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जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक की सिफारिशें

जीएसटी परिषद ने, 1904 के अंतर्गत वर्गीकरण किए हुए, फोर्टिफाइड चावल (एफआरके) पर जीएसटी दर को घटाकर 5% करने की सिफारिश की

जीएसटी परिषद ने जीन थेरेपी पर भी जीएसटी पर पूरी तरह छूट देने की सिफारिश की

जीएसटी परिषद ने मोटर वाहन दुर्घटना कोष के लिए थर्ड पार्टी के मोटर वाहन प्रीमियम से सामान्य बीमा कंपनियों के योगदान पर जीएसटी पर छूट देने की सिफारिश की है

जीएसटी परिषद ने वाउचर के लेनदेन पर कोई जीएसटी नहीं लगाने की सिफारिश की, क्योंकि ये न तो वस्तुओं की आपूर्ति हैं और न ही सेवाओं की आपूर्ति। वाउचर से जुड़े प्रावधानों को भी सरल बनाया जा रहा है।

जीएसटी परिषद ने स्पष्ट किया है कि कर्ज की शर्तों को पूरा न करने पर बैंकों और एनबीएफसी की ओर से उधारकर्ताओं पर लगाए और एकत्र किए गए 'दंडात्मक शुल्क' पर कोई जीएसटी देय नहीं है

जीएसटी परिषद पारित आदेश के संबंध में, जिसमें केवल जुर्माना राशि शामिल है, अपीलीय प्राधिकरण के सामने अपील दायर करने के लिए पूर्व-जमा भुगतान में कमी की सिफारिश करती है

Posted On: 21 DEC 2024 8:23PM by PIB Delhi

55वीं जीएसटी परिषद की बैठक, आज राजस्थान के जैसलमेर में केंद्रीय वित्त और कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई।

 

 

बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी, गोआ, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर, मेघालय और ओडिशा के मुख्यमंत्री; अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री; इसके अतिरिक्त राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री (विधानमंडल के साथ) और वित्त मंत्रालय और राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।

 

 

जीएसटी परिषद ने अन्य बातों के साथ-साथ जीएसटी कर दरों में बदलाव, लोगों को राहत प्रदान करने, व्यापार की सुविधा के उपायों और जीएसटी में अनुपालन को सुव्यवस्थित करने के उपायों से संबंधित निम्नलिखित सिफारिशें कीं।

 

  1. वस्तुओं की जीएसटी दरों में बदलाव

 

वस्तुएं

 

  1. 1904 के अंतर्गत वर्गीकरण किए हुए, फोर्टिफाइड चावल (एफआरके) पर जीएसटी दर को घटाकर 5% करना।

 

  1. जीन थेरेपी में जीएसटी पर छूट

 

  1. अधिसूचना 19/2019-सीमा शुल्क के अंतर्गत सिस्टम, सब-सिस्टम, उपकरण, पार्ट्स, सब-पार्ट्स, टूल्स, परीक्षण उपकरण, सॉफ्टवेयर पर आईजीएसटी छूट बढ़ाने करने का अर्थ एलआरएसएएम प्रणाली की असेंबली/ मैन्युफैक्चरिंग है

 

  1. ऐसी आपूर्तियों पर जीएसटी दर के बराबर व्यापारी निर्यातकों के लिए आपूर्ति पर क्षतिपूर्ति कर की दर को घटाकर 0.1% करना

 

  1. निर्दिष्ट शर्तों के अधीन अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निरीक्षण टीम की ओर से सभी उपकरणों और खपत योग्य नमूनों के आयात को आईजीएसटी से छूट देना

 

  1. एचएसएन 19 या 21 के अंतर्गत खाने की तैयारियों की खाद्य वस्तुओं पर रियायती 5% जीएसटी दर का विस्तार करना, जो मौजूदा शर्तों के अधीन एक सरकारी कार्यक्रम के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को निःशुल्क वितरण के लिए भोजन तैयार करने हेतु आपूर्ति की जाती है

 

सेवाएं

 

  1. बॉडी कॉरपोरेट्स की ओर से प्रदान की जाने वाली प्रायोजन सेवाओं की आपूर्ति को फॉरवर्ड चार्ज मैकेनिज्म के अंतर्गत लाना।

