गृह मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में 'जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और सम्बद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत' पुस्तक का विमोचन किया

इस पुस्तक ने कश्मीर के बारे में देश में प्रचलित मिथकों को तोड़कर, इतिहास को सत्य और प्रमाण के साथ प्रस्तुत किया

मोदी सरकार कश्मीर के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने के लिए दृढ़संकल्पित है, और जो हम खो चुके हैं, उसे जल्द ही प्राप्त कर लेंगे

मोदी सरकार ने कश्मीर में आतंकवाद के इकोसिस्टम को पूरी तरह समाप्त कर, शांति और स्थिरता को मजबूती दी

शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से मुक्ति पाने का समय आ गया है

मोदी जी के नेतृत्व में आज देश में ऐसी शासन व्यवस्था है, जो देश के विचारों से चल रही है

कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा; इसे कानून की कोई धारा नहीं बदल सकती और जिस धारा ने इसे बदलने का प्रयास किया, समय ने उसी धारा को हटा दिया

देश में एक दौर आया था, जब दिल्ली के दरीबा से बल्लीमारान और लुटियंस से जिमखाना तक इतिहास को सीमित करके देखा गया

यह पुस्तक प्रमाणित करती है कि देश के कोने-कोने में बिखरी हुई हमारी समृद्ध विरासत हजारों वर्षों से कश्मीर में उपस्थित थी

Posted On: 02 JAN 2025 8:30PM by PIB Delhi

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली में 'जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख: सातत्य और सम्बद्धता का ऐतिहासिक वृत्तांत' पुस्तक का विमोचन किया। इस अवसर पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान और भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष और पुस्तक के संपादक प्रोफेसर रघुवेन्द्र तंवर सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि National Book Trust (NBT) ने इस पुस्तक के माध्यम से लंबे समय से देश मे चल रहे मिथक को तथ्यों और प्रमाणों के आधार पर तोड़कर सत्य को ऐतिहासिक दृष्टि से प्रस्थापित करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि एक मिथक था कि भारत कभी एक था ही नहीं और इस देश की आज़ादी की कल्पना ही बेईमानी है और बहुत सारे लोगों ने इस असत्य को स्वीकारा। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी देशों का अस्तित्व जियोपॉलिटिकल है, लेकिन सिर्फ भारत दुनिया का एकमात्र देश है जो जियोकल्चर है और जिसकी सीमा संस्कृति से बनी है। श्री शाह ने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी और बंगाल से गुजरात तक हमारा देश संस्कृति से जुड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत की व्याख्या वो लोग नहीं कर सकते जिनके मन में देश की व्याख्या जियोपॉलिटिकल देश के रूप में है, बल्कि भारत को वही समझ सकते हैं जिनके मन में जियोकल्चर देश की कल्पना है। उन्होंने कहा कि भारत को समझने का प्रयास तभी सच्चा हो सकता है जब हम देशों की जियोकल्चर परिभाषा को समझें। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे इतिहास और इसका अनुसंधान करने वाली संस्थाएं इस थ्योरी को ऐतिहासिक तथ्यों के साथ दुनिया के सामने नहीं रखेंगी, तब तक कोई भारत को नहीं समझ सकेगी। उन्होंने कहा कि भारत को समझने के लिए भारतीय दृष्टिकोण से हमारे देश को जोड़ने वाले तत्वों को समझना होगा।

