Prime Minister's Office

Text of PM's address at Closing Ceremony of 'Namami Narmade - Narmada Sewa Yatra' in Amarkantak, Madhya Pradesh

Posted On: 15 MAY 2017 7:01PM by PIB Bhubaneshwar

 

विशाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयो और बहनों, 

हमारे शास्‍त्रों में एक मान्‍यता बनी हुई है कि अगर हम यात्रा कर नहीं सकते हैं, लेकिन किसी यात्री को अगर प्रणाम कर लें तो यात्रा का पुण्‍य प्राप्‍त होता है। तो मैं भी आप सभी यात्रियों को प्रणाम करके, जो पुण्‍य आपने कमाया है; वो आपसे कुछ हिस्‍सा मांग रहा हूं। लेकिन वो हिस्‍सा मैं मेरे लिए नहीं मांग रहा हूँ, आपकी ये यात्रा से कमाया हुआ पुण्‍य मां भारती के काम आए, सवा सौ करोड़ देशवासियों के काम आए, इस देश के गरीब से गरीबी की जिंदगी के बदलाव लाने में काम आए। 

और मुझे विश्‍वास है नर्मदा यात्रा ही है वो यात्रा जिसको नर्मदा परिक्रमा से जोड़ा गया है। और मैं इस शास्‍त्र से भली-भांति परिचित हूं, मैंने उस दुनिया को जीने का कभी प्रयास किया था, और उसमें मुझे पता है कि जब नर्मदा परिक्रमा करते हैं, तब अहंकार कैसे चूर-चूर हो जाता है; अहंकार कैसे मिट्टी में मिल जाता है। और परिक्रमा करने वाले व्‍यक्ति को मां नर्मदा जमीन पर लाकर खड़ा कर देती है। सारे बंधनों से मुक्‍त करा देती है। सारे पद-उपाधियों से अभिभूषित हो, उससे भी परिक्रमा के दौरान मुक्ति मिल जाती है। मां नर्मदा और नर्मदा के सेवक के बीच कोई द्ववैत नहीं बचता है, एक अद्वैत की अनुभूति होती है। आपने भी आज जब मां नर्मदा की इस महान सेवा करने का संकल्‍प किया है। 

जब वक्‍त बदलता है, तो कहां से कहां पहुंचा देता है। और जब अतिकार भाव प्रबल हो जाता है, कर्तव्‍य भाव क्षीण हो जाता है, तब ये समस्याएं पैदा होती हैं; जो आज हमें नर्मदा सेवा के लिए निकलना पड़ा। यही तो मां नर्मदा हैं जिसने हजारों साल से हमें बचाया है, हमें जीवन दिया है, हमारे पूर्वजों की रक्षा की है, लेकिन हमने अपना अधिकार मान लिया, हम कर्तव्‍य से विमुख हो गए, और मां नर्मदा से जितना लूट सकते थे लूटते रहे। अपने स्‍वार्थवश अपनी आवश्‍यकता के अनुसार मां नर्मदा की तो परवाह नहीं की, हमने अपनी परवाह जरूरी की। मन में वो अधिकार भाव था कि मैं मां नर्मदा पर तो मेरा अधिकार है, मैं उसको जैसे चाहूं वैसे उसका उपभोग कर सकता हूं, और उसी का परिणाम हुआ कि जिस मां नर्मदा ने हमें बचाया था, आज हमें उस मां नर्मदा को बचाने के लिए पसीना बहाने की नौबत आई है। अगर कर्तव्‍य भाव से हम विमुख न हुए होते, मां के प्रति हमारे कर्तव्‍यों को हमने निभाया होता तो मां नर्मदा, उसको बचाने की नौबत मनुष्‍य के जिम्‍मे नहीं आती। और इसलिए समय से रहते मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री, मध्‍य प्रदेश की जनता, वो सजग हो गई। 

