गृह मंत्रालय
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केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आज अरुणाचल प्रदेश के तिरप ज़िले के नरोत्तम नगर में रामकृष्ण मिशन के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, श्री अमित शाह ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण भी किया

Posted On: 21 MAY 2022 6:05PM by PIB Delhi

 

गृह मंत्री ने लोहित ज़िले में प्रसिद्ध परशुराम कुंड पर भगवान परशुराम की 51 फुट ऊँची कांस्य प्रतिमा की आधारशिला रखी

मैं जब भी अरुणाचल आता हूँ और कोई नमस्ते की जगह जय हिन्द कहता हो तो शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं,पूरे देश में इतनी राष्ट्रभक्ति और जागरूकता अरुणाचल के अलावा शायद और कहीं नहीं है

 50 साल से अरुणाचल प्रदेश में एक संस्था और उसके अनेक संन्यासियों ने यहाँ के हज़ारों बच्चों को शिक्षित करने और सँवारने का काम किया है

बचपन में एक संन्यासी कहा करते थे कि मंदिर बनाना बहुत पुण्य का काम है,स्कूल बनाना इससे भी बड़ा पुण्य का काम है,लेकिन एक व्यक्ति को अच्छा इंसान बनाने से बड़ा पुण्य का काम हो ही नहीं सकता

 रामकृष्ण मठ ने 50 साल से एक दुर्गम जगह,सातत्यपूर्ण तरीक़े से बिना थके और अक्षय ऊर्जा के साथ इस सेवा को जारी रखा है, वे इस अक्षय ऊर्जा को शायद रामकृष्ण परमहंस या पूरे देश के लिए चेतना के स्रोत स्वामी विवेकानंद के उपदेशों से प्राप्त करते हैं

50 साल से अक्षुण्ण रूप से इस सेवा भाव को चालू रखने के लिए मैं रामकृष्ण मिशन के सभी संन्यासियों को करबद्ध होकर ह्रदय से धन्यवाद करता हूँ

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का भी रामकृष्ण मिशन से काफी जुड़ाव रहा है

रामकृष्ण मिशन ने देश के हर क्षेत्र में चाहे वह दूरदराज के पहाड़ी इलाके हों या आदिवासी क्षेत्र,सबसे बड़ा काम स्थानीय संस्कृति,सभ्यता,संगीत,भाषा और स्वधर्म को बचाने और उसे अक्षुण्ण रखने का किया है

 आज पूरा अरुणाचल राष्ट्र की मुख्यधारा में है और अपनी संस्कृति,संगीत और भाषा को बचाए रखते हुए स्वधर्म के मार्ग पर चल रहा है,उसका मुख्य कारण रामकृष्ण मठ के सन्यासियों द्वारा यहाँ 50  साल से की गई तपस्या है

हम जब भी अरुणाचल आते हैं यहां से उर्जा और देशभक्ति के संस्कार लेकर वापस जाते हैं, इसलिए मैं अरुणाचल की जनता को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं

2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेंद्र मोदी जी ने अनेक समस्याओं से ग्रस्त नॉर्थईस्ट को बदलने की एक नई शुरुआत की है

2014 से पहले जब मैं नॉर्थईस्ट आया था और जिस परिवार के घर ठहरा था जब  उसने पूछा कि आप भारत से आए हो तो मुझे यह सुनकर बहुत बड़ा आघात हुआ था,  2014 के बाद पिछले  8 साल में मोदी जी ने दिल्ली और नॉर्थ ईस्ट के बीच के इस अंतर को समाप्त कर दिया है

 पूरा देश नॉर्थईस्ट को अपने राज्य जितना ही प्यार करता है और नॉर्थईस्ट भी आज गौरव के साथ कह रहा है कि हम महान भारत का हिस्सा है,हम भारतीय हैं, 8 साल के अल्पकाल में यह परिवर्तन लाना बहुत बड़ी बात है

आज तक कोई भी प्रधानमंत्री 50 बार नॉर्थईस्ट नहीं आया है लेकिन मोदी जी 8 साल में 50 से अधिक बार नॉर्थईस्ट के अलग-अलग राज्यों में आए

 आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नार्थईस्ट की भाषाओं की चिंता नहीं की,देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने नॉर्थईस्ट की भाषाओं की चिंता की है और नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक शिक्षा उनकी ही भाषा में देने की शुरुआत भी की है

चाहे नॉर्थईस्ट के लोगों को दिल से देश के बाकी हिस्सों से जोड़ना हो,चाहे एयर,रेल और रोड कनेक्टिविटी से जोड़ना हो,नार्थईस्ट के लिए हजारों लाखों करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट देकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पूर्वोत्तर का भारत के साथ आत्मीय लगाव खड़ा करने का काम किया है