श्री अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के इतिहास के साथ भी यही हुआ। उन्होंने कहा कि कई बातों के आधार पर तथ्यों को तोड़मरोड़ कर कश्मीर और लद्दाख की मीमांसा करना बेईमानी है। उन्होंने कहा कि स्मृतिभ्रंश से दूषित इतिहासकार ही ऐसा कर सकते हैं क्योंकि जिनकी स्मृति में हमारा गौरवशाली इतिहास है, वो ऐसी गलती नहीं कर सकते। श्री शाह ने कहा कि आज इस पुस्तक से ये बात सिद्ध हो गई है कि हमारे देश के हर हिस्से में मौजूद संस्कृति, भाषाएं, लिपियां, आध्यात्मिक विचार, तीर्थ स्थलों की कलाएं, वाणिज्य और व्यापार, हजारों साल से कश्मीर में उपस्थित थे और वहीं से देश के कई हिस्सों में पहुंचे। श्री शाह ने कहा कि जब ये बात सिद्ध हो जाती है तो कश्मीर का भारत के साथ जुड़ाव का प्रश्न अपने आप ही बेईमानी हो जाता है। श्री शाह ने कहा कि यह पुस्तक प्रमाणित करती है कि देश के कोने-कोने में बिखरी हुई हमारी समृद्ध विरासत हजारों वर्षों से कश्मीर में उपस्थित थी। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक में लगभग 8 हज़ार साल पुराने ग्रंथों में से कश्मीर का जिक्र निकालकर शामिल किया गया है। गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर पहले भी भारत का अविभाज्य अंग था, आज भी है और हमेशा रहेगा। उन्होंने कहा कि कोई भी कानून की धारा इसे भारत से अलग नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कश्मीर को भारत से अलग करने का प्रयास किया भी गया था, लेकिन समय ने उस धारा को ही हटा दिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कश्मीर के इतिहास और सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने के लिए दृढ़संकल्पित है, और जो हम खो चुके हैं, उसे जल्द ही प्राप्त कर लेंगे।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस पुस्तक और प्रदर्शनी में कश्मीर, लद्दाख, शैव और बौद्ध धर्म का संबंध बहुत अच्छे तरीके से बताया गया है। उन्होंने कहा कि लिपि, ज्ञान प्रणाली, आध्यात्म, संस्कृति और भाषाओं को बहुत अच्छे तरीके से इस पुस्तक में प्रमाणित किया गया है। इस पुस्तक के अंदर एक प्रकार से बौद्ध धर्म की नेपाल से काशी होकर बिहार तक और वहां से कश्मीर होकर अफगानिस्तान तक की पूरी यात्रा बताई गई है। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म के अंदर भगवान बुद्ध के बाद परिष्कृत किए गए सिद्धांतों का जन्मस्थान भी कश्मीर था और आज के बौद्ध धर्म के विद्यमान बौद्ध धर्म के सिद्धातों की जन्मभूमि भी कश्मीर ही थी। उन्होंने कहा कि द्रास, लद्दाख की मूर्तिकला, स्तूपों की चर्चा और चित्र, आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए मंदिरों के खंडहरों के चित्र और जम्मू कश्मीर में संस्कृत के उपयोग का राजतरिंगिणी में वर्णन आदि का कश्मीर का 8 हज़ार साल का इतिहास इस पुस्तक में एक पात्र में गंगा समाहित करने जैसा बहुत बड़ा प्रयास हुआ है। उन्होंने कहा कि इतिहास बहुत व्यापक और कटु होता है। उन्होंने कहा कि 150 साल का एक कालखंड आया जब कुछ लोगों के इतिहास का मतलब दिल्ली के दरीबे से बल्लीमारान और लुटियंस से जिमखाना तक सिमट कर रह गया था। उन्होंने कहा कि इतिहास यहां बैठकर नहीं लिखा जाता, बल्कि लोगों के बीच में जाकर उन्हें समझना पड़ता है।

श्री अमित शाह ने कहा कि शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से निजात पाने का समय अब आ गया है। उन्होंने कहा कि हमारे इतिहासकारों को भारत के इतिहास को आत्मविश्वास, प्रमाणों, तथ्यों और हज़ारों साल पुरानी हमारी संस्कृति को हम हमारे दृष्टिकोण से लिखना चाहिए और दुनिया के सामने गौरव के साथ रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज देश स्वतंत्र है और यहां ऐसा शासन भी है जो देश के विचारों से चल रहा है। श्री शाह ने कहा कि सभ्यता की रचना और उसके संरक्षण और संवर्धन का कश्मीर और लद्दाख केन्द्र था और इस बात के अनेक उदाहरण इस पुस्तक में हमें मिलते हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर हमेशा से अनेक मतों को संभालने वाला उदार चरित्र वाला प्रदेश रहा है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भाषाओं की विविधता, जो भारत की एक बहुत बड़ी ताकत है, उसकी अनुभूति भी कश्मीर में होती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 संघशासित प्रदेश बनाकर दोनों की अधिकृत भाषाओं का समावेश कर भाषाओं को नई आयु देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि हिंदी, अंग्रेज़ी और संस्कृत को भी नकारा नहीं है, लेकिन इनके साथ-साथ इतनी अल्प संख्या में बोली जाने वाली कश्मीरी, बाल्टी, डोगरी, लद्दाखी और जंस्कारी भाषाओं को शासन की भाषा बनाकर लंबी आयु देने का काम प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का हमेशा से आग्रह था कि कश्मीर की छोटी से छोटी सी आबादी में बोली जाने वाली मूल कश्मीरी भाषा को हमें स्थान देना है और उसे जीवित रखना है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी, देश की संस्कृति और भाषाओं के संरक्षण के प्रति कितने संवेदनशील हैं, ये इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण है। गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर हमेशा से कट्टरपथियों, लूट-खंसोट करने वालों और राज्य का विस्तार करने के घृणित विचार वाले आक्रांताओं का शिकार रहा है।