हिन्‍दुस्‍तान में कई नदियां हैं, नक्‍शे पर निशान है, पानी का नामो‍-निशान नहीं। कई नदियां इतिहास के गर्त में खत्‍म हो चुकी हैं। हमारे देश में केरल में एक नदी है, शायद एक ही नदी है जिसका नाम भारत पर है; भारत पूजा। उस केरल की नदी बचेगी कि नहीं बचेगी, ये चिंता का विषय है। ऐसा तो नहीं था कि पानी के उपयोग के कारण नदी खत्‍म हुई है। नदी की रक्षा के लिए जिन तत्‍वों के साथ उस रक्षा का दायित्‍व होता है, वो अगर हम नहीं निभाएंगे तो मानव जाति को कितना बड़ा नुकसान होगा। 

हम भली-भांति जानते हैं कि मां नर्मदा बर्फीली पहाड़ियों से नहीं आती, बर्फ के चट्टानों से पिघल कर नहीं आती है। मां नर्मदा एक-एक पौधे के प्रसाद से प्रकट होती है और जो हम लोगों को जी हमारे जीवन को पुलकित करती है। और इसलिए मध्‍य प्रदेश सरकार ने मां नर्मदा के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए, मां नर्मदा की गारंटी के लिए, सबसे प्रमुख काम हाथ में लिया है, वो है पेड़ लगाने का; वृक्षारोपण। हम जब पेड़ लगाएंगे तब हमें भी अंदाज नहीं होगा कि हम आने वाली पीढ़ियों की कितनी बड़ी सेवा कर रहे हैं। हमारे पूर्वजों ने जो तप किया, साधना की, सेवा की, उसी का परिणाम है कि‍ आज हम नर्मदा मैया का लाभ रहे रहे हैं। आज हम जो पुरुषार्थ करेंगे, आने वाली अनेक पीढ़ियां हमें याद करेंगी कि कोई एक वक्‍त था, जब मां नर्मदा को बचाने के लिए पेड़-पौधों की मदद ले करके फिर एक बार मां नर्मदा को पुनर्जीवन दिया गया था। 

करीब-करीब डेढ़ सौ दिन यात्रा ये असंभव कार्य है, लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्‍य है कि जहां कहीं सरकार जुड़ जाए, जहां कहीं राजनेता जुड़ जाएं, तो सके महात्‍मय को खंडित करने का ही प्रयास होता है। वरना ये ऐसी घटना है, और मैं मध्‍य प्रदेश की जनता को नर्मदा यात्रा से जुड़े हुए, इस सेवा यात्रा से जुड़े हुए, लक्षावधि लोगों को, नर्मदा तट पर बसे हुए हर नागरिक को हृदय से बधाई देता हूं। ये ऐसी घटना है कि दुनिया के किसी देश में नदी की रक्षा के लिए डेढ़ सौ दिन तक इतनी तपस्‍या की गई होती, तो पूरे विश्‍व में उस की चर्चा हुई होती, पूरे विश्‍व में उसका जयकारा बोला गया होता, दुनिया के बड़े-बड़े टीवी चैनल इस घटना को अंकित करने के लिए दौड़ पड़ते। लेकिन ये हमारे देश का दुर्भाग्‍य है कि हम हमारी अपनी इन प्रयासों का वैश्विक सामर्थ्‍य क्‍या है, न उसको जान पाते हैं न समझ पाते हैं, और मौके गंवा देते हैं। 

आज कहीं एक Solar park लग जाए तो भी दुनिया में चर्चा होती है कि उस देश के उस इलाके में Solar park लगा है मानवता की रक्षा के लिए। ये नदी बचाने का इतना बड़ा काम हुआ है, पर्यावरण की रक्षा का इतना बड़ा काम हुआ है, 25 लाख से ज्‍यादा लोगों ने संकल्‍प लिए हैं, कोटि-कोटि जन उससे जुड़े हैं, शरीर को कष्‍ट दिया है, कठिनाइयों से गुजारे हैं दिन, स्‍वयं परिश्रम करके; पैदल चलके, मां पृथ्‍वी की रक्षा के लिए, नदी की रक्षा के लिए, पर्यावरण की रक्षा के लिए, मानवता की रक्षा के लिए, इतना बड़ा अहम कदम उठाया है। और इसका नेतृत्‍व करने के लिए मैं शिवराज जी को, उनकी पूरी टीम को, और मध्‍य प्रदेश की जनता को बधाई देता हूं। 

मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ। नर्मदा की एक-एक बूंद पानी का मूल्‍य क्‍या है, वो गुजरात के लोग भली-भांति जानते हैं। और आज आपने जब नर्मदा के भविष्‍य के लिए इतना बड़ा अभियान उठाया है, तो मैं गुजरात के गांव की, किसानों की तरफ से, वहां के नागरिकों की तरफ से; राजस्‍थान के गाव की तरफ से, किसानों की तरफ से, वहां के नागरिकों की तरफ से; महाराष्‍ट्र के गांव की तरफ से, महाराष्‍ट्र के किसानों की तरफ से, महाराष्‍ट्र के नागरिकों की तरफ से, मध्‍य प्रदेश की जनता का, मध्‍य प्रदेश की सरकार का, मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री का अनेक-अनेक अभिनंदन करता हूं, उनका धन्‍यवाद करता हूं। 

इन दिनों देश में स्‍वच्‍छता अभियान, उसको अब एक ढांचागत व्‍यवस्‍था मिली है। लगातार Third party के द्वारा, हिन्‍दुस्‍तान में Evaluation हो रहा है। कौन सा राज्‍य में स्‍वच्‍छता का क्‍या चल रहा है, कौन सा शहर स्‍वच्‍छ है। जन-भागीदारी, लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत होती है। और अगर हम जन-सामर्थ्‍य, जन-शक्ति, जन-भागीदारी, इसकी उपेक्षा करेंगे तो सरकारें कुछ भी करने में समर्थ नहीं होती हैं। कितने ही अच्‍छे विचार क्‍यों न हों, कितना ही अच्‍छा नेतृत्‍व क्‍यों न हो, कितनी ही अच्‍छी व्‍यवस्‍था क्‍यों न हो, लेकिन जन-समर्थन के बिना कभी भी कोई चीज सफल नहीं होती है। और जन-समर्थन से कैसे सफल होती है, इसका उत्‍तम उदाहरण मध्‍य प्रदेश ने प्रस्‍तुत किया है। 

पिछली बार जब सर्वेक्षण हुआ तब स्‍वच्‍छता की दिशा में मध्‍य प्रदेश का नाम बदनामी की सीमा में आ गया था, लेकिन मध्‍य प्रदेश ने मन में ठान ली, ये कलंक मिटाने का संकल्‍प किया, जन-जागरण किया, जन-भागीदारी बढ़ाई, जन-जन को जोड़ा, और आज मैं मध्‍य प्रदेश को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। देश में जो hundred city सफाई के लिए आकलन किया गया, उन hundred में, 100 में 22 मध्‍य प्रदेश के हैं। ये बहुत बड़ी सिद्धि है। हिन्‍दुस्‍तान के और राज्‍यों को भी प्रेरणा देने वाला काम, स्‍वच्‍छता की दिशा में मध्‍य प्रदेश ने जन-भागीदारी से करके दिखाया। इंदौर और भोपाल हिन्‍दुस्‍तान के Top पर पहले और दूसरे नंबर पर आये। 

