पृथ्‍वी विज्ञान मंत्रालय
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संसद में पूछे गए प्रश्न: भूकंप आपदा प्रबंधन

Posted On: 28 NOV 2024 6:08PM by PIB Delhi

भूकंपीय ज़ोनिंग मानचित्र और अद्यतन भवन संहिता यह सुनिश्चित करती है कि शहरी क्षेत्रों में, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में, नए निर्माण भूकंप-रोधी मानकों का पालन करें। भारतीय मानक ब्यूरो, आवास और शहरी विकास निगम और आवास और शहरी कार्य मंत्रालय इस दिशा में काम करते हैं। बड़े भूकंप की स्थिति में आपदा राहत और प्रतिक्रिया योजनाओं के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाते हैं:

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ): एनडीआरएफ एक विशेष एजेंसी है जो भूकंप के दौरान तलाशी और बचाव अभियान चलाने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित है और बड़े भूकंप आने की घटनाओं के बाद तैनात की जाती है।

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए): प्रत्येक राज्य में एक एसडीएमए होता है जो आपदा प्रबंधन योजनाओं को बनाने और लागू करने के लिए जिम्मेदार होता है, जिसमें विशिष्ट भूकंप प्रावधान शामिल होते हैं और स्थानीय प्रतिक्रिया प्रयासों का समन्वय होता है।

  आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाएं: सरकार ने व्यापक आपातकालीन प्रतिक्रिया योजनाएं विकसित की हैं, जो आपदा के दौरान विभिन्न एजेंसियों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियां तय करती है, तथा समन्वित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करती हैं।

सामुदायिक प्रशिक्षण और अभ्यास: नियमित प्रशिक्षण और अनुकरण अभ्यास समुदायों को भूकंप परिदृश्यों के लिए तैयार करते हैं, स्थानीय क्षमता निर्माण और जागरूकता को बढ़ावा देते हैं।

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केन्द्र (एनसीएस), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) भूकंप के मापदंडों का पता लगाने और उन्नत प्रौद्योगिकी का उपयोग करके राष्ट्रीय और राज्य स्तर के विभिन्न हितधारकों को जानकारी प्रसारित करने के लिए राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क की निगरानी और रखरखाव करता है और एनसीएस-एमओईएस भूकंप की पूर्व चेतावनी प्रणाली पर उन्नत शोध करता है।

समुदाय-आधारित आपदा प्रबंधन प्रयास निम्नलिखित हैं;

समुदायों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम: स्थानीय समुदायों को आपदा प्रतिक्रिया, प्राथमिक चिकित्सा और तैयारी उपायों में प्रशिक्षित करने की पहल लागू की जाती है, जिससे स्थानीय स्तर पर संभलने का सामर्थ्य बढ़ता है।

जागरूकता अभियान: सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम नागरिकों को भूकंप के जोखिमों और तैयारी रणनीतियों के बारे में शिक्षित करते हैं, जिसमें आपातकालीन योजनाओं और किटों का महत्व भी शामिल है।

स्थानीय शासन की भागीदारी: स्थानीय निकायों और पंचायती राज संस्थाओं को आपदा प्रबंधन योजनाओं को विकसित करने और लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, ताकि तैयारी के प्रयासों में सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

संसाधन केन्द्र: सामुदायिक संसाधन केन्द्र स्थापित करने से आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया में सहायता के लिए सूचना, प्रशिक्षण और सामग्री उपलब्ध होती है

अभ्यास और अनुसरण : आपातकालीन प्रक्रियाओं से निवासियों को परिचित कराने के लिए स्कूलों, कार्यस्थलों और समुदायों में नियमित रूप से भूकंप अभ्यास और अनुकरण करने संबंधी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

यह जानकारी केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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