पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
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केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान में पश्मीना प्रमाणीकरण और अगली पीढ़ी के डीएनए अनुक्रमण सुविधा के लिए उन्नत सुविधा केंद्र का उद्घाटन किया

केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि नई वन्यजीव अनुसंधान सुविधा जैव विविधता संरक्षण के लिए ‘परिवर्तनकारी’ है

Posted On: 21 DEC 2024 7:09PM by PIB Delhi

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने आज पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह की उपस्थिति में देहरादून स्थित भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) में पश्मीना प्रमाणीकरण तथा अगली पीढ़ी के डीएनए अनुक्रमण सुविधा के लिए उन्नत केंद्र का उद्घाटन किया। ये नई सुविधाएं पिछले वर्ष रखी गई आधारशिला पर निर्मित की गई इमारत में उपलब्ध हैं। केंद्रीय मंत्री ने पश्मीना प्रमाणन केंद्र (पीसीसी) का उद्घाटन किया और इसका पहला विशिष्ट पहचान बारकोड तथा प्रमाण पत्र जारी किया।

अगली पीढ़ी अनुक्रमण सुविधा (एनजीएस):

अगली पीढ़ी की डीएनए अनुक्रमण सुविधा (एनजीएस) एक क्रांतिकारी तकनीक है, जो लाखों डीएनए अनुक्रमों का एक साथ विश्लेषण करते हुए संपूर्ण जीनोम के तीव्र और उच्च-थ्रूपुट डिकोडिंग को सक्षम बनाती है। इससे शोधकर्ताओं को आनुवंशिक विविधता, विकासवादी संबंधों और जनसंख्या स्वास्थ्य के बारे में गहन जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है। वन्यजीव संरक्षण में, एनजीएस की आनुवंशिक विविधता के संबंध में जनसंख्या आनुवंशिक स्वास्थ्य की पहचान करने, आनुवंशिक बाधाओं की जानकारी और आबादी पर उनके प्रभाव, अद्वितीय अनुकूलन एवं विशिष्ट विकासवादी इतिहास वाली प्रजातियों, रोग के प्रकोप को समझने, अवैध वन्यजीव व्यापार का पता लगाने तथा जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने में महत्वपूर्ण भूमिका है। यह अत्याधुनिक एनजीएस सुविधा भारतीय वन्यजीव संस्थान को वन्यजीव संरक्षण में आणविक व आनुवंशिक अनुसंधान के लिए एक अग्रणी केंद्र के रूप में स्थापित करती है, जिससे जैव विविधता जीनोमिक्स, जनसंख्या आनुवंशिकी और रोग निगरानी जैसे क्षेत्रों में उन्नत अध्ययन संभव हो सकेगा।

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि यह सुविधा भारत में वन्यजीव अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी कदम है। उन्होंने कहा कि यह वैज्ञानिकों को हमारी जैव विविधता के आनुवंशिक रहस्यों को समझने और इसे बचाने के उद्देश्य से विज्ञान आधारित समाधान बनाने के लिए नवीनतम उपकरणों से सशक्त बनाता है। भारत, एक महाविविध देश के रूप में आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे बहुमूल्य वन्यजीवों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लक्ष्य के साथ ऐसी उन्नत क्षमताओं की आवश्यकता है।

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री श्री कीर्ति वर्धन सिंह ने इस सुविधा की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अगली पीढ़ी की अनुक्रमण सुविधा के साथ, हम सटीकता और नवीनता के साथ आधुनिक संरक्षण चुनौतियों का समाधान करने के लिए स्वयं को सुसज्जित कर रहे हैं। ऐसी आधुनिक प्रौद्योगिकियों को संभालने हेतु स्वदेशी क्षमता का विकास करना और उन्नत क्षमता का निर्माण करना हमारे देश को आगे ले जाने के लिए महत्वपूर्ण है।

एनजीएस सुविधा केंद्र से चल रही परियोजनाओं को बढ़ावा मिलने और नए शोध के अवसर उपलब्ध होने की आशा है, जिसमें जलवायु परिवर्तन के लिए आनुवंशिक अनुकूलन का अध्ययन, रोगाणु-पोषक अंतःक्रिया और बाघ, हाथी, नदी डॉल्फिन तथा अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों हेतु संरक्षण रणनीतियों का विकास शामिल है।

पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा

पीसीसी ने अपनी स्थापना के बाद से एक वर्ष में 15,000 से अधिक शॉलों को प्रमाणित किया है, जिससे उनकी प्रामाणिकता सुनिश्चित हुई है और उनमें अन्य रेशों की मिलावट नहीं हुई है, जिससे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में असली पश्मीना उत्पादों का निर्बाध व्यापार संभव हो सका है। पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत सुविधा में अब एनर्जी डिस्पर्सिव स्पेक्ट्रोस्कोपी (ईडीएस) के साथ एक विशेष स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (एसईएम) शामिल है, जो ऊन के परीक्षण एवं प्रमाणन की सटीकता व विश्वसनीयता को बढ़ाता है।

 

आत्मनिर्भर भारत में एक मील का पत्थर

डब्ल्यूआईआई और हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) के माध्यम से सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत स्थापित पीसीसी, पारंपरिक हस्तशिल्प में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देते हुए कारीगरों, बुनकरों तथा व्यापारियों को समर्थन देने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।

 

उन्नत सुविधा में निम्नलिखित सुविधाएं शामिल हैं:

उन्नत फाइबर विश्लेषण: पश्मीना फाइबर की सटीक पहचान और प्रमाणीकरण के लिए एसईएम-ईडीएस प्रौद्योगिकी उपलब्ध है।

सुव्यवस्थित प्रमाणन: पता लगाने तथा गुणवत्ता आश्वासन के लिए विशिष्ट आईडी टैगिंग और ई-प्रमाणपत्र दिया जाता है।

वैश्विक व्यापार सुविधा: प्रमाणित उत्पादों का परेशानी मुक्त आवागमन, निकास बिंदुओं पर फाइबर जांच के कारण होने वाली देरी और वित्तीय नुकसान को समाप्त करना सुनिश्चित किया है।

 

कारीगरों और संरक्षण प्रयासों का सहयोग

पश्मीना जम्मू और कश्मीर के कारीगरों तथा बुनकर समुदायों के लिए आजीविका का आधार है। पीसीसी वास्तविक उत्पादों को प्रमाणित करके, वैश्विक बाजारों में उनकी विश्वसनीयता बढ़ाकर और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं को सुनिश्चित करके उनके उद्योग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, यह सुविधा प्रतिबंधित रेशों के उपयोग को हतोत्साहित करती है, जो अप्रत्यक्ष रूप से तिब्बती मृग (चिरू) के संरक्षण में योगदान देती है, जिसका निवास स्थान पहले शहतूश ऊन के अवैध व्यापार से खतरे में था।

 

एक आत्मनिर्भर मॉडल

पीसीसी एक सरकारी संगठन के भीतर एक अद्वितीय, आत्मनिर्भर पहल का प्रतिनिधित्व करता है, जो पीपीपी मॉडल के तहत उभरते पेशेवरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करते हुए राजस्व उत्पन्न करता है।

 

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