 

  1. मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 164बी के अंतर्गत, गठन किए गए मोटर वाहन दुर्घटना कोष में सामान्य बीमा कंपनियों की ओर से एकत्र किए गए थर्ड पार्टी के मोटर वाहन प्रीमियम से किए गए योगदान पर जीएसटी पर छूट। हिट एंड रन मामलों सहित सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को मुआवजा/ कैशलेस उपचार प्रदान करने के लिए इस कोष का गठन किया गया है।

 

  1. किसी वित्त वर्ष के लिए, होटल की ओर से प्रदान की गई आवास की किसी भी इकाई हेतु, घोषित टैरिफ की परिभाषा को हटाना और दिए गए परिसर की परिभाषाओं (सेवा दर और छूट अधिसूचनाओं से) को आपूर्ति के वास्तविक मूल्य के साथ संबद्ध करने और ऐसे होटल में रेस्तरां सेवाओं पर जीएसटी दरें लागू करने के लिए उपयुक्त रूप से संशोधित करना, जो बीते वित्त वर्ष में किए गए आवास की इकाइयों की 'आपूर्ति के मूल्य' पर निर्भर हैं, जहां बीते वित्त वर्ष में आवास की किसी भी इकाई के लिए 'आपूर्ति का मूल्य’ 7,500 रुपये से अधिक होने पर आईटीसी के साथ 18%, अन्यथा आईटीसी के बिना 5% होगा। इसके अतिरिक्त, यदि होटल चाहे, तो वित्त वर्ष की शुरुआत से पहले या पंजीकरण प्राप्त करने पर इस आशय की घोषणा देकर, होटल में रेस्तरां सेवाओं पर आईटीसी के साथ 18% की दर से कर का भुगतान करने का विकल्प देना। बदलाव से जुड़ी किसी भी परेशानी से बचने के लिए, उपरोक्त परिवर्तन 01.04.2025 से प्रभावी होंगे।

 

  1. कंपोजीशन लेवी योजना के अंतर्गत पंजीकृत करदाताओं को क्रम संख्या 5एबी की एंट्री से बाहर करने के लिए दिनांक 08.10.2024 के अधिसूचना क्रमांक 09/2024-सीटीआर के जरिए शुरू की गई, जिसके अंतर्गत अपंजीकृत व्यक्ति की ओर से किसी भी वाणिज्यिक/ अचल संपत्ति (आवासीय आवास के अलावा) को पंजीकृत व्यक्ति से किराए पर लिया जाता है, रिवर्स चार्ज तंत्र के तहत लाया गया। इसके अतिरिक्त, दिनांक 08.10.2024 के अधिसूचना क्रमांक 09/2024-सीटीआर के प्रभावी होने की तारीख यानी 10.10.2024 से प्रस्तावित अधिसूचना जारी होने की तारीख तक की अवधि को "जैसा है जहां है" के आधार पर नियमित करना है।

 

वस्तुओं और सेवाओं से संबंधित अन्य बदलाव

 

  1. सभी पुराने और इस्तेमाल किए गए वाहनों, जिसमें ईवी और अन्य वाहन- 1200 सीसी या उससे अधिक इंजन क्षमता वाले और 4000 मिमी या अधिक लंबाई वाले पुराने और इस्तेमाल किए गए पेट्रोल वाहन; 1500 सीसी या उससे अधिक की इंजन क्षमता और 4000 मिमी या उससे अधिक की लंबाई वाले डीजल वाहन और एसयूवी शामिल हैं, की बिक्री पर जीएसटी दर को 12% से बढ़ाकर 18% करना। [नोट: जीएसटी केवल उस मूल्य पर लागू होता है जो आपूर्तिकर्ता को वाहन बेचने पर मिलने वाला मार्जिन होता है, यानी खरीद मूल्य और बिक्री मूल्य (मूल्यह्रास) के बीच का अंतर यदि मूल्यह्रास का दावा किया गया है तो मूल्य) और वाहन के मूल्य पर नहीं। साथ ही, यह अपंजीकृत लोगों के मामले में लागू नहीं है।]

 

