी पानी की बूंद बिगड़ने नहीं दूंगा। और टपक सिंचाई से खेती करूंगा और नया इतिहास बनाने का काम मैं करके रहूंगा, मेरे देश की आज़ादी के 75 साल मुझे मनाने है। यह भाव कैसे बनेगा? यह भाव पैदा करने की आवश्यकता है। और एक बार सवा सो करोड़ देशवासी संकल्प कर ले, एक देशवासी का एक संकल्प, एक परिवार का एक संकल्प। हर एक नगर खुद का संकल्प तय करे, बोटाद तय करे की 2022 में बोटाद को यहां तक पहुंचाना है। हर एक गांव यह तय करे की 2022 तक हमारे गांव में किसी को गरीब रहने नहीं देना है कुछ न कुछ काम उसके लिए ढूंढ लेना है। कौन कहता है गरीबी से देश मुक्त नहीं हो सकता? कौन कहता है की दुनिया के सामने भारत आ कर के खड़ा नहीं रह सकता ? भाईयों-बहनों एक ज़माना था हमने हथियार रख दिये थे। बारिश आये तो ठीक और न आये तो भी ठीक। अगर आये तो साल अच्छा गया, न आये तो कुदरत की मेहरबानी। आज से 15 साल पहले कभी काठियावाड़ के आदमी ने सोचा नहीं था की सूखे में से भी हम बाहर आ सकते है। यह मानवी के पुरुषार्थ का कमाल है कि आज गुजरात सूखे में से बाहर आ गया और स्वप्रयत्न से आया, पुरुषार्थ से आया, योजना से आया। पानी जैसी बड़ी समस्या को अगर हम पार कर सकते है तो विकास की नयी उंचाईयों को क्यूं पार नहीं कर सकते? और इसलिए गुजरात ने कृषि के क्षेत्र में एक नयी ताकत के दर्शन करवाये है। उसको हम नयी उंचाईयों पर किस तरह से ले जाये उसके लिए प्रयास करें। हमारा एक प्रयास है पुरानी पद्धतियों से देश को बहार निकालना है। आधुनिक विज्ञान टेक्नोलोजी मनुष्य का स्वभाव बनाना है। यहां मैंने जब कहा कि आपके मोबाईल फोन की लाईट चालू करो, सबके हाथ में मोबाईल फोन था। भाईयों-बहनों आपके हाथ में जो मोबाईल है ना ऐसी स्थिती पैदा करनी है कि पूरी सरकार राज्य की हो या केन्द्र की वह आपके मोबाईल फोन में आ जाये ऐसी स्थिती मुझे पैदा करनी है। आपका मोबाईल फोन ही आपकी बैंक बन जाये। उस दिशा में देश को ले जाना है। एक भीम एप बनाई है। और मैं चाहता हूं की बोटाद के इस कार्यक्रम में आया हुआ हर एक व्यक्ति खुद के मोबाईल में भीम एप डाउनलोड करे। और अब कारोबार रोकड़ से नहीं, भीम एप से चलाये। मुझे गरीब लोगों की मदद करनी है। आज मध्यम वर्ग का सामान्य मानवी छोटी दुकान हो, थोड़ा माल खरीदे तो भविष्य में अच्छी आमदनी होने की आशा हो। तो वह क्या करेगा? ऊंचे ब्याज से पैसे लेकर आता है। बैंक उसको पैसे नहीं देगी। क्योंकि उसका कोई रोकड़ न हो, सब रोकड़ व्यवहार हो। बैंक वाला कहेगा किसके आधार पर तुझे पैसे दूं? अगर आप भीम एप से पैसे की लेन-देन करो, तो आपका हिसाब अपने आप बनता जायेगा। नाई की दुकान हो, सिलाई की दुकान हो उसकी लेन-देन इससे चले तो बैंक में हिसाब जायेगा कि इस भाई की महीने की 2000 की लेन-देन है तो 500-700 की लेन-देने में कोई दिक्कत नहीं होगी, उसको ऊंचे ब्याज पर पैसे लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और बैंक सामने से उसको पैसे देगी। हम एक ऐसी व्यवस्था करना चाहते है कि आपके कारोबार