संस्कृति मंत्रालय
आईजीएनसीए में मुखौटों की श्रृंखला के प्रदर्शन के साथ भरत मुनि दीर्घा का उद्घाटन हुआ
Posted On:
23 APR 2025 9:32PM by PIB Delhi
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने भूतल पर एक नई विकसित प्रदर्शनी स्थल भरत मुनि दीर्घा का उद्घाटन किया है। आईजीएनसीए में ‘परंपराओं के पहलू और दिव्यता एवं महिमा: लांस डेन संग्रह से उत्कृष्ट कृतियां’ शीर्षक वाली प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया। यह प्रदर्शनी लांस डेन संग्रह से मुखौटों को प्रदर्शित करने के लिए समर्पित है, जिसे आईजीएनसीए अभिलेखागार में रखा गया है। आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने इस कार्यक्रम का आधिकारिक उद्घाटन किया। कार्यक्रम में निदेशक (प्रशासन) डॉ. प्रियंका मिश्रा, डीन (अकादमिक) प्रो. प्रतापानंद झा, कलाकोश प्रभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुधीर लाल और मीडिया सेंटर, आईजीएनसीए के कंट्रोलर श्री अनुराग पुनेठा उपस्थित रहे।

प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने संरक्षण एवं सांस्कृतिक अभिलेखागार प्रभाग के साथ-साथ सभी संबंधित टीमों को बधाई दी, जिनके सामूहिक प्रयासों से यह प्रदर्शनी संभव हो पाई। उन्होंने आगे कहा कि स्थानों को सुंदर बनाने की प्रक्रिया में, ऐसे स्थानों के कोनों को अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए, आईजीएनसीए के गलियारों और अन्य स्थानों को प्रदर्शनी क्षेत्रों में बदलने की परिकल्पना की गई थी। ये न केवल दीर्घाओं (गैलरी) के रूप में बल्कि ऐसे स्थल के रूप में भी काम करेंगे जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के विभिन्न पहलुओं को उजागर करने के साथ-साथ आम जनता, शोधकर्ताओं और विद्वानों तक ज्ञान का प्रसार भी करेंगी। डॉ. जोशी ने उम्मीद जाहिर की कि इस तरह की पहल आईजीएनसीए को देश के प्रमुख सांस्कृतिक संस्थानों में से एक बनाएगी।
इससे पहले, प्रो. अचल पांड्या ने बताया कि इस पहल के पीछे डॉ. सच्चिदानंद जोशी प्रेरणास्रोत थे। उन्होंने याद करते हुए कहा कि जब आईजीएनसीए पहली बार जनपथ भवन में स्थानांतरित हुआ था, तो यहां पर कोई गैलरी नहीं थी। इसके बाद, दर्शनम 1 और दर्शनम 2 दीर्घाएं स्थापित की गईं, और अब भरत मुनि दीर्घा इस सांस्कृतिक विकास में नई पहल के रूप में सामने है। प्रो. पांड्या ने ‘सप्ताह का मुखौटा’ (मास्क ऑफ द वीक) और ‘सप्ताह की वस्तु’ (ऑब्जेक्ट ऑफ द वीक) के रूप में दो नई पहलों की शुरूआत का भी उल्लेख किया, जिनका उद्देश्य सांस्कृतिक महत्व की वस्तुओं को लगातार घुमाकर और प्रदर्शित करके आगंतुकों और आईजीएनसीए कर्मचारियों के बीच जिज्ञासा जगाना है। इन पहलों के माध्यम से प्रदर्शनों के साथ गहन जुड़ाव को बढ़ावा मिलने और भारत की पारंपरिक कलात्मक अभिव्यक्तियों के बारे में दर्शकों की समझ को व्यापक बनाने की उम्मीद है।
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