  1. यह स्पष्ट करने के लिए कि 50% से अधिक फ्लाई ऐश सामग्री वाले ऑटोक्लेव्ड एरेटेड कंक्रीट (एसीसी) ब्लॉक एचएस 6815 के अंतर्गत आएंगे और इन पर 12% जीएसटी लगेगा।

 

  1. यह स्पष्ट करने के लिए कि काली मिर्च चाहे ताजी हरी हो या सूखी काली मिर्च और किशमिश जब किसी किसान की ओर से आपूर्ति की जाती है, तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा।

 

  1. सभी वस्तुओं को कवर करने के लिए 'पूर्व-पैकेज्ड और लेबल' की परिभाषा में संशोधन करना, जो खुदरा बिक्री के लिए हैं और जो 25 किलोग्राम या 25 लीटर से अधिक नहीं है, जो विधिक माप विज्ञान अधिनियम के अंतर्गत परिभाषित 'पूर्व-पैक्डहैं, या उस पर चिपकाए गए लेबल पर अधिनियम और नियमों के प्रावधानों के अंतर्गत घोषणाएं अंकित होना आवश्यक है।

 

  1. यह स्पष्ट करने के लिए कि खाने के लिए तैयार पॉपकॉर्न जो नमक और मसालों के साथ मिलाया जाता है, उसे एचएस 2106 90 99 के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाता है और यदि प्री-पैकेज्ड और लेबल के अलावा आपूर्ति की जाती है, तो 5% जीएसटी लगता है और यदि प्री-पैकेज्ड और लेबल के साथ आपूर्ति की जाती है, तो 12% जीएसटी लगता है। हालांकि, जब पॉपकॉर्न को चीनी के साथ मिलाया जाता है, जिससे इसका चरित्र शुगर कन्फेक्शनरी (उदाहरण के लिए कारमेल पॉपकॉर्न) में बदल जाता है, तो इसे एचएस 1704 90 90 के अंतर्गत वर्गीकृत किया जाएगा और इस पर 18% जीएसटी लगता है। इससे पहले के विषयों को "जैसा है जहां है" के आधार पर नियमित करने का निर्णय लिया गया है। (नोट: इस संबंध में कोई नया कर नहीं लगाया गया है और यह केवल एक स्पष्टीकरण है क्योंकि कुछ क्षेत्रीय इकाइयां अलग-अलग कर दरों की मांग कर रही थीं। इसलिए, उत्पन्न विवादों को निपटाने के लिए जीएसटी परिषद की ओर से इस स्पष्टीकरण की सिफारिश की जा रही है।)

 

  1. यह स्पष्ट करने के लिए कि अधिसूचना क्रमांक 1/2017- दिनांक 28.6.2017 के मुआवजा उपकर (दर) में क्रम संख्या 52बी में ग्राउंड क्लीयरेंस का स्पष्टीकरण 26.07.2023 से लागू है।

 

  1. यह स्पष्ट करने के लिए कि आरबीआई की दिनांक 28.06.2017 के अधिसूचना क्रमांक 12/2017-सीटी(आर) की क्रम संख्या 34 के कारण विनियमित पेमेंट एग्रीगेटर्स प्रविष्टि के अंतर्गत छूट के लिए पात्र हैं, क्योंकि वे उक्त प्रविष्टि में परिभाषित 'अधिग्रहण बैंक' के दायरे में आते हैं। यह भी स्पष्ट करें कि यह छूट पेमेंट गेटवे (पीजी) और अन्य फिनटेक सेवाओं को कवर नहीं करती है जिनमें धन का निपटान शामिल नहीं है।

 

  1. यह स्पष्ट करने के लिए कि लोन शर्तों का अनुपालन करने पर बैंकों और एनबीएफसी की ओर से उधारकर्ताओं से लगाए और एकत्र किए गए 'दंडात्मक शुल्क' पर कोई जीएसटी देय नहीं है।

 

  1. लेन-देन की सुविधा के लिए उपाय

 

  1. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की अनुसूची III में संशोधन

 

  • 01.07.2017 से सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की अनुसूची III के पैराग्राफ 8 में खंड (एए) को सम्मिलित करना, ताकि किसी भी व्यक्ति को विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) या मुक्त व्यापार वेयरहाउसिंग जोन (एफटीडब्ल्यूजेड) में गोदाम में रखे गए माल की आपूर्ति, निर्यात या घरेलू टैरिफ क्षेत्र के लिए ऐसे माल की निकासी के मामले में स्पष्ट रूप से प्रदान की जा सके, जिसे तो माल की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा और ही सेवाओं की आपूर्ति के रूप में।