100 में से 22 शहर स्‍वच्‍छता के अंदर अग्रिम पंक्ति में आ जायें, इसका मतलब ये हुआ कि पूरे राज्‍य में प्रशासन ने, शासन ने, जनता-जनार्दन ने इसे अपना काम माना। और उसी का परिणाम हुआ है ये नर्मदा योजना सेवा यात्रा की सफलता। ये सफलता भी सरकार की ताकत के भरोसे नहीं हुआ है, ये जनता-जनार्दन की ताकत के भरोसे हुआ है। और जनता की ताकत जब जुड़ती है तो कितने बड़े परिणाम आते हैं; शिवराज जी ने 6 करोड़ का लक्ष्‍य रखा है, 2 जुलाई को पेड़ लगाने का। और उन्‍होंने ये 6 करोड़ पेड़ की व्‍यवस्‍था के लिए भी पिछले डेढ़ साल से लगातार काम कर रहे हैं; ये जो ये अचानक नहीं हो रही है। उसके लिए नर्सरी के अंदर सारी व्‍यवस्‍थाएं करी, की जाती हैं तब जा करके होती है। लेकिन हम जैसे परिवार में एक संतान की देखभाल करते हैं, वैसे ही इन नए हम बोने वाले पेड़-पौधों की माहवजत करेंगे, चिंता करेंगे, तब जा करके वो वटवृक्ष तैयार होगा। 

हमारे यहां शास्‍त्रों में कहा जाता है जो एक साल का सोचता है वो आनाज बोता है, लेकिन जो आगे का, भविष्य का सोचता है, वो फलदार वृक्ष बोता है। ये फलदार वृक्ष बोने का काम, ये आने वाले दिनों में अनेक परिवारों को एक आर्थिक गारंटी का भी कारण बनने वाला है। मुझे विश्‍वास है कि मध्‍यप्रदेश सरकार ने जो बीड़ा उठाया है और जो उन्‍होंने कार्य योजना बनाई है उस कार्य योजना की किताब मुझे उन्‍होंने पहले पहुंचाई थी, मैंने उसका अध्‍ययन किया; हर किसी के लिए उसमें काम है, हर जगह के लिए काम है; कब करना, कैसे करना, उसका विधि-विधान है; कौन किस काम को देखेगा इसका पूरा प्रारूप है; एक प्रकार से perfect document हैं future vision का। मैं देश के अन्‍य राज्‍यों से भी आग्रह करूंगा और शिवराज जी से भी आग्रह करूंगा कि हिन्‍दुस्‍तान के सभी राज्‍यों को एक किताब भेजें और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का तरीका क्‍या होता है; मध्‍य प्रदेश को एक नमूना के रूप में, एक उदाहरण के तौर पर, उसे ले करके सब अपनी-अपनी योजना बनाएं। 

जल ही जीवन है, ये तो हम कहते हैं; नदी माता, ये हम कहते हैं; लेकिन हमारी पूरी अर्थव्‍यवस्‍था उसी पर आधारित है। उसके बिना अर्थव्‍यवस्‍था खोखली हो जाती है। अगर आज मध्‍य प्रदेश में कृषि विकास 20 प्रतिशत पहुंचा तो उसमें सबसे बड़ा योगदान माता नर्मदा का है। ये ताकत है, किसान की जिंदगी बदलने की ताकत, ये माता नर्मदा में है। 

2022 तक हिन्‍दुस्‍तान के किसान की आय दोगुना करने का संकल्‍प ले करके पूरे देश में काम चल रहा है, मध्‍य प्रदेश ने उसकी पूरी योजना तैयार कर दी है। और उसका लाभ किसानों के सहयोग से हिंदुस्तान के हर गांव को मिलेगा, ये मेरा विश्‍वास है। 

