जल शक्ति मंत्रालय
राष्ट्रीय योजना स्वीकृति समिति ने स्वच्छ भारत मिशन-ग्रामीण के अंतर्गत राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की वार्षिक कार्यान्वयन योजना (एआईपी) पर मंथन किया
Posted On:
28 MAR 2025 7:34PM by PIB Delhi

वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की वार्षिक कार्यान्वयन योजनाओं पर मंथन करने के लिए स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण (एसबीएम-जी) चरण II के अंतर्गत राष्ट्रीय योजना स्वीकृति समिति (एनएसएससी) की छठी बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गई।
वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) के सचिव श्री अशोक कुमार मीणा ने की। इस अवसर पर बोलते हुए, डीडीडब्ल्यूएस के सचिव ने राष्ट्रीय एसबीएम-जी टीम, सभी सहयोगी मंत्रालयों/विभागों, एमओपीआर, एमओआरडी और एमओएचयूए और राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों की टीमों की सराहना की, जिन्होंने मार्च 2025 तक 76 प्रतिशत ओडीएफ प्लस मॉडल गांवों का लक्ष्य हासिल कर लिया है।
एआईपी और उसके लक्ष्यों पर टिप्पणी करते हुए डीडीडब्ल्यूएस के सचिव ने एसबीएम-जी के तहत सराहनीय उपलब्धियों की सराहना की और 2024-25 में देखी गई उल्लेखनीय प्रगति पर जोर दिया, इसका श्रेय सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों, भागीदारों और राष्ट्रीय टीम के सामूहिक प्रयास को दिया।
डीडीडब्ल्यूएस के सचिव ने स्थानीय समुदायों, भागीदारों और महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के मौजूदा नेटवर्क की महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित किया, जो कार्यक्रम की सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने उन्हें न केवल भागीदार के रूप में बल्कि पहल को आगे बढ़ाने वाले नेताओं के रूप में भी चित्रित किया। उन्होंने राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन (एसडब्ल्यूएसएम) और जिला जल एवं स्वच्छता मिशन (डीडब्ल्यूएसएम) के महत्व पर प्रकाश डाला, जिन्हें क्षेत्रीय स्तर पर कार्यक्रम कार्यान्वयन, कन्वर्जेंस और स्थिरता प्रयासों की देखरेख में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
सचिव डीडीडब्ल्यूएस ने तीन मूलभूत सिद्धांतों को रेखांकित किया जो इस वर्ष की स्वच्छता पहलों का मार्गदर्शन करेंगे। “सबसे पहले, ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पन्न सभी अपशिष्ट - ठोस और तरल - का यथासंभव स्रोत के करीब ही निपटान किया जाना चाहिए। दूसरा, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तरल अपशिष्ट प्रबंधन, मल कीचड़ प्रबंधन (एफएसएम) और प्लास्टिक अपशिष्ट के साथ-साथ निरंतर ओडीएफ स्थिति के लिए एकीकृत दृष्टिकोण पर मुख्य रूप से ध्यान दिया जाएगा। तीसरा, प्रत्येक गांव को इस वर्ष के भीतर ओडीएफ प्लस मॉडल गांव बनना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई भी गांव इससे पीछे न रह जाए। मार्च 2025 तक मिशन का लक्ष्य पूरे देश में शत-प्रतिशत ओडीएफ प्लस मॉडल का दर्जा हासिल करना है।”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एसबीएम-जी को वाश एजेंडे को मजबूत करने के लिए जेजेएम के साथ मिलकर काम करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्वास्थ्य क्षेत्र सहित सभी संबंधित प्राधिकरण समग्र दृष्टिकोण के लिए मिलकर काम करें। 50 प्रतिशत से अधिक गांवों में अभी भी इसके सत्यापन का इंतजार है, उन्होंने एसबीएम-जी चरण-II के इस अंतिम कार्यान्वयन वर्ष का अधिकतम लाभ उठाते हुए इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया को पूरा करने के महत्व को रेखांकित किया।
संयुक्त सचिव एवं मिशन निदेशक एसबीएम-जी श्री जितेन्द्र श्रीवास्तव ने प्रस्तुतिकरण देते हुए एसबीएम-जी चरण II की उपलब्धियों तथा वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए फिजिकल एवं वित्तीय लक्ष्यों का अवलोकन प्रस्तुत किया।
बैठक सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए वार्षिक कार्यान्वयन योजना 2025-26 के अनुमोदन के साथ संपन्न हुई और 2025-26 तक ओडीएफ प्लस मॉडल ग्रामीण भारत प्राप्त करने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों की सराहना की गई और महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयासों पर जोर दिया गया।
बैठक में एनएसएससी के सदस्य - संयुक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार, डीडीडब्ल्यूएस, संयुक्त सचिव, पंचायत राज मंत्रालय और आवासन और शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रतिनिधि, संयुक्त सचिव और एमडी, एसबीएम-जी, डीडीडब्ल्यूएस और एसीएस/प्रधान सचिव/राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण स्वच्छता के प्रभारी सचिव तथा एनएसएससी के गैर-सरकारी सदस्य भी उपस्थित रहे।
************
एमजी/आरपीएम/केसी/डीवी
(Release ID: 2116513)
Visitor Counter : 165