 

  • यह एसईजेड/ एफटीडब्ल्यूजेड में गोदामों में रखे गए माल की आपूर्ति से संबंधित लेन-देन को सीमा शुल्क बांड वाले गोदामों में लेन-देन के लिए जीएसटी में मौजूदा प्रावधान के बराबर लाता है।

 

  1. वाउचर की करयोग्यता से संबंधित मुद्दे

 

जीएसटी के तहत वाउचर की कर योग्यता के संबंध में लंबे समय से चली रही चिंताओं को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम में, जीएसटी परिषद ने निम्नलिखित सिफारिशें कीं:

 

  1. वाउचर के उपचार में अस्पष्टताओं को हल करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 से धारा 12(4) और 13(4) और सीजीएसटी नियम, 2017 से नियम 32(6) को हटाना।
  2. निम्नलिखित मुद्दों पर स्पष्टीकरण जारी करना:

 

  1. वाउचर में लेन-देन को तो वस्तुओं की आपूर्ति के रूप में माना जाएगा और ही सेवाओं की आपूर्ति के रूप में।

 

  1. प्रिंसिपल-टू-प्रिंसिपल आधार पर वाउचर का वितरण जीएसटी के अंतर्गत नहीं आएगा। हालांकि, जहां वाउचर प्रिंसिपल-टू-एजेंट आधार पर वितरित किए जाते हैं, ऐसे वितरण के लिए एजेंट की ओर से लिए गए कमीशन/ शुल्क या कोई अन्य राशि जीएसटी के अंतर्गत कर योग्य है।

 

  1. वाउचर से संबंधित अतिरिक्त सेवाएं जैसे विज्ञापन, सह-ब्रांडिंग, मार्केटिंग और प्रचार, अनुकूलन और प्रौद्योगिकी सहायता, ग्राहक सहायता इत्यादि सेवाओं के लिए भुगतान की गई राशि पर जीएसटी लगाया जाएगा।

 

  1. रिडीम नहीं किए गए वाउचर (ब्रेकेज) को जीएसटी के अंतर्गत आपूर्ति के रूप में नहीं माना जाएगा और ब्रेकेज के संबंध में खातों में दर्ज आय पर कोई जीएसटी देय नहीं है।

 

 

  1. कुछ मुद्दों में अस्पष्टता और कानूनी विवादों को दूर करने के लिए सर्कुलर के जरिए स्पष्टीकरण जारी करना।

 

  • क्षेत्रीय संरचनाओं की ओर से विभिन्न अर्थों के कारण निम्नलिखित मुद्दों में स्पष्टता प्रदान करने के लिए सर्कुलर जारी करना:

 

  1. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 9(5) के अंतर्गत की गई आपूर्ति के संबंध में इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स ऑपरेटरों की ओर से इनपुट टैक्स क्रेडिट को उलटने की आवश्यकता के संबंध में स्पष्टीकरण: जीएसटी परिषद ने सिफारिश की कि धारा 17 (1) या धारा 17 ( 2) सीजीएसटी अधिनियम, 2017 को ईसीओ की ओर से आपूर्ति के संबंध में बनाया जाना आवश्यक है जिसके लिए उन्हें सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 9(5) के अंतर्गत कर का भुगतान करना आवश्यक है।

 

  1. आपूर्तिकर्ता की ओर से उसके (आपूर्तिकर्ता के) व्यवसाय के स्थान पर वितरित किए गए माल के संबंध में सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16(2)(बी) के अनुसार इनपुट टैक्स क्रेडिट की उपलब्धता पर स्पष्टीकरण: जीएसटी परिषद ने एक एक्स-वर्क्स अनुबंध में इसे स्पष्ट करने की सिफारिश की है, जहां आपूर्तिकर्ता की ओर से आपूर्तिकर्ता के व्यवसाय के स्थान पर प्राप्तकर्ता या ट्रांसपोर्टर को माल वितरित किया जाता है, और माल में संपत्ति उस बिंदु पर प्राप्तकर्ता को स्थानांतरित कर दी जाती है, माल को सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 16(2)(बी) के अंतर्गत प्राप्तकर्ता की ओर से "प्राप्त" माना जाता है और प्राप्तकर्ता सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 16 और 17 में उल्लिखित शर्तों के अधीन, ऐसे सामान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा कर सकता है।

