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"जलवायु प्रतिबद्धताओं को कार्रवाई में तब्दील करना: भारत की कार्बन ऑफसेट योजना धरातल पर उतरी"

Posted On: 28 MAR 2025 8:05PM by PIB Delhi

 भारत के उत्सर्जन तीव्रता में कमी लाने की प्रतिबद्धता के तहत, भारत सरकार ने जून 2023 में "कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम, 2023" को अधिसूचित कर दिया था और भारतीय कार्बन बाजार के लिए संस्थागत ढांचा तैयार किया था, जिसमें भारतीय कार्बन बाजार के लिए राष्ट्रीय संचालन समिति (एनएससीआईएम) भी शामिल है। दिसंबर 2023 में इस योजना में संशोधन कर ऑफसेट तंत्र पेश किया गया, जिससे गैर-आवश्यक इकाइयों को स्वैच्छिक जलवायु शमन परियोजनाओं में भाग लेने की अनुमति दी गई।

कार्बन बाजार की यात्रा को आगे बढ़ाते हुए, भारत सरकार ने अब ऑफसेट तंत्र के लिए विस्तृत प्रक्रिया और ऑफसेट तंत्र के तहत आठ अलग-अलग कार्यप्रणालियों को मंजूरी दे दी है। यह आईसीएम के तहत ऑफसेट तंत्र के संचालन में एक बड़ा कदम है।

ऑफसेट तंत्र विभिन्न इकाइयों को ग्रीनहाउस गैस (सीएचजी) उत्सर्जन को कम करने, हटाने या रोकने वाली परियोजनाओं को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। यह ढांचा उन व्यवसायों, उद्योगों और संगठनों को जलवायु कार्रवाई में भाग लेने और सत्यापित उत्सर्जन कटौती के बदले कार्बन क्रेडिट अर्जित करने की सुविधा देता है, जो अनिवार्य अनुपालन तंत्र के अंतर्गत नहीं आते। यह तंत्र उन क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन शमन को प्रोत्साहित करेगा, जो अब तक अनुपालन तंत्र के दायरे में नहीं थे, और वहां कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करेगा।

केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत ऑफसेट मैकेनिज्म के तहत आठ कार्यप्रणालियों में नवीकरणीय ऊर्जा (हाइड्रो और पंप स्टोरेज सहित), हरित हाइड्रोजन उत्पादन, औद्योगिक ऊर्जा दक्षता, लैंडफिल मीथेन रिकवरी और मैंग्रोव वनरोपण और पुनर्वनरोपण के लिए कार्यप्रणालियाँ शामिल हैं। इन कार्यप्रणालियों के जरिए स्वैच्छिक कार्बन क्रेडिट उत्पादन के लिए व्यापक जलवायु-अनुकूल परियोजनाओं को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

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