की माहिती भीम एप के जरीये जब बैंक के पास पहुंचे तो बैंक हिसाब देखें और बैंक आपको मेसेज भेजेगा की पिछले महिने आप 2000 की लोन लेने के हकदार थे पर अब आपका काम सुधर गया है तो आप 2500 की लोन के लिए हकदार है। छ महीने बाद कारोबार में सुधार आये तो फिर बैंक का ही मेसेज आये की पहले आप 2500 के हकदार थे अब आपका काम बढ़ा है और अब आप 5000 लेने के हकदार बन गये है। लेना न लेना वह आपके ऊपर है। पर एक बार आप यह व्यवस्था के साथ जुड़े, यह बैंक आपके घर आकर आपकी सेवा करे ऐसा परिवर्तन मुझे लाना है। वह तभी आयेगा जब आपका साथ-सहकार मुझे मिलेगा। जो नव-युवान है उनको इस वेकेशन में मुझे कमाते हुए देखना है। आजकल हिन्दुस्तान में भी वेकेशन में युवा लोग कुछ न कुछ करने का उत्साह दिखाते है। पहले हम पढ़ते थे कि अमेरिका में बच्चे पढ़े तो शनि-रवि ड्राईविंग करे, होटेल्स में काम करे और कमाई करे और वापस पांच दिन पढ़े। और हम कहते थे के बच्चे बहुत अच्छा करते है। आजकल हिन्दुस्तान के बच्चे भी करते है। वह लोग भी काम करने का उत्साह दिखाते है और महेनत करने में जरा भी संकोच नहीं करते है। उनको शर्म नहीं है अगर रिक्शा चलानी पड़े तो गर्व से चलाते है। और पेसेन्जर के साथ अंग्रेजी में बात करते है। तीन महीना वेकेशन है तो रिक्शा चलाते है। एक नया कल्चर पैदा हो रहा है। इन नव-युवको को इस वेकेशन में कमाने के लिए भारत सरकार ने एक बहुत अच्छी योजना रखी है। आप आपके मोबाईल में भीम एप डाउनलोड करो और आप अन्य कोई एक को भीम एप डाउनलोड करना सीखाओ। भीम एप द्वारा तीन बार लेन-देन करना सीखाओ। तीन बार अगर वह इस्तेमाल करे तो आपके खाते में सरकार की और से यह काम करने के लिए 10 रूपये आपके खाते में जमा होंगे। एक दिन में ऐसे 20 लोगों को पकड़ो, तो शाम तक आपके मोबाईल के खाते में 200 रूपये आ जायेंगे। एक महीने में आपको पांच से छह हजार की कमाई होगी। इस तीन महीने के वेकेशन में 15 से 20 हजार कमाना, नवयुवाओं के लिए बांये हाथ का खेल है। और यही काम कोई दुकानवाला करे, व्यापारी करे और अगर वह अपनी दुकान पर कहे कि मैं तो भीम से ही पैसे लूंगा और भीम से ही दूंगा तो उसको एक ग्राहक के लिए अगर तीन बार लेन-देन हो तो उनको 25 रूपये देने का विचार सरकार ने किया है। शाम होते ही 10 ऐसे लोग आये तो 250 रोज की उसकी आय बढ़ जायेगी। गरीब आदमी भी कमा सके और देश का पूरा तंत्र बदल जाये उस दिशा में काम करने का बीड़ा उठाया है। मैं गुजरात के युवाओं को कहता हूं और गुजराती व्यापारी को बहुत अच्छे से पता होता है की इससे क्या होगा। उनको देर नहीं लगेगी। मैं आपको निमंत्रण देता हूं, खास करके मेरे युवकों को निमंत्रण देता हूं। इस वेकेशन में 25000 कमाने का संकल्प करो। भारत सरकार की योजना है और कोई युवान ऐसा नहीं होगा जिसको इस वेकेशन में 25000 नहीं कमाने हो। सरकार के पास योजना है। व्यापारीयों को मेरा आग्रह है की अगर आप चाहे तो आपकी दुकान में 50000 तक की आय बढ़ा सकते है। जो योजना रखी है उसको आप आगे बढ़ाईये।