मेघालय और असम के बीच सालों से जो सीमा की समस्याएं थी उसमें 60% से ज्यादा विवादित क्षेत्र को आज शांति के साथ सुलझा दिया है, मुझे आशा है कि हम अरुणाचल और असम की सीमाओं की समस्या का भी जल्दी ही समाधान ढूंढ लेंगे

          मोदी जी की सरकार से पहले पूरे नॉर्थईस्ट के स्ट्रक्च्रल तरीके से विकास का खाका किसी ने नहीं खींचा लेकिन हमने यह खाका बनाया है,भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नॉर्थईस्ट के विकास का तीन हिस्सों में एजेंडा तय किया है

पहला उद्देश्य,नॉर्थ ईस्ट की बोलियों,भाषाओं,नृत्य,संगीत और खानपान की परंपरा को न केवल बचाना बल्कि उन्हे समृद्ध कर उसे पूरे देश भर में गौरव दिलाना है  

दूसरा,सारे विवादों को समाप्त कर नॉर्थ ईस्ट के युवाओं को एक ऐसा प्लेटफार्म देना जिस पर खड़ा होकर वह विश्व के युवाओं के साथ स्पर्धा कर सके,इस प्रकार के विवाद मुक्त,शांति युक्त,उग्रवाद मुक्त और हथियार मुक्त नॉर्थईस्ट की रचना करना ही हमारा लक्ष्य है

  तीसरा लक्ष्य,उत्तर-पूर्व के सभी 8 राज्यों को देश के सबसे विकसित राज्यों की सूची में सबसे ऊपर ले जाना

भारत में चिरपुरातन काल से ही गुरु दक्षिणा की परंपरा रही है मगर किसी भी शिष्य ने अपने गुरु को इतनी बड़ी गुरु दक्षिणा नहीं दी होगी जो स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना कर अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस को दी

गुरु के संदेश को बिना किसी चकाचौंध के त्याग,समर्पण और बलिदान से पूरे देश और दुनिया के अंदर पहुंचाना और सेवा समर्पण को ही अपना धर्म समझ कर आगे बढ़ना विवेकानंद जी के बगैर शायद कोई और नहीं कर सका

विवेकानंद जी का एक वाक्य है कि शिक्षा मनुष्य में पहले से विद्यमान उत्कृष्टता की अभिव्यक्ति का रास्ता है, मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जो शिक्षा नीति लाए है वह विवेकानंद जी के बताए शिक्षा के मार्ग के अनुरूप शिक्षा है

21वीं सदी ज्ञान की सदी है,भारत के युवाओं को 21वीं सदी के विश्व के अनुरूप बनाना है,विश्व के युवाओं की स्पर्धा में भारत का युवा उन्नत मस्तक के साथ खड़ा होकर उनसे स्पर्धा करे और विजयी हो इस प्रकार के युवा बनाना ही इस शिक्षा नीति का उद्देश्य है

 

 

     केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह आज अरुणाचल प्रदेश के तिरप ज़िले के नरोत्तम नगर में रामकृष्ण मिशन के स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। श्री अमित शाह ने स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण भी किया। इस अवसर पर केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री श्री किरेन रीजीजू और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री पेमा खांडु समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। एक अन्य कार्यक्रम में गृह मंत्री ने लोहित ज़िले में प्रसिद्ध परशुराम कुंड पर भगवान परशुराम की 51 फुट ऊँची कांस्य प्रतिमा की आधारशिला रखी।

