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अनंगताल की सफाई और सौंदर्यीकरण का कार्य अगले सप्ताह शुरू होगा

Posted On: 21 MAY 2022 6:29PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) का मिशन अनंग ताल, 11वीं शताब्दी के एक स्मारक को पुनर्जीवित करना दिल्ली विकास प्राधिकरण-डीडीए के उपाध्यक्ष श्री मुकेश गुप्ता के साथ सच हो गया है। श्री गुप्ता ने डीडीए की अपनी पूरी टीम के साथ भव्य जलाशय का दौरा किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस ताल की सफाई और सौंदर्यीकरण का कार्य अगले सप्ताह शुरू हो जाएगा।

इस दौरे में एनएमए के अध्यक्ष श्री तरुण विजय, डीडीए के उपाध्यक्ष श्री मुकेश गुप्ता, आयुक्त सुश्री मनीषा और श्री राजीव तिवारी और लगभग एक दर्जन अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।

उन्होंने क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण किया, और 1200 साल पुरानी ऐतिहासिक मिनी झील में सीवेज नालियों के गिरने के अलावा कई अतिक्रमण सामने आए। इसे दिल्ली के संस्थापक राजा महाराजा अनंग पाल तोमर ने वर्ष 1052 ईस्वी में महरौली क्षेत्र के प्रसिद्ध 27 हिंदू-जैन मंदिरों के पीछे बनवाया था। अनंग पाल के विष्णु मंदिर के सामने विष्णु गरुड़ध्वज (लोकप्रिय रूप से लौह स्तंभ के रूप में जाना जाता है) एक धार्मिक ध्वज मानक था। बाद में इन मंदिरों को कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा ध्वस्त कर दिया गया और इसके बाद इनके अवशेषों का उपयोग जामी मस्जिद के निर्माण के लिए किया गया, जिसे बाद में कुव्वतुल इस्लाम मस्जिद के रूप में पहचाना जाने लगा।

 

एनएमए के अध्यक्ष श्री तरुण विजय ने कहा कि ऐतिहासिक सत्य को उजागर करने का समय अब आ गया है और यह खुशी की बात है कि एनएमए दिल्ली के संस्थापक राजा के बारे में तथ्यों को सामने लाने में सफल रहा है। इस शहर को पहले ढिल्लिकापुरी के नाम से जाना जाता था। इसकी जानकारी लॉर्ड कनिंघम द्वारा लिखे गए पत्थर के शिलालेखों से पता चली है। ये पत्थर के शिलालेख ब्रिटिश काल के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण-एएसआई अधिकारियों को नई दिल्ली के निर्माण के दौरान पालम, नारायणा और सरबन (रायसीना) में मिले थे।

उन्होंने कहा कि दिल्ली कब्रिस्तानों का शहर नहीं है जैसा कि अनुमान लगाया गया है, बल्कि यह आनंद, कला, संस्कृति और सिख गुरु तेगबहादुर साहब के बलिदान का एक महान शहर है। यह बंदा सिंह बहादुर, बाबा बघेल सिंह, मराठा प्रमुख महादाजी शिंदे जैसे योद्धाओं का शहर है, जिन्होंने दिल्ली को जीत लिया और मुगलों को हराया।

अनंग ताल में खुदाई वर्ष 1993 में एएसआई द्वारा अनुभवी पुरातत्वविद् डॉ. बी. आर. मणि के नेतृत्व में की गई थी। इस क्षेत्र का विस्तृत सर्वेक्षण नक्शा एएसआई के पास हैं, जिसमें ताल की ओर जाने वाली सुंदर सीढ़ियां और इसके माप शामिल हैं।

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