 

  1. फॉर्म जीएसटीआर-9सी प्रस्तुत करने में देरी के लिए विलंब शुल्क की योग्यता और 2017-18 से 2022-23 की अवधि के लिए फॉर्म जीएसटीआर-9सी प्रस्तुत करने में देरी पर विलंब शुल्क की छूट प्रदान करने के संबंध में स्पष्टीकरण:

 

  1. जीएसटी परिषद ने एक सर्कुलर के जरिए यह स्पष्ट करने की सिफारिश की कि सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 47(2) के अंतर्गत विलंब शुल्क सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 44 के अंतर्गत पूर्ण वार्षिक रिटर्न, जिसमें दोनों फॉर्म (जीएसटीआर-9 (वार्षिक रिटर्न) और फॉर्म जीएसटीआर-9सी (सुलह विवरण), जहां लागू हों) शामिल हैं, दाखिल करने में देरी पर लगाया जाएगा।

 

  1. 2017-18 से 2022-23 की अवधि से संबंधित वार्षिक रिटर्न के लिए, जीएसटी परिषद ने फॉर्म जीएसटीआर-9सी दाखिल करने में देरी के लिए विलंब शुल्क की राशि की छूट के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 128 के तहत अधिसूचना जारी करने की भी सिफारिश की, जो उक्त वित्तीय वर्षों के लिए फॉर्म जीएसटीआर-9 दाखिल करने की तारीख तक देय विलंब शुल्क की राशि से अधिक है, बशर्ते कि उक्त फॉर्म जीएसटीआर-9सी को 31 मार्च 2025 या उससे पहले दाखिल किया गया हो।

 

 

C. जीएसटी में अनुपालन को सरल बनाने के उपाय

 

  1. ट्रैक और ट्रेस तंत्र के लिए नए प्रावधान को शामिल करना

 

  • धारा 148 के जरिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में एक योग्य प्रावधान शामिल करना, जिससे सरकार को निर्दिष्ट चोरी की संभावना वाली वस्तुओं के लिए ट्रैक एंड ट्रेस तंत्र को लागू करने के लिए सशक्त बनाया जा सके।

 

  • यह प्रणाली एक विशिष्ट पहचान अंकन पर आधारित होगी, जिसे उक्त सामान या उसके पैकेज पर चिपकाया जाएगा। यह ऐसी प्रणाली विकसित करने हेतु एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा और संपूर्ण आपूर्ति श्रृंखला में निर्दिष्ट वस्तुओं का पता लगाने के लिए तंत्र के कार्यान्वयन में मदद करेगा।

 

  1. अपंजीकृत प्राप्तकर्ता के राज्य के नाम का सही विवरण दर्ज करने के साथ-साथ 'ऑनलाइन सेवाओं' की आपूर्ति के संबंध में आपूर्ति के स्थान की सही घोषणा के संबंध में स्पष्टीकरण

 

  • यह स्पष्ट करने के लिए कि अपंजीकृत प्राप्तकर्ताओं को 'ऑनलाइन सेवाओं' की आपूर्ति जैसे ऑनलाइन मनी गेमिंग, ओआईडीएआर सेवाओं आदि की आपूर्ति के संबंध में, आपूर्तिकर्ता को अनिवार्य रूप से कर चालान पर अपंजीकृत प्राप्तकर्ता के राज्य का नाम दर्ज करना आवश्यक है और प्राप्तकर्ता के राज्य का नाम सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 46(एफपरंतुक के साथ पठित आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 12(2)(बी) के उद्देश्य के लिए प्राप्तकर्ता के रिकॉर्ड पर पता माना जाएगा।

 

D. कानून एवं प्रक्रिया से संबंधित अन्य कार्यवाहियां

 

  1. सीजीएसटीएक्ट, 2017 की धारा 17(5)(डी) में संशोधन

 

  • सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 17(5)(डी) के प्रावधानों को उक्त धारा के उद्देश्य से एक दिशा में रखने के लिए, परिषद नेसंयंत्र या मशीनरी' वाक्यांश कासंयंत्र और मशीनरी' में बदलाव करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 17(5)(डी) में संशोधन करने की सिफारिश की है, जो कि पूर्वव्यापी रूप में 01.07.2017 से प्रभावी होगा, ताकि उक्त वाक्यांश की व्याख्या अंत में सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 17 के स्पष्टीकरण के अनुसार की जा सके।

 

  1. पारित आदेश के संबंध में अपील दायर करने के लिए पूर्व-जमा के भुगतान का प्रावधान करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 107 और धारा 112 में संशोधन, जिसमें केवल जुर्माना शामिल है।

 

  • सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 107(6) के प्रावधान में संशोधन करने हेतु, कर की मांग को शामिल किए बिना केवल दंड की मांग वाले मामलों में अपीलीय प्राधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए 25% के बजाय 10% पूर्व-जमा का भुगतान करने का प्रावधान।

 

  • सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 112(8) में एक नया प्रावधान शामिल करना, जिसमें कर की मांग को शामिल किए बिना केवल दंड की मांग वाले मामलों में अपीलीय न्यायाधिकरण के समक्ष अपील दायर करने के लिए 10% पूर्व-जमा के भुगतान का प्रावधान।

 

  1. स्थानीय निधि और नगरपालिका निधि की परिभाषाओं के संबंध में एक स्पष्टीकरण शामिल करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 2(69) में संशोधन: सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 2(69) के खंड (सी) में संशोधन करने और उसी के अंतर्गत एक स्पष्टीकरण शामिल करने के लिए उक्त खंड में प्रयुक्त 'स्थानीय निधि' और 'नगरपालिका निधि' शब्दों की परिभाषा देने के लिए।

 

  1. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 और सीजीएसटी नियम, 2017 के अंतर्गत इनपुट सेवा वितरक (आईएसडी) तंत्र से संबंधित प्रावधानों में संशोधन

 

  • सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 2(61) और धारा 20(1) में संशोधन करके आईएसडी तंत्र के अंतर्गत अंतर-राज्य आरसीएम लेन-देन को स्पष्ट रूप से आईजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 5(3) और 5(4) के अंतर्गत उक्त प्रावधानों में कर के अधीन आपूर्ति के संदर्भ में शामिल किया जाएगा।

 

  • परिणामस्वरूप, सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 20(2) और सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 39(1) में संशोधन करना।

 

  • सीजीएसटी अधिनियम, 2017 में ये संशोधन 01.04.2025 से प्रभावी किए जाने हैं।

 

  1. कर अधिकारियों की ओर से उन लोगों को अस्थायी पहचान संख्या प्रदान करने का प्रावधान, जो अन्यथा पंजीकृत होने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं
  • उन लोगों के लिए अस्थायी पहचान संख्या निर्माण करने के लिए एक अलग प्रावधान प्रदान करने के लिए सीजीएसटी नियम, 2017 में नया नियम 16 शामिल करना, जो सीजीएसटी अधिनियम, 2017 के तहत पंजीकृत होने के लिए उत्तरदायी नहीं हैं, लेकिन उन्हें  सीजीएसटी नियम, 2017 के 87(4) के अनुसार कोई भी भुगतान करना आवश्यक है।

 

  • सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 87 (4) में संशोधन करना, जिसमें नए नियम का संदर्भ और फॉर्म जीएसटी आरईजी-12 का परिणामी संशोधन शामिल है।

 

  1. फॉर्म सीएमपी-02 के जरिए कंपोजीशन लेवी का विकल्प चुनने वाले करदाताओं हेतु 'पंजीकृत व्यक्ति की श्रेणी' क्षेत्र में संशोधन
  • सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 19 के उप-नियम (1) में फॉर्म जीएसटी सीएमपी-02 के संदर्भ को शामिल करने के लिए में संशोधन करना, जिससे करदाताओं को फॉर्म जीएसटी आरईजी 14 के जरिए सीएमपी-02 की तालिका 5 में अपने "पंजीकृत व्यक्ति की श्रेणी" को संशोधित करने की अनुमति मिल सके।