रामकृष्ण मिशन के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मैं जब भी अरुणाचल आता हूँ और कोई नमस्ते की जगह जय हिन्द कहता हो तो शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं,पूरे देश में इतनी राष्ट्रभक्ति और जागरूकता अरुणाचल के अलावा शायद और कहीं नहीं है। 50 साल से अरुणाचल प्रदेश में एक संस्था और उसके अनेक संन्यासियों ने यहाँ के हज़ारों बच्चों को शिक्षित करने और सँवारने का काम किया है। श्री अमित शाह ने कहा कि बचपन में एक संन्यासी कहा करते थे कि मंदिर बनाना बहुत पुण्य का काम है,स्कूल बनाना इससे भी बड़ा पुण्य का काम है, लेकिन एक व्यक्ति को अच्छा इंसान बनाने से बड़ा पुण्य का काम और कोई नहीं हो सकता। रामकृष्ण मठ ने 50 साल से एक दुर्गम जगह, सातत्यपूर्ण  तरीक़े से बिना थके और अक्षय ऊर्जा के साथ इस सेवा को जारी रखा है। वे इस अक्षय ऊर्जा को शायद रामकृष्ण परमहंस या पूरे देश के लिए चेतना के स्रोत स्वामी विवेकानंद के उपदेशों से प्राप्त करते हैं। 50 साल से अक्षुण्ण रूप से इस सेवा भाव को चालू रखने के लिए मैं रामकृष्ण मिशन के सभी संन्यासियों को करबद्ध होकर ह्रदय से धन्यवाद करता हूँ।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि हमने समग्र नार्थईस्ट में सालो तक कई प्रकार की समस्याओं को झेला है,अब धीरे-धीरे इन समस्याओं का निवारण भी हो रह है। लेकिन अरुणाचल प्रदेश को कभी भी इन समस्याओं से घिरे नहीं देखा,इसका कारण पचास साल से अधिक समय से यहाँ रामकृष्ण मिशन द्वारा चलाया जा रहा सेवा का यज्ञ है। रामकृष्ण मिशन ने देश के हर क्षेत्र में चाहे वह दूरदराज के पहाड़ी इलाके हों या आदिवासी क्षेत्र,सबसे बड़ा काम स्थानीय संस्कृति,सभ्यता,संगीत,भाषा और स्वधर्म को बचाने और उसे अक्षुण्ण रखने का किया है। आज पूरा अरुणाचल राष्ट्र की मुख्यधारा में है और अपनी संस्कृति,संगीत और भाषा को बचाए रखते हुए स्वधर्म के मार्ग पर चल रहा है, उसका मुख्य कारण रामकृष्ण मठ के सन्यासियों द्वारा यहाँ 50 साल से की गई तपस्या है। उन्होंने कहा कि हम जब भी अरुणाचल आते हैं, यहां से उर्जा और देशभक्ति के संस्कार लेकर वापस जाते हैं, इसलिए मैं अरुणाचल की जनता को बहुत-बहुत धन्यवाद देना चाहता हूं।

 

          गृह मंत्री ने कहा कि रामकृष्ण मिशन एक परमहंस की स्मृति में एक सन्यासी द्वारा दी गई सबसे बड़ी गुरु दक्षिणा है। भारत में चिरपुरातन काल से ही गुरु दक्षिणा की परंपरा रही है मगर किसी भी शिष्य ने अपने गुरु को इतनी बड़ी गुरु दक्षिणा नहीं दी होगी जो स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना कर अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस को दी। गुरु के संदेश को बिना किसी चकाचौंध के त्याग, समर्पण और बलिदान से पूरे देश और दुनिया के अंदर पहुंचाना और सेवा समर्पण को ही अपना धर्म समझ कर आगे बढ़ना विवेकानंद जी के बगैर शायद कोई और नहीं कर सका। गृह मंत्री ने कहा कि हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का भी रामकृष्ण मिशन से काफी जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि अनेक रोगियों की सेवा,अनेक विद्यार्थियों के जीवन को गढ़ते, अनेक प्रकार की कुरीतियों से समाज को बचाते, समाज की आंतरिक चेतना और हमारी संस्कृति पर अनेक प्रकार के आक्रमण को रोकते हुए रामकृष्ण मिशन ने आज पुण्य का एक बहुत बड़ा लोक अर्जित किया है और पूरा देश पुण्य के इस लोक को प्रणाम करता है।

          श्री अमित शाह ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद श्री नरेंद्र मोदी जी ने अनेक समस्याओं से ग्रस्त नॉर्थईस्ट को बदलने की एक नई शुरुआत की है। उन्होने कहा कि 2014 से पहले जब मैं नॉर्थईस्ट आया था और जिस परिवार के घर ठहरा था जब उसने पूछा कि आप भारत से आए हो, तो मुझे यह सुनकर बहुत बड़ा आघात हुआ था। 2014 के बाद पिछले 8 साल में मोदी जी ने दिल्ली और नॉर्थईस्ट के बीच के इस अंतर को समाप्त कर दिया है। पूरा देश नॉर्थईस्ट को अपने राज्य जितना ही प्यार करता है और नॉर्थईस्ट भी आज गौरव के साथ कह रहा है कि हम महान भारत का हिस्सा है,हम भारतीय हैं। 8 साल के अल्पकाल में यह परिवर्तन लाना बहुत बड़ी बात है। उन्होने कहा कि आज तक कोई भी प्रधानमंत्री 50 बार नॉर्थईस्ट नहीं आया है लेकिन मोदी जी 8 साल में 50 से अधिक बार नॉर्थईस्ट के अलग-अलग राज्यों में आए। आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नार्थईस्ट की भाषाओं की चिंता नहीं की, देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने नॉर्थईस्ट की भाषाओं की चिंता की है और नई शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक शिक्षा उनकी ही भाषा में देने की शुरुआत भी की है। चाहे नॉर्थईस्ट के लोगों को दिल से भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ना हो,चाहे एयर,रेल और रोड कनेक्टिविटी से जोड़ना हो,नार्थ ईस्ट के लिए हजारों लाखों करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट देकर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने पूर्वोत्तर का भारत के साथ एक आत्मीय लगाव खड़ा करने का काम किया है।