भाईयों-बहनों परिवर्तन लाने की दिशा में काम करना है। आज नर्मदा मैया पीने का पानी, शुद्ध पीने का पानी आरोग्य का उत्तम मार्ग है। पीने का शुद्ध पानी हो तो आरोग्य का अनेक प्रश्नों का वही समाधान हो जाता है। आज गुजरात में एक ज़माना था जब हम लोग सब विपक्ष में थे तब गुजरात में 4 से 13 फिसदी तक घरों में नल से पानी आता था। हमारे आने के बाद जो अभियान उठाया, आज गुजरात में 80 फिसदी घर ऐसे है, जहां रसोई घर में नल से पानी आता है। यह माता-बहनों को सिर पर मटका रख कर दूर तक जाना पड़ता था वह बंध कराने का काम हजारों करोड़ खर्च करके हमने पूरा किया है। भाईयों-बहनों गुजरात का भाग्य उसमें है कि ऐसी स्थायी व्यवस्थाओं को आगे बढायें। छोटे रास्तों से हम आगे नहीं बढ़े है और बढ़ने वाले भी नहीं है। सच्चा रास्ता लंबा हो पर उस रास्ते पर गये है और उसके परिणाम आज दिख रहे है। उस शक्ति को और बढ़ाना है। पूरे देश के विकास के अंदर गुजरात उसका पूरा योगदान देता रहे, उस तरह गुजरात को आगे बढ़ाना है। और इतनी बडी संख्या में, आज सुबह से मैं जहां गया वहां अद्भूत मात्रा में लोग, अनेक-अनेक आशीर्वाद। मैं गुजरात के लोगों का जितना आभार व्यक्त करुं उतना कम है। देश में प्रधानमंत्री तो काफी आये पर मैं एक अपवाद हूं। इतने साल मुख्यमंत्री के तौर पर काम करने के बाद प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला ऐसा मैं पहला आदमी हूं। और इसके कारण मुझे सारी छोटी-छोटी बाते पता चलती है यूरिया समय पर न पहुंचे तो किसान को क्या तकलीफ होती है वह मुझे पता होता है। पानी पहुंचाने के समय पानी न पहुंचे और फसल पीली पड़ना शुरु हो जाये तो किसान का खून भी पीला पड़ना शुरु हो जाता है। भाईयों-बहनों आप के बीच रह कर मुख्यमंत्री के तौर पर जो भी कुछ सीखा हूं वह आज मुजे प्रधानमंत्री के तौर पर काम करने में इतना मददगार साबित हो रहा है। समाज के सामान्य प्रश्नों को समझने की और उसके कारण मेरे में जो काम करने की दृष्टि आयी है उसका लाभ आज हिन्दुस्तान के सभी राज्यों को मिल रहा है, दूर-दूर के विस्तारों को मिल रहा है और उसके लिए मैं सदा सर्वदा गुजरात वासियों का रूणी रहूंगा जिन्होंने मुझे शिक्षित किया, दीक्षित किया, मेरी कुशलता बढ़ाई, और देश के लिए आपने मुझे प्रशिक्षित करके भेजा है उसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। फिर से एक बार दोनो मुठ्ठियां बंध करके पूरी ताकत से मेरे साथ बोलेंगे, ‘नर्मदे...सर्वदे…’  

नर्मदे...सर्वदे...

नर्मदे...सर्वदे...

नर्मदे...सर्वदे...

धन्यवाद.........

 

***

AKT/AK/TK



(Release ID: 1494871) Visitor Counter : 964