 

  1. चालान प्रबंधन प्रणाली (आईएमएस) के कार्यान्वयन के संबंध में सीजीएसटी अधिनियम, 2017 और सीजीएसटी नियम, 2017 में संशोधन
  • जीएसटी परिषद ने अन्य बातों के साथ-साथ सिफारिशें कीं-

 

  1. चालान प्रबंधन प्रणाली (आईएमएस) पर करदाताओं की ओर से की गई कार्रवाई के आधार पर फॉर्म जीएसटीआर-2बी तैयार करने के संबंध में एक कानूनी ढांचा प्रदान करने के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 38 और सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 60 में संशोधन करना।

 

  1. विशेष रूप से इनपुट टैक्स क्रेडिट को उलटने की आवश्यकता प्रदान करने के लिए, जैसा कि प्राप्तकर्ता की ओर से क्रेडिट नोट के लिए जिम्मेदार है, आपूर्तिकर्ता की आउटपुट टैक्स देनदारी को कम करने में सक्षम बनाने के लिए सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 34(2) में संशोधन करना।
  2. सीजीएसटी नियम, 2017 में एक नया नियम 67बी जोड़ने के लिए, उस तरीके को निर्धारित करने के लिए जिसमें आपूर्तिकर्ता की आउटपुट टैक्स देनदारी को उसकी ओर से जारी किए गए क्रेडिट नोट की जगह एडजस्ट किया जाएगा।

 

  1. सीजीएसटी अधिनियम, 2017 की धारा 39 (1) और सीजीएसटी नियम, 2017 के नियम 61 में संशोधन करना, जिससे पोर्टल पर उपलब्ध कर अवधि के फॉर्म जीएसटीआर-3बी को उक्त कर अवधि के फॉर्म जीएसटीआर-2बी बनने के बाद ही दाखिल करने की अनुमति दी जाएगी।

 

E. अन्य कार्यवाहियां:

 

  • जीएसटी परिषद ने आईजीएसटी निपटान से संबंधित मुद्दों के संबंध में राज्यों की ओर से उठाए गए विभिन्न मुद्दों के लिए उपाय सुझाने वाली अधिकारियों की समिति की सिफारिश को मंजूरी दी और समिति से मार्च, 2025 तक वांछित बदलावों को पूरा करने के लिए कहा।

 

  • जीएसटी परिषद ने जीएसटीएटी के आंतरिक कामकाज के लिए प्रस्तावित प्रक्रियात्मक नियमों पर ध्यान दिया, जिन्हें कानून समिति की ओर से जांच के बाद अधिसूचित किया जाएगा। इससे जीएसटीएटी के संचालन में मदद मिलेगी।

 

  • परिषद ने जीएसटी मुआवजे के पुनर्निर्माण पर मंत्रियों के समूह के लिए समय सीमा को 30 जून, 2025 तक बढ़ाने का भी निर्णय लिया।

 

  • आंध्र प्रदेश राज्य के अनुरोध पर परिषद ने सिफारिश की कि कानूनी और संरचनात्मक मुद्दों की जांच करने के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित किया जाए, और राज्य में प्राकृतिक आपदा/ विपत्ति के मामले में लेवी लगाने पर एक समान नीति की सिफारिश की जाए।

 

अतिरिक्त एफएसआई के साथ एफएसआई प्रदान करने के लिए नगर पालिकाओं की ओर से एकत्र किए गए शुल्क, रिवर्स चार्ज के आधार पर जीएसटी में आने का मुद्दा परिषद में उठाया गया था। केंद्र सरकार के आदेश पर मामले को आगे की जांच के लिए इस आधार पर टाल दिया गया कि यह राशि नगर पालिकाओं या स्थानीय प्राधिकरण से संबंधित है।

 

नोट: इस विज्ञप्ति में जीएसटी परिषद की सिफारिशों को हितधारकों की जानकारी के लिए सरल भाषा में प्रमुख निर्णयों के साथ प्रस्तुत किया गया है। इसे प्रासंगिक परिपत्रों/ अधिसूचनाओं/ कानून संशोधनों के जरिए प्रभावी किया जाएगा, जिसमें अकेले ही कानून की शक्ति होगी।

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एमजी/केसी/एमएम



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