 

          गृह मंत्री  ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने नॉर्थईस्ट की सभी समस्याओं का धीरे धीरे और धैर्य पूर्वक समाधान ढूंढने का काम किया है। आज मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि 8 साल के अंदर 9000 से ज्यादा रास्ते से भटक गए युवा आज हथियार डालकर देश की मुख्यधारा में शामिल हो भारत के विकास के लिए काम कर रहे हैं। पहले मणिपुर में  बंद और ब्लॉकेड के कारण 365 में से 200 दिन गतिविधियां बंद रहती थी, पिछले 6 साल में वहाँ एक भी बंद और ब्लॉकेड नहीं हुआ है। बोडोलैंड की समस्या को सरलता से हल करने, त्रिपुरा के हथियारबंद ग्रुपों से हथियार डलवाने और ब्रू शरणार्थियों की समस्या का स्थाई समाधान देने का काम श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने किया है। हाल ही में कार्बी जिलों का शांतिपूर्ण समाधान कर लिया गया है। मेघालय और असम के बीच सालों से जो सीमा की समस्याएं थी उसमें 60% से ज्यादा विवादित क्षेत्र को आज शांति के साथ सुलझा दिया है और मुझे आशा है कि अरुणाचल और असम की सीमाओं की समस्या का भी हम जल्दी ही  समाधान ढूंढ लेंगे।

     श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी की सरकार से पहले पूरे नॉर्थ ईस्ट के स्ट्रक्च्रल तरीके से विकास का खाका किसी ने नहीं खींचा लेकिन हमने यह खाका बनाया है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने नॉर्थ-ईस्ट के विकास का तीन हिस्सों में एजेंडा तय किया है। हमारा सबसे पहला उद्देश्य, नॉर्थ ईस्ट की बोलियों,भाषाओं,नृत्य,संगीत और खानपान की परंपरा को केवल बचाना बल्कि उन्हे समृद्ध कर उसे पूरे देश भर में गौरव दिलाना है। दूसरा,सारे विवादों को समाप्त कर नॉर्थईस्ट के युवाओं को एक ऐसा प्लेटफार्म देना जिस पर खड़ा होकर वह विश्व के युवाओं के साथ स्पर्धा कर सके,इस प्रकार के विवाद मुक्त, शांति युक्त,उग्रवाद मुक्त,हथियार मुक्त नॉर्थईस्ट की रचना करना ही हमारा लक्ष्य है।तीसरा लक्ष्य,उत्तर-पूर्व के सभी 8 राज्यों को देश के सबसे विकसित राज्यों की सूची में सबसे ऊपर ले जाना।

 

          गृह मंत्री ने कहा कि विवेकानंद जी का एक वाक्य है कि शिक्षा मनुष्य में पहले से विद्यमान उत्कृष्टता की अभिव्यक्ति का रास्ता है। ईश्वर ने हमारे अंदर अनेक प्रकार की शक्तियां दी हुई है,उन्हे बाहर लाना और उन शक्तियों को बाहर लाकर मनुष्य को उत्कृष्ट जगह पर पहुंचाना। यही शिक्षा का उद्देश्य हो और मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जो शिक्षा नीति लाए है वह विवेकानंद जी के बताए शिक्षा के मार्ग के अनुरूप शिक्षा है। विवेकानंद जी ने कहा था जो शिक्षा व्यक्ति को जीवन के संघर्ष के लिए सामर्थ्यवान नहीं बनाती,चरित्र निर्माण नहीं करती,परोपकार का भाव पैदा नहीं करती तो वह शिक्षा नहीं है। मनुष्य को अपने पैरों पर खड़ा होने के लायक बनाए उसी का नाम शिक्षा है और 2020 में हम जो नई शिक्षा नीति लाए हैं उसमें स्वामी विवेकानंद जी की बताई हुई सभी व्याख्याओं की पूर्ति करती है। उन्होने कहा कि 21वीं सदी ज्ञान की सदी है, भारत के युवाओं को 21वीं सदी के विश्व के अनुरूप बनाना है,विश्व के युवाओं की स्पर्धा में भारत का युवा उन्नत मस्तक के साथ खड़ा होकर उनसे स्पर्धा करे और विजयी हो इस प्रकार के युवा बनाना ही इस शिक्षा नीति का उद्देश्य है।

 

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