भाइयो, बहनों! 2022, आजादी के 75 साल हो रहे हैं। क्‍या हिन्‍दुस्‍तान के सवा सौ करोड़ देशवासी हर पल 2022 का स्‍मरण नहीं कर सकते हैं? हर पल आजादी के 75 साल की याद नहीं कर सकते हैं? जिन महापुरुषों ने देश के लिए बलिदान दिया, जीवन लगा दिया, जवानी जेलों में खपा दी, कुछ फांसी के तख्‍ते पर चढ़ गए, जिन्‍होंने अपने जीवन के परिवार के परिवार तबाह कर दिए; मां भारती की आजादी के लिए क्‍या उनके सपनों को याद करते हुए हम संकल्‍प नहीं कर सकते कि 2022 तक, व्‍यक्ति के नाते मैं देश के लिए इतना करूंगा, परिवार के नाते इतना करूंगा, समाज के नाते इतना करूंगा। हम गांव के लोग मिलके ये करेंगे; हम नगर के लोग मिल करके ये करेंगे; हम संस्‍था के नाते ये काम करेंगे, हम समाज के नाते ये काम करेंगे, हम राज्‍य के नाते, देश के नाते ये संकल्‍प करेंगे। 

2022, ‘नया भारत’ बनाने का सपना ले करके चलना है। हर हिन्‍दुस्‍तानी को जोड़ना है। आजादी के आंदोलन में जैसे देश जुड़ गया था; देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए, ‘नया भारत’ बनाने के लिए हर देशवासी को जोड़ना है। और इसलिए मैं आग्रह करूंगा, देशवासियों से आग्रह करूंगा, मैं मध्‍य प्रदेश के सभी संगठनों से आग्रह करूंगा; आप भी मिल-बैठ करके तय करिए कि 2022 तक देश के लिए आपकी संस्‍था, आपका परिवार, आपका समाज, आपका संगठन, आपका दल क्‍या करेगा; आप लोग तय कीजिए। एक बार देश में माहौल बने, अभी हमारे पांच साल हैं। पांच साल में हम देश को कहां से कहां पहुंचा सकते हैं। मुझे विश्‍वास है अगर सवा सौ करोड़ देशवासी एक कदम देश के लिए आगे चल पड़ेंगे तो देश पांच साल के भीतर-भीतर सवा सौ करोड़़ कदम आगे निकल जाएगा। और इसलिए हम इस संकल्‍प को ले करके चलें। 

मैं आज पूज्‍य अवधेशानंद जी का विशेष आभारी हूं, जो आाशीर्वचन उन्‍होंने मेरे लिए कहे हैं, जो भाव उन्‍होंने प्रकट किए हैं; मैं ईश्‍वर से यही प्रार्थना करूंगा कि हम सब में वो क्षमता आएं, वो अच्‍छाइयां आएं, वो समर्पण का भाव आए; ताकि देश की सही सेवा करने के लिए हम अपने-आप को योग्‍य पाएं, योग्‍य बना पाएं। मैं उनके इस आशीर्वाद वचन के लिए हृदय से बहुत-बहुत आभार प्रकट करता हूं और उनको प्रणाम करता हूं। 

मैं आप सबको भी हृदय से बधाई देता हूं, और जैसा शिवराज जी ने कहा, यात्रा का यहां विराम है; लेकिन अब यात्रा में जो भी सोचा, जो भी देखा, जो भी किया, इसको चरितार्थ करने का यज्ञ शुरू हो रहा है। ये सेवा का यज्ञ शुरू हो रहा है। यात्रा समाप्‍त हुई, यज्ञ आरंभ हुआ। यज्ञ में आहुति देनी पड़ती है, समय देना पड़ता है, अपनी सारी इच्‍छा- आकांक्षाओं को समाज के लिए अहुत करनी पड़ती है। मुझे विश्‍वास है ये नर्मदा के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का यज्ञ आप सबके सफल प्रयत्‍नों से और अवश्‍य नई ऊंचाइयों को प्राप्‍त करेगा। इसी एक भावना के साथ आप सब मेरे साथ बोलेंगे- दोनों मुट्ठी बंद करके, हाथ ऊपर करके बोलेंगे- मैं कहूंगा नर्मदे, आप कहेंगे सर्वदे। 

नर्मदे – सर्वदे 

आवाज मां नर्मदा के उस किनारे तक पहुंचनी चाहिए, खम्‍बात की खाडी तक। 

नर्मदे – सर्वदे 

नर्मदे – सर्वदे 

बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 
 

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