श्री अमित शाह ने कहा कि धारा 370 और 35ए कश्मीर को हमारे देश के साथ एक होने से रोकने वाले व्यवधान थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दृढ़ संकल्प ने 5 अगस्त, 2019 को धारा 370 को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने धारा 370 को समाप्त कर हमारी आज़ादी के बाद के इतिहास का एक कलंकित अध्याय समाप्त करने का काम किया और वहीं से कश्मीर का भारत के बाकी हिस्सों के साथ विकास का अध्याय शुरू हुआ।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि धारा 370 ने ही कश्मीर घाटी के युवाओं के मन में अलगाववाद का बीज बोने का काम किया। उन्होंने कहा कि धारा 370 ने भ्रांति फैलाने का काम किया कि भारत और कश्मीर का जुड़ाव अस्थायी है और इस बात ने अलगाववाद के बीज बोए जो आतंकवाद में परिवर्तित हुआ। उन्होंने कहा कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि 40 हज़ार से अधिक लोग आतंकवाद की बलि चढ़ गए और कश्मीर का विकास दशकों पीछे चला गया। उन्होंने कहा कि वहां सालों तक आतंकवाद का तांडव होता रहा और देश मूक दर्शक बनकर देखता रहा।

श्री अमित शाह ने कहा कि धारा 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 70 प्रतिशत से अधिक कमी हुई है और ये सिद्ध करता है कि धारा 370 आंतकवाद की पोषक थी। उन्होंने कहा कि कश्मीर में पथराव की 2018 में 2100 घटनाएं हुईं जबकि 2023 में एक भी घटना नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 25 हज़ार से अधिक पंच, सरपंच, तहसील पंचायत और ज़िला पंचायत के सदस्य चुनाव जीतकर आए और अपने क्षेत्र का विकास कर रहे हैं जिससे वहां लोकतंत्र की जड़ें गहरी हुई हैं। श्री शाह ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में 33 साल में सबसे अधिक रिकॉर्ड मतदान हुआ। उन्होंने कहा कि अब यहां उद्योग भी आ रहे हैं और 2 करोड़ 11 लाख पर्यटक भी आए हैं। उन्होंने कहा कि 2023 में 324 सीरीयल्स या फिल्मों का फिल्मांकन यहां हुआ है, 33 साल बाद कश्मीर घाटी में थियेटर में नाइट शो चला है, ताजिया का जुलूस निकला है और श्रीनगर के लाल चौक पर कृष्ण जन्माष्टमी की झांकी देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि धारा 370 हटने के बाद 2019 से 2024 की 5 वर्षों की यात्रा में ये सब हुआ है।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज दुनिया का सबसे बड़ा रेलवे आर्च ब्रिज, एशिया की सबसे बड़ी सुरंग, केबल स्टे रेल ब्रिज कश्मीर में हैं। उन्होंने कहा कि कश्मीर में आईआईटी, आईआईएम, 2 एम्स, 9 सरकारी मेडिकल कॉलेज, 2 नर्सिंग संस्थान, 2 राज्य के कैंसर संस्थान, 8 महाविद्यालय बन चुके हैं और 24 बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि 59 कॉलेजों को मान्यता दी गई है और हाईवे टनल का निर्माण हो रहा है और ये सब मोदी सरकार के कार्यकाल में हुआ है। श्री शाह ने पिछली सरकारों से पूछा कि इस सबका 10 प्रतिशत भी उनके 70 साल के शासन में क्यों नहीं हुआ और इसका हिसाब उन्हें देश और कश्मीर की जनता को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी ने 80 हज़ार करोड़ रूपए का पैकेज ज़मीन पर उतारा है और अब 4जी और 5जी नेटवर्क को भी क्षेत्र के लगभग 87 प्रतिशत गाँवों तक पहुंचाया है।

श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने न केवल आतंकवाद पर नियंत्रण प्राप्त किया है बल्कि इसके इकोसिस्टम को भी घाटी से पूरी तरह समाप्त करने का काम किया है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सब कुछ इस भूमि के लिए किया है जिसका देश और दुनिया की सभ्यताओं में बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की भाषाओं, व्याकरण, कई प्रकार की विधाओं को कश्मीर के विद्वानों ने समृद्ध किया है। श्री शाह ने कहा कि आज मोदी सरकार के प्रयासों के कारण कश्मीर फिर से एक बार हमारे भूसांस्कृतिक राष्ट्र भारत का अभिन्न अंग बनकर पूरे देश के साथ विकास के रास्ते पर चल रहा है और वहां लोकतंत्र स्थापित हुआ है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि जो कुछ भी हमने गंवाया है, उसे हम जल्द ही प्राप्त कर लेंगे। उन्होंने कहा कि न सिर्फ भौतिक विकास, बल्कि कश्मीर की सांस्कृतिक ऊंचाइयों और चिरपुरातन गौरव को भी हम जल्द प्राप्त करेंगे। श्री शाह ने कहा कि इतिहास के उन अमर पन्नों को सृजित कर जमीन पर उतारने का काम भी कश्मीर की जनता करेगी। गृह मंत्री ने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि जम्मू और कश्मीर सिर्फ भारत का अंग नहीं है बल्कि भारत की आत्मा का अभिन्न हिस्सा है और इस पुस्तक ने ये सिद्ध कर दिया है कि इस बात को अब कोई नहीं नकार सकता।

*****

आरके / वीवी / आरआर / पीआर



(Release ID: 2089701) Visitor Counter : 585


Read this release in: English