कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय

कंपनी अधिनियम के क्रियान्वयन से संबद्ध विभिन्न प्रावधानों एवं मुद्दों की पड़ताल और सुझाव देने के लिए सरकार ने कंपनी कानून समिति गठित की

Posted On: 18 SEP 2019 7:12PM by PIB Delhi

सरकार के देश में सुगम जीवनयापन को बढ़ावा देने के उद्देश्य के क्रम में कानूनों का पालन करने वाले कॉर्पोरेट्स को कारोबारी सुगमता उपलब्ध कराने, बड़े पैमाने पर हितधारकों के लिए बेहतर कॉर्पोरेट अनुपालन को बढ़ावा देने और देश में कॉर्पोरेट्स के कामकाज को प्रभावित करने वाले उभरते मुद्दों को हल करने के लिए एक कंपनी कानून समिति गठित करने का फैसला किया गया है। यह समिति कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न प्रावधान एवं मुद्दों की पड़ताल करेगी और सरकार को सुझाव देगी। 

कंपनी कानून समिति में निम्मलिखित सदस्य होंगे:-

क्रम संख्या

व्यक्ति का नाम/संस्थान

- पद

1.

सचिव, एमसीए

  • अध्यक्ष

2.

डा. टी. के. विश्वनाथन, पूर्व महासचिव, लोकसभा

  • सदस्य

3.

श्री उदय कोटक, प्रबंध निदेशक, कोटक महिंद्रा बैंक

  • सदस्य

4.

श्री शार्दुल एस श्राफ, कार्यकारी अध्यक्ष, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी

  • सदस्य

5.

श्री अमरजीत चोपड़ा, वरिष्ठ साझीदार, जीएसए एसोसिएट्स, नई दिल्ली

  • सदस्य

6.

श्री राजीब शेखर साहू, प्रमुख साझीदार, एसआरबी एंड एसोसिएट्स, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, भुवनेश्वर

  • सदस्य

7.

श्री अजय बहल, संस्थापक एवं प्रबंधन साझीदार, एजेडबी एंड पार्टनर्स, एडवोकेट्स एवं सॉलिसीटर्स

  • सदस्य

8.

श्री जी रामास्वामी, साझीदार, जी. रामास्वामी एंड कंपनी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कोयंबटूर

  • सदस्य

9.

श्री सिद्धार्थ बिड़ला, चेयरमैन, एक्सप्रो इंडिया लिमिटेड

  • सदस्य

10.

सुश्री प्रीति मल्होत्रा, ग्रुप प्रेसीडेंट, कॉर्पोरेट मामले एवं गवर्नेंस, स्मार्ट समूह

  • सदस्य

11.

संयुक्त सचिव (नीति)

-  सदस्य सचिव

 

समिति के संदर्भ की शर्तें इस प्रकार हैं:-

  1. अपराध की प्रकृति का विश्लेषण (कंपाउंडेबल एवं नॉन कंपाउंडेबल) करना और इस बात पर अपना सुझाव देना कि क्या किसी भी अपराध को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत अनुपालन जरूरतों के अनुकूल बनाने के उपायों के साथ सिविल गलती के रूप में फिर से वर्गीकृत किया जा सकता है तथा कारोबारी सुगमता को और बढ़ाने के लिए इससे जुड़े उपाय किए जा सकते हैं;
  2. कंपनी अधिनियम, 2013 के दायरे में समझौता तंत्र, अभियोजन स्थगन समझौता आदि को पेश करने की व्यवहार्यता की जांच करना;
  3. सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के तहत मौजूदा ढांचे का अध्ययन करना और अगर किसी तरह की कमियां हैं तो इन्हें दूर करने के उपाय सुझाना। साथ ही कारोबारी सुगमता को बढ़ावा देना;
  4. एनसीएलटी की कार्यप्रणाली में सुधार के उपायों का प्रस्ताव;
  5. अधिनियम के तहत एसएफआईओ, आईईपीएफए, एनएफआरए जैसे वैधानिक निकायों को पूरी कार्यप्रणाली की दिक्कतों को दूर करने के उपाय सुझाना;
  6. कंपनी अधिनियम, 2013 और सीमित देयता भागीदारी अधिनियम, 2008 के तहत ऐसे विशेष प्रावधानों की पहचान करना, जिनमें कॉर्पोरेट हितधारकों की अधिक सुगमता के लिए सुधार किए जाने की जरूरत है। इसमें ऐसे हितधारक शामिल हैं जो दोनों अधिनियमों के तहत प्रपत्रों की समीक्षा तक ही सीमित नहीं हैं।
  7. किसी अन्य प्रासंगिक सिफारिश के रूप में यह आवश्यक हो सकता है

समय-समय पर समिति के अध्यक्ष द्वारा तय किए जाने पर यह समिति अपनी सिफारिशों को चरणबद्ध तरीके और विषयवार सौंपेगी।

समिति का शुरुआती कार्यकाल इसकी पहली बैठक के बाद से एक साल के लिए होगा।  

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आर.के.मीणा/आरएनएम/एएम/एएस – 3107



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